Saturday, May 17, 2025
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न्यायमूर्ति नथालपति वेंकट रमण मुख्य न्यायाधीश के रूप में नियुक्त

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नई दिल्ली(एजेंसी), राष्ट्रपति ने भारत के संविधान के अनुच्छेद 124 के खंड (2) द्वारा प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग करते हुए सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश न्यायमूर्ति नथालपति वेंकट रमण को मुख्य न्यायाधीश नियुक्त किया है। इस संबंध में विधि एवं न्याय मंत्रालय के न्याय विभाग द्वारा अधिसूचना जारी की गई है। न्यायमूर्ति एन वीरमण को नियुक्ति पत्र और नियुक्ति-अधिसूचना की एक प्रतिसौंपी गई है।

न्यायमूर्ति नथालपति वेंकट रमण 24 अप्रैल को सर्वोच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश का पदभार संभालेंगे। वे भारत के 48वें मुख्य न्यायाधीश होंगे।

वे पहली पीढ़ी के वकील हैं और किसान परिवार से आते हैं। वे आंध्र प्रदेश में कृष्णा जिले के पोन्नवरम गांव के निवासी हैं। वे किताबें पढ़ने के शौकीन हैं तथा साहित्य में उनकी गहरी रूचि है। वे कर्नाटक संगीत भी बहुत पसंद करते हैं।

उन्हें 10.02.1983 को बार में पंजीकृत किया गया था। उन्होंने आंध्र प्रदेश उच्च न्यायालय, केन्द्रीय और आंध्र प्रदेश प्रशासनिक न्यायाधिकरण और भारत के सर्वोच्च न्यायालय में वकालत की है। उन्हें संवैधानिक, सिविल, श्रम, सेवा और चुनाव मामलों में विशेषज्ञता हासिल है। उन्होंने अंतर-राज्य नदी न्यायाधिकरण के समक्ष भी अपना पक्ष प्रस्तुत किया है।

वकालत करने के दौरान वे विभिन्न सरकारी संगठनों के पैनल अधिवक्ता थे। वे हैदराबाद स्थित केंद्रीय प्रशासनिक न्यायाधिकरण में रेलवे के अधिवक्ता थे। इसके बाद उन्होंने आंध्र प्रदेश के अतिरिक्त महाधिवक्ता के रूप में सेवाएं प्रदान की।

न्यायमूर्ति नथालपति वेंकट रमण ने 17.02.2014 से भारत के सर्वोच्च न्यायालय के उप न्यायाधीश के रूप में कार्य किया। उन्होंने 7 मार्च 2019 से 26 नवंबर 2019 तक सर्वोच्च न्यायालय कानूनी सेवा समिति के अध्यक्ष के रूप में कार्य किया। उन्होंने 27.11.2019 से राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण (एनएएलएसए) के कार्यकारी अध्यक्ष के रूप में भी कार्य किया है।

प्रारंभ में उन्हें 27.06.2000 को आंध्र प्रदेश उच्च न्यायालय के स्थायी न्यायाधीश के रूप में नियुक्त किया गया था। उन्होंने 10.3.2013 से 20.5.2013 तक इस उच्च न्यायालय के कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश के रूप में भी कार्य किया था।

7th Pay Commission: कर्मचारियों को पेंशन में नहीं होगी परेशानी, सरकार ने बदले ये 2 नियम

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7th Pay Commission: कोरोना संक्रमण के कारण देश में बदलाव का दौर जारी है। हालांकि इसमें कुछ सकारात्मक चेंज भी हुआ है। इसका फायदा लाखों कर्मचारियों को मिला है। कुछ बदलाव के फायदे तत्काल मिलने लगते हैं, लेकिन कुछ नियम लागू होने पर भविष्य को सुरक्षित करते हैं। ऐसा ही कुछ नियम पेंशन से जुड़ा है। जिससे सरकारी एम्लाइज को जबरदस्त फायदा होगा।

