Tuesday, April 29, 2025
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प्रदेश सरकार निकाय चुनावों पर स्थिति तत्काल स्पष्ट करे : धस्माना

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“निकायों में आरक्षण पर भाजपा में खींचतान के कारण आरक्षण घोषणा में देरी”

देहरादून, कांग्रेस पार्टी ने प्रदेश की धामी सरकार से राज्य के निकायों में आरक्षण की स्थिति तत्काल स्पष्ट करने की मांग की है। आज प्रदेश कांग्रेस के वरिष्ठ उपाध्यक्ष सूर्यकांत धस्माना ने अपने कैंप कार्यालय ईसी रोड पर पत्रकारों से बातचीत करते हुए राज्य सरकार पर आरोप जड़ते हुए कहा कि राज्यपाल द्वारा ओबीसी आरक्षण विधेयक को हरी झंड़ी दिखाने के बाद भी प्रदेश सरकार राज्य की निकायों में आरक्षण घोषित नहीं कर रही जिसके कारण राज्य निर्वाचन आयोग प्रदेश के निकाय चुनाव के कार्यक्रम घोषित नहीं कर पा रहा।
धस्माना ने कहा कि उन्होंने इस बाबत राज्य निर्वाचन आयुक्त श्री सुशील कुमार से फोन पर बातचीत कर जब यह जानने की कोशिश करी कि निकाय चुनावों के लिए राज्य निर्वाचन आयोग कब फैसला करेगा तो श्री सुशील कुमार ने स्पष्ट रूप से कहा कि उनकी पूरी तैयारियां हो चुकी है लेकिन जब तक राज्य सरकार आरक्षण घोषित नहीं करेगी तब तक चुनाव कार्यक्रम घोषित नहीं किया जा सकता। श्री धस्माना ने कहा कि नगर निगमों नगर पालिका परिषदों व नगर पंचायतों में अपने अनुकूल आरक्षण करवाने को लेकर प्रदेश भर में भाजपा नेता आपस में उलझे हुए हैं इसीलिए सरकार आरक्षण पर फैसला नहीं ले पा रही। श्री धस्माना ने कहा कि प्रदेश की शहरी जनता पिछले एक वर्ष से बिना जन प्रतिनिधियों के है और भाजपा सरकार आज भी चुनाव से पीछा छुड़ाने की कोशिश कर रही है जो कि लोकतंत्र के लिए खतरनाक है। उन्होंने मुख्यमंत्री से मांग करी कि तत्काल सरकार आरक्षण की स्थिति स्पष्ट करे जिससे राज्य में निकाय चुनावों का मार्ग प्रशस्त हो सके।

भारत में पहली बार हुआ ढाई दिन की बच्ची का देहदान, हार्ट प्रॉब्लम से हुई थी मौत

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देहरादून (दीपिका गौड़), अपनी मौत के साथ ही ढाई दिन की सरस्वती दुनिया की सबसे छोटी देहदाता बन गई। जन्मजात हृदय रोग से पीड़ित सरस्वती का निधन होने पर उसके माता-पिता ने उसका शरीर दून मेडिकल कॉलेज को दान दिया। सरस्वती का शरीर अब चिकित्सा शिक्षा में काम आएगा, जिसे कश्यप कॉलेज संग्रहालय में संरक्षित रखा जाएगा।

