Monday, May 12, 2025
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जी.आर.डी के पांच छात्र/छात्राओं को मिलें उत्तराखण्ड तकनीकी विश्वविद्यालय के दीक्षान्त समारोह में मेडल

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देहरादून- राजधानी के प्रतिष्ठित कॉलेज गुरु राम दास इंस्टिट्यूट ऑफ़ मैनेजमेंट एंड टेक्नोलॉजी, देहरादून के पांच छात्र छात्राओं ने शिक्षा के क्षेत्र में राज्य स्तर की मेरिट लिस्ट में झण्डे गाड़ दिए है ! जिन्हे आज उत्तराखण्ड तकनीकी विश्वविद्यालय के दीक्षान्त समारोह में मेरिट मैडल मिलें !

बी.टेक सिविल इंजीनियरिंग की शिवानी नेगी ने पुरे उत्तराखंड को टॉप किया है उन्हें सिविल इंजीनियरिंग में गोल्ड मैडल मिला ! साथ ही भाव्या गुप्ता को ऍम.फार्मा (फार्माकोलॉजी) में गोल्ड मेडल, आरती कुमारी पांडेय को ऍम.फार्मा (फार्मासुटीक्स) में गोल्ड मेडल, ऊर्वशी गर्ग को ऍम.फार्मा (फार्माकोलॉजी) में सिल्वर मैडल एवं अयुश कश्यप को बी.टेक इलेक्ट्रिकल एवं इलेक्ट्रॉनिक्स में ब्रोंज मैडल प्रदान किये गए !

संस्थान के वाईस चेयरमैन श्रीं इंदरजीत सिंह ने पांच मेडल मिलने पर सभी शिक्षकों को धन्यवाद किया एवं आगे और मैडल आने की शुभ कामनाये दी ! उन्होंने संस्थान की और से मेधावी छात्र-छात्राओं को सभी सुविधाएं देने का वायदा किया !

महानिदेशक डॉ. पंकज चौधरी ने मेरिट लिस्ट में आये सभी छात्र-छात्राओं की सफलता का श्रेय उनकी एवं उनके शिक्षकों की कड़ी मेहनत एवं लगन को दिया ! भाव्या गुप्ता ने पुरे प्रदेश में प्रथम स्थान पाने पर खुशी जाहीर की एवं कहा कि लग्न एवं मेहनत से कोई भी सपना पूरा किया जा सकता है !

शिवानी नेगी ने पुरे उत्तराखंड को टॉप करने पर विशेष खुशी जाहिर करते हुए कहा कि उत्तराखंड के सुदूर क्षेत्रों की प्रतिभाओ को निखारने का मौका देकर जी आर. डी. संस्थान ने अति विसिष्ट कार्य किया है !

गूगल मैप्स ने किए बड़े बदलाव, अब मुफ्त मिलेंगी यह सेवाएं

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नई दिल्ली,  गूगल ने भारतीय डेवलपर्स को अपने मैप्स प्लेटफॉर्म से अधिक सुविधाएं प्रदान करने की घोषणा की है, जिसमें रूट्स, स्थान और एनवायरनमेंट एप्लीकेशन प्रोग्रामिंग इंटरफेस (एपीआई) और सॉफ्टवेयर डेवलपमेंट किट (एसडीके) तक निशुल्क पहुंच शामिल है।
1 मार्च, 2025 से डेवलपर्स को मासिक सीमा तक मैप्स, रूट्स, स्थान और एनवायरमेंट प्रोडक्ट्स तक मुफ्त पहुंच प्राप्त होगी, जिससे उन्हें बिना किसी अग्रिम लागत के निकटवर्ती स्थान और डायनामिक स्ट्रीट व्यू जैसे विभिन्न उत्पादों को आसानी से एकीकृत कर पाएंगे।
गूगल मैप्स प्लेटफॉर्म के प्रोडक्ट मैनेजमेंट के वरिष्ठ निदेशक टीना वेयंड ने कहा, भारत में इसका मतलब यह है कि आज हम जो 200 डॉलर का मासिक क्रेडिट प्रदान करते हैं, उसके स्थान पर डेवलपर्स जल्द ही हर महीने 6,800 डॉलर तक की वैल्यू की मुफ्त सेवाओं का उपयोग कर पाएंगे।
इससे डेवलपर्स को बेहतर समाधान बनाने और बिना किसी लागत के गूगल एपीआई और एसडीके के साथ प्रयोग करने की सुविधा मिलेगी। डेवलपर्स को केवल तभी भुगतान करना होगा जब वे फ्री उपयोग की सीमा पार कर लेंगे।
गूगल मैप्स प्लैटफॉर्म का भारत में उपयोग डिलीवरी से लेकर ट्रैवल ऐप बनाने में किया जाता है।
वेयंड ने कहा, भारत में हमारी कवरेज 70 लाख किलोमीटर से ज्यादा की सडक़ों, 30 करोड़ इमारतों और 3.5 करोड़ व्यवसायों और स्थानों तक फैली हुई है।
टेक दिग्गज की ओर से कहा गया कि गूगल मैप्स प्लेटफॉर्म ने हाल ही में भारत में विशिष्ट मूल्य निर्धारण की शुरुआत की है। इसमें अधिकांश एपीआई पर 70 प्रतिशत तक कम मूल्य निर्धारण और ओपन नेटवर्क फॉर डिजिटल कॉमर्स (ओएनडीसी) के साथ सहयोग शामिल है, जो डेवलपर्स को चुनिंदा गूगल मैप्स प्लेटफॉर्म एपीआई पर 90 प्रतिशत तक की छूट प्रदान करता है।
कंपनी ने कहा कि इन परिवर्तनों के परिणामस्वरूप कई डेवलपर्स के बिलों में आधे से भी अधिक की कमी आई है और छोटे डेवलपर्स के बिलों में तो और भी बड़ी कमी आई है।

