Sunday, June 8, 2025
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PM Modi से मिले मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी, हरियाणा जीत की दी बधाई

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नई दिल्ली, मुख्यमंत्री  पुष्कर सिंह धामी ने मंगलवार को नई दिल्ली में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से शिष्टाचार भेंट की। मुख्यमंत्री ने हरियाणा विधानसभा चुनाव में ऐतिहासिक जीत पर प्रधानमंत्री को बधाई दी। उन्होंने कहा कि ये जीत प्रधानमंत्री के नेतृत्व में आम जन के विश्वास को प्रदर्शित करती है।

मुख्यमंत्री ने प्रधानमंत्री को केदारनाथ मंदिर की प्रतिकृति और बाबा केदारनाथ जी का प्रसाद भी भेंट किया।

मुख्यमंत्री ने उत्तराखंड के विकास में निरंतर मिल रहे प्रधानमंत्री के मार्गदर्शन और सहयोग के लिए आभार व्यक्त किया। मुख्यमंत्री ने विशेषज्ञ समिति-२ द्वारा संस्तुत 21 जल परियोजना (कुल क्षमता 2123 MW) के विकास एवं निर्माण की अनुमति प्रदान किए जाने हेतु अनुरोध किया। उन्होंने तीन रोपवे परियोजनाए, (क) सोनप्रयाग-गौरीकुंड केदारनाथ (ख) गोविंद घाट-हेमकुंड साहिब और (ग) काठगोदाम-नैनीताल को राज्य सरकार द्वारा विकास और संचालन के लिए हस्तांतरित करने का भी अनुरोध किया।

मुख्यमंत्री ने भारत सरकार की क्षेत्रीय संपर्क योजना (RCS) के अंतर्गत देहरादून-गौचर-देहरादून और देहरादून-चिन्यालीसौंड-देहरादून की हवाई सेवा पुनःसंचालित किए जाने के लिए नागरिक उड्डयन मंत्रालय को निर्देशित करने के लिए भी आग्रह किया।

मुख्यमंत्री ने कहा कि चिन्यालीसौंड हवाई पट्टी जनपद उत्तरकाशी पर छोटे विमान संचालन की अनुमति हेतु सम्बन्धित मंत्रालय को दिशा-निर्देश का अनुरोध किया।

मुख्यमंत्री ने प्रधानमंत्री से कुमाऊँ एवं गढ़वाल को संयोजित करने के लिये 02 मार्गों, (क) खैरना-रानीखेत- बंगीधार-बैजरों मोटरमार्ग (256.9 किमी0) और (ख) काठगोदाम-भीमताल लोहाघाट-पंचेश्वर मोटर मार्ग (189 किमी०) को राष्ट्रीय राजमार्ग अधिसूचित करने का भी अनुरोध किया। इसके साथ ही देहरादून रिंग रोड़ की अवशेष लम्बाई की स्वीकृति का भी अनुरोध किया।

हिन्दी फ़िल्मों के सुप्रसिद्ध फ़िल्म अभिनेता परेश रावल ने महानिदेशक सूचना बंशीधर तिवारी से मुलाक़ात

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देहरादून,  देहरादून मसूरी रोड पर अनंत नारायण महादेवन निर्देशित आगामी बॉलीवुड फ़िल्म “पास्ट टेंस” के सेट पर बॉलीवुड के सुप्रसिद्ध फ़िल्म अभिनेता  परेश रावल से महानिदेशक सूचना और उत्तराखण्ड फ़िल्म विकास परिषद (UFDC) में मुख्य कार्यकारी अधिकारी  बंशीधर तिवारी ने मुलाक़ात की। इस अवसर पर संयुक्त निदेशक सूचना और संयुक्त मुख्य कार्यकारी अधिकारी डा नितिन उपाध्याय भी उपस्थित रहे।

परेश रावल ने अभी तक अपने फ़िल्म करियर में 240 से ज़्यादा फ़िल्मों में काम किया है और कई पुरस्कारों से सम्मानित हुए हैं। फ्लाइंग स्टोंस फ़िल्म के बैनर टेल बन रही फ़िल्म “पास्ट टेंस” जिसका निर्देशन अनंत नारायण महादेवन द्वारा किया जा रहा है। इस फ़िल्म के मुख्य किरदारों में श्री परेश रावल, आदित्य रावल, आदिल हुसैन, शरीब हाशमी, तनिष्ठा चटर्जी, गगन देव रीआर, स्मिता ताम्बे , सतीश शर्मा और शरद्धा भट्ट अभिनय कर रहें हैं। यह फ़िल्म एक सोशल फ़ैमिली ड्रामा फ़िल्म है, जिसमें अधिक से अधिक से सपोर्ट क्रू स्थानीय स्तर से लिये लिया गया है।

महानिदेशक सूचना श्री बंशीधर तिवारी ने बताया प्रदेश सरकार द्वारा पारित नई फ़िल्म नीति में फ़िल्मों के लिए पहले अधिक अनुदान की राशि को सम्मिलित किया गया है, ओटीटी प्लेटफ़ार्म पर रिलीज़ फ़िल्मों और वेब सीरीज को भी अनुदान हेतु सम्मिलित किया गया है। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री श्री पुष्कर सिंह धामी के निर्देशानुसार सरकार फ़िल्म निर्माण से जुड़े प्रत्येक क्षेत्र के विकास के लिए पूर्णरूप से प्रतिबद्ध है। प्रदेश सरकार फ़िल्म निर्माण से राज्य में प्रत्यक्ष रोज़गार की नयी गतिविधियों को बढ़ावा देने के साथ ही राज्य के पर्यटन को भी प्रोत्साहित कर रही है। इस नयी पारित फ़िल्म पालिसी में उत्तराखंड के अनछुए शूटिंग डेस्टिनेशन को बढ़ावा देने का भी प्रावधान है। उत्तराखण्ड फ़िल्म विकास परिषद (UFDC) पर्यटन विभाग के सहयोग से नये शूटिंग डेस्टिनेशंस को भी लगातार चिन्हित करने का कार्य कर रही है ताकि राज्य में नये शूटिंग डेस्टिनेशंस को बढ़ावा मिले, और फिल्मों के माध्यम से उत्तराखंड के अपेक्षाकृत कम प्रसिद्ध पर्यटक स्थलों का भी प्रचार हो सके।

मुलाक़ात के दौरान बातचीत में श्री परेश रावल ने महानिदेशक सूचना श्री बंशीधर तिवारी को बताया कि अभी हाल ही में उन्होंने अपनी दो बॉलीवुड फ़िल्मो की शूटिंग उत्तराखण्ड में कम्प्लीट की है जिनका पोस्ट प्रोडक्शन का काम अभी चल रहा है और वो भी जल्द ही रिलीज़ होने की कगार पर हैं।

राज्य में लागू हुई नयी फ़िल्म नीति की सारहना करते हुए करते हुए श्री रावल ने उत्तराखण्ड फ़िल्म विकास परिषद (UFDC) द्वारा लागू सिंगल विंडो सिस्टम को सराहते हुए बताया कि राज्य में सभी प्रकार की शूटिंग परमिशन प्रक्रिया के सरल से होने के कारण उत्तराखण्ड बॉलीवुड और देश के अन्य राज्यों के लिए संपूर्ण एक फ़िल्म फ्रेंडली डेस्टिनशन के रूप उभर रहा हैं।
उन्होंने कहा कि इस नयी नीति के अन्तर्गत फ़िल्म शूटिंग को बढ़ाने के लिए सभी पहलुओं पर बारीकी से काम किया गया है। हिन्दी और स्थानीय फ़िल्मों को बढ़े हुए अनुदान की व्यवस्था और ससमय निःशुल्क शूटिंग परमिशन मिलने के कारण बाहर से आने वाले फ़िल्मकारों को राज्य में अधिक से अधिक शूटिंग करने का प्रोत्साहन मिल रहा है, और बताया कि यहाँ स्थानीय लोगो द्वारा भी शूटिंग के दौरान हर प्रकार की सहायता भी मिलती जिससे राज्य को फ़िल्मों की शूटिंग के लिए एक अनुकूल माहौल तैयार करने में मदद मिलती है। उनके अनुसार इस नई फिल्म नीति से फ़िल्म निर्माताओं में उत्साह का माहौल है।

उल्लेखनीय है कि प्रदेश में पिछले कुछ समय से फ़िल्म और वेब सीरीज शूटिंग में तेज़ी आयी है । अभी हाल ही में पिछले दिनों निर्माता निर्देशक श्री विपुल शाह की एक कॉमेडी सस्पेंस फ़िल्म हिसाब का शूट कम्पलीट हुआ था। उससे पहले अनुपम खेर के बैनर “अनुपम खेर स्टूडियो” की फ़िल्म “तन्वी द ग्रेट” का शूट भी लैंसडौन में कैम्पलीट हुआ है। जिसकी शूटिंग यहाँ 36 दिनों तक कि गई है। राज शांडिल्य निर्देशित फ़िल्म “विकी विद्या का वो वाला वीडियो” की शूटिंग भी मार्च के महीने में कम्पलीट हुई है जिसमें मुख्य भूमिकाओं में राजकुमार राव और तृप्ति डिमरी हैं। इसके पहले काजोल और कृति सेनन अभिनीत “दो पत्ती” का शूट दिसम्बर माह में समाप्त हुआ था ।

