Wednesday, April 30, 2025
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गौला पार क्षेत्र के युवाओं का शिष्टमंडल मिला मुख्यमंत्री से

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(मुन्ना अंसारी)

लालकुआँ, गोला पार क्षेत्र के वर्ष 2009 से वन भूमि में निवास कर रहे व्यक्तियों को ग्राम पंचायत क्षेत्र से बाहर कर दिया गया है, वनभूमि को ग्राम पंचायत में शामिल किये जाने की माँग को लेकर गौला पार क्षेत्र के युवाओं का शिष्टमंडल प्रदेश के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी से मिला ।
इस दौरान समाजसेवी युवाओं ने मुख्यमंत्री को ज्ञापन सौंपते हुए कहा कि यहाँ निवास करने वाले सैकड़ों लोगों को विकास की मुख्यधारा से वंचित किया जा रहा है वन भूमि में ग्राम पंचायत की योजनाएं लागू ना होने से एक बहुत बड़ा वर्ग प्रतिस्पर्धा से वंचित रह गया है, जिसमें सड़क, नाली, किसान सम्मान योजना आदि योजनाओं का लाभ वहाँ के निवासियों को नहीं मिल पा रहा है | जिससे लोगों को भारी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है ।

 

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने किया क्षत्रिग्रस्त गौला पुल का स्थलीय निरीक्षण

हल्द्वानी, मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने रविवार प्रातः क्षत्रिग्रस्त गौला पुल का स्थालीय निरीक्षण किया। निरीक्षण दौरान उन्होेने कहा गौला पुल पूरे क्षेत्र के आवागमन के लिए अतिमहत्वपूर्ण है। जिस दिन से यह पुल क्षत्रिग्रस्त हुआ है उसी दिन से हमारा प्रयास है कि पुल जल्द से जल्द चालू किया जा सके। नियमों को शिथिल किया गया है। पुल का कार्य युद्धस्तर पर होगा ताकि पुल जल्द चालू हो सके। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि सरकार जनता के साथ है प्रभावितों की हरसम्भव मदद की जायेगी। उन्होने कहा मूलभूत सुविधाएं विद्युत, पेयजल, सड़क, स्वास्थ तुरन्त बहाल किये जा रहे है। सरकार आपदा कार्यो की लगातार मॉनिटरिंग भी कर रही है। निरीक्षण दौरान प्रभारी एंव ग्राम्य विकास मंत्री स्वामी यतीश्वरानन्द, आपदा प्रबंधन मंत्री डॉ. धनसिंह रावत, मेयर डॉ. जोगेन्द्र पाल सिंह रौतेला, मण्डलायुक्त सुशील कुमार, डीआईजी नीलेश आनन्द भरणे, जिलाधिकारी धीराज सिंह गर्ब्याल सहित अन्य अधिकारी उपस्थित |Uttarakhand Video गौला पुल के निरीक्षण के बाद आपदा पर क्या बोले मुख्यमंत्री,  देखिए - Mirror Uttarakhand

नेता प्रतिपक्ष प्रीतम सिंह ने किया आपदा प्रभावित क्षेत्र का दौरा

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(मुन्ना अंसारी)

लालकुआं, उत्तराखंड के नेता प्रतिपक्ष प्रीतम सिंह आज लालकुआं विधानसभा क्षेत्र के बिंदुखत्ता पहुंच कर आपदा प्रभावित लोगों से मुलाकात की, जहां उन्होंने बाढ़ प्रभावित क्षेत्र गौला नदी के किनारे टूटे हुए तटबंधों का निरीक्षण किया | इस दौरान उन्होंने प्रभावितों को आश्वासन देते हुए हर संभव मदद का भरोसा दिया साथ ही राज्य सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि डबल इंजन की सरकार होने के बाद भी यहां अभी तक राज्य सरकार या केंद्र सरकार के द्वारा आपदा पीड़ितों को कोई भी राहत के नाम पर अभी तक धनराशि नही दी गई है | राज्य सरकार द्वारा धरातल पर कोई भी कार्य नही किया जा रहा है, सिर्फ हवाई दौरे कर जनता को ठगने का कार्य किया जा रहा है, जिससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि प्रदेश सरकार आपदा पीड़ितों को लेकर कितनी गंभीर है वही उन्होंने कहा कि आपदा प्रबन्धन विभाग द्वारा 38 घण्टे पूर्व सूचना के बाद भी राज्य सरकार आपदा को रोकने में कोई ठोस उपाय नही कर सकी |जिससे इतनी भीषण तबाही से कई लोगों के घर और जमीन तबाह हो गई है, राज्य सरकार अपनी जिम्मेदारी से पूरी तरह बच रही है।

