Saturday, May 17, 2025
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ऊर्जा संरक्षण के प्रति प्रतिबद्धता के साथ ‘सक्षम 2024-25’ पखवाड़े का विधिवत् समापन

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“पखवाड़े के दौरान विभिन्न प्रतियोगिताओं के विजेता प्रतिभागियों दिये गये पुरस्कार”

देहरादून, तेल एवं गैस संरक्षण को लेकर चलाये गये जागरूकता पखवाड़ा “सक्षम 2024-25” का ऊर्जा संरक्षण के प्रति प्रतिबद्धता के साथ समापन हो गया।ओएनजीसी तकनीकी सेवाओं ने द्वारा 14 फरवरी से आरंभ हुये इस आयोजन के तहत मूल्यवान प्राकृतिक संसाधनों, तेल और गैस के संरक्षण के महत्व के बारे में जन जागरूकता बढ़ाने के साथ साथ “हरे और स्वच्छ ऊर्जा अपनाएं, पर्यावरण को स्वच्छ बनाएं” विषय पर विभिन्न कार्यक्रम आयोजित किए गए। ओएनजीसी, केडीएमआईपीई परिसर के मिनी ऑडिटोरियम में आयोजित समापन समारोह की शुरुआत ओएनजीसी गीत, सुरक्षा ब्रीफिंग और सक्षम 2024-15 की शपथ के साथ मुख्य अतिथि डॉ. आनंद गुप्ता, कार्यकारी निदेशक – प्रमुख पी एंड डी, देहरादून द्वारा की गई।
इस अवसर पर बोलते हुए, डॉ. आनंद गुप्ता ने दर्शकों को तेल और गैस के संरक्षण की आवश्यकता के बारे में जागरूक किया। उन्होंने बताया कि यह हर किसी की जिम्मेदारी है कि वे उपलब्ध संसाधनों का विवेकपूर्ण तरीके से उपयोग करने के लिए प्रयास करें और वैकल्पिक संसाधनों का विकास करें।
इस अवसर पर नीराज कुमार शर्मा, मुख्य महाप्रबंधक – कॉर्पोरेट प्रशासन, जे.पी. डोबारियाल, कार्यकारी निदेशक- प्रमुख ईएनडी, बी.एस. बिष्ट, पूर्व जीजीएम और प्रोफेसर, ग्राफिक एरा विश्वविद्यालय भी मंच पर उपस्थित थे।
पहले, श्री जेड.एस. अलारिया, महाप्रबंधक (ई) तकनीकी सेवाएं, और नोडल अधिकारी सक्षम 2024-25 ने अपने स्वागत संबोधन में सक्षम 2024-25 के दौरान तकनीकी सेवाओं द्वारा किए गए विभिन्न गतिविधियों का वर्णन किया।
एक पखवाडे चले इस कार्यक्रम के बीच ओएनजीसी की तकनीकी सेवाओं ने वैन प्रचार, बैनर, पोस्टर, क्विज , चित्रण, बहस, भाषण प्रतियोगिताएं, वॉकाथॉन, साइक्लोथॉन और स्कूल के बच्चों, महिलाओं और कर्मचारियों के लिए एलपीजी कार्यशालाओं के माध्यम से संदेश फैलाने के लिए विभिन्न कार्यक्रमों का आयोजन किया।
मुख्य अतिथि डॉ. आनंद गुप्ता, कार्यकारी निदेशक – (पी एंड डी) ने सक्षम 2024-25 पखवाड़े के दौरान विभिन्न प्रतियोगिताओं जैसे चित्रण, क्विज, बहस और भाषण के विजेताओं को पुरस्कार प्रदान किए, जो विभिन्न स्कूलों, विश्वविद्यालय और महिला पॉलीटेक्निक में आयोजित किए गए, और ओएनजीसी कर्मचारियों और गृहिणियों को भी सम्मानित किया।

पांच शादियों का रचा इतिहास

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देहरादून, उत्तराखंड़ को प्रकृति ने खूबसूरती के कई अदभुत खजाने दिये हैं, यहां की पर्वतीय अंचल की प्राकृतिक छटायें और रीति रिवाज जहां सार्थकता से परिलक्षित हैं, इसी कड़ी में राज्य का जौनसार बाबर क्षेत्र भी अपने खूबसूरती, रीति रिवाज एवं संयुक्त परिवार के लिए बहुत प्रसिद्ध है, जो भी एक बार इस क्षेत्र का भ्रमण करने आता हैं वह यहां की सुंदरता रीति रिवाज के कायल हो जाते हैं l
आजादी के समय ग्राम पंजिया के एक वीर योद्धा ( स्वतंत्रता सेनानी पुनकु जी) ने अपना सब कुछ न्योछावरकर आजादी की जंग में कूद पड़े थे, उन्होंने उसे समय एक मिसाल कायम की थी, आज 2 मार्च 2025 को इस परिवार के परपोतों द्वारा भी एक मिसाल कायम कर दी l वह है एक ही परिवार के पांच पुत्रों की शादी एक साथ, एक स्थान पर l

शिवरात्रि पर्व दिनांक 26 फरवरी 2025 से 2 मार्च की शाम तक रिश्तेदारों आने का सिलसिला जारी रहाl इस शादी समारोह में दाई-भाई लोग पुश्तेनी ग्राम कांति-मशवा, टीटीयाना, हिमाचल प्रदेश, जौनसार-बावर से आये तथा मेहमान व रिश्तेदार कानपुर, देहरादून, दुबई आदि स्थानों से शादी की शोभा बढ़ाने के लिए पहुंचे तथा इस अनूठी शादी के प्रत्यक्षदर्शी बने l

