देहरादून, उत्तराखंड़ में निकाय चुनाव की तारीख का ऐलान होने के साथ ही राजनीतिक सरगर्मियां तेज हो गई हैं। प्रदेश के कुल 11 नगर निगमों में देहरादून नगर निगम उत्तराखंड का सबसे बड़ा नगर निगम है। देहरादून नगर निगम में 100 वार्ड हैं। यहां मेयर, डिप्टी मेयर और 99 पार्षद होते हैं। प्रदेश की राजधानी का शहर होने के कारण देहरादून नगर निगम का वैसे भी राजनीति में सर्वाधिक महत्व है। सत्तारूढ़ भाजपा को यहां मुख्य विपक्षी कांग्रेस से यहां इस बार टक्कर मिल सकती है।
नामांकन दाखिल किए जाने से पूर्व देहरादून नगर निगम में कांग्रेस और भाजपा दोनों के लिए प्रत्याशी चयन की कसरत निसंदेह बेहद चुनौती भरी है। कांग्रेस में जितने भी मेयर पद के दावेदारों के नाम सामने आ रहे हैं, सबकी अपनी पृष्ठभूमि है। इनमें एक नाम उभरा है राजीव महर्षि जिन्होंने आज मेयर पद के लिये कांग्रेस कार्यालय मे आवेदन किया। देहरादून की ही मिट्टी में जन्मे, उच्च शिक्षित और विजनरी नेता के रूप में महर्षि की पहचान है। वे मीडिया में पार्टी का पक्ष पूरी तैयारी और गंभीरता से रखते आए हैं I
यह पहला मौका है जब राजीव महर्षि राजनीति के समर में प्रत्यक्ष रूप से उतरते दिख रहे हैं। डीएवी कॉलेज के छात्र नेता रहे और शुरू से ही कांग्रेस से जुड़े रहे हैं। एनएसयूआई से लेकर युवा कांग्रेस में वे सक्रिय रहे ही हैं, राज्य आंदोलन में भी उन्होंने सक्रिय रूप से भाग लिया। छात्र और युवा नेता के रूप में राजीव महर्षि हमेशा जनसरोकारों से जुड़े मुद्दों को उठाते रहे हैं। पार्टी के साथ उनकी निष्ठा असंदिग्ध रही है। पार्टी के हर कार्यक्रम में उनकी सक्रिय भागीदारी राज्य स्थापना के पूर्व से आज तक निरन्तर बनी दिखती है।
जानकार मानते हैं कि कांग्रेस में राजीव महर्षि एक ऐसा नाम है जिनको लेकर प्रदेश अध्यक्ष करन महरा से लेकर हरीश रावत तक, नेता प्रतिपक्ष यशपाल आर्य, पूर्व नेता प्रतिपक्ष प्रीतम सिंह, पूर्व अध्यक्ष गणेश गोदियाल या फिर अन्य वरिष्ठ नेताओं का समर्थन मिलने में ज्यादा कठिनाई नहीं होगी I क्योंकि पार्टी में राजीव महर्षि की सर्वप्रिय छवी और व्यावहार कुशल माना जाता है I यानी कॉंग्रेस से देहरादून मेयर प्रत्याशी के तौर पर राजीव महर्षि को मैदान में उतारने के लिए उनको सभी वरिष्ठ नेताओं का समर्थन भी प्राप्त हो सकता है I
कांग्रेस में ही उनके समर्थक कहते हैं कि अत्यंत व्यवहार कुशल तथा हर किसी के सुख दुख के साथी राजीव महर्षि की छवि नेकनीयत नेता की है और लोगों के लिए वे हर समय उपलब्ध भी रहते आए हैं। समर्थक मानते हैं कि पिछले आठ-दस साल से सत्तारूढ़ भाजपा के प्रति लोगों में एंटी इनकमबैंसी फैक्टर बढ़ा है और इसका लाभ राजीव महर्षि को मिल सकता है। उन्होंने राज्य और महानगर के मुद्दों को पूरी बेबाकी से न सिर्फ उठाया है बल्कि उन्हें अंजाम तक भी पहुंचाया है। उच्च शिक्षित, मृदु भाषी और कुशल नेतृत्व क्षमता वाले राजीव महर्षि महानगर की समस्याओं के समाधान के लिए पहले भी सक्रिय रहे हैं और जिम्मेदारी मिलने के बाद वह और अधिक गतिशीलता से समस्याओं का स्थाई समाधान कर इसे जुमले की स्मार्ट सिटी से वास्तविक अर्थों में स्मार्ट सिटी बनाने की क्षमता रखते हैं।
राजीव महर्षि कहते हैं कि वे महानगर देहरादून को अधिक सुविधा युक्त बनाना चाहते हैं I अगर पार्टी ने भरोसा जताया तो वे महापौर का चुनाव जीतकर
देहरादून के यातायात प्रबंधन, कूड़ा निस्तारण, जन सुविधाओं का विस्तार, पार्क, पार्किंग, जल निकासी, पेयजल, स्वच्छता, शिक्षा, स्वास्थ्य जैसे तमाम मुद्दों के समाधान के लिए वह सतत कार्यशील रहकर अपनी क्षमताओं का उपयोग करेंगे, जिसका लाभ जनता को मिलेगा I
महापौर चुनाव : दून में राजीव महर्षि पर दांव लगा सकती है कांग्रेस, आज किया आवेदन
अटल जी के शताब्दी वर्ष पर लेखक गांव में नालंदा पुस्तकालय और व्याख्यान माला का शुभारंभ
लेखक गांव, उत्तराखंड में आज भारत के पूर्व प्रधानमंत्री भारत रत्न अटल बिहारी वाजपेयी जी की शताब्दी जयंती के अवसर पर भव्य आयोजन किया गया। इस अवसर पर नालंदा पुस्तकालय एवं शोध केंद्र का उद्घाटन और अटल बिहारी वाजपेयी स्मृति व्याख्यान माला का शुभारंभ किया गया।
कार्यक्रम में हिमाचल प्रदेश के राज्यपाल माननीय शिव प्रताप शुक्ल जी मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित रहे। इंडिया टीवी के अध्यक्ष और प्रधान संपादक श्री राजत शर्मा जी ने मुख्य वक्ता की भूमिका निभाई। उत्तराखंड के मुख्यमंत्री श्री पुष्कर सिंह धामी, इंडिया फ्लैग फाउंडेशन के सीईओ मेजर जनरल असीम कोहली, सुप्रसिद्ध साहित्यकार डॉ. योगेन्द्रनाथ शर्मा ‘अरुण’ और डॉ. सविता मोहन जैसे विशिष्ट अतिथियों ने अपनी गरिमामयी उपस्थिति से आयोजन को विशेष बनाया।
कार्यक्रम की शुरुआत लेखक गांव में स्थित 72 फीट ऊंचे राष्ट्रीय ध्वज के फहराने के साथ हुई, जिसे इंडिया फ्लैग फाउंडेशन ने स्थापित किया है। इसके पश्चात अटल बिहारी वाजपेयी जी की प्रतिमा का अनावरण हुआ। इस अवसर पर सभी अतिथियों ने पुष्पांजलि अर्पित कर उन्हें श्रद्धांजलि दी।
