Sunday, November 17, 2024
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भारतीय संविधान फिल्म के चौथे एपिसोड का प्रदर्शन, नाटक ‘उपलब्धियां’ का हुआ शानदार मंचन

देहरादून, दून पुस्तकालय एवं शोध केंद्र की ओर से भारतीय संविधान और संवैधानिक मूल्यों पर एक कार्यक्रम का आयोजन किया गया। शुक्रवार को अगस्त क्रान्ति दिवस के मौके पर राज्यसभा टीवी पर दस साल पहले प्रसारित किए गए भारतीय संविधान के कुल दस एपिसोड की श्रंखला के चौथे एपिसोड का सभागार में उपस्थित लोगों के मध्य प्रदर्शन किया गया।
ज्ञातव्य है कि इस संविधान धारावाहिक का निर्देशन सुपरिचित फिल्म निर्देशक श्याम बेनेगल द्वारा किया गया है। आज का यह कार्यक्रम अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता और हमारा संविधान आजदी से पहले व बाद में जनगीतों के माध्यम से जन शिक्षण पर आधारित था।
इस कार्यक्रम में लेखक व जनकवि डॉ. अतुल शर्मा ने अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता,संविधान और जनगीतों के माध्यम से जन शिक्षण पर अपनी बात रखते हुए कहा कि जब गीत को लोक अपना ले और किसी विशेष प्रयोजनों में उसका प्रयोग करे तो वह जन गीत हो जाता है। ऐसा हर आन्दोलन में हुआ है। स्वतंत्रता संग्राम में सैकड़ों जनगीतों ने जनता को उद्वेलित किया था। रामप्रसाद बिस्मिल के लिखे गीत को गाते हुए क्रांतिकारी फांसी के फन्दे पर झूल गये ’सर फरोशी की तमन्ना अब हमारे दिल में है, देखना है ज़ोर कितना, बाज़ुए कातिल में है’।
बंकिमचन्द्र चंद्र चटर्जी का लिखा गीत वंदेमातरम तो स्वतंत्रता संग्राम का प्रतीक व ही बन गया था। इन गीतों ने लोगों का लोक शिक्षण करने के साथ ही उनमें जोश भी भरा। सन् 1942 का अंग्रेजों भारत छोडो़ आन्दोलन की शुरुआत नौ अगस्त को हुई। जिसपर महान स्वतंत्रता सेनानी एवं राष्ट्रीय कवि श्रीराम शर्मा प्रेम ने 1942 में एक ऐतिहासिक गीत लिखा ’लाठियां चली गोलियां चली, गोले बरसे बंम बरस पड़े, गोदी के छोटे लाल बन गये आफत के परकाले थे’ बहुत से स्वाधीनता सेनानियों सहित कवि प्रेम ने जेलों में कविताएं लिखी।
आज़ादी के बाद विषमता, समानता शोषण आदि के लिए आन्दोलन हुए। इनमें बहुत से जनगीतों ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। जनकवि शैलेन्द्र का लिखा जन गीत ’हर जो धर्म जुल्म की टक्कर से हड़ताल हमारा नारा है।’ साहिर लुधियानवी ने लिखा’ वो सुबह कभी तो आयेगी’। उत्तराखण्ड के गौर्दा सहित कैफी आज़मी, सफदर हाशमी, माहेश्वर बृज मोहन के साथ बहुत से लोगों के जनगीतों ने लोक शिक्षण किया। शलभ श्रीराम सिंह का चर्चित गीत कालजयी है’ नफस नफस कदम कदम बस एक फिक्र दम ब दम। सैकड़ाें जनकवि लोक शिक्षण में आगे आये। इनमें बल्ली सिंह चीमा, गिर्दा, ज़हूर आलम दुष्यंत कुमार, कदम गोंडवी , घनश्याम सैैलानी आदि के साथ बड़ी संख्या मे अहिंदी भाषी कवियो ने जन गीतों से लोक शिक्षण किया है’।
जनकवि डॉ. अतुल शर्मा ने आगे कहा कि संविधान मे अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का अधिकार दिया गया है। उत्तराखंड मे चिपका आन्दोलन कुली बेगा, नशा नही रोजगार दो उत्तराखंड आन्दोलन नदी बचाओ आन्दोलन मे जनगीतों ने लोक शिक्षण ही नही किया दिशा भी दी और जन आन्दोलनों को गति भी प्रदान की। इस तरह कहा जा सकता है कि जन गीत आज़ादी से पहले और बाद में हर जगह मुखर रहे हैं।
जन संवाद समिति के प्रमुख सतीश धौलाखंडी ने कार्यक्रम के बारे में जानकारी देते हुए कहा कि आगे भी संविधान पर आधारित हर माह दो एपिसोड इसी तरह सिलसिले वार प्रस्तुत किये जायेंगे जो युवाओं व सामान्य जनों के लिए निसंदेह महत्वपूर्ण साबित होगा।
कार्यक्रम के अंत में आजादी व संवैधानिक मूल्यों पर जागरूकता लाने हेतु नाटक-‘उपलब्धियाँ’ का कलाकारों ने शानदार मंचन भी किया। स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद भी आज जिस तरह समाज में समता,समानता, गरीबी के साथ ही शिक्षा, स्वास्थ्य, व नागरिक सुविधाओं की आजादी की मांग समाज में बरकरार बनी हुई है उसी सामाजिक समस्या पर यह नाटक केन्द्रित रहा।
नाटक के कलाकारों में – धीरज रावत, अनिता नौटियाल, गायत्री, विनीता, गरिमा, अमित, इफ्तियार अली, गौरव का महत्वपूर्ण अभिनय रहा। नाटक का निर्देशन सतीश धौलाखंडी ने किया। सतीश धौलाखंडी ने बताया कि 1992 में सहारनपुर की एक कार्यशाला में सामूहिक रूप से तैयार यह नाटक त्रिपुरारि शर्मा जी के निर्देशन में किया गया था।
कार्यक्रम के आरम्भ में दून पुस्तकालय एवं शोध केंद्र के प्रोग्राम एसोसिएट चंद्रशेखर तिवारी ने उपस्थित सभी लोगों का स्वागत किया। इस कार्यक्रम का संचालन इप्टा के उत्तराखण्ड अध्यक्ष डॉ. वी. के. डोभाल ने किया। इस अवसर पर प्रदीप कुकरेती, दर्द गढ़वाली, राकेश अग्रवाल, दयानंद अरोड़ा,शोभा शर्मा, कमलेश खंतवाल, विजय कुमार भट्ट,सुंदर बिष्ट, हिमांशु आहूजा, मनोज कुमार,हर्षमनी भट्ट,अवतार सिंह सहित शहर के अनेक रंगकर्मी, सामाजिक कार्यकर्ता, लेखक ,पत्रकार, साहित्यकार सहित दून पुस्तकालय के अधिसंख्य युवा पाठक उपस्थित रहे।

