Saturday, May 17, 2025
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ब्रेकिंग : कमरे में संदिग्ध हालातों में मृत पाए गए खेल अधिकारी, विभाग में मचा हड़कंप

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बागेश्वर, कुमाऊं मंडल के बागेश्वर जनपद के जिला क्रीड़ा अधिकारी सीएल वर्मा अपने कमरे में मृत पाए गए हैं। जिसके बाद जिले के खेल विभाग में हड़कंप मचा हुआ है।
दरअसल आज सवेरे जब बहुत देर तक सीएल वर्मा अपने कार्यालय नहीं पहुंचे तो कार्यालय से कुछ कर्मचारी उनके आवास पर पहुंचे, वर्मा अपने आवास पर चारपाई पर लेटे हुए थे। कर्मचारियों ने जब उन्हें जगाना चाहा तो वह नहीं उठे, इसके बाद कर्मचारियों ने नजदीक जाकर देखा तो सीएल वर्मा की मौत हो चुकी थी। यह देखकर वहां मौजूद कर्मचारियों में हड़कंप मच गया। कर्मचारियों की ओर से अपने वरिष्ठ अधिकारियों को कार्यालय में जानकारी दी गई और पुलिस को भी सूचना दी गई। इसके बाद पुलिस मौके पर पहुंची और पुलिस मौत के कारणों की जांच कर रही है।

 

धारचूला के थर्ड डान ब्लेक बैल्ट धर्म सिंह बिष्ट बने ताइक्वांडो के राष्ट्रीय कोच, क्षेत्र में खुशी की लहर, किया जाएगा सम्मानित

धारचूला के थर्ड डान ब्लेक बैल्ट धर्म सिंह बिष्ट बने ताइक्वांडो के राष्ट्रीय  कोच ,क्षेत्र में खुशी की लहर, किया जाएगा सम्मानित। - News Home Live ...

पिथौरागढ़ (धारचूला), उत्तराखंड़ ताइक्वांडो एसोसिएशन से 15 वर्षों से संबद्ध होकर सीमांत क्षेत्र में ताइक्वांडो का अलख जगा रहे ताइक्वांडो प्रशिक्षक थर्ड डान ब्लेक बैल्ट की उपाधि प्राप्त धर्म सिंह बिष्ट को राष्ट्रीय कोच का सर्टिफिकेट प्राप्त हो गया है। खेल प्रेमियों ने इस उपलब्धि पर धर्म सिंह को शीघ्र ही सम्मानित करने का फैसला भी लिया है।
इसकी खबर लगते ही सीमांत के खेल प्रेमियों में खुशी की लहर व्याप्त है। धर्म सिंह बिष्ट ग्राम पंचायत पांगला के निवासी है।
ताइक्वांडो के कैरियर में धर्म सिंह बिष्ट ने खेलते हुए थर्ड डान ब्लेक बैल्ट की उपाधि प्राप्त की है। यह उपाधि उसी ताइक्वांडो खिलाड़ी को दिया जाता है,जो तीन बार ब्लैक बेल्ट का खिताब पा लेता है।
धर्म सिंह ने मानसरोवर क्लब बनाकर धारचूला स्टेडियम में बच्चों को ताइक्वांडो का प्रशिक्षण देने का बीड़ा उठाया था।आज धारचूला के सैकड़ों बच्चे ताइक्वांडो के दुनिया में अपना नाम रोशन कर रहे है।
धर्म सिंह बिष्ट ने ताइक्वांडो में उच्च प्रशिक्षण प्राप्त करने के बाद अपने गृह क्षेत्र धारचूला में बच्चों के साथ ताइक्वांडो प्रशिक्षण की शुरुआत की। प्रारंभ के दिनों में कठिनाइयों से जूझते हुए धर्म सिंह ने आज उत्तराखंड के ताईक्वांडो के क्षेत्र में अपनी पहचान बना ली है।
धर्म सिंह आज ताइक्वांडो का दूसरा नाम बन कर सीमांत क्षेत्र के नाम को रोशन कर रहे है।
एशिया के सबसे बड़े भारतीय खेल प्राधिकरण साईबेंगलुरु से एन.आई. एस.कोचिंग के लिए धारचूला के
ताईकवांडो प्रशिक्षक धर्म सिंह बिष्ट का चयन टेस्ट देने के बाद जून 2023 को हुआ। इस प्रशिक्षण के लिए वही पात्र हो सकता है,जो अंतरराष्ट्रीय खिलाड़ी तथा स्नातक की पात्रता रखता हो।
धर्म सिंह बिष्ट ने 10 जून से 28 जून तक प्रशिक्षण प्राप्त किया। प्रशिक्षण में धर्म सिंह को बदलती खेल की तकनीकी से प्रशिक्षित गया है। आने वाले समय में ताईक्वांडो के खिलाड़ियों को इसका लाभ मिलेगा। इस प्रशिक्षण के बाद आ जाए परिणाम में धर्म सिंह बिष्ट ने राष्ट्रीय कोच का सर्टिफिकेट प्राप्त कर लिया है।
सीमांत क्षेत्र के इस नौजवान को राष्ट्रीय कोच का सर्टिफिकेट मिलने के बाद ताइक्वांडो के क्षेत्र में एक नई उमंग देखने को मिल रही है।
इस क्षेत्र के खेल प्रेमी प्रेमियों के अलावा जिला पंचायत सदस्य जगत मर्तोलिया आदि ने प्रसन्नता व्यक्त करते हुए धर्म सिंह बिष्ट को बधाई एवं शुभकामनाएं दी है।
उन्होंने बताया कि शीघ्र ही खेल प्रेमियों द्वारा धर्म सिंह को सम्मानित किया जाएगा ताकि धर्म सिंह के अनुभव को सुनकर नई पीढ़ी ताइक्वांडो को अपना कैरियर बना सके।
उन्होंने कहा कि इससे इस क्षेत्र के युवाओं को एक नई राह मिलेगी। यह सीमांत क्षेत्र के लिए एक नई उपलब्धि है।

 

एम्स सोशल आउटरीच ने किया वेलनेस टीम का गठन, मरीजों को मिलेगा भावनात्मक सहयोग

ऋषिकेश (ओम रतूड़ी), एम्स ऋषिकेश सोशल आउटरीच सेल द्वारा गठित “वेलनेस टीम “ अब अस्पताल परिसर में परेशान व पीड़ा से ग्रसित रोगियों का सहारा बनेगी और ऐसे मरीजों को भावनात्मक सहयोग प्रदान करेगी।

सोशल आउटरीच सेल ने एम्स अस्पताल में आने वाले बुजुर्ग,दिव्यांग जनों तथा दूर -दराज से आने वाले मरीजों के सुख -दुःख का साथी बनने तथा उन्हें बीमारी की अवस्था में भावनात्मक रूप से सहयोग देने के लिए वेलनेस टीम का गठन किया है।

एम्स की कार्यकारी निदेशक प्रोफेसर (डॉ.) मीनू सिंह द्वारा बताया गया कि एम्स में दिन प्रतिदिन वाह्य रोगी विभाग (ओ.पी.डी.) में आने वाले मरीजों की संख्या निरंतर बढ़ती जा रही है, जिसमें दूर-दराज से आने वाले मरीज की संख्या अधिक है। साथ ही जब किसी परिवार का कोई सदस्य बीमार हो जाता है तो इससे परिवार के सभी सदस्य मानसिक एवं शारीरिक तौर पर किसी न किसी रूप में प्रभावित होते हैं। ऐसी स्थिति में परिवार को संबल देने व बीमार व्यक्ति व उनके पारिवारिक जनों की सहायता करने के लिए तो इस प्रभावित दौर को कम करने के उद्द्देश्य से वेलनेस टीम का विधिवत गठन किया गया है। गठित टीम में वरिष्ठ नागरिक कल्याण संगठन के सदस्यों को खासतौर से शामिल किया गया है। वेलनेस टीम के सदस्य एम्स ऋषिकेश परिसर के अंदर कार्य करने के साथ साथ भारत सरकार एवं राज्य सरकार की स्वास्थ्य योजनाओं से लोगों को लाभान्वित करने हेतु जागरूक करेंगे व उन्हें आयुष्मान भारत योजना का लाभ,जन औषधि केंद्र से दवाई उपलब्ध कराने,नए पंजीकरण के कार्य में अपना सहयोग प्रदान करेंगे।

डीन एकेडमिक्स प्रोफेसर (डॉ.) जया चतुर्वेदी द्वारा बताया गया कि किसी व्यक्ति को सामजिक, व्यवहारिक,मानसिक, शारीरिकतौर पर स्वस्थ्य रहना अति आवश्यक है। इस वेलनेस टीम के सदस्य अपने जीवन में अलग-अलग क्षेत्रों में कार्य कर चुके हैं। जिनका अनुभव एवं सहयोग एम्स में आने वाले असहाय लोगों अथवा जिन रोगियों के साथ कोई भी तीमरदार नहीं रहता है, उनके दुख को कम करने के लिए संपूर्ण सहयोग प्राप्त होगा। इसके साथ ही जेरियाट्रिक मेडिसिन विभाग की हेड डॉ. मीनाक्षी धर ने कहा कि सीनियर सिटीजन्स की वेलबीइंग के लिए उनका विभाग पूर्णतः समर्पित है ।

संस्थान के वेलनेस एक्सपर्ट और सोशल आउटरीच सेल के नोडल अधिकारी डॉ. संतोष कुमार ने बताया कि एक अध्ययन के तहत ३० से ४० फीसदी मरीज जीवन में अपरिहार्य कारणों से उत्पन्न तनाव,गृहक्लेश तथा अनावश्यक कारणों से परेशान रहते हैं, जिससे इनकी बीमारी की पीड़ा कई गुना अधिक बढ़ जाती है।