नालंदा पुस्तकालय एवं शोध केंद्र का उद्घाटन इस आयोजन का प्रमुख आकर्षण रहा। यह पुस्तकालय प्राचीन भारतीय ज्ञान की धरोहर को सहेजने के साथ-साथ आधुनिक शोध और अध्ययन के लिए एक आदर्श मंच प्रदान करेगा। इसके बाद अटल बिहारी वाजपेयी स्मृति व्याख्यान माला का शुभारंभ किया गया, जो हर वर्ष आयोजित होगी। इसका उद्देश्य अटल जी के बहुआयामी व्यक्तित्व और उनके साहित्यिक व राजनीतिक विचारों को समाज के साथ साझा करना है।
मुख्य वक्ता श्री राजत शर्मा ने कहा, “अटल जी केवल एक नेता नहीं, बल्कि एक युगदृष्टा और श्रेष्ठ वक्ता थे। उनकी वाक्पटुता, साहित्यिक प्रतिभा और प्रेरणादायी नेतृत्व हमें आज भी मार्गदर्शन देता है। लेखक गांव और नालंदा पुस्तकालय उनके विचारों को जीवंत रखने का एक अभूतपूर्व प्रयास है। मुझे गर्व है कि उनके 100वें जन्मदिवस पर मैं इस ऐतिहासिक आयोजन का हिस्सा बन सका।”
मुख्यमंत्री श्री पुष्कर सिंह धामी ने अपने उद्बोधन में कहा, “उत्तराखंड राज्य की स्थापना अटल जी की दूरदर्शिता और दृढ़ संकल्प का परिणाम है। लेखक गांव और नालंदा पुस्तकालय उनकी साहित्यिक और सांस्कृतिक दृष्टि को साकार करने की दिशा में एक सराहनीय पहल है। यह स्थान न केवल उत्तराखंड, बल्कि पूरे भारत के लिए गौरव का विषय है।”
राज्यपाल श्री शिव प्रताप शुक्ल ने इस अवसर पर कहा, “यह लेखक गांव और नालंदा पुस्तकालय आधुनिक भारत के ज्ञान का तीर्थस्थल है। डॉ. रमेश पोखरियाल ‘निशंक’ जी ने अटल जी के सपनों को साकार करने का एक उत्कृष्ट कार्य किया है। लेखक गांव साहित्य, संस्कृति और विचारों का केंद्र बनेगा, जहां समाज को दिशा देने वाले विचार पनपेंगे।”
डॉ. रमेश पोखरियाल ‘निशंक’ ने इस अवसर पर कहा, “भारत हमेशा से ज्ञान और संस्कृति का केंद्र रहा है। नालंदा पुस्तकालय हमारी प्राचीन ज्ञान परंपरा का प्रतीक है और यह आधुनिक युग में भी समाज को प्रेरित करेगा। अटल जी मेरे लिए केवल एक राजनैतिक गुरु नहीं, बल्कि साहित्यिक प्रेरणा भी थे। उन्होंने मुझे राजनीति में सक्रिय होने के लिए प्रेरित किया और साहित्य के प्रति मेरी निष्ठा को बनाए रखने की सीख दी। उनका बहुआयामी व्यक्तित्व और उनकी दूरदृष्टि आज भी हमारा मार्गदर्शन करती है। लेखक गांव और अटल स्मृति व्याख्यान माला उनके विचारों को जीवंत रखने का प्रयास है।”
लेखक गांव केवल एक स्थान नहीं, बल्कि साहित्य, संस्कृति और विचारों का मंदिर है। नालंदा पुस्तकालय शोध और अनुसंधान के लिए नई पीढ़ी को प्रेरित करेगा। लेखक गांव का उद्देश्य है कि यह साहित्यकारों, कवियों और कलाकारों के लिए ऐसा मंच बने, जहां वे अपने विचार साझा कर सकें और समाज को नई दिशा दे सकें।
यह आयोजन अटल जी के योगदान और विचारों को नई पीढ़ी तक पहुंचाने का एक अनूठा प्रयास है। लेखक गांव, साहित्य, कला और संस्कृति के क्षेत्र में राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय पहचान स्थापित करने की दिशा में निरंतर अग्रसर है।
सहकारिता मंत्री शाह ने किया उत्तराखंड़ की 125 समेत 10000 बहुउद्देशीय प्राथमिक कृषि ऋण समितियों का उद्घाटन
-100 दिन के अंदर उत्तराखंड में ग्रामीण स्तर पर मल्टीपरपज समितियां का कर लिया जाएगा गठन : डॉ. धन सिंह रावत
देहरादून, ग्रामीण क्षेत्र में खाद-बीज, दवा और वित्तीय सेवाओं समेत सरकारी योजनाओं को तेजी से लोगों तक पहुंचाने के लिए 10 हजार मल्टीपरपज पैक्स का गठन किया गया है. केंद्रीय मंत्री श्री अमित शाह द्वारा देश की राजधानी दिल्ली में इन 10 हजार बहुउद्देशीय प्राथमिक कृषि ऋण समितियों (PACS) के साथ डेयरी और मत्स्य सहकारी समितियों का उद्घाटन किया गया l
दीपनगर स्थित उत्तराखंड राज्य सहकारी संघ सभागार में आयोजित कार्यक्रम में सहकारिता मंत्री डॉ धन सिंह रावत उत्तराखंड के सहकारिता मत्स्य डेयरी से जुड़े अधिकारी और किसान वर्चुअल माध्यम से इस कार्यक्रम से जुड़े l
देहरादून से इस कार्यक्रम का उद्घाटन सहकारिता मंत्री डॉ. धन सिंह रावत सचिव सहकारिता श्री दिलीप जावलकर सचिव मत्स्य एवं डेयरी डॉ बी वी आरसी पुरुषोत्तम द्वारा दीप प्रज्वलित कर किया गया कार्यक्रम की प्रथम पाली में माननीय सहकारिता मंत्री द्वारा अपने संबोधन में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी एवं केंद्रीय सहकारिता मंत्री श्री अमित शाह का आभार जताया गया डॉ. धन सिंह रावत ने कहा सहकारिता मंत्रालय के गठन के बाद देश भर में तेजी से बहुउद्देशीय पैक्स का गठन किया जा रहा है, केंद्रीय सहकारिता मंत्री अमित शाह जी का लक्ष्य है कि 5 वर्ष के अंतराल में 2 लाख समितियों का गठन किया जाना है जिसके परिणाम स्वरुप 100 दिन के अंदर ही 10000 मल्टीपरपज समितियां गठित कर ली गई है, जिसमें उत्तराखंड में 125 समितियां नवागठित की जा चुकी हैं और लक्ष्य है 100 दिन के अंदर ही प्रत्येक ग्राम स्तर पर बहुउद्देशीय समितियों का गठन कर लिया जाएगा l.