देश के 140 करोड़ लोगों के मन में जो ‘अजेय भारत’ का विश्वास है, उसका पूरा श्रेय सीमा पर खड़े जवानों को जाता है- अमित शाह

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साहस, शौर्य और बलिदान के बल पर BSF ने देश के ‘फर्स्ट लाइन ऑफ़ डिफेंस’ को मजबूत बनाया

नई दिल्ली :- राजस्थान के जोधपुर में सीमा सुरक्षा बल के 60वें स्थापना दिवस समारोह परेड में बतौर मुख्य अतिथि अपनी उपस्थिति दर्ज करते हुए केंद्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री अमित शाह ने यह स्पष्ट किया कि, ‘देश के 140 करोड़ लोगों के मन में जो ‘अजेय भारत’ का विश्वास है, उसका पूरा श्रेय सीमा पर खड़े जवानों को जाता है।’ प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के कुशल मार्गदर्शन में बीते कुछ वर्षों में आंतरिक सुरक्षा से लेकर सीमा सुरक्षा तक की दिशा में एक बड़ा परिवर्तन देखने को मिला है, और इस बात को पूरी दुनिया ने देखा है।

60 सालों से साहस, शौर्य और बलिदान के दम पर सीमा सुरक्षा बल ने न केवल देश की फर्स्ट लाइन ऑफ डिफेंस को ताकतवर बनाने का काम किया है, बल्कि सीमा पर आने वाली सभी चुनौतियों का मुकाबला कर देश की सुरक्षा की प्रथम पंक्ति को सशक्त भी किया है। 1 दिसंबर, 1965 से लेकर आज तक सीमा सुरक्षा बल ने निरंतर देश की पूर्वी और पश्चिमी सीमा की सुरक्षा को चाक-चौबंद रखने का काम किया है। शाह ने पूरे देश को यह संदेश दिया कि देश की सुरक्षा के लिए अपने प्राणों का बलिदान करने वाले जवानों का देश की जनता सदैव ऋणी रहेगी। एक समय में 25 बटालियन से शुरू हुआ यह बल आज 193 बटालियन तक पहुँच गया है, जिसमें 2 लाख 70 हजार जवान की संख्या है जो विश्व का सबसे बड़ा सीमारक्षक बल है। सीमा सुरक्षा बल के जवानों ने साल 2024 में भी जाली मुद्रा, नारकोटिक्स, घुसपैठ और वामपंथी उग्रवाद के खिलाफ लड़ने का अपना रिकॉर्ड अनेक अभियानों के माध्यम से बरकरार रखा है। देश की प्रथम रक्षा पंक्ति के रूप में 1,992 सीमा प्रहरियों ने अपने प्राणों की आहुति दी है और अब तक उनमें से 1,330 जवानों को पदक दिए गए हैं। इनमें 1 महावीर चक्र, 6 कीर्ति चक्र, 13 वीर चक्र, 13 शौर्य चक्र, 56 सेना मेडल और 1,241 पुलिस पदक शामिल हैं।

टीएचडीसीआईएल ने टिहरी में राष्ट्रीय स्तर के वाटर स्पोर्ट्स कप 2024 का शुभारंभ किया

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ऋषिकेश – टीएचडीसी इंडिया लिमिटेड, विद्युत क्षेत्र के अग्रणी सार्वजनिक उपक्रम, के तत्वावधान में उत्तराखंड के टिहरी गढ़वाल में स्थित टिहरी झील में तीसरे टिहरी वाटर स्पोर्ट्स कप 2024 का 10 दिसंबर, 2024 को हर्षोल्लास के साथ शुभारंभ हुआ। इस कार्यक्रम का उद्घाटन उत्तराखंड की माननीय महिला सशक्तीकरण, बाल विकास, खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति, उपभोक्ता मामले, खेल एवं युवा कल्याण मंत्री, श्रीमती रेखा आर्य ने दीप प्रज्ज्वलित कर किया। उन्होंने स्वस्थ जीवन शैली और राष्ट्र के समावेशी विकास को बढ़ावा देने में खेलों की महत्वपूर्ण भूमिका पर प्रकाश डाला। उन्होंने खेल उत्कृष्टता को बढ़ावा देने और इस तरह की असाधारण पहल के माध्यम से खिलाडि़यों को एक बड़ा एवं महत्वपूर्ण मंच प्रदान करने के लिए टीएचडीसी इंडिया लिमिटेड की सराहना की। उन्होंने राज्य के पर्यटन को बढ़ावा देने और उत्तराखंड के युवाओं के लिए नए अवसर पैदा करने में इन साहसिक एवं रोमांचक खेलों की भूमिका पर भी जोर दिया। वाटर स्पोर्ट्स कप के उद्घाटन समारोह में श्री विनोद कंडारी (माननीय विधायक, देवप्रयाग), श्री विक्रम सिंह नेगी (माननीय विधायक, प्रतापनगर) और अन्य गणमान्य व्यक्ति भी उपस्थित थे। देवप्रयाग और प्रतापनगर के माननीय विधायकों ने उत्तराखंड के सामाजिक-आर्थिक विकास में टीएचडीसी इंडिया लिमिटेड के महत्वपूर्ण योगदान की सराहना की, विशेष रूप से राज्य की खेल पहलों पर इसके सकारात्मक प्रभाव और टिहरी क्षेत्र के उत्थान की दिशा में निगम के प्रयासों पर प्रकाश डाला।