डॉ. संतोष कुमार द्वारा बताया गया कि यह वेलनेस टीम प्रत्येक कार्य दिवस पर सुबह 9 बजे से 11 बजे तक अस्पताल परिसर में उपस्थित रहेगी, जिससे अनजान व अस्पताल से नावाकिफ मरीजों को उचित जानकारी देना,परेशान एवं असहाय रोगियों को सौहार्द पूर्ण वातावरण के साथ -साथ सहयोग, किसी व्यक्ति के परिजन के साथ हादसा होने पर सांत्वना देना एवं परेशान मरीजों के साथ व्यवहारिक एवं मनोवैज्ञानिक तरीके से उनकी परेशानी को सुनकर चिकित्सकों तक पहुंचाना है।

लिहाजा एम्स अस्पताल में आने वाले कोई भी बुजुर्ग, बीमार व्यक्ति अपना दुख-दर्द इनके साथ साझा कर सकते, उचित सहयोग ले सकते हैं।

वेलनेस टीम में वरिष्ठ नागरिक कल्याण संगठन के सदस्य ब्रह्म कुमार शर्मा, अशोक आर्या, प्रमोद कुमार जैन, अशोक कुमार रस्तोगी के साथ ही एम्स ऋषिकेश आउटरीच सेल के सदस्य अमनदीप नेगी आदि शामिल हैं।

 

हरिद्वार, नैनीताल तथा पिथौरागढ़ जिले की नदियों में जलस्तर वृद को लेकर सावधानी बरतने के आपदा सचिव ने दिये निर्देश

देहरादून, सचिव आपदा प्रबंधन डॉ रंजीत कुमार सिन्हा के निर्देश पर राज्य आपातकालीन परिचालन केंद्र की ओर से जिलाधिकारी हरिद्वार, नैनीताल तथा पिथौरागढ़ को वर्षा के कारण उत्तराखण्ड राज्य के संबंधित जनपदों में नदियों के जल स्तर में हो रही वृद्धि की संभावना को देखते हुए सावधानी बरतने के सम्बन्ध में निर्देश जारी किए गए हैं |
केन्द्रीय जल आयोग कार्यालय अधिशासी अभियन्ता हिमालयी गंगा मण्डल, हरिद्वार से प्राप्त दैनिक जल स्तर एवं 7 जुलाई के पुर्वानुमान के क्रम में बाणगंगा (रायसी) हरिद्वार, धौलीगंगा (कनज्योति) पिथौरागढ़ एवं कोसी (बेतालघाट) नैनीताल नदियों में जलस्तर में हो रही वृद्धि के दृष्टिगत अपने-अपने जनपदों में निम्न सावधानियां बरतने हेतु प्रत्येक स्तर पर तत्परता एवं सुरक्षा बनाये रखते हुए आवागमन में नियंत्रण रखने, किसी भी आपदा / दुर्घटना की स्थिति में त्वरित स्थलीय कार्यवाही करते हुए सूचनाओं
का तत्काल आदान-प्रदान करने, आपदा प्रबन्धन IRS प्रणाली के नामित समस्त अधिकारियो एवं विभागीय नोडल अधिकारियो को हाई अलर्ट में रहने, समस्त राजस्व उपनिरीक्षको , ग्राम विकास अधिकारियो , ग्राम पंचायत अधिकारियो को अपने क्षेत्रों में बने रहेंने,समस्त चौकी / थाने को भी आपदा सम्बन्धी उपकरणों एवं वायरलैस सहित हाई अलर्ट में रहने, उक्त अवधि में किसी भी अधिकारी / कर्मचारी को मोबाईल / फोन स्विच ऑफ नहीं करने, अधिकारीगणो को बरसाती, छाता, टार्च हैलमेट तथा कुछ आवश्यक उपकरण एवं सामग्री अपने वाहनों में रखने हेतु उचित कार्यवाही करने, उक्त अवधि में लोगों के फँसे होने की स्थिति पर खाद्य सामग्री व मेडिकल सुविधा की व्यवस्था करने, असामान्य मौसम, भारी वर्षा की चेतावनियों के दौरान उच्च हिमालयी क्षेत्रों में पर्यटकों के आवागमन की अनुमति न देने, नगर एवं कस्बाई क्षेत्रों में नालियों एवं कलवटों के अवरोधों को दूर करने, केन्द्रीय जल आयोग के लिंक http//ffs.india-water.gov.in से जलस्तर / खतरे की स्थिति की सतत मॉनिटरिंग सुनिश्चत करने के निर्देश जारी किये गए है | समस्त सम्बन्धित अधिकारियो को किसी भी प्रकार की आपदा की सूचना SEOC/ राज्य आपदा नियंत्रण कक्ष के फोन नम्बरों 0135-2710335, 2664314, 2664315 2664316, फैक्स नं० 0135-2710334, 2664317. टोल फ्री नं0 1070, 9058441404 एवं 8218887005 पर तत्काल देने के भी निर्देश जारी किए गए हैं |

 

जिला कांग्रेस कमेटी की महत्पूर्ण बैठक आयोजित : 20 जुलाई तक बूथ कमेटी का कार्य करें पूरा

अल्मोड़ा, पूर्व घोषित कार्यक्रम के अनुसार जिला कांग्रेस कमेटी की एक महत्पूर्ण बैठक आयोजित की गयी, जिसकी अध्यक्षता जिलाध्यक्ष भूपेंद्र सिंह भोज व संचालन गीता मेहरा महामंत्री जिला कांग्रेस कमेटी ने किया |
स्थानीय होटल शिखर आयोजित बैठक में जिलाध्यक्ष भूपेन्द्र सिंह भोज ने जिले से लेकर न्याय पंचायत और ब्लॉक से बूथ स्तर तक कमेटी के गठन के बाबत चर्चा की और उन्होंने कहा कि जो भी पदाधिकारी द्वारा संगठन व कांग्रेस की मजबूती के लिए कार्य करने में कमी या सहयोग नहीं किया जायेगा उसको बदलने का कार्य किया जायेगा, जिलाध्यक्ष भोज ने कहा कि सभी 20 जुलाई तक बूथ कमेटी का कार्य पूरा कर ले |

इस अवसर पर सभी पदाधकारियों व कार्यकर्ताओं से उन्होंने बूथ स्तर पर संघटन को मजबूत करने का अनुरोध किया है। इस अवसर पर उपस्थित माननीय विधायक मनोज तिवारी ने कहा कि आज बूथ स्तर से लेकर जिले स्तर तक नए लोगो को जोड़ने का कार्य करना है जिससे संघटन व कांग्रेस पार्टी को मजबूती मिलेगी, और आने वाले चुनावों में उसका फायदा मिलेगा, इस अवसर पर उपस्थित माननीय नगरपालिका अध्यक्ष प्रकाश चन्द्र जोशी ने कहा आज बूथ स्तर से जिले स्तर तक संघटन में सभी दलों के कार्यकर्ताओं को जोड़ने की आश्यकता है तभी संगठन मजबूत होगा इस अवसर पर जिलाध्यक्ष भूपेन्द्र सिंह भोज, माननीय विधायक मनोज तिवारी माननीय नगरपालिका अध्यक्ष प्रकाश चन्द्र जोशी, प्रदेश अध्यक्ष कांग्रेस सेवादल के अलावा पूर्व दर्जा राज्य मंत्री राजेन्द्र बाराकोटी, पूर्व जिलाधयक्ष पीताम्बर पांडेय, नगर अध्यक्ष तारा चन्द्र जोशी, संघटन महामंत्री त् त्रीलोचन जोशी,ब्लॉक अध्यक्ष क्रमशः देवेन्द्र बिष्ट, विक्रम बिष्ट, गोपाल कनवाल, पुरन सुप्याल अंकुर कांडपाल, विशन सिंह बिष्ट, कुन्दन भण्डारी, शिवराज नयाल,जिलाध्यक्ष महिला कांग्रेस कमेटी राधा बिष्ट, किशन लाल जिलाध्यक्ष अनु जाति मोर्चा, दिनेश नेगी जिलाध्यक्ष कांग्रेस सेवादल, प्रभारी क्रमश मनोज सनवाल, देवेन्द्र बिष्ट,बी के पांडे, प्रताप राम, दीवान सतवाक, हरीश रौतेला, विनोद वैषणव, देव आर्य, पी सी सदस्य दान सिंह गोपाल चौहान, नरेंद्र बनौला, गजेन्द्र फर्त्याल, नगर अध्यक्ष महिला कांग्रेस दीपा साह, देवेन्द्र धौनी जिला प्रवक्ता निर्मल रावत, पूर्व नगर अध्यक्ष पुरन रौतेला, महेश आर्या, तारू तिवारी, कोषाध्यक्ष, सलीम अख्तर जया जोशी, एन डी पांडे, रमेश लटवाल, हरीश भट्ट, भुवन दोसाद, किशन बिष्ट, आदि उपस्थित थे |

कांवड़ मेले के मद्देनजर एक हफ्ते बंद रहेंगे सरकारी स्कूल

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हरिद्वार, कांवड़ मेले के मद्देनजर हरिद्वार में आगामी से 10 से 17 जुलाई तक कक्षा एक से 12 तक के सभी सरकारी स्कूल और आंगनबाड़ी केंद्र बंद रहेंगे। जिला प्रशासन ने कांवड़ मेले के चलते यह निर्णय लिया है। जिलाधिकारी ने शुक्रवार को इसके आदेश जारी कर दिए हैं।

 