यह समितियां किसानों और ग्रामीणों को सरकारी सेवाओं और योजनाओं का लाभ पहुंचाने में बड़ी भूमिका निभाएंगी. वर्तमान ने पैक्स के जरिए 24 तरह की सुविधाएं लोगों को दी जा रही हैं. रेल बस हवाई टिकट बिजली बिल जन्म मृत्यु प्रमाण पत्र समेत कई सुविधाएं अब ग्रामीण स्तर पर किसानों को मिल रही है,इसके साथ ही अब गांव के नाम पर ही सघन सहकारी समिति का नाम रखा जाएगा l
हमारा उद्देश्य है कि 10 किलोमीटर के क्षेत्र में ही एक समिति और जिन गांवों में जनसंख्या कम है वहां दो गांव मिलकर समितियां गठित की जाए, सहकारिता मंत्री डॉ धन सिंह रावत ने बताया कि उत्तराखंड में एक लाख नए सदस्य सहकारी समितियां में बनाए गए हैं आज उत्तराखंड में 60% बहुउद्देशीय सहकारी समितियां लाभ की स्थिति में है, और देशभर में उत्तराखंड कोऑपरेटिव बैंक काफी स्वस्थ स्थिति में हैं आज उत्तराखंड में किसानों को पारदर्शी तरीके से ब्याज रहित ऋण वितरित किया जा रहा है l
सचिव सहकारिता दिलीप जावलकर ने अपने संबोधन में कहा कि आज देश की अर्थव्यवस्था को सुदृढ़ आधार प्रदान करने तथा सामाजिक जीवन में जनतांत्रिक मूल्यों मान्यताओं एवं परंपराओं को विकसित करने में सहकारिता एक सशक्त और सर्वोत्तम माध्यम है सहकारिता से समृद्धि के सपने को साकार करने और देश में सहकारिता आंदोलन को सुदृढ़ कर समाज के अंतिम व्यक्ति तक इसकी पहुंच बनाए जाने के उद्देश्य से भारत सरकार में केंद्रीय सहकारिता मंत्रालय स्थापित किया गया था यह अत्यंत गर्व का विषय है कि भारत सरकार द्वारा उक्त उद्देश्यों की पूर्ति हेतु विभिन्न कल्याणकारी योजनाएं संचालित की जा रही है l जिसके द्वारा पैक्स के साथ पैक्स से जुड़े सहकारी सदस्यों की भी आर्थिक मजबूत हो रही है l
सहकारिता सचिव श्री दिलीप जावलकर ने कहा कि 100 दिन के भीतर ही प्रत्येक ग्रामीण स्तर पर समिता नवगठित कर ली जाएगी l
सचिव सहकारिता दिलीप जावलकर एवं सचिव मत्स्य एवं डेयरी द्वारा 11 नवगठित समितियां को प्रमाण पत्र और पांच किसानों को माइक्रो ATM भी सौंपे गए l
कार्यक्रम के अंत में सहकारिता मंत्री डॉ. धन सिंह रावत सचिव सहकारिता श्री दिलीप जावलकर एवं सचिन डेयरी डॉ वीवीआरसी पुरुषोत्तम द्वारा उत्तराखंड रेशम फेडरेशन को नैकॉफ अवॉर्ड्स 2024 पुरस्कार से सम्मानित किए जाने पर प्रबंध निदेशक रेशम फेडरेशन श्री आनंद शुक्ला को सम्मानित किया और अच्छे कार्य के लिए शुभकामनाएं दी, कार्यक्रम में मंच संचालन संयुक्त निबंधक श्री एमपी त्रिपाठी द्वारा किया गया कार्यक्रम के अंत में अपर निबंधन श्रीमती ईरा उप्रेती द्वारा धन्यवाद ज्ञापित किया गया l
आयोजित कार्यक्रम में अपार निबंधक सहकारिता श्रीमती ईरा उप्रेती,आनंद शुक्ला, संयुक्त निबंधक श्री नीरज बेलवाल0 श्री एमपी त्रपाठी, प्रबंध निदेशक राज्य सहकारी संघ रमिंद्री मंदरवाल, समेत नाबार्ड
M-PACS, डेयरी और मत्स्य सहकारी समितियों के प्रतिनिधियों सहित लगभग 300 से अधिक प्रतिभागियों ने हिस्सा लिया.
