Thursday, May 1, 2025
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डांडी कांठी क्लब की स्मारिका ‘दृढ़ संकल्प’ का मुख्यमंत्री ने किया विमोचन

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देहरादून, मुख्यमंत्री  त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने गुरूवार को मुख्यमंत्री आवास में डांडी कांठी क्लब की स्मारिका ‘दृढ़ संकल्प’ का विमोचन किया। उन्होंने कहा कि स्मारिका में उत्तराखण्ड की संस्कृति और उत्तराखण्ड आंदोलन की गाथा एवं राज्य के ऐतिहासिक, धार्मिक एवं पर्यटन की दृष्टि से महत्वपूर्ण स्थलों के बारे में लोगों को जागरूक करने का प्रयास किया गया है। स्मारिका में कोविड संक्रमण के बचाव से संबंधित विभिन्न जानकारियों का भी समावेश किया गया है।

उन्होंने उत्तराखण्ड की सांस्कृतिक विरासत, धरोहरों एवं परम्पराओं के बारे में जानकारी प्रदान करने के प्रयसों की सराहना की।
डांडी कांठी क्लब के अध्यक्ष  विजय भूषण उनियाल ने कहा कि डांडी कांठी क्लब का उद्देश्य ही सामाजिक सरोकारों को बढ़ावा देना रहा है। इसके साथ ही पर्वतीय क्षेत्रों से दूर रह रहे प्रवासियों को अपनी समृद्ध लोक संस्कृति से परिचित कराना भी उनका उद्देश्य रहा है।

उन्होंने कहा कि अपनी संस्कृति एवं सांस्कृतिक विरासत को विश्व पटल पर रखने का भी हमारा प्रयास है। इसी के दृष्टिगत क्लब की स्मारिका दृढ़ संकल्प का प्रकाशन किया गया है।
इस अवसर पर डांडी कांठी क्लब के महासचिव कृष्णानन्द भट्ट, लोक गायक  गीता राम कन्सवाल,  राजनीश सेमवाल,  नीरज उनियाल  विजेन्द्र सजवाण आदि उपस्थित थे।

हिम्मत रखो बेटा! मैं तुम्हारे साथ हूं

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बोर्ड परीक्षार्थियों से रू-ब-रू हुए केंद्रीय शिक्षा मंत्री डाॅ. निशंक
बोर्ड परीक्षा समेत नीट, जेईई को लेकर जिज्ञासाओं को शांत किया

देहरादूनः समस्या है तो समाधान भी है। धैर्य को अपनाने से बाधाएं सुगमता में बदल जाती हैं। चुनौतियों का मुकाबला करने से आदमी निखर जाता है। विपरीत परिस्थितियों का डटकर मुकाबला करने से हिम्मत में इजाफा होता है। लक्ष्य ही नहीं, संघर्ष और लगन भी महत्त्वपूर्ण होती है। समय लौटकर नहीं आता है, वह अमूल्य है, हमें उसका सदुपयोग करना है। जितना महत्त्वपूर्ण समय है, उतना ही अहम हमारा स्वस्थ्य भी।

स्वास्थ्य की रक्षा बहुत हद तक जागरूकता, सावधानी और नियमों के पालन करने पर निर्भर करती है। मेरे भारत ने कोविड की भयंकर विश्वव्यापी बाधा पार कर शिक्षा जगत में परचम लहराया है। यह मेरे 33 करोड़ से अधिक विद्यार्थियों, एक करोड़, दस लाख शिक्षकों और कार्मिकों के कारण संभव हो पाया है। हम सफलता की ओर निरंतर अग्रसर हैं। आॅनलाइन माध्यम से पढ़ाई कर हमने अपने बच्चों का समय बचाकर उनका भविष्य सुरक्षित किया है और बोर्ड परीक्षाओं की चुनौतियों को भी हम इसी प्रकार हंसते-हंसते पार कर जाएंगे।

उपरोक्त साहस और हिम्मत की प्रेरणा देते हुए बृहस्पतिवार को केंद्रीय शिक्षा मंत्री डाॅ. रमेश पोखरियाल निशंक देश के करोड़ों विद्यार्थियों से रू-ब-रू हुए। लाइव कार्यक्रम में उन्होंने विद्यार्थियों के सवालों के जवाब दिए, उनकी जिज्ञासाओं को शांत किया और सुझावों पर गंभीरतापूर्वक विचार कर सकारात्मक कदम उठाने का आश्वासन दिया। डाॅ. निशंक ने कहा कि अब वे अभिभावकों से भी संवाद करेंगे।

उन्होंने विद्यार्थियों का आह्वान किया कि वे परीक्षा के तनाव को जिंदगी का हिस्सा न बनाएं, पढ़ाई से समय निकालकर योग करें, माता-पिता के साथ घर के काम में हाथ बंटाएं, उनसे रचनात्मक कार्य सीखें और कहानियां सुनकर उन्हें लिपिबद्ध करें। कोविड काल के अनुभवों को रोचक ढंग से लिपिबद्ध करें, ताकि भविष्य के लिए स्मृतियों की यह अमूल्य धरोहर सुरक्षित रह पाए।

सवालों के क्रम में एक छात्रा सुधा ने केंद्रीय शिक्षा मंत्री डाॅ. रमेश पोखरियाल निशंक के समक्ष चिंता व्यक्ति की कि स्कूल खुल रहे हैं और बोर्ड परीक्षाएं हो रही हैं तो क्या विद्यार्थियों में संक्रमण नहीं फैलेगा?
इस पर डाॅ. निशंक ने कहा-स्कूल खुल रहे हैं, परीक्षाएं हो रही हैं, यह बच्चों के हित में ही है। यदि एसओपी का पूरी तरह पालन किया जाए, बच्चों, अभिभावक और विद्यालयों की ओर से सावधानी बरती जाए तो संक्रमण का खतरा नहीं के बराबर रहेगा। असावधानी बरती तो संक्रमण घर में भी हो सकता है। हमने जेईई, नीट जैसी बड़ी परीक्षाएं नियमों के पालन और सावधानी के साथ करायीं और सफलता मिली। इसलिए मैं इस बात से इत्तफाक नहीं रखता कि सुरक्षा के मद्देनजर स्कूल न खोल जाएं और परीक्षाएं न कराई जाएं या पीछे ले जाई जाएं। हमें अपने बच्चों के स्वास्थ्य और शिक्षा दोनों की चिंता है, इसलिए हम फूंक-फूंककर कदम रख रहे हैं।

’क्या मार्च में निर्धारित बोर्ड परीक्षाओं को आगे नहीं ले जा जाया जा सकता है?’ अभय सिंह नामक एक छात्र के सवाल का जवाब देते हुए केंद्रीय शिक्षा मंत्री ने कहा कि यह पहले से ही तय है। परीक्षाएं आगे खिसकाने का कोई लाभ नहीं है, क्योंकि कोविड-19 का दुष्प्रभाव लंबे समय तक रह सकता है। इसलिए हमें पढ़ाई के साथ ही अन्य परीक्षाओं का समय और तिथियां भी देखनी हैं। अतः ऐसा करना ठीक नहीं। छात्रों को चुनौतियों का सामना करने की आदत डालनी होगी।
प्रियांशु नामक छात्र ने समस्या रखी कि सीबीएसई द्वारा पाठ्क्रम से हटाए पाठों को लेकर भ्रम बना हुआ है। इसका समाधान क्या है?