पुनर्निर्माण व राहत कार्यों की मानिटरिंग के लिये हाईपावर कमेटी बनाने के निर्देश

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देहरादून, मुख्यमंत्री श्री पुष्कर सिंह धामी ने आपदा प्रभावितों को विभिन्न मदों में दी जा रही सहायता राशि को बढ़ाने के निर्देश दिये हैं। उन्होंने कहा कि आपदा के मानकों में सम्भव न होने पर अतिरिक्त राशि की व्यवस्था मुख्यमंत्री राहत कोष से की जाए। मुख्यमंत्री ने पुनर्निर्माण व राहत कार्यों की मानिटरिंग के लिये हाईपावर कमेटी बनाने के निर्देश दिये। मुख्यमंत्री ने कहा कि आपदा प्रभावितों को यथासंभव सहायता दी जाए। सहायता राशि पाने में लोगों को अनावश्यक परेशान न होना पङे। जरूरतमंदों को हर सम्भव मदद सुनिश्चित की जाए। मुख्यमंत्री,  सचिवालय में उच्चाधिकारियों के साथ आपदा राहत कार्यों की समीक्षा कर रहे थे।

मुख्यमंत्री के निर्देश पर निर्णय लिया गया कि प्रभावित परिवारों को कपङे, बर्तन व घरेलू सामान के लिए दी जाने वाली अहेतुक सहायता राशि को 3800 रूपये से बढाकर 5000 रूपये किया गया है। पूर्ण क्षतिग्रस्त मकान के लिये सहायता राशि जो कि मैदानी क्षेत्रों में 95 हजार रूपये प्रति भवन और पहाङी क्षेत्रों में 1लाख 1 हजार 900 रूपये प्रति भवन दी जा रही है, को मैदानी और पर्वतीय दोनों क्षेत्रों में बढाकर 1 लाख 50 हजार रूपये प्रति भवन किया गया है।

आंशिक क्षतिग्रस्त (पक्का) भवन के लिए सहायता राशि कॅ 5200 रूपये प्रति भवन से बढाकर 7500 रूपये प्रति भवन और आंशिक क्षतिग्रस्त (कच्चा) भवन के लिए सहायता राशि कॅ 3200 रूपये प्रति भवन से बढाकर 5000 रूपये प्रति भवन किया गया है। भूमि क्षति के लिए राहत राशि न्यूनतम एक हजार रूपये अनुमन्य की जाएगी। अर्थात भूमि क्षति पर राहत राशि, कम से कम एक हजार रुपये तो दी ही जाएगी।  घर के आगे या पीछे का आंगन व दीवार क्षतिग्रस्त होने को भी आंशिक क्षतिग्रस्त में लिया जाएगा। पहले इस पर सहायता नहीं दी जाती थी। जिन आवासीय कालोनियों में बिजली के बिल बाहर लगे थे, 18 व 19 अक्तूबर को आयी प्राकृतिक आपदा में खराब हो गये हैं, ऊर्जा विभाग इन खराब बिजली के मीटरों को निशुल्क बदलेगा।

राज्य आपदा मोचन निधि मानकों से अनुमन्य की गयी अधिक धनराशि का भुगतान मुख्यमंत्री राहत कोष से वहन किया जाएगा।  इसी प्रकार क्षतिग्रस्त भवनों के प्रकरणों में यदि भवन एसडीआरएफ के मानकों की परिधि से बाहर है तो ऐसे प्रकरणों पर सहायता मुख्यमंत्री राहत कोष से प्रदान की जाएगी।

जीएसटी के दायरे से बाहर के छोटे व्यापारियों को दुकान में पानी भर जाने आदि से नुकसान होने पर 5 हजार रूपये की सहायता दी जाएगी।
एसडीआरएफ के मानकों में कवर न होने पर की  सहायता मुख्यमंत्री राहत कोष से प्रदान की जाएगी।

मुख्यमंत्री ने कहा कि 7 नवम्बर तक प्रदेश की सङको को गड्ढामुक्त करना है। उन्होंने दोनों मंडलायुक्तों को इसकी लगातार मानिटरिंग करने के निर्देश दिये।

बैठक में मुख्य सचिव डॉ एस एस संधु अपर मुख्य सचिव श्रीमती मनीषा पंवार, श्री आनंद बर्द्धन, अपर प्रमुख सचिव श्री अभिनव कुमार, सचिव श्री अमित नेगी, श्री आर मीनाक्षी सुंदरम, श्री शैलेश बगोली, श्री एस ए मुरूगेशन, डॉ बी वी आर सी पुरुषोत्तम, आयुक्त गढ़वाल श्री रविनाथ रमन, आयुक्त कुमाऊँ श्री सुशील कुमार सहित अन्य अधिकारी उपस्थित थे।

श्री महन्त रविन्द्र पुरी का अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद का अध्यक्ष बनने पर काॅलेज परिवार में हर्ष