 

उत्तराखंड जल संस्थान कर्मचारी संगठन के भवन का शिलान्यास, प्रदेश एवं मंडल कार्यकारिणी का भी हुआ गठन

देहरादून, उत्तराखंड़ जल संस्थान कर्मचारी संगठन के भवन का शिलान्यास मुख्य महाप्रबंधक महोदय इं. श्रीमती नीलिमा गर्ग के द्वारा किया गया। इस अवसर पर महाप्रबंधक मुख्यालय डीके सिंह, अधिशासी अभियंता आशीष भट्ट, सहायक अभियंता हिमांशु नौटियाल, कनिष्ठ अभियंता साने आलम मौजूद रहे। कर्मचारी गण द्वारा मुख्य महाप्रबंधक का आभार व्यक्त किया गया।
तत्पश्चात संगठन की एक आम सभा की बैठक आयोजित की गई जिसमें कर्मचारियों की लंबित मांगों के संबंध में विस्तृत रूप से विचार विमर्श किया गया।
इस दौरान पूर्व निर्धारित कार्यक्रम के अनुसार प्रदेश एवं मंडल की कार्यकारिणी का गठन किया गया जिसमें चुनाव अधिकारी कोमल सिंह चौहान, सहायक लेखा अधिकारी विनोद सिंह, सहायक लेखाकार संदीप मैखूरी द्वारा प्रदेश एवं मंडल के चुनाव अधिकारी के रूप में चुनाव संपन्न कराए गए, जिसमें प्रदेश कार्यकारिणी में निम्न पदाधिकारी निर्विरोध रूप से निर्वाचित हुए।
संयोजक पद हेतु रमेश बिंजोला, प्रदेश अध्यक्ष संजय जोशी, प्रदेश कार्यकारी अध्यक्ष रामचंद्र सेमवाल, प्रदेश उपाध्यक्ष संदीप मल्होत्रा, प्रदेश उपाध्यक्ष महेश राम, प्रदेश महामंत्री श्याम सिंह नेगी, प्रदेश कोषाध्यक्ष लाल सिंह रौतेला, संयुक्त मंत्री सतीश पारछा, शिव मोहन संगठन मंत्री, शिवप्रसाद शर्मा व गणेश सिंह प्रचार मंत्री, श्रीमती शाकुंभरी रावत, प्रेम सिंह नेगी मीडिया प्रभारी, जीवनंद भट्ट कार्यालय सचिव, डीपी बद्री और बलवंत सिंह निर्विरोध रूप से निर्वाचित घोषित किये गये हैं। साथ-साथ गढ़वाल मण्डल अध्यक्ष पद हेतु प्रवीण सैनी, उपाध्यक्ष रमेश चंद शर्मा, सम्पूर्ण सिंह गुसाई महामंत्री, शिशुपाल सिंह रावत कोषाध्यक्ष, चतर सिंह चौहान संयुक्त मंत्री, दीवान सिंह चौहान और भूपेंद्र सिंह संगठन मंत्री, जितेंद्र राजभर, राजकुमार अग्रवाल कार्यालय सचिव, धन सिंह चौहान, भुवनेश्वर सिंह सैनी प्रचार मंत्री, कांता देवी, सरिता नेगी, मीडिया प्रभारी प्रेम सिंह रावत निर्विरोध निर्वाचित घोषित हुए हैं।
निर्वाचन सभा में हरिद्वार, रूड़की, विकासनगर, कालसी चकराता पुरोला नैनीताल रामनगर काशीपुर उधमसिंह नगर, पिथौरागढ, चम्पावत, खटीमा, लालकुँआ, मसूरी, कोटद्वार, जलकल देहरादून, सहसपुर, डोईवाला, रानीपोखरी, ऋषिकेश, चमोली आदि शाखाओं से भारी संख्या में कर्मचारियों ने प्रतिभाग किया।

 

उत्तराखण्ड़ राज्य आंदोलनकारी मंच ने सशक्त भू-कानून, मूल निवास एवं लोकायुक्त कानून लागू करने को लेकर दिया धरना

