Tuesday, June 24, 2025
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श्रीदेव सुमन विवि में लागू होगी केन्द्रीय मूल्यांकन व्यवस्था: डा. धन सिंह

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नई टिहरी, श्रीदेव सुमन विश्वविद्यालय में आगामी सत्र से परीक्षाओं का केंन्द्रीय मूल्यकांन कराया जायेगा, ताकि परीक्षा परिणाम एक निश्चित समय सीमा के अंतर्गत जारी किया जा सके। केन्द्रीय मूल्यंाकन विश्वविद्यालय के ऋषिकेश परिसर में होगा। यही नहीं परीक्षाएं सम्पन्न कराये जाने का कार्य भी भारत सरकार या राज्य सरकार में सूचीबद्ध विशेषज्ञ कंपनियों को दिया जायेगा। इसके अलावा राजकीय महाविद्यालय ऋषिकेश का परिसर एक सप्ताह के भीतर विश्वविद्यालय को मिल जायेगा। जिसकी कार्यवाही शासन स्तर पर अंतिम चरण में है।

यह बात उच्च शिक्षा मंत्री डा. धन सिंह रावत ने विश्वविद्यालय में विभिन्न बिन्दुओं पर आयोजित समीक्षा बैठक के उपरांत कही। उन्होंने कहा कि नई शिक्षा नीति के तहत सभी विश्वविद्यालयों को नैक मूल्यांकन कराना अति आवश्यक है। जिसके लिए प्रदेश के सभी उच्च शिक्षण संस्थानांे को निर्देश दिये जा चुके हैं कि वह वर्ष 2022 तक नैक मूल्यांकन करा लें। बैठक में कुलपति प्रो. पी.पी. ध्यानी ने विश्वविद्यालय में स्थाई अधिकारियों एवं कार्मिकों की तैनाती की बात रखी। जिस पर विभागीय मंत्री ने कहा कि शीघ्र ही विश्वविद्यालय को कुलसचिव मिल जायेगा साथ ही परीक्षा संबंधी कार्यों के लिए सेवानिवृत्त अनुभवी कार्मियों को रखने की अनुमति दे दी जयेगी।

डा. रावत ने इस बात पर नाराजगी जताई कि विश्वविद्यालय में वर्ष 2016 से स्वीकृत कई शैक्षणिक एवं शिक्षणेत्तर पद रिक्त पड़े हुए हैं। जिस पर उन्होंने तत्काल भर्ती प्रक्रिया शुरू करने के निर्देश विश्वविद्यालय प्रशासन को दिये। निजी संस्थानों के संबंद्धता में आ रही दिक्कतों पर चर्चा करते हुए उन्होंने कहा कि मानक पूरे करने वाले संस्थानों को तत्काल संबंद्धता प्रदान की जाय। जिसके लिए विश्वविद्यालय चाहे तो अपनी परिनियमावली में संशोधन कर सकता है। निर्माण कार्यों की समीक्षा करते हुए डा. रावत ने कहा कि विवि के मुख्यालय बादशाहीथौल एवं ऋषिकेश परिसर के लिए तत्काल प्रस्ताव तैयार कर निर्माण कार्य शुरू कराये जाय। विश्वविद्यालय प्रशासन को यूजीसी गाइडलाइन के अंतर्गत शीघ्र डीजी लाॅकर सिस्टम लागू करने के साथ ही बेवसाइट अपग्रेड कराने के भी निर्देश दिये गये।

डा. रावत ने कहा कि विश्वविद्यालय में नए परीक्षा नियंत्रक की तैनाती कर दी गई है। इसी प्रकार संबद्धता संबंधी कार्यों के लिए स्थाई कर्मचारी को जिम्मेदारी सौंपी जानी चाहिए। बजट संबंधी विषय पर चर्चा करते हुए विभागीय मंत्री ने कहा कि विश्वविद्यालय के शासन स्तर पर लम्बित प्रकरण का भी शीघ्र समाधान कर लिया जायेगा तथा जो स्वीकृत धनराशि शासन स्तर पर लम्बित है उसको भी आवश्यकतानुसार जारी कर दिया जायेगा।
बैठक में स्थानीय विधायक धन सिंह नेगी, कुलपति प्रो. पी.पी. ध्यानी, परीक्षा नियंत्रक डा. महावीर सिंह रावत, सहायक परीक्षा नियंत्रक डा. हेमंत बिष्ट, बी लाल आर्य, आदि उपस्थित रहे।

हल्द्वानी- नये DM की नयी नायाब पहल, अब ऐपण कला की दस्तक हर सरकारी दफ्तर में

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(चन्दन सिंह बिष्ट)

हल्द्वानी- नैनीताल जिले के नवनियुक्त जिलाधिकारी धीराज सिंह गर्ब्याल ने उत्तराखंड की लोक कला और लोक संस्कृति को आगे बढ़ाने के लिए एक नायाब पहल शुरू की है जिस तरह इससे पूर्व पौड़ी जिले में उन्होंने अपने कार्यकाल में अलग कार्य कर अपनी पहचान बनाई थी उसी तरह नैनीताल जिले में भी अब हर सरकारी दफ्तर में जिलाधिकारी के निर्देश के बाद ऐपण कला की दस्तक दिखाई देगी क्योंकि जिलाधिकारी के निर्देश पर अब हर सरकारी दफ्तर में सरकारी अधिकारियों के पद नाम ऐपण कला में दिखाई देंगे।

उत्तराखंड की लोक संस्कृति को आगे बढ़ाने के साथ ही जिलाधिकारी की यह पहल ऐपण लोक कला से जुड़ी महिलाओं के लिए रोजगार का नया माध्यम बनेगी जिलाधिकारी द्वारा जिला उद्योग केंद्र के महाप्रबंधक विपिन कुमार को निर्देशित किया गया है कि वह सभी विभागों के अधिकारियों के दफ्तर में लगने वाले नेम प्लेट सहित अन्य प्रतीक चिन्ह ऐपण लोक कला में बनाएंगे।

