Friday, May 16, 2025
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यदि पैन कार्ड अपडेट करा रहे हैं तो हो जाइए सावधान, योनो एप से पैन कार्ड अपडेट करने के नाम पर हो रही ठगी

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हल्द्वानी, पैन कार्ड अपडेट करा रहे हैं तो सावधान रहें। भारतीय स्टेट बैंक के योनो एप से पैन कार्ड अपडेट करने के नाम पर साइबर ठग लोगों को टारगेट कर रहे हैं। साइबर क्राइम पुलिस ने लोगों को जागरूक किया है। चेताया कि पैन कार्ड अपडेट के नाम पर कोई भी लिंक आए तो क्लिक न करें। साइबर अपराध को रोकने के लिए सभी जिलों में साइबर सेल बनाए गए हैं। इसके अलावा रुद्रपुर में साइबर क्राइम पुलिस का थाना है। जहां पर शिकायतें पंजीकृत की जाती हैं। पुलिस ने अपने फेसबुक पेज पर मैसेज कर बताया है कि भारतीय स्टेट बैंक के योनो एप से पैन कार्ड अपडेट किए जाते हैं। साइबर ठगों ने इसे अपने निशाने पर लिया है।

पैन कार्ड अपडेट करने के नाम पर लोगों के फोन पर लिंक आ रहे हैं। लिंक को खोलते ही ठगी हो रही है। इसलिए इससे बचने के लिए जागरूकता जरूरी है। साथ ही ठगी होने पर साइबर हेल्पलाइन नंबर 1930 को डायल करें या नजदीकी साइबर सेल में जाएं। जागरूकता ही साइबर अपराध से बचने का एकमात्र तरीका है। अधूरी जानकारी के मोबाइल में कोई लिंक को ओपन न करें। योनो एप से पैन कार्ड अपडेट करने के नाम पर ठगी हो सकती है। आयकर विभाग ने पैन कार्ड पर नाम बदलने की प्रक्रिया को आसान कर दिया है। अब पैन कार्ड यूजर्स घर बैठे ऑनलाइन ये कर सकते हैं। कई वजहों से कुछ लोग पैन कार्ड में अपना नाम बदलना चाहते हैं।

यूटीआईआईटीएसएल (यूटीआई इंफ्रास्ट्रक्चर टेक्नोलॉजी एंड सर्विसेज लिमिटेड) की आधिकारिक वेबसाइट पर जाना होगा।
अब पैन कार्ड सेवाओं और फिर पैन कार्ड में बदलाव/सुधार का चयन करें।
अगले स्टेप में ड्रॉप-डाउन मेनू से पैन कार्ड डिटेल में बदलाव/सुधार के लिए आवेदन करें चुनें।
अब आपको पैन डेटा पेज में परिवर्तन/सुधार के लिए आवेदन पर ले जाया जाएगा।
फिर आपको दो विकल्पों के बीच चयन करना होगा।
फिजिकल (फिजिकल दस्तावेजों के साथ आगे आवेदन) और डिजिटल (डिजिटल दस्तावेजों के साथ फॉरवर्ड एप्लीकेशन) (पेपरलेस)।
बाद का विकल्प यानी डिजिटल (पेपरलेस) चुनें।
अब ड्रॉप-डाउन मेनू से आधार-बेस्ड ई-केवाईसी विकल्प चुनें (निवासी का विवरण आधार संख्या के आधार पर यूआईडीएआई सर्वर से लिया जाता है)।
यह आधार-बेस्ड ई-साइन का उपयोग करके ऑटोमैटिक साइन इन करें का विकल्प का चयन करता है।
अब आप अपना पैन नंबर एंटर करें।
अब यह चुनना होगा कि क्या आप फिजिकल पैन कार्ड के साथ-साथ एक अपडेटेड पैन कार्ड (दोनों फिजिकल और ई-पैन) चाहते हैं) या सिर्फ एक ई-पैन चाहते हैं।
इसके बाद सबमिट बटन दबाएं।
अपनी सभी जरूरी जानकारी के साथ आवेदन पत्र भरें और आवश्यक भुगतान करें।
आधार ऑथेंटिकेशन यूआईडीएआई सर्वर से रीयल-टाइम बेसिस पर होगा, जिसके बाद आवेदन आगे प्रोसेस किया जाएगा।
ईकेवाईसी सर्विसेज के लिए आपके यूआईडीएआई रजिस्टर्ड मोबाइल नंबर पर ओटीपी भेजा जाएगा।
ओटीपी और सहमति देने के बाद जरूरी बॉक्स में यूआईडीएआई डेटाबेस से आपके पैन फॉर्म में पता भरा जाएगा।
इसके बाद आपको आवेदन डेटा को वेरिफाई करने के साथ-साथ दूसरे डिटेल देकर सबमिट करना होगा।
आपको ई-साइन के लिए एक और ओटीपी मिलेगा और ओटीपी दर्ज करने के बाद एप्लिकेशन पर आधार बेस्ड ई-सिग्नेचर किए जाएंगे।
आधार का उपयोग करके पैन कार्ड नाम परिवर्तन के लिए यूटीआईआईटीएसएल द्वारा आवेदन को सेव और प्रोसेस किया जाएगा।

 

श्रीदेव सुमन विवि की नई कार्य परिषद गठित, 13 सदस्यों को किया गया शामिल, 2 साल तक होगा कार्यकालHimalayan Discover | हर खबर पर पैनी नजर! पढ़िए हिमालयन डिस्कवर!