संयुक्त निदेशक सूचना डा नितिन उपाध्याय ने बताया कि उत्तराखण्ड में शूट हुई “11 11” (ग्यारह-ग्यारह) वेब सीरिज़ zee5 पर देखी जा सकती जिसमें उत्तराखण्ड के ही डांसिंग स्टार राघव जुयाल मुख्य किरदारों में शामिल है। zee5 पर ही “रौतू का राज” फ़िल्म को भी देखा जा सकता है जिसमें मुख्य अभिनय नवाजुद्दीन सिद्धिकी ने किया है। वेब सीरिज़ “लाइफ हिल गई” को डिज़्नी हॉटस्टार पर देखा जा सकता है, जिसमें उत्तराखंड के बहुत से कलाकारों हो शामिल किया गया है। अमित सियाल द्वारा अभिनीत एक फ़िल्म जिसका नाम “तिकड़म” जियो सिनेमा प्रीमियम पर इसी माह 23 अगस्त को रिलीज़ हुई है।
प्रदेश में गढ़वाली, कुमाऊनी और जौनसारी स्थानीय भाषाओं की फ़िल्मों की शूटिंग की संख्या में भी लगातार बढ़ोतरी देखने को मिल रही है। अभी पिछले कुछ महीनों में उत्तराखंड की क्षेत्रीय बोली में बनी गढ़वाली फ़िल्में मीठी, असगार, शहीद, संस्कार भी रिलीज़ हुईं है जिनको उत्तराखंड में और राज्य के बाहर के दर्शकों द्वारा काफ़ी सराहा जा रहा है।

नहीं रुक रहे, डीएम के एक्शन, अब अनियमितताओं पर शराब की दुकान निलम्बित

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डीएम ने जनमानस की शिकायत पर शराब की दुकान को 15 दिन के लिए किया निलंबित

जनता दर्शन कार्यक्रम में स्थानीय महिलाओं एवं बुजुर्गों नंे डीएम की थी ओपल लॉज बिल्डिंग के बेसमेंट में अवैध रूप से बार का संचालन की शिकायत

देहरादून , जिलाधिकारी सविन बंसल जन शिकायत पर कड़ा एक्शन लेते हुए, शराब की दुकान को 15 दिन के लिए निलंबित करने के आदेश दिए। राजपुर रोड बहल चौक स्थानीय निवासी महिलाओं एवं बुजुर्गों द्वारा जिलाधिकारी को प्रतिदिन संचालित जनता दर्शन कार्यक्रम के दौरान शिकायत कि गई ओपन लाज बिल्डिंग स्थित शराब की दुकान पर खुले में शराब पिलाए जाने तथा की शिकायत पर जिलाधिकारी ने एसडीएम सदर को कार्यवाही के निर्देश दिए।
अवैध रूप से बार संचालन की स्थानीय निवासियों की शिकायत पर डीएम ने कराई थी जांच। इससे पूर्व टीम द्वारा तत्काल छापेमारी कर समस्त अवैध दुकानों को ओपल लॉज के बाहर से हटाया गया। ओपल लॉज के बेसमेंट में चल रहे अवैध शराब सेवन स्थल को तत्काल बंद करवाते हुए ₹500000 की चालानी कार्रवाई की गई थी।

उपजिलाधिकारी न्यायिक सदर देहरादून के माध्यम से प्रेषित संयुक्त निरीक्षण रिपोर्ट में उल्लेख किया गया कि दी ओपल लॉज बिल्डिंग के बेसमेंट में अवैध रूप से एक बार का संचालन होना पाया गया। मौके पर शराब सेवन हेतु टेबिल तथा काफी मात्रा में सिंगल यूज प्लास्टिक के कप, ग्लास एवं कचरा भी पाया गया। उक्त के कम में पुनः बिल्डिंग के बेसमेंट में संचालित अवैध शराब सेवन स्थल के स्वामित्व के सम्बन्ध में विस्तृत जांच उप जिलाधिकारी सदर न्यायिक, जिला आबकारी अधिकारी तथा नगर निगम देहरादून की संयुक्त टीम द्वारा की गई। जांच में यह पाया गया कि दी लीकर हब (विदेशी मदिरा की लाईसेंसधारक दुकान) द्वारा मौके पर शराब बिक्री के अतिरिक्त आसपास कई अवैध दुकानें /खोखे लगवाकर शराब सेवन हेतु सिंगल यूज प्लॉस्टिक के ग्लास एवं कप, बर्फ, नमकीन के पैकेट, सिगरेट आदि सामग्री विकय करवायी जा रही है। बिल्डिंग के बेसमेंट में शराब सेवन हेतु बड़े डेस्क भी प्राप्त हुए। स्थानीय निवासियों एवं महिलाओं द्वारा पूछताछ करने पर यह ज्ञात हुआ कि सायं एवं रात्रि के समय बिल्डिंग के बेसमेंट में शराब सेवन हेतु कैन्टीन भी चलायी जाती है। चूँकि दी लीकर हब ही उक्त स्थल पर शराब बिकी हेतु एकमात्र लाईसेंस दुकान है। पूर्ण सम्भावना है कि शराब बिकी के पश्चात उक्त दुकान द्वारा ही लोगों को बेसमेंट पर शराब सेवन हेतु अनुमति दी जा रही है, जिस बात की पुष्टि स्थानीय नागरिकों एवं महिलाओं द्वारा भी की गई है। मौके पर बेसमेंट में अत्यधिक मात्रा में शराब की बोतलें तथा सेवन हेतु उपयोग में आने वाली कप एवं गिलास भी प्राप्त किये गए। ओपल लॉज बिल्डिंग में संचालित दो अन्य बार दी ओपल बार एवं रेस्टोरेंट तथा बी वाई ओ बी का निरीक्षण करने पर पाया गया कि दोनो के पास नियमानुसार लगभग 80 लोगों के बैठने की क्षमता है। उक्त तथ्यों की पुष्टि स्थानीय महिलाओं निवासियों ने बताया गया कि मदिरा दुकान द्वारा परिसर तथा परिसर से बाहर रात्रि 12 बजे के बाद तक भी मदिरा बिक्री एवं शराब का सेवन कराया जाता है। जो कि पिछले 03 वर्षों से स्थानीय महिलाओं, बच्चीयों एवं स्कूल जाने वाली छात्राओं के लिये एक निरन्तर समस्या बना हुआ है।
आबकारी नीति, 2024 के बिन्दु संख्या 10.1 के अनुसार देशी/विदेशी मदिरा दुकानों के खुलने का समय प्रात 09 बजे से रात्रि 11 बजे तक रहेगा। अन्तर्राज्य सीमा के 10 किमी की सीमा में स्थित मदिरा दुकानें रात्रि 12 बजे तक खोली जा सकेगी। तथा आबकारी नीति 2024 के बिन्दु संख्या 6.6 के अनुसार विदेशी मदिरा के खुदरा दुकान पर निर्धारित शर्तों के अधीन एफ0एल0-5डी० लाईसेंसी द्वारा दुकान की चौहद्दी से लगे परिसर में मदिरा उपभोग की व्यवस्था अनिवार्य रूप से करनी होगी, जिसके लिये एफ०एल०-5ई० लाईसेंस (कैंटीन) लेना होगा। जिसकी लाईसेंस फीस दुकान की लाईसेंस फीस के 15 प्रतिशत के बराबर होगी।
संयुक्त निरीक्षण के दौरान सम्बन्धित मदिरा दुकान के अनुज्ञापी द्वारा आबकारी नीति 2024 का उल्लघंन पाया गया है जो कि अनुज्ञापी को दिये गये आंवटन पत्र की शर्तें भी है। संयुक्त निरीक्षण टीम द्वारा अवैध रूप से बेसमेंट में अस्थाई बार एवं शराब सेवन स्थल का संचालन तथा निर्धारित समयावधि से अधिक समय तक मदिरा की दुकान का संचालन एवं विक्रय कराने के कारण दि लीकर हब, विदेशी मदिरा दुकान राजपुर रोड़-3 निकट सचिवालय के अनुज्ञापी विमलेश कुमार के विरूद्ध दण्ड स्वरूप उत्तराखण्ड आबकारी मैन्युअल खण्ड-1 की धारा 34 तथा धारा 35 में निहित प्राविधानों के अन्तर्गत 15 दिन के अनुज्ञापन निलम्बन की कार्यवाही की गयी है।

उत्तराखण्ड लोकभाषा-साहित्य मंच की शानदार पहल

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(शोधार्थी तरूण नौटियाल )

“गढ़वाळि भाषा का संरक्षण-सम्वर्द्धन का वास्ता त भौत लोग काम कर्ना छन- व्यक्तिगत रूप मा बी अर संस्थागत रूप मा बी..पर
उत्तराखंड लोक भाषा साहित्य मंच दिल्ली, अपणि ‘गढ़वाळि’ भाषा तैं ल्हेकि पौंछी विश्वविद्यालय- भाषा-साहित्य का शोधार्थियों का बीच..जो आज की सबसे बड़ि जरूरत छ”

 