उत्तरायणी पर्व पर दून में आयोजित होगा कौंथिग घुघुती उत्सव
देहरादून, उत्तराखंड़ की सांस्कृतिक विरासत को अक्षुण बनाने के उद्देश्य को लेकर कौंथिग घुघुती उत्सव मनाने की तैयारी शुरू हो गयी, स्थानीय उज्जवल रेस्टोरेंट में बलदेव चंद्र भट्ट की अध्यक्षता में कार्यक्रम के संदर्भ में एक बैठक आयोजित की गई। बैठक में कार्यक्रम की रूपरेखा तय करने के लिए उपस्थित सभी सदस्यों ने अपने विचार रखे। सभी सदस्यों ने मिलकर तय किया की आगामी उत्तरायणी पर्व के उपलक्ष्य में देहरादून में उत्तराखंड के प्रसिद्ध और सांस्कृतिक लोक त्योहार कौथिग घुघती उत्सव का आयोजन किया जाएगा।
इस उत्सव का उद्देश्य उत्तराखंड की समृद्ध संस्कृति से सभी को रूबरू कराना होगा। इस मेले यानी कौथिग में कुछ सांस्कृतिक कार्यक्रम की प्रस्तुति भी रखी जायेगी। इस कार्यक्रम में कुमाऊनी गढ़वाल और जौनसार की संस्कृति को भी दर्शाया जाएगा, बैठक में कार्यकारिणी का गठन भी किया गया, जिसमें अध्यक्ष शर्मिष्ठा कफलिया, कोषाध्यक्ष दिनेश चंद, महासचिव बलदेव भट्ट, सचिव नीता कांडपाल, सांस्कृतिक कार्यक्रम प्रभारी पूनम सती, गिरीश बरगली, गणेश कांडपाल एवं संरक्षक अनिल गोयल डॉ. सुनीता चुफाल रतूड़ी, डॉ. आनंद मोहन रतूड़ी, अनुसूचित जनजाति आयोग की अध्यक्ष लीलावती राणा को सर्वसम्मति से चुना गया।
कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे बलदेव चंद्र भट्ट ने पदाधिकारी एवं समस्त सदस्यों से प्रथम वर्ष आयोजित हो रहे कौथिग घुघुती उत्सव में सभी लोगों को बढ़-चढ़कर हिस्सा लेने और अपनी संस्कृति को बचाने के लिए पहाड़ की रीति रिवाज पहाड़ का पहनावा पहाड़ का खानपान पहाड़ के त्यौहार सभी चीजों को मेले में दर्शाने/ शामिल करने की अपील की।
इस मौके पर शहर के प्रतिष्ठित कारोबारी क्वालिटी हार्डवेयर के मालिक अनिल गोयल, चंचल स्वीट्स के स्वामी दिनेश चंद, न्यू एरा डेवलपर कंपनी के मालिक हरीश सामंत ने कार्यक्रम को सफल बनाने के लिए हर संभव मदद देने की घोषणा की, जबकि मार्शल स्कूल के ओनर रत्नेश जुयाल ने फोन पर आश्वासन दिया की मेले को सफल बनाने के लिए उनकी ओर से पूरी मदद की जाएगी
बैठक में अनिल गोयल, दिनेश चंद, डॉ. सुनीता चुफाल रतूड़ी, लीलावती राणा, पूनम सती, कुसुम पिल्खवाल,अनुपमा बिष्ट नीता कांडपाल, पुष्पा भाकुनी, सरस्वती जोशी, शर्मिष्ठा कफलिया, राजेंद्र वल्दिया, हरीश सामंत, बलदेव चंद्र भट्ट डा. सुभाष जोशी आदि उपस्थित रहे।
हवाई यात्रा करने वालों के लिए है जरूरी खबर, कहीं एयरपोर्ट पर भरनी न पड़ जाए मोटी रकम
नई दिल्ली, यदि आप हवाई यात्रा करने जा रहे हैं तो यह खबर आपके लिए जरूरी है। ब्यूरो ऑफ सिविल एविएशन सिक्योरिटी (बीसीएएस) ने हवाई यात्रियों के लिए एक नया नियम जारी किया है जिसके तहत अब यात्री केवल एक ही हैंड बैगेज को विमान में ले जा सकेंगे।
क्या हैं नए नियम?
बीसीएएस की नई हैंड बैगेज पॉलिसी के तहत, अब यात्री चाहे डोमेस्टिक फ्लाइट से यात्रा कर रहे हों या इंटरनेशनल, उन्हें केवल एक ही हैंड बैगेज या केबिन बैगेज को विमान में ले जाने की अनुमति होगी। इसके अलावा, इकोनॉमी या प्रीमियम इकोनॉमी क्लास में यात्रा करने वाले यात्रियों के लिए हैंड बैगेज का अधिकतम वजन 7 किलो निर्धारित किया गया है, जबकि फर्स्ट क्लास या बिजनेस क्लास में यात्रा करने वाले यात्रियों को 10 किलो तक का बैग ले जाने की अनुमति होगी। इसके साथ ही, हैंड बैगेज का आकार 55 x 40 x 20 सेंटीमीटर से अधिक नहीं होना चाहिए। इन नियमों का पालन करके आप अपनी एयर ट्रैवल को अधिक सुविधाजनक और तनावमुक्त बना सकते हैं, जिससे एयरपोर्ट पर अनावश्यक परेशानियों से बचा जा सकेगा।
क्यों लाया गया है यह नियम?
यह नियम हवाई अड्डों पर सुरक्षा जांच को और अधिक प्रभावी बनाने और यात्रियों की सुविधा के लिए लाया गया है। एक ही हैंड बैगेज की अनुमति देने से सुरक्षा जांच का समय कम होगा और यात्रियों को लंबी कतारों में खड़े होने की आवश्यकता नहीं होगी।
एयरलाइनों की तैयारी :
एयरलाइंस ने भी इस नए नियम को लागू करने के लिए तैयारियां शुरू कर दी हैं। अधिकांश एयरलाइंस ने अपनी वेबसाइट और मोबाइल ऐप पर इस नए नियम के बारे में जानकारी दे दी है।
यात्रियों को क्या सावधानियां बरतनी चाहिए?
