देहरादून, मणिपुर में तीन मई से हो रही हिंसा और केंद्र व मणिपुर की डबल इंजन की सरकार के हिंसा पर रोक लगाने में विफल होने के खिलाफ देहरादून में विभिन्न विपक्षी राजनीतिक दलों, सामाजिक संगठनों और यूनियनों ने मानव श्रृंखला बनाई और केंद्र में बीजेपी की सरकार के खिलाफ जोरदार प्रदर्शन किया। मानव श्रृंखला गांधी पार्क से लेकर घंटाघर तक बनाई गई।
बता दें कि मणिपुर में तीन मई से जातीय हिंसा जारी है। इस दौरान 180 से ज्यादा लोग मारे जा चुके हैं। हजारों घर जला दिए गए हैं। दो समुदाय के बीच हिंसा के बाद से ही 50 हजार से ज्यादा लोग शिविरों में रहने को मजबूर हैं। दो महिलाओं को निर्वस्त्र घुमाने का वीडियो 19 जुलाई को वायरल होने के बाद सुप्रीम कोर्ट ने घटना का संज्ञान लिया तो चार मई की घटना में 20 जुलाई को गिरफ्तारी की गई। अब तक आठ आरोपी गिरफ्तार किए जा चुके हैं। वहीं, सारी घटना पुलिस की आंख के सामने हुई। भीड़ ने पुलिस की सुरक्षा से लोगों को छुड़ाया और तीन महिलाओं को निर्वत्र घुमाया। एक से रेप किया। एक महिला के पिता और एक के भाई की हत्या कर दी। इस तरह की कई घटनाएं मणिपुर में हो चुकी हैं। पीएम नरेंद्र मोदी ने वीडियो वायरल होने के बाद घटना की निंदा की, लेकिन मणिपुर में शांति की अपील नहीं की। ना ही वह एक बार भी मणिपुर गए। ना ही संसद में उन्होंने इस घटना को लेकर कुछ बोला। वह मानसूत्र सत्र में संसद में जाने की बजाय चुनाव प्रचार में व्यक्त हैं। यही हाल बीजेपी सांसदों का है। वहीं, विपक्षी गठबंधन इंडिया के 21 सदस्य 29 जुलाई को मणिपुर पहुंच गए और वहां के हालतों का जायजा ले रहे हैं। इससे पहले कांग्रेस नेता राहुल गांधी भी मणिपुर गए थे। वहीं, बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष सहित बड़े नेता मणिपुर नहीं गए।
मणिपुर में निरन्तर हो रही हत्याऐं तथा महिलाओं के खिलाफ हो रही अपमानजनक घटनाओं के खिलाफ बड़ी संख्या में नागरिक समाज दून की सड़कों पर उतरा। इस मौके पर मानव श्रृंखला गांधी पार्क से घण्टाघर तक बनाकर मणिपुर की पीड़ित जनता के साथ एकजुटता प्रदर्शित की गई। साथ ही मणिपुर के मुख्यमंत्री तथा गृहमंत्री अमित शाह का इस्तीफा मांगा। मणिपुर में बीजेपी की सरकार है और केंद्र में भी। इस अवसर पर वक्ताओं ने पीएम मोदी की भूमिका पर गम्भीर सवाल उठाये।
मानव श्रृंखला के दौरान जनगीत भी गाए गए। विभिन्न संगठनों एवं राजनैतिक दलो ने इसमें हिस्सेदारी की। इनमें महिला मंच, जनवादी महिला समिति, इन्सानियत मंच, सीपीएम, सीपीआई, पीएसएम, कांग्रेस, बीजीवीएस, सीटू, एसएफआई, किसान सभा, एटक, चेतना आन्दोलन, सर्वोदय मण्डल, गढ़वाल सभा, संवेदना, जनसंवाद, आयूपी, उत्तराखंड आंदोलनकारी संगठन सहित अन्य संगठनों के लोग शामिल रहे। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
इस अवसर पर सेवानिवृत मुख्य सचिव एस के दास, विभापुरी, एस एस पांगती, रवि चौपड़ा, कमला पंत, इन्दु नौडियाल, दमयन्ती नेगी, गरिमा दसौनी, गिरधर भण्डारी, समर भंडारी, सुरेन्द्र सजवाण, गंगाधर नौटियाल, अनन्त आकाश, लेखराज, नितिन मलेठा, हिमान्शु चौहान, निर्मला बिष्ट, शंकर गोपाल, सतीश धौलाखण्डी, विजय भट्ट, इन्देश नौटियाल, अशोक शर्मा, राकेश पन्त, दिनेश नौटियाल, अजय शर्मा, रजिया बेग, नवनीत गुंसाई, मोहन रावत, नुरैशा आदि बड़ी संख्या लोग शामिल थे।
चाय बागान की भूमि के दस्तावेजों के छेड़छाड़ मामले में केस दर्ज, नौ रजिस्ट्रार और 28 लिपिक जांच के घेरे में
‘दून के भूमाफिया में कोहराम, सीबीआई करे जांच, आरटीआई एक्टिविस्ट एडवोकेट विकेश नेगी की मेहनत ला रही रंग‘