श्रीनगर (पौड़ी), उत्तराखण्ड का गढ़‌वाल क्षेत्र की संस्कृति की खास पछ्याण अर सामाजिक सरोकारों की अभिव्यक्ति कर्न वाळि ‘दुदबोली’ गढ़‌वाली का वास्ता 5-6 अक्टूबर का ये द्वी दिन ऐतिहासिक रैनि। हेमवती नंदन बहुगुणा गढ़वाल केंद्रीय विश्वविद्यालय की भाषा प्रयोगशाला अर उत्तराखण्ड लोक-भाषा साहित्य मंच का संयुक्त तत्त्वाधान मा यूं द्वी दिनों मा ‘अखिल भारतीय गढ़वाली भाषा व्याकरण और मानकीकरण कार्यशाला’ को आयोजन करेगे।
कार्यशाला की शुरुआत कला, संचार और भाषा संकाय की संकायाध्यक्ष प्रो. मंजुला राणा,अधिष्ठाता छात्र कल्याण श्री महावीर सिंह नेगी अर अन्य गणमान्य व्यक्तियों का द्वारा दीप प्रज्ज्वलन से ह्वे। येका बाद ‘उत्तराखण्ड लोक-भाषा साहित्य मंच’ का संयोजक श्री दिनेश ध्यानी जी न उपस्थित लोगों को स्वागत संबोधन करे अर दगड़ मा अपणि संस्था, वेका उद्‌देश्यों, संस्था की कार्य- प्रगति, महत्व आदि को विवरण प्रस्तुत करे। वेका बाद एच. एन. बी. जी यू. की अंग्रेजी विभाग की वरिष्ठ सहायक आचार्य डॉ. सविता भंडारी न् सब्बि अतिथियों व प्रतिभागियों को स्वागत-अभिनंदन करे ।
विश्वविद्यालय परिवार की तरफ बटि कार्यशाला का वास्ता अपेक्षित सहयोग देणा की बात का दगड़ हि डी.एस.डब्ल्यू प्रो. नेगी जी न ‘गढ़वाली भाषा का मानकीकरण की दृष्टि से ईं कार्यशाला तैं महत्वपूर्ण बतै।
कला, संचार और भाषा की संकायाध्यक्ष प्रो. राणा जी न् गढ़वाली भाषा तैं संविधान की आठवीं अनुसूची मा शामिल कर्न का आंदोलन की दृष्टि से ईं कार्यशाला पर भरोसा जतै अर भाषाविदों से इनि गढ़वाली भाषा का विकास को आग्रह करे जैको उन्नत अर वैज्ञानिक व्याकरण तथा समृद्ध शब्द-भंडार हो। दगडै़-दगड़ जो पूरा गढ़वाल क्षेत्र को एकस्वर मा प्रतिनिधित्व करा। अपणा वक्तव्य मा प्रो. राणा न ईं बात पर जोर दे कि गढ़वाली तैं आठवीं अनुसूची की भाषा बणाण मा राजनीतिक इच्छाशक्ति को निर्माण बुनियादी जरूरत छ अर हमतैं वे ही प्रकार से आठवीं अनुसूची मा ऐकि भाषा को दर्जा प्राप्त करण जनो हमन उत्तराखण्ड राज्य प्राप्त करे।
ईं कार्यशाला तैं कुछ सत्रों मा बंटे गे छौ- पैला सत्र की अध्यक्षता श्री विष्णु दत्त कुकरेती जी न करे अर डॉ. नंद किशोर हटवाल जी न मानकीकरण व गढ़वाली भाषा मा ध्वनि’ विषय पर धाराप्रवाह गढ़‌वाली मा सारगर्भित व्याख्यान दे। वून ‘मानकीकरण’ की प्रक्रिया, आवश्यकता, चुनौती अर मानकीकरण का वास्ता सहायक उपकरणों को विस्तृत विश्लेषण प्रस्तुत करे। ये से प्रतिभागी शोधार्थियों का ज्ञान अर समझ को विस्तार ह्वे। प्रथम सत्र का अध्यक्षीय संबोधन मा श्री कुकरेती जी न कार्यशाला तैं गढ़‌वाली भाषा-संस्कृति का संरक्षण मा महत्वपूर्ण बतै।
येका बाद दुसरा सत्र की अध्यक्ष की भूमिका मा श्री रमेश चंद्र घिल्डियाल जी रैन। ये सत्र की मुख्य वक्ता गढ़वाली वैयाकरण श्रीमती बीना बेंजवाल जी छई अर वूंको व्याख्यान ‘गढ़वाली भाषा मा संज्ञा, सर्वनाम, विशेषण’ विषय पर केंद्रित छयो। अपणा ज्ञानवर्धक वक्तव्य मा वूंन गढ़वाली भाषा का समृद्ध व्याकरण व शब्द-संपदा की प्रचुरता तैं प्रस्तुत करे। हिंदी भाषा का दगड़ तुलना करिक गढ़वाली की व्याकरणिक विशिष्टता तैं उभारण मा ये वक्तव्य न मुख्य भूमिका निभै। गढ़‌वाली शब्दों का उदाहरण कळकळी ,नथुलो अर नथुलि का समुचित प्रयोगों से प्रतिभागियों मा रोचकता देखण लैक छई। अध्यक्षीय संबोधन मा श्री घिल्डियाल जी न कार्यशाला की आशातीत सफलता की शुभकामनाओं का दगड़ गढ़वाली भाषा का निरंतर मानकीकरण अर युवा पीढ़ी से गढ़‌वाली साहित्य पढ़णो को आग्रह करे।
तिसरा सत्र की अध्यक्षता ‘गढ़-गौरव’, ‘गढ़-रत्न, संगीत प्रेमियों की जिकुड़ि मा बसण वळा श्री नरेंद्र सिंह नेगी जी द्वारा करेगे। ये सत्र मा द्वी वक्ताओं न ‘गढ़वाली भाषा का क्रिया रूप’ विषय पर अपणि बात रखे। श्री रमाकांत बेंजवाल जी न् बतै कि क्रिया पदों का दृष्टिकोण से गढ़‌वाली भाषा पर्याप्त समृद्ध छ किंतु कुछ कमजोरियों की तरफ भी वूंन संकेत करे। उदाहरणार्थ – राजनीति, व्यापार आदि क्षेत्र गढ़‌वाल का व्यवसाय न होणा वजै से यूं क्षेत्रों का कई शब्द गढ़‌वाली मा नि छन। इन्नि श्री वीरेंद्र पंवार जी न संज्ञाओं का क्रियाओं मा परिवर्तन तैं गढ़वाली भाषा की खूबसूरती बतै अर वूंन हिंदी भाषा का क्रिया-रूपों का दगड़ गढ़वाली भाषा का क्रिया-रूपों की समानता भी प्रदर्शित करे।
तिसरा सत्र मा सुर सम्राट श्री नरेंद्र सिंह नेगी जी की गरिमामयी उपस्थिति मा शोधार्थियों (तरुण नौटियाल, पी.अंजलि, अभिषेक राठौड़, राजेंद्र, रेशमा पंवार, शैलजा आदि) न विशेषज्ञों का समणि अपणा प्रश्न रखीन्
अर उपस्थित भाषाविदों न पूरी गंभीरता के साथ एक-एक प्रश्न को समुचित निराकरण करे । अंत मा श्री नरेंद्र सिंह नेगी जी का अध्यक्षीय उद्बोधन न् त मानो कि कार्यशाला मा चार चाँद लगे दिनि । श्री नेगी जी न स्पष्ट रूप से बोले कि मानकीकरण का डंडा से साहित्य-सृजन और साहित्य-लेखन की प्रक्रिया रूकण नि चयेंदी। साथ ही युवा पीढ़ी मा भाषायी चेतना का जागरण की आवश्यकता पर काम कर्न चयेंद। तिसरा सत्र की समाप्ति का बाद गढ़वाली कवि सम्मेलन को आयोजन करेगे जैमा गढ़वाली भाषा का कई कवियों व विश्वविद्यालय का शोधार्थियों न अपणि कविता को पाठ करे। कवि सम्मेलन को समापन श्री नेगी जी की संगीतमयी कविता से ह्वे।
कार्यशाला का दुसरा दिन का पैला सत्र की अध्यक्षता श्री मदन मोहन डुकलान जी न करे। ये सत्र का मुख्य वक्ता श्री गिरीश सुंदरियाल जी न ‘गढ़वाली भाषा एवं व्याकरण’ विषय पर अपणो व्याख्यान दे । वूंन भाषा का संरक्षण का वास्ता महत्वपूर्ण पहलुओं तैं उजागर करे। जनकि- घरों मा भाषा को मौखिक प्रयोग, पुख्ता प्रमाणों का साथ लिखित साहित्य को दस्तावेजीकरण, लिखित साहित्य की गुणात्मक समीक्षा, भाषायी संरक्षण हेतु दबाव समूह की जरूरत आदि । येका दगड़ै-दगड़ अव्यय, उपसर्ग तथा प्रत्यय का माध्यम से गढ़वाली भाषा की विराट शब्द-संपदा को साक्षात्कार करवाणौ ये सत्र का वक्तव्य की प्रमुख उपलब्धि छई। अध्यक्षीय संबोधन मा श्री मदनमोहन डुकलाण जी न गढ़‌वाली भाषा तैं आठवीं अनुसूची मा शामिल करवाणा वास्ता ईं द्वी दिनै कार्यशाला तैं मील को पत्थर माने ।
दूसरा सत्र तैं श्री आशीष सुंदरियाल जी न ‘समास, रस, अलंकार’ विषय पर संबोधित करे। अपणा संबोधन मा वूंन गढ़वाली भाषा-साहित्य का उदाहरणों का माध्यम से ‘समास’, ‘रस’ तथा अलंकार की दृष्टि से गढ़वाली की उत्कृष्टता तैं समझै। येका अतिरिक्त अपणा विषय से इतर श्री आशीष सुंदरियाल जी न् यूनेस्को, साहित्य अकादमी, राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 तथा भारतीय भाषा सर्वेक्षण 2013 जना प्रतिष्ठानों एवं प्रामाणिक दस्तावेजों का संदर्भों से ‘गढ़वाली भाषा’ की आठवीं अनुसूची की भाषा की दावेदारी को समर्थन करे। सत्र का अंत मा अध्यक्ष श्री एम. एस. रावत जी न अपणा अध्यक्षीय उद्‌बोधन मा कार्यशाला का संचालकों, आयोजकों तथा प्रतिभागियों तैं शुभकामनाएँ प्रेषित करीन्।
ये कार्यशाला की महत्वपूर्ण उपलब्धि या भी रै कि येमा तीन गढ़वाली भाषा की पुस्तकों को विमोचन भी ह्वे। पैला दिन श्री गिरीश सुंदरियाल जी की ‘गढ़वाल की लोकगाथाएँ’ पुस्तक को विमोचन ह्वे। दुसरा दिन श्री विष्णुदत्त कुकरेती जी की ‘नाथ परंपरा’ आधारित पुस्तक तथा डॉ. प्रीतम अपछ्याण की ‘गीतूं की बरात मां’ पुस्तक को विमोचन ह्वे। या तिन्या पुस्तक तथा तिन्या लेखक गढ़‌वाली भाषा-साहित्य की अमूल्य विरासत छन।
दुसरा दिन का अंतिम सत्र का बाद प्रतिभागियों न अपणा विचार अर सुझाव रखीन्। अंत मा मुख्य अतिथियों का द्वारा प्रतिभागी शोधार्थियों तैं प्रमाणपत्र वितरण का साथ कार्यशाला संपन्न ह्वे।
द्वी दिनै ईं कार्यशाला मा मंच संचालन श्री गणेश खुगखाळ ‘गणी’ जी द्वारा करेगे। कार्यक्रम का दौरान कई भाषाविद, शिक्षक तथा गढ़वाली भाषा प्रेमी मौजूद रैनी। जैमा गढ़वाल विश्वविद्यालय बटि भाषा प्रयोगशाला की समन्वयक डा. आरूषि उनियाल, अंग्रेजी विभाग बटि डा. सविता भण्डारी, हिंदी विभाग बटि डा. कपिलदेव पंवार, उत्तराखंड लोक भाषा साहित्य मंच दिल्ली बटि- सर्वश्री अनिल पंत, गिरधारी रावत, दर्शन सिंह रावत, जयपाल सिंह रावत, जगमोहन रावत ‘जगमोरा’ आदि प्रमुख छया। येका अलावा अनेक साहित्यकार जनकि कुलानंद घनशाला, धर्मेंद्र नेगी, रमेश बडोला, डा. वीरेंद्र बर्त्वाल, महेशानंद, संदीप रावत, देवेन्द्र उनियाल, प्रदीप रावत ‘खुदेड़’, पयाश ‘पोखड़ा’ दीनदयाल ‘बंदूणी’, अनूप बीरेंद्र कठैत, कमल रावत, ओमप्रकाश सेमवाल, ओम बधाणी, शांति प्रकाश ‘जिज्ञासू’ , मनोज भट्ट ‘गढ़वळि’ अर कतनै शोधार्थी जनकि राकेश सिंह, गणेश भट्ट, सौरभ पड़ियार, प्रमोद उनियाल व गौरव पड़ियार आदि भी ईं कार्यशाला मा मौजूद छया। ईं कार्यशाला की सबसे खास बात छई -येको शुरु से ल्हेकि आखिर तक संचालन ‘गढ़वाली’ मा होणो।