जिला उद्योग केंद्र के महाप्रबंधक विपिन कुमार ने बताया कि जिलाधिकारी के निर्देश पर अभी उनके द्वारा सभी विभागों से पद और नाम मांगे गए हैं साथ ही ऐपण कला से जुड़ी महिलाओं से सैंपल बनाने के लिए कहा गया है जिलाधिकारी द्वारा जिस सैंपल को फाइनल किया जाएगा उसी तरह की नेम प्लेट जिले के हर दफ्तर में दिखाई देगी।गौरतलब है कि मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत द्वारा इस इनिशिएटिव को शुरू किया गया है इससे पूर्व पिथौरागढ़ मुख्य विकास अधिकारी कार्यालय में भी ऐपण लोक कला की शानदार छवि देखने को मिली है यह न सिर्फ उत्तराखंड की पहचान बनेगी बल्कि इस लोक कला के माध्यम से स्वरोजगार भी मिलेगा।

कोरोना संक्रमण के आज मिले 47 संक्रमित, लगातार दूसरे दिन भी नहीं हुई एक भी संक्रमित मरीज की मौत

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देहरादून, उत्तराखंड में कोरोना संक्रमित मामलों में कमी आने लगी है, राज्य में लगातार दूसरे दिन एक भी संक्रमित मरीज की मौत नहीं हुई है, जबकि पांच जिलों में 47 लोग कोरोना संक्रमित मिले हैं। कुल संक्रमितों की संख्या 96867 हो गई है। इसमें 93160 मरीजों ने कोरोना को मात दी है। वर्तमान में 615 सक्रिय मरीजों का इलाज चल रहा है।

स्वास्थ्य विभाग के आंकड़ों के अनुसार, सोमवार को 7859 सैंपलों की जांच रिपोर्ट निगेटिव मिली है। देहरादून जिले में 17 कोरोना मरीज मिले हैं। हरिद्वार में 16, नैनीताल में आठ, चमोली जिले में पांच, ऊधमसिंह नगर जिले में एक संक्रमित मिला है।

 

प्रदेश में अब तक 1680 कोरोना संक्रमित मरीजों की मौत हो चुकी है। वहीं, आज 99 मरीजों को ठीक होने के बाद घर भेजा गया। इन्हें मिला कर 93160 मरीज स्वस्थ हो चुके हैं। हरिद्वार और नैनीताल को छोड़ कर बाकी 11 जिलों में सक्रिय मरीजों की संख्या सौ से कम है। जबकि हरिद्वार में 149 और नैनीताल जिले में 101 एक्टिव केस हैं। संक्रमितों की तुलना में ठीक होने वालों की संख्या अधिक होने से प्रदेश में रिकवरी दर 96.17 प्रतिशत हो गई है।

एम्स : कोविड-19 वैक्सीन टीकाकरण अभियान का दूसरा चरण शुरू

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ऋषिकेश,एम्स में कोविड-19 टीकाकरण अभियान का दूसरा चरण सोमवार को शुरू हो गया। दूसरे चरण के अभियान के पहले दिन एम्स निदेशक प्रोफेसर रवि कांत डीन एकेडमिक प्रो. मनोज गुप्ता समेत कई अन्य लोगों ने कोरोना टीकाकरण कराया। इस अवसर पर निदेशक एम्स प्रोफेसर रवि कांत ने बताया कि कोविड-19 टीकाकरण के तहत दूसरी डोज लगने के बाद भी कोरोना का खतरा अभी अगले 2 महीने तक और रह सकता है। लिहाजा किसी को भी इसको लेकर लापरवाही नहीं बरतनी चाहिए।

रविवार को भारत सरकार की ओर से जारी गाइडलाइन के बाद सोमवार से एम्स, ऋषिकेश में कोविड वैक्सीन टीकाकरण का दूसरा चरण शुरू कर दिया गया। संस्थान के आयुष भवन स्थित कोविड वैक्सीनेशन सेंटर में सोमवार को अन्य लोगों के साथ साथ एम्स निदेशक पद्मश्री प्रोफेसर रवि कांत जी और डीन एकेडमिक प्रो. मनोज गुप्ता जी ने भी कोविड वैक्सीन की दूसरी डोज लगवाई।

इस मौके पर निदेशक एम्स प्रो. रवि कांत ने बताया कि दूसरी डोज लगाने के बाद वह पूरी तरह स्वस्थ हैं और उन्हें स्वास्थ्य संबंधी किसी तरह की कोई शिकायत नहीं है। उन्होंने बताया कि वैक्सीन लगने पर कुछ सामान्य दिक्कतें हो सकती हैं, लेकिन यह वैक्सीन लगने के बाद के सामान्य लक्षण होते हैं। लिहाजा इनसे घबराना नहीं चाहिए। उन्होंने कहा कि दूसरी डोज लगने के बाद भी हमें कोरोना से बचाव के नियमों को नहीं भूलना है। उन्होंने कोविड संक्रमण से बचाव के लिए 5 बातों को विशेष ध्यान रखने और अनिवार्यरूप से इनका पालन करने की बात कही। कहा कि अगले 2 महीने तक दूसरी डोज लग जाने के बाद भी हमें सही ढंग से मास्क का दैनिक तौर से उपयोग करना होगा। इसके अलावा हाथों को साबुन से ठीक तरह से धोना, एक-दूसरे से 2 गज की दूरी बनाए रखना, किसी प्रकार के लक्षण दिखने पर स्वयं को अन्य लोगों से अलग करना तथा लक्षण दिखने पर तत्काल जांच कराना बहुत जरूरी है। निदेशक पद्मश्री प्रो. रवि कांत जी ने कहा कि वैक्सीन की दूसरी डोज लगने के बाद एंटीबाॅडी बनने में 2 महीने लग जाते हैं। लिहाजा अगले 2 महीनों तक विशेष सावधानी बरतने की नितांत आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि कोरोना पर विजय पाने के लिए जरूरी है कि प्रत्येक व्यक्ति कोविड वैक्सीन लगवाए।

इस अवसर पर सामुदायिक एवं पारिवारिक चिकित्सा विभागाध्यक्ष प्रो. वर्तिका सक्सैना, वरिष्ठ सर्जन व आईबीसीसी प्रमुख प्रोफेसर बीना रवि, सीएफएम विभाग के डा. प्रदीप अग्रवाल, डा. योगेश बहुरूपी, डा. महेंद्र सिंह आदि मौजूद थे।

