Monday, November 25, 2024
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अंतरराष्ट्रीय योग दिवस के अंतर्गत एम्स में 21 जून तक विभिन्न कार्यशालाओं का किया जा रहा आयोजन

ॠषिकेश, अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान में आठवें अंतरराष्ट्रीय योग दिवस के अंतर्गत विभिन्न कार्यक्रम विधिवत शुरू हो गए हैं। जिसके तहत 21 जून तक विभिन्न कार्यशालाओं का आयोजन किया जाएगा। इसी के साथ संस्थान में 75 अमृत योग महोत्सव मनाया जा रहा है। जिसके तहत विभिन्न वर्गों की योग कार्यशालाओं हुई।
इस वर्ष आठवें अंतरराष्ट्रीय योग दिवस को संस्थान विशेषरूप से ( मानवता के लिए योग ) महोत्सव के रूप में मना रहा है। जिसके अंतर्गत आयुष विभागाध्यक्ष प्रोफेसर वर्तिका सक्सैना की देखरेख में बीती 16 जून से संस्थान में विभिन्न योग विधाओं की कार्यशालाएं शुरू हो गई हैं, जो कि 21 जून 2022 तक चलेंगी। इसके तहत अलग अलग दिवस पर आसन, प्राणायाम एवं ध्यान योग आदि कार्यशालाओं का आयोजन किया जाएगा। इस अवसर पर एम्स निदेशक प्रोफेसर( डॉ) अरविंद राजवंशी ने योग से स्वास्थ्य एवं मानव जीवन पर पड़ने वाले वैज्ञानिक प्रभावों पर प्रकाश डाला।
शुक्रवार को आयोजित कार्यशाला में संस्थान के डीन एकेडेमिक्स प्रोफेसर मनोज गुप्ता ने बताया कि योग शरीर, मन और आत्मा के मिलन का माध्यम है। उन्होंने बताया कि योग 5000 वर्ष से चली आ रही प्राचीन पद्घति है, जो मनुष्य की रोग प्रतिरोधक शक्ति में सुधार करने में मदद करती है, साथ ही पैरासिम्पैथैटिक गतिविधि में सुधार करती है जिससे तनाव भी कम होता है। कार्यशाला में आयुष विभागाध्यक्ष (डीन रिसर्च ) प्रोफेसर वर्तिका सक्सैना ने बतौर विशेषज्ञ बताया कि हमारे ऋषि-मुनियों ने योग के द्वारा शरीर, मन और प्राण की शुद्धि तथा परमात्मा की प्राप्ति के लिए आठ प्रकार के साधन बताए हैं, जिसे अष्टांग योग कहते हैं। उन्होंने बताया कि योग के आठ अंगों में यम, नियम, आसन, प्राणायाम, प्रत्याहार, ध्यान, धारणा और समाधि हैं।
उन्होंने बताया कि बीते दो वर्षों में कोरोना महामारी के चलते भारत द्वारा विभिन्न देशों को उपहार के रूप में मानवता और स्वास्थ्य सेवा के लिए कोविड-19 टीकों को निर्यात किया गया।
अंतरराष्ट्रीय योग दिवस के अंतर्गत आयुष विभाग एम्स ऋषिकेश द्वारा आयोजित योग कार्यशाला में चिकित्सा अधीक्षक प्रोफेसर संजीव कुमार मित्तल व जनरल मेडिसिन विभागाध्यक्ष डा.मीनाक्षी धर ने भी शिरकत की। योग कार्यशाला में संस्थान के फैकल्टी सदस्यों, एमबीबीएस स्टूडेंट्स, संस्थान के अधिकारियों, कर्मचारियों, नर्सिंग स्टाफ, सुरक्षाकर्मी व सफाई कर्मियों ने प्रतिभाग किया।
इस दौरान योग से जुड़े विभिन्न संस्थानों के योग विशेषज्ञों व योगाचार्यों की वर्चुअल कॉन्फ्रेंसिंग का आयोजन भी किया गया।
जिसमें एस. व्यासा संस्थान, बैंगलुरू के डॉ. अपर साहू ने बताया कि योग हमें वसुधैव कुटुंबकम् के अर्थ में पूरी दुनिया से जोड़ता है।
मोरारजी देसाई संस्थान, नई दिल्ली डॉ. ईश्वर वासाबराडी ने योग के महत्व को समझाते हुए बताया कि प्रतिदिन नियमिततौर पर 30 से 45 मिनट का योगाभ्यास करने से मानसिक तनाव कम होता है। यह अभ्यास सिम्पैथैटिक और पैरासिम्पैथैटिक एक्टिविटी को भी संतुलित करता है। सीसीईआरवाईएन, नई दिल्ली के निदेशक डॉ. राघवेंद्र राव ने योग में अनुसंधान की ओर ध्यान आकर्षित करते हुए कई शोध पत्रों का उल्लेख किया और बताया कि योग कई स्थितियों में जैसे- बच्चों में बढ़ते तनाव आदि में फायदेमंद साबित होता है। कार्यशाला के आयोजन में रिसर्च ऑफिसर डा. अमेटी, डा. वामा, योगा इंस्ट्रक्टर दीपचंद जोशी, पीएचडी योगा स्टूडेंट्स अनीता, विकास के अलावा संदीप भंडारी, किरन बर्तवाल, बीना, अमित भारद्वाज, अत्रेस, सीमा, राहुल, रंजना, अमन आदि ने सहयोग प्रदान किया।