पांच वर्ष के लिए जारी होगा फूड लाइसेंस, नवीनीकरण पर भी रहेगी शुल्क माफी की सुविधा- डॉ आर राजेश कुमार

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सरकार की रेहड़ी-ठेली संचालकों व फेरीवालों को बड़ी सौगात, निशुल्क मिलेगा फूड लाइसेंस

त्यौहारी सीजन को देखते हुए सीमाओं पर सघन चैकिंग अभियान चलाने के निर्देश, मिलावटखारों पर होगी कड़ी कानूनी कार्रवाई- डॉ आर राजेश कुमार

देहरादून। केन्द्र सरकार ने त्यौहारी सीजन मेें रेहड़ी-ठेली संचालकों व फेरीवालों को बड़ी सौगात दी है। केन्द्र सरकार ने रेहड़ी-ठेली संचालकों व फेरीवालों का फूड लाइसेंस शुल्क माफ करने का निर्णय लिया है। केन्द्र सरकार के निर्णय को खाद्य संरक्षा एवं औषधि प्रशासन विभाग ने राज्य में लागू कर दिया है। खाद्य संरक्षा एवं औषधि प्रशासन विभाग के आयुक्त डॉ आर राजेश कुमार ने बताया कि खाद्य पदार्थ बेचने वाले रेहड़ी-ठेली संचालकों व फेरीवालों को भी विभाग से फूड लाइसेंस लेना होता था। जिसके लिए प्रतिवर्ष की दर से निर्धारित शुल्क लिया जाता था। जिसको केन्द्र सरकार ने माफ करने का निर्णय लिया है। फेरीवालों के लिए पंजीकरण शुल्क माफी 28 सितंबर 2024 से प्रभावी हो गई है। राज्य में भी इसे लागू कर दिया गया है। खाद्य प्राधिकरण द्वारा नया पंजीकरण आवेदन करने पर पांच वर्षों के लिए पंजीकरण प्रमाण पत्र प्रदान करने का निर्णय लिया गया है।

राज्य की सीमाओं पर चलेगा सघन चैकिंग अभियान-डॉ आर राजेश कुमार
त्यौहारी सीजन को देखते हुए खाद्य संरक्षा एवं औषधि प्रशासन विभाग राज्य की सीमाओं पर सघन चैकिंग अभियान चलाने जा रहा है। खाद्य संरक्षा और औषधि प्रशासन के आयुक्त डॉ आर राजेश कुमार का कहना है कि माननीय मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी व स्वास्थ्य मंत्री डॉ धन सिंह रावत के निर्देश पर मिलावटखोरों के खिलाफ प्रदेशव्यापी अभियान लगातार जारी है। प्रदेश भर में खाद्य संबंधी वस्तुओं और भोजन के नमूने संग्रहित किये जा रहे हैं। जांच में नमूने फेल होने पर दोषियों के खिलाफ कार्रवाई की जा रही है। इसके साथ ही राज्य की सीमाओं पर सघन चैकिंग अभियान चलाने के निर्देश भी अधिकारियों को दिये गये हैं। त्यौहारी सीजन पर मिलावटी खाद्य पदार्थों की तस्करी करने वाले सक्रिय हो जाते हैं। हर साल कई मामले पकड़ में आते हैं, मिलावटखोरों के खिलाफ संबधित धाराओं में सख्त कानूनी कार्रवाई की जाती है।

ठेली वालों से लेकर मॉल तक में होगी छोपमारी -ताजबर जग्गी
प्रदेश खाद्य संरक्षा और औषधि प्रशासन विभाग के अपर आयुक्त ताजबर सिंह जग्गी का कहना है कि प्रदेशव्यापी अभियान के तहत ठेलियों से लेकर मॉल में खाद्य पदार्थ बेचने वालों की चैकिंग की जायेगी। इसके अलावा संस्थानों, दुकानों, प्रतिष्ठानों में खाद्य पदार्थ बेचने वाले व्यवसायियों की वस्तुओं की भी जांच की जाएगी। उन्होंने बताया कि अभिहित अधिकारियों को निर्देश दिये गये हैं कि वह बाजारों और सार्वजनिक स्थानों में छापेमारी कर मिलावटखोरी पर हर हाल में अंकुश लगाएं। उन्होंने बताया कि दस्ता मौके पर ही प्राथमिक जांच करेगा और यदि मिलावट की आशंका हुई तो इसके नमूने प्रयोगशाला में भेजे जाएंगे।

मिलावटरहित उत्पाद उपलब्ध कराना प्राथमिकता- ताजबर जग्गी
अपर आयुक्त ताजबर सिंह जग्गी ने बताया कि खाद्य संरक्षा और औषधि प्रशासन विभाग के अभियान का उद्देश्य लोगों को स्वच्छ और मिलावटरहित उत्पाद उपलब्ध कराना है। उन्होंने कहा कि मिलावटी वस्तुओं के सैंपलिंग की जांच भी प्रयोगशाला में प्राथमिककता के आधार पर होगी।

इन पदार्थों की प्राथमिकता से होगी जांच
अपर आयुक्त ताजबर सिंह जग्गी ने बताया कि दुग्ध और इससे निर्मित उत्पाद के थोक और रिटेल व्यवसायियों के अलावा डेयरी और इन उत्पादों के ट्रासपोर्टर्स, खाद्य तेल और वसा निर्माण इकाईयां और उनके वितरक, खाद्य मसाले से संबंधित निर्माण इकाईयां और उनके वितरक, आटा मैदा और बेसन की निर्माण इकाईयां और सभी वितरक, इसके अलावा मिठाईयों की दुकानों में भी मिठाई के सैंपल लिए जाएंगे। इन उत्पादों की जांच एक सप्ताह में होगी और यदि मिलावट पाई गयी तो संबंधित प्रतिष्ठान के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी।

हमारे पूर्वज मोटे अनाजों को प्रयोग करके निरोग रहते थे : डा. धनसिंह रावत

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“गढ़ भोज से निरोगी काया’ को लेकर मनाया गढ़ भोज दिवस”