दरअसल कार्मिक मंत्रालय ने हाल ही में एक आदेश जारी किया है। इस आदेश में पेंशन प्राप्त करने के लिए न्यूनतम 10 साल की सर्विस शर्त में छूट दी है। इस संदर्भ में नियम 38 में संशोधन कर भुगतान के 50 प्रतिशत पेंशन देने का नियम लागू किया गया है। कर्मचारी भले ही दस वर्ष की सेवा शर्त को पूरा नहीं करता हो। हालांकि कोई एम्प्लाई स्वास्थ्य के कारण सेवाओं से रिटायर होता है, तभी ये लाभ मिलेगा।

वहीं पेंशन से जुड़े नियम में एक ओर सुधार किया गया है। नए सुधार नियम में आश्रित को आखिरी भुगतान के 50 प्रतिशत पेंशन अधिकार प्राप्त करने के लिए सात साल की न्यूनतम सर्विस शर्त को समाप्त कर दिया गया है। अब किसी कर्मचारी की 7 साल की सेवा होने से पहले मौत हो जाती है। ऐसे में उसके परिजनों को आखिरी पेमेंट का 50 फीसद पेंशन के तौर पर दी जाएगी।(साभार – नईदुनिया)

एस एफ़ आई और सीटू ने पानी के समस्या पर दिया ज्ञापन, अधीक्षण अभियंता को चेताया

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देहरादून, एस एफ़ आई व सीटू ने अधीक्षण अभियंता उत्तराखंड जल संस्थान कार्यलय में पानी की समस्याओ पर ज्ञापन दिया।
एस एफ़ आई के राज्य सचिव हिमांशु चौहान ने बताया कि करनपुर सीमेन रोड में पानी से दुर्गंध आ रही है जिस से क्षेत्र के लोगो के स्वास्थ्य पर प्रतिकूल असर पड़ रहा है, उन्होंने बताया कि नालापानी रोड, वाणी विहार क्षेत्रो में भी पानी का प्रेशर की समस्या बनी हुई है। चौहान ने बताया कि इस समय अधिकतम छात्रों की परीक्षा चल रही है और इस समय पानी की समस्या से बहुत सी समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है।

हिमांशु चौहान ने बताया कि कार्यलय में अधीक्षण अभियंता के ना होने के कारण ज्ञापन कार्यलय में उपस्थित रोशन उनियाल जी को दिया गया। डी ए वी महाविद्यालय के पूर्व अध्यक्ष व सीटू के जिला महामंत्री लेखराज ने बताया कि अधीक्षण अभियंता विनोद रमोला से फोन द्वारा बात कर बताया कि अम्बेडकर ग्राउंड स्थित पानी की टंकी को क्षेत्र की लाइन से जोड़ा जाए व टंकी की भूमि के भुगतान जल्द से जल्द किया जाए उन्होंने यह भी बताया कि अगर जल्द से जल्द इन समस्याओं का समाधान नही होता है तो दोनों ही संगठन बड़ा आंदोलन करने के लिए बाध्य होने। इस पर अधीक्षण अभियंता विनोद रमोला ने आश्वासन देते हुए कहा कि 2 – 3 दिन में इन समस्याओं का समाधान हो जाएगा। इस अवसर पर रविन्द्र नोडियाल, नासिर खुहमी आदि लोग उपस्थित रहे।

UP Board exam date 2021: 8 मई से होंगी यूपी बोर्ड 12वीं की परीक्षाएं, देखें नया शेड्यूल

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इलाहाबाद. आखिरकार लंबे इंतजार के बाद यूपी बोर्ड की 10वीं 12वीं की बोर्ड परीक्षाओं का शेड्यूल बदल दिया गया है. अब संशाोधित कार्यक्रम के तहत यूपी बोर्ड की हाईस्कूल व इंटरमीडिएट की परीक्षाएं 8 मई से शुरू होंगी.

यूपी की हाईस्कूल की परीक्षाएं 8 मई से 25 मई तक आयोजित की जाएंगी. इसी प्रकार इंटरमीडिएट की परीक्षाएं भी 8 मई से शुरू होकर 28 मई तक चलेंगी. इसके साथ ही परीक्षा शेड्यूल भी जारी कर दिया गया है. पहली पाली सुबह 8:00 बजे से 11:15 बजे तक और दूसरी पाली दोपहर 2:00 बजे से शाम 5:15 बजे तक होगी.