टिहरी (चंबा), श्रीदेव सुमन विवि की नई कार्य परिषद अस्तित्व में आ गई है। कुलाधिपति राज्यपाल ने कार्य परिषद (ईसी) के चार सदस्य नामित कर दिए हैं। कुलाधिपति की ओर से नामित ईसी के सदस्यों का कार्यकाल ये साल का होगा कार्य परिषद विवि का सर्वोच्च सदन होता है। इसी की मुहर लगने के बाद ही विवि कार्यक्रमों की रूपरेखा निर्धारित करता है।

पूर्व में गठित श्रीदेव सुमन विवि की कार्य परिषद के सदस्यों का कार्यकाल बीते 7 जनवरी को समाप्त हो गया था। विवि ने 13 सदस्यीय नई कार्य परिषद का गठन किया है। कुलाधिपति / राज्यपाल की ओर से श्रदेव सुमन विवि के लिए उत्तराखंड हाईकोर्ट के सेवानिवृत्त न्यायमूर्ति बीसी कांडपाल, एचबी टैक्नीकल विवि कानपुर के डॉ. अरुण मैठाणी, पंजाब विधि चंडीगढ़ के प्रो. राजीव के.पुरी, एचएनबी गढ़वाल विवि राजनीतिशास्त्र के विभागाध्यक्ष प्रो. एमएम सेमवाल को नामित किया गया है। जबकि उच्च शिक्षा में महत्वपूर्ण योगदान देने के लिए राज्य सरकार की ओर से प्रो. केडी पुरोहित को इसी का सदस्य नामित किया है।

राज्यपाल ने कार्य परिषद में चार सदस्य नामित किए

विवि के कुलपति प्रो. एमएस रावत ने बताया कि इसी में एक वरिष्ठ संकायध्यक्ष को नामित किया गया है। विवि की ओर से ऋषिकेश परिसर के विज्ञान संकायध्यक्ष प्रो. गुलशन कुमार डोंगरा को नामित किया गया है। जिनका एक वर्ष का कार्यकाल होगा। ऋषिकेश कैंपस के प्रो. आनंद प्रकश सिंह, डॉ भरत इक्षसह, डोईवाल महाविद्यालय के डॉ अनिल भट्ट को ईसी सदस्य बनाया गया है। जिनका कार्यकाल आगामी 9 जून तक होगा। इसके अलावा राजकीय महाविद्यालय नागनाथ पोखरी के प्राचार्य प्रो. पंकज पंत, राजकीय महाविद्यालय जयहरीखाल के प्राचार्य प्रो. एल राजवंशी, कॉलेज ऑफ एग्रीकल्चर एलाइड साइंस देहरादून के प्राचार्य प्रो. आरआर द्विवेदी आदि को इसी नामित किया गया है।

इटली के पीएम ने दिया ब्रिटेन-अमेरिका को झटका, अंग्रेजी के इस्तेमाल पर प्रतिबंध, उल्लंघन पर लगेगा भारी जुर्माना

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रोम। इटली के प्रधानमंत्री जॉर्जिया मेलोनी ने ब्रिटेन और अमेरिका को बड़ा झटका दिया है। प्रधानमंत्री मेलोनी की ब्रदर्स ऑफ इटली पार्टी ने नया कानून पेश किया है। इसके मुताबिक सरकारी कामकाज में अंग्रेजी भाषा के इस्तेमाल पर प्रतिबंध लगाने का फैसला किया गया है। इस कानून के लागू होने के बाद सरकारी कामकाज में अंग्रेजी भाषा का इस्तेमाल करने पर 1 लाख यूरो यानि 1,08,705 अमेरिकी डॉलर तक का जुर्माना भरना होगा। बता दें कि अंग्रेजी ब्रिटेन और अमेरिका में बोली जाने वाली प्रमुख भाषा है।

अब इटली में आधिकारिक संचार में किसी भी विदेशी भाषा विशेष रूप से अंग्रेजी के इस्तेमाल पर जुर्माना लगाया जाएगा। इटली के लोअर हाउस की नेता फैबियो रामपेली ने यह कानून पेश किया है। प्रधानमंत्री मेलोनी ने इसे पूरा समर्थन दिया है। कानून के प्रस्ताव के मुताबिक आधिकारिक संचार में किसी भी विदेशी भाषा के इस्तेमाल पर प्रतिबंध की बात कही गई है। मगर विशेष रूप से एंग्लोमेनिया यानि इंग्लिश पर प्रतिबंध को केंद्रित किया गया है। प्रस्ताव में यह भी कहा गया है कि विदेशी भाषा का इस्तेमाल इतालवी भाषा को नीचा दिखाता है। इससे अपमान भी महसूस होता है।

वह भी ऐसे समय में अंग्रेजी का इस्तेमाल हो रहा है ,जब ब्रिटेन अब यूरोपीय संघ का हिस्सा नहीं है। अब इस बिल को शीघ्र ही संसद में बहस के लिए लाए जाने की तैयारी है। इसके बाद इसे कानून का रूप दे दिया जाएगा। इसके लिए सार्वजनिक प्रशासन के क्षेत्र में इतालवी भाषा का एक कार्यालय खोलने की आवश्यकता भी बताई गई है, जहां लिखित, मौखिक ज्ञान पर इतालवी भाषा का अधिकार हो।

मसौदे के मुताबिक इटली में काम कर रही विभिन्न विदेशी कंपनियों में भी यह नियम लागू किया जाएगा, जहां आंतरिक नियमों, रोजगार अनुबंधों इत्यादि के लिए इतालवी भाषा का संस्करण होना चाहिए। यानी विदेशी कंपनियों को भी आधिकारिक संचार में इतालवी भाषा का ही इस्तेमाल करना होगा। प्रस्ताव में कहा गया है कि यह केवल फैशन की बात नहीं है, क्योंकि वह आता है और गुजर जाता है, लेकिन एंग्लोमेनिया यानी अंग्रेजी का प्रभाव पूरे समाज पर पड़ता है। इटली का अनुच्छेद 2 इतालवी भाषा को राष्ट्रीय क्षेत्र में सार्वजनिक वस्तुओं और सेवाओं के प्रचार और उपयोग के लिए अनिवार्य बनाने की शक्ति देता है। ऐसा नहीं करने पर 5000 यूरो यानी 5435 अमेरिकी डालर से लेकर 100000 यूरो के बीच जुर्माना लगाया जा सकता है।