Saraswati Puja Special: जानें क्या है सरस्वती नाम स्तोत्रम्, कुछ ऐसा होता है विद्या की देवी का रूप

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“शुक्लां ब्रह्मविचारसारपरमामाद्यां जगद्व्यापिनीं । वीणापुस्तकधारिणीमभयदां जाड्यान्धकारापहाम् । हस्ते स्फाटिकमालिकां च दधतीं पद्मासने संस्थितां वन्दे ताम् परमेश्वरीं भगवतीं बुद्धिप्रदां शारदाम् ॥”
(जिनका रूप श्वेत है, जो ब्रह्मविचार की परम तत्व हैं, जो सब संसार में फैल रही हैं, जो हाथों में वीणा और पुस्तक धारण किये रहती हैं, अभय देती हैं, मूर्खतारूपी अन्धकार को दूर करती हैं, हाथ में स्फटिक मणि की माला लिए रहती हैं, कमल के आसन पर विराजमान होती हैं और बुद्धि देनेवाली हैं, उन आद्या परमेश्वरी भगवती सरस्वती की मैं वन्दना करता हूं.)

विद्या, ज्ञान, कला, साहित्य और संगीत की अधिष्ठात्री देवी, माता सरस्वती जी की पूजा पूरे भारतवर्ष में बसंत पंचमी के दिन (माघ शुक्ल पंचमी) श्रद्धा व उल्लास के साथ मनाया जाता है, सनातन परम्परा के अनुसार सरस्वती जी मूल प्रकृति से उत्पन्न सतोगुण महाशक्ति और प्रमुख तीन देवियों में से एक हैं. जैसे शिव जी की शक्ति पार्वती जी और भगवान विष्णु जी की शक्ति लक्ष्मी जी हैं, उसी तरह सरस्वती जी को ब्रह्मा जी की शक्ति के रूप में जाना जाता है. बसंत-पंचमी माता सरस्वती के प्राकट्य दिवस और बसंत-ऋतु के आगमन का पर्व है. माता सरस्वती को ब्रह्म-विद्या एवं नृत्य-संगीत की अधिष्ठात्री देवी के रूप में भी माना जाता है. ये शुक्लवर्णा, शुक्लाम्बरा, वीणा-पुस्तक-धारिणी तथा श्वेत- पद्मासना कही गई हैं.

इनकी उपासना करने से मूर्ख भी विद्वान् बन जाता है. देवी सरस्वती का वर्णन वेदों के मेधा सूक्त में, उपनिषदों, रामायण व महाभारत के अतिरिक्त कालिका पुराण, वृहत्त नंदीकेश्वर पुराण, शिव महापुराण तथा देवी भागवत पुराण इत्यादि में आता है. इन्हें वागीश्वरी, शारदा और वीणावादिनी सहित अनेक नामों से भी संबोधित किया जाता है. ये सभी प्रकार के ब्रह्म-विद्या, बुद्धि एवं वाक् प्रदाता हैं. ऋग्वेद में भगवती सरस्वती का वर्णन करते हुए कहा गया है-

“प्रणो देवी सरस्वती वाजेभिर्वजिनीवती धीनामणित्रयवतु।”
भावार्थ- ये परम चेतना हैं. सरस्वती के रूप में ये हमारी बुद्धि, प्रज्ञा तथा मनोवृत्तियों की संरक्षिका हैं. हममें जो आचार और मेधा है उसका आधार भगवती सरस्वती ही हैं. इनकी समृद्धि और स्वरूप का वैभव अद्भुत है.

पुराणों के अनुसार श्रीकृष्ण भगवान ने सरस्वती देवी से प्रसन्न होकर कहा कि उनकी बसंत-पंचमी के दिन विशेष आराधना करने वालों को ज्ञान, विद्या व कला में चरम उत्कर्ष प्राप्त होगा. इस उद्घोषणा के फलस्वरूप भारत में बसंत-पंचमी के दिन विद्या की अधिष्ठात्री देवी सरस्वती की पूजा होने की परंपरा आज तक जारी है. उनमें विचारणा, भावना एवं संवेदना का त्रिविध समन्वय है. वीणा संगीत की, पुस्तक विचारणा की और हंस (वाहन) कला की अभिव्यक्ति है. लोक-चर्चा में सरस्वती को शिक्षा की देवी माना गया है. शिक्षा संस्थाओं में बसंत-पंचमी को सरस्वती जी का जन्म-दिन समारोह पूर्वक मनाया जाता है.

पशु को मनुष्य बनाने का और अंधे को नेत्र मिलने का श्रेय शिक्षा को दिया जाता है. मनन से मनुष्य बनता है. मनन बुद्धि का विषय है. भौतिक प्रगति का श्रेय बुद्धि-वर्चस् को दिया जाना और उसे सरस्वती का अनुग्रह माना जाना उचित भी है. इस उपलब्धि के बिना मनुष्य को नर-वानरों की तरह वनमानुष जैसा जीवन बिताना पड़ता है. शिक्षा की गरिमा व बौद्धिक विकास की आवश्यकता जन-जन को समझाने के लिए सरस्वती अर्चना की परम्परा है. इसे प्रकारान्तर से गायत्री महाशक्ति के अंतर्गत बुद्धि पक्ष की आराधना कहना चाहिए. सरस्वती के एक मुख व चार हाथ हैं. मुस्कान से उल्लास, दो हाथों में वीणा ,भाव-संचार एवं कलात्मकता का प्रतीक है.

पुस्तक से ज्ञान और माला से ईशनिष्ठा-सात्त्विकता का बोध होता है. वाहन राजहंस सौन्दर्य एवं मधुर स्वर का प्रतीक है. इनके हाथों में वीणा, वेदग्रंथ और स्फटिक माला होती है. भारत में कोई भी शैक्षणिक कार्य के पहले इनकी पूजा की जाती है. कहते हैं, महाकवि कालिदास व वोपदेव आदि मंद-बुद्धि के लोग सरस्वती-उपासना के सहारे उच्च कोटि के विद्वान् बने थे. मंद-बुद्धि लोगों के लिए गायत्री महाशक्ति का सरस्वती-तत्त्व अधिक हितकर सिद्घ होता है.