देहरादून, उत्तराखंड़ के साथ देश विदेश में रहने वाले प्रवासियों के द्वारा गढ़ भोज दिवस बड़े हर्षोल्लास के साथ मनाया गया।इस वर्ष गढ़ भोज दिवस का विषय ‘गढ़ भोज से निरोगी काया’ रखा गया था जिस पर स्कूल, कालेजों, महाविद्यालयों में निबंध प्रतियोगिता, वाद विवाद प्रतियोगिता, रैली, भाषण प्रतियोगिता आयोजित हुई। हिमालय पर्यावरण जड़ी बूटी एग्रो संस्थान जाड़ी द्वारा राजकीय बालिका इंटर कॉलेज राजपुर रोड में आयोजित किया गया।
जिसमें मुख्य अतिथि कैबिनेट मंत्री डा. धन सिंह रावत जी दीप प्रज्ज्वलित कर कार्यक्रम का शुभारंभ किया। अपने संबोधन में डा. धन सिंह रावत ने कहा कि उत्तराखंड के परंपरागत मोटे अनाजों एवं उनसे बनने वाले भोजन को मुख्यधारा से जोड़ने को लेकर वर्ष 2000 से उत्तराखंड के कोने कोने में इनके बीजों को संरक्षित करने और इसके प्रचलन को बढाने की कोशिश जाड़ी संस्था के द्वारा किया जा रहा। जो की एक सराहनीय प्रयास है।
उन्होंने कहा की हमारे पूर्वज मोटे अनाजों को प्रयोग करके निरोग रहते थे लेकिन समय के साथ साथ मोटे अनाज हमारे भोजन से गायब होते जा रहे है. फिर से मोटे अनाज और इससे बनने वाले उत्पादों को लोकप्रिय बनाने की आवश्यकता महसूस हो रही है. जिसके लिए गढ़ भोज अभियान महत्वपूर्ण कार्य कर रहा है।
गढ़भोज को मिड डे मिल में शामिल करने के लिए मंत्री जी का शाल वा अंगवस्त्र प्रदान कर आभार व्यक्त किया। बच्चों ने गढ़ भोज के साथ सांस्कृतिक कार्यक्रम भी प्रस्तुत किए, बच्चों के द्वारा एवं गायत्री रावत के द्वारा गढ़ भोज के विभिन्न पकवानों, फसलों की प्रदर्शनी लगाई गई।
गढ़ भोज अभियान के प्रणेता द्वारिका प्रसाद सेमवाल ने कहा की बच्चे पढ़ते समय से इनके गुणों को जाने, साथ ही देश के अन्य लोग भी हमारी भोजन संस्कृति को जाने इस उद्देश्य से गढ़ भोज दिवस का विचार समाज और सरकार के सामने लाया गया जो धीरे धीरे सफल भी हो रहा है।
इस अवसर पर बच्चों को विषय विशेषज्ञों प्रो. मोहन पंवार ने कहा की जलवायु परिवर्तन के प्रभाव को कम करने में गढ़ भोज की काफी महत्वपूर्ण भूमिका है।
सुरेश सतपती ने गढ़ भोज अभियान ने उत्तराखंड के भोजन को राष्टीय अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहचान दिलाई, ये फसलें और भोजन मनुष्य के शरीर के साथ मिट्टी के लिए भी लाभकारी है।
दिनेश सेमवाल ने कहा की उत्तराखंड की भोजन संस्कृति ही दुनिया को स्वस्थ रख सकती है।
गढ़ भोज दिवस का आयोजन वर्ष 2022 से किया जा रहा है। जो कि मुख्य रूप से स्कूल, कालेज, महाविद्यालय, विश्वविद्यालय मेडिकल कॉलेज, अस्पतालों एवं भोजन से जुड़े लोगो के द्वारा मनाया जाता है।
इस वर्ष गढ़ भोज दिवस मनाने का आह्वान मुख्यमंत्री श्री पुष्कर सिंह धामी के साथ पर्यावरणविद पद्म भूषण डा अनिल प्रकाश जोशी, गायक पद्मश्री प्रीतम भर्तवाण , गायक श्री ओम बधानी, गायक श्री इंदर आर्य, सामाजिक कार्यकर्ता श्री सुरेश सतपति, नीदर लैंड से शेफ श्री टीका राम पंवार, हल्द्वानी से डा नवीन लोहनी सहित दर्जनों अन्य लोगो ने वीडियो संदेश जारी कर किया। गढ़ भोज दिवस के अवसर पर लंबे समय से गढ़भोज अभियान से जुड़े लोगों का सम्मान भी किया गया l
जिनमें प्रो. मोहन सिंह पंवार, सुरक्षा रावत, कृष्ण मोहन भट्ट, डा. उदय गौड़, प्रो. यतीश वशिष्ठ, गोपाल प्रकाश मिश्रा, प्रमोद सिंह कैन्तुरा, दिनेश सिंह रावत, नरेश बिजल्वाण, एस एस बिष्ट, श्रीमती भारती आनंद एवं गायत्री रावत आदि शामिल रहे l
इस अवसर पर डा. नीतू गुप्ता, डा. स्वेता एवं डा. अरविंद द्वारा लिखित पुस्तक का विमोचन किया गया l
इस अवसर पर डा. अरविंद दरमोडा, माधवेंद्र रावत, संयुक्त निदेशक आनंद सिंह नेगी, मुकुल कुमार सती, प्रेमलता बोडाई, अनिरुद्ध दरमोडा, चैत राम सेमवाल, विकास पंत, सुरेश सतपति, गंगा बहुगुणा, प्रो एम एस रावत, प्रो. केडी पुरोहित, मालती हालदार आदि शामिल रहे। इस कार्यक्रम में पर्वतीय विकास शोध केंद्र, लोक चेतना मंच, डालियों का दगड़ीया का सहयोग रहा।

सीमांत गांवों के पशुपालकों को मिलेगा आईटीबीपी का सहारा

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–  आईटीबीपी तथा उत्तराखण्ड कॉओपरेटिव फेडरेशन के मध्य एमओयू की तैयारियां पूरी

देहरादून(आरएनएस)।  उत्तराखण्ड में स्थित सभी आईटीबीपी पोस्ट पर सीमान्त जिलों चंपावत, चमोली, उत्तरकाशी व पिथौरागढ़ के गांवों के 4000 से अधिक स्थानीय किसानों/पशुपालकों के माध्यम से मांस हेतु भेंड़, बकरियां, पॉलट्री तथा ट्राउट मछली की आपूर्ति के सम्बन्ध में आईटीबीपी तथा उत्तराखण्ड कॉओपरेटिव फेडरेशन के मध्य एमओयू की तैयारियां पूरी हो चुकी हैं।
दुर्गम व दूरस्थ क्षेत्रों में विकास, सीमान्त क्षेत्रों में रिमाइग्रेशन को बढ़ावा देने व पलायन को रोकने तथा सैनिकों को गुणवत्तापूर्ण खाद्य सामग्री सुनिश्चित करवाने के उद्देश्य से मुख्य सचिव  राधा रतूड़ी ने सभी औपचारिकताएं पूरी करते हुए इस एमओयू को जल्द सम्पन्न करवाने के निर्देश दिए हैं। उक्त एमओयू को वाइब्रेट विलेज प्रोग्राम के लिए प्रभावी पहल बताते हुए सीएस  रतूड़ी ने कहा कि इससे सीमान्त क्षेत्रों में आर्थिक गतिविधियों को प्रोत्साहन मिलने के साथ ही पशुओं की स्थानीय ब्रीड व पशुधन को बढ़ावा, सीमान्त आबादी के लिए रोजगार के अवसरों को गति व वोकल फॉर लोकल को प्रोत्साहन मिलेगा।
मुख्य सचिव  राधा रतूड़ी ने कहा कि आईटीबीपी व उत्तराखण्ड सरकार की इस पहल से राज्य में पशुधन की योजनाएं धरातल स्तर पर पहुंचेगी। बैठक में आईटीबीपी ने राज्य के सीमान्त क्षेत्रों में अपने पशु चिकित्सकों की सेवाएं प्रदान करने का प्रस्ताव रखा, जिस पर सहमति देते हुए मुख्य सचिव ने सीएसआर फण्ड के तहत पशुओं हेतु मेडिकल मोबाइल वैन की व्यवस्था के निर्देश दिए हैं।
आईटीबीपी द्वारा प्रस्तावित पर्यटन क्षेत्र में स्किल डेवलपमेंट प्रोग्राम के सम्बन्ध में मुख्य सचिव ने इस विषय पर पर्यटन विभाग के साथ बैठक  के निर्देश दिए हैं।
मुख्य सचिव  राधा रतूड़ी ने कहा कि आईटीबीपी तथा उत्तराखण्ड कॉओपरेटिव फेडरेशन के मध्य इस एमओयू से अन्य समकक्ष सैन्य संस्थाओं जैसे एसएसबी, सेना आदि के साथ भी इस क्षेत्र में कार्य करने के मार्ग खुलेंगे। इस एमओयू से सीमान्त क्षेत्रों में सप्लाई चेन को मजबूत करने, किसानों को उचित मूल्य मिलने व किसानों से सीधे आपूर्ति की व्यवस्था के साथ ही मैदानी क्षेत्रों से आईटीबीपी को पूरे वर्ष बिना बाधा के कम समय में ताजी खाद्य सामग्री की उपलब्धता सुनिश्चित होगी।
एमओयू को क्रियान्वित करने हेतु मुख्य सचिव  राधा रतूड़ी ने उत्तराखण्ड कॉओपरेटिव फेडरेशन को रिवॉल्विंग फण्ड, मार्केटिंग फण्ड तथा प्रशासनिक व्ययों पर चर्चा करते हुए इसे भविष्य में सस्टेनेबल मोड पर संचालित करने के निर्देश दिए हैं।
बैठक में सचिव दिलीप जावलकर, डा0 बी वी आर सी पुरुषोत्तम, आईजी आईटीबीपी संजय गुंज्याल सहित सहकारिता, वित्त, आईटीबीपी के अधिकारी मौजूद रहे।