 

तीर्थ नगरी में नशे के बढ़ते मामलों को लेकर पार्षदों ने मेयर को सौंपा ज्ञापन

ऋषिकेश, तीर्थ नगरी के युवा नशे की दलदल में फंसते जा रहे है।शहरी क्षेत्र से लेकर ग्रामीण वार्डो में भी गली में मौत का सामान तिल्ले के माल के रूप में सपलाई हो रहा है। मामले की गंभीरता को देखते हुए निगम पार्षदों ने अपनी आवाज बुंलद की है। इससे पूर्व बोर्ड की बैठक में भी तीर्थ नगरी में नशे के कारोबार का मामला जोरशोर से गूंजा था बुधवार की दोपहर पार्षदों के एक प्रतिनिधिमंडल ने महापौर अनिता ममगांई से मुलाकात कर देवभूमि ऋषिकेश में पुलिस की निष्क्रियता के चलते तेजी से पनप रहे नशे के कारोबार पर चिंता जताई। पार्षदों ने महापौर को बताया कि नगर की हद्वय स्थली त्रिवेणी घाट से लेकर शहर की तमाम मलिन बस्तियों और यहां तक की निगम के ग्रामीण क्षेत्र के वार्डों की गलियों में भी नशे के सौदागर युवाओं को नशे की पुड़िया बना बनाकर सप्लाई कर रहे हैं। बड़े पैमाने पर नशे का गौरख धंधा चलने के बावजूद पुलिस प्रशासन निष्क्रिय नजर आ रहा है जोकि बेहद हेरत अंगेज है। नगर क्षेत्र में नशे के कारोबार के अपराधियों के खिलाफ पुलिस की निष्क्रियता पर गहरा रोष जताते हुए पार्षदों ने महापौर से मांग की । कि इस गंभीर समस्या पर महकमे के उच्च अधिकारियों को जानकारी देकर कारवाई सुनिश्चित कराएं ताकि तीर्थ नगरी के युवाओं को नशे के दलदल में फंसने से बचाया जा सके। प्रतिनिधिमंडल की बाते गौर से सुनने के प्रश्चात महापौर ने उन्हें आश्वस्त किया कि
पुलिस तंत्र को हाथ पर हाथ धरे बैठा रहने नही दिया जायेगा।। उन्होंने कहा ‘नशा एक सामाजिक समस्या है जिसे पुुलिस प्रशासन की सक्रियता और लोगों की भागीदारी के साथ ही रोका जा सकता है।
प्रतिनिधिमंडल में पार्षद प्रियंका यादव, सुजीत यादव, विजय बडोनी,मनीष बनवाल, लव कंबोज, विजय जुगरान, राजीव गुप्ता, रंजन अंथवाल आदि शामिल थे।

 