12वीं का नया टाइम टेबल

08 मई, दूसरी पाली- हिंदी, सामान्य हिंदी10 मई, पहली पाली- संगीत गायन, वादन, नृत्यकला
दूसरी पाली- सामान्य आधारिक विषय
11 मई, पहली पाली- उर्दू, गुजराती, कन्नड़, मराठी, आसामी, उड़िया आदि भाषाएं
दूसरी पाली- बहीखाता और लेखाशास्त्र, भूगोल
12 मई, पहली पाली- सैन्य विज्ञान
दूसरी पाली- व्यापारिक संगठन एवं पत्र व्यवहार, गृह विज्ञान
13 मई, पहली पाली- चित्रकला,
दूसरी पाली अर्थशास्त्र और वाणिज्य भूगोल
17 मई, पहली पाली- फल एवं खाद्य संरक्षण, पाक शास्त्र आदि
दूसरी पाली- कंप्यूटर, कृषि वनस्पति विज्ञान द्वितीय पेपर कृषि भाग एक के लिए
18 मई, पहली पाली- पालि, अरबी, फारसी
दूसरी पाली- अंग्रेजी
19 मई, पहली पाली- फल एवं खाद्य संरक्षण, पाक शास्त्र आदि
दूसरी पाली- अधिकोषण तत्व, कृषि भौतिकी एवं जलवायु विज्ञान तीसरा पेपर कृषि भाग एक के लिए
20 मई, पहली पाली- गणित एवं प्रारंभिक सांख्यकी
दूसरी पाली- रसायन विज्ञान, इतिहास
21 मई, पहली पाली- औद्योगिक संगठन
दूसरी पाली- शस्य विज्ञान, मानव विज्ञान
22 मई, पहली पाली- मनोविज्ञान, शिक्षा शास्त्र, तर्कशास्त्र
दूसरी पाली- जीव विज्ञान, गणित
24 मई, पहली पाली- काष्ठ शिल्प, ग्रंथ शिल्प, सिलाई शिल्प आदि
दूसरी पाली- समाजशास्त्र
25 मई, पहली पाली- बीमा सिद्धांत एवं व्यवहार
दूसरी पाली- अर्थशास्त्र, भौतिक विज्ञान
27 मई, पहली पाली- फल एवं खाद्य संरक्षण, पाक शास्त्र आदि
दूसरी पाली- संस्कृत
28 मई, पहली पाली- फल एवं खाद्य संरक्षण, पाक शास्त्र आदि
दूसरी पाली- नागरिक शास्त्र

Gold Silver Price: महंगा हो रहा सोना, अब इस भाव पर पहुंचा

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नई दिल्ली: सोने के दाम में एक बार फिर से इजाफा देखने को मिल रहा है. रुपये के मूल्य में गिरावट आने के बीच दिल्ली सर्राफा बाजार में बुधवार को सोना 587 रुपये मजबूत होकर 45,768 रुपये प्रति 10 ग्राम पर पहुंच गया. एचडीएफसी सिक्योरिटीज ने यह जानकारी दी.

 

पिछले कारोबारी सत्र में सोना 45,181 रुपये प्रति 10 ग्राम पर बंद हुआ था. इसके साथ ही चांदी का भाव भी 682 रुपये की तेजी के साथ 65,468 रुपये प्रति किलोग्राम हो गया. पिछले कारोबारी सत्र में चांदी 64,786 रुपये प्रति किलोग्राम पर बंद हुई थी.

 

बुधवार को शुरुआती कारोबार के दौरान विदेशीमुद्रा विनिमय बाजार में अमेरिकी डॉलर के मुकाबले रुपया 24 पैसे की गिरावट दर्शाते हुए 73.66 रुपये प्रति डॉलर रह गया. वहीं अंतर्राष्ट्रीय बाजार में सोने का भाव गिरावट के साथ 1,739 डॉलर प्रति औंस रह गया, जबकि चांदी 25.04 डॉलर प्रति औंस पर लगभग अपरिवर्तित रही.