दिनांक 2 मार्च 2025 को एक अनूठी शादी का आयोजन शर्मा वेडिंग पॉइंट जीवनगढ़, जनपद देहरादून में किया गया जिसमें एक ही परिवार के पांच लड़कों की शादी एक ही दिन हुईl
इस संदर्भ में श्री बलराम सिंह चौहान ने अवगत कराया कि आज आज ही के दिन 2 मार्च सन 2000 में मेरी भी शादी इसी दिन हुई थी, आज हमारी शादी को 25 वर्ष पूरे हुए हैं अर्थात आज “सिल्वर जुबली” है l

आज हमें बहुत खुशी है कि एक ही परिवार में हुई पांच शादियों ने पूरे जौनसार बाबर में एक इतिहास रच दिया है, अभी तक जौनसार बाबर में एक परिवार में केवल तीन शादियों का ही रिकॉर्ड बना हुआ था l एक परिवार में अभी तक पांच शादियां कभी नहीं हुई है, शायद ही कोई इस प्रकार की शादी करने का रिकॉर्ड तोड़ पाए l

यह कार्य सब परिवार के सहयोग से ही हो पाया हैl सबका बहुत-बहुत धन्यवाद

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युवा आल स्टार्स चैम्पियनशिप की मेजबानी करेगा उत्तराखण्ड

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हरिद्वार, (कुलभूषण)। आगामी 6 मार्च से स्पोर्ट्स स्टेडियम रोशनाबाद में “युवा आल स्टार्स चैम्पियनशिप’ का आयोजन किया जा रहा है। भारत में कबड्डी जगत में होने वाली यह अपनी तरह की पहली प्रतियोगिता है। युवा आल स्टार्स चैम्पियनशिप व युवा कबड्डी सीरिज के माध्यम से इलैवन 8 इण्डिया स्पोर्ट्स उत्तराखण्ड कबड्‌डी एसोसिएशन के सहयोग से यह लीग आयोजित कर रहा है। युवा कबड्‌डी प्रतिभाओं को निखारने व देश में कबड्‌डी खेल को प्रोत्साहित करने हेतु एक सार्थक पहल गंगा तट हरिद्वार से की जा रही है। आशा है यह भारतीय खेल की अविरल धारा काे देश में ले जाएगी।

युवा कबड्‌डी सीरीज के मुख्य कार्यकारी अधिकारी (सीईओ) व उत्तराखण्ड कबड‌्डी एसोशिएशन के अध्यक्ष महेश जोशी ने संयुक्त वक्तव्य में कहा कि यह ऐसी प्रतिस्पर्धा है जो युवा खिलाड़ियों को उचित मंच, खेलों के प्रति उनका समर्पण व अवसर प्रदान करेगा। यह भारत में होने वाली ऐसी लीग है जिसका उद्देश्य कबड्‌डी के भविष्य को उज्जवल बनाना है और युवा खिलाड़ियों को वैश्विक स्तर पर प्रस्तुत करना है। इससे देश के युवा खिलाड़ियों को अपनी पहचान बनाने में सहायता मिलेगी।
श्री जोशी ने बताया कि इस लीग का उद्घाटन श्री अमित सिन्हा (IPS) विशेष प्रमुख सचिव खेल व युवा कल्याण, उत्तराखण्ड सरकार के कर-कमलों से 6 मार्च को प्रात: 9:30 बजे किया जाएगा। उन्होंने बताया कि इस लीग में युवा कबड्‌डी सीरीज के 11वें संस्करण की 6 टीमों के साथ-साथ प्रो-कबड्‌डी लीग के युवा खिलाड़ियों की 6 टीमें भी भाग लेंगी। लीग में भाग लेने वाली टीम में युवा कबड्‌डी सीरीज के 11वें संस्करण से पलानी टस्कर, सोनीपत स्पार्कर्स, कुरुक्षेत्र वारिसर्य, यू.पी. फाल्कन्स, चण्डीगढ़ चार्जर्स, वास्को वाइपर्स तथा प्रो-कबड्‌डी लीग के युवा वर्जन से युवा मुंबा, युवा पलटन, वारिसर्य के.सी., जयपुर कब्स, युवा योद्धा, जूनियर स्टीलर्स आदि प्रतिभाग करेंगी। श्री जोशी ने कहा कि उत्तराखण्ड कबड्‌डी संघ इलैवन 8 इण्डिया स्पोर्ट्स का धन्यवाद करती है कि एक छोटे से प्रदेश को इतने बड़े आयोजन हेतु सहर्ष स्वीकार किया।

कबड्‌डी एसोसिएशन के सचिव चेतन जोशी ने जानकारी देते हुए बताया कि उत्तराखण्ड राज्य के खिलाड़ियों को प्रोत्साहन हेतु इस लीग में 6 टीमें प्रतिभाग करेंगी जिनकी चयन प्रक्रिया चल रही है।

ज्ञात हो कि एक माह तक चलने वाली सीरीज का ग्रैंड फिनाले 4 अप्रैल को आयोजित किया जाएगा जिसके लिए उत्तराखण्ड के माननीय मुख्यमंत्री श्री पुष्कर सिंह धामी व खेल मंत्री श्रीमति रेखा आर्य जी को आमंत्रित किया गया है। इस सीरीज की विजेता टीम को पन्द्रह लाख रुपए व उप-विजेता टीम को 5 लाख रुपए नकद पुरुस्कार राशि प्रदान की जाएगी। प्रत्येक मैच में एक लाख रुपए से अधिक प्रोत्साहन राशि खिलाड़ियों को प्रदान की जाएगी। उन्होंने बताया कि इस लीग में इस सीरीज में कुल 112 मैच खेले जाएँगे जिनमें मैच की विजेता टीम को 65,000 (पैंसठ हजार) तथा हारने वाली टीम को 30,000 (तीस हजार) रुपए की राशि के साथ-साथ तीन श्रेष्ठ खिलाड़यों को भी प्रत्येक मैच में पुरुस्कृत किया जाएगा।