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हरिद्वार (कुलभूषण) । एस.एम.जे.एन. पी.जी. काॅलेज प्रबन्ध समिति के अध्यक्ष पूजनीय श्री महन्त रविन्द्र पुरी जी महाराज का आज प्रयागराज में अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद का अध्यक्ष बनने पर काॅलेज परिवार में हर्ष की लहर व्याप्त हो गयी.
इस अवसर पर काॅलेज के प्राचार्य डाॅ. सुनील कुमार बत्रा ने हर्ष व्यक्त करते हुए कहा कि पूरे काॅलेज परिवार के लिए यह अत्यंत गौरवपूर्ण क्षण है कि कालेज प्रबंध समिति अध्यक्ष श्री मंहत रविन्द्र पुरी को आज संवैधानिक तरीके से अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद का अध्यक्ष चुना गया है।

डाॅ. बत्रा ने कहा कि श्री महन्त रविन्द्र पुरी जी के कुशल नेतृत्व में महाकुम्भ-2021 सकुशल सम्पन्न हुआ तथा श्रीमहन्त रविन्द्र पुरी जी के कुशल नेतृत्व में ही महाविद्यालय निरन्तर प्रगति के पथ पर अग्रसर है। डाॅ. बत्रा ने कहा कि जिस प्रकार श्री महन्त द्वारा सम्पूर्ण लाकडाउन में सेवाभाव कार्य किया गया उसमें यह कहने में अतिश्योक्ति नहीं होगी कि समाज के सभी वर्गों की श्री महन्त जी द्वारा सहायता की गयी है। समस्त काॅलेज परिवार परमपूज्य श्री महन्त रविन्द्र पुरी जी महाराज के सराहनीय कार्यो के लिए गौरवान्वित है। डाॅ. बत्रा ने कहा कि प्रदेश सरकार ने कोरोना संकट से व्यवस्थित रुप से निपटने के लिए तत्कालीन अपर कुम्भ मेला अधिकारी को नोडल अधिकारी व काॅलेज प्रबन्ध समिति के अध्यक्ष व माँ मंशा देवी मन्दिर ट्रस्ट के अध्यक्ष पूज्य श्री महन्त रविन्द्र पुरी जी महाराज को मदर सी.एस.ओ. नामित किया था।
अधिष्ठाता छात्र कल्याण डाॅ. संजय कुमार माहेश्वरी ने कहा कि काॅलेज प्रबन्ध समिति के अध्यक्ष व श्री मंशा देवी मन्दिर ट्रस्ट के अध्यक्ष श्री महन्त रविन्द्र पुरी जी महाराज द्वारा लगभग रुपये तीन करोड़ से अधिक की आर्थिक मदद की गयी। लाॅकडाउन में प्रतिदिन लगभग रुपये पचास हजार का भोजन श्री महन्त जी की ओर से निराश्रित, प्रशासन के कर्मचारी, पुलिस, चिकित्सक, सफाई कर्मचारी जो सेवा में रत हैं, लगातार उनके भोजन की व्यवस्था अविरल चलायी गयी। कोई भी व्यक्ति भूखा न सोए ऐसे विचारों को श्री महन्त जी द्वारा सत्य किया गया, जो निःसन्देह एक सराहनीय कार्य है, इस सामाजिक सेवा हेतु श्री महन्त जी का कोई सानी नहीं है, जिसके लिए श्री महन्त जी को सादर वंदन एवं अभिनन्दन।

मुख्य अनुशासन अधिकारी डाॅ. सरस्वती पाठक ने श्री महन्त रविन्द्र पुरी जी महाराज को अ.भा.अ.प. का अध्यक्ष बनने पर बधाई देते हुए कहा कि श्री महन्त व पंचायती अखाड़ा श्री निरंजनी के पूज्य मनीषियों का यह महाविद्यालय छात्रों को श्रेष्ठ वातावरण अपने सपनों को पूरा करने के लिए उपलब्ध कराता है। यहाँ से बहुत बड़ी संख्या में राजनेता, प्रशासक, संगीतज्ञ, सी.ए. एवं सामाजिक कार्यकर्ता इस ज्ञान, कर्मभूमि से निकलकर अपनी सुगन्ध हरिद्वार एवं देश-विदेश में फैला रहे हैं। ¬इस अवसर पर डाॅ. मन मोहन गुप्ता, डाॅ. तेजवीर सिंह तोमर, डाॅ. जगदीश चन्द्र आर्य, विनय थपलियाल, वैभव बत्रा,डाॅ. सुषमा नयाल, श्रीमती रिंकल गोयल, रिचा मिनोचा, डाॅ. आशा शर्मा, डाॅ. मोना शर्मा, डाॅ. निविन्धया शर्मा, डाॅ. अमिता श्रीवास्तव, विनीत सक्सेना, डाॅ शिव कुमार,डाॅ मनोज सोही, डाॅ. प्रज्ञा जोशी, डाॅ. पूर्णिमा सुन्दरियाल आदि प्राध्यापकों व कर्मचारियों ने श्रीमहन्त जी को अपनी शुभकमनायें एवं बधाइयाँ प्रेषित की।

ढोल को लेकर बौद्धिक वर्ग ने किया चिंतन : कहा- लोक विरासत बचाने ढोल से आगे सोचे सरकार, भरतवाण को भी दी नसीहत