रक्तदान और नेत्रदान के साथ-साथ देहदान को महादान माना जाता है। जिसके जरिए अनुसंधान और चिकित्सा शिक्षा के क्षेत्र को बढ़ावा मिलता है। राजधानी देहरादून के दून मेडिकल कॉलेज में एक ऐसा मामला सामने आया है जहां भारत समेत दुनिया में पहली बार ढाई दिन की बच्ची सरस्वती का देहदान किया गया। दरअसल, 8 दिसम्बर को सरस्वती की मां को लेबर पैन हुआ। जिसके तुरंत बाद सिजेरियन विधि से उनकी डिलीवरी की गई। घर में लक्ष्मी के रूप में बेटी के आने से सभी परिजन खुश थे, लेकिन यह खुशी चंद लम्हों में ही सिमट के रह गई क्यूंकि बच्ची की हृदय संबंधित बीमारी जांच में पता चली तो परिवार मायूस हो गया। नीकू वार्ड में बच्ची को रखा गया। लेकिन, 10 नवंबर को बच्ची ने दम तोड़ दिया।
देहरादून में ढाई दिन की बच्ची का दून मेडिकल कॉलेज में देहदान किया गया। दो दिन की जन्मी बच्ची मेडिकल कॉलेज चिकित्सालय में हृदय संबंधी रोग के कारण भर्ती थी। लेकिन दुर्भाग्यवश बच्ची नहीं बच पाई। देहरादून में दंपत्ति ने अपनी ढाई दिन की बच्ची का शव दून मेडिकल कॉलेज को दान दिया है। बताया गया कि हार्ट प्रॉब्लम के कारण बच्ची का निधन हुआ था। दून अस्पताल के चिकित्सा अधीक्षक डॉ. अनुराग अग्रवाल से मिली जानकारी के अनुसार 8 दिसंबर को दून अस्पताल में जन्मी बच्ची को हार्ट से रिलेटेड प्रॉब्लम थी। जिसका 10 दिसंबर को निधन हो गया। उन्होंने बताया कि मोहन फाउंडेशन और दधीचि देहदान समिति ने बच्ची के माता-पिता को देहदान करवाने के लिए प्रेरित किया। उन्होंने कहा कि बच्ची 2 दिन पहले ही इस दुनिया में आई थी। लेकिन दुर्भाग्यवश बच्ची की जान बच नहीं पाई। उन्होंने कहा कि, इस तरह के महान कार्यों से अन्य लोगों को भी प्रेरणा मिलती है कि हम भी यदि अपना देहदान कर सकें, तो इससे डॉक्टरों को मानव संरचना आसानी से समझने के साथ मदद मिल सकेगी। दून अस्पताल प्रशासन ने भी बच्ची के परिजनों को साधुवाद दिया। साथ ही दून मेडिकल कॉलेज ने बच्ची का देहदान करने वाले माता-पिता को पौधा भेंट कर सम्मानित किया।

राष्ट्रीय खेलों के 15 दिसंबर को लॉन्च होंगे लोगो, एंथम और शुभंकर समेत 5 सिंबल

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देहरादून, आगामी 28 जनवरी से उत्तराखंड़ में होने वाले 38 वे राष्ट्रीय खेलों के पांच सिंबल लोगो, एंथम, शुभंकर, टॉर्च और जर्सी 15 दिसंबर को लॉन्च किए जाएंगे । इस मौके पर केंद्रीय खेल राज्य मंत्री और भारतीय ओलंपिक संघ अध्यक्ष पीटी उषा भी मौजूद रहेंगे । गुरुवार को राज्य की खेल मंत्री रेखा आर्या ने यह जानकारी सचिवालय मीडिया सेंटर में आयोजित प्रेस वार्ता में दी।
खेल मंत्री रेखा आर्या ने बताया कि बुधवार को कैबिनेट मीटिंग खत्म होने के बाद वह दिल्ली रवाना हो गई थी, जहां उन्होंने केंद्रीय खेल मंत्री मनसुख मांडवीया, केंद्रीय खेल राज्य मंत्री रक्षा खडसे और भारतीय ओलंपिक संघ अध्यक्ष पीटी उषा से मुलाकात की। उन्होंने बताया कि 15 दिसंबर को होने वाले सिंबल लॉन्चिंग कार्यक्रम में शामिल होने के लिए उन्होंने केंद्रीय मंत्री और पीटी उषा को निमंत्रण भी दिया । खेल मंत्री रेखा आर्या ने बताया कि 15 दिसंबर को मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी आगामी राष्ट्रीय खेलों का लोगो, एंथम, शुभंकर और टॉर्च लॉन्च करेंगे। इसके अलावा इन खेलों में उत्तराखंड के खिलाड़ियों के लिए विशेष रूप से तैयार की गई जर्सी की लॉन्चिंग भी की जाएगी। लॉन्चिंग के बाद टॉर्च को एकता और सामूहिकता के प्रतीक के रूप में पूरे राज्य में घुमाया जाएगा। खेल मंत्री ने बताया कि फिलहाल प्रदेश में राष्ट्रीय खेलों के लिए खिलाड़ियों को तैयार करने के मकसद से कुल 42 कैंप चल रहे हैं जिनमें 1260 खिलाड़ी प्रशिक्षण ले रहे हैं। बेहतर प्रशिक्षण देने के उद्देश्य से न सिर्फ दूसरे राज्यों से अच्छे कोचों को बुलाया गया है बल्कि कुछ कोचों को विदेशों से भी आमंत्रित किया गया है। इस अवसर पर विशेष सचिव अमित सिन्हा भी मौजूद रहे।