प्रेसवार्ता में श्री महेश जोशी (कोषाध्यक्ष उत्तराखण्ड ओलम्पिक संघ), श्री विकास के. गौतम (सीइओ) युवा कबड्डी सीरीज, श्री बृज भूषण विद्यार्थी (अध्यक्ष जिला कबड्डी संघ), श्री ऋषिपाल, भारत भूषण, नरेन्द्र गिरी, नवीन चौहान आदि उपस्थित रहे।

दृष्टिकोण और अभ्यास” विषय पर एक दिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया गया

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हर्रावाला (कुलभूषण)। क्षेत्रीय आयुर्वेद अनुसंधान संस्थान, रानीखेत द्वारा उत्तराखण्ड आयुर्वेद विश्वविद्यालय, हर्रावाला, देहरादून के प्रशासनिक भवन के सभागार में “उत्तराखंड के पंजीकृत आयुर्वेदिक चिकित्सकों के बीच आयुर्वेदिक दवाओं की फार्माकोविजिलेंस के प्रति ज्ञान, दृष्टिकोण और अभ्यास” विषय पर एक दिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया गया। कार्यशाला के दौरान स्वागत भाषण एवं सभी अतिथियों का स्वागत के साथ-साथ विषय परिचय प्रभारी सहायक निदेशक, डॉ. ओम प्रकाश द्वारा किया गया। मुख्य अतिथि माननीय प्रो (डॉ.) अरूण कुमार त्रिपाठी, कुलपति, उत्तराखण्ड आयुर्वेद विश्वविद्यालय देहरादून, उत्तराखण्ड के द्वारा विशेष उद्बोधन दिया गया, जिसमें उन्होने संक्षिप्त परिचय के साथ कार्यक्रम की सफलता की कामना की। साथ ही विशिष्ट अतिथि श्री रामजीशरणशर्मा रजिस्ट्रार, उत्तराखण्ड आयुर्वेद विश्वविद्यालय देहरादून, उत्तराखण्ड; श्रीमती नर्वदा गुसांई, रजिस्ट्रार, भारतीय चिकित्सा परिषद्, देहरादून एवं डॉ. जी.सी.एस. जंगपांगी, जिला आयुर्वेद एवं यूनानी अधिकारी, देहरादून द्वारा कार्यशाला की उपयोगिता के विषय में उद्बोधन दिया गया। यह कार्यशाला उत्तराखंड राज्य के रजिस्टर्ड आयुर्वेदिक चिकित्सकों के लिए एक महत्वपूर्ण अवसर रहा । कार्यशाला का उद्देश्य आयुर्वेद के माध्यम से दी जा रही औषधियों की सुरक्षा, प्रभावकारिता और गुणवत्ता पर चर्चा करना रहा, ताकि मरीजों को सर्वोत्तम चिकित्सा सेवाएँ प्रदान कर सकें।इस कार्यक्रम के दौरान विषय विशेषज्ञ वक्ताओं ने निम्न विषय पर अपना सारगर्भित व्याख्यान प्रस्तुत किए -1. डॉ. तरूण कुमार, अनुसंधान अधिकारी (आयु.) द्वारा “ए.एस.यू एंड एच संबंधित ए.डी.आर और भ्रामक विज्ञापन की रिपोर्टिंग” विषय पर व्याख्यान दिया गया।2.​डॉ. किरण वशिष्ट, सहायक प्रोफेसर, द्वारा आयु सुरक्षा पोर्टल पर ए.डी.आर. एवं भ्रामक विज्ञापन रिपोर्ट करने हेतु प्रदर्शन किया गया। कार्यशाला एवं कार्यक्रम के दौरान मंच का संचालन डॉ. तरूण कुमार, सलाहकार (आयु.) द्वारा किया गया। कार्यशाला में देहरादून जिले के कुल 58 पंजीकृत आयुर्वेदिक चिकित्सकों, चिकित्सा अधिकारीयों , विश्वविद्यालय के शिक्षकों डा0 नंदकिशोर दाधीचि, डा0राजीव कुरेले आदि द्वारा सक्रिय रूप से प्रतिभाग किया गया, जिन्हें कार्यशाला के उपरांत सभी प्रतिभागियों को प्रमाण पत्र प्रदान किया गया । कार्यक्रम का समापन धन्यवाद ज्ञापन व राष्ट्रगान से किया गया।

सीएम की दुर्गम क्षेत्र प्राथमिकता को जिला प्रशासन देगा मूर्तरूप, 3 दिन दुर्गम क्षेत्र में डीएम करेंगे प्रवास

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-डीएम ने प्लान किया क्षेत्र भ्रमण, जनसुनवाई एवं जन गतिविधियों का बस्ता
-दूरस्थ क्षेत्र में अंतिम व्यक्ति, बुजुर्ग, महिला, बच्चे तक निवेश पंहुचाना अति आवश्यक
-जिला प्रशासन स्तर से आपदा मद में प्रथमबार दी जाएगी वन पंचायतों को वनाग्नि रोकथाम हेतु पर्याप्त धनराशि