इस पर डाॅ. निशंक ने कहा-सीबीएसई ने जो चैप्टर हटाए, उनका विवरण उसकी वेबसाइट पर उपलब्ध है। इसमें भ्रमित होने की आवश्यकता नहीं, न तो छात्र को और न ही शिक्षक को। हम सीबीएसई को कहेंगे कि इसका विवरण समस्त विद्यालयों को भी भेजा जाए।
अभिषम नाम छात्र का सुझाव था कि छात्रों को कोविड काल में प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी के लिए पूरी सुविधाएं नहीं मिल पायी हैं, इसलिए प्रतियोगी परीक्षाओं में से इस बार 20 प्रतिशत तक सिलेबस कम किया जाए।
डाॅ. निशंक ने कहा कि सीबीएसई अपने पाठ्यक्रम में से 30 प्रतिशत तक पाठ्यक्रम हटा चुका है, इस पर भी विचार करेंगे, इसके लिए समय की आवश्यकता होगी।

जिज्ञांश का सवाल था कि कोविड के कारण सीबीएसई के बारहवीं के छात्र स्कूल में जाने और लैब में जाकर प्रैक्टिकल करने का अधिक मौका नहीं मिल पाया, क्या ऐसे में प्रैक्टिकल परीक्षा रद या पोस्टपोंड हो सकती है?
जिज्ञांश की शंका का समाधा करते हुए डाॅ. निशंक ने कहा कि प्रैक्टिकल स्कूली स्तर पर होते हैं। इस संबंध में देखते हैं क्या संभावना बनती है। अभी हमें समय का इंतजार करना पड़ेगा। आपका सवाल महत्त्वपूर्ण है। इस पर हम निश्चित रूप से विद्यार्थी हित में विचार करेंगे।

अभय ने सवाल पूछा कि सीबीएसई ने कोविड-19 के कारण अपना पाठ्क्रम कम कर दिया है, क्या ऐसे में जेईई मेंस में भी सिलेबस कम किया जाना चाहिए?
केंद्रीय शिक्षा मंत्री ने जवाब दिया-सीबीएसई ने तो सिलेबस कम किया है, लेकिन अन्य कई बोर्डों ने कम नहीं किया है। हम इस मसले पर विचार कर रहे हैं। हमें उन विद्यार्थियों की समस्या का भी ध्यान रखना है, जिनका सिलेबस कम हुआ है। इसलिए हम चाहते हैं कि जैसे इस प्रकार व्यवस्था बने कि प्रश्नपत्र इस प्रकार का हो कि दोनों प्रकार के छात्र उससे कवर हो जाएं। किसी को नुकसान न हो।
जेईई परीक्षा की के आयोजन को लेकर कन्फ्यूजन बना हुआ है। क्या ऐसा नहीं हो सकता कि इसकी तारीख फिक्स की जाए? नवीन नामक छात्र ने ये सवाल किया तो इसके उत्तर में केंद्रीय शिक्षा मंत्री ने कहा-हम इसके लिए पूरा प्रयास करेंगे कि जेईई परीक्षा की तिथि पहले तय हो जाए। हमारे पास यह भी सुझाव और सवाल आए हैं कि क्या जेईई की परीक्षा साल में दो, तीन, चार बार नहीं हो सकती? क्योंकि इससे छात्रों के सामने परीक्षा देने के अवसर बढ़ जाएंगे? इन सवालों और सुझावों पर भी हम गंभीर हैं और हमें उचित लगा तो इस पर निर्णय लेंगे।

कृपा पटेल ने समस्या रखी कि जेईई मेंस और सीबीएसई प्रैक्टिकल परीक्षा के बीच कोई टकराव न हो। कृपा ने जेईई परीक्षा का पाठ्यक्रम और इसकी तारीख भी जाननी चाही।
डाॅ. निशंक ने कहा कि हमने अधिकारियों को इसके लिए कह दिया है कि दोनों परीक्षाओं में कोई टकराव न हो। यदि ऐसा होता भी है तो प्रभावित छात्र को अवसर दिया जाए। उसे नुकसान नहीं होने दिया जाएगा। डाॅ. निशंक ने कहा कि हमारी कोशिश होगी कि हम जेईई मेंस का पाठ्यक्रम निश्चित कर दें।

नीट परीक्षा स्थगित हो और यह जुलाई के फस्र्ट वीक में हो। केशवराव कुमार के इस सुझाव पर केंद्रीय शिक्षा मंत्री ने कहा कि यह बिलकुल नहीं हो सकता। हम पिछली बार इसे तीन बार बार पीछे ले गए। कुछ लोगों ने इसके लिए आंदोलन किया, जबकि हमारे छात्र और उनके अभिभावक मांग कर रहे थे कि परीक्षाएं कराएं, आखिर बच्चे कब तक तैयारी करते रहे। हमने पूरी सुरक्षा के साथ नीट की परीक्षा कराई। 99 प्रतिशत प्रतियोगियों को उनके पसंदीदा सेंटर दिए। हम चाहते तो परीक्षा निरस्त भी करा सकते थे, लेकिन हमने यह सोचकर कि बच्चे का एक-एक क्षण हमारे लिए कीमती है, इसलिए हमने हर हाल में परीक्षा करायी और इसमें सफल हुए।

पीएस कोहली ने पूछा कि नीट के संचालन की विधि क्या होगी आॅनलाइन या आॅफलाइन?
इस पर डाॅ. निशंक ने कहा-अभी तक हमने नीट आॅफलाइन किया है, संभावनाएं आॅनलाइन की बन सकती हैं। वैसे अब इस पर विचार करेंगे। हम वही करेंगे, जो प्रतियोगियों के लिए सुगम और उनके हित में हो।

(डाॅ. वीरेंद्र बर्त्वाल)

प्रमोशन के लिए अब सेवा अवधि सात वर्ष

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देहरादून। सबसे अहम महकमे श्रम विभाग के लिए बनाई गई अधीनस्थ श्रमसेवा नियमावली-2020 के लागू होने से अधिकारियों के प्रमोशन के रास्ते में अवरोध पैदा हो गया है। किसी भी अधिकारी पद पर प्रमोशन के लिए पहले पांच वर्ष सेवा अवधि का प्रावधान था जिसे बढ़ाकर अब सात वर्ष कर दिया गया है।