बौद्धिक क्षमता विकसित करने, चित्त की चंचलता एवं अस्वस्थता दूर करने के लिए सरस्वती साधना की विशेष उपयोगिता है. मस्तिष्क-तंत्र से संबंधित अनिद्रा, सिर दर्द, तनाव व जुकाम जैसे रोगों में गायत्री के इस अंश-सरस्वती साधना का लाभ मिलता है. कल्पना शक्ति की कमी, समय पर उचित निर्णय न कर सकना, विस्मृति, प्रमाद, दीघर्सूत्रता, अरुचि जैसे कारणों से भी मनुष्य मानसिक दृष्टि से अपंग, असमर्थ जैसा बना रहता है और मूर्ख कहलाता है. उस अभाव को दूर करने के लिए सरस्वती साधना एक उपयोगी व आध्यात्मिक उपचार है.

शिक्षा के प्रति जन-जन के मन में अधिक उत्साह भरने, लौकिक अध्ययन और आत्मिक स्वाध्याय की उपयोगिता अधिक गम्भीरता-पूर्वक समझने के लिए भी सरस्वती पूजन की परम्परा है. महाशक्ति गायत्री मंत्र उपासना के अंतर्गत एक महत्त्वपूर्ण धारा सरस्वती की मानी गयी है. संध्यावंदन में प्रातः सावित्री, मध्यान्ह गायत्री एवं सायं सरस्वती ध्यान से युक्त त्रिकाल संध्यावंदन करने की विधा है. जैन धर्म की सरस्वती (श्रुतदेवी) के प्रारम्भिक स्वरूप में एक मुख व चार हाथ हैं.

वो हाथों में कमंडल, अक्षमाला, कमल व शास्त्र धारण किए हुए हैं. किन्तु अन्य विभिन्न स्वरूप भी दृष्टिगोचर होते हैं जिनमें हाथों में कमंडल, कमल, अंकुश व वीणा देखी जा सकती है एवं आसन के रूप में कमल, हंस व मयूर हैं. जैन दर्शन में अरिहंतों द्वारा भाषित होने से इन्हें जिनवाणी, अरिहंतवाणी, श्रुतदेवी, वाग्देवी, भारती, वागेश्वरी आदि अनेक नामों से अभिहित किया गया है.

सरस्वती नाम स्तोत्रम्

“प्रथमं भारती नाम द्वितीयं च सरस्वती। तृतीयं शारदा देवी चतुर्थं हंसगामिनी।। पञ्चमं विदुषां माता षष्ठं वागीश्वरी तथा। कुमारी सप्तमं प्रोक्ता अष्टमं ब्रह्मचारिणी।। नवमं च जगन्माता, दशमं ब्राह्मिणी तथा। एकादशं तु ब्रह्माणी, द्वादशं वरदा भवेत्।। पञ्चदशं श्रुतदेवी, षोडशं र्गौनिगद्यते।।”

अर्थ- प्रथम वह भारती हैं, द्वितीय सरस्वती. शारदा देवी उनका तृतीय नाम है और चतुर्थ हंसगामिनी. विदुषी, वागीश्वरी, कुमारी, ब्रह्मचारिणी ये उनके पंचम-षष्ठ-सप्तम और अष्टम नाम हैं. नौवां नाम जगन्माता, दसवां नाम ब्राह्मिणी, ग्याहरवां नाम ब्रह्माणी और बारहवां नाम वरदा है. तेरहवां नाम वाणी, चौदहवां नाम भाषा, पन्द्रहवां नाम श्रुतदेवी, सोलहवां नाम गौ है. इस प्रकार ये सरस्वती देवी के सोलह नाम हैं.

जैनधर्म में ज्येष्ठ मास के शुक्ल पंचमी को जैन ज्ञानपंचमी या श्रुत पंचमी भी कहते हैं और उस दिन श्रुतदेवी एवं शास्त्रों की विधिवत्-पूजा का विधान दिगम्बरों में है तथा कार्तिक मास की शुक्ल पंचमी को श्रुत देवी की पूजा का विधान श्वेताम्बर जैन परम्परा में है. बौद्ध ग्रंथों में सरस्वती के कई स्वरूपों का वर्णन किया गया है, जैसे महासरस्वती, वङ्कावीणा, वङ्काशारदा सरस्वती, आर्य सरस्वती, वङ्का सरस्वती आदि.

वेदों में सरस्वती के अर्थ को समझने के लिए हमारे पास प्राचीन ऋषियों के प्रमाण हैं. निघण्टु में वाणी के 57 नाम हैं, उनमें से एक सरस्वती भी है अर्थात् सरस्वती का अर्थ वेदवाणी है. ब्राह्मण-ग्रंथ वेद व्याख्या के प्राचीनतम ग्रंथ हैं. वहां सरस्वती के अनेक अर्थ बताए गए हैं. उनमें से कुछ इस प्रकार हैं-

1- वाक् सरस्वती।। वाणी सरस्वती है। (शतपथ 7/5/1/31)
2- वाग् वै सरस्वती पावीरवी।। ( 7/3/39) पावीरवी वाग् सरस्वती है.
3- जिह्वा सरस्वती।। (शतपथ 12/9/1/14) जिह्ना को सरस्वती कहते हैं.
4- सरस्वती हि गौः।। वृषा पूषा। (2/5/1/11) गौ सरस्वती है अर्थात् वाणी, रश्मि, पृथिवी, इन्द्रियॉ आदि. अमावस्या सरस्वती है. स्त्री, आदित्य आदि का नाम सरस्वती है.
5- अथ यत् अक्ष्योः कृष्णं तत् सारस्वतम्।। (12/9/1/12) आंखों का काला अंश सरस्वती का रूप है.
6- अथ यत् स्फूर्जयन् वाचमिव वदन् दहति। ऐतरेय 3/4, जलती हुई अग्नि जब आवाज करती है, वह अग्नि का सारस्वत रूप है.
7- सरस्वती पुष्टिः, पुष्टिपत्नी। (तै0 2/5/7/4) सरस्वती पुष्टि है और पुष्टि को बढ़ाने वाली है.
8- एषां वै अपां पृष्ठं यत् सरस्वती। (तै0 1/7/5/5) जल का पृष्ठ सरस्वती है.
9- ऋक्सामे वै सारस्वतौ उत्सौ। ऋक् और साम सरस्वती के स्तोत्र हैं.
10- सरस्वतीति तद् द्वितीयं वज्ररूपम्। (कौ0 12/2) सरस्वती वज्र का दूसरा रूप है.