कांवड़ यात्रा शुरू : केसरिया रंग में तब्दील हुआ हरिद्वार, 21 लाख कांवड़ यात्रियों ने भरा जलकांवड़ यात्रा शुरू होते ही केसरिया रंग में तब्दील हुआ हरिद्वार, 21 लाख कांवड़ यात्रियों ने भरा जल – Aakash Gyan Vatika

हरिद्वार, अद्भुत और अलौकिक। चहुं दिशाएं एकसार और भोले भंडारी की जय जयकार। श्रावण मास के पहले दो दिन धर्मनगरी हरिद्वार खासकर हरकी पैड़ी क्षेत्र का नजारा अलग ही नजर आ रहा है, मानों भोर की प्रतीक्षा में जाग रही है और दिन सिंदूरी आभा बिखेर रहा हो। गुरुवार को धर्मनगरी कांवड़ मेले के रंग में रंगी रही, जो सांझी संस्कृति के संगम संग लघु भारत की तस्वीर हरिद्वार में पेश कर रही थी। श्रावण मास के पहले दिन कांवड़ मेला यात्रा शुरू होते ही धर्मनगरी केसरिया रंग में तब्दील होने लगी थी। पुलिस के अनुसार अब तक करीब 21 लाख से अधिक कांवड़ यात्री जल लेकर हरिद्वार से अपने गंतव्य की ओर रवाना हो चुके हैं।

धर्मनगरी में कांवड़ यात्रियों का आना यूं तो एक सप्ताह पूर्व से आरंभ हो गया था पर, जल लेकर वापसी का क्रम बुधवार श्रावण मास के पहले दिन से गति पकड़ने लगा, जिसके चलते माहौल पूरे शबाब पर आना शुरू हो गया है। 15 जुलाई तक धर्मनगरी कांवड़ मेले के रंग में ही रंगी रहेगी। कदम-कदम पर धर्म-अध्यात्म की गंगा बह रही है, इसमें लाखों शिवभक्त गोते लगाते दिखाई दे रहे हैं। आस्था के इस रंग में हर कोई रंगने को लालायित है। विभिन्न प्रांतों से आए कांवड़ यात्रियों ने डेरा डाल दिया है। आस्था और आध्यात्म से भाव-विभोर हर कोई शिवभक्तों को देखकर रुककर निहार रहा है, तो कोई हाथ जोड़कर प्रणाम कर रहा है। हरकी पैड़ी, मुख्य कांवड़ मेला बाजार पंतद्वीप, बस अड्डा, रेलवे स्टेशन समेत अन्य सार्वजनिक स्थलों पर कांवड़ यात्रियों की चौपालें सजी हैं।

चाय की दुकान, गंगा तट, मठ-मंदिर और पार्क इत्यादि जगहों पर कांवड़ यात्री ही नजर आ रहे हैं। कहीं शिव की महिमा का गुणगान हो रहा तो कहीं धार्मिक गीतों की स्वर लहरियां गूंज रही हैं। अधिकांश आश्रम और धर्मशालाएं इन्हीं से गुलजार हैं। एक छोर से दूसरे तक शिवभक्त कांवड़ यात्री डग भी भर रहे और फुर्सत के क्षणों में विभिन्न जगहों पर सामूहिक रूप से डेरा भी डाल रहे हैं। वर्षा ऋतु के आरंभ के साथ ही चारधाम यात्रा के शिथिल पड़ जाने के बाद करीब एक माह तक बाजारों की गायब रौनक कांवड़ मेला यात्रा के आरंभ होने के साथ ही लौट आई। खासकर हरकी पैड़ी क्षेत्र और उसके आसपास के इलाकों के बाजारों में सुबह से लेकर देर रात तक रौनक छाई हुई है। हर जगह अलग-अलग टोलियों में शिवभक्त कांवड़ यात्री छूमते-फिरते और सामान खरीदते नजर आ रहे हैं।

इसके साथ ही कांवड़ बाजार भी सज गया है। कांवड़ बाजार यूं तो चमगादड़ टापू, पतंद्वीप पार्किंग पर सजता है पर, अबकी कांवड़ यात्रियों की भारी भीड़ की संभावनाओं के मद्देनजर कांवड़ बाजार के इतर भी यह अन्य जगहों पर सजा हुआ है। परंपरा और मान्यता है कि शिव जलाभिषेक को गंगा जल लेने हरिद्वार आने वाला कांवड़ यात्री यहीं से अपनी कांवड़ खरीदता है। इसके यहां पर हर वर्ष कांवड़ बाजार सजता है। कांवड़ यात्रा के आरंभ होने के साथ ही गंगाजली और कलश की मांग बढ़ गई है। पिछले कुछ वर्षों से कांवड़ मेला में आने वाले कांवड़ यात्रियों में स्टील, तांबे और पीतल के कलश में गंगाजल ले जाने की परंपरा जोर पकड़ती जा रही है। इसके मद्देनजर इन दिनों हरिद्वार के बाजारों में इनकी मांग बढ़ गई है। इसके साथ ही प्लास्टिक की गंगाजली की मांग भी बढ़ गई है।

 

एनआईएच विभाग के कर्मचारी को गोलीमारी, सिविल अस्पताल में कराया भर्ती

हरिद्वार, जनपद के रुड़की क्षेत्र में बाइक सवार दो युवकों ने एक एनआईएच कर्मचारी को गोली मार दी। गोली बाएं कंधे को चीरते हुए निकल गई। गंभीर घायल कर्मचारी को अस्पताल भर्ती कराया गया है। गंगनहर कोतवाली क्षेत्र के श्याम नगर गली नंबर दस निवासी ललित (24) रुड़की एनआईएच विभाग में कर्मचारी है। बताया जा रहा है कि वह पिछले दो माह से घर पर नहीं रह रहा था।
मिली जानकारी मुताबिक
युलक कलियर क्षेत्र के मेहवड़ गांव में रह रहा था। बृहस्पतिवार की रात करीब दो बजे वह बाइक से श्याममनगर जा रहा था। जैसे ही वह सोलानी पुल के पास पहुंचा तो पीछे से बाइक सवार दो युवक आए और उसकी बाइक रोक ली। युवकों ने ललित पर थूकने का आरोप लगाते हुए गाली गलौज कर दी। विरोध करने पर ललित पर दो राउंड फायरिंग कर दी। जिसमें से एक गोली उसके बाएं कंधे को चीरते हुए निकल गई। गोली की आवाज सुनकर कांवड़िए मौके पर पहुंचे और घटना की जानकारी पुलिस को दी। सूचना मिलते ही सिविल लाइन कोतवाली पुलिस मौके पर पहुंची और घायल को रुड़की के सिविल अस्पताल में भर्ती कराया। जहां डॉक्टरों ने उसकी गंभीर हालत देखते हुए एम्स के लिए रेफर कर दिया। एसएसआई अभिनव शर्मा ने बताया कि मामले की जांच की जा रही है। युवक की हालत में सुधार होने के बाद पूरे मामले की जानकारी ली जाएगी। पुलिस सोलानी पार्क के आसपास लगे सीसीटीवी कैमरों को चैक कर रही है ताकि घटना की जानकारी जुटाई जा सके ।

भारतीय वानिकी अनुसंधान और शिक्षा परिषद में हुआ रेड्ड-प्लस ज्ञान साझाकरण एवं सुरक्षा उपाय सूचना प्रणाली का शुभारंभ

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देहरादून, भारतीय वानिकी अनुसंधान और शिक्षा परिषद द्वारा रेड्ड-प्लस ज्ञान साझाकरण एवं सुरक्षा उपाय सूचना प्रणाली का शुक्रवार को शुभारंभ हो गया, इस प्रणाली को वनों की कटाई और वन क्षरण से उत्सर्जन को कम करना, वन कार्बन स्टॉक का संरक्षण, वनों का स्थायी प्रबंधन और विकासशील देशों में वन कार्बन स्टॉक में वृद्धि को सामूहिक रूप से रेड्ड-प्लस के रूप में जाना जाता है। प्रभावी रेड्ड-प्लस कार्यक्रम विभिन्न प्रकार के आय सृजन के अवसर, आजीविका सुरक्षा, और सामाजिक कल्याण प्रदान करेगा।

वनों द्वारा प्रदान की जाने वाली पारिस्थितिकी तंत्र सेवाएं और उनकी निरंतर आपूर्ति अब जलवायु परिवर्तन के अनुकूलन के संदर्भ में तेजी से महत्वपूर्ण होती जा रही है। रेड्ड-प्लस गतिविधियां जलवायु परिवर्तन के शमन और अनुकूलन में योगदान करती हैं और साथ ही भाग लेने वाले समुदायों को वित्तीय प्रोत्साहन भी प्रदान करती हैं।
भारतीय वानिकी अनुसंधान और शिक्षा परिषद ने पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय, भारत सरकार की कैम्पा वित्त पोषित योजना के तहत रेड्ड-प्लस नॉलेज शेयरिंग और सेफगार्ड सूचना प्रणाली (https://reddplus.icfre.gov.in/) विकसित की है।

इस प्रणाली में रेड्ड-प्लस ज्ञान साझाकरण और सुरक्षा उपाय सूचना प्रणाली शामिल हैं। यह सुरक्षा उपायों पर जानकारी का सारांश तैयार करने के लिए रेड्ड-प्लस गतिविधियों को लागू करते समय वन प्रशासन, पर्यावरण और सामाजिक से संबंधित सुरक्षा उपायों को संबोधित करने और उनका सम्मान करने पर जानकारी और डेटा एकत्र करने में सहायक होगा।
भारतीय वानिकी अनुसंधान और शिक्षा परिषद के महानिदेशक अरुण सिंह रावत ने आज भारत की रेड्ड-प्लस ज्ञान साझाकरण एवं सुरक्षा उपाय सूचना प्रणाली लॉन्च की । उन्होंने कहा कि यह मंच रेड्ड-प्लस पर ज्ञान साझा करने के साथ-साथ राज्य वन विभागों और अन्य हितधारकों की क्षमता निर्माण में भी सहायक होगा। लॉन्च कार्यक्रम के दौरान आईसीएफआरई के उप महानिदेशक, सहायक महानिदेशक, वैज्ञानिक और अधिकारी उपस्थित थे।