इसका परिणाम यह हुआ कि विभाग में उपश्रमायुक्त से लेकर श्रम प्रवर्तन अधिकारी तक के 25 पद खाली हैं, लेकिन प्रमोशन नहीं हो पा रहे हैं। श्रम प्रवर्तन अधिकारी स्तर के एक-एक अधिकारी पर खाली पदों के अधिकारियों के काम का भी बोझ है, जिसके कारण काम प्रभावित हो रहा है। श्रम प्रवर्तन अधिकारियों कोअपने काम के साथ-साथ भवन एवं सन्निर्माण कर्मकार कल्याण बोर्ड से जुड़े कार्यों की जिम्मेदारी भी उठानी पड़ रही है।

उत्तराखंड राज्य का गठन होने के 15 वर्ष बाद वर्ष 2016 में श्रम विभाग का पुनर्गठन हो सका। इसके चार वर्ष बाद अब प्रदेश शासन ने श्रम विभाग की नई अधीनस्थ श्रम सेवा नियमावली-2020 को मंजूरी देकर इसे लागू किया है। इसमें श्रम प्रवर्तन अधिकारी और फिर सहायक श्रमायुक्त के पद थे। इससे ऊपर पद पर प्रमोशन के लिए सात वर्ष एक ही पद पर कार्य करने की वरिष्ठता का प्रावधान कर दिया गया है।

पहले यह अवधि केवल पांच वर्ष की थी। यूपी, पंजाब, हरियाणा, दिल्ली समेत दूसरे राज्यों में अब भी पांच वर्ष की अवधि वाला प्रावधान चल रहा है। पहले मिनिस्टीरियल स्टाफ में से श्रम प्रवर्तन अधिकारी व श्रम प्रवर्तन अधिकारी से सहायक श्रमायुक्त और सहायक श्रमायुक्त पद से उपश्रमायुक्त पदों पर प्रमोशन होने पद रिक्त पद भर जाते थे लेकिन अब सात वर्ष की शर्त से इसमें देरी हो रही है।
उपश्रमायुक्त पर तीन प्रभार
कुमाऊं मंडल में दो उपश्रमायुक्त कार्यालय हैं। हल्द्वानी स्थित उपश्रमायुक्त कार्यालय में उपश्रमायुक्त का पद रिक्त चल रहा है। ऊधमसिंह नगर उपश्रमायुक्त कार्यालय में नियुक्त उपश्रमायुक्त विपिन कुमार के पास हल्द्वानी के साथ ही उपश्रमायुक्त मुख्यालय का अतिरिक्त प्रभार है। इसी तरह पिथौरागढ़ और हरिद्वार में सहायक श्रमायुक्त के रिक्त पदों का कार्य दूसरे अधिकारी देख रहे हैं।

यहां नहीं है श्रम प्रवर्तन अधिकारी
हल्द्वानी, खटीमा, काशीपुर, टिहरी, कोटद्वार, रुद्रप्रयाग, बागेश्वर, किच्छा और देहरादून
पद नाम             –               कुल पद         –     रिक्त पद
श्रमायुक्त                   –         01         –           0
अपर श्रमायुक्त             –        01         –           01
संयुक्त श्रमायुक्त           –        01        –            0
उपश्रमायुक्त                   –      05         –            02
सहायक श्रमायुक्त             –      11       –              02
उपनिदेशक कारखाना          –     01       –               0
सहायक निदेशक कारखाना   –    05       –               04
श्रम प्रवर्तन अधिकारी          – 32           –           16
मिनिस्टीरियल स्टॉफ        –      116      –               45
विभाग में रिक्त पदों को भरने के लिए अध्याचन शासन को पूर्व में भेजा जा चुका है। शासन स्तर से ही इस बारे में निर्णय लिया जाएगा। विभाग में जो पद प्रमोशन के माध्यम से भरे जाने हैं उसकी प्रक्रिया नियमानुसार अमल में लाई जाएगी।
– दीप्ति सिंह, श्रम आयुक्त उत्तराखंड

 

 

2500 पदों पर जल्द जारी होंगे भर्ती विज्ञापन

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देहरादून। मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने सचिवालय में उत्तराखण्ड अधीनस्थ सेवा चयन आयोग द्वारा राज्य में ऑनलाइन परीक्षाएं (कम्प्यूटर बेस्ड टेस्ट) के लिए प्रशिक्षण हेतु वीडियो/मॉकटेस्ट का शुभारम्भ किया। मुख्यमंत्री श्री त्रिवेन्द्र ने कहा कि उत्तराखण्ड अधीनस्थ सेवा चयन आयोग द्वारा ऑनलाईन जो परीक्षाएं आयोजित की जा रही हैं, अभ्यर्थी को इसके लिए व्यापक स्तर पर विभिन्न माध्यमों से प्रशिक्षण की व्यवस्था की जाय। यह सुनिश्चित किया जाय कि ऑनलाइन परीक्षा होने से पूर्व अभ्यर्थियों को ऑनलाइन परीक्षा से संबंधित सभी नियमों की जानकारी हो।

मुख्यमंत्री ने अधिकारियों को निर्देश दिये कि ऑनलाइन परीक्षाओं से संबंधित सभी जानकारियों एवं मॉकटेस्ट के लिए अभ्यर्थियों/छात्रों को महाविद्यालयों, जिन माध्यमिक स्कूलों में वर्चुअल क्लास की व्यवस्था है, विकासखण्ड, तहसील एवं जनपद स्तर पर भी वर्चुअल एवं अन्य माध्यमों से प्रशिक्षण की व्यवस्था की जाय। अभ्यर्थियों/छात्रों के फीडबैक भी अवश्य लिये जाए।
उत्तराखण्ड अधीनस्थ सेवा चयन आयोग के अध्यक्ष एस. राजू ने जानकारी दी कि पिछले साढ़े तीन सालों में आयोग द्वारा आयोजित परीक्षाओं में में 5700 पदों पर चयन प्रक्रिया पूरी की गई। पिछले चयन वर्ष में लगभग 5000 नये पदों पर चयन हेतु भर्ती विज्ञापन जारी किये गये हैं व 2500 पदों पर विज्ञापन जारी किये जाने हैं। उन्होंने बताया कि ऑनलाइन परीक्षाएं (कम्प्यूटर बेस्ड टेस्ट) आयोग द्वारा प्रथम बार शुरू की जा रही हैं।

19 दिसम्बर 2020 से 03 ऑनलाइन परीक्षाएं प्रारम्भ हो रही हैं। ऑनलाइन परीक्षाओं के लिए प्रशिक्षण मॉड्यूल तैयार किया गया है। इस प्रशिक्षण मॉड्यूल में ऑनलाइन परीक्षाओं के लिए आयोग द्वारा जारी दिशा-निर्देश, परीक्षा पूर्व, परीक्षा के दौरान तथा परीक्षा के बाद अभ्यर्थियों को ध्यान में रखने की मुख्य बातों को दर्शाने वाला वीडियो एवं 30 प्रश्नों का मॉकटेस्ट जो वास्तविक परीक्षा देने के समान होगा।