देहरादून, सीएम की प्राथमिकता दुर्गम क्षेत्र में पहुंचे निवेश को जिला प्रशासन मूर्तरूप देने में जुट गया है। फलस्वरूप डीएम सविन बंसल का मार्च के तीसरे सप्ताह में जनपद के दुर्गम क्षेत्र त्यूनी, चकराता में 03 दिन का प्रवास कार्यक्रम प्रस्तावित है इस दौरान डीएम सभी अधिकारियों के साथ क्षेत्रवासियों की समस्या के निस्तारण हेतु वृह्द्धस्तर पर बहुउद्देशीय शिविर आयोजित किया जाएगा।
कोटी कनारस में 200 नव गठित वन पंचायतों कान्क्लेव, हनोल मंदिर परिसर में स्थानिकों, पुरोहितों के साथ मन्दिर के मास्टर प्लान, विस्तारीकरण के सम्बन्ध में स्थानिकों के हित एवं सुझाव आदि समुचित विषय पर विमर्श किया जाएगा।
इसी दौरान डीएम कोटी कनासर में 200 नव निर्मित वन पंचायत के कान्क्लेव में शामिल होंगे वन पंचायतों को जिला प्रशासन स्तर से प्रथमबार आपदा मद से धनराशि प्रदान की जा रही है। इससे वन पंचायतों के सुदृढीकरण से जहां वनाग्नि को राकने में मदद मिलेगी वहीं फायर वाचर की क्षमता भी बढेगी। यह पहला अवसर है जब कोई डीएम दुर्गम क्षेत्र में 03 दिन प्रवास कर क्षेत्र वासियों की समस्या सुनगें। इस दौरान वृहद्धस्तर पर बहुउ्देशीय शिविर का आयोजन किया जा रहा है, जहां पेंशन, स्वास्थ्य जांच विभिन्न प्रमाण पत्र आदि कार्य मौके पर ही निस्तारित किए जाएगें।

 

जिला अस्पताल की दुर्दशा के लिए स्‍वास्‍थ्‍य मंत्री जिम्मेदार : संघर्ष समिति

“जनवरी माह में हुई दुर्घटना से खुली जिला अस्पताल की पोल”

पौड़ी, जिला अस्पताल पौड़ी में असुविधाओं का मामला लगातार गरमाता जा रहा है । मंगलवार को पौड़ी बचाओ संघर्ष समिति के संयोजक नमन चंदोला ने प्रेस नोट जारी कर जिला अस्पताल की दुर्दशा के लिए स्वास्थ्य मंत्री धन सिंह रावत को जिम्मेदार ठहराया है।
उन्होंने कहा कि गढ़वाल मंडल का मुख्यालय होने और स्वास्थ्य मंत्री का गृह जनपद होने के बावजूद जिला अस्पताल लगातार असुविधाओं की मार झेल रहा है।
चंदोला ने बताया कि जिला अस्पताल के पीपीपी मोड में संचालन के दौरान भी हमने विशेषज्ञ डॉक्टरों की नियुक्ति की मांग को लेकर आंदोलन किया था लेकिन सरकार ने विशेषज्ञ डॉक्टरों की नियुक्ति की जगह जिला अस्पताल को पीपीपी मोड से ही हटा दिया और अब जबकि जिला अस्पताल सरकार के अंतर्गत आ चुका है तो दो माह बाद भी स्थाई और विशेषज्ञ डॉक्टरों की नियुक्ति नहीं हो पा रही है।
पौड़ी बचाओ संघर्ष समिति के संयोजक नमन चंदोला ने जिला अस्पताल की पूरी अव्यवस्थाओं के लिए स्‍वास्‍थ्‍य मंत्री को जिम्मेदार बताया और कहा कि धन सिंह रावत स्वास्थ्य सुविधाओं में सुधार के हवा-हवाई बयान दे रहे हैं लेकिन धरातल पर देखा जाए तो हालत बहुत गंभीर हैं। कहा कि जल्द जिला अस्पताल में विशेषज्ञ डॉक्टरों की नियुक्ति नहीं कि गयी तो उग्र आंदोलन किया जाएगा। नमन ने कहा कि जिला अस्पताल में अगर विशेषज्ञ डॉक्टरों की नियुक्ति नहीं कि जाती तो धन सिंह रावत का काले झंडों से स्वागत भी किया जायेगा। आपको बताते चलें कि विगत जनवरी माह में बस हादसे के बाद जिला अस्पताल की अव्यवस्थाओं की पोल खुली थी लेकिन बेसुध स्वास्थ्य महकमा शायद किसी और अनहोनी घटना के होने का इंतजार कर रहा है।

समग्र विकास हेतु दून पुस्तकालय में हुआ युवा संवाद सत्र का आयोजन

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“युवा वर्ग के लिए इस तरह की पहल निश्चित ही महत्वपूर्ण है : प्रो. जोशी”

