Wednesday, April 30, 2025
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उत्तराखंड राज्य बड़े फिल्म शूटिंग डेस्टीनेशन के तौर पर उभर रहा- धामी

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फिल्म अभिनेत्री पद्मिनी कोल्हापुरी ने की सीएम धामी से मुलाकात।

देहरादून, मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी से रविवार को मुख्यमंत्री आवास में बॉलीवुड की अभिनेत्री श्रीमती पद्मिनी कोल्हापुरे ने शिष्टाचार भेंट की। मुख्यमंत्री ने कहा कि उत्तराखंड राज्य बड़े फिल्म शूटिंग डेस्टीनेशन के तौर पर उभर रहा है। देशभर से फिल्म निर्माता उत्तराखंड के प्राकृतिक सौंदर्य को देखकर राज्य में फिल्म शूटिंग के लिए आ रहें हैं। यहां फिल्मांकन की संभावनाओं को देखते हुए राज्य सरकार, इस दिशा में लगातार आगे बढ़ रही है। मुख्यमंत्री ने कहा उत्तराखण्ड की नई फिल्म नीति, राज्य में फिल्मों को बढ़ावा दे रही है। बॉलीवुड के साथ ही स्थानीय बोली भाषाओं पर आधारित फिल्मों को भी बढ़ावा दिया जा रहा है। देवभूमि में आने वाला हर कोई यहां का बेहतर अनुभव लेकर जा रहा है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य में उत्तराखण्ड फिल्म नीति-2024 बनाई गई है। हिन्दी एवं संविधान की 8वीं अनुसूची में शामिल भाषाओं की फिल्मों को अनुदान राशि राज्य में व्यय कुल धनराशि का 30 प्रतिशत या अधिकतम 03 करोड़ का अनुदान दिया जा रहा है। विदेशी फिल्मों और 50 करोड़ से अधिक बजट की फिल्मों पर राज्य में व्यय राशि का 30 प्रतिशत या अधिकतम 03 करोड़ तक का अनुदान दिया जा रहा है।

केदारनाथ विधान सभा उपचुनाव के कुशल प्रबंधन के बाद निकाय चुनावों में भी दिखेगा विधायक भरत सिंह चौधरी का जलवा- बर्त्वाल

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” भाजपा के जिला मीडिया प्रभारी सतेंद्र बर्त्वाल का कहना है कि विधायक भरत सिंह चौधरी जी के 40 वर्षों के राजनीतिक अनुभवों का लाभ केदारनाथ विधानसभा उपचुनाव में पार्टी को मिला। इस उप चुनाव में उन्होंने एक-एक कार्यकर्ता और पदाधिकारियों की बात सुनी और ठोस निर्णय लिए। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी जी ने भी उनके राजनीतिक अनुभवों को देखते हुए उन्हें केदारनाथ विधानसभा उपचुनाव संयोजक की जिम्मेदारी सौंपी। उन्होंने इस जिम्मेदारी को एक अभिभावक के रूप में निर्वहन किया और पार्टीजनों के साथ अभिभावक के रूप में हर मोर्चे पर आगे खड़े रहे अब निकाय व पंचायत चुनावों मे पार्टी को उनके अनुभव व छमता का लाभ मिलेगा”।

रुद्रप्रयाग- बद्रीनाथ विधान सभा उप चुनाव में मात खाने के बाद सहमी भाजपा की चुनावी रणनीति ने केदारनाथ विधान सभा उप चुनाव में सत्तारुड़ पार्टी को एक नयी संजीवनी दी है। भाजपा आलाकमान द्वारा सौंपीं गयी जिम्मेदारी पर खरा उतरते हुये रुद्रप्रयाग विधायक भरत सिंह चौधरी ने अपने लम्बे राजनीतिक अनुभव व बेहतर प्रबंधन की नजीर पेश कर केदारनाथ विधान सभा के नतीजों से सरकार व संगठन की प्रतिष्ठा से जुडा केदारनाथ विधान सभा के उप चुनाव में सत्तारुड़ दल की राहें आसान की। भाजपा पदाधिकारियों की माने तो विधायक भरत सिंह चौधरी के 40 वर्षो के राजनीतिक अनुभव व कार्य कुशलता को देखते हुये मुख्य मंत्री पुष्कर सिंह धामी ने उन्हें विधान सभा सयोंजक की जिम्मेदारी दी। अब सबकी निगाहें आसन्न निकाय चुनावों पर टिकी है। भाजपा जिला मीडिया प्रभारी सत्येन्द्र बर्त्वाल ने कहा कि केदारनाथ विधानसभा उप चुनाव में भाजपा की जीत में रुद्रप्रयाग विधानसभा के विधायक भरत सिंह चौधरी ने अहम भूमिका निभाई है। उन्होंने सरकार, संगठन और कार्यकर्ताओं की धुरी बनकर एक अभिभावक के रूप में भी बेहतर प्रबंधन की नजीर पेश की। इस महत्वपूर्ण जिम्मेदारी को स्वीकार करते हुए रुद्रप्रयाग विधायक ने बखूबी निभाया। अपने 40 वर्ष से अधिक के राजनीतिक जीवन के अनुभवों को अपनी ताकत बनाकर उन्होंने हर मोर्चे को सफलतापूर्वक पार करते हुए पार्टी प्रत्याशी आशा नौटियाल को विजय श्री दिलाई। एक अभिभावक के तौर पर उन्होंने इस उप चुनाव के एक-एक मुश्किल को हल करने के साथ ही एक-एक सदस्य की बात भी सुनी और उनके सुझावों पर गौर भी किया। केदारनाथ विधान सभा उप चुनाव में भाजपा को जीत मिली साथ ही रुद्रप्रयाग विस के विधायक भरत सिंह चौधरी के रूप में पार्टी को एक कुशल चुनावी रणनीतिक प्रबंधक भी मिला है। उन्होने कहा कि
अब, आगामी निकाय चुनाव और त्रिस्तरीय पंचायत चुनावों में विधायक भरत सिंह चौधरी और केदारनाथ विधानसभा की नव निर्वाचित विधायक आशा नौटियाल जी के अनुभवों का लाभ पार्टी को मिलेगा।