*परंपरागत खेलों को मेडल गेम्स में लाने के लिए पीटी उषा से वार्ता :

इस मौके पर खेल मंत्री रेखा आर्या ने बताया कि प्रदेश के परंपरागत खेलों योग, मलखंब, राफ्टिंग, कलारीपट्टू आदि को कोर इवेंट के रूप में राष्ट्रीय खेलों में शामिल करने के मुद्दे पर बुधवार रात को उनकी भारतीय खेल संघ अध्यक्ष पीटी उषा से वार्ता हुई। उन्होंने बताया कि संघ अध्यक्ष पीटी उषा ने इस पर सकारात्मक रवैया दिखाया है और संभावत: 15 दिसंबर को सिंबल लॉन्चिंग होने से पहले इस पर फैसला भी हो जाएगा ।

*जहां इवेंट वही ट्रेनिंग लेंगे प्रदेश के खिलाड़ी :
खेल मंत्री ने बताया कि प्रदेश के खिलाड़ियों का इन खेलों में प्रदर्शन बेहतर से बेहतर हो सके इसके लिए यह कोशिश की जा रही है कि जिन स्थानों पर जो इवेंट होने हैं उनके खिलाड़ियों को उन्हीं स्थानों पर प्रशिक्षण दिया जाए । ताकि वह खेल स्थल के वातावरण से पूरी तरह परिचित हो सके । उन्होंने कहा कि वह खुद खेल प्रशिक्षण शिविरों का लगातार निरीक्षण करके खिलाड़ियों से बातचीत कर रही है, ताकि उन्हें सारी सुविधाएं मिल सकें ।

खिलाड़ियों से पूछा और क्या चाहिए बताओ :
खेल मंत्री रेखा आर्या में गुरुवार को बास्केटबॉल और लाॅनबॉल शिविरों का निरीक्षण भी किया । राजीव गांधी स्पोर्ट्स स्टेडियम में चल रहे बास्केटबॉल प्रशिक्षण सिविर में उन्होंने पहले ही प्रयास में बाॅल पाॅड कर खिलाड़ियों की तालियां बटोरी। उन्होंने खिलाड़ियों से पूछा कि उन्हें डाइट में क्या-क्या मिल रहा है, कोच कैसे हैं, ट्रेनिंग अच्छी हो रही है या नहीं । मंत्री ने खिलाड़ियों से एक-एक कर यह भी पूछा कि अगर उन्हें किसी और चीज की आवश्यकता है या कोई कमी महसूस होती है तो उसके बारे में भी बताइए । उन्होंने खिलाड़ियों को नेशनल गेम्स में बेस्ट परफॉर्मेंस देने के लिए प्रेरित भी किया।

आयुर्वेद वैश्विक स्वास्थ्य प्रणालियों को सुदृढ़ बना सकता है -पीएम मोदी

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देहरादून,  देहरादून में आज 10वें वैश्विक आयुर्वेद कांग्रेस एवं आरोग्य एक्सपो 2024 का शुभारंभ हुआ। प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने चिकित्सा की प्राचीन भारतीय प्रणाली को बढ़ावा देने की सरकार की प्रतिबद्धता की पुष्टि की जिसमें वैश्विक स्वास्थ्य प्रणाली को सुदृढ़ बनाने की क्षमता है।