देहरादून, दून पुस्तकालय एवं शोध केंद्र की और से आज प्रातः युवाओं की आकांक्षाएं और युवाओं के समग्र विकास के लिए एक पारिस्थितिकी तंत्र की परिकल्पना विषय पर एक युवा संवाद सत्र का आयोजन किया गया. इस सत्र में ईस्ट-वेस्ट सेंटर में युवा दक्षिण एशियाई नेताओं की पहल की वरिष्ठ विशेषज्ञ क्रिस्टिना मोनरो ने पुस्तकालय के युवा पाठकों के साथ विविध मुद्दों पर सार्थक संवाद किया, कार्यक्रम सत्र की अध्यक्षता दून पुस्तकालय एवं शोध केंद्र के संस्थापक-अध्यक्ष व सामाजिक विज्ञानी प्रोफे. बी.के. जोशी ने की l इस अवसर पर पूर्व प्रमुख सचिव, उत्तराखंड शासन विभापुरी दास भी उपस्थित रहीं l
इस अवसर पर क्रिस्टिना मोनरो ने कहा कि ईस्ट वेस्ट सेंटर की स्थापना 1960 में हुई थी जिसे भविष्य मे युद्धों को बेहतर समझ से रोका जा सके। ईस्ट वेस्ट सेंटर लीडरशिप के कार्यक्रम संचालित करता है जो दो हफ्ते से लेकर 5 साल तक के होते हैं। उन्होंने अपने नए कार्यक्रम युवा साउथ एशिया लीडरशिप कार्यक्रम के बारे में बताया जिसमें युवाओं का नेटवर्क साउथ एशिया में स्थापित किया जाएगा। उन्होंने यह भी बताया कि केंद्र कई कार्यशालाओं की श्रृंखला आने वाली 2 सालों में आयोजित करेगी जिसमें इस वर्ष कोलंबो नेपाल और ढाका में कार्यशाली की जाएगी।
युवाओं को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि भारत एक लीडर है इसलिए यहां के युवाओं के और भी जिम्मेवारियां बढ़ जाती है। साथ ही उन्होंने युवाओं से इस नए कार्यक्रम में रजिस्टर करने के लिए भी प्रेरित किया। इस सत्र में क्रिस्टिना मोनरो ने उपस्थित युवाओं के साथ प्रश्नोत्तर के माध्यम से सुरुचिपूर्ण ढंग से बातचीत की l
प्रोफेसर बी के जोशी ने इस संवादात्मक सत्र में क्रिस्टिना मोनरो का स्वागत करते हुए कहा कि युवा वर्ग के लिए इस तरह की पहल निश्चित ही महत्वपूर्ण है, उन्होंने कहा की दून पुस्तकालय की ओर से इस तरह के कार्यक्रम आगे भी किये जाने का प्रयास किया जायेगा, प्रोफे.जोशी ने ईस्ट वेस्ट सेंटर के इतिहास व उसकी महत्वता के बारे में बताया और कहा कि 1974 में उन्हें भी सेंटर से अपना शोध कार्य करने को मिला।
उल्लेखनीय है कि क्रिस्टिना मोनरो अंतरराष्ट्रीय नेतृत्व शिक्षक और कार्यक्रम निदेशक हैं, जिन्हें 50 से अधिक देशों के पेशेवरों और छात्रों के साथ काम करने का 18 वर्ष का व्यापक अनुभव है। वह वर्तमान में ईस्ट-वेस्ट सेंटर में यंग साउथ एशियन लीडर्स इनिशिएटिव की वरिष्ठ विशेषज्ञ हैं। हाल ही में, उन्होंने पूर्व छात्रों के जुड़ाव कार्यालय का निर्देशन किया, जहाँ उन्हें 70,000 पूर्व छात्रों और 53 पूर्व अध्यायों के नेटवर्क को विकसित करने का श्रेय दिया जाता है।
कार्यक्रम का संचालन यूएनडीपी, उत्तराखंड के कार्यकम सहयोगी अंकित जायसवाल ने किया. धन्यवाद ज्ञापन यूएनडीपी उत्तराखण्ड के प्रमुख डॉ. प्रदीप मेहता ने दिया l
इस अवसर पर दून पुस्तकालय एवं शोध केंद्र के प्रोग्राम एसोसिट चंद्रशेखर तिवारी, मेघा विलसन,सुन्दर सिंह बिष्ट सहित बड़ी संख्या में दून पुस्तकालय के युवा पाठक उपस्थित रहे l

रक्तदानी अनिल वर्मा को मिला डीबीएस (पीजी) कालेज सर्टिफिकेट ऑफ एप्रीसिएशन अवॉर्ड

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“डीबीएस कालेज में एक दिवसीय रक्तदान शिविर में 109 छात्र छात्राओं ने किया रक्तदान”

