देहरादून, उत्तराखंड अधीनस्थ सेवा चयन आयोग ने एसआइटी की जांच आख्या और परीक्षा में शामिल रहे अभ्यर्थियों के फीडबैक के बाद यह निर्णय लिया है। उत्तराखंड अधीनस्थ सेवा चयन आयोग के सचिव संतोष बड़ोनी ने शुक्रवार को इस बारे में विस्तृत रिपोर्ट जारी की। बताया कि आयोग ने अभ्यर्थियों के फीडबैक का सार, सर्वोच्च न्यायालय व उच्च न्यायालय नैनीताल के निर्णयों का संदर्भ लिया है। इसके बाद समुचित विचारोपरांत सर्वसम्मति से यह निर्णय लिया गया है।
परीक्षा रद्द नहीं करने को लेकर आयोग का तर्क है कि वन आरक्षी के 1218 पदों के लिए 16 फरवरी को 188 केंद्रों पर परीक्षा आयोजित की गई थी, जिनमें करीब एक लाख अभ्यर्थी शामिल हुए। परीक्षा में नकल संबंधी गड़बड़ी को लेकर केवल 22 केंद्र चिन्हित हुए थे। नकल करने के मामले में 57 अभ्यर्थी शामिल हुए हैं।
आयोग ने 14 अक्टूबर को आयोग की वेबसाइट पर संवाद नाम से स्तंभ आरंभ किया, जिसमें परीक्षा में शामिल कर्मचारियों और अभ्यर्थियों से इस बारे में फीडबैक लिया गया। तीन दिन तक फीडबैक देने का समय निर्धारित किया। 19 से 22 अक्टूबर के बीच 2956 फीडबैक आयोग को प्राप्त हुए। छात्रों के अधिकतर फीडबैक या तो परीक्षा रद्द करने को लेकर थे या फिर परीक्षा परिणाम घोषित करने को लेकर दिए गए थे।
परीक्षा केंद्रों में मोबाइल का प्रयोग करने संबंधी कोई भी फीडबैक नहीं आए, जिसके बाद आयोग ने परीक्षा रद्द नहीं करने का निर्णय लिया है।
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