छोटे बच्चों के लिए दून पुस्तकालय में आयोजित हुई दो मनोरंजक गतिविधियां

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देहरादून, दून पुस्तकालय एवं शोध केंद्र ने कल शनिवार और रविवार को बच्चों के लिए दो आकर्षक और रचनात्मक कार्यक्रम आयोजित किये। जिसमें कल का सत्र एक शिल्प सत्र कार्यशाला और एक कहानी वाचन व लेखन का सत्र शामिल था। जिससे बच्चों को शिल्प और मनोरम कहानियों के माध्यम से क्रिसमस की उत्सव की भावना में डूबने का अवसर मिला।
प्रतिभाशाली कलाकार दीपाक्षी गुसाईं, श्कल्पना बहुगुणा और ज़ोहरा निज़ामी के नेतृत्व में एक आनंददायक क्रिसमस शिल्प सत्र में भाग लेने के लिए बच्चे पुस्तकालय में एकत्र हुए। यह सत्र हंसी -खुशीऔर रचनात्मकता से भरा था। इसमें 30 से अधिक नन्हें बच्चों ने सुंदर क्रिसमस कॉर्ड्स व सजावट सामग्रीऔर शिल्प के विविध सामग्री को बनाना सीखा।
इस अनुभव ने बच्चों को अपनी कलात्मक क्षमताओं का पता लगाने और अपनी छुट्टियों में कल्पनाओं को पंख लगाने का शानदार अवसर दिया।
रविवार को, पुस्तकालय ने एक कहानी लिखने व वाचन के सत्र का अयोजन किया, इसमें यूएसए निवासी, ‘बेंटो स्टोरीलैब’ की एक कहानीकार,श्रीमती उपासना काकरू, शामिल थीं। यह सत्र सभी बच्चों के लिए मुफ़्त और खुला था। इस सत्र के जरिये बच्चों को दूर से मनमोहक कहानियाँ सुनने का मौका मिला। कहानीकार ने आकर्षक कहानियों से लगभग 100 बच्चों के युवा दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया, जो उन्हें अलग-अलग दुनिया में ले गए और उनकी कल्पना को जागृत किया। आसरा ट्रस्ट और अन्य स्कूलों के बच्चों के एक समूह द्वारा बनाई गई सर्वश्रेष्ठ कहानी को सुश्री उपासना द्वारा अपने बच्चों की पत्रिका- “बेंटो” में प्रकाशित किया जाएगा।
दून पुस्तकालय के बाल अनुभाग की प्रभारी मेघा ने अपील करते हुए कहा कि सप्ताहांत में यह केंद्र बच्चों को नए शिल्प सीखने और आकर्षक कहानियाँ सुनने का आनंद प्रदान करता है। इन सत्रों ने न केवल मनोरंजन करते हैं बल्कि बच्चों को खुद को रचनात्मक रूप से अभिव्यक्त करने और कहानी कहने की कला की सराहना करने के लिए भी प्रोत्साहित किया जाता है। इस तरह के आयोजन सामुदायिक भावना को बढ़ावा देने और युवा दिमागों को प्रेरित करने का एक शानदार तरीका हैं। इसके लिए अभिभावक अपने ब्च्चों को बाल अनुभाग से जोड़ने के लिए , दून पुस्तकालय एवं शोध केंद्र पर आएं। इस अवसर पर बड़ी संख्या में बच्चे व अभिभावक शामिल रहे।

आंखों को भिगो गई “कारा एक प्रथा” गढ़वाली फ़िल्म

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-दमदार कथानक, अभिनय, निर्देशन, संगीत ने जीता दर्शकों का दिल