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देहरादून, उत्तराखंड की लोक संस्कृति के संरक्षण में ढोल को लेकर एक बार फिर इन दिनों सोशल मीडिया के जरिए चर्चा चल रही है, उत्तराखंड की लोक विरासत को जीवित रखने के लिए इस कला को सिर्फ ढोल और ढोली तक समेटे रखने के किए सरकारी प्रयासों पर औजी समाज से जुड़े बौद्धिक वर्ग ने कड़ी चिंता जताई है | समाज से जुड़े बौद्धिक वर्ग ने लोक संस्कृति के नाम पर किए जा रहे दिखावे पर कड़ा ऐतराज जताया है | समाज से जुड़े डा. पवन कुदवान, पत्रकार गोविंद आर्य, शूरवीर सिरवाण, सामाजिक चिंतक शिवदेव सिंह शाह समेत अनेक सामाजिक प्रतिनिधियों ने सरकार के ऐसे प्रयासों की निंदा की है | जहां 21वीं सदी में भी एक खास वर्ग को ढोल बांटकर सस्ती लोकप्रियता के ढोल पीटे जा रहे हैं, सामाजिक प्रतिनिधियों ने कहा कि आज जरूरत इस बात की नहीं है कि इस वर्ग को ढोल बांटे जाएं, जरूरत इस बात की है कि सरकार अपनी नीतियों में इस वर्ग के लिए कोई ऐसी ठोस पहल करे कि लोक विरासत को बचाने सभी वर्ग के लोग इस विधा की ओर स्वत: आकर्षित हों | समाज के बौद्धिक वर्ग ने कहा कि सरकार को अगर इतनी ही चिंता है तो इस विधा के जानकारों की सरकारी कर्मचारी के तौर पर नियुक्ति के प्रावधान करे | राज्य में रोजगार स्वरोजगार के लिए बने पलायन आयोग, लोक संस्कृति विभाग व अन्य सरकारी नीतियों में इस वर्ग को प्रतिनिधित्व दिया जाए, राज्य के लोगों और सरकार का अगर इस विरासत के प्रति प्रेम है तो अनेक लोगों को राज्यमंत्री का दर्जा दिया जाता है, किसी डोली को राज्यमंत्री का दर्जा देकर बड़ा सकारात्मक संदेश देने की पहल अब तक क्यों नहीं हुई ? उत्तराखंड के किसी ढोल वादक को संस्कृति का वाहक माना जाता है तो रास्ट्रीय पार्टियों द्वारा राज्यसभा में भेजने का दिल क्यों नहीं दिखाया जाता ?

लोकप्रियता का लाभ समाज को दें भरतवाण :

टिहरी जनपद में विधायक द्वारा ढोल बांटे जाने को लेकर लोगों ने सरकार के इस प्रेम को छलावा करार देते हुए कहा कि सदियों से थोड़ी सी साबासी के बाद यह वर्ग हमेशा उपेक्षित रहा है और आज भी यही प्रयास हो रहे हैं, सामाजिक चिंतन की इस चर्चा में लोगों ने गायक प्रीतम भरतवाण से भी अपेक्षा की है कि वे समाज को 21वीं सदी की ओर ले जाने का प्रयास करें, वे अपनी लोकप्रियता का लाभ समाज की नई पीढ़ी को सम्मान दिलाने में दें |

ढोल देता है संकेत :

समाज के एक चिंतक ने कहा कि ढोल शिव का प्रिय है और इसके साथ छलावा भगवान माफ नहीं करते, उन्होंने कहा ढोल भविष्य और वर्तमान के संकेत देता है |
उन्होंने अपनी पुरानी यादें ताजा करते हुए बताया कि हमारे घरों में जब लटके ढोल रात या दोपहर कभी अचानक बजने का अहसास कराते थे तो हमारे बुजुर्ग कहते थे आज कुछ शुभ अशुभ होने वाला है, ठीक वैसे ही राज्य के मुख्यमंत्री जी ने एक कार्यक्रम में हाल ही में जिस दिन ढोल उठाया उसी दिन उत्तराखंड का एक क्षेत्र आपदाओं से हिल गया | उन्होंने कहा यह ढोल का संकेत है कि इसके साथ छलावा बंद हो |

देर शाम तक सामने आया चर्चा का सुखद परिणाम :