उन्होंने कहा कि परीक्षा में सुचिता एवं पारदर्शिता लाने की दृष्टि से ऑनलाइन परीक्षाएं एक उचित विकल्प है। कम्प्यूटर स्क्रीन पर एक बार में एक प्रश्न प्रदर्शित होगा, प्रत्येक अभ्यर्थी का अलग प्रश्न पत्र होगा एवं सम्पूर्ण परीक्षा व सभी अभ्यर्थी सीसीटीवी कैमरे से कवर्ड होंगे। अभ्यर्थियों को परीक्षा के उपरांत पूर्व की भांति उनका प्रश्न पत्र एवं उनका उत्तर उपलब्ध कराया जायेगा। अभ्यर्थियों को प्रश्नों पर चुनौती का अवसर भी दिया जायेगा। इस अवसर पर शिक्षा मंत्री अरविन्द पाण्डेय, अपर मुख्य सचिव श्रीमती राधा रतूड़ी, मुख्यमंत्री के आईटी सलाहकार रविन्द्र दत्त, सदस्य उत्तराखण्ड अधीनस्थ सेवा चयन आयोग डा. प्रकाश थपलियाल, सचिव संतोष बडोनी, अनुसचिव श्री राजन नैथानी, आशीष कौल आदि उपस्थित थे।

वालमार्ट ने की 2027 तक निर्यात को 10 अरब डॉलर सालाना करने की घोषणा

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घरेलू बाजार से ही उत्पादों की सोर्सिंग करेगी कंपनी

देहरादून, । भारत को वैश्विक बाजारों के लिए मैन्यूफैक्चरिंग हब के रूप में विकसित करने की सरकार की नीति का समर्थन करते हुए वालमार्ट ने यहां से होने वाले अपने निर्यात को अगले सात साल में तीन गुना वृद्धि करने की घोषणा की है। वालमार्ट ने वर्ष 2027 तक भारत से होने वाले अपने निर्यात को 10 अरब डालर सालाना तक पहुंचाने का निर्णय लिया है।
इस लक्ष्य को पाने में वालमार्ट घरेलू बाजार से उत्पादों की खरीद के कार्यक्रमों को भी गति देगी। निर्यात के संपूर्ण लक्ष्य की सोर्सिंग कंपनी घरेलू बाजार से ही करेगी। इसके लिए फ्लिपकार्ट समर्थ और वालमार्ट वृद्धि सप्लायर डवलपमेंट प्रोग्राम जैसे प्रयासों के साथ साथ भारत में सूक्ष्म, लघु और मध्यम आकार के उद्यमों (MSME) को वालमार्ट बढ़ावा देगी। सोर्सिंग के विस्तार में खाद्य, फार्मास्यूटिकल्स, कंज्यूमर उत्पाद, स्वास्थ्य और वैलनेस जैसी श्रेणियों में सैकड़ों नए सप्लायर विकसित करना और अपेरल, होमवेयर और अन्य प्रमुख भारतीय निर्यात श्रेणियों के साथ सामान्य उत्पाद भी शामिल होंगे।

“दुनिया भर में उपभोक्ताओं और कम्यूनिटी के वैल्यू एडीशन के लिए काम कर रहे एक अंतरराष्ट्रीय रिटेलर के रूप में वॉलमार्ट समझता है कि वैश्विक खुदरा क्षेत्र की सफलता के लिए स्थानीय उद्यमी और निर्माता महत्वपूर्ण हैं। और हम भारतीय आपूर्तिकर्ताओं के लिए अद्वितीय पैमाने और वैश्विक वितरण अवसर प्रदान करके अपने व्यवसाय को विकसित करने के लिए बड़ी संभावना देखते हैं। वॉलमार्ट इंक के अध्यक्ष और मुख्य कार्यकारी अधिकारी डग मैकमिलन ने कहा,“ आने वाले वर्षों में भारत से होने वाले हमारे वार्षिक निर्यात काफी तेजी लाकर हम मेक इन इंडिया पहल का समर्थन कर रहे हैं और भारत में घर पर रोजगार और समृद्धि पैदा करते हुए अधिक स्थानीय व्यवसायों को अंतर्राष्ट्रीय ग्राहकों तक पहुंचने में मदद कर रहे हैं। यह वॉलमार्ट के लिए पूरे विश्व में लाखों ग्राहकों के लिए अधिक उच्च गुणवत्ता वाले, भारत निर्मित सामान लाने का एक तरीका भी है। ”

“फ्लिपकार्ट को हजारों भारतीय कंपनियों और कारीगरों के साथ काम करने पर गर्व है। हम एक मंच प्रदान करते हैं जो उन्हें अखिल भारतीय बाजार तक पहुंचने और वैश्विक बाजार के लिए अपने सभी महत्वपूर्ण ब्रांडिंग, विपणन, लॉजिस्टिक्स और कंप्लायंस क्षमताओं को परिष्कृत करने का अवसर देता है। फ्लिपकार्ट ग्रुप के मुख्य कार्यकारी अधिकारी कल्याण कृष्णमूर्ति ने कहा कि हम वॉलमार्ट की मदद के लिए भारतीय कंपनियों को मेड इन इंडिया उत्पादों को वैश्विक स्तर पर ले जाने में मदद करते हैं।”

भारत से होने वाले अपने निर्यात में तेजी लाने के लिए वालमार्ट घरेलू स्तर पर सप्लाई चेन के इकोसिस्टम के विकास को मजबूती देगा। इसके लिए मौजूदा निर्यातकों को बढ़ावा देने के साथ साथ निर्यात को तैयार व्यवसायों की संख्या को भी विस्तार प्रदान किया जाएगा।

वॉलमार्ट पिछले 20 वर्षों से अधिक समय से भारतीय उत्पादों से उत्पादों की सोर्सिंग कर रही है। कंपनी की इस नीति से स्थानीय आपूर्तिकर्ताओं को अपने ऑपरेशन को अपग्रेड करने, अंतर्राष्ट्रीय मानकों को पूरा करने, नई उत्पाद लाइनों को विकसित करने और पैकेजिंग, मार्केटिंग, सप्लाई चेन मैनेजमेंट में नई क्षमताओं का निर्माण करने में सहायता मिली है। कंपनी भातीय सप्लायरों को मांग के पुर्वानुमानों के साथ वैश्विक बाजार की जानकारी उपलब्ध कराती है जो उन्हें रणनीतिक योजना के साथ काम करने में मदद करते हैं। इससे सैकड़ों कंपनियों को वैश्विक बाजार में सफलता प्राप्त करने में मदद मिली है जिनमें वेलस्पन, एलटी फूड्स और अनिकेत मेटल्स के साथ ग्लोबल ग्रीन जैसी तेजी से बढ़ती निर्यात कंपनी भी शामिल है।