राज्य में मानसिक स्वास्थ्य नियमावली पर मुहर, 13 जनपदों के 7 स्थानों पर पुनर्विलोकन बोर्ड का गठन

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मानसिक स्वास्थ्य नियमावली का कड़ाई से होगा पालन, उल्लंघन करने पर होगी 2 साल की जेल व 5 लाख तक जुर्माना : डॉ. आर राजेश कुमार

(एल मोहन लखेड़ा)

देहरादून, केंद्र सरकार की हरी झंडी के बाद आज मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की अगवाई में कैबिनेट ने मानसिक स्वास्थ्य नियमावली पर अपनी मुहर लगा दी है। जिसके बाद स्वास्थ्य विभाग के खाते में एक और बड़ी उपलब्धि जुड़ गई है। स्वास्थ्य विभाग का जिम्मा संभालने के बाद से मंत्री डॉ धन सिंह रावत इस पर गंभीरता से काम कर रहे थे। केन्द्र में कई बार उन्होंने इसकी पैरवी की। स्वास्थ्य सचिव डॉ आर राजेश कुमार ने पूरी टीम के साथ इस पर गंभीरता से काम किया और केन्द्र की मुहर के बाद राज्य कैबिनेट ने भी इस पर अपनी मुहर लगा दी।

आपको बता दें स्वास्थ्य सचिव बनने के बाद से डॉ आर राजेश कुमार ने राज्य में स्वास्थ्य सेवाओं को पटरी पर लाने के साथ केन्द्र की योजनाओं को राज्य में तेजी से धरातल पर उतारने में कामयाबी हासिल की है। राज्य में स्वास्थ्य सेवाओं और केन्द्रीय स्वास्थ्य योजनाओं की प्रगति पर केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्री के साथ ही समय-समय पर केन्द्र सरकार से आये अधिकारियों ने भी तारीफ की है।

स्वास्थ्य सचिव डॉ. आर राजेश कुमार ने इस उपलब्धि के लिए महानिदेशक स्वास्थ्य डॉ विनीता शाह सहित पूरी टीम को बधाई दी। उन्होंने कहा कि मानसिक स्वास्थ्य नियमावली के गठन से पहले इसके लिए सरकारी और गैर सरकारी, बुद्वजीवी वर्ग, समाजिक कार्यों से जुड़े लोगों की राय ली गई। जिसके बाद इसके फाइनल ड्राफट पर मुहर लगी।

स्वास्थ्य सचिव डॉ. आर राजेश कुमार ने बताया कि मानसिक स्वास्थ्य नियमावली की मंजूरी के बाद राज्य में अब नशा मुक्ति केंद्र, मानसिक स्वास्थ्य संस्थान के साथ मानसिक रोग विशेषज्ञ, नर्सों, मनोचिकित्सकीय सामाजिक कार्यकर्ताओं को पंजीकरण करना अनिवार्य होगा। लेकिन मानसिक रोग विशेषज्ञों से पंजीकरण शुल्क नहीं लिया जाएगा। केंद्र सरकार ने 2017 में मानसिक स्वास्थ्य देखरेख अधिनियम लागू किया था। साथ ही राज्यों को भी इस अधिनियम के तहत मानसिक स्वास्थ्य नीति और नियमावली बनाने के निर्देश दिए गए थे। अधिनियम के तहत 2019 में सरकार ने राज्य मानसिक स्वास्थ्य प्राधिकरण का गठन किया। लेकिन नियमावली न होने के कारण प्राधिकरण काम नहीं कर पा रहा था। बीते माह स्वास्थ्य विभाग की ओर से नियमावली का प्रस्ताव केंद्र सरकार की अनुमति के लिए भेजा गया था। केंद्र सरकार ने नियमावली का परीक्षण करने के बाद मंजूरी दे दी है। आज कैबिनेट में इस नियमावली को मंजूरी मिल गई।

मानसिक स्वास्थ्य संस्थानों को देना होगा पंजीकरण शुल्क

प्रदेश में संचालित नशा मुक्ति केंद्र या मानसिक स्वास्थ्य संस्थानों को अनिवार्य रूप से प्राधिकरण में पंजीकरण करना होगा। इसके लिए शुल्क भी लिया जाएगा। एक साल के अस्थायी लाइसेंस के लिए दो हजार रुपये शुल्क होगा। इसके बाद स्थायी पंजीकरण के लिए 20 हजार शुल्क देना होगा।

इन नियमों का भी करना होगा पालन :

नशा मुक्ति केंद्र मानसिक रोगी को कमरे में बंधक बना कर नहीं रख सकते हैं। डॉक्टर के परामर्श पर नशा मुक्ति केंद्रों में मरीज को रखा जाएगा और डिस्चार्ज किया जाएगा। केंद्र में फीस, ठहरने, खाने का मेन्यू प्रदर्शित करना होगा। मरीजों के इलाज के लिए मनोचिकित्सक, डॉक्टर को रखना होगा। केंद्र में मानसिक रोगियों के लिए खुली जगह होनी चाहिए। जिला स्तर पर मानसिक स्वास्थ्य समीक्षा बोर्ड के माध्यम से निगरानी की जाएगी। मानसिक रोगी को परिजनों से बात करने के लिए फोन की सुविधा दी जाएगी। इसके अलावा कमरों में एक बेड से दूसरे बेड की दूरी भी निर्धारित की गई है।

13 जनपदों के 07 स्थानों पर पुनर्विलोकन बोर्डों का गठन :

मानसिक स्वास्थ्य देखरेख अधिनियम-2017 को भारत सरकार द्वारा दिनांक 29 मई, 2018 को अधिसूचित कर दिया गया था, जिसको उत्तराखण्ड सरकार द्वारा मूल रूप में अधिकृत कर लिया गया है। इस अधिनियम का मूल उद्देश्य मानसिक रोग से ग्रस्त व्यक्तियों के अधिकारों, उनके उचित उपचार एवं संरक्षण करना है। इस अधिनियम के अन्तर्गत राज्य सरकार द्वारा राज्य मानसिक स्वास्थ्य प्राधिकरण एवं उत्तराखण्ड के 13 जनपदों के 07 स्थानों पर पुनर्विलोकन बोर्डों का गठन कर दिया गया है। इनमें हरिद्वार जनपद में एक, देहरादून जनपद में एक, उधमसिंह नगर जनपद के रूद्रपुर में एक, पौड़ी गढ़वाल, रूद्रप्रयाग, और चमोली जनपद का सेंटर श्रीगर गढ़वाल में, टिहरी गढ़वाल और उत्तरकाशी जनपद का न्यू टिहरी में और बागेश्वर, पिथौरागढ़ व चंपावत जनपद का पिथौरागढ में बोर्ड का गठन किया गया है।

इस अधिनियम के आलोक में राज्य सरकार द्वारा मानसिक स्वास्थ्य देखरेख नियम, मानसिक स्वास्थ्य संस्थानों (नशामुक्ति केन्द्रों सहित ) के लिए नियम विनियम एवं मानसिक रोग से ग्रस्त व्यक्तियों के अधिकार इत्यादि को तैयार कर लिया गया है एवं भारत से अनुमोदन प्राप्त कर मंत्री परिषद् में राज्य में प्रख्यापित करने हेतु प्रेषित किया गया, जोकि आज दिनांक 07.07.2023 को सम्पन्न हुई मंत्री परिषद की बैठक में सभी नियमो विनियमों को प्रख्यापित करने को मंजूरी दे दी गई है।

सभी मानसिक स्वास्थ्य संस्थानों (नशामुक्ति केन्द्रों सहित) मानसिक स्वास्थ्य विशेषज्ञों (नैदानिक मनोवैज्ञानिकों, मानसिक स्वास्थ्य नर्सों एवं मनशचिकित्सीय सामाजिक कार्यकर्ताओं) को राज्य मानसिक स्वास्थ्य प्राधिकरण कार्यालय में पंजीकृत होना अनिवार्य है। मानसिक स्वास्थ्य संस्थानों के अस्थाई पंजीकरण हेतु न्यूनतम राशि रू0 2,000/- का प्राविधान है एवं मानसिक स्वास्थ्य विशेषज्ञों का पंजीकरण निःशुल्क किया जाना है।

इन नियम विनियमों के प्रख्यापित हो जाने के पश्चात सभी मानसिक स्वास्थ्य संस्थानों (नशामुक्ति केन्द्रों सहित ) को इसमें दिये गये नियम – विनियमों के अनुरूप संस्थानों का संचालन करना होगा। मानसिक स्वास्थ्य संस्थानों (नशामुक्ति केन्द्रों सहित) की समय-समय पर जांच एवं निरीक्षण करने का प्रावधान भी इसमें निहित है। जिसमें किसी मानसिक स्वास्थ्य संस्थान द्वारा गैर अनुपालन या प्रावधान का उल्लंघन किया जाता है तो ऐसी स्थित में ऐसा न करने पर अधिनियम में दण्ड का प्रावधान है।

नियमों का उल्लंघन करने पर 2 साल की जेल या 50 हजार जुर्माना :