ऋग्वेद के सूत्र 6/61 का देवता ‘सरस्वती’ हैं. स्वामी दयानन्द ने यहां सरस्वती के अर्थ विदुषी, वेगवती नदी, विद्यायुक्त स्त्री, विज्ञानयुक्त वाणी, विज्ञानयुक्ता भार्या आदि के रूप में किया है. तो आइए, विद्या व ज्ञान की अधिष्ठात्री देवी, माता सरस्वती के अवतरण दिवस ‘बसन्त-पंचमी’ को अत्यंत श्रद्धा व हर्षोउल्लास के साथ मनाया जाए. मैं मां सरस्वती से प्रार्थना करता हूं कि हम सभी को अज्ञान से ज्ञान की ओर तथा अंधकार से प्रकाश की ओर जाने का आशीर्वाद दें.

“या कुन्देन्दुतुषारहारधवला या शुभ्रवस्त्रावृता।
या वीणावरदण्डमण्डितकरा या श्वेतपद्मासना॥
या ब्रह्माच्युत शंकरप्रभृतिभिर्देवैः सदा वन्दिता।
सा मां पातु सरस्वती भगवती निःशेषजाड्यापहा॥”

अर्थ : जो विद्या की देवी भगवती सरस्वती कुन्द के फूल, चंद्रमा, हिमराशि और मोती के हार की तरह धवल-वर्ण की हैं और जो श्वेत वस्त्र धारण करती हैं, जिनके हाथ में वीणा शोभायमान है, जिन्होंने श्वेत कमलों पर आसन ग्रहण किया है तथा ब्रह्मा, विष्णु एवं शंकर आदि देवताओं द्वारा जो सदा पूजित हैं, वही संपूर्ण जड़ता और अज्ञान को दूर कर देने वाली मां सरस्वती हमारी रक्षा करें.

चमोली आपदा : राहत, बचाव और रेस्क्यू आपरेशन जारी, अभी तक 54 शव एवं 22 मानव अंग बरामद

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गढ़वाल मंडल आयुक्त रविनाथ रमन ने आज आईआरएस कैंप कार्यालय में आपदा प्रभावित क्षेत्रों में राहत एवं बचाव कार्य को लेकर जिला मजिस्ट्रेट स्वाति एस भदौरिया एवं संबंधित अधिकारी के साथ समीक्षा बैठक की।
प्रभावित क्षत्रों में राहत एवं घटना स्थलों पर युद्ध स्तर पर चलाए जा रहे रेस्क्यू ऑपरेशन को लेकर क्रमवार संबंधित अधिकारी से जानकारी ली।

रैणी क्षेत्र में रेस्क्यू ऑपरेशन की जानकारी लेते हुए, आईटीबीपी, एनडीआरएफ व जिला प्रशासन के टीम को युद्ध स्तर पर रेस्क्यू कार्य में तेजी लाने के निर्देश दिए। आवश्यकता पड़ने पर मशीनों की संख्या बढ़ाने को कहा। उन्होंने तपोवन क्षेत्र में रेस्क्यू ऑपरेशन की समीक्षा के दौरान एसडीआरएफ, एनडीआरएफ, एनटीपीसी, आर्मी, पुलिस एवं जिला प्रशासन को आवश्यक दिशा निर्देश दिए। उन्होंने तपोवन में बैराज साइट, इंटेक्ट एडिट टनल पर उपकरण के सहयोग से मक रिमूवल कार्य व रेस्क्यू ऑपरेशन को युद्ध स्तर पर जारी रखने के निर्देश दिए।

चमोली पुलिस व राजस्व विभाग के समीक्षा के दौरान बताया गया कि अभी तक 54 मानव शव एवं 22 मानव अंग बरामद किए गए। जिनमे से 28 मानव शव तथा एक मानव अंग की पहचान हुई हैं।
राजस्व विभाग समीक्षा के दौरान बताया गया कि प्रभावित परिवारों को गृह अनुदान सहायता राशि वितरण कार्य गतिमान है। स्वास्थ्य विभाग की समीक्षा के दौरान बताया गया कि 7 चिकित्सक दलों के माध्यम से आज 1295 लोगों का स्वास्थ्य परीक्षण किया गया है। अभी तक 56 डीएनए सैंपलिंग तथा 57 पोस्टमार्टम की कार्रवाई की गई है। जबकि प्रभावित क्षेत्र के रिंगी, रेगड़ी, सुराई योथ व रैनी चकलाता में स्वास्थ्य शिविर लगाए गए हैं।

बीआरओ के समीक्षा के दौरान रैणी में बेलीब्रीज़ निर्माण कार्य में तेजी लाने के निर्देश दिए। इसके अलावा उन्होंने लोनिवि, जलसंस्थन, विद्युत, संचार कार्य प्रगति की जानकारी लेते हुए संबंधित अधिकारी को आवश्यक दिशा निर्देश दिए।
बैठक में डीआईजी पुलिस नीरू गर्ग, पुलिस अधीक्षक यशवंत सिंह चौहान, डीसी एनडीआरएफ आदित्य प्रताप सिंह, एसडीआरएफ अजय भट्ट, लेफ्टिनेंट कर्नल विवेक सिंह, जीएम एनटीपीसी आर पी अहिरवार, सहायक सेनानी एस एस बुटोला, चीफ मैनेजर एचसीसी सी एस गुप्ता, एजीएम एनटीपीसी आर एन सहाय सहित अन्य अधिकारी उपस्थित थे।