देहरादून, डीबीएस (पीजी) कालेज के राष्ट्रीय सेवा योजना तथा रेड रिबन क्लब द्वारा एक दिवसीय रक्तदान शिविर एवं विशेष अवार्ड कार्यक्रम का आयोजन महाविद्यालय के स्वर्ण जयंती सभागार में किया गया, रक्तदान शिविर में कुल 109 छात्र छात्राओं ने रक्तदान किया। इस अवसर पर विशेष अवॉर्ड सेरेमनी के तहत् रक्तदाता शिरोमणि अनिल वर्मा यूथ रेडक्रास कमेटी दून को रिकॉर्ड 155 बार रक्तदान करने हेतु “डीबीएस कॉलेज सर्टिफिकेट ऑफ एप्रिसिएशन अवॉर्ड -2025” से सम्मानित किया गया।
मुख्य अतिथि डॉ. ए एस उनियाल संयुक्त निदेशक उच्च शिक्षा, उत्तराखंड सरकार, कार्यक्रम अध्यक्ष डॉ. अनिल पाल प्राचार्य डीबीएस कालेज, नगर निगम पार्षद योगेश घाघट, एनएसएस अधिकारियों डॉ. बिद्युत बोस, डॉ. आराधना शर्मा व डॉ. शैली, रेड रिबन क्लब प्रभारी डॉ. सोनू द्विवेदी , राजकीय दून मेडिकल कॉलेज ब्लड बैंक अधिकारी डॉ. अंजुम निशान, एनएसएस कमांडर अभय चौहान, पूर्व कमांडर हर्षल दीप सिंह व दीपांशु कोठारी द्वारा अनिल वर्मा “डीबीएस कालेज कालेज सर्टिफिकेट ऑफ एप्रीसिएशन अवॉर्ड -2025 , शील्ड ऑफ अवॉर्ड और पुष्प गुच्छ आदि भेंट किए।
इससे पूर्व मुख्य अतिथि डॉ. ए एस उनियाल संयुक्त निदेशक उच्च शिक्षा उत्तराखंड , अति विशिष्ट अतिथि रक्तदाता शिरोमणि अनिल वर्मा राष्ट्रीय सचिव फेडरेशन ऑफ ब्लड डोनर आर्गेनाइजेशंस ऑफ़ इण्डिया , एनएसएस अधिकारी डॉ. बिद्युत बोस, रेड रिबन क्लब प्रभारी डॉ. सोनू द्विवेदी, ब्लड बैंक अधिकारी डॉ. अंजुम निशान, वीरा फाऊंडेशन के विनोद डोभाल व रितु डोभाल ने फीता काटकर रक्तदान शिविर का उद्घाटन किया।
अपने संबोधन में मुख्य अतिथि डॉ. उनियाल ने कहा कि रक्तदान जीवनदान का ही पर्याय है। प्रत्येक 18-65 वर्ष का स्वस्थ व्यक्ति रक्तदान कर सकता है। जिससे कम से कम तीन व्यक्तियों की जान बचती है। उन्होंने रक्तदाताओं के पांच प्रकारों का विस्तृत उल्लेख करते हुए रेगुलर ब्लड डोनर को सर्वश्रेष्ठ रक्तदाता बताया।
155 बार रक्तदान कर चुके रक्तदाता शिरोमणि अनिल वर्मा , यूथ रेडक्रास कमेटी ने बतौर रक्तदाता प्रेरक छात्र – छात्राओं को रक्तदान करने के प्रति समाज में व्याप्त अंधविश्वासों को दरकिनार करते हुए रक्तदान करने से स्वयं रक्तदाता को ही होने वाले अनेक फायदे गिनाए।
उन्होंने बताया कि नियमित रूप से हर तीन महीने में रक्तदान करते रहने से 90 प्रतिशत हार्ट अटैक पड़ने तथा 85 प्रतिशत कैंसर होने की संभावना नहीं रहती। एक बार रक्तदान करने से शरीर से 600 कैलोरी खर्च होती है जिससे चर्बी पिघलने से मोटापा नहीं आता। शरीर छरहरा व ऊर्जावान होकर उत्साह से भरा रहता है। बोन मैरो एक्टिवेट होने से नया रक्त बनता है। साथ ही शरीर में आयरन लेवल , शुगर कोलेस्ट्रॉल तथा हाई बीपी कंट्रोल में रहता है। अवार्डी श्री वर्मा ने उन्हें सम्मानित करने के लिए महाविद्यालय के प्राचार्य डॉ. अनिल पाल, एनएसएस के सीनियर प्रोगाम ऑफीसर डॉ. विद्युत बोस, रेड रिबन प्रभारी डॉ. सोनू द्विवेदी ,गवर्नमेंट दून मेडिकल कॉलेज ब्लड बैंक की एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. अंजुम निशान, एल जी इलेक्ट्रॉनिक्स, सक्षम भारती फाऊंडेशन तथा वीरा फाऊंडेशन (वालंटियर सोसायटी फॉर एन्टरप्रोन्योर एजुकेशन एंड रूरल एक्शन) के विनोद डोभाल एवं रितु डोभाल का हृदय से आभार व्यक्त किया।
शिविर संयोजन में डीबीएस काॅलेज के प्रोफेसर डॉ. विद्युत बोस, डॉ. सोनू द्विवेदी, डॉ. अटल बिहारी बाजपेई, डॉ. पारितोष सिंह, डॉ. जे पी गुप्ता, डॉ. अरविंद कुमार, डॉ. कमल बिष्ट, डॉ. दीपक भट्ट, डॉ.आराधना शर्मा, डॉ. शैली, डॉ. राधेश्याम, डॉ. अजय श्रीवास्तव, डॉ. प्रतिमा वर्मा, डॉ. अंशिका चंद्रा, डॉ. संजय राणा, डॉ. विपिन चनालिया, डॉ. देवदत्त,डॉ. अमित चौहान, डॉ. विंदेश द्विवेदी, डॉ. सौरभ श्रीवास्तव , ऑफिस सुपरिटेंडेंट राम सुभाग, कार्यालय अधिकारी ममता जोशी बहुगुणा सम्मिलित थे l
शिविर संचालन में दून मेडिकल कॉलेज ब्लड बैंक की कोआर्डिनेटर अनिता सकलानी,
सीनियर टैक्नीशियन जितेंद्र, एनएसएस के सीनियर लीडर्स हर्षल दीप सिंह, शरद कुमार, प्रदीप सिंह, अमन रतूड़ी, संजना सिंह, आएशा राणा, दीपिका कोठारी, कनिका, भारती सिंह, कु. साक्षी ने विशेष योगदान किया।
कार्यक्रम का संचालन प्रो. (डॉ.)अनिल पाल तथा धन्यवाद ज्ञापन एनएसएस कमांडर अभय चौहान ने किया।

महाकुंभ प्रयागराज में बेहतर सेवाओं के एसडीआरएफ टीम का हुआ अभिनंदन, सीएम पुरस्कार स्वरूप दिये 5 लाख