ढोल पर छिड़ी चर्चा के बीच शाम को एक खबर उत्तराखंड की राजधानी देहरादून से आई है, जिसमें राज्य के साहित्यकार व कला एवं संस्कृतिधर्मिंयों की एक बैठक हुई और एक राय रखी कि क्यों न सरकार से आग्रह किया जाय कि देवस्थानम बोर्ड के अंतर्गत आने वाले प्रत्येक मन्दिर में जैसे पुजारी नियुक्त किये जाते हैं वैसे ही आवजी, ढोली, बाजगी, गुणीजन समाज के कलावंत की भी सरकारी नियुक्ति के लिए अनुरोध किया जाय |
इसके लिए उत्तराखंड की महान हस्तियों ने एक पत्र संयुक्त हस्ताक्षर कर मुख्यमंत्री कार्यालय, उत्तराखंड हेतु ड्राफ्ट किया, इस पत्र में हस्ताक्षर करने वाले व्यक्तियों में सुप्रसिद्ध लोकगायक एवं कला-लोक संस्कृतिकर्मी नरेंद्र सिंह नेगी जी, जागर सम्राट प्रीतम भरतवाण, साहित्यकार एवं कला-लोकसंस्कृतिधर्मी नंद किशोर हटवाल, साहित्यकार एवं कला-लोक संस्कृतिधर्मी रमाकांत बेंजवाल, साहित्यकार एवं कला-लोक संस्कृतिधर्मी श्रीमती बीना बेंजवाल जी, वरिष्ठ पत्रकार एवं कला-लोक संस्कृतिधर्मी गणेश खुगशाल गणी, गढ़वाल सभा के सदस्य व कला एवं लोक संस्कृतिकर्मी अजय जोशी, समाजसेवक एवं लोकसंस्कृतिधर्मी इन्द्र सिंह नेगी एवं वरिष्ठ पत्रकार मनोज ईस्टवाल सहित कई कला-लोक संस्कृतिधर्मी शामिल थे |

योजना के लागू होने से हटेगा महिलाओं के सर का बोझ, बचेगा समय और श्रम

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देहरादून,राज्य सरकार की महत्वकांक्षी मुख्यमंत्री घसियारी कल्याण योजना का शुभारम्भ इसी माह के अंतिम सप्ताह में प्रस्तावित है। जिसके प्रथम चरण में प्रदेश के चार पर्वतीय जनपदों पौड़ी, रूद्रप्रयाग, अल्मोड़ा तथा चम्पावत के हजारों पशुपालकों को सहकारी समितियों के माध्यम से योजना का लाभ पहुंचाया जायेगा। योजना के तहत पशुपालकों को रियायती दरों पर पौष्टिक पशुचारा साइलेज के रूप में उपलब्ध कराया जायेगा। इससे दुधारू पशुओं के स्वास्थ्य में सुधार के साथ ही दूध में 15 से 20 प्रतिशत तक की बढ़ोत्तरी होगी। योजना लागू होने से जहां एक ओर महिलाओं के सिर से बोझ उतरेगा वही उनके समय एवं श्रम की भी बचत होगी।

सहकारिता मंत्री डॉ. धन सिंह रावत ने आज देहरादून जिला मुख्यालय स्थित सभागार में सहकारिता विभाग की समीक्षा बैठक ली। बैठक में सरकार की महत्वकांक्षी मुख्यमंत्री घसियारी कल्याण योजना के शुभारम्भ को लेकर जिला प्रशासन एवं विभागीय अधिकारियों के साथ लम्बी चर्चा की गई। डॉ. रावत ने बताया कि योजना का शुभारम्भ इसी माह के अंतिम सप्ताह में केन्द्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री के हाथों किया जाना प्रस्तावित है। प्रथम चरण में राज्य के चार पर्वतीय जिलों पौड़ी, रूद्रप्रयाग, अल्मोड़ा एवं चम्पावत में मुख्यमंत्री घसियारी कल्याण योजना का संचालित की जायेगी, इसके लिए विभागीय स्तर पर तैयारियां पूरी कर ली गई हैं। सहकारिता विभाग के अधिकारियों को पशुपालकों को उपलब्ध कराये जाने वाले पशु आहार (साइलेज) के 25 से 30 किलों के वैक्यूम पैक्ड बैग तैयार करने के निर्देश दे दिये गये हैं।

जिनको सहकारी समितियों के माध्यम से रियायती दरों पर पशुपालकों को उपलब्ध कराया जायेगा। दुधारू पशुओं के लिए तैयार किये गये इस पौष्टिक आहार को हरा चारा, मक्का दाना व सूखे भूसे से तैयार किया गया है। जो पशुओं के लिए पौष्टिक एवं स्वास्थ्य वर्धक होने के साथ ही 15 से 20 प्रतिशत दुग्ध उत्पादन में बढ़ोत्तरी करेगा।

बैठक में केन्द्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री अमित शाह के कार्यक्रम को लेकर चल रही तैयारियों की भी समीक्षा की गई। जिसके तहत जिला प्रशासन व विभागीय अधिकारियों को केन्द्रीय गृह मंत्री के प्रोटोकॉल के अनुरूप तैयारी रखने के निर्देश दे दिये गये हैं। केन्द्रीय गृह मंत्रालय से कार्यक्रम की तिथि मिलते ही तैयारियों को अंतिम रूप दे दिया जायेगा। डॉ. रावत ने बताया कि केन्द्रीय गृह मंत्री मुख्यमंत्री घसियारी कल्याण योजना के साथ ही प्रदेश के सभी 670 पैक्स समितियों के कम्प्युटराइजेशन, विभागीय पत्रिका ‘सहकार से समृद्धि’ तथा दीनदयाल उपाध्याय किसान कल्याण योजना के लाभार्थियों के चैक विरतण का भी शुभारम्भ करेंगे।