इस सम्मेलन के उद्घाटन सत्र में उनके संदेश को पढ़ा गया। इस सम्मेलन में 5500 से अधिक प्रतिभागियों ने भाग लिया जिनमें 54 देशों के 350 से अधिक प्रतिनिधि शामिल हैं। श्री मोदी ने अपने संदेश में कहा कि आयुर्वेद में वैश्विक स्वास्थ्य प्रणाली को मजबूत बनाने की क्षमता है अगर यह विभिन्न स्वास्थ्य समस्याओं का ‘ व्यापक रूप से उपचार उपलब्ध कराए और बचाव, पोषण और मानसिक स्वास्थ्य पर समान बल दे।

श्री मोदी ने विश्वास जताया कि यह चार दिवसीय बैठक वैश्विक स्तर पर आयुर्वेद को बढ़ावा देने में तेजी लाए गी । उन्होंने प्रतिभागियों से इस प्रयोजन के लिए एक नया ‘ ब्लू प्रिंट ‘ प्रस्तुत करने का आग्रह किया।

इस सम्मेलन और एक्सपो का आयोजन विश्व आयुर्वेद फाउंडेशन द्वारा किया जा रहा है जो विज्ञान भारती, केंद्रीय आयुष मंत्रालय और उत्तराखंड सरकार की एक पहल है।

सत्र को संबोधित करते हुए उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी और भारत सरकार के आयुष राज्य मंत्री श्री प्रताप राव जाधव ने प्रतिनिधमंडलों को आश्वस्त किया कि आयुर्वेद को देश के कोने कोने में फैलाया जाएगा और हर्बल उत्पादों से जुड़े चिकित्सकों तथा विनिर्माताओं के घनिष्ठ सहयोग के साथ इसे विदेशों में लोकप्रिय बनाया जाएगा।

श्री धामी ने कोविड-19 के दौरान इस महामारी से निपटने में आयुर्वेद की महत्वपूर्ण भूमिका रेखांकित की। उन्होंने कहा कि आयुर्वेद को इस महामारी की शुरुआत से ही कोविड रोगियों के उपचार में प्रभावी पाया गया जबकि एलौपैथ के चिकित्सकों को इसका प्रभावी रुप से उपचार करने में कठिनाइयों का सामना करना पड़ा।

उन्होंने इस पर जोर देते हुए कि पूरे विश्व ने इसके समग्र उपचार दृष्टिकोण के कारण आयुर्वेद के महत्व को स्वीकार करना आरंभ कर दिया है, श्री धामी ने कहा कि उत्तराखंड सरकार 10/50 बेड के साथ 300 आयुर्वेद अस्पतालों का निर्माण कर रही है। उन्होंने एक देशव्यापी स्तर के अनुसंधान संस्थान की स्थापना के लिए केंद्र सरकार से अनुमति प्राप्त करने की इच्छा जताई। उन्होंने प्रतिभागियों से विभिन्न दवाओं के अंग्रेजी नामों को लोकप्रिय बनाने की अपील की जिससे कि उनकी बिक्री बढ़ाई जा सके और जरुरतमंद से बाजार से प्राप्त कर सकें।

केंद्रीय मंत्री श्री जाधव ने कहा कि आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस, मशीन लर्निंग और टेलीमेडिसिन जैसी उभरती प्रौद्योगिकीयों का उपयोग आयुर्वेद, युनानी, सिद्धा और होमियोपैथ को और अधिक बढ़ावा देने के लिए किया जाएगा जिसमें पिछले कुछ समय में आठ गुनी बढोतरी हुई है।

आयुष दवाओं को बढ़ावा देने के हिस्से के रूप में, प्रत्येक नगर और शहर में केवल इन्हीं दवाओं को बेचने वाले आउटलेटों को खोला जाएगा। ऐसा पहला आउटलेट इसी वर्ष अक्तूबर में दिल्ली में खोला गया था।