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देहरादून, महाकुंभ प्रयागराज से एसडीआरएफ के 112 कार्मिकों की टीम के उत्तराखण्ड वापस आने पर मुख्यमंत्री आवास में अभिनन्दन कार्यक्रम का आयोजन किया गया । कार्यक्रम में मुख्यमंत्री ने कहा कि एसडीआरएफ टीम ने महाकुंभ में अपनी दक्षता का बेहतरीन प्रदर्शन कर उत्तराखण्ड का मान बढ़ाया है। इस मौके पर मुख्यमंत्री ने एसडीआरएफ की टीम को पुरस्कार स्वरूप ₹5 लाख का चेक भी सौंपा।
मुख्यमंत्री ने महाकुंभ प्रयागराज में बेहतर सेवाएं देने पर एसडीआरएफ की टीम को बधाई दी। उन्होंने कहा कि ये अनुभव हरिद्वार के 2027 कुंभ में काम आयेंगे। इससे कुंभ को भव्य रूप से आयोजित करने में मदद भी मिलेगी। इस महाकुंभ से हमारे जवानों का आत्मविश्वास बढ़ा है तथा भविष्य में हम भीड़ का कुशल प्रबंधन करने में सफल होंगे।
मुख्यमंत्री ने कहा कि सनातन धर्म के महासंगम की चुनौती को संभालना चुनौतीपूर्ण कार्य था। बेहतर व्यवस्थाओं और प्रबंधन से उत्तर प्रदेश के साथ ही उत्तराखण्ड सरकार का सर ऊंचा हुआ है। यही अनुभव 2027 के कुंभ में मददगार साबित होंगे। हमारा प्रयास है कि वाहनों के लिए सुनियोजित पार्किंग व्यवस्था हो जिसके लिए सरकार पूरी तरह से प्रयासरत है।
उन्होंने कहा कि उत्तराखण्ड राज्य विभिन्न भौगोलिक परिस्थितियों और आपदा की दृष्टि से संवेदनशील राज्य है। इन चुनौतियों से पार पाने के लिए एसडीआरएफ द्वारा सराहनीय कार्य किए गए हैं। श्रेष्ठ आपदा प्रबंधन में एसडीआरएफ की अहम भूमिका रही है। आपदा प्रबंधन के लिए क्विक रिस्पॉन्स और अत्याधुनिक उपकरणों से राज्य में आपदा के प्रभाव को कम करने में काफी मदद मिली है।

इस दौरान कार्यक्रम में उपाध्यक्ष राज्य आपदा प्रबंधन सलाहकार समिति विनय रोहिला, सचिव गृह शैलेश बगौली, डीजीपी दीपम सेठ, एडीजी अमित सिन्हा, वी. मुरुगेशन, ए. पी अंशुमान, सचिव आपदा प्रबंधन विनोद कुमार सुमन, आईजी एसडीआरएफ श्रीमती रिद्धिम अग्रवाल, कमांडेंट एसडीआरएफ अर्पण यदुवंशी एवं एसडीआरएफ के अधिकारी और जवान उपस्थित रहे।

मैजिक बुक ऑफ रिकार्ड ने दी नवेंदु महर्षि को डाक्टरेट की मानंद उपाधि

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देहरादून, दलित साहित्य के प्रख्यात चिंतक तथा 107 पुस्तकों के प्रणेता जय प्रकाश नवेंदु को मैजिक बुक ऑफ रिकार्ड द्वारा डाक्टरेट की मानंद उपाधि दी गई है। यह उपाधि मैजिक बुक ऑफ रिकार्ड के चैयरमैंन डा. सीपी यादव ने हरियाणा में आयोजित एक समारोह में डॉ. जय प्रकाश नवेंदु को प्रदान किया। डॉ. नवेंदु के अलावा इस अवसर पर कई साहित्यकारों को भी सम्मानित किया गया जिन्होंने लेखन क्षेत्र में विशेष कार्य किया है। गांधी इंटर कालेज के पूर्व उप प्रधानाचार्य जय प्रकाश नवेंदु वंचित वर्ग के लिए निरंतर साहित्य लेखन में जुटे रहे हैं। उन्होंने कुछ फिल्मों में भी गीत लेखन का काम किया है। संस्था ऐसे विशिष्टजनों को सम्मानित करती है जिन्होंने अपने-अपने क्षेत्रों में विशिष्ट भूमिका निभाई है। दूनवासी जय प्रकाश नवेंदु को सम्मानित किया जाना जहां वंचित वर्ग के लेखकों का बड़ा सम्मान है वहीं साहित्यिक सम्मान के रूप में भी माना गया है।

पुरस्कार घोषित, साहित्य उपेक्षित…..!

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“संस्कृति निदेशालय और उत्तराखंड भाषा संस्थान की कार्यप्रणाली पर सवाल, लोक साहित्य से संबंधित पुस्तकों के संरक्षण को रत्ती भर भी प्रयास नहीं, अनुदानित पुस्तकों को उपलब्ध कराने के लिए भी कोई व्यवस्था नहीं”

(लक्ष्मी प्रसाद बडोनी)

देहरादून, उत्तराखंड सरकार ने नामचीन साहित्यकारों के नाम पर पुरस्कार तो घोषित कर दिए, लेकिन उनके साहित्य के संरक्षण की दिशा में कोई पहल नहीं की। हाल यह है कि सरकारी स्तर पर एक भी ऐसा पुस्तकालय नहीं है, जहां गढ़वाली या कुमाऊंनी भाषा का साहित्य उपलब्ध हो सके। कुछ लोगों ने अपने स्तर से जरूर घर में ही ऐसी किताबें जुटाई हैं, लेकिन यह आमजन या युवा पीढ़ी की पहुंच में नहीं है, जिससे अच्छा लोक साहित्य लोगों तक नहीं पहुंच पा रहा है। ऐसे में गढ़वाली-कुमाऊंनी भाषा को आठवीं अनुसूची में स्थान दिलाने के लिए बड़ी-बड़ी बातें करने वाले सरकार के कर्ताधर्ताओं के वादे बेमानी साबित हो रहे हैं। जाहिर है यह लोग साहित्य गौरव पुरस्कार बांट कर सिर्फ़ आंखों में धूल झोंकने का काम कर रहे हैं। हकीकत में कोई काम इस दिशा में नहीं किया जा रहा है। गढ़वाली भाषा के उन्नयन के लिए काम कर रहे गढ़वाली साहित्यकार नरेंद्र कठैत ख़ुद सरकारी प्रयासों से संतुष्ट नहीं हैं। उनका कहना है कि सरकार को एक ऐसा पुस्तकालय स्थापित करना चाहिए, जहां गढ़वाली और कुमाऊंनी भाषा के साहित्य को संरक्षित किया जा सके। हैरत की बात है कि अन्य प्रकाशनों की तो छोड़िए संस्कृति निदेशालय और उत्तराखंड भाषा संस्थान के पास अपनी अनुदानित पुस्तकों के रखरखाव तक की सही व्यवस्था नहीं है, जबकि इसके लिए यह हर साल लाखों रुपए खर्च कर रहे हैं। ऐसे में दोनों विभागों की कार्यप्रणाली पर सवाल उठ रहे हैं।