टीएचडीसी इंडिया लिमिटेड के अध्यक्ष एवं प्रबंध निदेशक, श्री आर.के. विश्नोई ने खेल उत्कृष्टता और सामाजिक विकास को बढ़ावा देने में निगम की महत्वपूर्ण भूमिका पर गर्व करते हुए कहा कि टीएचडीसी ने हमेशा से लोगों और समाज को सुदृढ़ता प्रदान करने में खेलों की परिवर्तनकारी शक्ति में विश्वास किया है। इस तरह के बड़े आयोजनों की मेजबानी के माध्यम से हम न केवल खिलाडि़यों को अपनी प्रतिभा दिखाने के लिए एक मंच प्रदान करते हैं, बल्कि क्षेत्र के समग्र विकास में भी योगदान देते हैं।”

उन्होंने कहा कि टिहरी में राष्ट्रीय स्तर के वाटर स्पोर्ट्स के आयोजन से लेकर अत्याधुनिक सुविधाओं के साथ हाई परफॉर्मेंस एकेडमी की स्थापना तक, टीएचडीसी को नवाचार, सततता और सामाजिक प्रभाव को एकीकृत करने वाली पहलों का नेतृत्व करने पर गर्व है। कोटेश्वर, टिहरी में हमारी हाई परफॉर्मेंस एकेडमी, कयाकिंग और कैनोइंग एथलीटों को राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर उत्कृष्टता प्राप्त करने के लिए उन्नत उपकरण और वैज्ञानिक प्रशिक्षण प्रदान करके उन्हें विकसित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी।”

टीएचडीसी इंडिया लिमेटेड के निदेशक (कार्मिक), श्री शैलेंद्र सिंह ने भी इस कार्यक्रम में भाग लिया और युवा प्रतिभाओं को बढ़ावा देने तथा खेल भावना को बढ़ावा देने के महत्व पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि टिहरी झील भारत में जल क्रीड़ा के लिए एक प्रमुख केंद्र के रूप में तेजी से उभर रही है और हम इस यात्रा का हिस्सा बनकर सम्मानित महसूस कर रहे हैं। टिहरी झील में राष्ट्रीय स्तर के वाटर स्पोर्ट्स टूर्नामेंट के आयोजन से न केवल इस क्षेत्र का नाम राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर रोशन हुआ है, बल्कि पर्यटन को बढ़ावा देने और क्षेत्र के सामाजिक-आर्थिक उत्थान में भी योगदान दिया है। हम इस चैंपियनशिप को खेल उत्कृष्टता का एक मानक बनाने के लिए प्रतिबद्ध हैं जो एथलीटों की आकांक्षाओं और क्षेत्र के उत्साह को दर्शाता है। इस अवसर पर श्री प्रशांत कुशवाहा, अध्यक्ष(आईकेसीए), डॉ. डी. के. सिंह, श्री एल. पी. जोशी, कार्यपालक निदेशक (टिहरी कॉम्प्लेक्स) एवं डॉ. ए. एन. त्रिपाठी, महाप्रबंधक (मा. सं एवं प्रशा.) भी उपस्थित रहे।

इस चैंपियनशिप ने देश भर के 22 राज्यों और विभिन्न सेवा संस्थानों के 500 से अधिक एथलीट, कोच और टीम मैनेजर को एक साथ लाने का महत्वपूर्ण अवसर प्रदान किया । इस चार दिवसीय आयोजन में राष्ट्रीय खेल 2024 के लिए क्वालीफाइंग चैंपियनशिप के लिए प्रतियोगिताएं भी आयोजित होंगी। टीएचडीसी इंडिया लिमिटेड द्वारा भारतीय कयाकिंग और कैनोइंग एसोसिएशन (आईकेसीए), उत्तराखंड ओलंपिक एसोसिएशन और उत्तराखंड कयाकिंग और कैनोइंग एसोसिएशन के सहयोग से आयोजित यह कार्यक्रम क्षेत्र में खेल उत्कृष्टता और साहसिक एवं रोमांचक खेलों को बढ़ावा देने के लिए समर्पित कई हितधारकों के सामूहिक प्रयासों को उजागर करता है।

माल्टा उत्पादकों चेहरे पर खुशी के लिए दीर्घकालिक योजना जरूरी

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-एप्पल मिशन की तरह सिट्रस मिशन को उत्तराखंड में किया जाए लाॅन्च
-हरेला गांव-धाद का 12 जनवरी तक चलने वाला वार्षिक आयोजन माल्टे का महीना शुरू
-उत्तराखंड हिमालय के फल उत्पादन और बाजार के सवाल पर हरेला गांव-धाद की होंगी विभिन्न गतिविधि
-उद्यान विशेषज्ञ डा. राजेंद्र कुकसाल, किसान बीर भान सिंह और डा. तेजपाल बिष्ट ने रखे विचार