आयुष सचिव वैद्य राजेश कोटेचा ने कहा कि 1.3 बिलियन डालर के निवेश के प्रस्ताव पूरी तरह अग्रिम चरण में हैं। उन्होंने कहा कि ‘ प्रकृति परीक्षा प्रोग्राम को आशातीत सफलता प्राप्त हुई है और इससे नई दवाओं की खोज करने में सहायता मिलेगी।

उत्तराखंड के आयुष सचिव श्री रविनाथ रमण ने कहा कि राज्य में 300 आयुष्मान आरोग्य केंद्र हैं और आयुर्वेद तथा हर्बल उत्पादों को बढ़ावा देने के लिए स्कूलों में 8,000 से अधिक शिविरों का आयोजन किया गया है। उन्होंने विश्वास जताया कि यह सम्मेलन आयुर्वेद को और आगे ले जाएगा।

10वें आयुर्वेद सम्मेलन के नेशनल आर्गेनाइजिंग कमिटी के अध्यक्ष डा. पी एम वारियर ने कहा कि इस प्रकार के सम्मेलनों की बदौलत इस सेक्टर के विकास को काफी गति मिली है और आयुर्वेद को स्वास्थ्य प्रणाली की मुख्यधारा में पूरी तरह एकीकृत करने के सभी संभव प्रयास किए जा रहे हैं। इसके परिणामस्वरुप, आयुर्वेद को वैश्विक स्वास्थ्य प्रणाली में काफी सम्मान प्राप्त होने लगा है।

 

मुख्यमंत्री धामी ने आई.एस.बी.टी, देहरादून में बेसहारा एवं बेघर लोगों, मलिन बस्तियों में रहने वाले लोगों को सर्दी से बचाव हेतु कंबल बांटे

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मुख्यमंत्री ने ट्रांसपोर्ट नगर स्थित रैन बसेरे का किया औचक निरीक्षण
   – राज्य सरकार की प्राथमिकता :राज्य में कोई भी व्यक्ति सर्दी की चपेट में ना आए
देहरादून(आरएनएस)।  मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने मंगलवार को  देर शाम आई.एस.बी.टी, देहरादून में बेसहारा एवं बेघर लोगों, मलिन बस्तियों में रहने वाले लोगों को सर्दी से बचाव हेतु कंबल वितरित किए। मुख्यमंत्री ने ट्रांसपोर्ट नगर आईएसबीटी स्थित रैन बसेरे का भी औचक निरीक्षण कर विभिन्न व्यवस्थाओं का जायजा भी लिया। उन्होंने रैन बसेरे में रह रहे लोगों का कुशलक्षेम जाना।
मुख्यमंत्री ने आई.एस.बी.टी में कंबल वितरण के दौरान सभी का कुशलक्षेम जाना एंव प्रशासन द्वारा दी जा रही सुविधाओं के बारे में भी जानकारी ली।  मुख्यमंत्री ने अधिकारियों को कंबल, गर्म कपड़े वितरण के साथ ही सर्दी से बचाव के लिए अलाव  जलाने के भी निर्देश दिए। उन्होंने आईएसबीटी में यात्रियों के लिए भी ठंड से बचाव हेतु व्यवस्था करने के निर्देश दिए।
ट्रांसपोर्ट नगर स्थित रैन बसेरे के औचक निरीक्षण के दौरान मुख्यमंत्री ने वहां रह रहे श्रमिकों के साथ अलाव भी सेखा। उन्होंने अधिकारियों को रैन बसेरों में पर्याप्त सुविधाओं सुनिश्चित करने के निर्देश दिए। मुख्यमंत्री ने कहा रैन बसेरे पर्याप्त मात्रा में बिस्तर हो। उन्होंने कहा शहर में सड़को किनारे रह रहे लोगों, आवासहीन लोगों और परिवारों को भी रैन बसेरे में शिफ्ट किया जाए। उन्होंने कहा  खासकर बच्चों, दिव्यांगजनों, महिलाओं और बीमार लोगों को तत्काल रैन बसेरा की सुविधा दी जाए। उन्होंने रैन बसेरे में आवश्यकता अनुसार भोजन की व्यवस्था कराने के भी निर्देश दिए।
मुख्यमंत्री ने सभी जरूरतमंद लोगों को तय समय के अंदर कंबल वितरित करने के निर्देश दिए। उन्होंने कहा राज्य सरकार की प्राथमिकता है कि राज्य में कोई भी व्यक्ति सर्दी की चपेट में ना आए। उन्होंने कहा हमने जन सेवा के भाव से इस पूरे शीतकाल में बेसहारा लोगों की हर संभव सहायता करनी है। मुख्यमंत्री ने शहर में विभिन्न प्रमुख स्थानों में भी विशेष रूप से अलाव जलाने के भी निर्देश दिए।