देहरादून, चाय बागान और सीलिंग की जमीन के मामले में भूमाफिया और अफसरों की सांठगांठ का खुलासा हो गया है। शासन ने इस मामले की जांच के लिए एसआईटी को आदेश दिये हैं। भूमि रिकार्ड में हेराफेरी हुई है। हजारों करोड़ रुपये के इस खेल को उजागर करने वाले आरटीआई एक्टिविस्ट एडवोकेट विकेश नेगी का कहना है कि यह जमीन सरकार की है। जमीन के खुर्द-बुर्द होने से सरकार को करोड़ों की चपत लगी है। इस घोटाले के तार यूपी, दिल्ली और हरियाणा से भी जुड हैं। ऐसे में एसआईटी जांच की बजाए यह मामला सीबीआई को दिया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि यदि जरूरत हुई तो वह इस मामले में हाईकोर्ट में जनहित याचिका दाखिल करेंगे।
दरअसल, आरटीआई एक्टिविस्ट एडवोकेट विकेश नेगी ने पिछले साल हाईकोर्ट में एक जनहित याचिका दायर की थी कि देहरादून में चाय बागान की जमीन की खरीद-फरोख्त चल रही है जो कि गैरकानूनी है। सुप्रीम कोर्ट का आदेश है कि 10 अक्टूबर 1975 के बाद चाय बागान की जमीन की खरीद-फरोख्त नहीं की जा सकती है। यदि ऐसा होता है तो यह जमीन स्वतः ही सरकार की हो जाएगी। एडवोकेट नेगी के अनुसार रायपुर, रायचकपुर, लाडपुर और नत्थनपुर समेत जिले में चाय बागान की सीलिंग की जमीन को खुर्द-बुर्द किया जा रहा है। इस मामले में देहरादून अपर जिलाधिकारी की कोर्ट में भी सुनवाई चल रही है।
इस मामले को लेकर जिला प्रशासन भी लचर रवैया अपनाए हुए था। लेकिन अब सरकार ने इस मामले को गंभीरता से लिया है और 1978 से 1990 के भू रिकार्ड के साथ छेड़छाड़ की बात को स्वीकार किया है। कई बैनामों के पेपर बीच में से फाड़ दिये गये हैं। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने इस मामले की जांच के आदेश एसआईटी को दिये हैं। कोतवाली पुलिस में केस दर्ज किया गया है। इस मामले में नौ सब रजिस्ट्रार और 28 लिपिक जांच के घेरे में हैं।
यह भी बता दें कि जिला प्रशासन ने पहले इस मामले को हलके में लिया तो हाईकोर्ट भी इस मुद्दे पर सख्त हो गया। नैनीताल हाईकोर्ट ने चाय बागान की सीलिंग की भूमि की खरीद-फरोख्त मामले में दायर एक जनहित मामले की सुनवाई के दौरान सरकार द्वारा समय पर हलफनामा दाखिल न किये जाने पर नाराजगी जतायी। हाईकोर्ट ने इस मामले में राज्य सरकार पर 20 हजार रुपये का जुर्माना लगाया है। इस जुर्माने को हलफनामा दाखिल करने में कोताही बरतने वाले अधिकारी से वसूलने के आदेश दिये गये हैं। यह जनहित याचिका एडवोकेट विकेश नेगी ने दायर की है। इसमें कहा गया है कि चाय बागान की सीलिंग की जमीन सरकार की है, लेकिन कुछ अफसरों और भूमाफिया की मिलीभगत से इस भूमि की अवैध खरीद-फरोख्त हो रही है। इस मामले की सुनवाई हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस विपिन सांघवी और जस्टिस राकेश थपलियाल की बेंच कर रही है।
इस मामले को उजागर करने वाले अधिवक्ता और आरटीआई एक्टिविस्ट विकेश नेगी ने कहा कि यदि विंडलास की भूमि घोटाले का एक छोटा सा मामला सीबीआई को सौंपा जा सकता है तो चाय बागान की चार हजार और सीलिंग की तीन हजार बीघा जमीन जो कि करोड़ों की है, उसकी जांच एसआईटी की बजाए सीबीआई को देनी चाहिए। उनके अनुसार इस मामले में निबंधन और राजस्व विभाग के अफसरों की मिलीभगत है और इसके तार पूरे उत्तर भारत में फैले हुए हैं। उन्होंने कहा कि एसआईटी बाहर के प्रदेशों में मामले की जांच नहीं कर सकती है। ऐसे में यह जांच सीबीआई को देनी चाहिए। विकेश नेगी ने कहा देहरादून नगर निगम से जुड़े भूमि प्रकरण, भू रिकार्ड व रजिस्ट्रीयों की जांच भी सरकार को करानी चाहिए। यहां भी जमीनों के गड़बड़झाले से जुड़े कई बड़े खुलासे होंगे। विकेश नेगी ने बताया कि कुछ समय पहले नगर निगम में जमीनों से संबधित रिकार्ड चोरी हुआ था। जिसको लेकर शहर कोतवाली में मुकदमा भी दर्ज किया गया था। लेकिन कार्रवाई के नाम पर इस पूरे मामले में कुछ नहीं हुआ है। उन्होंने कहा जमीनों के घोटाले को अफसरों और नेताओं की मिलीभगत से ही भूमाफिया अंजाम देते हैं। उन्होंने कहा कि जरूरत होगी तो इस मामले में हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर की जाएगी।
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