वेलस्पन इंडिया की सीईओ और संयुक्त प्रबंध निदेशक दीपिका गोयनका ने कहा “जब से हम 1998 में वॉलमार्ट सप्लायर बने, वेलस्पन दुनिया के सबसे बड़े होम टेक्सटाइल निर्माता बन गए हैं, हम अपने उत्पादन का 94 परसेंट निर्यात करते हैं और 20,000 लोगों को रोजगार देते हैं, जिनमें से 25 परसेंट महिलाएं हैं।” हम गुणवत्ता, स्थिरता व विविधता और समावेशिता पर अपना ध्यान केंद्रित करने के लिए वॉलमार्ट के साथ अपने संबंधों का लाभ उठाने में सक्षम हैं। वेलस्पन एक देसी ब्रांड है जो अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मेक इन इंडिया की कहानी का उदाहरण है। इसके अलावा, हम चुनौतीपूर्ण समय के दौरान एक साथ भागीदार के रूप में खड़े हुए हैं। भारतीय आपूर्तिकर्ताओं के लिए वॉलमार्ट की विस्तारित प्रतिबद्धता के साथ, हम जानते हैं कि हम भविष्य में मिलकर आगे बढ़ेंगे। ”

जमीनी स्तर पर, वॉलमार्ट के आपूर्तिकर्ता विकास कार्यक्रम वृद्धि, को एक साल पहले लॉन्च किया गया था, जो भारत और दुनिया भर में वॉलमार्ट, फ्लिपकार्ट और अन्य कंपनियों के आपूर्तिकर्ताओं के रूप में सफल होने के लिए MSMEs को निर्यात कौशल और ज्ञान उपलब्ध करा रहा है। लक्ष्य है कि पांच वर्षों में घरेलू और वैश्विक आपूर्ति श्रृंखलाओं के लिए मेक इन इंडिया के लिए 50,000 MSME को सशक्त बनाया जाए।

भारत पहले से ही वालमार्ट के शीर्ष सोर्सिंग बाजारों में से एक रहा है। कंपनी का भारत से निर्यात फिलहाल लगभग 3 अरब अमेरिकी डॉलर सालाना का है। भारत में निर्मित परिधान, होमवेयर, ज्वैलरी, हार्डलाइन और अन्य लोकप्रिय उत्पाद वर्तमान में अमेरिका, कनाडा, मैक्सिको, मध्य अमेरिका और यूनाइटेड किंगडम सहित 14 बाजारों में बैंगलुरू स्थित वालमार्ट ग्लोबल सोर्सिंग ऑफिस के जरिए ग्राहकों तक पहुंचते हैं। अगले कुछ वर्षों में सोर्सिंग हब स्थानीय टीम को और भी अधिक स्थानीय व्यवसायों के लिए अधिक प्रभावी बनाने के लिए सशक्त बनाया जाएगा।

 

फ्लिपकार्ट 2027 तक घरेलू बाजार से 10 अरब डालर मूल्य के उत्पादों की सोर्सिंग करेगी

फ्लिपकार्ट की पेरेंट कंपनी वालमार्ट दो दशक से भारतीय उत्पादों की पहुंच वैश्विक बाजारों तक बनाने में मदद कर रही है
वालमार्ट पूरी दुनिया के अपने ग्राहकों के लिए भारत से उत्पादों की खरीद कर रही है। इसके लिए कंपनी ने बैंगलुरू में वर्ष 2002 में ग्लोबल सोर्सिंग ऑफिस स्थापित किया था। दुनिया भर में अब कंपनी के लिए भारत मुख्य सोर्सिंग बाजारों में से एक है।
कंपनी अभी भारत से 3 अरब डॉलर मूल्य के भारतीय उत्पादों का सालाना निर्यात करती है। इनमें अपेरल, होमवेयर, ज्वैलरी, फार्मा, फूड और कई अन्य उत्पाद शामिल हैं जिन्हें अमेरिका, कनाडा, मैक्सिको, मध्य अमेरिका और यूनाइटेड किंगडम समेत 14 विदेशी बाजारों में निर्यात किया जाता है।
सैंकड़ों कंपनियों को निर्यात बाजार तक पहुंचाने में वालमार्ट ने मदद की है। वैलस्पन, एलटी फूड और अनिकेत मेटल्स जैसी कंपनियां तो अब वैश्विक बाजारों में अपना प्रमुख स्थान बना चुकी हैं। ग्लोबल ग्रीन कंपनी और ट्रोपिकूल फूड्स जैसी उभरती हुई कंपनियों की मदद जारी है।

फ्लिपकार्ट
वर्ष 2027 तक भारत से अपने सालाना निर्यात को तीन गुणा बढ़ाकर 10 अरब डालर करने को प्रतिबद्ध
कंपनी का बढ़ा हुआ निर्यात भारत में एमएसएमई सप्लायरों की संख्या का विस्तार करेगा। ये सभी सप्लायर वालमार्ट ग्लोबल सोर्सिंग, फ्लिपकार्ट मार्केट प्लेस पर विक्रेता के रूप में, फ्लिपकार्ट होलसेल बिजनेस के सप्लायर के तौर पर और वालमार्ट फाउंडेशन प्रोग्राम के साथ साथ वालमार्ट वृद्धि और फ्लिपकार्ट समर्थ जैसे कार्यक्रमों के साथ भी जुड़ेंगे।
हम भारत से होने वाले अपने निर्यात को विभिन्न श्रेणियों मसलन सामान्य उत्पादों के साथ साथ फूड, कंज्यूमर उत्पाद, स्वास्थ्य और वैलनेस में सोर्स करेंगे।

अपने निर्यात को 10 अरब डालर सालाना करके हम सरकार के मेक इन इंडिया अभियान को समर्थन दे रहे हैं और साथ ही स्थानीय व्यवसायों की पहुंच अंतरराष्ट्रीय बाजारों तक बनाने में मदद कर रहे हैं। इससे स्थानीय स्तर पर रोजगार उत्पन्न होंगे जो आगे चलकर समृद्धि लाएगी। इससे वालमार्ट को उच्च गुणवत्ता वाले उत्पादों को अपने वैश्विक ग्राहकों तक पहुंचाने में भी मदद मिलेगी।

हम मौजूदा निर्यातकों को प्रोत्साहन देकर और निर्यात के लिए तैयार व्यवसायों को राष्ट्रीय पूल में शामिल करके भारत में सप्लाई चेन इकोसिस्टम को मजबूत बनाने की दिशा में भी काम कर रहे हैं।
अपने भारतीय सप्लायरों के साथ दीर्घकालिक भागीदारी होने के नाते हम उन्हें अंतरराष्ट्रीय मानकों के अनुरूप काम करने और नए उत्पाद विकसित करने में मदद करते हैं। हम उनके साथ बाजार संबंधी जानकारी साझा करते हैं और उन्हें मांग के पूर्वानुमानों से भी अवगत कराते हैं ताकि उन्हें अपनी बिजनेस रणनीति बनाने में मदद मिले।
हमारा सप्लायर डवलपमेंट प्रोग्राम वृद्धि जो दिसंबर 2019 में लांच हुआ था, एमएसएमई को वालमार्ट, फ्लिपकार्ट और अन्य कंपनियों का सप्लायर बनने के लिए प्रशिक्षण देता है। कंपनी का लक्ष्य अगले पांच वर्ष में 50000 एमएसएमई को प्रशिक्षित करने का है।

