साहस, शौर्य और बलिदान के बल पर BSF ने देश के ‘फर्स्ट लाइन ऑफ़ डिफेंस’ को मजबूत बनाया
नई दिल्ली :- राजस्थान के जोधपुर में सीमा सुरक्षा बल के 60वें स्थापना दिवस समारोह परेड में बतौर मुख्य अतिथि अपनी उपस्थिति दर्ज करते हुए केंद्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री अमित शाह ने यह स्पष्ट किया कि, ‘देश के 140 करोड़ लोगों के मन में जो ‘अजेय भारत’ का विश्वास है, उसका पूरा श्रेय सीमा पर खड़े जवानों को जाता है।’ प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के कुशल मार्गदर्शन में बीते कुछ वर्षों में आंतरिक सुरक्षा से लेकर सीमा सुरक्षा तक की दिशा में एक बड़ा परिवर्तन देखने को मिला है, और इस बात को पूरी दुनिया ने देखा है।
60 सालों से साहस, शौर्य और बलिदान के दम पर सीमा सुरक्षा बल ने न केवल देश की फर्स्ट लाइन ऑफ डिफेंस को ताकतवर बनाने का काम किया है, बल्कि सीमा पर आने वाली सभी चुनौतियों का मुकाबला कर देश की सुरक्षा की प्रथम पंक्ति को सशक्त भी किया है। 1 दिसंबर, 1965 से लेकर आज तक सीमा सुरक्षा बल ने निरंतर देश की पूर्वी और पश्चिमी सीमा की सुरक्षा को चाक-चौबंद रखने का काम किया है। शाह ने पूरे देश को यह संदेश दिया कि देश की सुरक्षा के लिए अपने प्राणों का बलिदान करने वाले जवानों का देश की जनता सदैव ऋणी रहेगी। एक समय में 25 बटालियन से शुरू हुआ यह बल आज 193 बटालियन तक पहुँच गया है, जिसमें 2 लाख 70 हजार जवान की संख्या है जो विश्व का सबसे बड़ा सीमारक्षक बल है। सीमा सुरक्षा बल के जवानों ने साल 2024 में भी जाली मुद्रा, नारकोटिक्स, घुसपैठ और वामपंथी उग्रवाद के खिलाफ लड़ने का अपना रिकॉर्ड अनेक अभियानों के माध्यम से बरकरार रखा है। देश की प्रथम रक्षा पंक्ति के रूप में 1,992 सीमा प्रहरियों ने अपने प्राणों की आहुति दी है और अब तक उनमें से 1,330 जवानों को पदक दिए गए हैं। इनमें 1 महावीर चक्र, 6 कीर्ति चक्र, 13 वीर चक्र, 13 शौर्य चक्र, 56 सेना मेडल और 1,241 पुलिस पदक शामिल हैं।
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