Sunday, May 11, 2025
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बेरोजगारी के विरोध में युवाओं ने को किया प्रदर्शन, बूट पॉलिश कर राज्य को किया कठधरे में खड़ा

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देहरादून, बेरोजगारी के विरोध में युवाओं ने प्रदर्शन कर राज्य सरकार को कठधरे में खड़ा किया। इस दौरान राज्य सरकार व केंद्र सरकार के खिलाफ युवाओं ने खूब नारेबाजी की गई।
मंगलवार को एनएसयूआई की ओर बेरोजगारी को लेकर देहरादून के डीएवी कॉलेज में बूट पॉलिश कर विरोध जताया गया है। इस अवसर पर एनएसयूआई प्रदेश अध्यक्ष मोहन भंडारी, व अन्य पदाधिकारी व कार्यकर्ता उपस्थित रहे |

स्वामी विवेकानंद जी की जयंती (12 जनवरी) के अवसर पर एनएसयूआई कार्यकर्ताओं ने डीएवी कॉलेज में एकत्रित होकर परिसर में बनी विवेकानंद जी की मूर्ति पर पुष्प अर्पित कर याद किया। इसके बाद कार्यकर्ता मुख्य गेट पर एकत्रित हुए व केंद्र सरकार पर युवाओं को छलने का आरोप लगाया। युवाओं ने कॉलेज गेट पर बैठकर बूट पॉलिश कर सरकार के खिलाफ प्रदर्शन किया।
इस अवसर पर एनएसयूआई प्रदेश अध्यक्ष मोहन भंडारी ने कहा कि आज पूरा देश विवेकानंद जी की जयंती को राष्ट्रीय युवा दिवस के रूप में माना रहा है, लेकिन देश का युवा खुद को ठगा हुआ महसूस कर रहा है, सरकार ने देश के युवाओं को प्रतिवर्ष 2 करोड़ रोजगार देने का वादा किया था, लेकिन न ही केंद्र सरकार व न ही राज्य सरकार युवाओं को रोजगार दे पायी है,
इस अवसर पर एनएसयूआई प्रदेश महासचिव आयुष गुप्ता, जिला अध्यक्ष सौरभ ममगाईं, महानगर अध्यक्ष अभिषेक डोबरियाल, विपुल गौड़, आदित्य बिष्ट, संदीप धीमान, उदित थपलियाल, अंकित बिष्ट, वाशु शर्मा, उत्कर्ष जैन,सागर, देवाशीष, अरुण टम्टा, अजय शाह आदि मौजूद रहे।

जूनियर इंजीनियर एसोसिएशन ने जारी आदेश वापिस लेने को दिया ज्ञापन

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हरिद्वार 12 जनवरी (कुल भूषण) उत्तराखण्ड पावर जूनियर इंजीनियर एसोसिएषन द्वारा उपाकालि प्रबन्धन निदेषक मानव संसाधन को ज्ञापन देकर  प्रबन्धन द्वारा वितरण क्षेत्र अधिकारियो के वेतन को राजस्व वसूली से जोडे जाने के आदेष पर अपना विरोध ऊर्जा भवन उपाकालि मुख्यालय देहरादून में  प्रकट किया  इस मौके पर उपस्थित कर्मचारियो को सम्बोधित करते हुए संघ के प्रान्तीय अध्यक्ष  इंजीनियर के डी जोषी  ने कहा कि क्षेत्रीय अधिकारियो द्वारा वर्तमान में उपलब्ध सीमित संसाधनो का अधिकतम प्रयोग करते हुए राजस्व वसूली सुनिष्चित की जाती है एवं स्टाफ की भारी कमी होने के बावजूद भी प्रदेष के उपभोक्ताओ को 24 घंटे विद्युत आपूर्ति सुनिष्चित करने का काम किया जा रहा है।

परन्तु ऐसे में निगम प्रबन्धन द्वारा इस तरह के आदेष जारी कर कर्मचारियो के मनोबल को तोडने का काम किया है संघ के केन्द्रीय महासचिव ई0 संदीप षर्मा ने कहा कि यह आदेष पूरी तरह से अव्यावहारिक  व न्याय के विरूद्व है जिसे एसोसिएषन किसी भी हाल में स्वीकार नही करेगी तथा इस आदेष को तत्काल वापिस लेने की मांग करती है इस मौके पर ऊर्जा कामगार संगठन के केन्द्रीय अध्यक्ष राकेष षर्मा कार्यवाहक अध्यक्ष दीपक बेनीवाल  पावर लेखा एसोसिएषन  के महासचिव डी सी ध्यानी उत्तराखण्ड विद्युत संविदा कर्मचारी संगठन के प्रदेष अध्यक्ष विनोद कवि ने भी अपना  समर्थन देेते हुए निगम प्रबन्धन से कार्मिक हित में  इस आदेष को तत्काल निरस्त  करने की मांग की  इस मौके पर ई जी एन कोठियाल के डी जोषी संदीप षर्मा नितिन तिवारी अरविन्त त्रिपाठी विमल बहुगुणा सहित विभिन्न विभागीय कर्मचारी उपस्थित थे

 

पांच दिवसीय मार्चुला एडवेंचर मीट का हुआ समापन

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देहरादून/सल्ट/अल्मोड़ा | साहसिक खेलों को बढ़ावा दिये जाने के मुख्य उद्देश्य से जनपद अल्मोड़ा के सल्ट में पांच दिवसीय मार्चुला एडवेंचर मीट 2021 का द्वितीय संस्करण का समापन हो गया। इस कार्यक्रम के मुख्यअतिथि चाय विकास बोर्ड के उपाध्यक्ष गोविन्द सिंह पिल्खवाल ने कहा कि जनपद में साहसिक खेलों को अधिक से अधिक बढ़ावा दिया जा रहा है। इस तरह के आयोजनों से जनपद का नाम साहसिक खेलों में अग्रणी रहेगा जिससे प्रदेश सरकार की आय में बढोत्तरी होगी|