 

एचडीएफसी सिक्योरिटीज के वरिष्ठ विश्लेषक (जिंस) तपन पटेल ने कहा, ‘सोने की कीमतों में मामूली गिरावट देखी गई. जहां कॉमेक्स (न्यूयॉर्क स्थित जिंस एक्सचेंज) में बुधवार को सोने का हाजिर भाव 1,739 डॉलर प्रति औंस था.’

Covid 19 Vaccination: 11 अप्रैल से सरकारी और निजी कार्यस्थलों पर लगेंगे टीके, केंद्र सरकार ने जारी किया निर्देश

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नई दिल्ली, प्रेट्र। सरकार ने कोरोना वायरस के खिलाफ टीकाकरण अभियान में और तेजी लाने के लिए सरकारी और निजी कार्यस्थलों में टीका लगाने की अनुमति दे दी है। राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में 100 पात्र कर्मचारियों वाले सरकारी या निजी कार्यस्थलों में 11 अप्रैल से विशेष कैंप लगाकर वैक्सीन लगाई जा सकेगी। केंद्रीय स्वास्थ्य सचिव राजेश भूषण ने इस संबंध में सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के मुख्य सचिवों को पत्र लिखा है।

केंद्र ने पर्याप्त तैयारी करने को कहा

उन्होंने कहा है कि संगठित क्षेत्र में सरकारी और निजी दफ्तरों, उत्पादन इकाइयों या सेवा क्षेत्रों में काम करने वालों में 45 साल या उससे अधिक उम्र के कर्मचारियों की संख्या अच्छी खासी है। इन लोगों तक टीके की पहुंच सुलभ बनाने के लिए 100 पात्र और इच्छुक लाभार्थियों वाले सरकारी और निजी कार्यस्थलों में कोरोना टीका सत्रों का आयोजन किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि राज्य और केंद्र शासित प्रदेश ऐसे सरकारी और निजी कार्यस्थलों के नियोक्ताओं और प्रबंधन के साथ बातचीत कर 11 अप्रैल से वहां टीकाकरण केंद्र शुरू कर सकते हैं। केंद्र ने इस संबंध में दिशानिर्देश जारी करते हुए राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों से इसके लिए पर्याप्त तैयारी करने को कहा है।

कार्यस्थल पर टीकाकरण सत्र के आयोजन के लिए कम से कम 50 कर्मचारियों का पंजीकरण जरूरी

केंद्र ने यह स्पष्ट कर दिया है कि सिर्फ 45 साल या उससे अधिक उम्र के कर्मचारी ही टीका लगाने के बाद होंगे। कार्यस्थल में पात्र कर्मचारियों के अलावा उनके परिवार के पात्र सदस्यों या किसी भी बाहरी व्यक्ति को टीका लगाने की अनुमति नहीं होगी। संसाधनों के अधिकतम उपयोग के लिए कम से कम 50 कर्मचारियों के पंजीकरण के बाद कार्यस्थल पर टीकाकरण सत्र का आयोजन करने को कहा गया है। ऐसे संस्थान को कम से कम 15 दिन पहले टीकाकरण सत्र के आयोजन की जानकारी देगी होगी, ताकि उस दिन अधिकतम कर्मचारी की उपस्थिति सुनिश्चित हो। सरकारी और निजी कार्यस्थलों में टीका लगाने के लिए आवश्यक कर्मचारियों को तैनात करने की जिम्मेदारी उस इलाके के नजदीकी सरकारी और निजी कोरोना टीकाकरण केंद्रों की होगी।

दिशानिर्देश की खास बातें

-कर्मचारियों के अलावा उनके परिजनों या किसी भी बाहरी व्यक्ति को टीका लगाने की अनुमति नहीं होगी

– संस्थान का एक वरिष्ठ सदस्य नोडल अधिकारी होगा, जो सरकारी या निजी कोरोना टीकाकरण केंद्र के साथ करेगा समन्वय