3 मार्च को स्थापित होगी जूना अखाड़े में धर्म ध्वजा

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हरिद्वार 15 फरवरी (कुल भूषण)     जूना अखाड़े व उसके दो सहयोगी अखाड़ो आव्हान अखाड़ा तथा अग्नि अखाड़ा  के वरिष्ठ पदाधिकारियों ने धर्म ध्वजा की स्थापना नगर प्रवेशएपेशवाई की तिथियों की घोषणा कर दी है। रविवार को देर शाम तीनों अखाड़ो की जूना अखाडे में जूना अखाडे के अन्र्तराष्ट्रीय संरक्षक व अखाड़ा परिषद के राष्ट्रीय महामंत्री श्रीमहंत हरिगिरि महाराज  की अध्यक्षता  में आव्हान अखाड़े के राष्ट्रीय महामंत्री श्रीमहंत सत्य गिरि मंत्री श्रीमहंत राजेश गिरिश्रीमहंत राजेन्द्र भारती अग्नि अखाडे के ब्रहमचारी साधनानंद जूना अखाडे के सभापति श्रीमहंत प्रेम गिरि महाराज उपाध्यक्ष श्रीमहंत विद्यानंद सरस्वतीएसचिव श्रीमहंत मोहन भारती श्रीमहंत महेशपुरी श्रीमहंत शैलेन्द्र गिरिएगादी पति श्रीमहंत पृथ्वी गिरी श्रीमहंत पूरण गिरिएथानापति नीलकंठ गिरि आदि ने गहन विचार.विमर्श के बाद तिथियों की घोषणा की। संरक्षक श्रीमहंत हरिगिरि महाराज ने तिथियों की घोषणा करते हुए बताया कि अगामी 3 मार्च को जूना अखाड़ा परिसर में स्थित तीनों अखाड़ो जूना आव्हान तथा अग्नि की दत्तात्रेय चरणपादुका के निकट सायं 4 बजे धर्मध्वजाएस्थापित की जायेगी।

4 मार्च को प्रातः लगभग 11बजे जूना अखाडे तथा अग्नि अखाडे की पेशवाई जुलूस नजीबावाद हरिद्वार रोड पर स्थित कागड़ी ग्राम में प्रेमगिरि आश्रम से प्रारम्भ होगा जो निर्धारित पेशवाई मार्ग से होता हुआ जूना अखाडे की छावनी में प्रवेश करेगा। 05मार्च को आव्हान अखाडे की पेशवाई होगी जो कि श्रीमहंत पे्रमगिरि आश्रम काॅगड़ी से पूर्व निर्धारित पेश्वाई मार्ग से होते हुए जूना अखाडे  छावनी प्रवेश करेगी।   तिथियों की घोषणा के पश्चात तीनो अखाड़ो के पदाधिकारी अपर मेलाधिकारी हरबीर सिंह के साथ पेश्वाई मार्ग का निरीक्षण करने कागड़ी ग्राम पहुचे।

अखाड़ो के प्रतिनिधिमण्डल ने पूरे पेश्वाई मार्ग का निरीक्षण किया। ये पेश्वाई मार्ग ग्राम कागड़ी से प्रारम्भ होकर चण्डी चैक दुःखहरण हनुमान मन्दिर बिरला घाटएबाल्मीकि चैकएललतौरो पुलस दत्तात्रेय चैक होते हुए श्रीआंनद भैरव घाट सेवा सदन मार्ग से जूना अखाडे की छावनी तक निर्धारित किया गया। प्रतिनिधि मण्डल ने पुराने पेशवाई मार्ग जो कि पांडेवाला ज्वालापुर से प्रारम्भ होकर श्रद्वानंद चैक गुरूकुल कनखल शंकराचार्य चैक तुलसी चैक शिवमूर्ति चैक बाल्मीकि चैक दत्तात्रेय चैक होते हुए जूना अखाड़ा छावनी पहुचता है पर भी विचार विमर्श किया लेकिन पुराने पेशवाई मार्ग पर फ्रलाई ओवर बन जाने तथा हाइवे बन जाने से पेशवाई जुलूस निकालने में कुछ असुविधा व मुश्किलें आ रही है। इसलिए पेशवाइ्र्र मार्ग का फाईनल रूट तय नही किया गया है।    श्रीमहंत हरिगिरि महाराज ने बताया पेशवाई मार्ग के लिए अभी दोनो विकल्प रखे गए है और शीघ्र ही कोई एक रूट मेला प्रशासन तथा अखाड़ो की आपसी सहमति से तय कर लिया जायेगा।

मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने सीएम घोषणाओं की समीक्षा की

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पिथौरागढ़, बागेश्वर एवं चंपावत जिलों की सीएम घोषणाओं की समीक्षा की गई।

देहरादून , मुख्यमंत्री  त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने सचिवालय में पिथौरागढ़, बागेश्वर एवं चंपावत जिलों की मुख्यमंत्री घोषणाओं की समीक्षा की। बैठक में विधायक बलवंत सिंह भौर्याल,  चन्दन राम दास, कैलाश चन्द्र गहतौड़ी, वर्चुअल माध्यम से विधायक श्रीमती चन्द्रा पंत, विशन सिंह चुफाल उपस्थित थे। समीक्षा के दौरान मुख्यमंत्री ने अधिकारियों को निर्देश दिये कि सीएम घोषणाओं को निर्धारित समयावधि में पूर्ण किया जाय। स्थानीय स्तर पर समस्या के त्वरित समाधान के लिए संबंधित विधायकगणों से समन्वय स्थापित किये जाए। हर माह मुख्यमंत्री सीएम घोषणाओं की समीक्षा करेंगे। कार्यों में तेजी लाने के लिए जिलाधिकारियों को 15 दिनों में घोषणाओं की कार्य प्रगति की समीक्षा करने के निर्देश दिये गये हैं। सीएम घोषणा पोर्टल पर भी सभी घोषणाओं को अपडेट रखने के निर्देश दिये गये।