मुख्य सचिव डॉ. एस.एस. संधु ने आयुर्वेद को बढ़ावा देने के लिए 6 दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम का किया शुभारम्भ

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हरिद्वार 3 अप्रैल ( कुलभूषण ) उत्तराखंड आयुर्वेद विश्वविद्यालय के मुख्य परिसर के प्रशासनिक भवन सभागार में उत्तराखंड विश्वविद्यालय एवं एचएनबी मेडिकल यूनिवर्सिटी के संयुक्त तत्वाधान में एवं एनएचएम द्वारा प्रायोजित एलोपैथिक चिकित्सा अधिकारियों के लिए छह दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम -प्रैक्टिकल ट्रेंनिंग ऑन आयुर्वेदा फॉर पी.एम. एच.एस. मेडिकल ऑफिसर टू प्रमोट वैलनेस कंसेप्ट विषय पर विशेष कार्यशाला का शुभारंभ उत्तराखंड शासन के मुख्य सचिव डॉ0 सुखवीर सिंह संधू, डॉ राजेश कुमार स्वास्थ्य सचिव, डॉ पंकज कुमार पांडे आयुष सचिव,प्रो0सुनील जोशी कुलपति उत्तराखंड आयुर्वेद विश्वविद्यालय, प्रोफ़ेसर हेमचंद्र कुलपति एचएनबी मेडिकल यूनिवर्सिटी देहरादून द्वारा प्रातः दीप प्रज्वलन एवं धन्वंतरी वंदना के साथ विधिवत कार्यक्रम का शुभारंभ किया गया। डॉ0 संधू ने कहा कि सभी चिकित्सा पद्धतियों का इक्वली सम्मान करना चाहिए। जहां इमरजेंसी टोमा, एक्सीडेंट इत्यादि में एलोपैथिक पद्धति का सारी दुनिया में कोई विकल्प नहीं है। वही प्रीवेंटिव एस्पेक्ट स्वास्थ्य रक्षण, दिनचर्या रितु चर्या रात्रिचर्,या स्वास्थ्यवर्धक आहार विहार औषधि, प्रकृति निर्धारण एवं बिना खर्च की नैदानिक पद्धतियां जैसे की नाड़ी परीक्षा इत्यादि मैं आयुर्वेदिक पद्धति श्रेष्ठ है आज दोनों पद्धतियों के इंटीग्रेशन की आवश्यकता है। उन्होंने कहा दोनों पद्धतियों सिनर्जी से हम कम्युनिटी के स्वास्थ्य रक्षण एवं चिकित्सा प्रबंधन में में बहुत अधिक अच्छा प्रयास कर सकते हैं। दोनों पद्धतियां मिलकर एक और एक होकर ग्यारह की तरह रिजल्ट दिखायेगी।मुख्य सचिव महोदय ने बहुत ही कम समय में प्रशिक्षण कार्यक्रम तैयार करने के लिए उत्तराखंड आयुर्वेद विश्वविद्यालय एवं एचएनबी यूनिवर्सिटी की कोर टीम की सराहना की। प्रोफेसर सुनील जोशी ने कहा की आयुर्वेद विज्ञान दुनिया का प्राचीनतम चिकित्सा विज्ञान है आयुर्वेद के स्वास्थ्य रक्षण संबंधी मौलिक सिद्धांतों, त्रिदोष, पंचमहाभूत, धातु, त्रिगुण, अष्टविथ नाड़ी आदि परीक्षाये, प्रकृति निर्धारण, दिनचर्या रितुचर्या, रात्रिचर्या, सद्वृत, स्वास्थ्यवर्धक आहार विहार एवं औषधियों आदि के माध्यम से हम अपने शरीर की इम्युनिटी को को इतना अच्छा बना सकते हैं कि किसी भी तरह की बीमारी के बैक्टीरिया या वायरस के संक्रमण होने पर हम मजबूती के साथ बीमारियों का प्रतिरोध कर सकें। आयुर्वेद एवं मर्म चिकित्सा के माध्यम से एंटीबायोटिक एवं औषधियों के उपयोग को कम किया जा सकता है। पहाड़ के दूरदराज के क्षेत्रों में स्वास्थ्य रक्षा के लिए एक महत्वपूर्ण उपादान साबित होगा। एचएनबी विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर हेमचंद ने कहा अपनी तरह का एक विशिष्ट कार्यक्रम है जिसको देश में पहली बार आयोजित किया जा रहा है। पब्लिक हेल्थ के प्रबंधन में यह कोर्स मील का पत्थर साबित होगा । भविष्य में इस तरह के प्रशिक्षण कार्यक्रम को 15 दिवसीय एक माह एवं सर्टिफिकेट एवं डिप्लोमा कोर्स आदि के आवश्यकता पर भी जोर दिया। आयुष सचिव डॉ पंकज पांडे, स्वास्थ्य सचिव डा0राजेश कुमार का स्वागत एवं सम्मान कुलसचिव प्रोफेसर अनूप गक्खड़ द्वारा किया गया। इस कार्यक्रम का सफल संचालन डॉ सरोज नैथानी डायरेक्टर एनएचएम द्वारा किया गया। इस प्रशिक्षण कार्यक्रम में 31 मेडिकल ऑफिसर ने प्रतिभाग किया। इस अवसर पर डीजी हेल्थ, स्वास्थ्य निदेशालय के संयुक्त निदेशक, डॉक्टर के एस नपच्याल, प्रो0 एचएम चंदोला, संयुक्त निदेशक आयुर्वेद, डॉक्टर के के पांडे, डॉ संजय गुप्ता, उप कुलसचिव, प्रोफेसर पंकज शर्मा कैंपस निदेशक गुरुकुल, प्रोफेसर डीसी सिंह कैंपस डायरेक्टर ऋषि कुल, डॉ नंदकिशोर दाधीचि, डॉ राजीव कुरेले, डॉ डीके सेमवाल, डॉ आशुतोष चौहान, चंद्रमोहन पैन्यूली ,विवेक जोशी आदि विश्वविद्यालय के बरिष्ठ शिक्षक एवं अधिकारीगण उपस्थित रहे। इस अवसर पर दून मेडिकल कॉलेज के इंटर्न एमबीबीएस डॉक्टर ने भाग लिया