– कर्मचारियों के लिए को-विन पोर्टल के साथ ही मौके पर भी पंजीकरण कराने की सुविधा होगी

– जिले में जिलाधिकारी और शहर में नगर आयुक्त सरकारी और निजी कार्यस्थलों की करेंगे पहचान

केंद्र ने 45 साल से अधिक उम्र कर्मचारियों से टीका लेने को कहा

केंद्र सरकार ने कोरोना वायरस संक्रमण के प्रसार को प्रभावी तरीके से रोकने के उद्देश्य से 45 साल और इससे अधिक उम्र के अपने सभी कर्मचारियों को कोरोना रोधी टीका लगवाने के लिए कहा है। कार्मिक मंत्रालय की ओर से जारी आदेश में कहा गया है कि कर्मचारियों को टीकाकरण के बाद भी कोरोना से बचाव के दिशा निर्देशों का पालन करने का सुझाव दिया गया है, जिसमें लगातार हाथ धोना, सेनेटाइजेशन, मास्क या फेस कवर पहनना और शारीरिक दूरी बनाए रखना शामिल हैं।

स्वास्थ्यकर्मियों, फ्रंटलाइन वर्कर्स का मौके पर पंजीकरण सिर्फ सरकारी केंद्रों पर

केंद्र सरकार ने कहा है कि कोरना रोधी टीका लगवाने के लिए 18 से 44 साल आयु वर्ग के स्वास्थ्यकर्मियों और फ्रंटलाइन वर्कर्स का सिर्फ सरकारी टीका केंद्रों में ही मौके पर पंजीकरण की सुविधा होगी। ऐसे कर्मचारियों को मूल फोटो पहचान पत्र और नियुक्ति संबंधी प्रमाणपत्र पेश करना होगा। केंद्रीय स्वास्थ्य सचिव राजेश भूषण ने सोमवार को सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को भेजे पत्र में इसकी स्पष्ट जानकारी दे दी थी।

फिलहाल जिसको जरूरत, उसी को दी जाएगी

वैक्सीन देश में 45 साल से कम उम्र के लोगों को भी टीका लगाने की मांग पर केंद्रीय स्वास्थ्य सचिव राजेश भूषण ने कहा कि फिलहाल वैक्सीन उन्हीं लोगों को लगेगी, जिनको इसकी जरूरत है। सरकार की प्राथमिकता महामारी से होने वाली मौतों को रोकना है। उन्होंने कहा कि भारत दुनिया का अकेला ऐसा देश है, जहां 45 साल और उससे अधिक उम्र के सभी लोगों को टीका लगाया जा रहा है।

सभी देशों में प्राथमिकता वाले समूहों को लगाया जा रहा टीका

केंद्रीय स्वास्थ्य सचिव ने कहा कि पूरी दुनिया में सभी देश सबसे पहले प्राथमिकता वाले समूहों का टीकाकरण कर रहे हैं ताकि कोरोना से होने वाली मौतों को रोका जा सके। उन्होंने बताया कि अभी ब्रिटेन में 50 साल से अधिक, अमेरिका में फ्रंटलाइन और अनिवार्य सेवा से जुड़े वर्कर्स और 75 साल से अधिक उम्र के लोगों को वैक्सीन देने के बाद अब 65 से 74 साल के बीच लोगों को वैक्सीन लगाई जा रही है। फ्रांस में भी 60 साल से अधिक उम्र के लोगों के अलावा 50 से 60 साल के बीच गंभीर बीमारी से ग्रसित लोगों को टीका लगाया जा रहा है।

भारत में टीकाकरण की रफ्तार सबसे तेज

टीकाकरण में तेजी लाने के सरकार के इन प्रयासों के चलते ही भारत अमेरिका को पछाड़ते हुए सबसे तेज टीका लगाने वाला देश बन गया है। भारत में प्रतिदिन औसतन 30.93 लाख टीके लगाए जा रहे हैं, जबकि अमेरिका में यह संख्या 30.53 लाख है। देश में अब तक 8.70 करोड़ टीके लगाए जा चुके हैं, जिनमें से 33 लाख से ज्यादा पिछले 24 घंटों के दौरान लगाए गए।