उन्होंने कहा कि जिला प्रशासन द्वारा जो आयोजन किया गया यह एक सराहनीय कदम है। उन्होंने कहा कि मार्चुला एडवेंचर मीट के आयोजन से स्थानीय होटल व रिर्जाट्स को भी फायदा हो रहा है। जिससे पर्यटन को बढ़ावा मिलने के साथ ही स्थानीय लोगों को रोजगार भी मुहैया होगा। उपाध्यक्ष ने कहा कि पर्यटन को बढ़ावा दिये जाने के लिये अपने स्तर हर सम्भव सहयोग करेंगे। इस दौरान उन्होंने साहसिक गतिविधियों में भाग लिया।

इस पांच दिवसीय मार्चुला एडवेंचर मीट के दौरान विभिन्न साहसिक गतिविधियाॅ आयोजित की गयी। जिसमें पर्यटकों द्वारा पूरे एडवेचंर मीट का लुफ्त उठाया गया। इस एडवेचर मीट में पैराग्लाइडिंग, ट्रेल रन, माउंटेन बाइकिंग, रिवर, क्रॉसिंग, जोरबिंग, वॉटर रोलिंग, ऑफ-रोडिंग, हाइकिंग, सफारी मुख्य आकर्षण का केन्द्र रहे। अन्य गतिविधियों में जैसे एयर बैलून राइड, रॉक क्लाइम्बिंग, जुमरिंग, वॉटर रोलर, जोरबिंग, क्लिफ जंपिंग, जिप लाइन, क्याकिंग, वाटर मेडिएशन, एंगलिंग खेलों का भी आयोजन भी किया गया|

इस अवसर पर उपजिलाधिकारी सल्ट शिप्रा जोशी पाण्डे, उपजिलाधिकारी अल्मोड़ा गौरव पाण्डे, खण्ड शिक्षा अधिकारी हिमांशु नौगाई, नरेन्द्र कुमार, तहसीलदार दलीप सिंह, खण्ड विकास अधिकारी सल्ट रवि कुमार सैनी, विभू कृष्णा सहित शिक्षा विभाग, तहसील प्रशासन, स्वास्थ्य, राजस्व, पुलिस कर्मी मौजूद थे।

स्वामी विवेकानन्द की जयंती पर मुख्यमंत्री ने युवाओं से किया संवाद

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देहरादून , मुख्यमंत्री  त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने स्वामी विवेकानन्द की 158वीं जयंती के अवसर पर आयोजित युवा चेतना दिवस कार्यक्रम में वर्चुअल प्रतिभाग किया। इस अवसर पर उन्होंने प्रदेश के कई युवाओं से संवाद किया। मुख्यमंत्री श्री त्रिवेन्द्र ने कहा कि जल्द ही राज्य में युवा आयोग अस्तित्व में आ जायेगा। इसके लिए बजट का प्राविधान हो चुका है। उन्होंने कहा कि स्वामी विवेकानन्द ने एक ध्येय वाक्य दिया ‘‘उठो जागो और तब तक मत रूको जब तक लक्ष्य प्राप्त न हो ’’। विवेकानन्द जी भारतीय संस्कृति के संवाहक थे। उन्होंने पूरे विश्व को भारत की संस्कृति से अवगत कराया। भारत की संस्कृति सर्वश्रेष्ठ संस्कृति है, यहां की संस्कृति में सबको साथ लेकर चलने की ताकत है।

उन्होंने भारत की शौर्य, वीरगाथाओं और वसुधैव कुटुम्बकम् की संस्कृति से दुनिया को अवगत कराया। दर्शन एवं साधक के रूप में हम विवेकानन्द जी के चरित्र को समझ सकते हैं। शारीरिक, मानसिक और बौद्धिक सभी तरह की शक्ति हमारे युवाओं में होनी चाहिए, इस पर भी उन्होंने विशेष बल दिया। विवेकानन्द जी ने उत्तराखण्ड के अल्मोड़ा जनपद, बागेश्वर एवं अगस्त्यमुनी के स्मरणों का वर्णन किया है। उत्तराखण्ड से स्वामी विवेकानन्द जी का विशेष लगाव था। विवेकानन्द जी का जीवन दर्शन युवाओं के लिए हमेशा प्रेरणा स्रोत रहेगा।

मुख्यमंत्री श्री त्रिवेन्द्र ने कहा कि आज प्रदेश के युवाओं के साथ जो संवाद हुआ, इसमें बहुत अच्छे सुझाव मिले। उन्होंने सभी जिलाधिकारियों को निर्देश दिये कि युवाओं द्वारा जो भी सुझाव दिये गये हैं, उनका संग्रह किया जाय। ये विचार सरकार के लिए नीतिगत निर्णय लेने में सहयोगी हो सकते हैं। उन्होंने कहा कि युवा जिस भी क्षेत्र में कार्य कर रहे हैं, कार्य के प्रति समर्पण का भाव हो तो उसमें सफलता अवश्य मिलती है। राज्य सरकार द्वारा स्वरोजगार पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है। युवाओं को रोजगार तक ही सीमित न रहकर अपने साथ अन्य लोगों को रोजगार से जोड़ना होगा। स्वरोजगार के लिए राज्य में पर्याप्त संभावनाएं भी हैं। उत्पादों का वैल्यू एडिशन एवं प्राकृतिक संसाधनों का बेहतर इस्तेमाल कैसे हो, इस दिशा में और प्रयासों की जरूरत है। स्थानीय उत्पादों को बढ़ावा देना होगा। ग्रामीण क्षेत्रों में स्वरोजगार उपलब्ध कराने के लिए ग्रोथ सेंटर पर कार्य किया जा रहा है। ग्रोथ सेंटर आज आजीविका बढ़ाने में सहायक सिद्ध हो रहे हैं। राज्य में पर्यटन के क्षेत्र में अपार संभावनाएं हैं। यूएनओ की रिपोर्ट के अनुसार एडवेंचर टूरिज्म में रोजगार की सबसे अधिक संभावनाएं हैं। राज्य सरकार ने एडवेंचर टूरिज्म के लिए एक अलग विंग बनाई है।