सबसे पहले, अपने हैंड बैगेज में केवल आवश्यक सामान ही रखना चाहिए ताकि आप आसानी से अपनी वस्तुओं का प्रबंधन कर सकें और सुरक्षा जांच में समय बर्बाद न हो। तरल पदार्थों को ले जाने के लिए सीमित मात्रा निर्धारित की गई है, इसलिए सुनिश्चित करें कि आपके सभी तरल पदार्थ नियमानुसार पैक किए हुए हैं। इसके अलावा, इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों जैसे लैपटॉप, टैबलेट और स्मार्टफोन को भी हैंड बैगेज में रखना सुविधाजनक होता है, लेकिन इन्हें सुरक्षा जांच के दौरान आसानी से निकालने के लिए तैयार रखें। इन सावधानियों का पालन करने से न केवल आपकी यात्रा सुगम बनेगी, बल्कि आप हवाई अड्डे पर सुरक्षा प्रक्रियाओं को भी बिना किसी परेशानी के पार कर सकेंगे(साभार उत्तम हिन्दू न्यूज)।
मसूरी में ट्रैफिक व्यवस्थित करने का निषेधाज्ञा लागू
देहरादून। प्रशासन ने मसूरी में क्रिसमस, नए वर्ष एवं शीतकालीन पर्यटन को देखते हुए निषेधाज्ञा लागू की है। इसमें ट्रैफिक को लेकर सरकारी आदेशों का पालन नहीं करने वालों के खिलाफ भारतीय न्याय संहिता के तहत गिरफ्तार किया जा सकता है। इस निषेधाज्ञा के तहत सरकारी विभागों को भी जिम्मेदारी दी गई है। निषेधाज्ञा 20 जनवरी तक लागू रहेगी। जिला प्रशासन देहरादून ने इसके तहत हाथी पांव (जार्ज एवरेस्ट रोड), बस्साघाट एवं कुठालगेट पर अस्थायी तथा किंक्रेग पर स्थायी रूप से सेटेलाइट पार्किंग विकसित करने तथा निर्मित पार्किंग स्थल को वाहनवार अलग-अलग प्रदर्शित करने की जिम्मेदारी लोक निर्माण विभाग, आरटीओ और मसूरी पालिका के साथ ही जिला पर्यटन विकास अधिकारी को दी है। मसूरी का पार्किंग स्थल पर व्यवस्था, वाहनों को पार्किंग स्थलों पर डायवर्ट करने की जिम्मेदारी एसपी ट्रैफिक और सीओ मसूरी को दी है। शटर सेवा का संचालन एआरटीओ करेंगे।
मुख्यमंत्री ने दी प्रदेश वासियों को क्रिसमस की बधाई
मुख्यमंत्री श्री पुष्कर सिंह धामी ने क्रिसमस के अवसर पर सभी प्रदेशवासियों विशेषकर ईसाई समुदाय के लोगों को शुभकामनाएं दी है। इस अवसर पर जारी अपने संदेश में मुख्यमंत्री ने कहा है कि क्रिसमस का यह पर्व हमें सेवा, त्याग, प्रेम और करुणा जैसे आदर्शों का अनुसरण करने का संदेश देता है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि क्रिसमस का त्योहार आपसी भाईचारे की भावना और खुशियों को बांटने का उत्सव है। उत्तराखण्ड में सभी पर्वों को मिलजुल कर मनाने की श्रेष्ठ परम्परा रही है।
मुख्यमंत्री ने पेशावर कांड के नायक को अर्पित की श्रद्धान्जलि
मुख्यमंत्री श्री पुष्कर सिंह धामी ने पेशावर कांड के नायक वीर चन्द्र सिंह ‘गढ़वाली‘ का उनकी जयंती पर भावपूर्ण स्मरण किया है। मुख्यमंत्री ने वीर चन्द्र सिंह ‘गढ़वाली’ की जयंती की पूर्व संध्या पर जारी अपने संदेश में वीर चन्द्र सिंह ‘‘गढ़वाली‘‘ को पेशावर कांड का महानायक बताते हुए कहा की उन्होंने देश की आजादी के लिये आन्दोलनरत निहत्थी जनता पर गोली चलाने के आदेश को न मानकर देशभक्ति और साहस का परिचय दिया था।
मुख्यमंत्री ने कहा कि भारत की आजादी के लिए ‘पेशावर कांड‘ एक महत्वपूर्ण पड़ाव था। भारतीय स्वतन्त्रता संग्राम के आंदोलन में यह घटना मील का पत्थर साबित हुई, जिसने देश की आजादी के लिए एक क्रांतिकारी आधार तैयार किया।
मुख्यमंत्री ने पूर्व प्रधानमंत्री भारत रत्न स्व0 अटल बिहारी बाजपेई को अर्पित की श्रद्धांजलि
मुख्यमंत्री श्री पुष्कर सिंह धामी ने पूर्व प्रधानमंत्री भारत रत्न, स्वर्गीय अटल बिहारी वाजपेयी जी की जयंती पर उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की है। मुख्यमंत्री ने कहा कि स्व. श्री अटल बिहारी वाजपेयी कुशल प्रशासक, राजनीतिज्ञ एवं लोकप्रिय जन नेता के साथ महान वक्ता थे, जिन्हें समाज के सभी वर्गों के लोग सम्मान देते थे। स्व. वाजपेयी के लिए राष्ट्रहित सर्वाेपरि था। अटल जी उत्तराखण्ड राज्य के प्रणेता रहे हैं, उन्होंने न केवल उत्तराखण्ड राज्य का निर्माण किया बल्कि राज्य विकास के लिए आधार भी तैयार किए।
मुख्यमंत्री ने कहा कि स्व. अटल बिहारी वाजपेयी जी के नेतृत्व में भारत ने विश्व में अपनी नयी पहचान बनाई तथा 21 वीं शदी में मजबूती से कदम आगे बढ़ाया। उनमें सभी को साथ लेकर चलने की अद्भुत क्षमता थी। उनकी दूरगामी सोच, रचनाओं, पोखरण परमाणु परीक्षण, कारगिल की लड़ाई में भारत को मिली विजय के लिये उन्हें हमेशा याद किया जायेगा।
मुख्यमंत्री ने स्वर्गीय इंद्रमणि बड़ोनी के चित्र पर पुष्पांजली अर्पित कर दी श्रद्धांजलि
मुख्यमंत्री श्री पुष्कर सिंह धामी ने मंगलवार को उत्तराखण्ड निवास नई दिल्ली में स्वर्गीय इंद्रमणि बड़ोनी की जयन्ती के अवसर पर उनके चित्र पर माल्यार्पण कर उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की है। मुख्यमंत्री ने कहा कि पृथक उत्तराखंड राज्य निर्माण आन्दोलन में स्वर्गीय इंद्रमणि बड़ोनी का महत्वपूर्ण योगदान रहा है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि उत्तराखंड के गांधी के नाम से विख्यात स्वर्गीय इंद्रमणि बड़ोनी 1994 के राज्य आंदोलन के सूत्रधार रहे। पर्वतीय क्षेत्रों के विकास के लिये उनकी संकल्पनाओं एवं राज्य निर्माण के संघर्ष में उनके योगदान को भुलाया नहीं जा सकता। मुख्यमंत्री ने कहा कि स्व. बड़ोनी जी की जयन्ती का अवसर हमें उत्तराखण्ड को विकसित एवं अग्रणी राज्य बनाने की भी प्रेरणा देता है। उत्तराखंड राज्य आन्दोलन में उनके सक्रिय सहयोग को सदैव याद रखा जाएगा।
कश्मीर, हिमाचल, उत्तराखंड में भारी बर्फबारी, चारों तरफ बिछी बर्फ की चादर
नईदिल्ली, । देश के पहाड़ी राज्यों में भारी बर्फबारी हो रही है. जिसके चलते तापमान माइनस से नीचे चला गया है. बर्फबारी का असर मैदानी इलाकों में भी देखने को मिल रहा है. जिसके चलते दिल्ली-एनसीआर समेत पूरे उत्तर भारत में ठिठुरन बढ़ गई गई. जम्मू-कश्मीर से लेकर उत्तराखंड तक बर्फबारी हो रही है. हिमाचल प्रदेश के पहाड़ों पर भी जमकर हिमताप हो रहा है.