-फ़िल्म की शुरुआत से अंत तक कुर्सी से हिल नहीं पाए दर्शक

देहरादून(एल मोहन लखेड़ा), सामाजिक सरोकार और सांस्कृतिक ताने बाने को लेकर बनी गढ़वाली फिल्म ‘कारा’ ने एक सोचनीय प्रश्न खड़ा कर दिया कि क्या पहाड़ में “कारा” नाम से एक सामाजिक प्रथा प्रचलित रही है। इस प्रथा पर फ़िल्म बनी तो पहली बार इसके बारे में पता चला। फ़िल्म का सशक्त कथानक शुरू से अंत तक दर्शकों को कुर्सी से बांधे रखता है। पहाड़ की महिलाओं के जीवन को चरितार्थ करती यह फ़िल्म बरबस आँखों को नम कर देती है।
निर्देशक-लेखक सुनील बडोनी और फ़िल्म की प्रोड्यूसर परिणीता बडोनी ने अपने संसाधनों पर हिस्टोरिकल फ़िल्म बनाई है। उन्होंने एक ऐसा विषय चुना, जो महिलाओं को बेड़ियों से मुक्त करता है और उन्हें स्वाभिमान के साथ जीने की आज़ादी देता है। इसके लिए आप दोनों बधाई के पात्र हैं। यह फ़िल्म उत्तराखंड के हर एक हिस्से में दिखाई जानी चाहिए। सरकार को इसके लिए पहल करनी चाहिए।
फ़िल्म में मोना जैसे नकारात्मक किरदार के बावजूद रमेश रावत ने दर्शकों के दिल में एक अलग छाप छोड़ी है। उनका 15 वर्ष का थियेटर का अनुभव काम आया। जमुना के किरदार में शिवानी भण्डारी ने न्याय किया है। बेहतरीन डायलॉग डिलीवरी के साथ उनका मंगलसूत्र फेंकने वाला सीन कमाल का है। प्रधान जी के किरदार में श्री अजय सिंह बिष्ट और पंडित की भूमिका में दिनेश बौड़ाई का अभिनय काबिले तारीफ है। फ़िल्म में राजेश मालगुडी और साक्षी काला का छोटा रोल होने के बावजूद उन्होंने दमदार उपस्थिति दर्ज कराई है। सरपंच की भूमिका में रोशन धस्माना ने सराहनीय अभिनय किया है।
सहायक कलाकर के तौर पर अजय बिष्ट, कुसुम बिष्ट, संयोगिता ध्यानी, वीरेंद्र असवाल, रमेश नौडियाल, इंदु रावत, विनीता नेगी, दिव्या ने भी बढ़िया अभिनय किया है। संतोष खेतवाल और आशीष पंत का संगीत, सारांश बडोनी की सिनेमेटोग्राफी बेहतरीन है।

यह है फिल्म की कहानी :

फ़िल्म में शराबी पति से प्रताड़ित जमुना की मार्मिक कहानी दिखाई गई है। जमुना तीन बहिनों में सबसे बड़ी है। उसके सिर से पिता का साया बचपन में ही उठ जाता है। उसकी विधवा मां के कंधों पर तीन बेटियों के पालन-पोषण और पढ़ाई-लिखाई की जिम्मेदारी आ जाती है। अपनी मां के बोझ को कम करने के लिए जमुना घर पर ही सिलाई का काम शुरू करती है। इस बीच उसके लिए गांव के ही पंडित जी शादी का एक रिश्ता लेकर आते हैं और उसकी मां को पैसे दे जाते हैं। इस रिश्ते को जमुना यह कहकर ठुकरा देती है कि जो व्यक्ति पैसे देकर शादी करना चाह रहा हो, वो मुझे कैसे खुश रख पाएगा। वैसे भी अभी दो छोटी बहिनों को पढ़ाना-लिखाना है और घर का खर्चा चलाना है। मां की सबसे बड़ी चिंता बेटियों की शादी की है।
इस बीच अपने घर की माली हालत से तंग आकर जमुना की सबसे छोटी बहिन आत्महत्या कर देती है। इससे परिवार को बड़ा झटका लगता है। मां के दबाव में जमुना की शादी मोना नाम के एक शराबी से होती है। मोना पहले से शादीशुदा है और उसकी पहली पत्नी उसकी प्रताड़ना से दुःखी होकर उसे छोड़कर भाग जाती है।
शराब के नशे में मोना अपनी पत्नी जमुना के साथ मार-पिटाई करता, उसे ज़लील करता और उस पर शक करता। शायद ही कोई दिन ऐसा बीतता, जिस दिन जमुना प्रताड़ित न होती। एक दिन मोना ने उसे धक्के मारकर घर से ही बाहर निकाल दिया।
इस बीच गांव के प्रधान जमुना को अपनी बेटी के रूप में अपनाते हैं और उसे अपने घर में शरण देते हैं। पंडित, प्रधान के पास जमुना के विवाह का प्रस्ताव लाते हैं और उन्हें कारा प्रथा के बारे में बताते हैं। कारा एक ऐसी सामाजिक प्रथा है, जिसमें बिना किसी क़ानूनी पचड़ों के घरेलू हिंसा की शिकार महिला अपने पति को छोड़कर दूसरा विवाह कर सकती है। इससे पूर्व पहले वाले पति को शादी में हुए खर्चे को लौटाना होता है। फ़िल्म का अंत बड़ा मार्मिक है। मां शक्ति पिक्चर्स के बैनर तले बनी इस फ़िल्म को मूल निवास, भू-क़ानून संघर्ष समिति के साथ पर्वतीय सरोकार से जुड़े दर्शक हाथो हाथ ले रहे हैं, फिल्म मॉल ऑफ देहरादून में दोपहर 01.00 बजे के शो में चल रही है। वहीं अब तक की निर्मित सभी गढ़वाली फिल्में जहां पर्वतीय तानेबाने को लेकर दर्शकों के समक्ष प्रदर्शित हुयी हैं लेकिन इस फिल्म ने सार्थक रुप में “कारा” जैसे पारंपरिक नियम भी प्रचलित रहे हैं का आभास करा दिया। जो हमारी मातृशक्ति को आत्मसम्मान से जीना सिखाती है।