जनपद पिथौरागढ़ में मुख्यमंत्री की 152 घोषणाओं में से 98 घोषणाएं पूर्ण हो चुकी हैं। शेष पर कार्य प्रगति पर है। जनपद बागेश्वर में 58 घोषणाओं में से 36 पूर्ण हो चुकी हैं, जबकि शेष पर कार्य चल रहा है। चम्पावत जनपद में 88 घोषणाओं में से 53 घोषणाएं पूर्ण हो चुकी हैं, अवशेष पर कार्य प्रगति पर है। मुख्यमंत्री ने अधिकारियों को निर्देश दिये कि घोषणाओं को समय पर पूर्ण करने के साथ ही कार्यों की गुणवत्ता का भी विशेष ध्यान रखा जाय। मुख्यमंत्री ने निर्देश दिये कि धार्मिक एवं पर्यटक स्थलों पर पेयजल, आवागमन एवं अन्य सुविधाओं का विशेष ध्यान रखा जाय। शौचालयों के निर्माण के साथ ही उनके मेंटिनेंस की व्यवस्था भी की जाए। जल के संरक्षण एवं संवर्द्धन की दिशा में विशेष ध्यान दिया जाए। पेयजल, स्वास्थ्य एवं शिक्षा जैसी मूलभूत सुविधाओं वाले कार्यों में किसी भी प्रकार की लापरवाही न बरती जाय।

पिथौरागढ़: पिथौरागढ़ जनपद में मुख्यमंत्री घोषणाओं के तहत मुख्यतः बरम- कनार मोटर मार्ग, सिमल से नाग मोटर मार्ग, डुंगातोली से चुनरगांव मोटर मार्ग, बनकोट से भटृटीगांव मोटर मार्ग के नव निर्माण कार्यों,  अनेक मोटरमार्गों के डामरीकरण सुधारीकरण एवं सौन्दर्यीकरण के कार्य पूर्ण किये जा चुके हैं। डिगरा मुवानी कलौन गाड एवं गंुजी पेयजल योजना की स्वीकृति दी जा चुकी है। आॅवला घाट से पिथौरागढ़ पेयजल योजना पूर्ण की जा चुकी हैं। डीडीहाट पेयजल योजना एवं मुनस्यारी नगर पेयजल योजना का कार्य पूर्ण हो चुका है। पिथौरागढ़ को पर्यटक शहर के रूप में विकसित करने के लिए 85.80 लाख रूपये की धनराशि स्वीकृत की गई। पिथौरागढ़ में पार्किंग के निर्माण, मदकोट एवं सेरा स्थित गर्म पानी के स्रोतों के विकास, मुनस्यारी को पर्यटन डेस्टिनेशन के रूप में विकसित करने, होम स्टे को बढ़ावा देने एवं हाई टैक शौचालय निर्माण की घोषणाएं पूर्ण हो चुकी हैं। थरकोट झील के निर्माण की स्वीकृति प्रदान की जा चुकी है। ऐलागाड, तवाघाट एवं धारचुला में तटबंध निर्माण हेतु प्रशासनिक एवं वित्तीय स्वीकृतियां दी जा चुकी हैं। पिथौरागढ़ जिला अस्पताल में टेलीरेडियोलाॅजी की सुविधा उपलब्ध कराई गई हैं।

बागेश्वर: बागेश्वर जनपद में सीएम घोषणाओं के तहत मुख्यतः पिण्डारी ग्लेशियर ट्रेकिंग रूट के दवाली में 60 मी. स्पान झूला पुल एवं सोराग से सुन्दर ढ़ुंगा तक नये ट्रेकिंग रूट की घोषणा पूर्ण हो चुकी है। बिलौना, कालापैरकापडी, म्यून्डा लिफ्ट सिंचाई योजना, विभिन्न सड़क मार्गों का नव निर्माण एवं डामरीकरण एवं पेयजल योजनाओं से संबंधित घोषणाओं का कार्य पूर्ण हो चुका है। बागनाथ मंदिर में धर्मशाला एवं बैजनाथ मंदिर गरूड़ में संग्रहालय निर्माण की घोषणा पूर्ण हो चुकी है।

चम्पावत:  चम्पावत जनपद में मुख्यमंत्री घोषणाओं के तहत मुख्यतः जनपद मुख्यालय के सौन्दर्यीकरण, चम्पावत एवं टनकपुर में आधुनिक शौचालयों के निर्माण , जनपद में विभिन्न पार्कों  के सौन्दर्यीकरण, वाणासुर एवं चम्पावत में ट्रेक रूट के विकास, चम्पावत में पार्किंग व बस अड्डा के निर्माण  एवं विभिन्न सड़को के नव निर्माण एवं डामरीकरण के कार्य पूर्ण हो चुके हैं।
बैठक में मुख्य सचिव  ओम प्रकाश, अपर मुख्य सचिव  राधा रतूड़ी, सचिव  आर. के. सुधांशु,  अमित नेगी,  दिलीप जावलकर,  हरबंस सिंह चुघ, प्रमुख वन संरक्षक  राजीव भरतरी, कुमाऊँ कमिश्नर  अरविन्द सिंह ह्यांकी, शासन के वरिष्ठ अधिकारी एवं सबंधित विभागों के निदेशक उपस्थित थे।

दिल्ली पुलिस ने किया खुलासा, निकिता, दिशा और शांतनु ने मिलकर तैयार की थी टूलकिट

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नई दिल्ली, किसान आंदोलन से जुड़े टूलकिट मामले में दिल्ली पुलिस ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर बड़ा खुलासा किया। दिल्ली पुलिस के जॉइंट कमिश्नर प्रेमनाथ ने बताया कि निकिता, दिशा और शांतनु ने बनाया था टूलकिट। इसका उद्देश्य भारत की छवि को नुकसान पहुंचाना था। उन्होंने बताया कि पोएटिक जस्टिस फाउंडेशन खालिस्तानी संगठन है। जूम के जरिए निकिता, जैकब, दिशा रवि और शांतनु संगठन के संपर्क में आए थे। उन्होंने बताया कि टूलकिट 4 फरवरी को बनाया गया था। दिशा ने Whatsapp ग्रुप बनाकर इसे शेयर किया था।

उन्होंने बताया कि टूलकिट में गलत जा‍नकारियां दी गई थीं। ट्‍वीट के जरिए अफवाह फैलाने के साथ ही धरोहरों को नुकसान पहुंचाने की भी साजिश की गई थी। गणतंत्र दिवस के मौके पर डिजिटल स्ट्राइक की साजिश रची गई थी। प्रेमनाथ ने बताया कि ओपन सोर्स पर टूलकिट के बहुत से स्क्रीन शॉट उपलब्ध थे, जिनकी गहन जांच की गई। जब इस संबंध में तथ्य सामने आए तो 9 फरवरी को निकिता के खिलाफ अदालत ने सर्च वारंट जारी किया था, जो कि टूलकिट के एडिटरों में से एक हैं।