देहरादून (मुख्य संवाददाता), उत्तराखंड हिमालय में फलों के उत्पादन और बाजार के सवाल पर धाद संस्था की ओर से हरेला गांव-धाद का वार्षिक आयोजन माल्टा के महीना शुरू हो गया। विशेषज्ञों ने कहा कि सरकार को चाहिए कि दीर्घकालिक योजना तैयार करें ताकि माल्टा उत्पादकों चेहरे पर खुशी हो। एप्पल मिशन की तरह सिट्रस मिशन को उत्तराखंड में लाॅन्च किया जाना चाहिए।
एक महीने तक चलने वाले इस अभियान में विभिन्न जिलों में लोगों के साथ चर्चा कर माल्टा की महत्ता और बाजार का सही मूल्य के लिए जागरूक किया जाएगा। विशेषज्ञों की ओर से सुझाव भी दिए जाएंगे।
मंगलवार को लैंसडौन चौक स्थित दून पुस्तकालय एवं शोध केंद्र में अभियान की शुरूआत की गई। माल्टा के बहाने: पहाड़ के फल और उनकी आर्थिकी का सवाल विषय पर वक्ताओं ने अपनी बात रखी। बागवानी की आर्थिकी पर भी गहनता से चर्चा हुई।
उद्यान विशेषज्ञ डा. राजेंद्र कुकसाल ने कहा कि विगत तीन दशक से नवम्बर-दिसम्बर माह आते ही हर वर्ष विपणन की समस्या को लेकर माल्टा फल चर्चाओं में रहा है। गढ़वाल और कुमाऊं मंडल विकास निगम को स्पेशल रिवाल्विंग फंड देकर माल्टा बेचने, रुद्रप्रयाग के तिलवाड़ा में गढ़वाल मंडल विकास निगम की ओर से माल्टा फल के प्रोसेसिंग करने, अल्मोड़ा के मटैला में कोल्ड स्टोरेज स्थापित करने, किसानों को कलेक्शन सेंटर पर पहुंचाने पर सात से 10 रुपये प्रतिकिलो समर्थन मूल्य देने की बात समय समय पर हुई। गत वर्ष उत्तराखंड के माल्टा से गोवा में बनेगी वाइन, माल्टा को जीआई टैग आदि इतने सारे सरकारों के प्रयास, दावे के बाद भी इस वर्ष भी माल्टा उत्पादकों के चेहरे अच्छे भाव न मिल पाने के कारण उदास हैं।
उन्होंने कहा कि सरकार को चाहिए कि दीर्घकालिक योजना तैयार करें ताकि माल्टा उत्पादकों चेहरे पर खुशी हो। उत्तराखंड के पहाड़ी जनपदों में 1000 मीटर से 2000 मीटर तक की ऊंचाई वाले स्थानों में माल्टा के बाग देखने को मिलते हैं। उद्यान विभाग के फल उत्पादन के वर्ष 2023 के आंकड़ों के अनुसार राज्य में नींबू वर्गीय फलों (माल्टा संतरा कागजी नींबू)के अंतर्गत क्षेत्र फल 9992 हेक्टेयर और उत्पादन 36912 मैट्रिक टन दर्शाया गया है जबकि 2019-20 के फल उत्पादन आंकड़ों में राज्य में नींबू वर्गीय फलों के अंतर्गत कुल क्षेत्रफल 21739 हेक्टेयर जबकि उत्पादन 91177 मैट्रिक टन रहा। राज्य सरकार ने विगत वर्ष माल्टा के सी-ग्रेड फलों का न्यूनतम समर्थन मूल्य नौ रुपया प्रति किलो निर्धारित किया, जो कि बहुत ही कम है। इस दर पर माल्टा फल उत्पादक जनपदों में बनाए गए कलेक्शन सेंटरों तक माल्टा फल लाने को तैयार नहीं है।
उन्होंने माल्टा के स्वास्थ्यवर्धक और औषधीय गुण के बारे में भी बताया। कहा कि माल्टा में विटामिन-सी प्रचुर मात्रा में पाई जाती है। इसमें एंटीसेप्टिक, एंटी आक्सीडेट गुणों के साथ साथ यह शरीर को डी टोक्स करने में भी मदद करता है। इसमें प्रोटीन, आयरन, फाइबर और विटामिन भरपूर मात्रा में पाया जाता है। माल्टा का छिलका सौंदर्य प्रसाधन में उपयोग किया जाता है। माल्टा के फल, छिलके, रस और बीज के तेल से कई तरह की दवाएं बनाई जाती हैं।
उद्यमी और प्रगतिशील किसान बीर भान सिंह ने कहा कि राज्य सरकार को चाहिए कि माल्टा और माल्टा के उत्पादों को हाउस आफ हिमालया के उत्पादों के साथ अच्छी ब्रांडिंग कर इसका प्रचार-प्रसार हो। राज्य में जैविक और पोषित तत्वों से भरपूर माल्टा को अभी तक राज्य सरकार की ओर से राज्य के बाहर विपणन की व्यवस्था नहीं की गई। ना ही मंडियों से संपर्क किया गया कि उत्तराखंड में यह फल प्रचुर मात्रा में है। जहां विदेशी माल्टा देशभर में 200-250 रुपये प्रतिकिलो बिक रहा है वहीं राज्य का माल्टा 30-35 रुपये तक ही पहुंच पाया है। राज्य सरकार इसे नौ रुपये के दर से क्रय कर रही है। किसान बोरियों में माल्टा को मंडियों में भेजते हैं। राज्य का मार्केटिंग बोर्ड आजतक माल्टा के लिए गत्ते के डिब्बे उपलब्ध नहीं करा पाया है। यदि फल बाेरियों में आएगा तो बिक्री भी उसी हिसाब से होगी। ऐसे में बागवानों और स्वयं सेवी संस्थाओं को साथ मिलकर इसके विपणन पर ध्यान देने की जरूरत है।
केंद्रीय विश्वविद्यालय श्रीनगर गढ़वाल के उद्यानिकी विभाग डा. तेजपाल बिष्ट ने बताया कि माल्टा के लिए राज्य में वातावरण बेहतर है। ऊंचाई के आधार पर देहरादून से चमोली और उत्तरकाशी में इसकी अधिकता है। आज जरूरत है तो मार्केटिंग और प्रोसेसिंग की। आजकल राज्य में बहुतायात में माल्टा है लेकिन, बाजार में दाम किसानों के लिए ज्यादा संतोषजनक नहीं हैं। ऐसे में एप्पल मिशन की तरह सिट्रस मिशन को उत्तराखंड में लाॅन्च करना चाहिए। माल्टा का जूस को सालभर तक पी सकें इसपर भी कार्य करने की जरूरत है। जूस के अलावा माल्टा का बाहरी छिलका में तेल व दवा बनाई जा सकती है। मध्यभाग में स्थित सफेद छिलके से शुगर कैंडी बन सकती है। उत्तराखंड में हमें एक-दो आइडल लोकेशन चयनित करने होंगे ताकि बेहतर कलेक्शन और लंबे समय तक माल्टा को रखा जा सके।
इस मौके पर अवधेश शर्मा, दिनेश भंडारी, दिनेश बौड़ाई, शेर सिंह, वीरेन्द्र सिंह असवाल, लोकेश ओहरी, रितु भारद्वाज, राजेश नेगी, पूजा चमोली, हिमांशु आहूजा, गणेश उनियाल, वीरेन्द्र खंडूरी, बिजू नेगी, बी एस खोलिया, मानवेन्द्र सिंह बर्तवाल, रोशन धस्माना, गजेंद्र भंडारी, महाबीर सिंह रावत, देवेन्द्र कांडपाल आदि उपस्थित थे।