 

उत्तराखंड में सतत विकास और युवा सशक्तिकरण के लिए नेटवर्किंग पर व्याख्यान

देहरादून, सतत विकास मंच उत्तरांचल (एसडीएफयू) के समर्थन में द नैनीताल बैंक, हिमोत्थान सोसाइटी, दून लाइब्रेरी एंड रिसर्च सेंटर और नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ अर्बन अफेयर्स (एनआईयूए) ने बुधवार को “उत्तराखंड में सतत विकास और युवा सशक्तिकरण के लिए नेटवर्किंग” पर 7वें आरएसटी फोरम 2024 का आयोजन किया, यह सम्मेलन आईआरडीटी सभागार, देहरादून में आयोजित किया गया था।

उद्घाटन सत्र के मुख्य अतिथि राजशेखर जोशी, कुलपति ‘स्टेट इंस्टीट्यूट फॉर एम्पावरिंग एंड ट्रांसफॉर्मिंग उत्तराखंड ‘एसआईईटीयू’ थे। सम्मानित अतिथि रमेश नेगी (आईएएस), अध्यक्ष सुश्री विभा पुरी दास (आईएएस), एसडीएफयू के सदस्य डॉ जीएस रावत, एसटीएस लेप्चा और मी बिंटा शाह। आरएसटी व्याख्यान 2024 का शीर्षक “उत्तराखंड की अनूठी जैव विविधता के माध्यम से हरित अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देना: प्रभाव निवेश की संभावना की तलाश में” सुश्री ज्योत्सना सिटिंग (पूर्व पीसीसीएफ वन पंचायत और सेवानिवृत्त आईएफएस) द्वारा दिया गया था। श्री राजशेखर जोशी (उपाध्यक्ष, सिएटू आयोग, उत्तराखंड सरकार) द्वारा उजागर किए गए महत्वपूर्ण बिंदु उत्तराखंड सरकार के प्रमुख नीतिगत थिंक टैंक थे, जो दिशात्मक और नीतिगत इनपुट प्रदान करते थे। उन्होंने उत्तराखंड में दीर्घकालिक नीतियों और कार्यक्रमों और स्थायी पहलों के बारे में भी चर्चा की। सम्मेलन आईआरडीटी सभागार, देहरादून में आयोजित किया गया था | कार्यशाला को तीन समानांतर सत्रों में विभाजित किया गया था।
प्रतिभागी विलेज वेज टीम के प्रतिनिधियों, नवीन सदाना (वेस्ट वॉरियर्स सोसाइटी), सुश्री दिव्या चौफिन (हिमालयन हाट), सुश्री सारिका पंछी (जिविसा), केदार सिंह मर्तोलिया (जौहर सिंह स्पोर्ट्स क्लब), अभिषेक सिंह (बीएसआर फार्म्स रिज़ॉर्ट पौड़ी), अनंत मित्रा (एनआईयूए), लोकेश सकलानी (तापिश सोलर प्राइवेट लिमिटेड), डॉ पंकज नैथानी (अतिरिक्त निदेशक, निदेशालय ई एंड एस), डॉ. राजेंद्र बिष्ट (सेवानिवृत्त आईएफएस), सुश्री पूनम चंद (अतिरिक्त निदेशक, यूटीडीबी), एसवी शर्मा (सेवानिवृत्त आईएफएस), रोशन राय (सचिव आईएमआई ), डॉ. राजेंद्र कोश्यारी (हिमोथन सोसाइटी), हिमोत्थान सोसाइटी, श्रमयोग, दून लाइब्रेरी एंड रिसर्च सेंटर, एसएआरजी विकास समिति की सामुदायिक भागीदारी भी उपस्थित थी।