पेप्वाइंट ने सेवा से वंचित ग्रामीण परिवारों के लिए ई-गोल्ड लॉन्च किया

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– कोई भी व्यक्ति डीमैट एकाउंट खोले बगैर ही 22 कैरेट ई-गोल्ड में न्यूनतम 500 रुपए का निवेश करके अपनी शुरुआत कर सकता है।

– तकनीक की जानकारी न रखने वाले ग्राहक रिटेल अथवा पेप्वाइंट इंडिया के साथ जुड़े किराना भंडारों की निर्देशित सहायता से बड़ी आसानी के साथ ई-गोल्ड में निवेश कर सकते हैं।

देहरादून,  जबकि सोना खरीदने के हजार तरीके मौजूद हैं, इनमें से जो तरीका शहरी भारत में लगातार तेजी से लोकप्रिय हो रहा है, वह है- ई-गोल्ड या डिजिटल गोल्ड। हालांकि डिजिटल साक्षरता और जागरूकता की कमी के चलते ग्रामीण मार्केट में ई-गोल्ड की मांग सुस्त बनी हुई है।

इस अंतर को देखते हुए पेप्वाइंट ने अपने प्लेटफॉर्म पर एक ई-गोल्ड सुविधा का शुरूआत किया है। यह प्लेटफॉर्म 48,000 से अधिक ऐसे वर्तमान भंडारों का नेटवर्क है, जो आखिरी पंक्ति में खड़े ग्राहकों को सारी सुविधाएं प्रदान करते हैं। यह नेटवर्क ग्रामीण परिवारों के लिए निवेश-प्रक्रिया को आसान एवं सुरक्षित बनाता है। यह पहल तकनीक की जानकारी न रखने वाले ग्राहकों के लिए शुरू की गई है, ताकि वे पेप्वाइंट स्टोर के स्टाफ की निर्देशित सहायता के जरिए अपनी सहूलियत के हिसाब से ई-गोल्ड खरीद और बेच सकें। कोई भी व्यक्ति 22 कैरेट गोल्ड में कम से कम 500 रुपए का भी निवेश कर सकता है।

ई-गोल्ड नॉन-फिजिकल यानी डिजिटल गोल्ड की बहुत कम मात्रा में खरीदारी को संभव करता हैय वह भी कोई डीमैट एकाउंट खोले बगैर! इस प्रकार ग्राहक फिजिकल गोल्ड खरीदने के नकारात्मक पक्षों से बच सकते हैं, जैसे कि फिजिकल सोने की वैधता एवं शुद्धता की पहचान करना, सोने की मात्रा और धनराशि ज्यादा होना, उसे सुरक्षित रखना, भंडारण की समस्या आदि।

दूसरी तरफ, जब कोई व्यक्ति पेप्वाइंट से जुड़े समीपी रिटेल या किराना भंडार से ई-गोल्ड खरीदता है, तो उसकी बराबर कीमत का फिजिकल गोल्ड खरीदा जाता है और उसे ग्राहक की तरफ से सरकार द्वारा मान्यता प्राप्त सुरक्षित तिजोरियों में रख दिया जाता है। इसके अलावा एक्सिस बैंक को इन तिजोरियों का ट्रस्टी बनाया गया है। ग्राहकों के हितों का संरक्षण करने के लिए ये उपाय किए गए हैं।

पेप्वाइंट इंडिया के प्रबंध निदेशक केतन दोशी ने इस घटनाक्रम पर टिप्पणी करते हुए कहा, ष्सोने की टिकिया, सिक्कों या जूलरी के रूप में खरीदने और उसे अपने स्वामित्व में रखने का खर्च बहुत ज्यादा है, क्योंकि वर्तमान में सोना लगभग 5100 रुपए प्रति ग्राम की दर पर है। ऐसे में हम छोटे-छोटे मूल्यों वाले निवेश के सहारे ई-गोल्ड की संकल्पना को आखिरी व्यक्ति तक पहुंचाना चाहते हैं। इस प्रकार हम कम आय वाले परिवारों को नियमित माइक्रो-सेविंग्स अपनाने के लिए उत्साहित कर रहे हैं।“

उन्होंने आगे बताया, ष्आज के विचित्र और अभूतपूर्व दौर में, जब कोविड-19 ने दुनिया की नाक में दम कर रखा है, सुरक्षा की जरूरत पहली पायदान पर आ गई है। ई-गोल्ड वाली एसआईपी के बल पर व्यक्ति सीमित आय के बावजूद धीरे-धीरे अपनी परिसंपत्तियां बना सकता है और चुनौती भरे समय में एक स्तर की वित्तीय सुरक्षा हासिल कर सकता है।“

कुछ रिटेलरों के साथ चलाए गए एक पायलट रन के दौरान पेप्वाइंट ने देखा कि ग्राहक जबर्दस्त ढंग से निवेश के इस तरीके को अपना रहे हैं। वे इसको दैनिक, साप्ताहिक और मासिक निवेश के लिए चुन रहे हैं। इस तरह के प्रतिक्रिया से पेप्वाइंट की वित्तीय उत्पादों को आखिरी ग्राहक तक पहुंचाने वाली प्रतिबद्धता को बल मिला है।

पेप्वाइंट रियल-टाइम बुलियन रेट पर निवेश को आवंटित करके अथवा उसका भुगतान करके पारदर्शी मूल्य-निर्धारण का सुविधा देता है। खरीदारी, नकदी की उच्च तरलता, दीर्घकालीन निवेश और सुरक्षा के मामले में असाधारण एवं अद्वितीय सुविधाओं से लैस ई-गोल्ड वाला निवेश पिरामिड में सबसे नीचे स्थित ग्राहकों के लिए निस्संदेह रूप से निवेश का एक सर्वश्रेष्ठ रास्ता है।

हाई कोर्ट के आदेश के बाद नये साल का सीजन प्रभावित होने की संभावना बढ़ी

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मसूरी। उत्तराखंड हाई कोर्ट के निर्णय ने मसूरी के पर्यटन व्यवसायियों की नींद उड़ा दी। हाई कोर्ट ने प्रदेश सरकार को निर्देशित किया है कि आगामी क्रिसमस व नये साल के सीजन में जो भी पर्यटक आयेगें उनका रेपिड एंटीजन एवं आरटीपीसीआर कोरोना टेस्ट जरूरी होगा। इससे आगामी दिनों में आने वाला पर्यटन सीजन प्रभावित होगा।
पहाड़ो की रानी मसूरी में इन दिनों पर्यटन से जुडे व्यवसायी क्रिसमस एवं नये साल के सीजन की तैयारियों में जुटे ही थे कि प्रदेश मंे लगातार बढते कोरोना संक्रमण को देखते हुए हाई कोर्ट ने प्रदेश सरकार को निर्देशित किया है कि प्रदेश में बाहर से आने वाले पर्यटकों का सीमा पर कोरोना जांच करवायी जाय।