नियमावली में नियमों का उल्लंघन करने पर मानसिक स्वास्थ्य संस्थानों ( नशामुक्ति केन्द्रों सहित) द्वारा प्रथम उल्लघन पर 5,000/- से 50,000/- रूपये, दूसरे उल्लघन पर 2,00,000/- रूपये व बार-बार उल्लघन पर 5,00,000/- रूपये का जुर्माना दण्ड के रूप में प्राविधान है। ऐसे मानसिक स्वास्थ्य संस्थान (नशामुक्ति केन्द्रों सहित) जो पंजीकृत नहीं है, में कार्य करने वाले मानसिक स्वास्थ्य वृत्तिकों पर 25,000/- रूपये तक जुर्माना दण्ड के रूप में प्राविधान है। यदि कोई व्यक्ति अधिनियम के अधीन बनाये गये नियम या विनियम के उपबंधों का उल्लंघन करता है तो ऐसी स्थिति में उस व्यक्ति को प्रथम उल्लघंन पर छह माह की जेल या 10,000/- रूपये का जुर्माना अथवा दोनों व बार-बार उल्लघन पर दो वर्ष की जेल या 50,000/- रूपये से 5,00,000/- रूपये जुर्माना अथवा दोना दण्ड के रूप में प्राविधान है। इन नियम विनियमों के प्रख्यापित होने से राज्य में मानसिक रोग से ग्रस्त व्यक्तियों को उच्च गुणवत्तायुक्त उचित उपचार प्राप्त हो सकेगा एवं अवैध संस्थानों पर नियंत्रण हो पायेगा। भारत सरकार एवं राज्य सरकार इस क्षेत्र में कार्य करने हेतु कृतसंकल्प है।

विलुप्त होती लोक कलाओं के संरक्षण हेतु केंद्रीय विद्यालय बीरपुर में कठपुतली शो का आयोजन

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देहरादून , लोककलाओं एवं सांस्कृतिक धरोहरों के संरक्षण के तहत आज केंद्रीय विद्यालय बीरपुर में कठपुतली कार्यक्रम का आयोजन किया गया !

विद्यालय परिसर में जयपुर से आये मदन पाल ने मंच से जैसे ही अपनी उंगलियों के इशारे पर अदृश्य धागों से बन्धी कठपुतलियों का खेल दिखाना शुरू किया बच्चों में इस कला के प्रति उत्साह बढ़ता गया और वह एकाग्र होकर इस कला का लुफ्त उठाने लगे !
पर्दे के पीछे किस प्रकार हाथ की कला से इन पुतलों को नचाया या अभिनय करवाया जाता है कलाकार मदन पाल ने बच्चों को सामने आकर दिखाया तो बच्चे रोमांचित हो गये !
कठपुतली शो के बाद विद्यालय की प्राचार्य ने बच्चों को तनावमुक्त मनोरंजन का महत्व बताया उन्होंने मोबाइल एवं सोशल मीडिया की जगह इस प्रकार के कार्यक्रमों को देख कर स्वस्थ मनोरंजन देखने की सलाह बच्चों को दी ! उन्होंने इन कलाओं के प्रति समर्पित कलाकारों के कार्यक्रम को अधिक से अधिक देखने का आग्रह सभी बच्चों एवं शिक्षकों से किया !
कठपुतली शो के दौरान मुख्य अध्यापिका आरती उनियाल शिक्षक विनय कुमार , डी एम लखेड़ा, गूँजन श्रीवास्तव, देवेंद्र कुमार , आचार्य अनुज , अनू थपलियाल, मनीषा धस्माना, उर्मिला बमरू, विदुषी नैथानी दीपमाला सहित अन्य शिक्षकों ने भी इस कार्यक्रम के माध्यम से लोक कलाओं के संरक्षण का प्रण लिया !

बद्रीनाथ हाईवे छिनका में मलबा आने से मार्ग हुआ अवरुद्ध, मलबा हटाने के बाद आवाजाही शुरू

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चमोली (जोशीमठ), बद्रीनाथ हाईवे छिनका में मलबा आने के आज शुक्रवार सुबह फिर अवरुद्ध हो गया। हाईवे के दोनों ओर 10 हजार यात्री से ज्यादा यात्री फंसे हैं। बदरीनाथ हाईवे पर छिनका में पहाड़ी से भूस्खलन होने के कारण बृहस्पतिवार को भी करीब 10 घंटे तक वाहनों के पहिए थमे रहे। अपराह्न तीन बजे हाईवे से मलबा हटाने के बाद वाहनों की आवाजाही शुरू हुई, लेकिन दो घंटे बाद फिर पहाड़ी से पत्थर छिटकने के कारण हाईवे बाधित हो गया, जो शाम साढ़े छह बजे खुल पाया। हाईवे बाधित होने से करीब 12 हजार तीर्थयात्री और स्थानीय लोगों ने वाहनों और दुकानों में बैठकर हाईवे खुलने का इंतजार किया।
बुधवार को देर रात से हुई बारिश बृहस्पतिवार को सुबह करीब नौ बजे थमी। बारिश के दौरान ही सुबह करीब पांच बजे छिनका में पहाड़ी से भारी मात्रा में भूस्खलन होने से बद्रीनाथ हाईवे बाधित हो गया। जिससे दोनों ओर से वाहनों की लंबी लाइन लग गई। सुबह नौ बजे तक भी पहाड़ी से पत्थर गिरने के कारण एनएचआईडीसीएल की जेसीबी मशीनें मलबा हटाने का काम भी शुरू नहीं कर पाईं। अपराह्न तीन बजे हाईवे वाहनों की आवाजाही के लिए खुला। पुलिस के जवानों की निगरानी में वाहनों की आवाजाही करवाई गई। लेकिन फिर पहाड़ी से पत्थर छिटकने के कारण शाम पांच बजे वाहनों की आवाजाही रोक ली गई, जो साढ़े छह बजे तक ही सुचारू हो पाया।
दिल्ली के संजय मिश्रा, कन्हैया और सुरेश शर्मा ने बताया कि केदारनाथ की यात्रा के बाद वे बदरीनाथ धाम की तीर्थयात्रा पर जा रहे थे। पहली बार बदरीनाथ और केदारनाथ की तीर्थयात्रा पर आए हैं। उन्होंने बताया कि इन दिनों पहाड़ों में बारिश का सीजन चल रहा है, जिससे दो दिन अतिरिक्त लेकर चले थे। हाईवे खुलने पर बदरीनाथ धाम के दर्शन को जाएंगे। जिला आपदा प्रबंधन अधिकारी नंद किशोर जोशी ने बताया कि भारी बारिश से बार-बार हाईवे बाधित हो रहा है। हाईवे बाधित होने व भारी बारिश होने पर तीर्थयात्रियों को सुरक्षित स्थानों पर शरण लेने के लिए पुलिस की ओर से लाउडस्पीकरण पर सूचना दी गई। अपराह्न तीन बजे हाईवे सुचारु होने पर सभी तीर्थयात्रियों को गंतव्य के लिए भेजा गया, लेकिन आज सुबह फिर पहाड़ी से मलबा गिरने से हाईवे बाधित हो गया।

एम्स पहुंची विस अध्यक्ष ऋतु खण्डूडी, पूर्व विधायक मुकेश कोली का जाना हालचाल

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ऋषिकेश, उत्तराखंड विधानसभा अध्यक्ष ऋतु खण्डूडी भूषण ने एम्स ऋषिकेश पहुंचकर पौड़ी विधानसभा के पूर्व विधायक मुकेश कोली का हालचाल जाना| इस दौरान विधानसभा अध्यक्ष ने पूर्व विधायक का इलाज कर रहे डॉक्टर से उनके स्वास्थ्य के बारे में जानकारी ली एवं भगवान से उनके शीघ्र स्वस्थ होने की कामना की|

बता दें कि पूर्व विधायक मुकेश कोली काफी लम्बे समय पेट से संबंधित समस्या को लेकर एम्स में इलाज करवा रहे हैं । विधानसभा अध्यक्ष ने एम्स पहुंच कर पूर्व विधायक के स्वास्थ्य की जानकारी ली| जहां डॉक्टरों ने बताया कि उनका स्वास्थ्य ठीक है साथ ही हर तरह की चिकित्सीय जांच की जा रही है| इस दौरान ऋषिकेश एम्स की निदेशक डॉ. मीनू सिंह भी उपस्थित रहीं।

कैबिनेट बैठक खत्म : बॉटल नेक आड़त बाजार के चौड़ीकरण को मंजूरी

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‘राजस्व विभाग एमडीडीए को 7.7 हेक्टेयर जमीन ब्रह्मणवाला में निःशुल्क उपलब्ध कराएगा’

देहरादून, उत्तराखंड़ सचिवालय में हुई धामी मंत्रिमंडल की बैठक में राज्य की अस्थायी राजधानी देहरादून को लेकर बड़ा फैसला हुआ है। शहर के सबसे बड़े बॉटल नेक आड़त बाजार के चौड़ीकरण को राज्य कैबिनेट ने मंजूरी दे दी है।
इसके तहत एमडीडीए आड़त बाजार से लेकर गांधी रोड तक मार्ग का चौड़ीकरण करेगा। यहां करीब 250 दुकानदार चिन्हित हैं जिनका विस्थापन होगा। इस हेतु राजस्व विभाग एमडीडीए को 7.7 हेक्टेयर जमीन ब्रह्मणवाला में निःशुल्क उपलब्ध कराएगा।

दुकानदारों को शिफ्ट करने की नियमावली को भी कैबिनेट ने मंजूरी दे दी। मार्च 2023 में 250 ज्यादा लोग चिन्हित हुए। कैबिनेट के निर्णय के अनुसार जगह बचने पर औरों को भी स्थान दिया जा सकता है।

निम्न प्रस्तावों पर हुआ निर्णय :