माल्टा को बाजार और सही कीमत न मिलना चिंताजनक :

धाद के सचिव तन्मय ममगाईं ने कहा कि एक समय था जब माल्टा को सभी सरकार उसी तर्ज पर आगे बढ़ाया जैसे आजकल कीवी और एपल मिशन पर जोर दिया जा रहा है। माना गया था कि कि माल्टा पहाड़ में फल उत्पादन की आर्थिकी में बदलाव की नई इबारत लिखेगा।. लेकिन, आज जब प्रदेश में हर वर्ष लगभग 90 हजार मैट्रिक टन का उत्पादन हो रहा है तब उसका पहाड़ के आर्थिक तंत्र में योगदान न के बराबर है। बाजार और सही कीमत न मिलना भी चिंताजनक है। फलों की सही कीमत और बाजार के लिए गठित मार्केटिंग बोर्ड की भूमिका पर भी सवाल है। सामाजिक राजनीतिक क्षेत्र में इस मुद्दे को लेकर उदासीनता भी चिंताजनक है। इन सभी सवाल को लेकर हरेला गांव-धाद का वार्षिक आयोजन माल्टे के महीने आयोजित किया जा रहा है। उन्होंने बताया कि 12 जनवरी तक चलने वाले इस अभियान में माल्टे का महीने उत्तराखंड हिमालय के फल उत्पादन और बाजार के सवाल पर हरेला गांव-धाद की विभिन्न गतिविधि होगी। जहां भी माल्टा का उत्पादन हो रहा है वहां के किसानों के साथ संवाद किया जाएगा। मोहल्लों में माल्टा कचमोली का भी आयोजन होगा।

2022 में दो कुंतल तो 2023 में बढ़कर 10 कुंतल हुई बिक्री :

माल्टे का महीना : हरेला गांव-धाद का वार्षिक आयोजन पहाड़ में सर्दियों में होने वालों फलों के पक्ष पर आधारित है। इसमें फलों के उत्पादन, बाजार और आर्थिकी की बात पर केंद्रित गतिविधि होती है। उन किसानों की परेशानी को भी सामने रखते जो उत्पादन तो कर रहे हैं लेकिन सही कीमत नहीं मिल पा रहा है। अभियान में विशेषज्ञों के संवाद होते हैं। वर्ष 2022 में एक दिन का विमर्श और विक्रय का आयोजन किया गया जिसमें दो कुंतल माल्टा नारंगी की खरीददारी हुई। इसी तरह 2023 में गांधी पार्क में स्टाल लगाए और घर पहुंचाने की व्यवस्था बनाई तो संख्या बढ़कर 10 कुंतल तक पहुंचा। इस वर्ष फंची सहकारिता की मदद से मोबाइल वैन का प्रयोग कर रहे है।

कार्यक्रम में विशेषज्ञों के सुझाव :

-उत्पादित माल्टा का समर्थन मूल्य बढ़ाया जाए। वर्तमान में कम दरों पर माल्टा उत्पादक क्लेक्शन सेंटर तक माल्टा पहुंचाने में असमर्थ हैं, माल्टा उत्पादकों को मंडियों तक माल्टा भेजने के लिए ट्रांसपोर्ट सब्सिडी मिले।
-माल्टा/ अन्य फलों के विपणन के लिए उत्तराखंड औद्यानिक परिषद को सुदृढ़ व सक्रिय किया जाए। सेब की तरह ही माल्टा कीवी आदि फलों की पैकिंग के लिए पेटियां उपलब्ध कराई जाए।
-माल्टा फलों को गर्मियों तक सुरक्षित रखने के लिए माल्टा उत्पादित ऊंचे, ठडें छायादार स्थानों में आसान टैक्नोलॉजी वाले कूल हाउसों का निर्माण कराया जा सकता है।
-उत्तराखंड के माल्टा फल को जीआई टैग भौगोलिक संकेतांक मिलना राज्य सरकार की उपलब्धि है लेकिन इसका लाभ माल्टा उत्पादकों को कैसे मिलें कृषकों को इसकी कोई जानकारी नहीं है। टैग का लाभ किसानों को मिले इस दिशा में प्रयास होने चाहिए।
-जिन क्षेत्रों में उद्यान सड़क से दूर हैं फलों और सब्जियों के ढुलान के लिए रोप वे का निर्माण किया जाना चाहिए ताकि फल व सब्जी जल्दी बाजार तक पहुंच सके।

हरेला गांव है सामाजिक पहल :

धाद संस्था का हरेला गांव गांव के सवाल के पक्ष में यह सामाजिक पहल है। जिसमें खाली हो रहे गांव और खेतों के बंजर होने के सवाल पर सामाजिक सहभागिता के साथ काम किया जाता है। हरेला गांव के साथी पहाड़ के गांव के साथ खड़ा होने के साथ उसकी बेहतरी के लिए अपने सुझाव देते हैं। साथ ही हम इसमें गांव के उत्पादन, उसकी चुनौतियों और उसके बाजार के सवाल पर अलग-अलग गतिविधियों का आयोजन भी करते हैं।

नगर निकाय चुनाव की राह की आखिरी बाधा भी हटी: राज्यपाल ने दी ओबीसी आरक्षण अध्यादेश को मंजूरी

