Monday, May 6, 2024
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हिमालय के संरक्षण में हम सभी की भागीदारी जरूरी : मुख्यमंत्री धामी

श्रीमद्भागवत गीता के ऊपर संक्षेप व सरल भाषा में लिखी गई पुस्तक का हुआ विमोचन

हरि मंदिर रथ को सीएम ने हरी झंडी दिखाकर कियॎ रवाना

ऋषिकेश, मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने परमार्थ निकेतन ऋषिकेश में हिमालय दिवस के अवसर पर आयोजित कार्यक्रम में प्रतिभाग किया। इस अवसर पर उन्होंने हरि मंदिर रथ को हरी झंडी दिखाकर रवाना किया। उन्होंने हिमालय के संरक्षण हेतु शपथ दिलवाई एवं श्रीमद्भागवत गीता के ऊपर संक्षेप व सरल भाषा में लिखी गई पुस्तक का विमोचन किया।

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने हिमालय के प्राकृतिक जल स्रोतों धारों, नालों के अध्ययन, संरक्षण और संवर्धन के लिए एक कमेटी के गठन किए जाने की बात कही, जो विभिन्न प्रयासों से हिमालय के प्राकृतिक जल स्रोतों को बचाने और संरक्षित करने का हर सम्भव प्रयास करेगी।

 

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने हिमालय दिवस की शुभकामनाएं देते हुए कहा कि हिमालय के संरक्षण में हम सभी की भागीदारी जरूरी है। सरकार के दोनों दायित्व तय हैं, जहां एक ओर हिमालय के संरक्षण के प्रति गंभीर रहना है, तो दूसरी ओर विकास के प्रति भी उतना ही दायित्व निभाना है, ताकि हिमालय का पर्यावरण सुरक्षित रहे और यहाँ के निवासियों की आर्थिकी भी। समूचे हिमालय से जुड़े राज्यों के लिए यहाँ की अलग भौगोलिक और स्थानीय परिस्थिति के अनुकूल अलग विकास मॉडल होना चाहिए। उन्होंने कहा कि हमने नीति आयोग की बैठक में भी हिमालय के महत्वपूर्ण सरोकारों से जुड़े मुद्दों को साझा किया और इस संबंध में महत्वपूर्ण सुझाव और प्रस्ताव साझा किए।

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि हिमालयी क्षेत्रों में सामाजिक विकास की आवश्यकता है, हमें इकॉलोजी एवं इकोनॉमी को साथ में रखते हुए कार्य करना होगा। हिमालय की जैव विविधता को संरक्षित करना है। जब हिमालय बचा रहेगा, तभी जीवन बचा रहेगा।

 

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि हिमालय का किसी राज्य व देश के लिये ही नहीं बल्कि पूरी दुनिया के लिये महत्व है। हिमालय के संरक्षण का दायित्व, हम सभी का है। हिमालय के संरक्षण के लिये यहां की संस्कृति, नदियों व वनों का संरक्षण जरूरी है। विकास के साथ ही प्रकृति के साथ भी संतुलन बनाना होगा। प्रकृति के संरक्षण के लिये हिमालय का संरक्षण आवश्यक है। हिमालयी राज्यों को विकास के दृष्टिगत पारिस्थितिकी और आर्थिकी के समन्वय पर ध्यान देने की भी जरूरत है। उन्होंने कहा कि पर्यावरण संरक्षण उत्तराखण्ड वासियों के स्वभाव में है, हरेला जैसे पर्व, प्रकृति से जुड़ने की हमारे पूर्वजों की दूरगामी सोच का परिणाम है। पर्यावरण में हो रहे बदलावों, ग्लोबल वार्मिंग के साथ ही जल, जंगल, जमीन से जुड़े विषयों पर समेकित चिंतन की जरूरत है। सामाजिक चेतना तथा समेकित सामूहिक प्रयासों से ही हम इस समस्या के समाधान में सहयोगी बन सकते हैं।