पीएम मोदी से मिले सीएम धामी, जोशीमठ में भूधंसाव से प्रभावितों को राहत और विस्थापन कार्यों की दी जानकारी

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देहरादून, सीएम धामी ने नई दिल्ली में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से शिष्टाचार भेंट की। मुख्यमंत्री ने प्रधानमंत्री को चमोली के जोशीमठ क्षेत्र में भूधंसाव से प्रभावितों को राहत और विस्थापन कार्यों की जानकारी देते हुए कहा कि भूस्खलन एवं भू-धंसाव हेतु आर्थिक पैकेज रुपये 2942.99 करोड़ की आवश्यकता है। उक्त पैकेज में प्रभावितों को अस्थाई राहत और आवास व्यवस्था हेतु 150 प्री फॅब्रिकेटेड घरों का निर्माण, साइट डेवलपमेंट कार्य, प्रभावित भत्ता प्रमुख है। आवासीय एवं व्यवसायिक अवसंरचनाओं के मुआवजे, असुरक्षित जोन में आने वाले परिवारों की जमीनों के मुआवजे, प्रभावित व्यक्तियों के स्थायी पुनर्वास एवं भूमि के अधिग्रहण व विकास और प्रभावित विभागीय अवसंरचनाओं की मरम्मत व पुनर्स्थापना का कार्य सम्मिलित है। जोशीमठ के स्थरीकरण तथा पुनर्विकास का कार्य भी किया जाना है। राज्य सरकार द्वारा उत्तराखण्ड लैंडस्लाइड मिटिगेशन एंड मैनेजमेंट सेंटर स्थापित किया गया है, जो सेंटर ऑफ एक्सीलेंस के रूप में राष्ट्रीय स्तर पर भूमि धंसाव सुधार एवं प्रबंधन पर सलाह देगा। सेंटर ने जोशीमठ में कार्य करना आरम्भ कर दिया है, इसके द्वारा प्रभावित भू धसाव, आपदा प्रभावित जोखिम क्षेत्र का रोडमैप तैयार कर दिया गया है।

राज्य को जी-20 की तीन महत्वपूर्ण बैठकों का दायित्व दिए जाने पर धन्यवाद देते हुए कहा कि रामनगर में मुख्य वैज्ञानिक सलाहकार के वर्किंग ग्रुप की बैठक सफलतापूर्वक आयोजित की गई। मुख्यमंत्री ने प्रधानमंत्री मोदी को चारधाम यात्रा, आदि कैलाश और लोहाघाट स्थित मायावती आश्रम के लिए आमंत्रित किया। प्रधानमंत्री के साथ लगभग एक घंटे तक चली बैठक में मुख्यमंत्री ने राज्य के विकास से संबंधित विभिन्न विषयों पर चर्चा की और मार्गदर्शन प्राप्त किया। मुख्यमंत्री ने प्रधानमंत्री को मुनस्यारी की शॉल, उत्तराखंड में जी 20 के सफल आयोजन की कॉफी टेबल बुक, एक साल-नई मिसाल की कॉफी टेबल बुक, मिलेट और जागेश्वर धाम की प्रतिकृति भेंट की।

दाजी कहते हैं, “हम आयुर्वेद को वैज्ञानिक समर्थन के साथ दुनिया के बाकी हिस्सों में ले जा रहे हैं।”

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हरिद्वार 3 अप्रैल ( कुलभूषण ): पतंजलि विश्वविद्यालय को रविवार को योग गुरु पतंजलि के बाबा रामदेव जी की शुभ उपस्थिति में हार्टफुलनेस ध्यान के आध्यात्मिक मार्गदर्शक, संस्थापक – हार्टफुलनेस एजुकेशन ट्रस्ट एवं पद्म भूषण से सम्मानित दाजी द्वारा एक वार्ता और ध्यान सत्र की मेजबानी करने का दुर्लभ अवसर मिला। इस कार्यक्रम में पतंजलि आयुर्वेद के एमडी और सीईओ आचार्य बालकृष्ण जी और उत्तराखंड के शिक्षा मंत्री श्री धन सिंह राव जी भी मौजूद थे। यह कार्यक्रम विश्वविद्यालय के सभागार में आयोजित किया गया और इसमें पतंजलि फाउंडेशन के छात्रों और संकाय शोधकर्ताओं ने भाग लिया। श्रद्धेय दाजी के व्याख्यान के बाद दाजी द्वारा निर्देशित हार्टफुलनेस सफाई और ध्यान सत्र का आयोजन किया गया।

 

यह कार्यक्रम प्रतिभागियों को हार्टफुलनेस ध्यान योग के संपर्क में आने तथा चेतना के विकास और आध्यात्मिकता पर श्रद्धेय दाजी का मार्गदर्शन प्राप्त करने में सक्षम बनाने के लिए आयोजित किया गया था। श्रद्धेय दाजी ने कहा, “आयुर्वेद काम करता है, लेकिन पश्चिमी दुनिया को इसे प्रमाणों के साथ दिखाने के लिए हमें वैज्ञानिक आंकड़ों की आवश्यकता है, जो आप कर रहे हैं।” उन्होंने आगे कहा, “आत्मा के पोषण के लिए हम क्या करते हैं? प्राणस्य प्राणः। आत्मा का पोषण ईश्वर से मिलता है। जीवन की छोटी-छोटी चीजों से लेकर हम जो कुछ भी करते हैं, उसमें पूर्णता और संतुष्टि प्राप्त करना और सब कुछ करते हुए ईश्वर की याद बनाए रखना हमें उससे जुड़े रहने में मदद करता है। योग जीवन में सब कुछ सही और सकारात्मक कर देता है। अनुभव के बिना, हमारी मान्यताएँ उथली हो जाती हैं। मानव जीवन का उद्देश्य प्रगति करना (चेतना को विकसित करना) है। आत्मा पर पड़ी छापों को हटाने पर ही चेतना अच्छी तरह से आगे बढ़ती है। मानव शरीर विकसित नहीं होता है। यह केवल उम्रदराज़ होता है। इसलिए हमें अपनी चेतना, मन और आत्मा को देवत्व की ओर अग्रसर करने के लिए योग की आवश्यकता है। ध्यान को सहज और सुखमय बनाएँ, नहीं तो वह बोझ बन जाएगा। साधना का अभ्यास इस तरह करें कि दूसरे आपसे ईर्ष्या करें। अपनी बुद्धि को सोचने से महसूस करने तक – अंतर्ज्ञान से ज्ञान तक ले जाएँ। मेरी इच्छा है कि आप सभी उच्चतम अवस्था को प्राप्त करें और भगवान स्वयं को आपके सामने प्रकट करें।“