मुख्यमंत्री श्री त्रिवेन्द्र से राज्य के युवाओं ने संवाद स्थापित करते हुए अपने अनुभवों को साझा किया। सरकार द्वारा चलाई जा रही योजनाओं से युवा कैसे लाभान्वित हो रहे हैं, प्रदेश को और तेजी से प्रगति पथ पर ले जाने के लिए क्या प्रयास होने चाहिए और सरकार की योजनाओं के बारे में दूरस्थ क्षेत्रों तक लोगों को जानकारी हो इस बारे में सुझाव दिये गये।

शिक्षा मंत्री श्री अरविन्द पाण्डेय ने कहा कि स्वामी विवेकानन्द जी का मूल उद्देश्य व्यक्तित्व निर्माण था। उन्होंने कहा कि राज्य में प्रत्येक विकासखण्ड में दो अटल उत्कृष्ट विद्यालय खोले जा रहे हैं। इसका शासनादेश भी जारी हो गया है। इस शैक्षणिक सत्र से इनकी शुरूआत हो जायेगी। उन्होंने कहा कि उत्तराखण्ड की खेल नीति जल्द प्रकाशित होने वाली है। उसके बाद अनेक युवाओं को खेलों के क्षेत्र में अपना भविष्य बनाने का मौका मिलेगा।

उच्च शिक्षा एवं सहकारिता राज्य मंत्री डॉ. धन सिंह रावत ने कहा कि विवेकानन्द जी का जन्म दिवस प्रदेश में युवा चेतना दिवस के रूप में मनाया जा रहा है। आज प्रदेश भर में 127 स्थानों पर निबंध प्रतियोगिता आयोजित की जा रही है। इस प्रतियोगिता में प्रथम, द्वितीय एवं तृतीय स्थान प्राप्त करने वालों को क्रमशः 01 लाख, 75 हजार एवं 50 हजार रूपये पुरस्कार स्वरूप दिये जायेंगे। ये पुरस्कार 23 जनवरी को मुख्यमंत्री श्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत द्वारा सुभाषचन्द्र बोस की जयंती के अवसर पर दिये जायेंगे। उन्होंने कहा कि आज से 23 जनवरी तक 125 स्थानों पर ब्लड डोनेशन के कार्यक्रम भी मुख्यमंत्री के निर्देशन में किये जा रहे हैं। गरीब बच्चे जो रिसर्च करना चाहते हैं, ऐसे बच्चों को मुख्यमंत्री रिसर्च फैलो पुरस्कार दिया जायेगा। गरीब बच्चों के लिए आईएएस एवं पीसीएस की कोचिंग के लिए 1 करोड़ रूपये की स्वीकृति दी है। यह कोचिंग जिन परिवारों की वार्षिक आय 2.5 लाख से कम होगी उनको दी जायेगी।

इस अवसर पर अपर मुख्य सचिव  राधा रतूड़ी, सचिव  राधिका झा, वर्चुअल माध्यम से कुमायूं कमिश्नर अरविन्द सिंह ह्यांकी, सभी जिलाधिकारी एवं युवा उपस्थित थे।

खास खबर : उच्चतम न्यायालय ने अगले आदेश तक कृषि कानूनों को लागू करने पर लगाई रोक, 4 सदस्यों की कमेटी गठित

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नयी दिल्ली, नए कृषि कानूनों को लेकर उच्चतम न्यायालय ने बड़ा आदेश जारी किया है। न्यायालय ने इन कानूनों के अमल पर अगले आदेश तक रोक लगा दी है इसके साथ ही किसानों की समस्याओं पर विचार के लिए चार सदस्यीय समिति का गठन किया है। इस समिति में भूपिंदर सिंह मान, कृषि अर्थशास्त्री अशोक गुलाटी, डॉ प्रमोद कुमार जोशी, अनिल धनवत शामिल हैं।

सुप्रीम कोर्ट में संसद द्वारा पारित तीन कृषि कानूनों को चुनौती देने और दिल्ली की सीमाओं से किसानों को हटाने की कई याचिकाओं पर सुनवाई हुई। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हम हल निकालने के लिए कमेटी बनाना चाहते हैं। कृषि कानूनों को चुनौती देने वाली याचिका दायर करने वाले एडवोकेट एमएल शर्मा ने अदालत को बताया कि किसानों ने कहा है कि वे अदालत द्वारा गठित किसी भी समिति के समक्ष उपस्थित नहीं होंगे। सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस एसए बोबडे ने कहा कि हम कानून का अमल स्थगित कर सकते हैं।

चीफ जस्टिस ने कहा कि यह भी सुनने में आ रहा है कि गणतंत्र दिवस कार्यक्रम को बाधित किए जाने की तैयारी है। सवाल यह है कि लोग हल चाहते हैं या समस्या को बनाए रखना? अगर हल चाहते हैं तो यह नहीं कह सकते कि कमिटी के पास नहीं जाएंगे। जिसके बाद तमाम पक्ष सुनने के बाद सुप्रीम कोर्ट ने अगले आदेश तक तीन कानूनों को लागू करने पर रोक लगाई और बातचीत के लिए चार सदस्यों की एक कमेटी बनाई है।