सबसे ज्यादा टीका लगाने के मामले में भी भारत अमेरिका के बाद दूसरे नंबर पर है। अमेरिका में 16 करोड़ 50 लाख से अधिक डोज लगाए जा चुके हैं। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने बुधवार को कहा कि टीकाकरण अभियान के 81वें दिन मंगलवार को 33,37,601 टीके लगाए गए। इसमें 30.08 लाख लाभार्थियों को टीके की पहली और 3.29 लाख लाभार्थियों को दूसरी डोज दी गई। अब तक दी गई कुल डोज में 45 साल से ज्यादा उम्र के 5.72 करोड़ लोगों को पहली और 14.32 लाख लोगों को दी गई दूसरी डोज भी शामिल हैं।

‘‘एक जनपद : दो उत्पाद’’ के नारे से होगा राज्य के जनपदों में उद्यमिता का विकास

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देहरादून, सैनिक कल्याण, औद्योगिक विकास, एम0एस0एम0ई0 तथा खादी एवं ग्रामोद्योग मंत्री गणेश जोशी द्वारा निदेशक उद्योग विभाग से अपेक्षा की गई है कि आगामी 15 दिवस के भीतर ‘‘एक जनपद-दो उत्पाद’’ के तहत प्रत्येक जनपद अंतर्गत उत्पादित होने वाले अथवा संभावित उत्पादों के सूची बनाते हुए उनकी प्रासंगिकता एवं स्थानीय स्तर पर उद्यमिता विकास में इन उत्पादों की भूमिका पर रिपोर्ट प्रस्तुत करें। ताकि इस तर्ज पर आगे की कार्ययोजना बना कर स्थानीय उत्पादों तथा तद्जनित उद्यम के विकास हेतु कार्य को धरातल पर लाया जा सके।

उन्होंने कहा कि, प्रधानमंत्री जी के नारे ‘‘वोकल फॉर लोकल’’ को चरितार्थ करने के लिए भी ‘‘एक जनपद – दो उत्पाद’’ को विकसित किए जाने की आवश्यकता है। विशेष तौर एम0एस0एम0ई0 श्रेणी में आने वाले उत्पादों को औद्योगिक विकास योजनाओं का वह लाभ नहीं मिल पाता जिसकी उन्हें जरूरत है। ऐसे में नागरिकों, उद्यमियों की पहल का इंतजार किए बिना सरकार द्वारा अपनी ओर से भी सम्भावनाशील स्थानीय उत्पादों की पहचान कर उन्हें उद्योग के तौर पर विकसित किया जाएगा। ताकि स्थानीय उद्यमियां में इन उत्पादों में रूचि एवं रूझान जगे।

एम0एस0एम0ई0 में बहुत सम्भावनाएं हैं। लॉकडाउन के समय में अपने घरों को लौटे प्रवासी लोग अपने साथ अलग – अलग हुनर भी लाए हैं। हम उनकी उद्यमिता को एम0एस0एम0ई0 योजनाओं के माध्यम से स्वरोजगार के लिए प्रोत्साहित करना चाहते हैं।
मेरी प्राथमिकता है कि उद्योग सिर्फ देहरादन, उधम सिंह नगर, हरिद्वार, नैनीताल जनपद में ही ना सिमट जाए। स्थानीय आवश्यकता तथा आपूर्ति के हिसाब से पहाड़ों में भी औद्योगिक विकास को पहुंचाना मेरी प्राथमिकता है।

ह्यूमन ट्रैफिकिंग के मामलों को पूरी तरह रोकने के लिये पुख्ता कार्ययोजना बने : मुख्यमंत्री

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देहरादून, मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत ने अधिकारियों को प्रदेश में ह्यूमन ट्रैफिकिंग के मामलों को पूरी तरह से रोकने के लिए पुख्ता कार्ययोजना बनाने के निर्देश दिए हैं। हाल ही में चमोली की एक घटना को गम्भीरता से लेते हुए मुख्यमंत्री ने बीजापुर हाउस में शासन के वरिष्ठ अधिकारियों के साथ बैठक की। मुख्यमंत्री ने स्पष्ट किया कि महिलाओं और बच्चों के प्रति अपराध पर सख्त से सख्त कार्रवाई सुनिश्चित की जाए।