परमार्थ निकेतन के प्रमुख स्वामी चिदानंद सरस्वती महाराज ने हिमालय दिवस की शुभकामनाएं देते हुए कहा कि पहाड़ी राज्य का प्रत्येक व्यक्ति हिमालय का प्रहरी है। हिमालय जैसे विराट भूभाग का संरक्षण ही असल मायनों में हमारे भविष्य का संरक्षण है। उन्होंने कहा गंगा, जलाशय, प्राकृतिक संसाधनों, ग्लेशियर का संरक्षण के साथ ही हिमालय का संरक्षण मुमकिन है। मां गंगा का अस्तित्व हिमालय एवं ग्लेशियर के अस्तित्व पर आधारित है, उन्होंने मुख्यमंत्री धामी को एकल हनुमान सम्मान प्रदान करते हुए कहा कि मुख्यमंत्री धामी पर्यावरण के संरक्षण में हनुमान की तरह संकल्पित होकर अथक परिश्रम कर रहे हैं।

 

उत्तर प्रदेश सरकार में कैबिनेट मंत्री बेबी रानी मौर्य ने कहा कि उत्तराखंड का वातावरण एवं पर्यावरण पूरे विश्व को अपनी ओर आकर्षित करता है। उन्होंने कहा यहां आने से नई ऊर्जा मिलती है। हिमालय के संरक्षण के साथ ही जीवनदायिनी मां गंगा का संरक्षण भी बेहद जरूरी है एवं पर्यावरण के संरक्षण में सभी की सहभागिता जरूरी है। उन्होंने हर शुभ कार्य से पहले पौधारोपण एवं उत्तराखंड के साथ ही पूरे भारत को प्लास्टिक मुक्त किए जाने हेतु आग्रह किया।

कैबिनेट मंत्री सुबोध उनियाल ने ग्लोबल वार्मिंग, क्लाइमेट चेंज एवं बढ़ते प्रदूषण पर चिंता जताते हुए कहा कि प्रकृति पर्यावरण के साथ ही हिमालय ग्लेशियर का संरक्षण बेहद जरूरी है। उन्होंने कहा मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के नेतृत्व में वन विभाग जंगलों, प्राकृतिक जल स्रोतों को पुनर्जीवित करने के कार्य में जुटा हुआ है। उन्होंने कहा हम सभी एवं आने वाली पीढ़ी को पर्यावरण और हिमालय के संरक्षण एवं संवर्धन हेतु संकल्पबद्ध होना पड़ेगा ।

 

पद्मश्री डॉ. अनिल जोशी ने हिमालय दिवस की शुभकामनाएं देते हुए कहा कि हिमालय के संरक्षण हेतु चर्चा विचार एवं मंथन यहां के निवासियों, एनजीओ, शोध संस्थानो द्वारा गंभीरता से किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा हिमालय के संरक्षण के साथ, वहां के मूल निवासियों का संरक्षण भी बेहद जरूरी है, जिसके लिए विकास और पर्यावरण में संतुलन बनाना होगा। उन्होंने कहा हमारा भविष्य तभी सुरक्षित है, जब हिमालय सुरक्षित होगा।

इस अवसर पर विधायक रेनू बिष्ट, विधायक गोपाल राम टम्टा, जिलाधिकारी पौड़ी विजय कुमार जोगदंडे, वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक पौड़ी जसवंत सिंह चौहान, एकल भारत लोक शिक्षा परिषद से नीरज राय एवं अन्य लोग मौजूद रहे।

 

उत्तराखंड में खेल पुरस्कारों की धनराशि बढ़ी, ओलंपिक में स्वर्ण पदक जीतने पर पुरस्कार के रूप में मिलेंगे दो करोड़