 

भूपिंदर सिंह मान भारतीय किसान यूनियन के अध्यक्ष हैं। 15 सितंबर 1939 को गुजरांवाला (अब के पाकिस्तान) में जन्में भूपिंदर सिंह मान को साल 1990 में राष्ट्रपति ने राज्यसभा के लिए मनोनीत किया था। भूपिंदर सिंह मान भारतीय किसान यूनियन के अध्यक्ष के साथ-साथ किसान कोऑर्डिनेशन कमेटी के चेयरमैन भी हैं। हाल ही में भूपिंदर सिंह मान ने केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर को पत्र लिखकर कानूनों का समर्थन किया था।

अशोक गुलाटी

कृषि अर्थशास्त्री अशोक गुलाटी भारतीय अनुसंधान परिषद (आईसीआरआईईआर) में इन्फोसिस के चेयर प्रोफेसर हैं। इसके अलावा वह न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर सरकार को सुझाव देने वाली समिति कमीशन फॉर एग्रीकल्चर कॉस्ट एंड प्राइज (सीएसीपी) के अध्यक्ष रह चुके हैं और उन्होंने कई फसलों की एमएसपी बढ़ाए जाने के मामले में अहम भूमिका अदा की है। वहीं, अशोक गुलाटी को साल 2015 में पद्मश्री पुरस्कार से नवाजा जा चुका है।

 

डॉ प्रमोद कुमार जोशी
डॉ प्रमोद कुमार जोशी का कृषि शोध में बहुत बड़ा नाम है। वह दक्षिण एशिया के अंतरराष्ट्रीय खाद्य नीति एवं अनुसंधान संस्थान के निदेशक हैं। इसके अलावा वह राइट टू फूड कमेटी के सदस्य रह चुके हैं और इंटरनेशनल क्रॉप रिसर्च इंस्टीट्यूट में सीनियर इकोनॉमिस्ट रह चुके हैं।

अनिल घनवत

अनिल घनवत शेतकारी संगठन के अध्यक्ष हैं। यह महाराष्ट्र में किसानों का संगठन है और इस संगठन नें केंद्र की मोदी सरकार को कृषि कानूनों के पक्ष में अपना समर्थन दिया है। हालांकि, यह मानते हैं कि कानूनों में संशोधन की गुंजाइश भी है।

उल्लेखनीय है कि प्रधान न्यायाधीश एस ए बोबडे, न्यायमूर्ति ए एस बोपन्ना और न्यायमूर्ति वी रामासुब्रमणियन की पीठ ने सभी पक्षों को सुनने के बाद कहा कि वह इन कानूनों के अमल पर अगले आदेश तक के लिए रोक लगा रही है और चार सदस्यीय समिति का गठन कर रही है।

“जाड़ी” वर्ष 2021 को ‘गढ़ भोज वर्ष’ के रूप में मनायेगा, विकास के साथ अपनी जड़ों से जुड़ने की सकारात्मक पहल

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देहरादून, हिमालय पर्यावरण जड़ी बूटी एग्रो संस्थान जाड़ी व सहयोगी संगठन उत्तराखण्ड के पारंपरिक भोजन को राष्टीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर पहचान दिला कर आर्थिकी से जोड़ने के लिये वर्ष 2021 को गढ़ भोज वर्ष के रूप मे मना रहा है। इसका शुभारम्भ 15 जनवरी 2021 को राजकीय बालिका इंटर कालेज राजपुर रोड़ देहरादून में किया जायेगा। प्रेस क्लब देहरादून में पत्रकारों से मुखातिब द्वारिका प्रसाद सेमवाल ने कहा कि राज्य आन्दोलन का सूत्र वाक्य रहा ‘कोदा झंगोरा खाएंगे उत्तराखण्ड बनाएंगे’ ने ना सिर्फ एक राज्य के विचार को बल्कि एक ऐसे विचार को भी जन्म दिया था, जिसके मूर्त रूप लेने पर यहां की छोटी जोत वाली कृषि पर आधारित आर्थिकी और बाज़ार व्यवस्था में छोटे किसानों के उत्पादों की मांग और उपलब्धता गावों में ही कराकर सुधार लाया जा सकता है।

उत्तराखंड का पारंपरिक भोजन यहां की जलवायु के चलते स्वादिष्ट, पौष्टिक और औषधीय गुणों से भरपूर है। इसी उदेश्य से हिमालय पर्यावरण जड़ी बूटी एग्रो संस्थान जाड़ी वर्ष 2001 से ही विभिन्न संगठनो के साथ मिल कर उत्तराखंड के पारम्परिक भोजन को पूरे देश में गढ़ भोज नाम से पहचान, लोकप्रियता और गुजराती, पंजाबी व दक्षिण भारतीय आदि भोजन की तरह हर जगह उसकी उपलब्धता के लिए प्रयासरत है।
जाड़ी संस्थान के सचिव व गढ़ भोज अभियान के सूत्रधार द्वारिका प्रसाद सेमवाल ने कहा की यह दुनिया का पहला अभियान होगा जो स्थानीय भोजन को बाज़ार व पहचान दिलाने के लिये चलाया जा रहा है। काफी हद तक सफलता भी मिली है जो आज गांव के चूल्हे से लेकर बड़े होटलों के मेन्यू का हिस्सा बन रहा है।