हाई कोर्ट के इस निर्णय से पर्यटन व्यवसायियों को झटका लगा है व उनकी नींदे उड़ गई है। क्योंकि किसमस व नये साल पर बड़ी संख्या में पर्यटक मसूरी आते हैं व नया साल मनाकर वापस जाते हैं जिससे सभी का व्यवसाय चलता है। इस पूरे वर्ष कोरोना का साया पर्यटन पर छाया रहा व सीजन चला ही नहीं क्यों कि मई जून के समय कोरोना चरम पर था और पूरे देश मंे लॉक डाउन था। जिसका भारी आर्थिक नुकसान पर्यटन व्यवसाय को उठाना पड़ा। लेकिन धीरे धीरे जब कोरोना की रफतार धीमी हुई तो सरकार ने लगाये गये प्रतिबंधों का छुट देनी शुरू कर दी। जिससे पर्यटन व्यवसायियों ने राहत की सांस ली थी। व अब नये साल व क्रिसमस को लेकर खासे उत्साहित थे। लेकिन अब हाई कोर्ट के आदेश आने के बाद सभी की उम्मीदों पर पानी फिरता नजर आने लगा है।

होटल एसोसिएशन के उपाध्यक्ष राम कुमार ने कहा कि निश्चित ही इसका सीधा प्रभाव पर्यटन पर पडे़गा। क्यो कि कोरोना जांच के आदेश के चलते आने वाले पर्यटकों की संख्या में कमी आयेगी वहीं अभी जितनी बुकिंगे आ रही है उनमें से कैंसिल भी होने लगी हैं। इस संबंध मंे होटल रमाडा के प्रबंधक हर्षमणि सेमवाल ने कहा कि अभी नये साल के लिए उनके होटल में तीस से चालीस प्रतिशत बुकिंग आ चुकी है लेकिन हाई कोर्ट के आदेश का प्रभाव पडेगा व इससे पर्यटन व्यवसाय को नुकसान होगा।

जबकि एक ओर सरकार लगातार छूट दे रही है वहीं इस आदेश ने मुश्किल बढ़ा दी है। होटल अंबिका पैलेस के गौरव गुप्ता ने कहा कि कोरोना संक्रमण के चलते पूरे साल प्रतिष्ठान बंद रहे व भारी नुकसान उठाना पड़ा अब थोड़ा उम्मीद जगी थी लेकिन अब हाई कोर्ट के आदेश से पर्यटन प्रभावित होना लाजिमी है। उन्हांेने कहा कि इससे पहले किसान आंदोलन के चलते जो पर्यटक आना चाहते थे वह भी नहीं आ पाये और इस आदेश से व्यवसाय प्रभावित होगा व कम संख्या में ही पर्यटक आ पायेंगे।

नगर पालिका मसूरी संपत्ति बेचने पर चार के खिलाफ मुकदमा दर्ज

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मसूरी। नगर पालिका परिषद मसूरी की जमीन खुर्द बुर्द कर धोखाधड़ी से किसी दूसरे से बेचने के मामले में पालिका के कर अधीक्षक की तहरीर पर चार लोगों के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया गया है तथा पुलिस ने मामले की जांच शुरू कर दी है।
शहर कोतवाल देवेंद्र असवाल ने बताया कि नगर पालिका की भूमि को खुर्द बुर्द कर धोखे से बेचने के मामले में नगर पालिका के कर अधीक्षक गिरीश चंद्र सेमवाल ने कोतवाली में तहरीर दी जिसके आधार पर मुकदमा दर्ज कर लिया गया है। उन्होंने बताया कि इस मामले की एसआईटी ने पहले ही जांच कर ली है। मुकदमा दर्ज होने के बाद पुलिस आगे की कार्रवाई करेगी। मालूम हो कि नगर पालिका परिषद मसूरी के तत्कालीन पालिकाध्यक्ष द्वारा दो फरवरी 1993 को किंक्र्रेग मसूरी स्थित पालिका की सम्पत्ति का पट्टा 30 वर्ष के लिये 100 रुपये का वार्षिक किराये पर रोटरी क्लब मसूरी को स्वीकृत किया गया।

जिसमें रोटरी क्लब ने वोकेशनल टेªनिंग सेंटर खोला था लेकिन बाद में रोटरी क्लब द्वारा वर्ष 2007 में सुनील कुमार गोयल, ओम फिलिंग स्टेशन के साथ एक समझौता कर उक्त भूमि बतौर अध्याशी के रुप में नामांतरण कर दिया। रोटरी क्लब द्वारा पालिका की भूमि चार जुलाई 2010 को भूमि का विक्रय पत्र संजय कुमार गोयल पुत्र ओम प्रकाश निवासी ओम फिलिंग स्टेशन किंक्रेग मसूरी को विक्रय कर दी। इस सम्पत्ति का अध्याशी सुनील कुमार गोयल है, जो संजय कुमार से सगे भाई है।

उक्त प्रकरण में वादी गिरीश चंद्र सेमवाल कार्यवाहक कर अधीक्षक नगर पालिका परिषद मसूरी द्वारा रोटरी क्लब मसूरी के तत्कालीन अध्यक्ष शैलेंद्र कुमार पुत्र रतन लाल निवासी होटल नंद रेजिडेंसी कैमल बैंक रोड कुलड़ी मसूरी, व तत्कालीन सचिव शरद गुप्ता पुत्र श्रीनिवास गुप्ता निकट गणेश होटल लंढोर कैंट मसूरी व संजय कुमार गोयल पुत्र ओपी गोयल तथा एस के गोयल निवासी ओम फिलिंग स्टेशन किंक्रेग मसूरी के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया गया है। इस संबध में नगर पालिकाध्यक्ष अनुज गुप्ता ने कहा कि नगर पालिका की संपत्तियों पर जहां भी जितने भी कब्जे हुए हैं उनके साथ सख्ती से पेश आया जायेगा व किसी को बक्शा नहीं जायेगा। उन्होंने कहा कि नगर पालिका की संपत्ति को हर हाल में कब्जाधारियों से वापस लिया जायेगा। चाहे वह पूर्व में किसी तरह कब्जा की गई हो या बाद में की गई हो।

लोजिस्टिक्स और आपूर्ति श्रृंखला पर व्याख्यान का आयोजन

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हरिद्वार 10,दिसम्बर (कुल भूषण) गुरूकुल कागडी समविश्वविद्यालय के प्रबन्धन संकाय में लोजिस्टिक्स और आपूर्ति श्रृख्ंला प्रबधंन में नवीनतम रूझानविषय पर विशेषज्ञों वार्ता कर श्रृंखला में व्याख्यान का आयोजन किया गया इस विशय पर हिमांषु अग्रवाल राश्टिय मानव संसाधन प्रमुख ओ मलोजिस्टिक्स कम्पनी ने विशय विषेशज्ञ के रूपमें अपने अनुभव साझा किये।