देहरादून, उत्तराखंड के खिलाड़ियों के लिए एक अच्छी खबर है। उत्तराखंड में खेल पुरस्कारों की धनराशि बढ़ा दी गई है। धामी सरकार ने खिलाड़ियों को दी जाने वाली धनराशि बढ़ा दी है। शासन की ओर से जारी आदेश के मुताबिक, ओलंपिक में स्वर्ण पदक जीतने पर पुरस्कार के रूप में दो करोड़ और ओलंपिक में प्रतिभाग करने पर 50 लाख की धनराशि दी जाएगी। उत्तराखंड खेल विभाग की ओर से राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय खेलों में पदक विजेता प्रदेश के खिलाड़ियों व प्रशिक्षकों के पुरस्कारों की धनराशि को बढ़ा दिया गया है। खेल पुरस्कारों की धनराशि में 30 से शत प्रतिशत की वृद्धि की गई है। विशेष प्रमुख सचिव अभिनव कुमार ने इस संबध में आदेश जारी किया है। आदेश में यह भी कहा गया है कि ओलंपिक, विश्वकप, एशियन खेल, राष्ट्रमंडल खेलों में चयन के बाद खिलाड़ी को संबंधित प्रतियोगिता में प्रतिभाग के लिए मान्य धनराशि का 20 प्रतिशत पहले ही उपलब्ध कराया जाएगा। प्रतियोगिता में प्रतिभाग या पदक जीतने पर मिलने वाली धनराशि में इसे समायोजित किया जाएगा।

अब मिलेगी इतनी धनराशि
ओलंपिक खेल:- स्वर्ण दो करोड़,रजत डेढ़ करोड़,कांस्य एक करोड़,प्रतिभाग 50 लाख।
विश्व चौंपियनशिप:- स्वर्ण 30 लाख,रजत 20 लाख,कांस्य 15 लाख,प्रतिभाग साढ़े सात लाख।
एशियन खेल:- स्वर्ण 30 लाख,रजत 20 लाख,कांस्य 15 लाख,प्रतिभाग साढ़े सात लाख।

 

ओलंपिक में स्वर्ण विजेता को दो करोड़ :
खेल निदेशक के आदेश के अनुसार ओलंपिक खेलों में स्वर्ण पदक जीतने वाले राज्य के खिलाड़ी को दो करोड़ रुपये की पुरस्कार राशि दी जाएगी। जबकि, रजत पदक विजेता को डेढ़ करोड़ और कांस्य पदक विजेता को एक करोड़ रुपये दिए जाएंगे। ओलंपिक खेलों में प्रतिभाग करने वाले खिलाड़ी को पचास लाख रुपये की पुरस्कार राशि दी जाएगी।

विश्वकप जीतने पर मिलेंगे तीस लाख :
विश्वकप में स्वर्ण जीतने वाले को तीस लाख विश्व कप और विश्व चौम्पियनशिप में स्वर्ण पदक विजेता प्रदेश के खिलाड़ी को तीस लाख, रजत पदक विजेता को 20 लाख, कांस्य पदक विजेता को 15 लाख और प्रतिभाग करने वाले खिलाड़ी को साढ़े सात लाख रुपये का पुरस्कार दिया जाएगा।

राष्ट्रीय खेलों की पुरस्कार राशि बढ़ाई राष्ट्रमंडल खेल, एशियन चौम्पियनशिप, कॉमनवेल्थ के साथ ही अन्य अंतरराष्ट्रीय और राष्ट्रीय खेल प्रतियोगिता में विजेता खिलाड़ियों के लिए पुरस्कार राशि बढ़ा दी गई है। जूनियर और सब जूनियर वर्ग के खिलाड़ियों के लिए भी पुरस्कार राशि बढ़ाई गई है। आदेश के अनुसार ओलंपिक, विश्व कप, एशियन खेल और राष्ट्रमंडल खेलों में प्रतिभाग करने वाले खिलाड़ियों को चयन के बाद 20 प्रतिशत राशि पहले ही दे दी जाएगी।

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