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देहरादून, उत्तराखंड़ में निकाय चुनावों क आखिरी बाधा भी हट गई है। राजभवन ने निकायों में ओबीसी आरक्षण संबंधी अध्यादेश को मंजूरी दे दी है। अब एकल सदस्यीय समर्पित आयोग की रिपोर्ट के हिसाब से ओबीसी आरक्षण लागू होगा। अनुमान लगाया जा रहा है कि दिसंबर महीने के अंत में निकाय चुनाव की अधिसूचना जारी हो सकती है।
उत्तराखंड के निकाय चुनाव के लिए अध्यादेश को विधि विभाग की हरी झंडी मिल गई थी। विभाग ने अपनी कानूनी राय राजभवन को भेजी थी। जिसके बाद राजभवन को इस पर निर्णय लेना था। निकाय चुनाव के लिए ओबीसी आरक्षण लागू किया जाना है। इसके लिए शासन ने राजभवन को कानून में बदलाव के मकसद से अध्यादेश भेजा था।
राजभवन की विधि टीम ने किसी कानून का हवाला देते हुए इसे रोक लिया था। राजभवन ने ही शासन में विधि विभाग से इस पर राय मांगी। विधि विभाग ने इसे हरी झंडी दे दी। कुछ कानूनों का हवाला देते हुए विधि विभाग ने माना है कि राजभवन चाहे तो अध्यादेश को मंजूरी दे सकता है।
अब राज्यपाल ने अध्यादेश को मंजूरी दे दी है, जिसके साथ ओबीसी आरक्षण लागू करने की प्रक्रिया तेजी से शुरू हो जाएगी। उसके बाद निकाय चुनाव होंगे।

बांग्लादेश में हिन्दुओं पर हो रहे हमलों के विरोध में सड़कों पर उमड़ा जनसैलाब

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आक्रोश रैली के दौरान दो घंटे बाजार पूर्णतः रहा बंद

देहरादून, बांग्लादेश में हो रहे हिन्दुओं पर हमलों के विरोध में विभिन्न संगठनों की आक्रोश रैली में जन सैलाब सडकों पर उतरा। व्यापारियों ने स्वेच्छा से दो घंटे बाजार पूर्णतः बन्द रखा। हिन्दूवादी संगठनों के साथ ही विभिन्न संगठनों ने बांग्लादेश में हिन्दुओं पर हो रहे हमलों के विरोध में आक्रोश रैली का आयोजन किया गया। सुबह से ही विभिन्न सामाजिक धार्मिक समस्त मठ मंदिरों ब्राहमण समाज, व्यापार मंण्डल, सफाई कर्मचारी संगठन, केमिस्ट एसोसिएशन, पलटन बाजार व अन्य दुकानदार समितियोंं के कार्यकर्ता रेंजर्स ग्राउंड में एकत्रित होने शुरू हो गये। इसके साथ ही अधिवक्ता भी अपने कार्य से विरत रहे और आक्रोश रैली को अपना पूर्ण समर्थन दिया। इस दौरान कचहरी में स्टांप वेंडर, टाइपिग आदि गतिविधियां भी पूरी तरह से बंद रही। इसके साथ ही व्यापार मंडल ने भी दो घंटे बाजार बंद रखा। उनका कहना था कि बांग्लादेश में जातीय आधार पर अल्पसंख्यकों का उत्पीडन और यातनाएं दी जा रही हैं। कटटरपंथियों की ओर से मानवाधिकारों को तिलांजलि दी जा रही है। खुलेआम मानवाधिकारों का हनन किया जा रहा है। वहां की सरकार मूक दर्शक बनी हुई है। उन्होंने कहा कि बांग्लादेश में अल्पसंख्यक हिन्दू समुदाय, विशेष रूप से महिलाओं पर निर्दयतापूर्ण और बर्बर अत्याचार किये जा रहे हैं। बंग्लादेश में मौहम्मद युनुस की अंतरिम सरकार बनने के बाद इन घटनाओं में भयावह वृद्धि देखी गयी जिसमें धर्मस्थलों पर तोडफोड, जबरन मतांतरण, घरों और व्यावसायों की लूटपाट, आगजनी, हत्याएं और महिलाओं पर गम्भीर अत्याचार शामिल हैं। जिस व्यवस्था में आतंकवादियों और अपराधियों के भी मानव अधिकारों की पैरवी अंतराष्ट्रीय स्तर पर बडे देश संस्थाएं और व्यक्ति कर रहे हो वहां हिन्दू समाज जो शांत, सहिष्णु, समन्वय और देश भक्त और प्रत्येक देश के कानून को सदैव मानने वाला रहा है। उसी समाज पर दर्दनाक अत्याचार होना व्यापक आव्रQोश का कारण बन रहा है। रैली रेंजर्स ग्राउंड से दर्शनलाल चौक, घंटाघर चौक, पलटन बाजार, धामावाला, राजारोड चौक, लक्खीबाग चौक से होते हुए प्रिंस चौक से कचहरी स्थित जिलाधिकारी कार्यालय पहुंची। जहां पर उन्होंने जिलाधिकारी के माध्यम से राष्ट्रपति व प्रधानमंत्री को ज्ञापन प्रेषित किया। इस दौरान पुलिस प्रशासन ने भी सुरक्षा के कडे इंतेजाम किये हुए थे। एसपी सिटी प्रमोद कुमार, शहर कोतवाली, कैण्ट कोतवाली बसंत विहार व पटेलनगर कोतवाली पुलिस रैली के आगे व पीछे तैनात रहे।