बर्फबारी के चलते पर्यटकों की खुशी का ठिकाना नहीं है. हालांकि कुल्लू-मनाली, रोहतांग और राज्य के ऊपरी इलाकों में हुई बर्फबारी सैलानियों के लिए मुसीबत बन गई है. दरअसल, बर्फबारी के बाद राज्य में पर्यटकों की संख्या बढ़ गई है. जिसके चलते सोमवार को मनाली-केलांग मार्ग पर वाहनों की आवाजाही को अस्थाई रूप से रोकना पड़ा. इस दौरान अटल टनल के रास्ते पर करीब 1000 गाडिय़ां फंस गईं. हालांकि, प्रशासन ने तत्काल रेस्क्यू अभियान शुरू कर दिया और फंसे हुए सैलानियों को निकाल लिया.
उधर उत्तराखंड के ऊंचे पहाड़ों पर भी बर्फबारी हो रही है. राज्य के कई ऊंचाई वाले इलाकों में पहाड़ों पर बर्फ जम गई है. हालांकि, हिमाचल प्रदेश की तुलना में यहां कम बर्फबारी हुई है, लेकिन औली, उत्तरकाशी, चकराता, बद्रीनाथ, केदारनाथ जैसे ऊंचाई वाले इलाकों में बर्फ की सफेद चादर बिछ गई है.
उधर केदारनाथ धाम में भी इस सीजन की दूसरी बर्फबारी देखने को मिली. बर्फबारी के चलते यहां चल रहा पुनर्निर्माण कार्य प्रभावित हुआ है. केदारनाथ धाम में सोमवार से लगातार हिमपात हो रहा है. जहां अब तक एक फीट से ज्यादा बर्फ जम गई है. इस बीच मौसम विभाग ने अलर्ट जारी किया है.
उत्तराखंड के औली में भी जमकर बर्फबारी हो रही है. औली की वादियां में चारों तरफ बर्फ की चादर बिछ गई है. जानकारी के मुताबिक, औली में आधा फीट बर्फ की मोटी चादर बिछ गई है. इस बीच क्रिसमस का जश्न मनाने के लिए भी पर्यटक औली पहुंचने लगे हैं. जहां बर्फबारी का नजारा देखकर सैलानी काफी खुश हैं.
वहीं जम्मू-कश्मीर में बर्फबारी जारी है. केंद्र शासित राज्य के ऊंचाई वाले इलाकों में बर्फ की चादर बिछी हुई है. सोमवार को पीर पंजाल और सोनमर्ग में जमकर बर्फबारी हुई. इसी के साथ मौसम विभाग ने कई अन्य इलाकों के लिए भी अलर्ट जारी किया है.
घाटी में दिन और रात का तापमान लगातार गिर रहा है. श्रीनगर में रविवार रात तापमान माइनस 3.6 डिग्री दर्ज किया गया. इस बीच डल झील भी जम गई. जबकि पहलगाम में पारा माइनस 5 डिग्री सेल्सियस हो गया.
पर्वतीय गाँधी स्व. बड़ोनी की जन्मशती पर उत्तराखण्ड राज्य आंदोलनकारी मंच ने अर्पित की श्रद्धांजलि
देहरादून, पृथक उत्तराखण्ड राज्य आंदोलन के पुरोधा रहे पर्वतीय गाँधी स्व. इन्द्रमणि बड़ोनी की जन्मशती पर उत्तराखण्ड राज्य आंदोलनकारी मंच द्वारा उनकी प्रतिमा पर पुष्प माला चढ़ाकर श्रद्धा सुमन अर्पित किये।
पूर्व राज्य मन्त्री विवेकानन्द खंडूड़ी एवं प्रदेश अध्यक्ष जगमोहन सिंह नेगी के साथ ही राजपुर विधायक खजान दास ने प्रतिमा पर पुष्प चढ़ाते हुये कहा कि बडोनी जी ने गांधीवादी तरीके से इस आन्दोलन को दिशा दी , जिसमें सभी ने बढ़चढ़कर प्रतिभाग किया औऱ मात्र साढ़े छः वर्षों मेँ राज्य प्राप्त किया। हम सब मिलकर उनके सपनों को आगे बढ़ाने का कार्य करेंगे।
पूर्व राज्य मन्त्री रविन्द्र जुगरान एवं पिछड़ा वर्ग आयोग के अशोक वर्मा व मंच के सलाहकार ओमी उनियाल ने श्रद्धांजलि अर्पित करते हुये उनके योगदान को याद कर इन्द्रमणि बडोनी अमर रहें के नारे लगाते हुये कहा कि हम जल जंगल जमीन के साथ ही अपने प्रदेश को विशेषकर पहाड़ पर स्वास्थ्य शिक्षा औऱ रोजगार के साथ चौमुखी विकास की ओर बढ़ना हैं।
प्रदेश प्रवक्ता प्रदीप कुकरेती व सुलोचना भट्ट ने कहा कि हमारे प्रदेश के नेता व प्रसाशन के अधिकारियों ने कभी बडोनी पार्क की सुध नहीं ली औऱ ना ही वंहा पुष्प चढ़ाने की जहमत उठा पाते उनके सपनों के अनुसार ना स्थाई राजधानी , ना 371 की तर्ज पर सशक्त भू कानून , ना मूल निवास व अधिकार ना छोटी इकाइयों (जिलों) का गठन , ना गंभीरता के साथ पहाड़ पर बेहतरीन नीतियां बनाई गईं। ओमी उनियाल व पूरण सिंह लिंगवाल ने कहा कि राज्य आंदोलनकारी मंच प्रदेश हितों के लियॆ लगातार संघर्ष करता रहेगा चाहे मुजफ्फरनगर काण्ड के दोषियों को न्याय दिलाने की आवाज हो या लोकायुक्त लागू कराने की मांग हो या रोजगार शिक्षा के साथ बेहतरीन स्वास्थ्य की मांग हो। गौरतलब हो किस्वर्गीय बडोनी के जन्मदिन को संस्कृति दिवस के रूप में मनाया जाता हैं।