मुख्यमंत्री धामी ने  किया  आम्रपाली विश्वविद्यालय, हल्द्वानी में  आयोजित अभिनन्दन समारोह – 2024 कार्यक्रम में प्रतिभाग

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देहरादून(आरएनएस)।   मुख्यमंत्री ने कहा कि युवाओं के कार्यक्रम में आकर उनके मन में हमेशा जोश एवं उत्साह का संचार होता है। उन्होंने कहा कि हमारे युवा शिक्षा, तकनीक, कला, खेल हर क्षेत्र में अपनी प्रतिभा दिखा रहे हैं। युवा शक्ति अपने सपनों को साकार करने के साथ ही समाज में भी सकारात्मक बदलाव लाने के लिए अपना योगदान दे रही है। आम्रपाली विश्वविद्यालय ने शिक्षा के क्षेत्र में कई बड़े कार्य किए हैं। आम्रपाली से पढ़कर आज युवा हर क्षेत्र में सफलता प्राप्त कर रहे हैं।
मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री  नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में संपूर्ण विश्व भारत के ज्ञान और शक्ति से परिचित हो रहा है। बीते 10 सालों में भारत की पहचान और शक्ति पूरे विश्व में बढ़ी है। उन्होंने कहा स्वामी विवेकानंद ने कहा है कि मनुष्य अनंत शक्ति और ऊर्जा का भंडार है। व्यक्ति को केवल अपनी शक्ति ऊर्जा को पहचानने की आवश्यकता है। उन्होंने युवाओं से सकारात्मक सोच के साथ सही दिशा में चलने का आग्रह किया। उन्होंने कहा प्रधानमंत्री  नरेंद्र मोदी के मार्गदर्शन में राज्य सरकार प्रदेश के समग्र विकास के लिए हर क्षेत्र में तेजी से कार्य कर रही है। अल्मोड़ा, चंपावत, देहरादून में साइंस सेंटर, हल्द्वानी में एस्ट्रो पार्क एवं खेल विश्वविद्यालय के निर्माण सहित कई ऐतिहासिक कार्य किए जा रहे हैं। राज्य सरकार युवाओं के बेहतर और सुरक्षित भविष्य के लिए सख्त नकल विरोधी कानून लेकर आई है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य सरकार ने बीते 3 वर्षो में 17 हजार से ज्यादा युवाओं को सरकारी विभागों में नियुक्ति दी गई है। राज्य में धर्मान्तरण को रोकने के लिए कानून लाया गया है। 5000 एकड़ से ज्यादा जमीनों को अतिक्रमण से मुक्त कराया है। राज्य की महिलाओं के लिए सरकारी नौकरियों में 30 प्रतिशत क्षैतिज आरक्षण दिया गया है। राज्य में समान नागरिक संहिता भी जल्द लागू हो जायेगी। राज्य में जीएसडीपी में बीते 20 महीनों में 1.3 गुणा वृद्धि हुई है। बीते 2 साल में राज्य में प्रति व्यक्ति आय में 26 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। उत्तराखंड में बेरोजगारी दर 4.4 प्रतिशत कम हुई है। नीति आयोग द्वारा जारी सतत विकास लक्ष्यों की सूची में उत्तराखंड ने देश में सबसे पहला स्थान प्राप्त किया है। राज्य में ग्रॉस एनवायरनमेंट प्रोडक्ट पर भी कार्य कर रहा है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य सरकार शिक्षा के क्षेत्र में अनेक कार्य कर रही है। राजकीय महाविद्यालय एवं विश्वविद्यालय के आधारभूत संरचना पर कार्य किये जा रहे है। राज्य में 20 मॉडल कॉलेज की स्थापना की जा रही है। प्रदेश में आईटी लैब, स्मार्ट क्लास एवं महिला छात्रावास का भी निर्माण किया जा रहा है। उन्होंने कहा राज्य सरकार ने ब्रिटिश उच्चायोग एवं इन्फोसिस स्प्रिंगबोर्ड के साथ एम.ओ.यू. हस्ताक्षरित किए हैं। स्कॉलरशिप के तहत प्रदेश के 05 छात्रों को प्रतिवर्ष अध्ययन के लिए ब्रिटेन भेजा जाएगा। राज्य सरकार ने आम बजट में युवा कल्याण, खेल, उच्च एवं तकनीकी शिक्षा पर 1700 करोड़ का प्रावधान किया गया है।
इस मौके पर सांसद  अजय भट्ट, दर्जाधारी राज्यमंत्री डॉ अनिल डब्बू, सुरेश भट्ट, दीपक मेहरा, जिलाध्यक्ष भाजपा प्रताप बिष्ट, निवर्तमान मेयर डॉ जोगेंद्र पाल रौतेला, आयुक्त कुमाऊँ दीपक, पुलिस उप महानिरीक्षक योगेन्द्र सिंह रावत रावत, जिलाधिकारी वंदना, पुलिस अधीक्षक प्रह्लाद नारायण मीणा मौजूद थे।

उत्तराखंड़ शिक्षा विभाग शुरू करेगा शेयरिंग व्यवस्था, टीचर्स के साथ शेयर होगा इंफ्रास्ट्रक्चर..

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देहरादून, सरकारी स्कूलों के बच्चों को अब सीबीएसई, आईसीएससी बोर्ड के फर्राटेदार अंग्रेजी बोलने वाले शिक्षक पढ़ाते हुए नजर आएंगे। इतना ही नहीं स्कूलों के बच्चों को बेहतरीन प्लेग्राउंड भी आसानी से उपलब्ध हो जाएगा। राज्य में यह सब शिक्षा विभाग की उस पहल के तहत हो रहा है जिसमें उत्तराखंड सरकार स्कूलों में शेयरिंग व्यवस्था को शुरू करने जा रही हैं।
उत्तराखंड सरकार शिक्षा के क्षेत्र में एक नया प्रयोग करने जा रही है। इसके तहत विद्यालयों में शेयरिंग व्यवस्था को लागू किया जाएगा। यह व्यवस्था विभिन्न बोर्डों के बीच होने वाले एमओयू के बाद राज्य में लागू की जा सकेगी। बता दे कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति के तहत शैक्षणिक व्यवस्थाओं को लेकर कई बिंदुओं पर राज्यों को कार्य करने के लिए कहा गया है। इसी में से एक शिक्षा विभाग में शेयरिंग व्यवस्था को लागू करना भी है। हालांकि इस पर अभी काम शुरू नहीं हो पाया है, लेकिन, माना जा रहा है कि एमओयू साइन होने के बाद राज्य में यह नई व्यवस्था लागू की जा सकेगी।
प्रदेश में यह व्यवस्था खास तौर पर सरकारी विद्यालयों के लिए संजीवनी साबित होगी। ऐसा इसलिए क्योंकि जो छात्र निजी विद्यालयों जैसी शैक्षणिक व्यवस्था को नहीं प्राप्त कर पाते उन्हें भी अब प्राइवेट विद्यालयों के फर्राटेदार अंग्रेजी बोलने वाले शिक्षक पढ़ाएंगे। साथ ही उन बच्चों को बेहतर खेल के मैदान भी उपलब्ध हो सकेंगे। शिक्षा मंत्री धन सिंह रावत का कहना हैं कि जल्द ही इस मामले में अधिकारियों को अग्रिम कार्रवाई करने के लिए कहा गया है। इसके तहत जल्द ही विभिन्न बोर्ड आपस में अनुबंध साइन करेंगे।
नई व्यवस्था के तहत निजी विद्यालयों के अच्छे शिक्षकों को दूसरे विद्यालय में पढ़ाने के लिए भेजा जा सकेगा। इसी तरह उत्तराखंड बोर्ड के अच्छे शिक्षक भी निजी विद्यालयों में जाकर अपने अनुभव का लाभ वहां के बच्चों को देंगे। कुल मिलाकर यह नई व्यवस्था शिक्षकों की शेयरिंग के लिए एक नई शुरुआत होगी। शिक्षा के क्षेत्र में बेहतर कार्य करने वाले शिक्षक दूसरे बोर्ड में जाकर छात्रों को पढ़ा सकेंगे। उधर दूसरी तरफ इसी व्यवस्था में इंफ्रास्ट्रक्चर की शेयरिंग भी की जा सकेगी। बेहतर ग्राउंड का लाभ ऐसे छात्र भी ले सकेंगे जिनके विद्यालयों में खेलने के लिए ग्राउंड मौजूद नहीं है।

 

उत्तराखंड़ की गंभीर जलवायु समस्याओं का समाधान के लिए राउंड टेबल डायलाग का आयोजनविशेषज्ञों और हितधारकों ने उत्तराखंड में जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिए  सामूहिक कार्यवाही पर दिया जोर – Uttarakhand Himalaya