 

योग गुरु बाबा रामदेव जी ने कहा, “आज पूज्य दाजी ने हमें अपना आशीर्वाद और मार्गदर्शन दिया है। हमारे व्यवसाय, कार्य और सांसारिक जीवन का अपना स्थान है। लेकिन ध्यान और आत्मा जीवन की सच्चाई हैं। दाजी ने हमें इस संतुलन को प्राप्त करने के लिए प्रेरित किया है।”

 

आचार्य बालकृष्ण जी ने आगे कहा, “जब एक संतति सन्यासी बन जाता है, तो वह 21 पीढ़ियों के उद्धार में मदद करता है। लेकिन जब एक सन्यासी दिव्य हो जाता है, तो वह सारे संसार के उद्धार के लिए आता है। हम यह हमेशा याद रखेंगे कि हमें पूज्य दाजी के सुनहरे शब्दों को सुनने का सौभाग्य मिला था। आज दाजी की अत्यधिक श्रद्धेय और दिव्य उपस्थिति हमारे साथ है। हम दाजी का अनुसरण करने के बारे में सोचते हैं, लेकिन जब तक उन चुनौतियों पर, जिनका उन्होंने भी सामना किया होगा, काबू नहीं कर पाते हमारे लिए रास्ता खुलना शुरू नहीं होता। दृढ़ निश्चय करने वाले मार्ग की ठोकरें खाने के बाद सोने की तरह निखर जाते हैं।”

 

श्री धन सिंह राव जी – शिक्षा मंत्री, उत्तराखंड ने कहा, “आज यहाँ पूज्य दाजी और बाबा रामदेव जी जैसे महानायक एक साथ हैं। इस मौके पर हम इससे बेहतर और क्या चाह सकते थे। आयुर्वेद एक प्राचीन विज्ञान है जो हमें हमारे ऋषियों द्वारा दिया गया है। हमें गर्व होना चाहिए कि हार्टफुलनेस संस्थान और पतंजलि योगपीठ जैसी संस्थाओं ने हमारे पारंपरिक ज्ञान को वैज्ञानिक समर्थन के साथ दुनिया के बाकी हिस्सों में पहुँचाया है,”

 

उत्तराखंड पहुँचने के पहले श्रद्धेय दाजी भारत की राष्ट्रपति माननीया श्रीमती द्रौपदी मुर्मू द्वारा पद्म भूषण से सम्मानित किए जाने के क्रम में दिल्ली प्रवास पर थे। जिसके बाद भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद में उनका अभिनंदन किया गया। दिल्ली की अपनी यात्रा के दौरान उन्होंने अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान का भी दौरा किया, जहाँ उन्होंने न केवल वैज्ञानिक समुदाय के नेताओं और अधिकारियों से मुलाकात की, बल्कि उनकी यात्रा के कारण हार्टफुलनेस और एम्स के बीच एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर भी हुए।

 

हार्टफुलनेस के बारे में: हार्टफुलनेस, ध्यान के अभ्यासों और जीवन शैली में बदलाव का एक सरल संग्रह प्रदान करता है। इसकी उत्पत्ति बीसवीं शताब्दी के आरम्भ में हुई और भारत में 1945 में श्री राम चंद्र मिशन की स्थापना के साथ इसे औपचारिक रूप दिया गया, जिसका उद्देश्य था एक एक करके हर हृदय में शांति, ख़ुशी और बुद्धिमत्ता लाना। ये अभ्यास योग का एक आधुनिक रूप हैं जिनकी रचना एक उद्देश्यपूर्ण जीवन की दिशा में पहले कदम के रूप में संतोष, आंतरिक शांति और स्थिरता, करुणा, साहस और विचारों में स्पष्टता लाने के लिए की गई है। वे सरल और आसानी से अपनाए जाने योग्य हैं और जीवन के सभी क्षेत्रों, संस्कृतियों, धार्मिक विश्वासों और आर्थिक स्थितियों के लोगों के लिए उपयुक्त हैं, जिनकी उम्र पंद्रह वर्ष से अधिक है। हार्टफुलनेस अभ्यासों में प्रशिक्षण हजारों स्कूलों और कॉलेजों में चल रहा है, और 100,000 से अधिक पेशेवर दुनिया भर में कॉर्पोरेट निगमों, गैर-सरकारी और सरकारी निकायों में ध्यान कर रहे हैं। 160 देशों में 5,000 से अधिक हार्टफुलनेस केंद्रों का हजारों प्रमाणित स्वयंसेवी प्रशिक्षकों और लाखों अभ्यास करने वालों द्वारा संचालन किया जाता है।