बैठक में जिलाधिकारी देहरादून डॉ0 आर. राजेश कुमार, डीआईजी जन्मेजय खंडूडी, सीडीओ नीतिका खंडेलवाल, निबंधक सहकारिता आनंद स्वरूप, अपर निबंधक ईरा उप्रेती, आनंद शुक्ला, उप निबंधक एम.पी.त्रिपाठी, सहायक निबंधक राजेश चौहान सहित अन्य विभागीय अधिकारी उपस्थित रहे।

छात्रों के सपनों को पंख देगी नई शिक्षा नीति: प्रो. पंवार

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देहरादून, राज्य में राष्ट्रीय शिक्षा नीति के क्रियान्वयन एवं पाठ्यक्रम निर्धारण को लेकर श्रीदेव सुमन उत्तराखंड विश्वविद्यालय के तत्वाधान में एक दिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया गया। साईं इंस्टिट्यूट ऑफ पैरामेडिकल साइंसेज कालेज में नई शिक्षा नीति एवं व्यवसायिक पाठ्यक्रम निर्माण एवं क्रियान्वयन विषय पर आयोजित कार्यशाला में के विषय विशेषज्ञों ने प्रतिभाग कर अपने सुझाव रखे।

श्रीदेव सुमन उत्तराखंड विश्वविद्यालय के तत्वाधान में ‘नई शिक्षा नीति एवं व्यवसायिक पाठ्यक्रम निर्माण एवं क्रियान्वयन’ विषय पर आयोजित एक दिवसीय कार्यशाला में विश्वविद्यालय के नव नियुक्त कुलसचिव प्रोफेसर मोहन सिंह पंवार कहा कि नई शिक्षा नीति छात्र-छात्राओं के सपनों को पंख देगी। उन्होंने कहा कि नई नीति में ज्ञान आधारित सृजनात्मकता व रचनात्मकता का खाका है। इस नीति में शिक्षा पद्धति में सुधार, नवाचार व अनुसंधान के साथ मनुष्य निर्माण पर जोर दिया गया है। नई शिक्षा नीति भारत केंद्रित एवं विद्यार्थी केंद्रित है। यह पूरी तरह भारतीय ज्ञान परंपरा पर आधारित है। प्रोफेसर पंवार ने कहा कि इस कार्यशाला का उद्देश्य नई नीति के अंतर्गत प्रदेश के उच्च शिक्षण संस्थानों हेतु व्यवसायिक पाठ्यक्रमों का निर्माण एवं उसका क्रियान्वयन करना है। उन्होंने कहा कि श्री देव सुमन उत्तराखंड विश्वविद्यालय में रोजगारपरक पाठ्यक्रम स्थानीय व राज्य के बेरोजगारों के हितों को ध्यान में रखते हुए तैयार किए जाएंगे। विश्वविद्यालय द्वारा संचालित सर्टिफिकेट तथा डिप्लोमा पाठ्यक्रमों में स्थानीय युवाओं की जरूरतों का विशेष ध्यान रखा जाएगा। प्रोफेसर पंवार ने कहा कि राज्य के बेरोजगारों को स्किल्ड शिक्षा का प्रावधान कर पाठ्यक्रम तैयार किये जा रहे हैं, शीघ्र ही लगभग 70 से अधिक पाठ्यक्रम तैयार कर लिये जाएंगे, जिससे न केवल राज्य के बेरोजगारों को रोजगार पाने में सहायता मिलेगी बल्कि वैश्विक स्तर पर भी लाभकारी होंगे। उन्होंने कहा कि नई शिक्षा नीति के क्रियान्वयन हेतु 70% पाठ्यक्रम का कलेवर यूजीसी के अनुरूप एवं 30% पाठ्यक्रम में क्षेत्रीय स्तर की अपेक्षाओं के अनुरूप तैयार किया जाना है। जिसमें गांव को गोद लिया जाना भी एक प्राथमिकता है।

कार्यशाला में बतौर मुख्य अतिथि हिमालयन विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफ़ेसर जे.पी. पचौरी ने कहा कि शिक्षक को हमेशा सीखते रहना चाहिए क्योंकि कोई भी हर कार्य में निपुण नहीं होता, नई शिक्षा नीति में तीन बातें महत्वपूर्ण है, सार्वभौमिकता, व्यवसायिकता व पेशेवर नजरिया .
वर्तमान नीति के तहत 40% तकनीकी स्नातक रोजगार के लिए फिट नहीं हैं, इस शिक्षा नीति में कुछ व्यवहार खामियां भी है क्लस्टर नीति अपनाकर क्लस्टर मैटरिंग प्रणाली के माध्यम से इस नीति को सफल बनाया जा सकता है।