श्री श्री बालाजी सेवा समिति ने कराया 52 निर्धन परिवारों की कन्याओं का विवाह सम्पन्न

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देहरादून, श्री श्री बालाजी सेवा समिति के सानिध्य में को 52 निर्धन परिवारों की कन्याओं का विवाह सम्पन्न हुआ, रविवार को हिन्दू नैशनल स्कूल में समिति के माध्यम से 15वाँ निर्धन कन्याओं का विवाह विधि पूर्वक मंत्रोच्चार के साथ संपन्न हुआ I इस अवसर पर मुख्य अतिथि राजसभा के सांसद डाॅ. नरेश बंसल ने 52 वर वधु को आशीर्वाद देते हुए समिति के अध्यक्ष श्री अखिलेश अग्रवाल व समिति के द्वारा किए जा रहे निर्धन कन्याओं के विवाह की प्रशंसा की साथ ही 51000/हजार रुपये देने घोषणा की l इस मौके पर विधायक खज़ानदास ने भी इस सुन्दर कार्यक्रम की प्रशंसा की व समिति को नेक कार्य हेतु 51000/ हजार रुपये दिए I संस्था द्वारा सभी 52 जोड़ों को एक समान लगभग 2,50,000/- 2,50,000 लाख रुपये की लागत का स्त्रीधन भी भेंट किया जिससे ये नवदंपति खुशी खुशी अपने नयी गृहस्थी शुरू कर सके IMay be an image of 4 people and wedding
समिति के अध्यक्ष अखिलेश अग्रवाल ने आगामी 26 अप्रैल 2025 को विश्वविख्यात कथा वाचक आदरणीय जया किशोरी की सुन्दर भागवत कथा कराए जाने की घोषणा की l
कार्यक्रम का सुन्दर संचालन समिति उपाध्यक्ष सचिन गुप्ता ने किया, कार्यक्रम में आईवीएफ के इंटरनेशनल अध्यक्ष अशोक अग्रवाल, विधायक सविता कपूर, समाजसेवी श्रवण वर्मा, दीपक सिंधल, रामगोपाल गोयल, अनिल गर्ग, मनोज खण्डेलवाल, चन्द्रेश अरोरा,उमाशंकर, ओपी गुप्ता, राम कुमार गुप्ता, राजीव गुप्ता आदि उपस्थित रहे l

शीतकालीन यात्रा – केदारनाथ विधायक आशा नौटियाल ने जताया मुख्यमंत्री का आभार, कहा यात्रा के शुभारंभ से शीतकालीन गद्धीस्थलों में लगातार बढ़ रही श्रद्धालुओं की आवाजाही

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“सरकार द्वारा शीतकालीन प्रवास स्थलों की यात्रा पर आने वाले श्रद्धालुओं को जीएमवीएन के होटलों में 25 प्रतिशत की छूट दी जा रही है। कहा कि शीतकालीन यात्रा के साथ ही विंटर टूरिज्म को भी बढ़ावा मिल रहा है और पर्यटक स्थलों में भी पर्यटकों की आवाजाही बढ़ रही है। उन्होंने कहा कि शीतकालीन यात्रा स्थानीय लोगों को सशक्त बनाने में मिल का पत्थर साबित होगी”।