धारदार चाकू सहित एक गिरफ्तार

हरिद्वार, वारदात की फिराक में घूम रहे एक बदमाश को पुलिस ने धारदार चाकू सहित गिरफ्तार कर लिया है। आरोपी शातिर किस्म का बदमाश है जो पहले भी कई बार जेल जा चुका है।जानकारी के अनुसार बीती रात कोतवाली रानीपुर पुलिस गश्त पर थी। इस दौरान पुलिस जब एचआरडीसी कार्यालय पानी की टंकी के करीब पहुंची तो उसे वहंा एक संदिग्ध घूमता हुआ दिखायी दिया। पुलिस ने जब उसे रूकने का इशारा किया तो वह सकपका कर भागने लगा। इस पर उसे घेर कर दबोचा गया। तलाशी के दौरान उसके पास से एक धारदार चाकू बरामद हुआ। पूछताछ में उसने अपना नाम लविश कुमार पुत्र लक्ष्मीचन्द निवासी वाटर वर्कस कालोनी शिवलोक कोतवाली रानीपुर हरिद्वार बताया। पुलिस के अनुसार आरोपी शातिर किस्म का बदमाश है जो पूर्व में कई मामलों में जेल जा चुका है। बहरहाल पुलिस ने उसे न्यायालय में पेश कर जेल भेज दिया गया है।

विश्व आयुर्वेद सम्मेलन देहरादून में 12 दिसंबर से शुरू होगा

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4 दिवसीय सम्मेलन का मुख्य विषय है: डिजिटल स्वास्थ्य-आयुर्वेद के ज़रिए

देहरादून,  विश्व आयुर्वेद सम्मेलन (WAC 2024) और आरोग्य एक्सपो का 10वां संस्करण 12 दिसंबर से यहां शुरू हो रहा है. यह सम्मेलन मौजूदा दौर में भारत की प्राचीन और असरदार रहने वाली स्वास्थ्य प्रणाली की वैश्विक मंच पर पहचान की दिशा में ठोस कदम का वादा पूरा करती है.

अपने मुख्य विषय, ‘डिजिटल स्वास्थ्य, आयुर्वेद के ज़रिए’ के आधार पर इस चार दिवसीय कार्यक्रम में आयुर्वेद से संबंधित विभिन्न पहलुओं की चर्चा की जाएगी. आयुर्वेद में नए शोध और विकास परियोजनाओं को बेहतर तरीके से इस्तेमाल करने पर भी विचार किया जाएगा. साथ ही, मौजूदा दौर की ज़रूरतों के मुताबिक नई तकनीक के इस्तेमाल पर भी बात की जाएगी.

आयुर्वेद चिकित्सकों, शोधकर्ताओं, प्रशासकों, राजनयिकों, शिक्षकों और छात्रों के सबसे बड़े अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन का आयोजन विश्व आयुर्वेद फाउंडेशन (WAF) की ओर से होता है. यह विज्ञान भारती की एक पहल है. इस सम्मेलन का आयोजन हर दो साल पर किया जाता है.

इस मेगा-इवेंट का आयोजन आयुष मंत्रालय, भारत सरकार, उत्तराखंड सरकार और कुछ दूसरी राज्य सरकारों के साथ प्रमुख आयुर्वेदिक संस्थान और प्रतिष्ठान WAF के साथ मिलकर कर रहे हैं.

उत्तराखंड के मुख्यमंत्री  पुष्कर सिंह धामी ने कहा, ‘राज्य के लिए WAC 2024 की मेजबानी करना गर्व की बात है.’ कि उत्तराखंड प्राचीन काल से ही योग और आयुष की भूमि रही है.

मुख्यमंत्री ने उत्तराखंड को “प्रज्ञा भूमि” बताते हुए कहा कि इस खूबसूरत प्राकृतिक भूभाग में आयुर्वेद के विकास के कई कारण हैं. “यहां की शुद्ध जलवायु, उर्वर भूमि और औषधीय पौधों की बहुलता इसके प्रमुख कारण हैं. ऋषियों ने यहां आयुर्वेद से जुड़े गहन शोध और प्रयोग किए हैं,” उन्होंने कहा.

विज्ञान भारती के अध्यक्ष डॉ. शेखर मांडे ने कहा कि ‘डिजिटल स्वास्थ्य’ शब्द का अर्थ काफ़ी विस्तृत है. यह शब्द एक साथ कई दृष्टिकोण को बताता है. इसमें टेक्नोलॉजी और स्वास्थ्य सेवा को एक साथ जोड़कर काम करने का नज़रिया है.

डॉ. मांडे ने कहा कि डिजिटल हेल्थ प्लेटफ़ॉर्म का इस्तेमाल कई क्षेत्रों में किया जा सकता है. बच्चों के लिए स्वास्थ्य, जराचिकित्सा, महामारी और वैश्विक महामारी जैसे अलग-अलग क्षेत्रों में स्वास्थ्य समस्याओं में समाधान देने में बड़ी भूमिका निभाने में सक्षम है.

उन्होंने आगे कहा, ‘WAC का यह संस्करण नई तकनीक का इस्तेमाल बेहतर तरीकों के लिए कैसे हो सकता है, इस पर खास तौर पर विचार किया जाएगा. इसके लिए AI (आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस), AR (संवर्धित वास्तविकता) और ब्लॉकचेन जैसी नई तकनीक का इस्तेमाल आयुर्वेद के अलग-अलग क्षेत्रों में इस्तेमाल करने के लिए किया जा सकता है.’

इस कार्यक्रम में भाग लेने के लिए भारत से 5,500 से ज़्यादा प्रतिभागियों ने रजिस्ट्रेशन किया है. इसमें 54 देशों के 350 से अधिक प्रतिनिधि भी शामिल होंगे.