शैक्षिक उन्नयन एवं विभिन्न क्रियाकलापों के लिए बैठक आयोजित

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गजा (डी पी उनियाल )नरेन्द्र नगर प्रखंड के शिखर स्कालर्स एकेडमी हाई स्कूल गजा में विगत शिक्षा सत्र के विभिन्न क्रियाकलापों एवं नये शैक्षिक सत्र में शैक्षिक उन्नयन हेतु अध्यापक अभिभावक संघ की बैठक आयोजित की गई, अभिभावकों के साथ बैठक करते हुए प्रधानाचार्य कुंवर सिंह खाती ने कहा कि अभिभावक ही वह रीढ़ है जिसके सहयोग के वगैर गुणवत्ता परक शिक्षा का वातावरण तैयार नहीं किया जा सकता है, उन्होंने सभी अभिभावकों का आभार व्यक्त किया तथा कहा कि विद्यालय में विगत शिक्षा सत्र का परीक्षाफल शत प्रतिशत रहा है, अभिभावक संघ के अध्यक्ष गजेन्द्र सिंह खाती ने अपने सम्बोधन में कहा कि विद्यालय लगातार बेहतरीन तरीके से शैक्षिक उन्नयन हेतु प्रयास कर रहा है इसमें शिक्षकों की भूमिका अहम है, विगत शिक्षा सत्र में हाई स्कूल परीक्षा परिणाम शत प्रतिशत रहने तथा बोर्ड परीक्षा परिणाम में जनपदीय मेरिट लिस्ट में छात्र छात्राओं के स्थान प्राप्त करने पर सभी शिक्षकों ने महत्वपूर्ण योगदान दिया है, उपाध्यक्ष दिनेश प्रसाद उनियाल ने कहा कि शैक्षिक उन्नयन हेतु हम सभी को प्रयास करना होगा ,इसमें अभिभावकों की जिम्मेदारी अधिक है, राज्य स्तरीय खेल प्रतियोगिता में विद्यार्थियों का चयन होना दर्शाता है कि पठन पाठन के साथ ही विद्यालय अन्य क्रियाकलापों में भी आगे है , विगत शिक्षा सत्र की शैक्षणिक गतिविधियों की प्रगति आख्या शिक्षक आदित्य उनियाल ने अभिभावकों के सम्मुख प्रस्तुत की , उन्होंने कहा कि विद्यार्थी को शिक्षक व अभिभावक दोनों के सपोर्ट की जरूरत होती है, विद्यालय में खेल संसाधनों को बढ़ाने का प्रयास किया जा रहा है , इस अवसर पर उप प्रधानाचार्य ललित सेमवाल, राजबीर सिंह चौहान, राजबीर सिंह खाती , श्रीमती कांता सजवाण, प्रियंका चौहान सहित सभी शिक्षक, शिक्षिकाएं व अभिभावक उपस्थित रहे।

उत्तराखण्ड के राजकीय विश्वविद्यालयों से सम्बद्ध महाविद्यालयों एवं संस्थानों की सम्बद्धता प्रक्रिया हुई ऑनलाइन

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देहरादून, उत्तराखण्ड के राजकीय विश्वविद्यालयों से सम्बद्ध महाविद्यालयों एवं संस्थानों की सम्बद्धता प्रक्रिया को सुगम एवं प्रभावी बनाये जाने के दृष्टिगत राज्यपाल लेफ्टिनेंट जनरल गुरमीत सिंह (से नि) ने सोमवार को राजभवन में ‘उत्तराखण्ड कॉलेज एफिलिएशन पोर्टल’ का शुभारंभ किया। इस पोर्टल के शुभारंभ से सम्बद्धता देने वाले 05 विश्वविद्यालयों हेमवती नंदन बहुगुणा उत्तराखण्ड चिकित्सा शिक्षा विश्वविद्यालय, कुमाऊँ विश्वविद्यालय, वीर माधो सिंह भण्डारी उत्तराखण्ड प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय, सोबन सिंह जीना विश्वविद्यालय और श्री देव सुमन उत्तराखण्ड विश्वविद्यालय की सम्बद्धता प्रक्रिया ऑनलाइन मोड़ में सम्पादित की जायेगी।

इस पोर्टल के शुभारंभ के अवसर पर राज्यपाल ने कहा कि सम्बद्धता प्रक्रिया को पारदर्शी, समयबद्ध एवं सुगम बनाये जाने के लिए इस पोर्टल को लांच किया गया है। उन्होंने कहा कि इस प्रक्रिया से विश्वविद्यालयों, महाविद्यालयों एवं संस्थानों के अधिकारियों एवं कर्मचारियों को अनावश्यक रूप से भागदौड़ से बचा जा सकेगा और मानव श्रम की भी बचत होगी। इससे संस्थान, विश्वविद्यालय और राजभवन स्तर पर सम्बद्धता प्रस्तावों की स्थिति को मॉनीटर किया जा सकेगा। उन्होंने कहा की पोर्टल के लांचिग से राजभवन सहित विश्वविद्यालयों में ऑनलाइन कार्य संस्कृति को बढ़ावा दिए जाने को प्रयास किया जा रहा है।

राज्यपाल ने कहा कि वर्तमान समय में किसी भी कार्य के लिए तकनीकी और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का प्रयोग जरूरी है। उन्होंने कहा कि राजभवन सहित विश्वविद्यालय में अधिक से अधिक सेवाओं को ऑनलाइन और पेपरलैस करने का प्रयास किया जा रहा है। इस अवसर पर सचिव श्री राज्यपाल रविनाथ रामन ने कहा कि विश्वविद्यालय स्तर पर उच्चाधिकारियों की ट्रेनिंग करा दी गई है। इसके बाद विश्वविद्यालय के कार्मिकों जिनके द्वारा संचालन किया जाना है, को प्रशिक्षण दिया जाएगा। सचिव ने कहा कि पोर्टल को लांच किया गया है इसके संचालन में जो भी व्यावहारिक कठिनाईयां आएगी उस पर संस्थान एवं विश्वविद्यालय अपना सुझाव दें जिसे यथाशीघ्र दूर किया जाएगा।