रुद्रप्रयाग(देवेंन्द्र चमोली)- नव निर्वाचित केदारनाथ विधायक आशा नौटियाल ने प्रदेश के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी का आभार व्यक्त करते हुए कहा कि शीतकालीन यात्रा से तीर्थाटन एवं पर्यटन को सालभर बढ़ावा मिलेगा एवं स्थानीय लोगों को रोजगार के नए अवसर प्राप्त होंगे जिससे उनकी आर्थिकी मज़बूत होगी। उन्होंने कहा कि यहां आने वाले श्रद्धालु बाबा केदारनाथ,मध्यमहेश्वर के शीतकालीन पूजा स्थल ओंकारेश्वर मंदिर,कार्तिक स्वामी मंदिर,तृतीय केदार तुंगनाथ मंदिर,विश्वनाथ मंदिर, त्रियुगीनारायण मंदिर,फलासी स्थित तुंगनाथ मंदिर,महड़ महादेव,अगस्त्य ऋषि मंदिर, राँसी स्थित राकेश्वरी मंदिर,
कालीमठ मंदिर,कालीशिला, सिल्ला साणेश्वर महाराज मंदिर, कर्माजीत मंदिर,नारी देवी मंदिर,दुर्गा मंदिर फेगू एवं अन्य अनेक धार्मिक स्थलों के दर्शन कर सकते हैं।
उन्होने कहा कि सरकार के प्रयास से शीतकालीन यात्रा के शुभारंभ से श्रद्धालुओं की संख्या में लगातार इजाफा हो रहा है। जिससे लोगों को रोजगार मिल रहा है और उनकी आर्थिकी सुदृढ़ हो रही है। नव निर्वाचित विधायक ने कहा कि प्रदेश के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के नेतृत्व में प्रदेश सरकार द्वारा शीतकालीन यात्रा को बढ़ावा देने का सराहनीय प्रयास किया गया है। शीतकालीन यात्रा स्थलों पर श्रद्धालुओं को बेहतर सुविधाएं मिले इस दिशा में सरकार द्वारा लगातार कार्य किया जा रहा है, प्रदेश सरकार द्वारा शीतकालीन प्रवास स्थलों की यात्रा पर आने वाले श्रद्धालुओं को जीएमवीएन के होटलों में 25 प्रतिशत की छूट दी जा रही है। कहा कि शीतकालीन यात्रा के साथ ही विंटर टूरिज्म को भी बढ़ावा मिल रहा है और पर्यटक स्थलों में भी पर्यटकों की आवाजाही बढ़ रही है। उन्होंने कहा कि शीतकालीन यात्रा स्थानीय लोगों को सशक्त बनाने में मिल का पत्थर साबित होगी।

“माली” ने सिल्वर सिटी में रचा इतिहास, दर्शकों के दिलों पर छोड़ी गहरी छाप

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देहरादून, बहुप्रतीक्षित फिल्म “माली” को सिल्वर सिटी में पहले दिन ही जबरदस्त कामयाबी मिली। “माली” ने न केवल भारतीय बल्कि अंतर्राष्ट्रीय मंच पर भी अपनी अद्भुत सफलता का परचम लहराया है। यह फिल्म स्वीडिश इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल 2024 में सर्वश्रेष्ठ अंतर्राष्ट्रीय फीचर फिल्म का पुरस्कार जीतने के साथ ही 13वें शिकागो साउथ एशियन फिल्म फेस्टिवल 2022 में भी इसी श्रेणी का सम्मान प्राप्त कर चुकी है। इसके अलावा, निर्देशक शिव शेट्टी को 12वें क्वीन्स वर्ल्ड फिल्म फेस्टिवल 2022 में सर्वश्रेष्ठ निर्देशक नरेटिव फीचर का पुरस्कार दिया गया। ये सम्मान फिल्म की वैश्विक प्रभावशीलता और इसके प्रेरक विषयों – संघर्ष, आशा और सशक्तिकरण – को प्रमाणित करते हैं।

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दर्शकों ने फिल्म के संघर्ष, प्रकृति संरक्षण, और महिला सशक्तिकरण के संदेश से गहरा जुड़ाव महसूस किया और फिल्म की शानदार अदाकारी के तारीफों के पुल बांधे। “माली” एक ऐसी खूबसूरत फिल्म है जो किसी को भी अंतरमन में झांकने के लिए मजबूर करती है।

फिल्म की कहानी मुख्य किरदार तुलसी पर आधारित है, जिसे अनिता नेगी ने बखूबी निभाया है। इस फिल्म की एक और खास बात यह है कि इसे उत्तराखंड के स्थानीय तकनीशियनों और कलाकारों की टीम ने बनाया है। फिल्म का निर्देशन शिव सी. शेट्टी ने किया है, जबकि इसका निर्माण सोनाली राणा ने किया है। सिनेमैटोग्राफी (DOP) की जिम्मेदारी हृतिक एस. नौडियाल ने निभाई, और उनके सहायक अंकित श्रेष्ठा ने उनके काम में सहयोग दिया।May be an image of 7 people and people smiling

इस शानदार प्रयास को और अधिक समर्थन देने और प्यार बरसाने के लिए, प्रतिष्ठित अभिनेत्री पद्मिनी कोल्हापुरे आयोजित इस विशेष प्रीमियर में उपस्थिति रही।

“माली” का रोजाना शो सिल्वर सिटी, देहरादून में शाम 4:45 बजे आयोजित किया जा रहा है। बड़े पर्दे पर “माली” का अनुभव करें और इस स्थानीय प्रयास को अपना समर्थन दें।