उन्होंने बताया कि चार दिन पहले स्पेशन सेल की टीम निकिता के घर गई थी और उसके इले‍क्ट्रॉनिक गैजेट्‍स की जांच की गई थी। हालांकि जब अगली बार टीम पूछताछ के लिए गई तो वह उपलब्ध नहीं थी। इस बीच, निकिता के खिलाफ गैर जमानती वारंट जारी किया गया है।

निकिता जैकब के खिलाफ टूलकिट मामले में जारी हुआ है गैर-जमानती वॉरंट

किसानों के आंदोलन से जुड़ी ‘टूलकिट’ सोशल मीडिया पर साझा करने में संलिप्तता के आरोप में जलवायु कार्यकर्ता दिशा रवि गिरफ्तार हो चुकी हैं और अब इस मामले में निकिता जैकब और शांतनु की तलाश जारी है। बता दें कि दिल्ली पुलिस ने इस दोनों के खिलाफ राजधानी की अदालत में मामला दर्ज किया है। जिसके आधार पर अदालत ने गैर-जमानती वॉरंट जारी किया है।

किसान आंदोलन के समर्थन में अंतरराष्ट्रीय पॉप सिंगर रिहाना ने ट्वीट किया था। जिसके बाद स्वीडन की जलवायु कार्यकर्ता ग्रेटा थनबर्ग समेत कई अंतरराष्ट्रीय हस्तियों ने किसानों के प्रति अपना समर्थन दर्शाया था। जिस पर विदेश मंत्रालय ने सख्त आपत्ति दर्ज कराते हुए बयान जारी किया था।

इसी क्रम में ग्रेटा थनबर्ग ने टूलकिट के बारे में ट्वीट में जानकारी दी थी। जिसके बाद यह मामला गर्मा गया और अब टूलकिट मामले में संलिप्तता के आधार पर दिल्ली की साइबर पुलिस गिरफ्तारियां कर रही हैं और सच्चाई तलाशने में जुटी हुई है |

कौन है निकिता जैकब ?

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक निकिता जैकब ने टूलकिट का मामला गर्माने पर अपना ट्विटर अकाउंट डिलीट कर दिया था। इस अकाउंट में उन्होंने अपना परिचय बंबई उच्च न्यायालय की अधिवक्ता, पर्यावरणविद और आम आदमी पार्टी के जुड़ी हुई बताया जा रहा था। हालांकि नए अकाउंट में आम आदमी से जुड़ी हुई जानकारी नहीं है।

दिल्ली पुलिस ने दावा किया कि निकिता जैकब जांच में सहयोग नहीं कर रही है। इतना ही नहीं मुंबई में स्थित निकिता जैकब के घर में मौजूद इलेक्ट्रॉनिक गैजेड्स की जांच पड़ताल की थी। हालांकि इसके बाद दिल्ली पुलिस ने कहा था कि जरूरत पड़ने पर फिर से पूछताछ की जाएगी। अब इस मामले में निकिता के खिलाफ गैर-जमानती वॉरंट जारी हुआ है। सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक 26 जनवरी से पहले मो धालीवाल ने दिशा रवि और निकिता जैकब समेत कुछ अन्य लोगों के साथ जूम मीटिंग की थी। जिसमें गणतंत्र दिवस से पहले ट्विटर पर किसान आंदोलन के समर्थन में एक आंदोलन खड़ा करना है। यह भी कहा जा रहा है कि कोशिश की गई थी कि कैसे अफवाह फैलाई जाए।

गांव के परंपरागत कुएं व धारे के पानी के स्त्रोत में हुई वृद्धि

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रूद्रप्रयाग,  जल संरक्षण एवं जल संवर्द्धन के तहत विकास खंड जखोली के कांडा के ग्रामीणों द्वारा तैयार कांडा ताल के निर्माण से जहां एक ओर गांव में पानी की समस्या पर नियंत्रण पाया जा सका है, वहीं दूसरी ओर कांडा पंदेरा तोक सहित इसके निचले गांवों रतनपुर के कुंए तथा पिनगडी गांव के धारे में स्थित मुख्य स्रोतों में जल स्तर बढ़ा है।

जिला विकास अधिकारी मनविंदर कौर ने बताया कि मनरेगा योजना के अंतर्गत करीब पांच लाख रुपए की लागत से निर्मित ग्राम पंचायत कांडा भरदार में कांडा ताल के निर्माण से इस क्षेत्र सहित अन्य गांव को भी लाभ मिला है।

उन्होंने बताया कि जल संवर्द्धन के तहत स्थानीय ग्रामीणों द्वारा तैयार 50×30 मीटर के विशाल कुंड निर्माण से न केवल ग्रामीणों को रोजगार उपलब्ध हुआ, बल्कि कांडा गाँव सहित उसके निचले हिस्से में स्थित गांव के जल स्रोतों में विरधी हुई है। बताया कि उक्त ताल में बरसाती सीजन में करीब पंद्रह लाख लीटर पानी संचय हुआ।

योजना की जरुरत को लेकर उन्होंने बताया कि जल संरक्षण एवं जल संचय के तहत प्रत्येक वर्ष की तरह वित्तीय वर्ष 2020-21 में कांडा ताल का निर्माण इस क्षेत्र के सूखाग्रस्त होने के चलते किया गया। साथ ही इस योजना के निर्माण हेतु ऐसे क्षेत्र का चयन किया गया जहां पहाड़ी चोटी पर सभी जगह से पानी का ठहराव होता है। इसके निर्माण से कांडा गांव सहित निचले क्षेत्र में स्थित गांवों के पेयजल स्रोतों में भी पर्याप्तता सुनिश्चित की जा रही है।

ग्राम पंचायत कांडा में निर्मित ताल में वर्तमान 15 लाख लीटर पानी का संचय वर्षा के समय हुआ है जो कि समय के साथ प्रत्येक वर्ष भरता है। साथ ही ग्राम पंचायत कांडा में पन्देरा तोक रतनपुर के परम्परागत कुंए का पानी एवं पिंगठी के धारे का पानी बढ़ा है।