राज्य आंदोलनकारी एवं अधिवक्ता नत्थीलाल सेमवाल का अस्कमात निधन, उत्तराखण्ड राज्य आंदोलनकारी मंच ने अर्पित की श्रद्धांजली

देहरादून. उत्तराखण्ड राज्य आंदोलनकारी मंच द्वारा वरिष्ठ राज्य आंदोलनकारी एवं अधिवक्ता नत्थीलाल सेमवाल जी के अस्कमात निधन पर गहरा दुख व्यक्त कर श्रद्धांजली अर्पित की।
ओमी उनियाल एव जगमोहन सिंह नेगी के साथ ही केशव उनियाल ने कहा कि नत्थीलाल जी पृथक उत्तराखण्ड राज्य के लिए हमेशा अग्रिण्य भूमिका में रहे अपनी वकालत छोड़कर धरने प्रदर्शन एवम चक्का जाम व बैठकों में बराबर शिरकत करते थे। वह उत्तराखण्ड क्रांति दल के वरिष्ठ पदाधिकारी भी रहे साथ ही उत्तराखण्ड संयुक्त संघर्ष समिति में भी महत्वपूर्ण भूमिका में रहे।
प्रदीप कुकरेती व रामलाल खंडूड़ी के साथ ही रामपाल ने कहा कि वह राज्य आंदोलन में जेल भी गए और गन्ना समिति के दौरान घायल भी हुए थे वह बहुत ही सादगी व कुशल व्यवहार के धनी व्यक्ति थे। वह हमेशा युवाओं को प्रेरणा देने का कार्य करते थे। राज्य आंदोलनकारी मंच उनके सपनों को अवश्य पूरा करने का कार्य करेगा।
आज श्रद्धांजली व्यक्त करने वालों में ओमी उनियाल , सुशीला बलूनी , जगमोहन सिंह नेगी , केशव उनियाल , रामलाल खंडूड़ी , प्रदीप कुकरेती , वेदा कोठारी , सतेन्द्र भण्डारी , सुरेश नेगी , प्रभात डंडरियाल , राकेश नोटियाल , राजेश पांथरी , अम्बुज शर्मा , गौरव खंडूड़ी , वीरेन्द्र सकलानी , सुदेश विनोद असवाल , सुमित थापा , क्रांति कुकरेती , नवीन नैथानी आदि मौजूद रहे |

 

पेड़ों को बचाने व पर्यायवरण संरक्षण को लेकर चिंतित व क्रियाशील सामाजिक संगठनों ने की बैठक आयोजित

देहरादून, एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रेफॉर्म्स की पहल पर नेमी रोड में आयोजित बैठक में पर्यावरण संरक्षण विषय पर आयोजित गोष्ठी मे ग्लोबल वॉर्मिंग के स्थानीय प्रभाव, बुग्यालों पर हो रहे मानवीय अतिक्रमण, कटते वनों, हजारों गाँव मे पानी के स्रोत सूखने, वन प्रजातियों की विलुप्तता आदि विषयो पर गहरा क्षोभ व्यक्त किया गया, इस अवसर यह बात उठकर आई कि आज जहाँ सामाजिक संस्थाएं पेड़ों को बचाने व पर्यायवरण संरक्षण को लेकर चिंतित व क्रियाशील हैँ, वहीं सरकार इन मामलों पर उपेक्षित भाव रख रही है।
बैठक मे सरकार के बजट में पर्यावरण की उपेक्षा पर भी रोष व्यक्त कर सरकार से संवाद करने का निर्णय लिया गया। बैठक में ब्रि.केजी बहल, एडीआर के प्रदेश समन्वयक मनोज ध्यानी, मैती आंदोलन के संस्थापक पद्मश्री कल्याण सिंह रावत, संयुक्त नागरिक संगठन के सुशील त्यागी, हिमालय बचाओ आंदोलन के जगदीश बावला, देवभूमि भैरव सेना के अध्यक्ष संदीप खत्री,गवर्नमेंट पेंशनर संगठन के चौ. ओमवीर सिंह,स्वतंत्रता सेनानी उत्तराधिकारी नारायन संगठन के मुकेश नारायण शर्मा, क्षत्रिय चेतना मंच के रवि सिंह नेगी आदि शामिल थे।

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