पर्यावरण पर बनी फिल्म ‘माली’ ने उठाए कई सवाल

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देहरादून।  राजपुर रोड स्थित सिल्वरसिटी मल्टीप्लेक्स में शनिवार को उत्तराखंड में निर्मित फिल्म माली का प्रदर्शन किया गया। फिल्म के कंटेंट को दर्शकों ने काफी सराहा है। फिल्म प्रकृति संरक्षण और महिला सशक्तिकरण का संदेश देती है। फिल्म ने न सिर्फ दर्शकों के दिल को छुआ बल्कि समाज में अहम चर्चाओं की शुरुआत भी की है। रविवार को बॉलीवुड की जानी-मानी अभिनेत्री पदमिनी कोल्हापुरी भी सिल्वर सिटी में इस फिल्म को देखेंगी। फिल्म के निर्देशक शिव सी शेट्टी ने कहा कि फिल्म निर्माण के लिए उत्तराखंड मुफीद साबित हो रहा है। बॉलीवुड के अनेक फिल्म निर्माता उत्तराखंड में शूटिंग के लिए आना चाहते हैं। इससे पर्वतीय क्षेत्रों की प्रतिभाओं को भी सामने आने का मौका मिल रहा है। फिल्म ‘माली’ की धमक विदेशी फिल्म फेस्टिवल में भी सुनाई दी है। दर्शकों ने फिल्म की कहानी और शानदार अदाकारी की तारीफ की है। साथ ही और लोगों को भी इस फिल्म को देखने के लिए प्रोत्साहित किया। फिल्म के मुख्य कलाकारों में अनिता नेगी, सुजाता शर्मा, सुशीला यादव शामिल हैं।

 केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्री जे पी नड्डा ने ली  100 दिवसीय टी.बी उन्मूलन अभियान के सम्बन्ध में बैठक

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देहरादून(आरएनएस)।  केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्री जे पी नड्डा ने शनिवार को राष्ट्रीय क्षय उन्मूलन कार्यक्रम के अन्तर्गत 100 दिवसीय टी.बी उन्मूलन अभियान के सम्बन्ध में बैठक की। उक्त बैठक में मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने दून विश्वविद्यालय, देहरादून से वर्चुअल रूप में प्रतिभाग किया।
मुख्यमंत्री ने बैठक में केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री का आभार व्यक्त करते हुए वृहद 100 दिवसीय  टी.बी उन्मूलन अभियान हेतु उनके मार्गदर्शन को महत्वपूर्ण बताया। मुख्यमंत्री ने बैठक में अवगत करवाया कि राज्य के 13 में से 8 जनपद 100 दिवसीय  टी.बी उन्मूलन अभियान हेतु चिन्हित हैं। जिनमें राज्य सरकार लगातार  पता लगाना, उपचार और रोकथाम पर कार्य कर रही है। राज्य के सभी जनप्रतिनिधि, उद्योगपति, अधिकारी एवं आमजन भी इस कार्यक्रम में बढ़-चढ़ कर भागीदारी निभा रहे हैं। मुख्यमंत्री ने बताया कि राज्य में सभी के सहयोग से अब तक 23800 टीबी मरीजों को निक्षय मित्रो द्वारा गोद लिया गया है।
मुख्यमंत्री ने बताया कि राज्य सरकार ने हैन्डहेल्ड मोबाइल एक्स-रे मशीनों की पर्याप्त व्यवस्था कर ली है। राज्य के पास कुल 33 हैन्डहेल्ड मोबाइल एक्स-रे मशीनें उपलब्ध हैं। राज्य के पास 131 नॉट मशीने भी हैं, तथा सभी ब्लॉक में कम से कम 01 मशीन उपलब्ध है। राज्य में  स्क्रीनिंग और टेस्टिंग बढ़ाने पर भी लगातार जोर दिया जा रहा है। इस अभियान के दौरान 8 जनपदों में कुल 25 निःक्षय वाहन तैनात किए गए हैं। निःक्षय वाहन का उपयोग समुदाय को जागरूक करने और शिविर स्थल पर एक्स-रे के लिए किया जा रहा है। इस अभियान के तहत टी.बी. के प्रति संवेदनशील आबादी की जांच के लिए आयुष्मान आरोग्य मंदिर, कार्यस्थल, जेल, वृद्धाश्रम और अन्य चिकित्सा इकाईयों जैसे सामूहिक स्थानों पर शिविर आयोजित किए जा रहे हैं।
मुख्यमंत्री ने केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्री जे पी नड्डा से टीबी उपचार संबंधित औषधियों को उपलब्ध करने का आग्रह किया, जिस पर केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्री ने उन्हें आश्वस्त किया।
गौरतलब है कि 100 दिवसीय टी.बी. उन्मूलन अभियान के अन्तर्गत भारत के 347 उच्च फोकस जिलों को चयनित किया गया है। इस अभियान के लिए उत्तराखण्ड राज्य के आठ जनपदों (बागेश्वर, चमोली, चंपावत, देहरादून, नैनीताल, पौड़ी पिथौरागढ़ और रुद्रप्रयाग) को चयनित किया गया है। इस अभियान का उद्देश्य टी०बी० के प्रति संवेदनशील आबादी (मधुमेह रोगी, कुपोषित, धूम्रपान करने वाले, शराब पीने वाले, पिछले टीबी के मामले, संपर्क, एचआईवी से पीड़ित लोग आदि) की स्क्रीनिंग किया जाना, तत्पश्चात टी०बी० से ग्रसित रोगियों को समयार्न्तगत उपचार उपलब्ध कराना है।
इन शिविरों में संवेदनशील आबादी  की स्क्रीनिंग की जा रही है। जिसके अन्तर्गत पोर्टेबल हँडहेल्ड एक्स-रे मशीन द्वारा शिविर स्थल पर ही उन लोगों का एक्स-रे किया जा रहा है। यदि शिविर स्थल पर एक्स-रे सुविधा उपलब्ध नहीं है, तो चिन्हित व्यक्तियों का एक्स-रे नजदीकी चिकित्सा इकाई पर किया जा रहा है। एक्स-रे के पश्चात, यदि व्यक्ति को टी०बी० होने का संदेह है, तो उसे न्यूक्लिक एसिड एम्प्लीफिकेशन टेस्ट (नॉट) के लिए संदर्भित किया जा रहा है।