श्रद्धांजलि देने वालों में विवेकानन्द खंडूड़ी , जगमोहन सिंह नेगी , अशोक वर्मा , ओमी उनियाल , रवीन्द्र जुगरान , केशव उनियाल , जगमोहन सिंह नेगी , प्रदीप कुकरेती , पूरण सिंह लिंगवाल , संतन सिंह रावत , मोहन खत्री , अधिवक्ता शिवा वर्मा , नवीन नैथानी , मोहन शर्मा , हरी सिंह मेहर , सुरेश विरमानी , जबर सिंह पावेल , बिश्म्बर दत्त बौंठियांल , सुरेश कुमार , धनीलाल शाह , सुलोचना भट्ट , द्वारिका बिष्ट , राधा तिवारी , अरुणा थपलियाल , अधिवक्ता दुर्गा ध्यानी , प्रभात डण्डरियाल , नमन चन्दोला , मोहित डिमरी , लुसुन टोडरिया , इन्द्र सिंह रावत , विजय पाहवा , कर्नल सुनील कोटनाला , केप्टन विरेन्द्र बिष्ट , आशुतोष नेगी , प्रमिला रावत , मेजर संतोष भण्डारी , डा. प्रकाश चन्द्र , सी पी रतूड़ी आदि रहे ।
मिड-डे मील में छात्रों को परोसी जायेगी ईट राइट थाली
-भोजन की गुणवत्ता और पोषकता को ईट राइट अभियान से जुडेंगे सभी स्कूल
-खाद्य संरक्षा औषधि प्रशासन विभाग की ओर से सीमैट में दिया गया प्रशिक्षण
देहरादून, भोजन की गुणवत्ता और पोषकता को दृष्टिगत रखते हुये प्रदेशभर के स्कूलों में छात्र-छात्राओं को मिड-डे मील में ईट राइट थाली परोसी जायेगी। इसके लिये सभी राजकीय विद्यालयों को ईट राइट अभियान से जोड़ा जायेगा। अभियान के तहत सभी भोजनमाताओं और कैंटीन संचालकों को प्रशिक्षण दिया जायेगा ताकि विद्यालयों में हाईजीनिक फूड प्रणाली विकसित की जा सके।
यह बात प्रदेश के विद्यालयी शिक्षा मंत्री डॉ. धन सिंह रावत ने समग्र शिक्षा परिसर में खाद्य संरक्षा एवं औषधि प्रशासन विभाग, भारतीय खाद्य संरक्षा मानक प्राधिकरण तथा शिक्षा विभाग के तत्वाधान में आयोजित ईट राइट कार्यशाला के शुभारम्भ अवसर पर कही।
डा. रावत ने कहा कि अच्छी शिक्षा के साथ-साथ स्वच्छ, सुरक्षित व पोषक खाना बेहद जरूरी है। इसके लिये प्रदेभर के सभी राजकीय विद्यालयों को ईट राइट अभियान से जोड़ा जायेगा और विद्यालयों में संचालित कैंटीनों के संचालकों को एवं भोजनमाताओं को प्रशिक्षित किया जायेगा।
डॉ. रावत ने कहा कि विद्यालयों में हाईजीनिक फूड प्रणाली विकसित कर स्कूलों को ईट राइट कैम्पस में तब्दील किया जायेगा। उन्होंने कहा कि मिड-डे मील अभियान के तहत अब स्कूलों में बच्चों को ईट राइट थाली परोसी जायेगी जो पोषण से भरपूर होगी। जिसमें मिलेट्स व स्थानीय व्यंजन भी शामिल होंगे। उन्होंने कहा कि श्री अन्न में पोषक तत्व होने यह कई बीमारियों से बचाता खासकर क्षय रोग उन्मूलन में यह कारगर है। विभागीय मंत्री ने कहा कि ईट राइट अभियान के जरिये बच्चों और युवाओं को सही आहार की जानकारी दी जायेगी इसके लिये समय-समय पर स्कूलों में ईट राइट अभियान चलाये जायेंगे। साथ ही सभी स्कूलों में हेल्थ एंड वेलनेस एंबेसडर नियुक्त किये जायेंगे। डॉ. रावत ने खाद्य सुरक्षा एवं औषधि प्रशासन के सहायोग से भोजनमाताओं को खाद्य सुरक्षा विषय पर प्रशिक्षण को मिशन मोड में संचालित करने के निर्देश भी विभागीय अधिकारियों को दिये। साथ ही उन्होंने ऐसे विद्यालयों जहां मिड डे मील दिया जा रहा है उन्हें वर्ष 2025 तक ईट राइट स्कूल प्रमाणीकरण किये जाने के निर्देश भी अधिकारियों को दिये।
इस अवसर पर शिक्षा सचिव रविनाथ रमन ने कहा कि सही आहार क्या हो, इसकी जानकारी हर किसी को दी जानी चाहिए, आज भोजन को लेकर कई तरह की भ्रांतियां है। उन्होंने कहा कि हेल्दी लाइफ स्टाइल अपनाने के लिए बच्चों के बीच ही काम किए जाने की जरूरत है।
ईट राइट इंडिया मेले में आयोजित प्रदर्शनी में द ताज होटल, भारतीय पेट्रोलियम संस्थान, उत्तराखंड को-ऑपरेटिव डेरी फैडरेशन लि., भारतीय मानक ब्यूरो, खाद्य संरक्षा एवं औषधि प्रशासन, अक्षय पात्र फाउण्डेशन तथा उत्तरांश संस्था ने अपने-अपने स्टॉल लगाकर ईट राइट अभियान से जुड़ी जानकारियां साझा की।
कार्यक्रम में महानिदेशक विद्यालयी शिक्षा झरना कमठान, निदेशक बेसिक शिक्षा आर.के. उनियाल, निदेशक माध्यमिक शिक्षा एस.बी. जोशी, अपर निदेशक अजय नौडियाल, संयुक्त निदेशक विद्यालयी शिक्षा कुलदीप गैरोला, ईट राइट इंडिया के राज्य नोडल व उपायुक्त एफडीए उत्तराखंड गणेश कंडवाल, उप निदेशक भारतीय खाद्य सुरक्षा एवं मानक प्राधिकरण साहिल खान सहित अन्य विभागीय अधिकारी उपस्थित रहे।
जंतर-मंतर पर धमके उत्तराखंड़ी : पर्वतीय क्षेत्र को 5वीं अनुसूची में शामिल करने की रखी मांग
