देहरादून: द्रोणनगरी में साहित्यनुरागी राय दंपती के सेवक आश्रम रोड स्थित आवास पर आयोजित भव्य कवि गोष्ठी में ओज, वीर रस, श्रृंगार और हास्य रस से ओत-प्रोत रचनाओं के माध्यम से कवियों ने देशप्रेम, भाईचारा और प्रकृति प्रेम का संदेश दिया।
कथाकार नरेन्द्र उनियाल ने प्रभावशाली लघु कथाएं सुनाकर गोष्ठी का सात्विक साहित्यिक शुभारंभ किया। उनियाल की लघुतम संरचना वाली तेजधार कहानियों की विषयवस्तु के साथ विशिष्ट प्रस्तुतीकरण शैली ने उपस्थित साहित्य प्रेमियों को सोचने पर मजबूर कर दिया। तत्पश्चात मंच के सुविख्यात ओजस्वी कवि श्रीकांत शर्मा ने जब पन्ना धामी पर अपनी खोज से परिपूर्ण कविता सुनाई तो सभाकक्ष करतल ध्वनियों से गूंज उठा। राष्ट्रीय वंदना के स्वरों में अपनी रचनाओं की नीरा समावेशित कर राजेन्द्र डोभाल ने परिवेश को स्वदेश प्रेम से सराबोर कर दिया। प्रोफेसर सुनीत नैथानी ने अपने मुक्तकों व पर्यावरणीय चेतना जागृत करती रचनाओं के माध्यम से अपनी उपस्थिति की सार्थकता को प्रमाणित किया।आपके ही सहकर्मी दून विश्वविद्यालय में पत्रकारिता एवं जनसंचार विभाग के प्रोफेसर सबरंग ने विविधतापूर्ण रचनाओं की प्रस्तुतियों से अपने साहित्यिक हस्ताक्षर अंकित किए। सेवानिवृत्त चीफ इंजीनियर सुभाष सैनी जी ने संभावमि युगे युगे की आधारशिला पर अपनी काव्य स्थापत्य कला का परिचय दिया। संयुक्त शिक्षा निदेशक राकेश चंद्र जुगराण ने हास्य व्यंग्य से सुशोभित कविता का पाठ कर श्रोताओं को ठहाके लगाने पर विवश कर दिया।
अर्चना राय एवं रतन राय जी ने संयुक्त रूप से गायन करते हुए जुगलबंदी का अनुपम उदाहरण प्रस्तुत किया। गीतों के क्रम में संजीव वर्मा ने अपने सुंदर गायन के माध्यम से काव्य रसिकों को भरपूर आनंद प्रदान किया। एससीईआरटी से पधारे अवनीश उनियाल और दर्द गढ़वाली की ग़ज़लें भी महफ़िल लूटने में कारगर रहीं।
इसके अलावा, नीरज नैथानी ने ‘चट्टान से बात’ कविता सुनाकर पर्वतीय सौंदर्य एवं पर्यावरणीय संदर्भ को चित्रांकित किया।डीएवी कॉलेज में संस्कृत विभाग के प्रोफेसर रामविनय सिंह ने जब ‘आग आग खेली है तुमने, हिम के आंगन में’ गीत का सुमधुर कंठ से गायन कर धधकते पहाड़ों की पीड़ा को व्यक्त किया तो समस्त संवेदनशील रचनाकार अत्यंत भावुक हो गए। प्रवीण ममगाईं जी ने कार्यक्रम की समीक्षा करते हुए आयोजन को सफल बताया।
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