1 -पर्यटन विभाग के पटेलनगर मुख्यालय में अब बिजनेस होटल बनेगा PPP मोड़ में होगा
2-जॉर्ज एवरेस्ट में एयरो स्पोर्ट्स गतिविधि क़ो मंजूरी PPP मोड़ में होगा
3-परिवहन विभाग में नियमवाली में संशोधन
4- विद्यालय शिक्षा विभाग में 2364 पदों के फोर्थ क्लास के पदों को आउटसोर्सिंग के माध्यम से भरा जाएगा
5- नगर एवं ग्राम नियोजन विभाग के ढाँचा क़ो मंजूरी 245 पद हुए स्वीकृत
6- अंत्योदय क़ो निशुक्ल 3 सिलेंडर देने और रिफिल करने के फैसले क़ो एक साल बढ़ाया गया
7-ग्राम पंचायत अधिकारियो के उधम सिंह नगर में बढ़ाये गए पद
8 -वित्त विभाग का मामला बचत विभाग के कर्मियों क़ो कलेक्ट्रेट में समायोजित किया जाएगा
9-वित्त विभाग में वन टाइम सटेलमेंट स्कीम क़ो मंजूरी GST का मामला
10 -वित्त विभाग में केश मैनेजमेंट सेल बनाया गया 11 पदों क़ो मंजूरी
11-माल एवं सेवा कर अपिलीय अधिकर पीठ गठित करने की स्वीकृति मिली मंजूरी
12-अभी वर्तमान में भूमि खरीदने के नियम हैं अफोर्डबल हाउसिंग और खेल गतिविधियों क़ो लाने के लिए अब नई नियमावली की मंजूरी अब ये खरीद सकेंगे जमीन
13- आढ़त बाजार के चौड़ीकरण क़ो मंजूरी ब्रह्मणवाला में आढ़तियों को दी जाएगी जमीन, MDDA को निशुल्क में मिलेगी जमीन
14-अब 50 बेड तक के अस्पतालों क़ो क्लिनिकल एस्टेब्लिमेंट में शुल्क में छूट दी गई रजिस्ट्रेशन कराना होगा
15 -मानसिक स्वास्थ्य देखरेख अधिनियम क़ो मंजूरी अब मानक हुए तय, नशा मुक्ति केंद्र पर कसी जाएगी नकेल
16-क़ृषि एवं क़ृषि कल्याण विभाग सीएम प्राकृतिक कृषि योजना क़ो मंजूरी

 

अबैध शराब का परिवहन कर रहे चार अभियुक्त गिरफ्तार

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रुद्रप्रयाग- जनपद में अबैध शराब तस्करी के खिलाफ पुलिस की मुहिम जारी है। आज 09 पेटी (120 हाफ व 192 पव्वे) अवैध शराब का परिवहन कर रहे 04 अभियुक्तों को पुलिस गिरफ्तार करने में कामयाब रही।

केदारनाथ धाम यात्रा अवधि में शराब तस्करी की शिकायतों पर प्रभावी कार्यवाही किये जाने हेतु पुलिस अधीक्षक, रुद्रप्रयाग द्वारा दिये गये निर्देशों के क्रम में पुलिस उपाधीक्षक, गुप्तकाशी के पर्यवेक्षण में थाना प्रभारी गुप्तकाशी व चौकी प्रभारी फाटा के नेतृत्व में चौकी फाटा पुलिस द्वारा चेकिंग के दौरान वाहन संख्या UK 13 TA 2526 Camper से 04 अभियुक्तों को 9 पेटी सोलमेट व्हिस्की (5 पेटी हाफ यानि कुल 120 हाफ तथा 4 पेटी क्वार्टर यानि 192 पव्वे) अवैध अंग्रेजी शराब सहित गिरफ्तार किया गया है। इनके विरुद्ध थाना गुप्तकाशी पर आबकारी अधिनियम की सुसंगत धाराओं में अभियोग पंजीकृत कर शराब तस्करी में प्रयुक्त वाहन को सीज किया गया है।
पुलिस टीम में उप निरीक्षक विजय शैलानी, चौकी प्रभारी फाटा एवं आरक्षी जयप्रकाश एवं आरक्षी अंकित कुमार चौकी फाटा सम्मिलित रहे।
इस वर्ष के यात्रा काल में रुद्रप्रयाग पुलिस ने आबकारी अधिनियम के कुल 36 मुकदमों में 57 अभियुक्तों को गिरफ्तार कर 1283 बोतल शराब की बरामदगी की गयी है,। जनपद रुद्रप्रयाग पुलिस का अवैध शराब तस्करी के विरुद्ध धरपकड़ अभियान निरन्तर जारी है।

राज्य आंदोलनकारी करेंगे 10 जुलाई को सीएम आवास का घेराव, कई संगठनों और राजनैतिक दलों ने दिया समर्थन

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देहरादून, शहीद स्मारक कचहरी में उत्तराखंड राज्य आंदोलनकारी संयुक्त परिषद एवं संयुक्त राज्य आंदोलनकारी मंच द्वारा आयोजित बैठक में कई सामाजिक संगठन व राजनीतिक दल शामिल हुये और 10 जुलाई को सीएम आवास घेराव का समर्थन किया | बैठक संबोधित करते हुये उत्तराखंड आंदोलनकारी संयुक्त परिषद के संरक्षक नवनीत गुसाई, प्रदेश अध्यक्ष विपुल नौटियाल एवं जिला अध्यक्ष सुरेश कुमार द्वारा मांगों को लेकर जिसमें 10% क्षैतिज आरक्षण, मूल निवास चिन्हकरण, पेंशन पट्टा ल धारा 371 को लेकर उपस्थित संगठनों व राजनीतिक दलों के साथ मिलकर चर्चा की गई | जिसमें सभी संगठनों की सहमति द्वारा सीएम आवास घेराव का निर्णय लिया गया | जिसमें
उत्तराखंड़ महिला मंच की संयोजक निर्मला बिष्ट नेताजी संघर्ष समिति के उपाध्यक्ष प्रभात डंडरियाल, कांग्रेस से सुरेंद्र अग्रवाल, उत्तराखंड क्रांति दल से विजेंद्र रावत, जनवादी महिला संगठन से इंदू नौडियाल, एसएफआई से लेखराज व अनंत आकाश व संयुक्त मंच से कांति कुकरेती अंबुज शर्मा व आंदोलनकारी व राष्ट्रीय उत्तराखंड पार्टी के बालेश बवानिया, जगमोहन रावत, सदीप पटवाल, सुशीला भट्ट, राजेश पांथरी, जगमोहन रावत, नरेंद्र नेगी, जित्ती चौहान, रामपाल, सुशील विरमानी, सुखबीर चौहान और लाखन चीलवाल हल्द्वानी से बैठक में शामिल हुए | सभी की सहमति से दस जुलाई को मुख्यमंत्री आवास के घेराव हेतु समर्थन देने के लिये पूरे प्रदेश वासियों से ज्यादा से ज्यादा संख्या में भागीदारी करने की अपील की गयी, बैठक वक्ताओं ने कहा कि अगर सरकार आंदोलनकारियों की यह मांगे नहीं मानती तो आंदोलनकारी व सामाजिक संगठन उग्र आंदोलन करने को बाध्य होंगे |

 

संस्कृति या समाज की प्रगति में खेती के महत्व पर व्यापक दृष्टिकोण को प्रस्तुत करने में सक्षम रहा डा. सुषमा नैथानी का व्याख्यानखेती क्यों मायने रखती है, विषय पर दून पुस्तकालय व शोध केंद्र में हुई चर्चा  - Avikal Uttarakhand

देहरादून, दून पुस्तकालय एवं शोध केन्द्र की ओर से आज सांय प्लांट जीनोमिक वैज्ञानिक, लेखिका और एसोसिएट प्रोफेसर सीनियर रिसर्च, ओरेगन स्टेट यूनिवर्सिटी, सुषमा नैथानी का एक व्याख्यान का आयोजन संस्थान के सभागार में किया गया। यह व्याख्यान खेती क्यों मायने रखती है विषय पर केन्द्रित था।
डॉ. नैथानी का यह सारगर्भित व्याख्यान निश्चित तौर पर किसी भी संस्कृति या समाज की प्रगति में खेती के महत्व पर व्यापक दृष्टिकोण को प्रस्तुत करने में सक्षम रहा। समाज में खेती का काम कर रहे विविध किसानों , भूमि जोतों और कृषि पद्धतियों और इन सबके प्रभाव से जुड़ी कहानी पर डॉ. सुषमा नैथानी ने विस्तार से प्रकाश डाला।
व्याख्यान की अधिकांश बातचीत उनकी पुस्तक हिस्ट्री एंड साइंस ऑफ कल्टीवेटेड प्लांट्स पर आधारित थी। अपने व्याख्यान में डॉ. नैथानी ने बताया कि ग्रामीण समाज किस तरह किसान बना और वर्तमान औद्योगिक कृषि-आधारित सभ्यता तक किस तरह पहुंचे। अनेक मिथकों, ऐतिहासिक वृत्तांतों और वैज्ञानिक अवधारणाओं का उदाहरण देकर उन्होंने बताया कि मानव ने अपने प्रयासों से कैसे जंगली पौधों से बड़े, स्वादिष्ट और अधिक पौष्टिक फल, सब्जियां और अनाज को आकार दिया और उसे विकसित किया। मानव सभ्यता के केंद्र में विभिन्न आर्थिक और सामाजिक रूप से महत्वपूर्ण फसलों का जिक्र करते हुए, उन्होंने फसल पौधों की उत्पत्ति, कृषि प्रतिरुपों के विकास, प्राकृतिक चयन बनाम पालतूकरण की मौलिक अवधारणाओं, प्रायोगिक और पद्धतिगत पौधों के प्रजनन और पौधों की जैव प्रौद्योगिकी पर भी प्रकाश डाला । उन्होंने जलवायु परिवर्तन, खेती के कम होते रकबे और अन्य सामाजिक-आर्थिक बाधाओं के मद्देनजर दुनिया की बढ़ती आबादी को भोजन खिलाने की चुनौतियों और 21 वीं सदी और उसके बाद के एक स्थायी कृषि प्रणाली की आवश्यकता पर भी विस्तार से चर्चा की।
व्याख्यान से पूर्व दून पुस्तकालय एवं शोध केन्द्र के प्रोग्राम एसोसिएट चन्द्रशेखर तिवारी ने सभागार में उपस्थित लोगों का स्वागत किया। व्याख्यान के समापन में निकोलस हाॅफलैण्ड ने संस्थान की ओर से सभी का आभार व्यक्त किया। इस अवसर पर साहित्यकार, नवीन नैथानी, राजेश सकलानी बिजू नेगी, राजेन्द्र गुप्ता, सुरेंद्र सजवाण, अरुण असफल, सूंदर सिंह बिष्ट और बिभूति भूषण भट्ट सहित शहर के अनेक बुद्धिजीवी, लेखक, साहित्यकार और बड़ी संख्या में पुस्तकालय के युवा पाठक उपस्थित रहे। व्याख्यान के बाद लोगों ने डॉ.सुषमा नैथानी से सवाल जबाब भी किये।