गढ़ भोज वर्ष 2021 के दौरान राज्य सरकार से सप्ताह के एक दिन अनिवार्य रुप से मिड डे मील में, सरकारी कैंटीनों, होटलों और ढाबों में गढ़ भोज परोसने का आग्रह किया जायेगा। इसके अलावा स्कूली शिक्षा में निबंध प्रतियोगिताओं, रैलियों और विभिन्न संगठनों के साथ जन जागरुकता कार्यक्रम आदि आयोजित कर गढ़ भोज व उत्तराखंड की पारम्परिक फसलों की जानकारी दी जाएगी।
गढ़ भोज अभियान के सदस्य और आगाज फेडरेशन के अध्यक्ष श्री जे पी मैठाणी ने कहा अपने औषधीय गुणों के कारण गढ़ भोज कोरोना के दौर में आमजन की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने में भी सहायक हुआ है ।

जहां गढ़ भोज की लोकप्रियता उत्तराखंड की आर्थिक आत्मनिर्भरता में सहयोगी होगी वहीं यह समस्त देश वासियों और विश्व को स्वाद और सेहत की अनुपम भेंट होगी। उनकी संस्था वर्तमान में परम्परागत बीजों के संरक्षण का कार्य भी कर रही है
इंटर एजेंसी ग्रुप की समन्वयक श्रीमती कुसुम घिल्डियाल ने कहा कि हिमालय के अनाज हिमालय की पहचान है इसलिए अनाजों के संरक्षण के साथ पर्यटन आदि के क्षेत्र में गढ़ भोज एक नयी पहचान बनाएगा ।

गढ़ भोज अभियान के सद्स्य विकास पन्त ने कहा की आज का युवा अपने पारम्परिक भोजन व फ़सलों की जानकारी से दूर होता जा रहा । हमारी कोशिश रहेगी कि युवाओ को इसकी पहचान और गुणवत्ता में अपनी जड़ो से जोड़ने का प्रयास किया जायेगा।

अभियान के शेफ टीका राम पंवार ने कहा की हम उत्तराखण्ड के पारम्परिक भोजन को नये फ्यूजन मे बनाने के लिये प्रयासरत है।
प्रेस कांफ्रेंस में जे. पी. मैठणी, विकास पन्त, कुशुम घिन्डियाल, टीका राम पंवार, गौरव गुसाई शामिल रहे।

नए नियम-कायदे लाने की तैयारी में वॉट्सऐप, यूजर्स हुए फिक्रमंद, सिग्नल के पीछे भाग रहे लोग

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नई दिल्ली , वॉट्सऐप ने पिछले दिनों नए नियम-कायदे लाने की बात कही है। जो इस साल 8 फरवरी से वजूद में आ जाएंगे। खबर है कि इन्हें न मानने पर आपका वॉट्सऐप अकाउंट बंद हो जाएगा। वॉट्सऐप यूजर्स फिक्रमंद हैं। उन्हें अपने प्राइवेट डेटा की चिंता सता रही है। इस बीच, लोग अचानक प्राइवेसी-फोकस्ड मेसेजिंग ऐप सिग्नल (Signal) पर ‘टूट’ पड़े हैं। दरअसल, हाल में दुनिया के सबसे अमीर आदमी बने टेस्ला के सीईओ एलन मस्क ने Signal को लेकर एक ट्वीट किया है। उन्होंने लोगों से सिग्नल इस्तेमाल करने की बात कही है। मस्क के 7 जनवरी को किए गए इस ट्वीट के बाद बड़ी संख्या में लोग Signal ऐप डाउनलोड कर रहे हैं। सिग्नल के बढ़ते डाउनलोड्स के बीच मेसेजिंग ऐप्स के बीच वॉट्सऐप की दादागीरी खतरे में नजर आ रही है। इस बीच, वॉट्सऐप ने स्पष्ट किया है कि नए प्राइवेसी अपडेट का असर प्राइवेट चैट्स पर नहीं पडे़गा।

भारत समेत कई देशों में टॉप फ्री ऐप बना Signal
बढ़ते डाउनलोड्स के बीच Signal भारत समेत कई देशों में ऐपल के ऐप स्टोर में अब टॉप फ्री ऐप बन गया है। सिग्नल ने टॉप फ्री ऐप्स का ऐप स्टोर चार्ट्स ट्वीट किया है, जिसमें बताया गया है कि वह किन मार्केट्स में अभी नंबर 1 की पोजिशन पर पहुंच गया है। सिग्नल ने भारत, जर्मनी, फ्रांस, आस्ट्रिया, फिनलैंड, हांगकांग और स्विट्जरलैंड में नंबर 1 की पोजिशन के लिए वॉट्सऐप को पीछे छोड़ दिया है। इसके अलावा, जर्मनी और हंगरी में Signal गूगल प्ले स्टोर में भी टॉप फ्री ऐप्स बन गया है |

दुनिया भर में Signal की पॉपुलैरिटी बढ़ रही है। नए यूजर्स साइन-इन की कोशिश कर रहे हैं। कई यूजर्स ने पिछले दिनों वैरिफिकेशन कोड न मिलने की बात भी कही। इस पर Signal ने कहा था, ‘फिलहाल बड़ी संख्या में नए लोग सिग्नल ज्वाइन करने की कोशिश कर रहे हैं, जिससे वैरिफिकेशन कोड्स में थोड़ी देरी हो रही है। इस इश्यू को सुलझाने के लिए हम टेलिकॉम कंपनियों के साथ मिलकर काम कर रहे हैं।’

 

