देहरादून, दीपावली के दिन से उत्तरकाशी की निर्माणाधीन सिलक्यारा सुरंग में कैद हुये 41 मजदूर सुरक्षित बाहर आने की आस लगाये बैठे हैं, नियति उन्हें कब और कैसे बाहर निकालेगी यह प्रश्न भी वाजिब है, लेकिन अभी भी 15 दिन बीत जाने के बाद सुरंग में फंसे 41 मजदूर बाहर निकले की उम्मीद लगाए बैठे हैं। सरकार उन्हें बाहर निकालने की हर संभव कोशिश में जुटी हैं लेकिन हर बार मशीन के आगे बाधा आ रही है। रेस्क्यू का आज 15वां दिन भी समाप्त हो गया है। इस बीच हैदराबाद से प्लाज्मा कटर लाया गया है। इसके साथ ही बीएसएनएल ने भी फंसे मजदूरों तक लैंडलाइन की सुविधा दे दी है। उत्तरकाशी में जारी रेस्क्यू अभियान में अब बड़ी चुनौती का सामना करना पड़ सकता है। मौसम विभाग ने अगले तीन दिनों के लिए येलो अलर्ट जारी किया है। उत्तरकाशी, चमोली, रुद्रप्रयाग व पिथौरागढ़ समेत कई ऊंचाई वाले क्षेत्रों में बारिश-बर्फबारी के आसार हैं। ऐसे में सिलक्यारा टनल में चल रहे राहत कार्यों पर भी इसका प्रभाव पड़ेगा, आईएमडी के मुताबिक, राज्य में आज से पश्चिमी विक्षोभ सक्रिय होगा।
इस बीच ड्रिल करने वाली अमेरिकी ऑगर मशीन के टूटने के कारण सिलक्यारा सुरंग में फंसे 41 श्रमिकों को बाहर निकालने के अभियान में आए व्यवधान के बाद अब चार योजनाओं पर विचार किया जा रहा है।
वहीं मजदूरों की जिन्दगी बचाने में लगे एनएचआईडीसीएल के मैजेजिंग डायरेक्टर महमूद अहमद का कहना है हमने शनिवार से 2-3 और विकल्पों पर काम करना शुरू कर दिया है और एसजेवीएनएल से कहा है कि वो वर्टिकल ड्रिलिंग शुरू करें। यह ड्रिलिंग 1 मीटर से लेकर 1.2 डायमीटर के लिए होती है। साथ ही हमने एक जगह की पहचान की है जहां कुल 86 मीटर की ड्रिलिंग होनी हैं। 15 मीटर तक ड्रिलिंग हो चुकी है। हमें ऐसा लगता है कि हम इसे अगले 2 दिनों में कर लेंगे। महमूद अहमद ने कहा, कंक्रीट बेडिंग पर काम शुरू हो गया है, यह एक लंबी प्रक्रिया है। हमारा टारगेट है कि 15 दिन लगेंगे इस हॉरिजोन्टल ड्रिलिंग को सफल होने में। हम एक ड्रिफ्ट टनल भी बनाना चाहते हैं। इसका डिजाइन बनाया गया है और इसे अप्रूवल मिल गया है। उनका कहना है कि हम कई तरह से काम कर रहे हैं। बारकोट साइड से काम करने में दिक्कतें आ रही हैं। लेकिन हम आशान्वित है कि सुरंग में फंसे सभी मजदूरों को हम जल्द बाहर निकाल लेंगे |
वहीं सिलक्यारा में कार्यरत अधिकारियों ने रविवार को बताया कि फंसे मजदूरों को सुरंग से बाहर निकालने की पहली योजना में ऑगर मशीन के फंसे हिस्से को काटकर निकाला जाएगा जिसके बाद छोटे उपकरणों के जरिए खुदाई कर मलबा निकालेंगे। दूसरी योजना में सुरंग के ऊपरी क्षेत्र में 86 मीटर की लंबवत खुदाई की जाएगी और इसके लिए मशीन का प्लेटफॉर्म तैयार कर लिया गया है तथा मशीन के एक हिस्से को वहां पहुंचा भी दिया गया है। उनके मुताबिक, इस योजना पर रविवार को काम शुरू हो सकता है।