कार्यशाला में श्री देव सुमन उत्तराखंड विश्वविद्यालय परिसर, ऋषिकेश के कला संकाय के संकायध्यक्ष प्रो.डी.सी. गोस्वामी, भौतिक विज्ञान की प्रोफेसर डॉ सुमिता श्रीवास्तव, वाणिज्य संकाय के संकायाध्यक्ष प्रो० राजमणि पटेल,
राजकीय महाविद्यालय बड़कोट के प्राचार्य प्रो. ए. के. तिवारी , प्रो० गुलाटी, प्रो० उपाध्याय, प्रो० जुयाल ने नई शिक्षा नीति पर अपने विचार रखे। इस कार्यशाला का संचालन सहायक परीक्षा नियंत्रक डॉ हेमंत बिष्ट ने किया।
इस अवसर पर विश्वविद्यालय के उप कुलसचिव डॉ खेमराज भट्ट, सहायक कुलसचिव देवेंद्र सिंह रावत व विभिन्न महाविद्यालयों के प्राचार्य, एवं विभिन्न विषयों के विषय विशेषज्ञ उपस्थित रहे।

पेट्रोल और डीजल के बाद अब बढ़ेंगे CNG और घरेलू गैसों के दाम! जानिए क्या है वजह

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ईंधन की कीमतों में वृद्धि के बाद, इस साल खाना पकाने और परिवहन के लिए उपयोग की जाने वाली गैस की कीमतें बढ़ने की उम्मीद है, जिससे भारत में उपभोक्ताओं को सीएनजी और पीएनजी की बढ़ी हुई दरों का सामना करना पड़ेगा. आईसीआईसीआई सिक्योरिटीज द्वारा किए गए गैस बाजार के आकलन के अनुसार, गैस वायदा बाजार में कीमतें वित्त वर्ष 23 की पहली छमाही में यूएस 4.1 डॉलर/ एमएमबीटीयू से यूएस 7.35 डॉलर / एमएमबीटीयू और अन्य यूएस 3.6 डॉलर / एमएमबीटीयू (49 प्रतिशत) से यूएस 10.95 डॉलर / एमएमबीटीयू तक बढ़ने का अनुमान है.

इसका मतलब यह होगा कि सीएनजी और पीएनजी की आपूर्ति करने वाली तीन प्रमुख कंपनियों – ग्रीन गैस (जीजीएल), महानगर गैस (एमजीएल) और इंद्रप्रस्थ गैस (आईजीएल) को अप्रैल-अक्टूबर, 2022 में सीएनजी की कीमतों में 50-56 फीसदी की बढ़ोतरी करनी होगी. अपने मार्जिन को ऊंचे स्तर पर बनाए रखने के लिए एपीएम गैस की कीमतों में वृद्धि पर ध्यान दे रहा है. वित्त वर्ष 17-22 में एपीएम गैस की कीमत 2.3-3.8 यूएस डॉलर/ एमएमबीटीयू थी और वित्त वर्ष 22 की पहली छमाही में 2 यूएस डॉलर / एमएमबीटीयू से नीचे थी. यह वित्त वर्ष 22 की छमाही में 1.22 यूएस डॉलर / एमएमबीटीयू (62 प्रतिशत) बढ़कर 3.22यूएस डॉलर / एमएमबीटीयू हो गया.

दिलचस्प बात यह है कि सीएनजी और पीएनजी बाजारों में गैस आपूर्तिकतार्ओं ने अपर्याप्तता के दौरान पाइप्ड प्राकृतिक गैस और संपीड़ित प्राकृतिक गैस की कीमतों में संशोधन न करने के कारण महामारी की अवधि में उच्च मार्जिन बनाया है, जब मांग लॉकडाउन के कारण वैश्विक स्तर पर गैस की कीमतें गिर गई थीं. वास्तव में, सीजीडी मार्जिन वित्त वर्ष 2014 से 44-130 प्रतिशत और दिसंबर, 2019 से 21-84 प्रतिशत ऊपर है क्योंकि गैस की लागत में गिरावट को पारित नहीं किया गया है. ब्रोकरेज रिपोर्ट में कहा गया है कि सीजीडी दिसंबर 2019 के बाद से पूरी तरह से गिरावट से नहीं गुजरे हैं और अवसरों पर, मार्जिन को बढ़ावा देने के लिए कीमतों में बढ़ोतरी की गई है.

(इनपुट आईएएनएस)

दिल्ली में हो रही बारिश, यूपी और हरियाणा समेत देश के इन हिस्सों में भी आज बरसेंगे बदरा

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नई दिल्ली, एजेंसियां। देश की राजधानी दिल्ली के कई इलाकों में गरज के साथ बारिश हो रही है। इसके साथ ही मौसम विभाग ने अगले कुछ घंटों में दिल्ली-एनसीआर के कई इलाकों में बारिश होने का अनुमान जताया है। भारतीय मौसम विज्ञान विभाग (IMD) के अनुसार दिल्ली व उत्तर प्रदेश के नोएडा, गाजियाबाद, मोदीनगर, छपरौला, गंगोह, यमुनानगर के आसपास के कुछ स्थानों पर गरज के साथ हल्की बारिश हो सकती है। इसके साथ ही हरियाणा के फरीदाबाद, तोशाम, हांसी, नारनौल, कुरुक्षेत्र, करनाल व कैथल के इलाकों में हल्की बारिश होने का अनुमान है। मौसम विभाग के अनुसार उत्तराखंड, हरियाणा, चंडीगढ़, दिल्ली, पश्चिमी उत्तर प्रदेश और राजस्थान में रविवार को गरज के साथ हल्की बारिश होने की संभावना है। इसके साथ ही इस दौरान इन सभी क्षेत्रों में 30 से 40 किलोमीटर प्रति घंटा की रफ्तार से हवा चलने की उम्मीद है।