देहरादून, जलवायु परिवर्तन से लड़ने के लिए सामूहिक मोर्चा तैयार करना ज़मीन से मिले सबक, शीर्षक को लेकर दून लाइब्रेरी और रिसर्च सेंटर में एक राउंड टेबल डायलाग को आयोजित किया गया । इस चर्चा का आयोजन एसडीसी फाउंडेशन द्वारा दून लाइब्रेरी के साथ मिलकर किया गया था, जिसमें सिविल सोसाइटी संगठनों, नीति विशेषज्ञों, शिक्षाविदों और युवा पेशेवरों सहित विविध हितधारकों ने भाग लिया। इस संवाद में सामूहिक कार्यवाही के महत्व पर जोर दिया गया, जो जमीनी स्तर के अनुभवों से प्रेरित हो। यह चर्चा एसडीसी फाउंडेशन द्वारा क्यूरेट की गई “उत्तराखंड आइडिया एक्सचेंज ऑन क्लाइमेट एंड कॉन्स्टिट्यूशन” पहल का हिस्सा थी।
सत्र की शुरुआत दून लाइब्रेरी और रिसर्च सेंटर के प्रोग्राम एसोसिएट चंद्र शेखर तिवारी के स्वागत संबोधन से हुई। इसके बाद एसडीसी फाउंडेशन के संस्थापक अनूप नौटियाल ने परिचय दिया जिसमें उन्होंने पहले आयोजित युवा कार्यशाला और पैनल चर्चा को लेकर जानकारी साझा की । उन्होंने उत्तराखंड की गंभीर जलवायु समस्याओं का समाधान करने के लिए जन समुदाय आधारित संवादों पर जोर दिया।
एसडीसी फाउंडेशन के फेलो और यूनिवर्सिटी ऑफ पेट्रोलियम एंड एनर्जी स्टडीज स्कूल ऑफ लॉ के सहायक प्रोफेसर गौतम कुमार ने चर्चा की पृष्ठभूमि रखी। उन्होंने नीति निर्माण में जमीनी अनुभवों को शामिल करने और क्षेत्र में सतत विकास सुनिश्चित करने के लिए स्थानीय ज्ञान को जलवायु नीति में एकीकृत करने की आवश्यकता पर जोर दिया।
सीडर के विशाल सिंह ने बातचीत की शुरुआत की, जिसमें उन्होंने पर्यावरणीय गिरावट को केवल जलवायु परिवर्तन से जोड़ने की प्रवृत्ति को लेकर चिंता जताई। उन्होंने पर्यावरणीय नियमों के सख्त अनुपालन और सिविल सोसाइटी, शिक्षाविदों और राज्य के बीच सहयोग की आवश्यकता पर बल दिया। बैफ के दीपक महंता ने बातचीत को सतत कृषि की ओर मोड़ते हुए जलवायु-लचीली कृषि तकनीकों जैसे विविध फसल और साइल रिजनरेशन की वकालत की।
रीसाइकल के रोहित जोशी ने केदारनाथ में प्लास्टिक कचरे के लिए जमा वापसी प्रणाली के माध्यम से 90% प्लास्टिक कचरे की वसूली का नवाचारी कचरा प्रबंधन समाधान साझा किया। उन्होंने कचरा प्रबंधन के प्रति जनता में जागरूकता बढ़ाने की आवश्यकता पर जोर दिया। आइडियल फाउंडेशन के आयुष जोशी ने घरेलू स्तर पर कचरे का सेग्रेगेशन और एक्सटेंडेड प्रोड्यूसर रिस्पॉन्सबिलिटी के ढांचे के माध्यम से कॉर्पोरेट उत्पादकों के साथ जुड़ने की आवश्यकता पर चर्चा की।
नागरिक के तरुण शर्मा ने छोटे शहरों में काम करने के अपने गहरे अनुभव साझा किए और स्थानीय स्तर पर ज्ञान के अभाव, नागरिक भागीदारी की कमी और सरकारी संस्थानों में मौजूदा क्षमताओं के निम्न स्तर पर जोर दिया। काउंसिल ऑन एनर्जी, इनवायरमेंट एंड वाटर के पंकज करगेती ने सौर ऊर्जा के प्रति जागरूकता और इसे अपनाने की आवश्यकता पर जोर दिया। उन्होंने सरकारी अधिकारियों और स्थानीय समुदायों को शिक्षित करने के महत्व को रेखांकित किया l
बुरांश के जीत बहादुर ने उत्तरकाशी में जलवायु परिवर्तन के मानसिक स्वास्थ्य पर प्रभावों पर ध्यान केंद्रित किया, जहां बदलते मौसम पैटर्न ने कृषि को अस्थिर कर दिया है। उन्होंने सामुदायिक भागीदारी की आवश्यकता और नीति परिवर्तन के लिए जन दबाव के महत्व पर जोर दिया। इंजनियस फाउंडेशन के अनिल जोशी ने कहा कि ग्रामीण क्षेत्रों के संदर्भ में व्यापारिक दृष्टिकोण को जलवायु और समुदाय आधारित दृष्टिकोण से समझना महत्वपूर्ण है।
यूनिवर्सिटी ऑफ पेट्रोलियम एंड एनर्जी स्टडीज की प्रोफेसर वैशाली ने बौद्धिक संपदा अधिकार के संदर्भ में पारंपरिक ज्ञान की रक्षा के लिए कानूनों की वकालत की। उन्होंने स्वदेशी समुदायों के बीच उद्यमशीलता को बढ़ावा देने के लिए प्रौद्योगिकी के उपयोग की क्षमता पर प्रकाश डाला।
सत्र का समापन एक खुले संवाद के साथ हुआ जिसमें प्रतिभागियों ने राज्य और स्थानीय समुदायों के साथ जुड़ाव के अगले कदमों पर चर्चा की। सभी प्रतिभागियों ने उत्तराखंड में जलवायु परिवर्तन का सामना करने के लिए निरंतर संवाद और सामूहिक कार्रवाई के महत्व पर सहमति व्यक्त की।
अनूप नौटियाल ने कार्यक्रम का समापन उत्तराखंड में जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिए सामूहिक कार्यवाही के महत्व को फिर से दोहराते हुए किया। युवा पेशेवर जैसे अरुणिमा नैथानी, अदिति डिमरी, किरण रावत, सुमित सिंह और वसीश कुमार के साथ दून लाइब्रेरी के सुन्दर सिंह बिष्ट उपस्थित रहे।

 

हमारे पूर्वज मोटे अनाजों को प्रयोग करके निरोग रहते थे : डा. धनसिंह रावत

“गढ़ भोज से निरोगी काया’ को लेकर मनाया गढ़ भोज दिवस”

देहरादून, उत्तराखंड़ के साथ देश विदेश में रहने वाले प्रवासियों के द्वारा गढ़ भोज दिवस बड़े हर्षोल्लास के साथ मनाया गया।इस वर्ष गढ़ भोज दिवस का विषय ‘गढ़ भोज से निरोगी काया’ रखा गया था जिस पर स्कूल, कालेजों, महाविद्यालयों में निबंध प्रतियोगिता, वाद विवाद प्रतियोगिता, रैली, भाषण प्रतियोगिता आयोजित हुई। हिमालय पर्यावरण जड़ी बूटी एग्रो संस्थान जाड़ी द्वारा राजकीय बालिका इंटर कॉलेज राजपुर रोड में आयोजित किया गया।
जिसमें मुख्य अतिथि कैबिनेट मंत्री डा. धन सिंह रावत जी दीप प्रज्ज्वलित कर कार्यक्रम का शुभारंभ किया। अपने संबोधन में डा. धन सिंह रावत ने कहा कि उत्तराखंड के परंपरागत मोटे अनाजों एवं उनसे बनने वाले भोजन को मुख्यधारा से जोड़ने को लेकर वर्ष 2000 से उत्तराखंड के कोने कोने में इनके बीजों को संरक्षित करने और इसके प्रचलन को बढाने की कोशिश जाड़ी संस्था के द्वारा किया जा रहा। जो की एक सराहनीय प्रयास है।
उन्होंने कहा की हमारे पूर्वज मोटे अनाजों को प्रयोग करके निरोग रहते थे लेकिन समय के साथ साथ मोटे अनाज हमारे भोजन से गायब होते जा रहे है. फिर से मोटे अनाज और इससे बनने वाले उत्पादों को लोकप्रिय बनाने की आवश्यकता महसूस हो रही है. जिसके लिए गढ़ भोज अभियान महत्वपूर्ण कार्य कर रहा है।
गढ़भोज को मिड डे मिल में शामिल करने के लिए मंत्री जी का शाल वा अंगवस्त्र प्रदान कर आभार व्यक्त किया। बच्चों ने गढ़ भोज के साथ सांस्कृतिक कार्यक्रम भी प्रस्तुत किए, बच्चों के द्वारा एवं गायत्री रावत के द्वारा गढ़ भोज के विभिन्न पकवानों, फसलों की प्रदर्शनी लगाई गई।
गढ़ भोज अभियान के प्रणेता द्वारिका प्रसाद सेमवाल ने कहा की बच्चे पढ़ते समय से इनके गुणों को जाने, साथ ही देश के अन्य लोग भी हमारी भोजन संस्कृति को जाने इस उद्देश्य से गढ़ भोज दिवस का विचार समाज और सरकार के सामने लाया गया जो धीरे धीरे सफल भी हो रहा है।
इस अवसर पर बच्चों को विषय विशेषज्ञों प्रो. मोहन पंवार ने कहा की जलवायु परिवर्तन के प्रभाव को कम करने में गढ़ भोज की काफी महत्वपूर्ण भूमिका है।
सुरेश सतपती ने गढ़ भोज अभियान ने उत्तराखंड के भोजन को राष्टीय अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहचान दिलाई, ये फसलें और भोजन मनुष्य के शरीर के साथ मिट्टी के लिए भी लाभकारी है।
दिनेश सेमवाल ने कहा की उत्तराखंड की भोजन संस्कृति ही दुनिया को स्वस्थ रख सकती है।
गढ़ भोज दिवस का आयोजन वर्ष 2022 से किया जा रहा है। जो कि मुख्य रूप से स्कूल, कालेज, महाविद्यालय, विश्वविद्यालय मेडिकल कॉलेज, अस्पतालों एवं भोजन से जुड़े लोगो के द्वारा मनाया जाता है।
इस वर्ष गढ़ भोज दिवस मनाने का आह्वान मुख्यमंत्री श्री पुष्कर सिंह धामी के साथ पर्यावरणविद पद्म भूषण डा अनिल प्रकाश जोशी, गायक पद्मश्री प्रीतम भर्तवाण , गायक श्री ओम बधानी, गायक श्री इंदर आर्य, सामाजिक कार्यकर्ता श्री सुरेश सतपति, नीदर लैंड से शेफ श्री टीका राम पंवार, हल्द्वानी से डा नवीन लोहनी सहित दर्जनों अन्य लोगो ने वीडियो संदेश जारी कर किया। गढ़ भोज दिवस के अवसर पर लंबे समय से गढ़भोज अभियान से जुड़े लोगों का सम्मान भी किया गया l
जिनमें प्रो. मोहन सिंह पंवार, सुरक्षा रावत, कृष्ण मोहन भट्ट, डा. उदय गौड़, प्रो. यतीश वशिष्ठ, गोपाल प्रकाश मिश्रा, प्रमोद सिंह कैन्तुरा, दिनेश सिंह रावत, नरेश बिजल्वाण, एस एस बिष्ट, श्रीमती भारती आनंद एवं गायत्री रावत आदि शामिल रहे l
इस अवसर पर डा. नीतू गुप्ता, डा. स्वेता एवं डा. अरविंद द्वारा लिखित पुस्तक का विमोचन किया गया l
इस अवसर पर डा. अरविंद दरमोडा, माधवेंद्र रावत, संयुक्त निदेशक आनंद सिंह नेगी, मुकुल कुमार सती, प्रेमलता बोडाई, अनिरुद्ध दरमोडा, चैत राम सेमवाल, विकास पंत, सुरेश सतपति, गंगा बहुगुणा, प्रो एम एस रावत, प्रो. केडी पुरोहित, मालती हालदार आदि शामिल रहे। इस कार्यक्रम में पर्वतीय विकास शोध केंद्र, लोक चेतना मंच, डालियों का दगड़ीया का सहयोग रहा।