जबकि तीसरी योजना के तहत सुरंग के बड़कोट की तरफ से खुदाई का काम युद्धस्तर पर चल रहा है और यह करीब 500 मीटर का हिस्सा है और इस अभियान में भी 12 से 13 दिन लगने का अनुमान है। चौथी योजना में सुरंग के दोनों किनारों पर समानांतर (क्षैतिज) ड्रिलिंग की जाएगी और इसका सर्वेक्षण हो चुका है तथा रविवार को इस योजना पर भी काम शुरू किया जा सकता है। वहीं ड्रिलिंग के दौरान अमेरिकी ऑगर मशीन अवरोधक की जद में आने से टूट गई और उसका 45 मीटर हिस्सा 800 मिमी पाइप के भीतर फंस गया। जिसे निकाला जा रहा है |
उन्होंने बताया कि बचाव दलों ने 20 मीटर हिस्सा तो गैस कटर से काटकर बाहर निकाल लिया लेकिन बचे हुए 25 मीटर हिस्से को काटने के लिए हैदराबाद से प्लाज्मा कटर मंगाया गया है। इससे अभियान के पूरा होने में लगने वाला समय बढ़ गया है। लेकिन संभव है कि वर्टिकल ड्रीलिंग अंतिम विकल्प हो। उधर, सिलक्यारा सुरंग के प्रवेश द्वार पर शनिवार से रिस रहे पानी ने सबकी चिंताएं बढ़ा दीं हैं जबकि अधिकारी इसे सामान्य घटना मान रहे हैं |
रविवार को बचाव अभियान के 15वें दिन नए सिरे से रणनीति पर काम शुरू कर दिया गया है, इस बीच, सीमा सड़क संगठन, तेल एवं प्राकृतिक गैस निगम लिमिटेड और सतलुज जल विद्युत निगम लिमिटेड की तरफ से वर्टिकल ड्रिलिंग की सभी तैयारियां चल रही हैं, सुबह 4:30 बजे से रेस्क्यू टीम ने वर्टिकल ड्रिलिंग मशीन के जरिए बोरिंग शुरू कर दी है, यहां 200 मिमी चौड़े पाइप को जमीन के अंदर डाला जा रहा है | रही हैं
वर्टिकल ड्रिलिंग है चुनौती भरी :
हालांकि वर्टिकल ड्रिलिंग का काम भी चुनौतियों भरा है, कई टन वजनी मशीन को उस ऊंचाई तक पहुंचाना और फिर ड्रिलिंग एक लंबी प्रक्रिया का हिस्सा माना जा रहा है, ड्रिल की रफ्तार वहां मिलने वाली मिट्टी और चट्टान पर निर्भर है | जितनी सख्त जमीन मिलेगी, उतना ज्यादा समय लगेगा, अब वर्टिकल ड्रिलिंग ही मजदूरों को बचाने का सहारा है, क्योंकि सुरंग के अंदर मलबे में मौजूद सरिये के जाल को काट पाना आसान नहीं है और इंतजार की घड़ी अभी लंबी है |
तनाव मुक्त रहने के दी योग करने की सलाह :
वहीं टनल में फंसे मजदूरों को टाइम पास करने और व्यस्त रखने के लिए लूडो, ताश और शतरंज भेजे गए हैं, मजदूरों को तनाव मुक्त रखने के लिए उन्हें योग करने की सलाह दी जा रही है, सरकार मजदूरों तक बीएसएनएल के जरिए फोन भेज रही है, जिससे वो लैंडलाइन से अपने घर वालों से बात कर सकें | शनिवार को मोबाइल फोन भी पाइप के जरिए मजदूरों तक भेजे गए हैं, ताकि वो गेम खेलकर स्वयं को तनाव मुक्त रख सकते हैं |
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