सिग्नल का यूजर्स की प्राइवेसी पर पूरा फोकस
अगर Signal की बात करें तो इसका पूरा फोकस यूजर्स की प्राइवेसी सेफ रखने पर है। इसकी टैगलाइन है- ‘Say hello to privacy’। कंपनी का दावा है कि वह ऐसे सिस्टम का इस्तेमाल कर रही है, जिसे क्रैक कर पाना असंभव है। व्हिस्लब्लोअर एडवर्ड स्नोडेन ने भी इस मेसेजिंग ऐप को एंडोर्स किया है। यूजर्स प्राइवेसी को लेकर सिग्नल का कहना है, ‘हम आपके मेसेज नहीं पढ़ सकते हैं या आपकी कॉल्स नहीं सुन सकते हैं, और दूसरा कोई भी ऐसा नहीं कर सकता है।’ Signal ऐप यूजर्स को मेसेज भेजने, ऑडियो और विडियो कॉल्स करने, फोटोज, विडियोज और लिंक शेयर करने की सहूलियत देता है। सिग्नल दिसंबर 2020 में ग्रुप विडियो कॉलिंग का ऑप्शन भी लेकर आया है।

 

ग्रुप में खुद से किसी को नहीं कर सकते हैं ऐड
Signal पर आप ग्रुप्स भी बना सकते हैं, जिसके मेंबर्स की संख्या 150 तक होगी। हालांकि, ग्रुप बनाने पर कोई भी व्यक्ति ऑटोमैटिकली ग्रुप में नहीं जुड़ेगा। लोगों को इनवाइट भेजा जाएगा और अगर वह उसे स्वीकार करते हैं तो वह ग्रुप से जुड़ जाएंगे। इसके अलावा, सिग्नल में डिसएपियरिंग मेसेज फीचर भी दिया गया है। यह ऐप न केवल इंड-टू-इंड इनक्रिप्शन देता है, बल्कि यूजर्स का डेटा भी बहुत कम कलेक्ट करता है।

क्या है Whatsapp की नई पॉलिसी

WhatsApp 5 जनवरी से अपने यूजर्स को इन-ऐप नोटिफिकेशन भेजकर अपनी पॉलिसी में होने वाले बदलावों के बारे में बता रहा है।वॉट्सऐप की अपडेटेड पॉलिसी में आपके द्वारा कंपनी को दिए जा रहे लाइसेंस में कुछ बातें लिखी गईं हैं। इसमें लिखा है कि हमारी सर्विसेज को ऑपरेट करने के लिए आप वॉट्सऐप को जो कंटेंट आप अपलोड, सबमिट, स्टोर, सेंड या रिसीव करते हैं, उनको यूज, रिप्रोड्यूस, डिस्ट्रीब्यूट और डिस्प्ले करने के लिए दुनियाभर में, नॉन-एक्सक्लूसिव, रॉयल्टी फ्री, सब्लिसेंसेबल और ट्रांसफरेबल लाइसेंस देते हैं। WhatsApp के यूज के लिए इन नियम और शर्तों को एक्सेप्ट (accept) करना होगा। इसे एक्सेप्ट (accept) नहीं करने पर यूजर्स का अकाउंट डिलीट (account delete) कर दिया जाएगा।

 

Whatsapp आपके डिवाइस से जुटाता है ये डेटा

वॉट्सएप आईडी, यूजर आईडी, एडवरटाइजिंग डेटा, पसचेज हिस्ट्री, कोर्स लोकेशन, फोन नंबर, याद ईमेल एड्रेस, कॉन्टैक्ट्स, प्रोडक्ट इंटरैक्शन, क्रैश डेटा, परफॉर्मेंस डेटा, डायग्नॉस्टिक डेटा, पेमेंट इन्फो जैसी जानकारियां आपके फोन से ले लेता है(साभार हिन्दुस्तान)|

फिल्म ‘मैडम चीफ मिनिस्टर’ का ट्रेलर रिलीज, कई सीन को लेकर फिल्म विवादों में घिरी

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मुम्बई, बॉलीवुड एक्ट्रेस ऋचा चड्ढा स्टारर ‘मैडम चीफ मिनिस्टर’ का ट्रेलर हाल ही में रिलीज हुआ. ट्रेलर लॉन्च से एक दिन पहले ऋचा ने फिल्म का पोस्टर शेयर किया. इस पोस्टर और ट्रेलर के कई सीन को लेकर फिल्म विवादों में घिर गई है. फिल्म का ये विवाद जातिगत आधार पर है. फिल्म के पोस्टर में ऋचा हाथ में झाड़ू लिए हैं. इसकी टैग लाइन में ‘अनटचेबल’ और ‘अनस्टॉपेबल’ लिखा है, फिल्म के पोस्टर और कई सीन में जातिवाद फैलाने और दलितों की गलत छवि दिखाने का आरोप लगा है. कई लोगों का कहना है ये फिल्म की कहानी उत्तर प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री और बहुजन समाज पार्टी की अध्यक्ष मायावती के जीवन पर आधारित है. मायावती पढ़ी लिखी हैं, उन्होंने विज्ञान और कानून की पढ़ाई की है. लेकिन फिल्म ऋचा के हाथ में झाड़ू दिखाकर उनकी छवि खराब करने की कोशिश की है और एक जाति को टारगेट किया गया है.

