कोरोना वायरस के नए वैरिएंट ओमिक्रॉन की दस्तक के बाद भारत समेत पूरी दुनिया दहशत में है। इस बीच देश में पिछले 24 घंटे में कोरोना वैक्सीन के एक करोड़ डोज लगाए गए हैं। स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मंडाविया ने शनिवार को इसकी जानकारी दी। उन्होंने कहा कि हर घर दस्तक अभियान हर दिन नए कीर्तिमान रच रहा है।
इस बीच भारत की स्वदेशी वैक्सीन (कोविशिल्ड) बनाने वाली कंपनी सीरम इंस्टीट्यूट ने सरकार से बूस्टर खुराक बनाने की अनुमति मांगी है। सीरम इंस्टीट्यूट ने बूस्टर खुराक के लिए भारत के दवा नियामक से मंजूरी मांगी है। वहीं, भारतीय SARS-CoV-2 जीनोमिक्स सीक्वेंसिंग कंसोर्टियम (INSACOG)ने 40 साल से अधिक उम्र के लोगों को बूस्टर देने की मांग की है, लेकिन इस सब के बीच वैज्ञानिकों ने अलग-अलग राय दी है। कुछ वैज्ञानिकों का मानना है कि भारत में पहले टीकाकरण की दोनों खुराक लगाने की जरूरत है। देश में टीकाकरण की शुरुआत आठ महीने पहले हुई है। ऐसे में लोगों को टीका की दोनों खुराक पहले लग जानी चाहिए।
वैज्ञानिकों का कहना है कि बड़ी संख्या में लोग अब भी टीकाकरण से वंचित हैं। समाचार एजेंसी पीटीआई से बातचीत करते हुए इम्यूनोलॉजिस्ट विनीता बल ने कहा कि हमारी आबादी का एक बड़ा हिस्सा 18 वर्ष से कम आयु वर्ग में है। जब तक यह हासिल नहीं हो जाता, तब तक बूस्टर या तीसरी खुराक के लिए नीति तैयार करने की सलाह नहीं दी जा सकती है।
बूस्टर खुराक पर अलग-अलग राय
नई दिल्ली के नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ इम्यूनोलॉजी (एनआईआई) के सत्यजीत रथ ने कहा कि यह अभी तक स्पष्ट नहीं है कि दुनिया भर में किसी भी टीके के लिए बूस्टर की जरूरत है या नहीं। मुंबई में संक्रामक रोगों के सलाहकार और महाराष्ट्र सरकार के कोविड टास्क फोर्स के सदस्य वसंत नागवेकर ने वैक्सीन की बूस्टर खुराक पर जोर देने से ज्यादा मास्क इस्तेमाल करने की सलाह दी।
Recent Comments