पुस्तक के बारे में :

हम सभी का खानपान से बेहद अंतरंग और प्राथमिक सम्बंध है. हम दुनिया के किसी भी हिस्से में हो, खानपान सम्बंधी चिंता हमारे मन में चाहे-अनचाहे बनी रहती है. बाजार से आटा, दाल, चावल, आलू, प्याज, फल-सब्जी, चाय, चीनी, कॉफी आदि उठाते समय हम सोचते रहते हैं कि अमुक चीज स्वास्थ्य पर कैसा असर डालेगीय उसमें पौष्टिक तत्वों की मात्रा कितनी है किसे उपयोग में और किसे उपवास में बरता जाना चाहिए आदि. लेकिन बहुतों को इस बात का अन्दाज नहीं होगा कि हम सबके खानपान सम्बंधी संस्कार, पूर्वाग्रह / चयन या दुनिया की विभिन्न संस्कृतियों की खानपान से जुड़ी विशिष्ट पहचान के मूल में कृषि की एक लम्बी ऐतिहासिक यात्रा है, जिससे गुजरकर विभिन्न कृषि उत्पाद बाजार में सर्वसुलभ होकर हम तक पहुँचे हैं.
औद्योगिक क्रांति के बाद मानव आबादी का बड़ा हिस्सा खेती से अलग होकर अन्य कार्यों में लग गया, आज अमेरिका यूरोप के विकसित समाजों के एक फीसदी से भी कम लोग सीधे खेती से जुड़े हैं. भारत, चीन और अन्य एशियाई देशों में भी आबादी का 50ः से ज्यादा हिस्सा किसानी नहीं करता है. लेकिन कृषि और मनुष्य का सम्बंध जरा भी कम नहीं हुआ है. भले ही हम अन्न न उगाते हों /कई पीढ़ियों पहले हमारा परिवार किसानी छोड़ चुका हो / अन्न व खाद्य पदार्थों को पैदा करने वाले किसानों से भले ही हमारा सीधा वास्ता न हो तब भी कृषि उत्पादों पर हमारा जीवन, स्वास्थ्य, और समृद्धि टिकी हुई है और दस हजार वर्षों से चली आ रही कृषि-कथा ने हमारे अंतर्मन का एक बड़ा हिस्सा घेर रखा है. अन्न की टेढ़ी-मेढ़ी यात्रा को जानना अपने मन की इन्ही छिपी तहों के भीतर अनायास झाँक लेना है, और इस बहाने अपने अनगिनत पुरखों से रूबरू होना है जिनके जीवन के घनीभूत अनुभव पीढ़ी-दर-पीढ़ी छन-छनकर हमारे चेतन और अवचेतन पर अंकित हुए हैं. कृषि के इतिहास-भूगोल-विज्ञान की कथा के पन्ने पलटना एक बेहद निजी, मीठी गुफ्तगू में उतरना है, जिसका लुत्फ साझा करके दुगना होता जाता है. इस किताब को लिखते समय लेखिका की कोशिश रही है कि एक सामान्य हिंदी पाठक के लिए कृषि से सम्बंधित कुछ मोटी-मोटी तथ्यपरक वैज्ञानिक जानकारी, तथा कृषि की टेढ़ी-मेढ़ी ऐतिहासिक यात्रा को आसान भाषा में, बिना तकनीकी शब्दावली में उलझाए रखे। संवाद को प्राथमिकता देते हुए कई जगहों पर अंग्रेजी के सरल और हिंदुस्तानी जबान में शामिल हो रहे शब्दों के इस्तेमाल को वरीयता दी गई है, और हिंदी में गढ़ी हुई गूढ़, अबूझ तकनीकी शब्दावली को सयास छोड़ दिया गया है.
कृषि मानव सभ्यता का पहला उद्यम भी है. अब भी, दुनिया की गरीब आबादी के बड़े हिस्से की आजीविका कृषि पर निर्भर करती है. भारत जैसे कृषि प्रधान देश में पचास फीसदी से ज्यादा लोग रोजगार के लिए कृषि पर निर्भर हैं, और यहाँ की एक चैथाई राष्ट्रीय आय का स्रोत भी कृषि है. इसके अलावा, कृषिजन्य उत्पादों पर कई छोटे-बड़े कारोबार प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से निर्भर रहते हैं, और कृषि उत्पादों का निर्यात विदेशी मुद्रा कमाने का मुख्य जरिया है. अतरू कृषि की भूमिका देश के लिए राजनैतिक, सामरिक और आर्थिक महत्व की है. मानव सभ्यता के अलग-अलग चरणों में कृषि का तत्कालीन समाज की राजनीति, अर्थव्यवस्था, तथा ज्ञान-विज्ञान से जो गहरा और अंतरगुम्फित सम्बंध रहा है उसपर प्रचलित अकादमिक कवायद से इतर सार्वजनिक बातचीत की भी जरूरत है, ताकि हम अपने समय की कृषि-नीतियों, किसानों, बाजार और उपभोक्ता के अंतर्संबंधों की कोई संगत समझ बना सकें और फिर उसकी रोशनी में पर्यावरण के साथ तालमेल बिठाते हुए वैश्विक जलवायु परिवर्तन से उपजी खाद्यान संकट की चुनौती का भविष्य में कोई हल ढूँढ सके.
कुल मिलाकर इस किताब में कृषि की शुरुआत से लेकर जैव-प्रौद्योगिकी से बनी जी॰ एम॰ (जेनेटिकली मोडिफायड या जीन सँवर्धित) फसलों तक के सफर के विवरण हैं. उल्लेखनीय है कि पिछले कुछ वर्षों में दुनिया में औद्योगिक कृषि के मॉडल की गम्भीर समीक्षा शुरू हुई है और छोटे-बड़े स्तरों पर तरह-तरह के वैकल्पिक प्रयोग शुरू हुए हैं. पुस्तक के अंत में एक संक्षिप्त टीप चुनिंदा नए प्रयोगों पर दी गई है।

लेखिका के बारे में :

देहरादून की डॉ. सुषमा नैथानी अमेरिका के ओरेगॉन स्टेट यूनिवर्सिटी में वनस्पति विज्ञान और पादप रोग विज्ञान विभाग में एसोसिएट प्रोफेसर रिसर्च हैं। सुषमा नैथानी ने एम.एस. जैव प्रौद्योगिकी में और पीएच.डी. वनस्पति विज्ञान (पादप आण्विक जीवविज्ञान) में। वह एक आणविक जीवविज्ञानी और जीनोमिक वैज्ञानिक हैं . इनके तकरीबन 50 से अधिक शोध पत्र प्रकाशित हुए हैं। वह एल्सेवियर (2017-वर्तमान) द्वारा प्रकाशित करंट प्लांट बायोलॉजी जर्नल की प्रधान संपादक और प्लांट साइंस-प्लांट बायोटेक्नोलॉजी अनुभाग में फ्रंटियर की एसोसिएट एडिटर के रूप में कार्य करती हैं। वह अपनी विशेषज्ञता के क्षेत्र में एक दर्जन से अधिक वैज्ञानिक पत्रिकाओं की समीक्षक हैं।वह एक अंग्रेजी-हिंदी द्विभाषी लेखिका, कवयित्री और प्रकृति प्रेमी भी हैं। वह 1998 में संयुक्त राज्य अमेरिका चली गईं। वह कोरवालिस, ओरेगॉन में रहती हैं। उनके कुछ हिन्दी आलेख कादम्बिनी, हंस, पब्लिक एजेंडा, पहाड़ सहित कई अन्य प्रमुख पत्रिकाओं में प्रकाशित हुए हैं और कविता की एक पुस्तक उड़ते हैं अबाबील 2011 में प्रकाशित हुई थी। खेती के इतिहास और विज्ञान पर आधारित उनकी एक लोकप्रिय पुस्तक अन्न कहाँ से आता है नेशनल बुक ट्रस्ट से प्रकाशित हुई है।

 

बिना प्रतिस्थानी के शिक्षकों की कार्यमुक्ति पर पंचायत प्रतिनिधि भड़के, सीईओ कार्यालय पर उठाए सवाल

“शिक्षा मंत्री माफी मांगते हुए त्याग पत्र दे, मुनस्यारी तथा धारचूला में शिक्षा का बुरा हाल”