मध्य प्रदेश में दो दिन बाद सर्द हवाएं बढ़ाएंगी सिहरन

वर्तमान में एक पश्चिमी विक्षोभ जम्मू-काश्मीर और उसके आसपास सक्रिय है। पाकिस्तान के मध्य में एक प्रेरित चक्रवात बना हुआ है। पश्चिमी विक्षोभ के असर से जहां उत्तर भारत के पहाड़ों पर बर्फबारी शुरू हो गई है, वहीं पंजाब और राजस्थान में बारिश होने की संभावना बढ़ गई है। पाकिस्तान पर बने सिस्टम के कारण हवाओं का रुख बदल गया है। पश्चिमी, दक्षिण-पश्चिमी हवाएं चलने के कारण मध्य प्रदेश में आंशिक बादल छाने लगे हैं। इससे दिन के तापमान में तो गिरावट हो रही है, लेकिन रात के तापमान में मामूली बढ़ोतरी दर्ज होने लगी है। मौसम विज्ञानियों के मुताबिक दो दिन बाद हवाओं का रुख बदलकर उत्तरी होने की संभावना है। इसके बाद बर्फीली हवाएं वातावरण में सिहरन पैदा करेंगी।

तमिलनाडु और केरल में भी जारी किया गया बारिश का अलर्ट

दक्षिण भारत के अलग-अलग स्थानों पर भी गरज के साथ भारी बारिश होने की संभावना है। सोमवार और मंगलवार को तमिलनाडु के छिटपुट स्थानों पर बारिश का अनुमान है। केरल में भी सोमवार को भारी बारिश होने का अलर्ट जारी किया गया है।

बता दें कि पिछले दिनों देश के कई राज्यों में जोरदार बारिश हुई थी। इस बारिश से सबसे ज्यादा जानमाल का नुकसान उत्तराखंड में देखने को मिला। उत्तराखंड में कई लोगों की जानें चली गई थीं। इसके साथ ही जनजीवन भी अस्त व्यस्त हो गया था।

अफगानिस्तान ने रोजगार को बढ़ावा देने, खाद्य संकट से निपटने की योजना का खुलासा किया

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तालिबान के नेतृत्व वाली अफगान सरकार के कृषि, सिंचाई पशुधन मंत्रालय ने रविवार को युद्धग्रस्त देश में लगातार बढ़ती गरीबी बेरोजगारी के बीच रोजगार पैदा करने संभावित खाद्य संकट से लड़ने के लिए एक योजना शुरू की।
कृषि मंत्री, सिंचाई पशुधन अब्दुल रहमान राशिद ने संवाददाताओं से कहा, कृषि, सिंचाई पशुधन मंत्रालय ने आज खाद्य संकट को रोकने, गरीबी कम करने रोजगार के अवसर पैदा करने के लिए एक राष्ट्रव्यापी योजना शुरू की। सभी के लिए समान समृद्धि को बढ़ावा देने के लिए सरकार द्वारा जल्द ही कदम उठाए जाएंगे ।

समाचार एजेंसी सिन्हुआ ने राशिद के हवाले से कहा कि तालिबान कार्यवाहक सरकार के मंत्रिपरिषद द्वारा अनुमोदित किए जाने के बाद योजना शुरू की गई है।

उन्होंने कहा कि राष्ट्रव्यापी योजना के तहत मंत्रालय ने काबुल प्रांत में काम के बदले भोजन कार्यक्रम शुरू किया है, जहां देश की राजधानी है।

उन्होंने कहा, मंत्रालय ने आज काबुल में एक काम के बदले भोजन कार्यक्रम शुरू किया है। 40,000 से अधिक लोगों को रोजगार प्रदान किया जाएगा, उन्हें काम करने पर गेहूं मिलेगा, इस पहल को अन्य प्रांतों में विस्तारित किया जाएगा।

अगस्त में अफगानिस्तान में तालिबान के कब्जे के बाद से आर्थिक स्थिति खराब हो गई है, जो उच्च बेरोजगारी बढ़ती गरीबी के साथ स्थानीय निवासियों पर एक बड़ा आर्थिक बोझ है।

संयुक्त राष्ट्र की एजेंसियां, सहायता समूह कई गैर-सरकारी संगठन भी सर्दी से पहले संकटग्रस्त अफगानों को जीवन रक्षक सहायता आपूर्ति देने के कोशिश में हैं।