इस कार्यक्रम में 150 से अधिक तकनीकी सत्रों के साथ-साथ पैनल चर्चा होगी. इसके अलावा, 13 कला और संस्कृति से जुड़े कार्यक्रम भी होंगे. वैज्ञानिक सत्र, एक अंतर्राष्ट्रीय प्रतिनिधि सभा, स्वास्थ्य मंत्रियों का सम्मेलन, निवेशकों की बैठक भी इस दौरान होगी. गुरु-शिष्य भेंट और मेडिकल पेशे से जुड़े प्रतिनिधियों के लिए कॉनक्लेव का आयोजन होगा. सैटेलाइट सेमिनार का भी आयोजन होगा. ये सभी कार्यक्रम प्रतिनिधियों और शामिल होने वाले अतिथियों को लगातार व्यस्त रखेंगे. सम्मेलन में इस पर भी चर्चा होगी कि आयुर्वेद किस तरह से अलग-अलग स्वास्थ्य क्षेत्र की चुनौतियों के बीच समाधान दे सकता है.

इस कार्यक्रम के आयोजन में मेजबान राज्य उत्तराखंड के अलावा गुजरात, गोवा, केरल, महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश और पश्चिम बंगाल की सरकारें भी भागीदार राज्यों तौर पर हिस्सा ले रही हैं.

सम्मेलन में आयुर्वेद के प्रतिष्ठित संस्थान संरक्षक के तौर पर सहयोग कर रहे हैं. इसके अलावा, देश भर के विश्वविद्यालय सहयोगी के रूप में अपनी भागीदारी निभा रहे हैं.

आरोग्य एक्सपो में भारत और विदेशों के प्रमुख आयुर्वेदिक संस्थानों के उत्पादों और सेवाओं की प्रदर्शनी भी लगाई जाएगी. इसमें 350 से ज़्यादा स्टॉल पर 150,000 लागों के आने की उम्मीद की जा रही है.

श्री धामी के अलावा, आयुष मंत्रालय और स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय के केंद्रीय राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) श्री प्रतापराव गणपतराव जाधव, आयुष मंत्रालय के सचिव श्री वैद्य राजेश कोटेचा, WAF के मैनेजिंग ट्रस्टी डॉ. जयप्रकाश नारायण और WAC की राष्ट्रीय आयोजन समिति के अध्यक्ष और एवीएस कोट्टक्कल के मैनेजिंग ट्रस्टी डॉ. पीएम वारियर अलग-अलग सत्रों को संबोधित करेंगे.

WAF विज्ञान भारती की एक पहल है जिसकी स्थापना साल 2011 में की गई थी. इसका उद्देश्य आयुर्वेद को वैश्विक स्तर पर पहुंचाना है. साथ ही, इससे जुड़े सभी हितधारकों के सभी वर्गों से सहयोग हासिल करना भी है.WAC का पिछला संस्करण साल 2022 में गोवा की राजधानी पणजी में आयोजित किया गया था.

WAC के पिछले संस्करणों के मुख्य विषय आयुर्वेद और विश्व स्वास्थ्य, आयुर्वेद का वैश्वविक विस्तार, आयुर्वेद को मुख्यधारा में लाना, सबके लिए आयुर्वेद, आयुर्वेद के ज़रिए सार्वजनिक स्वास्थ्य को बेहतर करना, आयुर्वेद पारिस्थितिकी तंत्र को मजबूत करना, स्वास्थ्य पर ध्यान केंद्रित करना और स्वास्थ्य के लिए आयुर्वेद थे.

प्रदेश के 23 पीसीएस अधिकारियों हुये तबादले

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देहरादून, प्रदेश सरकार ने विगत दिनों आईएएस अधिकारियों के तबादले के बाद अब फिर राज्य सिविल सेवा के 30 अधिकारियों को इधर-उधर किया है तथा तत्काल इन्हें नवीन तैनाती स्थल पर पदभार ग्रहण करने के निर्देश दिए हैं ।
तत्काल प्रभाव से राज्य सिविल सेवा (कार्यकारी शाखा) के निम्नलिखित अधिकारियों को उनके नामों के सम्मुख कॉलम-3 में अंकित उनकी वर्तमान तैनाती के पदभार / विभाग से अवमुक्त करते हुए कॉलम-4 में उल्लिखित पदभार / विभाग में तैनात किया जाता है |

ओएनजीसी से रिटायर बुजुर्ग की संदिग्ध हालत में मौत, पुलिस जांच में जुटी, हत्या की आशंका

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देहरादून, जनपद के थाना वसंत विहार को सूचना प्राप्त हुई की अलकनंदा एंक्लेव में स्थित एक घर से एक बुजुर्ग व्यक्ति के चिल्लाने की आवाज आ रही है। सूचना पर थाना बसंत विहार से पुलिस बल तत्काल मौके पर पहुंचा। मौके पर अलकनंदा एन्क्लेव में स्थित एक मकान में एक बुजुर्ग व्यक्ति घायल अवस्था में पड़े थे, जिनके पेट पर गहरे घाव के निशान थे, जिन्हें पुलिस कर्मियों द्वारा तत्काल उपचार हेतु इंद्रेश अस्पताल ले जाया गया, जहाँ डॉक्टर ने उन्हें मृत घोषित कर दिया।
मृतक व्यक्ति की पहचान अलकनंदा एंक्लेव, जीएमएस रोड निवासी अशोक कुमार गर्ग के रूप में हुई जिनकी उम्र 75 वर्ष बतायी जा रही है। मृतक के संबंध में जानकारी करने में ज्ञात हुआ कि मृतक ओएनजीसी से रिटायर हुए थे तथा मकान में अकेले रहते थे। घटनास्थल पर तत्काल पुलिस व फॉरेंसिक टीम द्वारा घटनास्थल का गहनता से निरीक्षण किया गया व जांच की जा रही है, वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक देहरादून द्वारा तत्काल मौके पर पहुंचकर घटनास्थल का निरीक्षण कर अधिकारियों व पड़ोसियों से घटना के संबंध में जानकारी ली गई व घटना के खुलासे के तत्काल निर्देश दिए गए। अब पुलिस की जांच के बाद ही मौत होने का पता चल पायेगा |