मुख्यमंत्री ने निर्देश दिये कि साईबर अपराध और बच्चों व महिलाओं के प्रति किए जाने वाले अपराध के मामलों को कार्रवाई के लिए सीधे रेगुलर पुलिस को सौंपा जाएं। नाबालिगों व महिलाओं के साथ हुए अपराधों पर की जाने वाली कार्यवाही पर मानिटरिंग के लिये फुल टाईम अपर सचिव स्तर के अधिकारी की नियुक्ति की जाए। फास्ट ट्रैक मोड में कार्रवाई सुनिश्चित हो। केवल मामला ही दर्ज नहीं करना है बल्कि यह भी सुनिश्चित किया जाना है कि अपराधी को सख्त से सख्त सजा मिले।

बैठक में मुख्य सचिव श्री ओमप्रकाश, अपर मुख्य सचिव श्रीमती राधा रतूङी, डीजीपी  अशोक कुमार, सचिव श्री नितेश झा,  अमित नेगी,  आर मीनाक्षी सुंदरम, श्री शैलेश बगोली सहित अन्य अधिकारी उपस्थित थे।

उत्तराखण्ड़ में 15 अप्रैल से खुलेंगे एक से पांच तक के विद्यालय, कोरोना गाइडलाइन का होगा पालन

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बागेश्वर, अब उत्तराखंड़ में प्राईमरी स्कूल खुल जायेंगे | शिक्षा मंत्री अरविंद पांडे ने 15 अप्रैल से राज्य में कक्षा एक से पांच तक के विद्यालय खोल दिए जाने की जानकारी दी, हालांकि इस दौरान उन्होंने कहा कि कोरोना संबंधी गाइडलाइन का पालन भी सुनिश्चित कराया जाएगा। जिला प्रभारी मंत्री एवं शिक्षा मंत्री पांडे ने मंगलवार को यहां भाजपा कार्यालय में पत्रकारों से बातचीत में यह जानकारी दी। पांडे ने कहा कि इसके बाद भविष्य में जिस तरह की स्थिति बनेगी, उसी के आधार पर निर्णय लिया जाएगा। उन्होंने कहा कि सरकार ने कक्षा छह से 12 तक के विद्यालय तो पहले ही खोल दिए हैं।

एकाएक प्राथमिक विद्यालयों को खोले जाने के ऐलान से सभी हदप्रद हैं जबकि उत्तराखंड के विद्यालयी शिक्षा मंत्री अरविंद पांडे ने एक दिन में ही अपना बयान दिया। सोमवार को पिथौरागढ़ में उन्होंने कहा था कि बच्चों की जिंदगी दांव पर लगाकर स्कूल नहीं खोले जाएंगे, लेकिन ठीक एक दिन बाद मंगलवार को बागेश्वर में उन्होंने कहा कि कोरोना गाइडलाइन का पालन करते हुए पहली से पांचवीं तक की कक्षाओं का संचालन 15 अप्रैल से किया जाएगा। छठी से 12वीं तक की कक्षाओं का संचालन पहले से ही हो रहा है।

उन विद्यालयों में भी कोरोना संबंधी गाइडलाइन का पूरी तरह से पालन किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि माध्यमिक विद्यालयों में पठन-पाठन भी सुचारू रहा और इन दिनों वार्षिक परीक्षाएं भी सुचारु चल रही हैं। पांडे ने कहा कि सामान्यत: अभी कोरोना ने बच्चों को गिरफ्त में नहीं लिया है। साथ ही उन्होंने चेताया कि कोरोना का खतरा अभी कम भी नहीं हुआ है। सभी लोग मास्क पहनें और सोशल डिस्टेंसिग का पूरी तरह से पालन करें।