गुरूकुल कागडी समविश्वविद्यालय के कुलपति ने अपने सम्बोधन में रसद और आपूर्ति को कोविड 19 में अति आवश्यक सेवाओ की आपूर्ति में लोजिस्टिक्स के महत्व पर विस्तार से प्रकाष डाला इस मौके पर संकाय के संकायाध्यक्ष प्रो0 वी0के0 सिंहने लोजिस्टिक्स की गुणवक्ता और इसके प्रबन्धन पर प्रकाष डाला।
आन लाइन आयोजित इस कार्यक्रम में डा0 अनिल डंगवाल डा0 राजुल भारद्वाज,डा0 आशीष आर्य,डा0 मिहिर जोशी, डा0 सुरेश राणा, डा0 पतिराज कुमारी, डा0 पूनम पैन्यूली डा0 बिन्दू अरोडा,सहित विभिन्न प्रतिभागीयो ने प्रतिभाग किया।

 

केन्द्र सरकार का लक्ष्य 2022 तक पांच करोड़ लोगों को मकान उपलब्ध कराना: बंसल

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हरिद्वार 10,दिसम्बर (कुल भूषण)   मानव अधिकार संरक्षण समिति (रजि0) के तत्वावधान में गुरुकुल कांगड़ी (समविश्वविद्यालय) के संस्कृत विभाग के सभागार में विश्व मानव अधिकार दिवस मनाया गया। कार्यक्रम का शुभारम्भ उत्तराखण्ड राज्यसभा सांसद नरेश बंसल ने द्वीप प्रज्वलित कर किया। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि बतौर नरेश बंसल ने कहा कि भारत सरकार ने अपने कर्तव्य परायणता का पालन करते हुए कोरोना काल में 80 करोड़ लोगों को मुफ्त राशन दिलाया है। 2022 तक भारत सरकार का लक्ष्य है कि 5 करोड़ लोगों को मकान उपलबध कराए जाए, जिसमें से अब तक 2 करोड़ लोगों को मकान मिल चुके हैं। उन्होंने कहा कि भारत सरकार ने जन-धन योजना के अन्तर्गत 40 करोड़ खाते खोलकर 20 करोड़ लोगों के खातों में 500 रुपये सीधे पहुंचाए हैं। यह भारत सरकार का मानवाधिकार है। सरकार की नीतियां पूरे विश्व में अलख जगाए हुए है।

कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए गुरुकुल कांगड़ी (समविश्वविद्यालय) के कुलपति प्रो0 रूपकिशोर शास्त्री ने अध्यक्षीय भाषण में कहा कि गुरुकुल कांगड़ी (समविश्वविद्यालय) स्वतंत्रता आंदोलन से पहले किसी भारतीय द्वारा पहला विश्वविद्यालय खोला गया था। उन्होंने कहा कि स्वामी श्रद्धानन्द ने मानवीय कर्तव्यों का अनुसरण करते हुए बालिका शिक्षा को स्वतंत्रता आंदोलन से पहले देहरादून में कन्या गुरुकुल स्थापित कराया था। विश्वविद्यालय ने बालिकाओं की मानव अधिकार का पालन करते हुए इस वर्ष कन्या गुरुकुल परिसर, हरिद्वार में बी0ए0 एवं बी0एस-सी0 पाठ्यक्रमों को संचालित किया है। कर्तव्य और अधिकार रेल की पटरी की तरह से है, जिन पर विश्वविद्यालय खरा उतर रहा है।

उत्तराखण्ड आयुर्वेदिक विश्वविद्यालय के कुलपति डा0 सुनील जोशी ने कहा कि मानव की शुरूआत कर्तव्यों का निर्वहन करने से होती है। आम आदमी को अधिकारों के साथ कर्तव्यों की पाठशाला में विचारो का पाठ पढ़ाकर उसे आत्मनिर्भर बनाना चाहिए। अधिकार और कर्तव्य मानव जीवन के एक सिक्के की तरह हैं।

रानीपुर विधानसभा के विधायक आदेश चैहान ने कहा कि जब कोई एक आतंकवादी मारा जाता है तो रात्रि में भी कोर्ट खोलाए जाते हैं। मगर जब कोई निर्दोष आतंकवादी द्वारा मारा जाता है तो कोर्ट नहीं खुलते। मानव अधिकार संरक्षण समिति को इन पहलुओं पर भी काम करना चाहिए, जिससे निर्दोषों को न्याय मिल सके।

मानव अधिकार संरक्षण समिति के अध्यक्ष मधुसूदन आर्य ने सभी आगन्तुकों का स्वागत करते हुए कहा कि कोरोना काल के कारण यह कार्यक्रम भारत सरकार के दिशा निर्देशानुसार सूक्ष्म में किया जा रहा है। उन्होने कहा कि दरअसल 10 दिसंबर 1948 को मानव अधिकार आयोग का गठन किया गया था। यह एक ऐसी संस्था है जो विश्व में मानव के हित में किए जा रहे अधिकारों की रक्षा करती है।

कार्यक्रम में देव संस्कृति के कुलसचिव बलदाऊ, डॉ ओ पी वर्मा, सुरेन्द्र शर्मा, मनीषा दीक्षित इत्यादि ने विचार व्यक्त किये तथा मानव अधिकार संरक्षण समिति द्वारा किए जा रहे कार्यों की सराहना की| इस अवसर पर मोनिका जैन, डॉ विशाल गर्ग, प्रो0 एल0पी0 पुरोहित, प्रो0 मनुदेव बन्धु, डा0 भारत वेदालंकार, डा0 भगवानदास जोशी, डा0 ओ0पी0 वर्मा, डा0 सुरेन्द्र कुमार शर्मा, सत्यवति अग्रवाल, कमला अग्रवाल, क्षमा अग्रवाल, बीना शर्मा, सारिका खण्डेलवाल, रेखा नेगी, जीविका नेगी, मूलचन्द्र मीणा, संजय, हेमन्त सिंह नेगी, डा0 पंकज कौशिक, मनीष ब्रह्मचारी, संदीप ब्रह्मचारी, ईरा गुप्ता, गोपाल शर्मा, सतीश अग्रवाल, डा0 अतर सिंह, प्रवीन वैदिक, प्रभात आर्य इत्यादि उपस्थित रहे। राष्ट्रीय अध्यक्ष इं0 मधुसूदन आर्य ने नवनियुक्त पदाधिकारियों को शपथ ग्रहण कराई| सभी पदाधिकारियों को सम्मानित किया गया| मुख्य अतिथी नरेश बंसल ने एक पुस्तिका का विमोचन किया। कार्यक्रम का संचालन अंकुर गोयल ने किया।