संस्कृति निदेशालय जहां अनुदान के लिए चयनित पुस्तकों की 10 प्रतियां लेखक से मांगता है, वहीं उत्तराखंड भाषा संस्थान अनुदानित पुस्तकों की पांच प्रतियां मांगता है। भाषा संस्थान की पहले शर्त यह होती थी कि जितना अनुदान दिया जाएगा, उतने ही मूल्य की पुस्तकें आपको जमा करानी होंगी। यानी किसी को यदि 15 हजार रुपए का अनुदान दिया गया है और उसने पुस्तक का मूल्य 150 रुपए रखा है, तो उसे 100 प्रतियां जमा करानी होंगी। हालांकि अब सिर्फ़ पांच पुस्तकें मांगी जाती हैं।

यह तो हुई अनुदान प्रक्रिया की बात, लेकिन असल सवाल यहीं से उठता है। इन अनुदानित पुस्तकों का विभाग करता क्या है। स्थिति यह है कि दोनों ही विभागों के पास अपनी लाइब्रेरी तक नहीं है। ऐसे में अनुदानित पुस्तकों के बंडल बंद कमरे की शोभा बढ़ाए रहते हैं। दोनों विभागों के अनुदान से प्रकाशित अधिकतर पुस्तकें पाठकों के हाथ तक नहीं पहुंचती। ऐसे में दोनों विभागों की कार्यप्रणाली पर सवाल उठना स्वाभाविक है।
सवाल यह है कि जब पाठकों के पास यह पुस्तकें पहुंचनी ही नहीं हैं, तो इनके लिए अनुदान देने से क्या फायदा। क्यों लाखों रुपए की बरबादी की जा रही है। आखिर साहित्य गौरव पुरस्कार देकर सरकार दिखाना क्या चाहती है। जब सरकारी स्तर पर एक अदद पुस्तकालय तक इन दोनों विभागों ने पुस्तकों के संरक्षण को नहीं बनाया है तो फिर पुरस्कार देने का ढोंग क्यों ?

गढ़वाली साहित्यकार नरेंद्र कठैत बताते हैं कि उत्तराखंड में लोक साहित्य के लिए अपना जीवन खपा देने वाले प्रख्यात साहित्यकार मोहन बाबुलकर की किताबें तक राज्य सरकार संरक्षित नहीं कर पाई। ऐसे में उन्हें अपनी किताबें देवप्रयाग स्थित वेधशाला को देने के लिए विवश होना पड़ा। यही नहीं, प्रख्यात साहित्यकार भजन सिंह ‘सिंह’ के नाम पर पुरस्कार तो सरकार ने घोषित कर दिया, लेकिन उनकी किताबों को संरक्षित करने के लिए कुछ नहीं किया।
दून लाईब्रेरी के प्रोग्राम को-ऑर्डिनेटर चंद्रशेखर तिवारी कहते हैं कि उत्तराखंड भाषा संस्थान का दायित्व है कि वह लोक साहित्य का संरक्षण करे, लेकिन उनकी तरफ से कोई ऐसा प्रयास नहीं किया जा रहा है। स्थिति यह है कि मोहनलाल बाबुलकर हों या भजन सिंह ‘सिंह’ अथवा शेर सिंह बिष्ट ‘अनपढ़’ जैसे लोक भाषा के साहित्यकारों की पुस्तकें समग्र रूप से कहीं भी उपलब्ध नहीं हैं। इतिहासकार योगेश धस्माना ने कहा कि सरकार ने भजन सिंह ‘सिंह’ जैसे मूर्धन्य साहित्यकारों के नाम पर पुरस्कार तो घोषित कर दिए, लेकिन इनके साहित्य को सहेजने का काम नहीं किया। मुख्यमंत्री ने लोकगायक नरेन्द्र सिंह नेगी के जन्म दिवस पर घोषणा की थी कि वह लोक भाषा की किताबों का संरक्षण करने के लिए एक लाइब्रेरी बनाएंगे, लेकिन आज तक इस दिशा में पहल नहीं की। बकौल धस्माना उत्तर प्रदेश भाषा संस्थान ने उत्तराखंड के तमाम नामचीन साहित्यकारों की पुस्तकें समय-समय पर प्रकाशित की थी, जिनका मूल्य भी ज्यादा नहीं था। उत्तराखंड भाषा संस्थान इन पुस्तकों को आसानी से मंगा सकता था, लेकिन संस्थान से जुड़े अधिकारियों या सलाहकारों को पुरस्कारों की रेवड़ियां बांटने या जुगाड़बाजी से फुर्सत मिले, तब तो वह इस दिशा में सोचें। बहरहाल, बड़े साहित्यकारों के नाम पर पुरस्कार घोषित कर देने भर से लोक साहित्य का भला नहीं होगा, बल्कि सरकार की मंशा यदि सही है तो उनकी किताबों को संरक्षित करने की दिशा में भी उसे धरातल पर काम करना चाहिए।