 

 

प्रख्यात कत्थक सेलिब्रिटी कुमार शर्मा की 6 जनवरी को होगी एक दिवसीय वर्कशॉप

देहरादून, उत्तराखंड़ के डांस प्रेमियों के लिए एक खुशखबरी है कि 6 जनवरी 2025 को प्रख्यात कत्थक सेलिब्रिटी “कुमार शर्मा” एक दिवसीय डांस वर्कशॉप का आयोजन दून में करने जा रहे हैं, इस आयोजन को “इनक्रेडिबल्स ऑफ उत्तराखंड” आयोजित कर रहा है। इस वर्कशॉप का आयोजन देहरादून में कुँआवला स्थित प्रतिष्ठित संस्थान सीआईएमएस में होने जा रहा है। कुमार शर्मा कत्थक और फ्यूजन कत्थक के क्षेत्र में एक जाना पहचाना चेहरा है जो कि ना केवल अपने देश बल्कि अंतराष्ट्रीय स्तर पर भी इस तरह की वर्कशॉप देते आ रहे हैं साथ ही अनेकों रियल्टी शोज़ में बतौर जज और मुख्य मेहमान आमंत्रित किए जाते हैं। कुमार शर्मा का युवा डांसर्स के बीच बहुत क्रेज है। इस स्पेशल वर्कशॉप में प्रतिभाग करने के लिये आॕन लाइन रजिस्ट्रेशन किया जा रहा, प्रतिभागी 25 दिसंबर तक अपना पंजीकरण कर सकते हैं, आयोजन की विस्तृत जानकारी के लिए मोबाइल नंबर 9837091809, 8433407231 पर संपर्क किया सकता हैं l

 

रफ़ी 100वें जन्म दिवस पर ‘सौ साल बेमिसाल’ नाम से संगीत समारोह का आयोजन

देहरादून, श्रृंखला म्यूजिकल ग्रुप अपने नए फॉरमेट में दून शहर में इतिहास बनाने जा रहा है। स्वर सम्राट मोहम्मद रफ़ी साहब के 100वें जन्मदिवस के अवसर सौ साल बेमिसाल नाम से संगीत समारोह का आयोजन होगा। जिसमें देहरादून शहर के बेहतरीन 40 गायक रफ़ी साहब के 100 सदाबहार गीतों को गाकर शहर में इतिहास रचेंगे, साथ ही गीतों के माध्यम महान गायक रफ़ी साहब को याद करेंगे।
अध्यक्ष पीयूष निगम ने बताया कि इस कार्यक्रम में शहर के प्रतिष्ठित विभूतियों व गणमान्य शख्सियतों को उनके विभिन्न सामाजिक व सांस्कृतिक कार्यों हेतु सम्मानित भी किया जाएगा,ये आयोजन 22 दिसंबर 2024 को शहर के एक प्रतिष्ठित होटल में किया जा रहा है। जिसमें निवर्तमान मेयर श्री सुनील उनियाल गामा जी मुख्य अतिथि होंगे तथा विधायक श्रीमती सविता कपूर जी व भाजपा महानगर अध्यक्ष श्री सिद्धार्थ उमेश अग्रवाल जी विशिष्ट अतिथि के रूप में होंगे। कार्यक्रम सुबह 10:00 से शाम 8:30 बजे तक चलेगा।