 

केंद्र ने उत्तराखंड की 620 औद्योगिक इकाइयों को सब्सिडी के लिए किया अपात्र घोषित

देहरादून, प्रदेश में उद्योगों को बढ़ावा देने की सरकार लगातार कोशिश कर रही है। ताकि पहाड़ से लेकर मैदान तक जो बेरोजगारी है उसे कम किया जा सके। जो पलायन के कारण पहाड़ खाली हो रहे हैं उन्हें रोका जा सके। लेकिन इसी बीच केंद्र सरकार द्वारा राज्य में स्थापित 620 औद्योगिक इकाइयों को अपात्र घोषित कर दिया गया है। केंद्र सरकार की ओर से उत्तराखंड की 620 औद्योगिक इकाईयों को बड़ा झटका लगा है। केंद्र सरकार ने उत्तराखंड की 620 औद्योगिक इकाईयों को सब्सिडी का लाभ पाने के लिए अपात्र घोषित किया है। जिसकी वजह रजिस्ट्रेशन और अन्य तकनीकी कारणों को बताया गया है। इन औद्योगिक इकाईयों को सब्सिडी का लाभ ना मिलने से इनके सामने बड़ी मुसीबत खड़ी हो गई है। केंद्र सरकार से इस समस्या का सामाधान निकालने की मांग डस्ट्री एसोसिएशन के पदाधिकारी कर रहे हैं।
निवेश को बढ़ावा देने के लिए लागू की गई थी औद्योगिक विकास स्कीम 2017 :
आपको बता दें कि उत्तराखंड और हिमाचल प्रदेश में निवेश को बढ़ावा देने के लिए केंद्र सरकार के वाणिज्य एंव उद्योग मंत्रालय द्वारा औद्योगिक विकास स्कीम 2017 को लागू किया था। इस स्कीम के लागू होने के बाद से दोनों राज्यों में कई औद्योगिक इकाइयां स्थापित हुई। इस योजना के तहत सरकार द्वारा 714 इकाइयों को सब्सिडी का लाभ भी दिया गया। लेकिन हाल में जानकारी सामने आई है कि विभिन्न तकनीकी कारणों से उत्तराखंड की 620 औद्योगिक इकाइयों को अपात्र घोषित कर दिया गया है।
सब्सिडी को ध्यान में रखकर ही उत्तराखंड में किया था निवेश :

620 औद्योगिक इकाइयों को अपात्र घोषित होने के बाद इंडस्ट्री एसोसिएशन ऑफ उत्तराखंड के अध्यक्ष पंकज गुप्ता का बयान सामने आया है। उनका कहना है कि उन्होंने बहुत से उद्योगों ने सब्सिडी को ध्यान में रखते हुए ही उत्तराखंड में निवेश किया था। उन्होंने कहा कि 20 ऐसे उद्योग है जिनके द्वारा रजिस्ट्रेशन तो किया गया था। लेकिन टेक्निकल कमी के चलते उनका रजिस्ट्रेशन नहीं हो पाया। रजिस्ट्रेशन ना होने के कारण उन्हें अब सब्सिडी नहीं मिलेगी। उनका कहना है कि केंद्र सरकार के इस फैसले के बाद से वो बेहद निराश हैं। उन्होंने सीएम धामी से गुहार लगाई है कि वो इस बारे में भारत सरकार में उद्योग मंत्री से बात करें और कोई समाधान निकालें।

विपक्ष भी अब इसको लेकर उठा रहा सवाल..

उत्तराखंड में बेरोजगारी और पलायन सबसे बड़ी समस्या है। जिसे दूर करने के लिए प्रदेश सरकार से लेकर केंद्र सरकार लगातार प्रयास कर रही है। लेकिन 620 औद्योगिक इकाईयों की सब्सिडी रूकने ये इन औद्योगिक इकाईयों के भविष्य के लिए खतरा उत्पन्न हो गया है। विपक्ष भी अब इसको लेकर सवाल उठा रहा है। कांग्रेस के प्रदेश संगठन उपाध्यक्ष मथुरा दत्त जोशी का कहना है कि 3:30 लाख करोड़ का निवेश लाने की बातें करने वाली सरकार की ये उपलब्धि है। मथुरा दत्त जोशी ने कहा कि 620 का जो आंकड़ा है ये सरकारी आंकड़ा है। असल में देखें तो करीब हजार से 1200 छोटे बड़े उद्योग बंद होने की कगार पर हैं। इन उद्योगों के बंद होने से उत्तराखंड में बेरोजगारी दर और भी अधिक बढ़ेगी। पलायन भी और भी ज्यादा होगा लेकिन सरकार का इस ओर कोई ध्यान नहीं है।

सत्तापक्ष हर संभव मदद करने की कर रहा बात :
जहां विपक्ष इस मुद्दे को लेकर सरकार को घेरता हुआ नजर आ रहा है। तो वहीं सत्तापक्ष हर संभव मदद प्रदान करने की बात कर रहा है।
भाजपा की प्रदेश प्रवक्ता सुनीता विद्यार्थी का कहना है कि सीएम पुष्कर सिंह धामी की सरकार प्रदेश में लगातार उद्योगों को बढ़ावा दे रही है। अभी जिन उद्योगों इकाइयों की मानक पूरे नहीं थे अभी उन्हीं की सब्सिडी रोकी गई है। लेकिन आगे सरकार इस बारे में कुछ ना कुछ जरूर सोचेगी। उन्होंने कांग्रेस पर भी पलटवार करते हुए कहा कि कांग्रेस हर चीज में सिर्फ गलत की खोजती है।

उपाध्यक्ष के निर्देशों का स्पष्ट दिखने लगा असर : कॉम्प्लेक्स व कमर्शियल भवनों में अब होगी बेसमेंट पार्किंग

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“एमडीडीए उपाध्यक्ष के निर्देशों पर बेसमेंट पार्किंग को लेकर शहर में चलाया गया था अभियान”

देहरादून, शहर में बेसमेंट पार्किंग को लेकर एमडीडीए द्वारा दिखाई गई सख्ती का असर नजर आने लगा है। राजपुर रोड स्थित राज प्लाजा कॉम्प्लेक्स में बेसमेंट पार्किंग के इस्तेमाल हेतु रैंप का निर्माण किया जा रहा है।
प्राधिकरण उपाध्यक्ष वंशीधर तिवारी ने विगत दिनों शहर में तमाम कॉम्प्लेक्स व अन्य कमर्शियल भवनों में बेसमेंट पार्किंग के नियम के पालन की दिशा में सभी सेक्टरों में रिपोर्ट मांगी थी। इसके क्रम में प्राधिकरण के अभियंताओं द्वारा इसे लेकर रिपोर्ट उपाध्यक्ष को प्रस्तुत की गई। उपाध्यक्ष ने निर्देशित किया था कि बेसमेंट पार्किंग के नियम का कड़ाई से पालन कराया जाए।
अब उपाध्यक्ष के निर्देशों का स्पष्ट असर देखने को मिल रहा है। बीते दिनों राजपुर रोड स्थित राज प्लाजा में इस मानक का उल्लंघन पाए जाने पर यहां सीलिंग की कार्रवाई की गई थी। अब, प्राधिकरण की सख्ती के फलस्वरूप यहां पर बेसमेंट में रैंप का निर्माण कॉम्प्लेक्स संचालक द्वारा प्रारंभ करा दिया गया है। ऐसे में यहां पार्किंग के लिए स्थान बनने से क्षेत्र में पार्किंग की समस्या से निजात मिल सकेगी।