 

मायावती के जीवन पर आधारित नहीं

बता दें कि फिल्म के ट्रेलर की शुरुआत में मेकर्स ने एक डिस्क्लेमर दिया है. इस डिस्क्लेमर में स्पष्ट रूप से कहा गया है कि फिल्म की कहानी और पात्र काल्पनिक है, जिनका किसी भी व्यक्ति, धर्म, समुदाय या जाति से संबंध नहीं है. लेकिन लोग इस बात को मानने से इनकार कर रहे हैं |

इसलिए मान रहे हैं मायावती के जीवन पर आधारित

फिल्म की कहानी एक दलित महिला नेता है कि जो अपने तरीके से जीतती और अपने तरीके से गठबंधन कर सरकार बनाती है. राज्य में मुख्यमंत्री बनती है. फिल्म की कहानी को उत्तर प्रदेश में फिल्माया गया है, इसकी वजह से लोग आशंका जता रहे है कि ये मायावती के जीवन से प्रेरित या आधारित कहानी है |

मंदिर में सिर्फ ऊंची जाति के लोगों की एंट्री

इस फिल्म में एक ऐसी लड़की की कहानी दिखाई गई है जो दलित है लेकिन अपनी बदौलत वो मुख्यमंत्री बनती है. उसके लिए ये रास्ता आसान नहीं है. मंदिर में सिर्फ ऊंची जाति के लोगों की एंट्री को लेकर भी इसमें सवाल उठाया गया है. इस मुद्दे को लेकर सोशल मीडिया पर बहस भी शुरु हो गई है.

22 जनवरी को सिनेमाघर में होगी रिलीज

बता दें कि फिल्म में फिल्म में ऋचा चड्ढा के अलावा सौरभ शुक्ला, मानव कौल, अक्षय ओबेरॉय और सुरभि चंद्रा मुख्य भूमिका में हैं. इस फिल्म को सुभाष कपूर ने डायरेक्ट किया है. इसके प्रोड्यूसर भूषण कुमार, कृष्ण कुमार, नरेन कुमार और डिंपल खरबंदा है. फिल्म 22 जनवरी को सिनेमाघरों में रिलीज होगी (साभार एबीपी न्यूज)|

शिक्षा मंत्रालय ने बनाई योजना, हर राज्य में होंगे आइआइटी-आइआइएम जैसे संस्थान

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नई दिल्ली। आइआइटी और आइआइएम जैसे शीर्ष उच्च शिक्षण संस्थानों में पढ़ना भला कौन नहीं चाहेगा, लेकिन संस्थानों की सीमित संख्या और सीटों के साथ सभी राज्यों में इनकी मौजूदगी न होना इस राह में एक बड़ी बाधा है। हालांकि शिक्षा मंत्रालय ने इस बाधा को दूर करने की योजना पर काम शुरू कर दिया है। इसके तहत सभी राज्यों में अब आइआइटी और आइआइएम जैसे उच्च शिक्षण संस्थान खोले जाएंगे। मौजूदा समय में देश के 22 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में ही आइआइटी और 20 राज्यों में आइआइएम मौजूद हैं। इनमें अकेले उत्तर प्रदेश ऐसा राज्य है, जहां दो आइआइटी मौजूद हैं।

आने वाले दिनों में ऐसे कुछ और संस्थानों को खोलने की हो सकती है घोषणा

शिक्षा मंत्रालय ने फिलहाल सभी राज्यों में इन संस्थानों को खोलने की इस योजना पर काम नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति आने के बाद शुरू किया है, जिसमें ऐसे संस्थानों को सभी राज्यों में खोलने की सिफारिश की गई है। वैसे भी जब नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति के अमल का काम तेजी से चल रहा है, ऐसे में मंत्रालय ने इस प्रस्ताव को भी लेकर भी गंभीरता दिखाई है। फिलहाल ऐसे सभी राज्यों को चिन्हित कर लिया गया है। मंत्रालय से जुड़े सूत्रों की मानें आने वाले दिनों में वंचित राज्यों में ऐसे में संस्थानों को खोलने का फैसला लिया जा सकता है। वैसे भी मोदी सरकार ने आने के बाद शीर्ष उच्च शिक्षण संस्थानों की संख्या और सीटों को बढ़ाने में जुटी हुई है। इसका अंदाजा इससे भी लगाया जा सकता है कि 2014 के बाद से देश में अब तक सात नए आइआइएम और इतने ही नए आइआइटी खोले जा चुके हैं।

देश के 22 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में ही आइआइटी और 20 राज्यों में है आइआइएम जैसे शीर्ष संस्थान

2014 से पहले देश में कुल 13 आइआइएम और 16 आइआइटी ही मौजूद थे। नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति के जरिये वैसे भी सरकार ने शिक्षा क्षेत्र में जिस तरह से बड़े बदलाव की योजना बनाई है, उनमें सभी राज्यों में ऐसे संस्थानों की स्थापना जरूरी हो जाती है। फिलहाल इस योजना के तहत देश के नौ राज्य और सात केंद्र शासित प्रदेश ऐसे हैं, जिसमें अब तक आइआइएम नहीं है। इनमें गोवा और दिल्ली सहित मेघालय को छोड़कर पूर्वोत्तर के सभी राज्य शामिल हैं, जहां आइआइएम को खोलने की मांग काफी लंबे समय से की जा रही है।

वहीं केंद्र शासित प्रदेशों में सिर्फ जम्मू-कश्मीर एक ऐसा राज्य है, जहां आइआइएम है। इसी तरह देश के आठ राज्य और छह केंद्र शासित प्रदेश ऐसे हैं, जहां आइआइटी अभी नहीं है। योजना के तहत सभी राज्यों में इन संस्थानों के स्थापित होने के बाद बडे़ राज्यों में इनकी संख्या को बढ़ाने पर भी ध्यान दिया जाएगा।(, जागरण)

यूपी में बर्ड फ्लू को लेकर बढ़ी सतर्कता, जलाशयों पर रखी जा रही है विशेष निगरानी

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लखनऊ: उत्तर प्रदेश के शाहजहांपुर और बलिया जिलों में विभिन्न प्रजातियों के पक्षियों की संदिग्ध परिस्थितियों में मौत की ताजा घटनाएं सामने आई हैं. राज्य में बर्ड फ्लू की रोकथाम के लिए सतर्कता बढ़ा दी गई है. कानपुर चिड़ियाघर में मरे कुछ पक्षियों में बर्ड फ्लू पाए जाने के बाद लखनऊ प्राणी उद्यान प्रशासन ने अपने यहां पक्षियों के बाड़े को दर्शकों के लिए बंद कर दिया है और पक्षियों के आदान-प्रदान कार्यक्रम को भी अस्थाई तौर पर निलंबित कर दिया है.