राजनीतिक दल अब धर्म के नाम पर महिलाओं को बांटने का कर रहे हैं प्रयास : आरफा

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देहरादून, सुपरिचित पत्रकार और द वायर की संपादक आरफा खानम शेरवानी ने महिलाओं का आह्वान किया है कि वे अपने अधिकार लेने के लिए एकजुट हो जाएं। इसके लिए जरूरी है कि महिलाएं धर्म और जातियों के दायरे से बाहर निकलें।
आरफा खानम शेरवानी नगर निगम सभागार में आयोजित उत्तराखंड महिला मंच के 31वें स्थापना दिवस सम्मेलन में मुख्य अतिथि के रूप में बोल रही थी। उन्होंने कहा कि हर धर्म में महिलाओं को हमेशा से दोयम दर्जे का माना जाता रहा है। हाल के दौर में किसान आंदोलन और शाहीन बाग आंदोलन के दौरान महिलाओं ने आगे आकर एक नई भूमिका अपने कंधों पर ली है, लेकिन राजनीतिक दल अब धर्म के नाम पर महिलाओं को बांटने का प्रयास कर रहे हैं।
उन्होंने कहा कि कुछ समय पहले तक पत्रकारिता में महिलाओं के लिए कोई खास जगह नहीं होती थी। लेकिन, कई महिलाओं ने पत्रकारिता के क्षेत्र में आगे आकर इस क्षेत्र में आने वाली महिलाओं के लिए नए दरवाजे खोले हैं। पहले महिलाओं को सिर्फ फैशन और इसी तरह की रिपोर्टिंग करने के लिए कहा जाता था। लेकिन, आज महिलाएं राजनीतिक, आर्थिक और विदेशी मामले जैसी बीट पर काम कर रही हैं। यह आशाजनक है। उन्होंने अफसोस जताया कि आज महिलाओं को बराबरी का दर्जा देने की बातें तो बहुत होती हैं लेकिन वास्तविकता यह है कि विभिन्न क्षेत्रों में नेतृत्व करने वाली महिलाओं की संख्या सिर्फ एक प्रतिशत है।
सम्मेलन में मुख्य वक्ता के रूप में प्रसिद्ध वैज्ञानिक और पर्यावरण विद डॉ. रवि चोपड़ा ने हिमालय और हिमालय की चुनौतियां विषय पर अपनी बात रखी। उन्होंने कहा कि हिमालय देखने में हमें बेशक बहुत मजबूत पर्वत लगता हो, लेकिन वास्तव में ऐसा नहीं है। यह बहुत खोखला और बहुत कमजोर पहाड़ है। उन्होंने कहा कि आज हम विकास के नाम पर हिमालय को तबाह करने में जुटे हुए हैं। बड़े-बड़े बांध और चौड़ी-चौड़ी सड़कें बनाकर हमने हिमालय को और ज्यादा कमजोर कर दिया है। इसके साथ ही मध्य हिमालय क्षेत्र के घने जंगल भी हमने काट दिए हैं, जिससे भूजल का स्तर लगातार कम हो रहा है। प्राकृतिक जल स्रोत सूख रहे हैं और नदियों में पानी की कमी हो रही है । डॉक्टर चोपड़ा ने कहा कि यदि आज से ही इस स्थिति से निपटने के प्रयास नहीं किए गए तो यह भीषण तबाही को निमंत्रण होगा।
सम्मेलन में उत्तराखंड महिला मंच की ओर से चार प्रस्ताव भी पारित किए गए। ट्रांसजेंडर समुदाय की ओर से ओशीन ने अपने समुदाय के लोगों को संवैधानिक अधिकार और सामाजिक सम्मान दिलाने के लिए आम लोगों से सहयोग की अपेक्षा की। शीला रजवार ने मुज्जफरनगर नगर कांड के दोषियों को सजा, गैरसैंण राजधानी और अंकिता के वीआईपी का नाम उजागर करने का प्रस्ताव रखा। विमला कोली ने जल, जंगल जमीन पर अधिकार और निर्मला बिष्ट नफरत की राजनीति और उत्तराखंड में साम्प्रदायिक वैमनस्य के खिलाफ प्रस्ताव रखा। डॉ. उमा भट्ट ने अपने अध्यक्षीय भाषण में राज्य आंदोलन से अब तक जन मुद्दों महिला मंच के कार्यों का उल्लेख किया और कहा कि मंच जनता के सहयोग से अपनी गतिविधियां चलाता है।
इससे पहले उत्तराखंड महिला मंच की कमला पंत ने मंच के 30 वर्षों के की यात्रा पर विस्तृत रिपोर्ट सम्मेलन में प्रस्तुत की। उत्तराखंड आंदोलन में सक्रिय रही महिलाओं ने 30 वर्ष की यात्रा पर एक गीत नाटिका भी प्रस्तुत की, जिसका निर्देशन सतीश धौलाखंडी ने किया।
कार्यक्रम की संचालन चंद्रकला और निर्मला बिष्ट ने किया। मंच की संस्थापक सदस्य भुवनेश्वरी कठैत का खासतौर पर सम्मान किया गया।

सम्मेलन में यह रहे मौजूद :
सम्मेलन में माया चिलवाल, ज्योति सनवाल, मनोरमा नेगी, प्रभा रतूड़ी मुन्नी तिवारी, लीला बोहरा, ऊषा भट्ट, पद्मा गुप्ता,मंजु बलोदी, सीमा नेगी, मातेश्वरी, शांति सेमवाल, शांता नेगी, विजय नैथानी, सरोज कलोड़ा, शकुंतला मुंडेपी, तुषार रावत, जनकवि अतुल शर्मा, रोशन धस्माना, त्रिलोचन भट्ट, इंद्रेश मैखुरी, अनूप नौटियाल, परमजीत सिंह, गजेंद्र भंडारी के साथ हघ सरस्वती विहार समिति सहित कई संस्थाओं के प्रतिनिधियों ने भागीदारी की।