कार्यक्रम में अपर सचिव श्री राज्यपाल स्वाति एस. भदौरिया, कुलपति कुमाऊँ विश्वविद्यालय प्रो0 एन.के.जोशी, कुलपति वीर माधो सिंह भण्डारी उत्तराखण्ड प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय प्रो0 ओंकार सिंह, कुलपति सोबन सिंह जीना विश्वविद्यालय प्रो0 जगत सिंह बिष्ट, कुलपति श्री देव सुमन उत्तराखण्ड विश्वविद्यालय प्रो0 महावीर सिंह रावत, संबंधित विश्वविद्यालयों के कुलसचिव, वित्त नियंत्रक डॉ0 तृप्ति श्रीवास्तव, उप सचिव एन.के. पोखरियाल, अनुभाग अधिकारी सचिन चमोली आदि उपस्थित रहे।

उत्तराखण्ड एसटीएफ की बड़ी कामयाबी, पश्चिमी बंगाल से पकड़ लाये अनोखा साईबर ठग

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रिटायर्ड चिकित्सक से ट्रेजरी अधिकारी बनकर था लिये थे साढ़े दस लाख रुपये।

देहरादून, हल्द्वानी, जनपद नैनीताल निवासी रिटायर्ड चिकित्सक श्री हरीश लाल द्वारा थाना कोतवाली हल्द्वानी में अज्ञात कालर व्यक्ति द्वारा स्वयं को TREASURY OFFICER बताकर वादी के पेंशन देयकों के भुगतान के नाम पर कुल रू0 10,50,000 की धोखाधड़ी किये जाने के संबंध दिनांक 26-10-2022 को अभियोग पंजीकृत कराया गया था. जिसकी विवेचना थाना कोतवाली हल्द्वानी से साईबर क्राईम पुलिस स्टेशन कुमाऊँ परिक्षेत्र रूद्रपुर को स्थानान्तरित हुयी थी।
विवेचना से एसटीएफ को जानकारी मिली कि जो धनराशि साईबर ठगों द्वारा ठगी गयी है उसे कोलकता और बिहार में विभिन्न एटीएम से निकाला गया है। इस पर एक टीम को तत्काल कोलकता और बिहार. भेजा गया । वहां पर इस टीम द्वारा 15 दिन तक एटीएम कैश विड्रॉल सीसीटीवी फुटेज व अन्य सम्भावित पतों पर छानबीन की गयी और अभियुक्त की गिरफ्तारी हेतु बिहार के हाजीपुर, वैशाली आदि जनपदों में और पश्चिम बंगाल के कोलकता शहर के कई इलाकों में छापे मारी की गयी तो इस घटना में अभिषेक शॉ पुत्र अरुण शॉ नि० विदुपुर थाना बिदुपुर जनपद वैशाली बिहार को पश्चिम बंगाल क्षेत्र थाना कस्बा कोलकता क्षेत्र में स्थित उसके फ्लैट से गिरफतार किया गया तथा उसके कब्जे से घटना में प्रयुक्त सिम कार्ड्स, मोबाईल फोन्स, डेबिट कार्ड्स बरामद किये गये हैं।गिरफ्तार होते ही साईबर ठग बोला “सोचा नहीं था कि कोई उसे पकड़ सकता है” |  LOKPAKSH हमारा उत्तराखण्ड

पकड़े गये साईबर ठग को पूर्व में भी कोलकाता पुलिस द्वारा साईबर ठगी के आरोप में जेल भेजा जा चुका है। परन्तु जेल से छूटने के बाद साईबर ढंग अभिषेक अपने काम को और भी शांतिर तरीके से करने लगा और पुलिस से बचने के तरह तरह के हथकण्डे प्रयोग करता था परन्तु एसटीएफ की साईबर पुलिस की टीम द्वारा पिछले 15 दिन से अधिक समय तक कोलकता में रहकर जानकारी जुटायी गयी और इस ठग को कोलकता शहर के करने से गिरफ्तार कर ट्रांजिट रिमाण्ड प्राप्त कर उत्तराखण्ड ले आयी है।उत्तराखण्ड एसटीएफ द्वारा अपनी गिरप्तारी से साईबर ठग हैरान रह गया और पूछताछ में बताने लगा कि वो जेल से आने के बाद बहुत ही सावधानी से अपना ठगी का काम कर रहा था ताकि कोई उसे पकड़ न सके।

पकड़े गये साईबर ठग द्वारा देश में अन्य लोगों के साथ भी साईबर ठगी को अंजाम दिये जाने की आशंका है जिसकी जानकारी अन्य राज्यों की पुलिस के साथ संपर्क कर जुटायी जा रही है। इस केस के सफल अनावरण में एएसआई सत्येन्द्र गंगोला व का० मो० उस्मान की उल्लेखनीय भूमिका रही।

अपराध करने का तरीका:
आरोपी ने पूछताछ पर बताया कि उनके द्वारा रिटायर्ड लोगों को फोन काल कर ट्रेजरी आफीसर के रूप में बातचीत की जाती है और फिर उनके व्हाट्सएप पर पेंशन भुगतान संबंधी फार्मेट भेजे जाते हैं तथा पेंशन के समस्त देयकों का भुगतान करवाने के झांसे में लेकर उनके मोबाईल का एक्सेस लेकर सिम स्वेपिंग कर ली जाती है और इसके बाद उनके इण्टरनेट बैंकिंग का एक्सेस लेकर धनराशि विभिन्न खातों में ट्रांसफर करवा ली जाती है* तथा विभिन्न खातों में इण्टरनेट बैंकिंग के जरिये मोबाईल नम्बर बदलकर धनराशि प्राप्त कर ली जाती है। अभियुक्त नेटवर्क मार्केटिंग में काम कर चुका है। जिसकी वजह से बातचीत करने व लोगों को कन्विंस करने में एक्सपर्ट है। जिस कारण से आसानी से लोग उसके झांसे में आ जाते हैं।