 

 

एसजीआरआरयू में फिजियोथैरेपी शोध की विभिन्न विधाओं पर हुआ मंथन

-400 से अधिक छात्र-छात्राओं एवम् शाधार्थियों ने किय प्रतिभाग

-दो दिवसीय सेमिनार में शोध एवम् अनुसंधान के मॉर्डन प्रारूपों पर जानकारियां सांझा

देहरादून, श्री गुरु राम राय विश्वविद्यालय के स्कूल ऑफ पैरामेडिकल एण्ड एलाइड हैल्थ साइंसेज के फिजियोथैरेपी विभाग द्वारा दो दिवसीय सेमिनार का आयोजन किया गया। विषय विशेषज्ञ 11 व 12 दिसम्बर 2024 को फिजियोथैरेपी के शोध की कला और विज्ञान से जुड़ महत्वपूर्णं विषयों पर जानकारियों सांझा करेंगे। एसजीआरआरयू के आईक्यूएसी सैल के सहयोग से आयोजित सेमीनार में 400 से अधिक छात्र-छात्राओं, पीएचडी शोधार्थियों एवम् फेकल्टी एवम् डॉक्टरों ने प्रतिभाग किया।
श्री गुरु राम राय विश्वविद्यालय के सभागार में सेमीनार का शुभारंभ श्री गुरु गोबिंद सिंह ट्राईसैटेनरी विश्वविद्यालय, गुरुग्राम, हरियाणा के फिजियोथैरेपी विभाग के प्रो. (डॉ.) सिद्वार्थ सेन, श्री गुरु राम राय विश्वविद्यालय की सम कुलपति प्रो.(डॉ.) कुमुद सकलानी, समन्वयक डॉ. आर.पी. सिंह, डीन, स्कूल ऑफ पैरामेडिकल एण्ड एलाइड हैल्थ साइंसेज, प्रो. (डॉ.) कीर्ति सिंह, विभागाध्यक्ष, फिजियोथैरेपी विभाग, डॉ. शारदा शर्मा व प्रो.(डॉ.) नीरज कुमार द्वारा संयुक्त रूप से दीप प्रज्जवलन कर किया गया।
मुख्य वक्ता श्री गुरु गोबिंद सिंह ट्राईसैटेनरी विश्वविद्यालय, गुरुग्राम, हरियाणा के फिजियोथैरेपी विभाग के प्रो. (डॉ.) सिद्वार्थ सेन ने अपने व्याख्यान मे फिजियोथैरेपी विषय में शोध के महत्व पर प्रकाश डाला। उन्होेने शोध के विभिन्न चरणों को विस्तारपूर्वक समझाया।
उन्होंने जानकारी दी कि शोध का प्रथम चरण समस्या को पहचानना, द्वितीय चरण उससे सम्बधित साहित्या का अध्ययन, तृतीय चरण शोध के उद्देश्यों पर आधारित परिकल्पना पर अभिधारणा बनाना, चौथा चरण शोध के स्वरूप को पहचानना, पांचवां चरण डेटा संग्रहण, छठा चरण सांख्यिकीय विधियों का उपयोग करके डेटा का विश्लेषण करना, सातवाँ चरण विश्लेषण के परिणामों को लिखकर अभिलेख बनाना, आठवां चरण परिणामों पर चर्चा- परिचर्चा करना एवं नवां चरण शोध का निष्कर्ष निकालना होता है।
उन्होंने बताया कि फिजियोथैरेपी शोध का दायरा काफी विस्तृत है क्योकि फिजियोथैरेपी का उपयोग हड्डी रोग, न्यूरो, हदय रोग, स्त्री एवं प्रसूति रोग एवं अन्य रोगों के उपचार में भी किया जाता है। उन्होंने कहा कि फिजियोथैरेपी शोध सीधे तौर पर इजीनियरिंग से भी जुडी हुई है। उन्होंने कहा कि फिजियोथैरेपी मे इस्तेमाल होेने वाले सभी उपकरण इजीनियरों द्वारा बनाये जाते है। उन्होंने कहा कि फिजियोथैरेपी मे होने वाले शोध इंजीनियरों को उपकरणों के निर्माण में मार्गदर्शन प्रदान करते हैं। उन्होंने फिजियोथैरेपी के विभिन्न आयामों में होने वाले शोध के विषय में फिजियोथैरेपी छात्र-छात्राओं, शोधार्थियों, फैकल्टी व डाक्टरों के विभिन्न प्रश्नों के उत्तर देकर उनका ज्ञानवर्धन किया।
प्रो. (डॉ.) कुमुद सकलानी ने विश्वविद्यालय की ओर से आए हुए मुख्य वक्ता प्रो. (डॉ.) सिद्वार्थ सेन का स्वागत किया। उन्होने कहा कि फिजियोथैरेपी अपने आप में सबसे भिन्न विशेषज्ञता विधा है। उन्होंने कहा कि फिजियोथैरेपी में शोध द्वारा कई प्रकार के रोगों का उपचार संभव है। उन्होने कहा कि यह सेमिनार फिजियोथैरेपी के विद्यार्थियों व शोधकर्तााओं हेतु ज्ञान संवर्धन का अनुठा मंच है।
डॉ. आर.पी.सिंह ने कहा कि रोकथाम उपचार से बेहतर है सिद्वांत पर फिजियोथैरेपी काम करती है। उन्होनें कहा कि शोध हमे यह प्रमाणित करने में सहयोग करता है कि कोई भी तथ्य आस्तित्व में है य नही एवं है तो कितना कार्यात्मक है।
प्रो.(डॉ.) कीर्ति सिंह ने कहा कि इस सेमिनार का आयोजन करवाना फिजियोथैरेपी विभाग की एक सराहनीय पहल है। उन्होनंे कहा कि अन्य विषयो की तरह फिजियोथैरेपी में भी शोध का काफी महत्व है।
सेमिनार के आयोजन में डॉ. शमां परवीन, डॉ. सन्दीप कुमार, डॉ. मंजुल नौटियाल, डॉ. तबस्सुम, डॉ. सुरभि थपलियाल, डॉ. रविन्दर, डॉ. दीपा एवं डॉ. जयदेव का विशेष सहयोग रहा।