नमूनों की जांच शुरू
प्रदेश के शाहजहांपुर और बलिया जिलों में पक्षियों की संदिग्ध परिस्थितियों में मौत की ताजा घटनाएं सामने आई हैं. उधर, बर्ड फ्लू के मद्देनजर बरेली में भारतीय पशु चिकित्सा अनुसंधान संस्था (आईवीआरआई) में सोमवार से पक्षियों के नमूनों की जांच युद्धस्तर पर शुरू कर दी गई है. एक दिन में लगभग 1200 नमूनों की जांच का अनुमान है.

लखनऊ चिड़ियाघर में पक्षियों का बाड़ा बंद
लखनऊ स्थित नवाब वाजिद अली शाह प्राणी उद्यान के निदेशक आरके सिंह ने बताया कि लखनऊ चिड़ियाघर में पक्षियों का बाड़ा रविवार से दर्शकों के लिए बंद कर दिया गया, साथ ही पक्षियों के आदान-प्रदान का नियमित रूप से किया जाने वाला कार्यक्रम भी अस्थाई तौर पर रोक दिया गया है.

पक्षियों को आइसोलेशन वार्ड में रखा जाएगा
आरके सिंह ने बताया कि चिड़ियाघर में रखे गए पक्षियों के भोजन में विटामिन के तत्व बढ़ा दिए गए हैं और उन्हें खिलाया जाने वाला चिकन और अंडे का आहार भी बंद कर दिया गया है. चिड़ियाघर में काम करने वाले सभी कर्मचारियों से कहा गया है कि वे किसी भी पक्षी में असामान्य स्थिति पाए जाने पर फौरन इसकी सूचना दें. ऐसे पक्षियों को फौरन आइसोलेशन वार्ड में रखा जाएगा.

बत्तखों की संदिग्ध परिस्थितियों में हुई मौत
उधर, शाहजहांपुर जिले के कलान कस्बे में तीन बत्तखों की संदिग्ध परिस्थितियों में मौत हो गई. पशुपालन विभाग के अपर निदेशक डॉक्टर जीवन दत्त ने बताया कि मामला उनके संज्ञान में सोमवार को आया है. तालाब में रहने वाली अन्य बत्तखों की सैंपलिंग कराई जा रही है. बरेली स्थित आईवीआरआई में जांच के बाद ही पता चल सकेगा कि बत्तखों की मौत कैसे हुई.

मृत मिले कौए
इस बीच में बलिया से मिली खबर के मुताबिक सहतवार थाना क्षेत्र में रविवार रात पांच कौए संदिग्ध परिस्थितियों में मरे पाए गए. जिला मुख्य पशु चिकित्सा अधिकारी डॉक्टर अशोक मिश्र ने बताया कि सहतवार थाना क्षेत्र में कल रात पांच कौए मृत मिले हैं. वन विभाग ने सभी को अपने कब्जे में ले लिया है, उनके नमूने परीक्षण के लिए भोपाल भेजे जा रहे हैं.

संक्रमण का एक भी मामला सामने नहीं आया है
आईवीआरआई के वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉक्टर वीके गुप्ता ने बताया कि संस्थान पूरे साल बर्ड फ्लू की जांच करता है लेकिन अब संक्रमण का खतरा बढ़ने के बाद उत्तर प्रदेश के साथ-साथ उत्तराखंड के विभिन्न इलाकों से लगातार पक्षियों के नमूने जांच के लिए आ रहे हैं. अभी तक की जांच में संक्रमण का एक भी मामला सामने नहीं आया है.

कानपुर में बर्ड फ्लू की दस्तक
बरेली में ही स्थित केंद्रीय पक्षी अनुसंधान संस्थान (सीएआरआई) के निदेशक डॉक्टर संजीव कुमार ने बताया कि कानपुर में बर्ड फ्लू का मामला सामने आने से सीएआरआई प्रशासन की चिंता बढ़ गई है. पक्षियों की आवाजाही के लिहाज से कानपुर काफी नजदीक है, इसलिए सीएआरआई में अभेद्य जैविक सुरक्षा का कवच तैयार किया गया है.

जलाशयों में निगरानी तेज
बरेली के मुख्य वन संरक्षक ललित वर्मा ने बताया कि ऐसे जलाशयों में निगरानी तेज कर दी गई है जहां प्रवासी पक्षी बहुतायत में आते हैं. जलाशयों के पास मरे पक्षियों की जांच कराने और लोगों को उनसे दूर रखने की जिम्मेदारी सौंपी गई है.

मुर्गे-मुर्गियों के मरने की सूचना
पीलीभीत के उप मुख्य पशु चिकित्सा अधिकारी राजीव मिश्रा ने बताया कि मुर्गे-मुर्गियों के मरने की सूचना मिली थी. उनकी मौत प्रथम दृष्टया जहर खाने से होने का संकेत मिला है. जो मुर्गे-मुर्गियां मरे हैं वो बाड़े के बाहर थे. जांच के लिए दो मरी हुई मुर्गियां भेजी गई हैं.