Sunday, October 13, 2024
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उत्तराखंड़ की संस्कृति को प्रतिबिंबित करती पहाड़ी लड़की की गाथा ‘आछरी’ का सशक्त मंचन

‘कला दर्पण नाट्य संस्था और हिमालय लोक साहित्य एवं संस्कृति विकास ट्रस्ट की प्रस्तुति’

देहरादून(एल मोहन लखेड़ा), रंगमंच के लिये समर्पित दून में लम्बे समय के बाद दर्शकों को नाटक ‘आछरी’ देखने को मिला, नगर निगम प्रेक्षागृह में कला दर्पण नाट्य संस्था और हिमालय लोक साहित्य एवं संस्कृति विकास ट्रस्ट के सहयोग से मंचित ‘आछरी’ नाटक डा. हरिसुमन बिष्ट द्वारा लिखित और मदन मोहन डुकलान द्वारा गढ़वाली भाषा में अनुवादित एक पहाड़ी लड़की की गाथा है। जिसने अपने आपको संघर्ष में तपाया है। डूंगरपुर गांव का प्रधान ‘तुलसा’ भी उसे डगमगाने में असमर्थ रहा। वह सारी मुसीबतों व चुनौतियों का सामना करती है। डूंगरपुर गांव के लोग ‘आछरी’ को एक आदर्श के रुप में देखते हैं और आछरी उनकी मदद के लिए चट्टान की तरह खड़ी रहती है।
जहां नाटक की नाट्य प्रस्तुति भारत के हिमालय क्षेत्र के उत्तराखंड़ की संस्कृति को प्रतिबिंबित करती है। वहीं उत्तराखंड के स्थानीय कलाकारों के साथ कुमाऊंनी पृष्ठभूमि पर बुने गए कहानी के ताने-बाने को गढ़वाल के परिधान, लोक गीत-संगीत-नृत्य एवं गढ़वाली भाषा का प्रयोग किया गया |May be an image of 10 people, costume and head covering

डेढ़ घंटे के इस सशक्त नाटक का शुभारंभ सुप्रसिद्ध लोक गायक नरेन्द्र सिंह नेगी और प्रो. सुरेखा डंगवाल वाइस चांसलर दून यूनिवर्सिटी और लेखक डा. हरिसुमन बिष्ट ने संयुक्त रुप से दीप प्रज्वलित कर किया | डा. सुवर्ण रावत द्वारा निर्देशित इस नाटक में जहां गांव के परिवेश और वहां की दिनचर्या को बखूबी से दिखाया गया, जबकि नाटक के मुख्य किरदार ‘तुलसा’ प्रधान के रुप में मदन मोहन डुकलान और आछरी के रुप में सुषमा बर्थवाल का दमदार अभिनय ने अंत तक दर्शकों को बांधे रखा |
नाटक में गीतसंगीत मनीष कुमार, गायन सतेन्द्र परिदयाल एवं दीपापंत, मंच सज्जा श्रेया मखलोगा, वीरेन्द्र गुप्ता, वेषभूषा भारती आनन्द, धीरज सिंह रावत, साहब के अभिनय में विजय गौड़, दिनेश बौड़ाई, वीरेन्द्र असवाल, सुमित वेदवाल, भारती आनन्द, अनामिका अंशिका, गायित्री रावत आदि ने सशक्त अभिनय से दर्शकों की वाहि वाहि लूटी, नाटक में प्रकाश परिकल्पना टी के अग्रवाल, कोरियोग्राफी श्रीवर्णा रावत, मंच संचालन पंड़ित उदय शंकर भट्ट, प्रस्तुति नियंत्रक दिनेश बौड़ाई, विशेष सहयोग जयदीप सकलानी, अखिल गढ़वाल सभा, वातायन एवं चिट्ठीपत्री का रहा |May be an image of 12 people, people dancing, accordion and violin

डॉ. सुवर्ण रावत :
उत्तराखंड़ के उत्तरकाशी में जन्मे डा. सुवर्ण रावत ने राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय से परफोरमिंग आर्ट्स में मास्टर डिग्री व फिल्म एवं टेलीविजन इंस्टिट्यूट ऑफ इंडिया पुणे से फिल्म अपरिसिएशन कोर्स करने के साथ ही रा.ना.वि. थिएटर-इन-एजुकेशन के संस्थापक सदस्य रहे हैं। उन्होंने ने थिएटर में पीएचडी एवं शिक्षा के क्षेत्र में संस्कृति मंत्रालय से सीनियर रिसर्च फेलोशिप प्राप्त की है। उन्होंने सांस्कृतिक आदान-प्रदान कार्यक्रम के अंतर्गत लंदन, यू.के. के अलावा वॉरसा, पोलैंड के अंतर्राष्ट्रीय नाट्य समारोह में बतौर अभिनेता भागीदारी की है। वे कला दर्पण संस्था के संस्थापक एवं निर्देशक के साथ ही प्रशिक्षण देने के अलावा अनेक नाटकों में लेखन, परिकल्पना, अभिनय, रंगमंच के अलावा दूरदर्शन एवं फिल्म में भी अभिनय किया । डा. सुवर्ण रावत को रंगमंच एवं शिक्षा की विधा में योगदान के लिए मोहन उप्रेती लोक संस्कृति कला एवं विज्ञान शोध समिति सम्मान भी मिल चुका है ।May be an image of 12 people and people dancingMay be an image of 8 people

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