प्रवासी पक्षियों का अपने देशों को लौटने का क्रम जारी

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हरिद्वार 7 अप्रैल (कुलभूषण) पोलिआर्किटिक विश्व भूभाग से प्रतिवर्ष गंगा के तटों एवं भारत के कई स्थानों एवं ताल तलैया   में आने वाले प्रवासी पक्षियों की अपने मातृ देशों की ओर वापसी यात्रा जारी है द्य उम्मीद है की अप्रैल अंत तक सभी प्रवासी पक्षी अपने मूल प्रजनन स्थानों को लौट चुके होंगे द्य गुरुकुल कांगड़ी विश्वविद्यालय के सुप्रसिद्ध पक्षी वैज्ञानिक एमिरीटस प्रोफेसर दिनेश भट्ट ने बताया कि बसंत ऋतु के अंतिम चरण में दिनमान और तापमान के बढ़ने के साथ ही राजहंस पक्षी स्वदेश वापस लौट गए हैं।इस वर्ष राजहंस पक्षियों को हरिद्वार का मिस्सरपुर गंगा घाट काफी पसंद आया जिस कारण राजहंस पक्षी पिछले वर्षों की तुलना में इस वर्ष काफी लंबे समय तक मिस्सरपुर में नजर आए।
दक्षिण भारत से अपने देशों की ओर उड़ान भरने वाले कुछ पक्षी जैसे राजहंसए गल्स एपिनटेल   इत्यादी  मार्च माह में अपनी वापसी यात्रा  के दौरान कुछ समय के लिए  गंगा तटो में भी  विश्राम करते है और सेंट्रल एशियन फ्लाई वे मार्ग से स्वदेश ;रूसए मंगोलिआएचीनए कजाकिस्तान इत्यादि द्ध पहुचते है। मार्ग तय करने के लिए इन्हे  प्रकृति ने वरदान दिया है कि प्रस्थान करने से पूर्व इनके शरीर में वसा की मात्रा बढ़ेगी और चोंच पर लगे जीपीएस जैसे सेंसर से इन्हे दिशा बोध  होगा ।
शोधार्थी आशीष कुमार आर्य  ने बताया की राजहंस नामक पक्षी मानसरोवर झील से सर्दियों में भारत के उत्तरी मैदानी भागों में प्रवास करता है।  राजहंस नामक पक्षी सबसे ऊंची उड़ान भरने वाला पक्षी है।   इस पक्षी को कई  बार  माउंट एवरेस्ट के ऊपर से से भी उड़ते हुए देखा गया है। यह पक्षी मानसरोवर झील से मंगोलिआ तक ग्रीष्म काल में प्रजजन करता है और वहां शीत ऋतु में बर्फ पड़ते ही भारत की ओर प्रस्थान करता है।
आश्चर्य की बात है की जहां  सभी पक्षी विदा हो चुके है  किन्तु लद्दाख की और प्रस्थान करने वाली सुर्खाब का एक बड़ा फ्लॉक अभी भी मिस्सरपुर गंगा तट पर  प्रवास कर रहा है।  प्रतीत होता है कि क्लाइमेट चेंज का असर इस पक्षी के मार्ग में बाधा उत्पन्न कर रहा है। इस पक्षी के अभी तक रुकने पर शोध जारी है और देश के विभिन्न हिस्सों से आंकड़े जुटाए जा रहे है।
उत्तरखंड संस्कृत विश्वविद्यालय के पक्षी विशेषज्ञ डॉ विनय सेठी व  एमिरीटस प्रोफ़सर दिनेश भट्ट  ने बताया की मिस्सरपुर गंगा तट पर रेत बजरी के खनन होने के कारण इन पक्षियों के वास स्थल पर  खतरा मंडरा रहा है।  सूच्य है  कि गंगा में अवैध खनन रोकने के लिए मातृ सदन के स्वामी शिवानंद एवं  उनके शिष्य अनसन  एवं तपस्या कर रहे है। अतः प्रवासी पक्षियों के संरक्षण पर  सरकार एवं जनता को ध्यान देना चाहिए।
प्रोफेसर भट्ट की टीम में  रोबिन राठीए आशीष कुमार आर्याए पारुल भटनागरए रेखा रावत आदि शोध छात्र शामिल रहे हैं