देहरादून, उत्तराखण्ड़ राज्य आंदोलनकारी मंच द्वारा अगस्त क्रांति दिवस के साथ ही गैरसैण के लिये बलिदान देने वाले बाबा उत्तराखण्ड़ी के बलिदान दिवस पर राज्य में सशक्त भू-कानून, मूल निवास एवं लोकायुक्त कानून लागू कराने की मांग को लेकर दीनदयाल पार्क में धरना दिया । धरने का संचालन पूरण सिंह लिंगवाल व अध्यक्षता मोर्चे की अध्यक्षा सुलोचना भट्ट द्वारा की गईं।
इस मौके पर उत्तरांचल बैंक कर्मचारी एसोशियन के अध्यक्ष जगमोहन मेहन्दीरत्ता एवं उत्तराखण्ड़ क्रांति दल आंदोलनकारी प्रकोष्ठ के अध्यक्ष युद्धवीर सिंह चौहान ने कहा कि जिन उद्देश्यों को लेकर हमने राज्य गठन की लड़ाई लड़ी वह आज की वर्तमान परिस्थियों को देखकर दु:ख होता हैं, सशक्त भू-कानून, मूल निवास, स्थाई राजधानी, लोकायुक्त और रोजगार नीति जैसी कई कमियां मौजूद हैं जिससे आज पहाड़ी जनमानस अपने का असहज महसूस कर रहा है। वहीं देवभूमि युवा संगठन के अध्यक्ष आशीष नौटियाल व दून डॉयलाग के संयोजक अभिनव थापर ने सरकार से पुनः अपील की हैं कि वह शीघ्र प्रदेश व राष्ट्र हित में सशक्त भू-कानून , मूल निवास व लोकायुक्त को लागू करें अन्यथा बड़ा आन्दोलन खड़ा होगा।
मसूरी के आंदोलनकारी मंच के अध्यक्ष देवी गोदियाल के साथ ही महेन्द्र रावत (बब्बी) ने कहा कि जब सरकार ने भू कानून को लागू कराने हेतु कमेटी बना दी गईं तो वह आज तक लागू क्यों नहीं हुआ, लगातार जिस प्रकार प्रदेश में नित नये नये भूमि घोटाले व कानून व्यवस्था पर सवाल खड़े हो रहें और हमारे हकूकों पर डाका डाला जा रहा हैं।
प्रदेश अध्यक्ष जगमोहन सिंह नेगी व प्रदेश प्रवक्ता प्रदीप कुकरेती ने इस धरने के माध्यम से सरकार से पुरजोर मांग करते हुये कहा यदि राज्य स्थापना दिवस तक सशक्त भू-कानून, मूल निवास एवं लोकायुक्त कानून लागू नहीं हुआ तो पूरे प्रदेश में जनजागरण के साथ बड़ा आन्दोलन खड़ा किया जायेगा और मजबूती से इस व्यवस्था को लागू कराया जायेगा।
राज्य आंदोलनकारी सांस्कृतिक प्रकोष्ठ की अध्यक्ष सुलोचना भट्ट एवं देवेश्वरी ने जोर देकर कहा कि अब राज्य बनने के 24 वर्ष बाद भी हमें सशक्त भू कानून , स्थाई राजधानी व लोकायुक्त तक नहीं बना पाये। सरकार सभी नेताओं की संपत्तियों का ब्यौरा लेखा जोखा सबके सामने रखें ताकि प्रदेश वासियों को पता चलें।
महिलाओं ने सभी प्रदेश वासियों से भविष्य में प्रदेश हित में सड़कों पर आने को तैयार रहें।
आपको याद दिलाते चलें कि गत वर्ष क्रांति दिवस पर उत्तराखण्ड राज्य आंदोलनकारी मंच द्वारा इसी मांग को लेकर भारी जनसमूह के साथ सीएम आवास कूच किया था। लेकिन मुख्यमन्त्री ने कमेटी गठित होने की बात कह कर जल्द लागू कराने की घोषणा की थी , लेकिन वह आज भी लागू नहीं हुआ।

धरने में यह रहे मौजूद :

इस अवसर पर केशव उनियाल, जगमोहन सिंह नेगी, प्रांजल नोडीयाल , हरीश पन्त, महेन्द्र रावत (बब्बी) लुशुन टोडरिया, संजय बलूनी, पूरण जुयाल , आशीष नौटियाल, पुष्कर बहुगुणा, विजय बलूनी, सुमन बडोनी , धर्मपाल सिंह रावत, गौरव खंडूड़ी, आशीष बिष्ट, विनोद असवाल, सुरेश नेगी, बीर सिंह रावत, आमोद पैन्युली , बलबीर सिंह नेगी, सुशील चमोली, जयदीप सकलानी, सुशील चमोली, परमानंद बलोदी, युगपाल सिंह असवाल, प्रमोद काला, चंद्रमोहन सिंह नेगी, नवीन राणा, पकंज उनियाल, सुशील विरमानी, प्रभात डण्डरियाल, मोहन सिंह रावत , श्रीपति भण्डारी , हरजिंदर सिंह, ललित श्रीवास्तव, ब्रजेश चन्द्र, सुलोचना भट्ट, द्वारिका बिष्ट, राधा तिवारी, गीता नेगी, देवेश्वरी गुसांई, पुष्पा रावत, रामेश्वरी नेगी, तारा पाण्डे़, लक्ष्मी बिष्ट, उषा कोठारी, रामेश्वरी रावत, सरिता जुयाल, मधु थपलियाल, यशोदा रावत, रेवती बिष्ट, सावित्री बड़थ्वाल, दर्शनी खत्री, कुसुम घिल्डियाल, गुड्डी देवी, कुसुम पटवाल, कुन्ती देवी, गुड्डी नेगी, शान्ति कैन्तुरा, पार्वती रावत , सुलोचना मेंगवाल, उषा कोठरी, निधि भट्ट , संगीता सेमवाल, सुबोधिनि भट्ट आदि मौजूद रहे।

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