Thursday, May 2, 2024
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सरकारी स्कूलों में छात्र संख्या बढ़ाने के लिए सिर्फ मंथन नहीं ठोस निर्णय आवश्यक : डॉ.सुनील अग्रवाल

देहरादून, एसोसिएशन ऑफ सेल्फ फाइनेंस इंस्टीट्यूट के अध्यक्ष डॉ. सुनील अग्रवाल ने शिक्षा पर चल रहे चिंतन शिविर में कल माननीय मुख्यमंत्री जी द्वारा सरकारी स्कूलों में छात्रों की घटती संख्या पर चिंता जाहिर करने और उस पर मंथन की आवश्यकता बताएं जाने पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा कि सरकारी स्कूलों में छात्र संख्या बढ़ाने हेतु ठोस निर्णय लेने होंगे | सरकारी स्कूलों में शिक्षकों की नियुक्ति योग्यता के आधार पर होती है और सरकारी स्कूल के शिक्षकों को तनख्वाह भी प्राइवेट स्कूलों के शिक्षकों की अपेक्षा अधिक मिलती है, उसके बावजूद सरकारी स्कूलों में छात्रों की कमी चिंतनीय प्रश्न है | इसके लिए सबसे पहले सरकारी स्कूलों में आधारभूत ढांचे को ठीक करना होगा, उनमें छात्रों हेतु सुविधाएं जुटाने होगी और आमजन में सरकारी स्कूलों के प्रति विश्वास बढ़ाने हेतु यह आवश्यक है कि एक आदेश पारित किया जाए कि सभी सरकारी अधिकारियों और सांसदों एवं विधायकों के बच्चों को अनिवार्य रूप से सरकारी स्कूलों में दाखिला लेना होगा | उससे आमजन का विश्वास सरकारी स्कूलों की तरफ बढ़ेगा और सरकारी स्कूलों में छात्र संख्या बढ़ने से प्राइवेट स्कूलों में भी व्यवस्थाएं सुधरेगी और छात्रों और अभिभावकों के प्रति सहयोगात्मक भावना पैदा होगी | जिससे प्राइवेट स्कूलों की मनमानी की बात भी नहीं उठेगी | वर्तमान में तो सरकार स्वयं मानती है कि सरकारी स्कूल बीपीएल के बच्चों को पढ़ाने लायक भी नहीं है, इसीलिए बीपीएल श्रेणी के बच्चों के लिए आर टी ई के तहत प्राइवेट स्कूलों में 25% सीटें आरक्षित रखी जाती है और बच्चों की फीस सरकार द्वारा वहन की जाती है जो फीस प्राइवेट स्कूलों को आरटीई के एडमिशन के एवज में दी जाती है उस धनराशि का उपयोग सरकारी स्कूलों की व्यवस्था सुधारने में किया जा सकता है सरकारी स्कूलों में लोगों का विश्वास बहाल करना आवश्यक है और उसके लिए पहल स्वयं सरकार को ही करनी है |

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