नई दिल्ली, देश की राष्ट्रीय राजधानी में एक बार फिर उत्तराखण्ड़ियों गर्जना सुनाई दी गयी, इस बार इकट्ठा हुये पर्वतीय लोगों का मकसद था उत्तराखंड के पर्वतीय क्षेत्र को पहले की भांति जनजातीय क्षेत्र घोषित कर संविधान की 5वीं अनुसूची में शामिल करना। उत्तराखंड एकता मंच के बैनर तले रविवार 22 दिसंबर को जंतर-मंतर दिल्ली के जंतर मंतर पर देश भर से आए पर्वतीय मूल के लोगों का कहना था कि उत्तराखंड के पर्वतीय क्षेत्र की , विषम भौगोलिक स्थिति में रोजगार के अभाव, वर्षा पर आधारित अलाभकारी खेती जैसे विभिन्न कारणों से व्यापक स्तर पर पलायन हो रहा है l हजारों गांव जनशून्य हो गए हैं।
उत्तराखंड एकता मंच के निशांत रौथाण ने कहा कि सन् 1972 से पहले पहाड़ में लागू थी 5वीं अनुसूची – पहाड़ में शेड्यूल डिस्ट्रिक्ट एक्ट 1874 लागू था, नॉन-रेगुलेशन सिस्टम लागू था, पहाड़ को 1935 में बहिष्कृत क्षेत्र घोषित किया गया था l यह तीनों जनजातीय कानून पहाड़ में भी लागू थे l आजादी के बाद देश में जिन भी इलाकों में यह कानून लागू थे उन इलाकों के मूलनिवासियों को भारत सरकार ने जनजातीय दर्जा देकर वहां 5वीं या 6वीं अनुसूची लागू की l लेकिन उत्तराखंड के पर्वतीय क्षेत्र को 5वीं अनुसूची का दर्जा देने की बजाए ये अधिकार 1972 में छीन लिए गए l
उन्होंने कहा भारत सरकार द्वारा किसी भी समुदाय को जनजातीय दर्जा देने के जो मानक निर्धारित किए गए हैं उन पर उत्तराखंड के पर्वतीय क्षेत्र के मूलनिवासी खरे उतरते हैं, उत्तराखंड एकता मंच के देहरादून कॉर्डिनेटर अश्वनी मैंदोला ने बताया की उत्तराखंड को छोड़ कर सम्पूर्ण हिमालय के मूलनिवासियों को जनजाति का दर्जा मिला हुआ है। यहां तक कि हिमाचल प्रदेश का 43% क्षेत्रफल भी 5वीं अनुसूची के अंतर्गत आता है। इतिहासकार प्रोफेसर अजय रावत ने कहा कि शताब्दियों तक यहां खसों का निवास था जिसकी पुष्टि ऐतिहासिक तथ्यों, सरकारी दस्तावेजों तथा यहां के सांस्कृतिक परिवेश से होती है। संपूर्ण हिमालय के जनजातीय समुदायों की तरह उत्तराखंड का आम जनमानस भी प्रकृति का उपासक है। इसीलिए आज भी पर्वतीय क्षेत्र के 90% लोग खस जनजाति की परपराओं का पालन करते हैं, वहीं महावीर राणा ने कहा कि दुनिया के अन्य जनजातीय क्षेत्रों की तरह उत्तराखंड के पहाड़ी क्षेत्र की संस्कृति प्रकृति पूजक आदिवासियों वाली है। यहां के फूलदेई, हरेला, खतड़ुआ, इगास बग्वाल, हलिया दसहरा, रम्माण, हिलजात्रा जैसे त्यौहार व उत्सव हों या कठपतिया, ऐपण कला, जादू-टोने पर विश्वास, लोक देवताओं का आह्वान, ऐतिहासिक व पौराणिक पात्रों के नाम पर ‘जागर’ या फिर वनों पर आधारित खेती व पशुपालन आदि का सामान्य जनजीवन में आज भी प्रचलन है। जो पहाड़ की जनजातीय परंपरा को दर्शाते हैं। लोक-व्यवहार में रचे-बसे ऐसे अनेक तत्व हम पहाड़ियों को जनजातीय श्रेणी का स्वाभाविक हकदार बनाते हैं।
अपने उद्बोधन में उत्तराखंड एकता मंच के संयोजक अनूप बिष्ट ने कहा कि रोजगार की तलाश में अपना पैतृक घर, गांव व अन्य सबकुछ छोड़कर शहरों की ओर जाने वाले अधिकांश पहाड़ी लोगों की शुरुआती अवधारणा थी कि वे एक दिन पहाड़ जरूर लौटेंगे लेकिन ऐसा बहुत कम हो पाया। ऐसे प्रवासियों में से ज्यादातर लोग वर्षों तक अपने गांव वापस नहीं जा पाते हैं। जिससे पहाड़ के हजारों गांव निर्जन हो गए हैं। यदि पहाड़ में 5 वीं अनुसूची लागू होती है तो देश भर 5के शहरों में रह रहे पहाड़ी रोजगार के साथ घर वापिसी करेंगे l लेफ्टिनेंट जनरल(सेनि.) गंभीर सिंह नेगी ने कहा कि उत्तराखंड का पर्वतीय क्षेत्र दो-दो अंतरराष्ट्रीय सीमाओं से घिरा हुआ है। इस दुर्गम क्षेत्र का जनविहीन होते जाना राष्ट्रीय सुरक्षा की दृष्टि से बहुत खतरनाक हो सकता है, यह एक महत्वपूर्ण विषय है, जिस पर राष्ट्रीय सुरक्षा की दृष्टि से ध्यान दिया जाना जरूरी है। कार्यक्रम में उपस्थित प्रताप नगर के विधायक विक्रम नेगी ने कहा की वो इस मुद्दे को प्राइवेट मेम्बर बिल के माध्यम से उत्तराखंड विधान सभा के अगले सत्र में रखेंगे ।
दिल्ली के जंतर मंतर पर हजारों उत्तराखंडी मूलनिवासियों ने उत्तराखंड के पर्वतीय क्षेत्र को जनजातीय क्षेत्र घोषित कर इसे संविधान की 5वीं अनुसूची में शामिल करने का प्रस्ताव पारित किया गया ताकि उत्तराखंड के जनप्रतिनिधि जल्द ही इस प्रस्ताव को उत्तराखंड विधानसभा में पास करवाएंगे।