पिथौरागढ, विकासखंड मुनस्यारी व धारचूला से बिना प्रतिस्थानी के शिक्षकों को कार्यमुक्त किए जाने पर सीमांत के पंचायत प्रतिनिधि भड़क गए है। पंचायत प्रतिनिधियों ने मुख्य शिक्षा अधिकारी कार्यालय की भूमिका पर सवाल उठाते हुए कहा कि जिलाधिकारी तथा निदेशक माध्यमिक शिक्षा के आदेशों का भी अनुपालन नहीं हुआ। उन्होंने कहा कि सीमा क्षेत्र से शिक्षकों को कार्यमुक्त करने के लिए विभाग ज्यादा उतावला दिख रहा है। उन्होंने यह भी कहा कि जो शिक्षा मंत्री सीमांत क्षेत्र में शिक्षकों के रिक्त पदों को भरने में नाकाम रहे है, उन्हें तत्काल अपने पद से इस्तीफा देकर सीमांत के शिक्षक अभिभावकों एवं विद्यार्थियों से माफी भी मांगनी चाहिए।
सीमांत क्षेत्र में पिछले वर्ष 93 शिक्षकों का स्थानांतरण हुआ था। तब भी मुख्य शिक्षा अधिकारी कार्यालय ने जिलाधिकारी के आदेश को दबा दिया गया था।
शिक्षकों के कार्य मुक्त होने के बाद बिना परेशानी के कार्यमुक्त नहीं किए जाने का आदेश खंड शिक्षा अधिकारियों को भेजा गया। इस बात को लेकर मुख्य शिक्षा अधिकारी कार्यालय की खूब किरकिरी हुई। मुख्य शिक्षा अधिकारी कार्यालय ने इस बात का भी सबक नहीं लिया। पिछले वर्ष की तरह इस बार भी शिक्षकों को बिना प्रतिस्थानी के ही कार्य मुक्त कर दिया गया है।
इस बात से नाराज सीमांत के पंचायत प्रतिनिधि मुख्य शिक्षा अधिकारी कार्यालय के खिलाफ लामबंद होने लगे है।
इस बार भी क्षेत्र के पंचायत प्रतिनिधियों ने समय से मुख्य शिक्षा अधिकारी कार्यालय तथा जिलाधिकारी को इस समस्या से अवगत करा दिया था।
जिला पंचायत सदस्य जगत मर्तोलिया की पत्र का संज्ञान लेते हुए जिलाधिकारी रीना जोशी ने मुख्य शिक्षा अधिकारी को तत्काल प्रभाव से कदम उठाने के निर्देश दिए थे।
मुख्य शिक्षा अधिकारी कार्यालय में चालाकी दिखाते हुए जिलाधिकारी के पत्र को निदेशक माध्यमिक शिक्षा को भेजकर अपना पल्लू झाड़ लिया। उसके बाद फिर जिला पंचायत सदस्य जगत मर्तोलिया ने जिलाधिकारी को दूसरा पत्र लिखा।इस पत्र के बाद भी मुख्य शिक्षा अधिकारी कार्यालय ने खंड शिक्षा अधिकारी मुनस्यारी तथा धारचूला को बिना प्रतिस्थानी के शिक्षकों को कार्यमुक्त नहीं किए जाने का कोई भी आदेश जारी नहीं किया।
ताज्जुब की बात यह है कि मुख्य शिक्षा अधिकारी कार्यालय ने जिलाधिकारी के पत्र का संज्ञान लेते दूसरी बार भी फिर निदेशक माध्यमिक को पत्र लिखकर खानापूर्ति कर दी।
बीते सप्ताह निदेशक माध्यमिक शिक्षा सीमा जौनसारी मुनस्यारी भ्रमण पर आई थी तब भी इस मामले को उनके सम्मुख उठाया गया। निदेशक माध्यमिक शिक्षा ने मुख्य शिक्षा अधिकारी अशोक कुमार जुकरियाया को स्पष्ट रूप से कहा था कि वह इस मामले में नोट शीट बनाकर जिलाधिकारी के माध्यम से खंड शिक्षा अधिकारियों को एक आदेश करवा लें।
ताकि बिना परेशानी के कोई भी शिक्षक कार्य मुक्त ना हो। मुख्य शिक्षा अधिकारी कार्यालय सोता रहा और शिक्षकों के स्थानांतरण का फरमान विद्यालय तक पहुंच गया। विद्यालयों ने फटाफट दर्जनों शिक्षकों को बिना प्रतिष्ठान के कार्य मुक्त कर दिया है ।
जिला पंचायत सदस्य जगत मर्तोलिया ने बताया कि बीते वर्ष जिन 93 शिक्षकों का स्थानांतरण हुआ था उनके सापेक्ष मात्र 37 नये अध्यापक सीमा क्षेत्र में स्थित विकासखंड मुनस्यारी तथा धारचूला में पहुंचे है। उन्होंने कहा कि इस बार हुए बंपर स्थानतरण के बाद सीमांत विद्यालयों में शिक्षकों की कमी का आंकड़ा आसमान छूने लगा है ।
उन्होंने कहा कि मुख्य शिक्षा अधिकारी कार्यालय जानबूझकर आदेश को बनाने में देरी करता है ताकि शिक्षक कार्य मुक्त हो जाएं। इस सांठगांठ की भी जांच की मांग उठाई है।
उन्होंने कहा कि इस प्रदेश के शिक्षा मंत्री को अपने पद से इस्तीफा दे देना चाहिए क्योंकि वह सीमा क्षेत्र में शिक्षकों के रिक्त पदों पर तैनाती करने में विफल रहे है। उन्होंने यह भी कहा कि सीमा के पंचायत प्रतिनिध मुख्य शिक्षा अधिकारी कार्यालय के खिलाफ आंदोलन करेंगे।

 

उत्तराखंड में स्वास्थ्य सेवाओं को सुदृढ़ करने हेतु भारत सरकार देगा पूरा सहयोग : सुधांशु पंत

स्पेशलिस्ट डॉक्टर्स की नियुक्ति हेतु यू कोट वी पे मॉडल की हुई सराहना

आयुष्मान भारत हेल्थ इंफ्रास्ट्रक्चर मिशन के तहत निर्माणाधीन चिकित्सा इकाइयों में तेजी लाने के दिए निर्देश

देहरादून, उत्तराखंड के स्वास्थ्य सेवाओं को सुदृढ़ करने हेतु भारत सरकार देगा पूरा सहयोग यह बात सुधांशु पंत ओ.एस.डी. चिकित्सा स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय भारत सरकार की अध्यक्षता में आयोजित बैठक के दौरान कही। सचिवालय में आयोजित स्वास्थ्य अधिकारियों की समीक्षा बैठक में सुधांशु पंत ने राज्य के सुदूरवर्ती क्षेत्रों में स्पेशलिस्ट डॉक्टर्स की तैनाती हेतु स्वास्थ्य विभाग के यू कोट वी पे (you quote we pay) मॉडल की प्रशंसा करते हुए स्पेशलिस्ट डॉक्टर्स के मनोबल को बढ़ाने के लिए उच्चतम वेतन प्रदान करने के कार्य को अत्यधिक सराहा। उन्होंने कहा कि उत्तराखंड की भौगोलिक परिस्थितियों को देखते हुए स्पेशलिस्ट डॉक्टर्स क्षेत्र के लोगों को आवश्यक चिकित्सा सुविधा देने का काम करेंगे जो कि सराहनीय है।

बैठक में ओ.एस.डी. सुधांशु पंत ने प्रधानमंत्री आयुष्मान भारत हेल्थ इंफ्रास्ट्रक्चर मिशन (पीएम-अभीम) योजना के यूनिवर्सल हेल्थ कवरेज से उत्तराखंड के अधिक से अधिक लोगों को मिल रहे लाभ की भी सराहना की। उन्होंने कहा कि प्रदेश के हेल्थ इंफ्रास्ट्रक्चर जिनमें क्रिटिकल केयर ब्लॉक, मेडिकल कॉलेज व अन्य निर्माणाधीन कार्य में तेजी लाएं। उन्होंने चिकित्सा इकाइयों के निर्माण कार्य में तेजी लाने व दिसंबर 2023 तक निर्माण कार्यों को पूरा करने हेतु संबंधित अधिकारियों को निर्देशित किया।

इस दौरान सुधांशु पंत द्वारा उत्तराखंड के स्वास्थ्य विभाग द्वारा कोविड माहमारी के दौरान कोविड की रोकथाम हेतु किये गए प्रबंधन की सराहना की गई। उन्होंने कहा कि प्रदेश के स्वास्थ्य विभाग द्वारा पर्वतीय क्षेत्रों व मैदानी इलाकों में कोविड टीकाकरण सहित अन्य मैनेजमेंट में अच्छा कार्य किया गया। इस अवसर पर उन्होंने कहा कि स्वास्थ्य संबंधित सरकारी योजनाओं को अंतिम व्यक्ति तक पहुंचाने के लिए यह आवश्यक है कि स्वास्थ्य संबंधित परियोजनाएं जो गतिमान है उसका विभाग द्वारा स्तत अनुसरण एवं अनुपालन किया जाये ताकि इन योजनाओं का लाभ राज्य के अंतिम व्यक्ति तक पहुंचे।

बैठक में डॉ आर राजेश कुमार सचिव स्वास्थ्य, रोहित मीणा मिशन निदेशक राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन, अमनदीप कौर अपर सचिव स्वास्थ्य, डॉ विनीता शाह महानिदेशक स्वास्थ्य, डॉ आशुतोष सयाना निदेशक चिकित्सा शिक्षा आदि अधिकारी एवं कर्मचारी मौजूद रहे।