गाजियाबाद, यूपी के नोएडा में सुपरटेक के विवादित ट्विन टावर को ध्वस्त करने का काउंटडाउन शुरू हो गया है। इतने बड़े टवार को रिहायशी इलाके के पास गिराने का काम कतई आसान नहीं होने वाला है। कहा जा रहा है कि पानी के झरने की तरह ट्विन टावर गिराए जाएंगे। दावा ये भी किया जा रहा है कि ट्विन टावर को इस तरह से गिराया जाएगा कि आसपास के सोसायटी और टावर्स को जरा सा भी खतरा न हो। ट्विन टावर के आसपास ही दो बड़ी सोसायटी हैं। दोनों सोसायटी के ग्रीन बेल्ट को धूल के गुबार और प्रदूषण से बचाना भी बड़ी चुनौती होगी। डिमॉल्यूशन के बाद मलबे को साफ करने में 90 दिन का वक्त लगेगा। नोएडी की 40 मंजिला इमारत जो बनने वाली थी उसके 32 मंजिल पूरे हो चुके थे। ये अपने आप में हिन्दुस्तान में एक उदाहरण बनने वाला है कि इतने बड़े प्रोजक्ट अगर नियमों का उल्लंघन करते हैं तो वो भी गिरेंगे। उन पर भी कानून का डंडा चलेगा।
नोएडा में सुपरटेक ट्विन टावर्स 28 अगस्त को दोपहर 2.30 बजे ध्वस्त होने के लिए तैयार हैं। इन टावरों में को 3700 किलो विस्फोटक लगाकर गिराया जा रहा है और इन इन सब का खर्च सुपरटेक उठा रही है। वहीं इस टावर को गिराने में लगभग 17.55 करोड रुपए का खर्च आएगा। सुपरटेक के दोनो टावर की ऊंचाई 100 मीटर है और इसे गिराने वाली कंपनी ने अंदाजा लगाया है कि जब यह दोनों टावर गिरेंगे तो लगभग 3 हजार ट्रक मलबा निकलेगा।
जानें पूरा घटनाक्रम जिनके कारण यह स्थिति उत्पन्न हुई :
वर्ष 2004 : सेक्टर 93 ए नोएडा में एक हाउसिंग सोसाइटी, ‘सुपरटेक एमराल्ड कोर्ट’ का काम प्रस्तावित किया। नोएडा के अधिकारियों द्वारा परियोजना के लिए 48,263 वर्ग मीटर भूमि आवंटित की गई थी।
20 जून, 2005 : न्यू ओखला औद्योगिक विकास प्राधिकरण, नोएडा ने सुपरटेक की एमराल्ड कोर्ट परियोजना के लिए भवन योजना को मंजूरी दी। मूल योजना में नौ मंजिलों (जी + 9) के साथ 14 टावरों की रूपरेखा तैयार की गई थी।
21 जून, 2006 : सुपरटेक को लीज पर 6,556.51 वर्ग मीटर का अतिरिक्त क्षेत्र आवंटित किया गया, जिससे कुल लीज क्षेत्र 54,819.15 वर्ग मीटर हो गया।
29 दिसंबर, 2009 : एमराल्ड कोर्ट के लिए पहली संशोधित योजना को मंजूरी दी गई और मंजिलों की संख्या बढ़ाकर 11 (जी+11) कर दी गई। दो अतिरिक्त टावर – टी-15 और टी-16 – और एक शॉपिंग कॉम्प्लेक्स को भी मंजूरी दी गई थी।
वर्ष 2009 : नोएडा प्राधिकरण ने सुपरटेक के एमराल्ड कोर्ट की संशोधित भवन योजना को मंजूरी दी, जिसमें टी -16 की जगह ट्विन टावर शामिल थे, उस समय केवल जी + 24 मंजिलें थीं।
2012 : नोएडा ने सुपरटेक के संशोधित नक्शे को स्वीकार किया, जिसमें ट्विन टावरों की ऊंचाई 40 मंजिल थी।
दिसंबर 2012 : एमराल्ड कोर्ट आरडब्ल्यूए ने इलाहाबाद हाई कोर्ट का रुख किया।
अप्रैल 2014 : इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने ट्विन टावरों को अवैध करार दिया और उन्हें गिराने का आदेश दिया, लेकिन निर्माण जारी रहा।
7 फरवरी, 2022: सुप्रीम कोर्ट ने विध्वंस के आदेश को बरकरार रखा, इसमें शामिल अधिकारियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई।
28 अगस्त, 2022: सुपरटेक ट्विन टावरों को गिराया जाना निर्धारित किया (साभार प्रभासाक्षी)।
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