गिरफ्तार व्यक्ति का नाम व पता-
अभिषेक शॉ पुत्र श्री अरुण शॉ निवासी 54 हरीश मुखर्जी रोड, भवानीपुर थाना कालीघाट कोलकाता 700025 हाल निवासी 5/1 ए. डॉ० जी०एस० बोस रोड़, पुलिस स्टेशन कस्बा कोलकाता मूल निवासी ग्राम बिदुपुर थाना बिदुपुर जिला वैशाली बिहार उम्र 22 साल ।

बरामदगी–

1- मोबाईल फोन एप्पल 14 प्रो- 01.
2- मोबाईल फोन रियलमी- 01
3-सिम कार्ड्स- 16
4- डेबिट कार्ड्स – 06

राष्ट्रीय हैकथॉन में कोड क्रैक कर छात्रों ने जीता 50 हजार का इनाम

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देहरादून, आधुनिक दौर में कोडिंग में बादशाहत हासिल करने की चाहत हर कंप्यूटर साइंस के छात्र की होती है और सपनों की इसी चाहत को पूरा करने के उद्देश्य से देवभूमि उत्तराखंड यूनिवर्सिटी में राष्ट्रीय लाक्षागृह हैकथॉन प्रतियोगिता का आयोजन किया गया, जिसमें विजेता रही देवभूमि उत्तराखंड यूनिवर्सिटी की टीम को 50 हज़ार रुपये प्रदान किये गए |देवभूमि उत्तराखंड यूनिवर्सिटी में स्कूल ऑफ़ इंजीनियरिंग एंड कंप्यूटिंग द्वारा दो दिवसीय राष्ट्रीय लाक्षागृह हैकथॉन प्रतियोगिता आयोजित की गयी, जिसका उद्देश्य छात्रों को चुनौतीपूर्ण माहौल देना था, ताकि वो अपनी तकनीकी सोच को बेहतर ढंग से प्रस्तुत कर सकें और साथ ही टीम भावना के साथ समस्याओं से निपटने का समाधान ढूंढ सकें| प्रतियोगिता के उद्घाटन अवसर पर स्कूल ऑफ़ इंजीनियरिंग एंड कंप्यूटिंग की डीन डॉ. रितिका मेहरा ने कहा कि आज कोडिंग आधुनिक युग की ज़रुरत बन चुकी है, जिसके चलते कोडिंग के क्षेत्र में संभावनाओं के द्वार भी खुले हैं और साथ ही चुनौतियां भी बढ़ गयी हैं| लाक्षागृह हैकथॉन का उद्देश्य भी यही है कि छात्रों को चुनौतीपूर्ण वातावरण में टीम भावना के साथ लक्ष्य को भेदते हुए आगे बढना सिखाया जा सके| इस दौरान देशभर से 50 टीमों ने हिस्सा लिया, जिनमें देवभूमि उत्तराखंड यूनिवर्सिटी सहित चंडीगढ़ यूनिवर्सिटी, ट्रांस्लैम ग्रुप ऑफ़ इंस्टीट्यूशंस मेरठ, उत्तराँचल यूनिवर्सिटी आदि शामिल रहे और टीम भावना का परिचय देते हुए अपने दिमाग के घोड़े दौड़ाए | फाइनल में पहुंची टीमों को निर्धारित समय के अंदर कोड क्रैक करना था, जिसमें बाज़ी मारते हुए देवभूमि उत्तराखंड यूनिवर्सिटी की टीमों ने पहले तीनों स्थानों पर कब्ज़ा जमाया | पहले स्थान पर देवभूमि उत्तराखंड यूनिवर्सिटी की ‘द एस स्कवाड’ टीम रही, जिसे 50 हज़ार रुपये की राशि प्रदान की गयी | जबकि दूसरे स्थान पर रही ‘एस्कवायर’ टीम को 6 हज़ार रुपये और तीसरे स्थान पर रही ‘पाइड पाईपर्स’ की टीम को 3 हज़ार रुपये प्रदान किये गए | इस अवसर पर देवभूमि उत्तराखंड यूनिवर्सिटी के उपकुलपति डॉ. आरके त्रिपाठी ने विजेताओं को पुरस्कृत करते हुए उनके उज्ज्वल भविष्य की कामना की | इस दौरान शिक्षक और छात्रों सहित अन्य गणमान्य व्यक्ति उपस्थित रहे |

पर्यावरण की रक्षा के लिये पुस्तकोउपहार महोत्सव केंद्रीय विद्यालय बीरपुर में सम्पन्न 

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देहरादून, केंद्रीय विद्यालय बीरपुर में पर्यावरण की रक्षा तथा वृक्षों को बचाने के लिये पुस्तक उपहार योजना के तहत आज विद्यालय के बच्चों ने एक दूसरे को पुस्तकें भेंट की !
नवीन शैक्षिक सत्र में विद्यालय के बच्चों ने उत्तीर्ण होने के बाद अपनी पुस्तकें दूसरी कक्षाओं के बच्चों को प्रदान की !
पुस्तक उपहार योजना के अवसर पर विद्यालय   की प्रिंसिपल बसंती खम्पा ने केंद्रीय विद्यालय संगठन की पेड़ बच्चाओ अभियान की मुहिम का महत्व बताते हुए आज इस योजना का विद्यालय में शुभारंभ किया !
उन्होंने कहा कि पेड़ हमें स्वच्छ वातावरण प्रदान कर स्वस्थ जीवन प्रदान करते हैं इसलिये हम सबको पर्यावरण की रक्षा करनी चाहिये , किताबों के आदान प्रदान से हम सब मिलकर पेडों की रक्षा कर सकते है !
विद्यालय के अधिकांश बच्चों ने इस अभियान में भाग लेकर पर्यावरण संरक्षण का संदेश दिया !
इस अवसर पर पुस्तकालय प्रभारी उर्मिला बामरु , सीमा श्रीवास्तव, एम एस रावत , अन्नू थपलियाल , मनीषा धस्माना एवं डी एम लखेड़ा आदि शिक्षकों ने इस योजना के प्रति बच्चों को जागरूक किया !May be an image of 9 people, people standing and outdoors