देवभूमि में बनेगी आयुर्वेद का परचम लहराने की रणनीति

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 – वर्ल्ड आयुर्वेद कांग्रेस 2024 में तीन दिन तक चलेगी इंटरनेशनल असेंबली
 –  केंद्रीय आयुष मंत्रालय ने कई देशों में स्थापित की है आयुष चेयर
 –   विषय विशेषज्ञ करेंगे दुनिया में आयुर्वेद के प्रचार प्रसार पर विमर्श
देहरादून(आरएनएस)।  दुनिया में आयुर्वेद का परचम लहराने की रणनीति उत्तराखंड की धरती पर बनेगी। वर्ल्ड आयुर्वेद कांग्रेस एवं आरोग्य एक्सपो 2024 में तीन दिन इंटरनेशनल असेंबली का आयोजन किया जा रहा है। दुनिया के विभिन्न देशों में केंद्रीय आयुष मंत्रालय के स्तर पर स्थापित आयुष चेयर के प्रतिनिधि इस असेंबली में उपस्थित रह कर विचार विमर्श करेंगे। मकसद ये ही है कि दुनिया के तमाम देशों में आयुर्वेद के व्यापक प्रचार प्रसार के लिए रणनीति तैयार की जा सके। वर्ल्ड आयुर्वेद कांग्रेस एवं आरोग्य एक्सपो 2024 में जो कार्यक्रम फाइनल हुआ है, उसमे इंटरनेशनल असेंबली तीन दिन कराए जाने का निर्णय लिया गया है। 12 से लेकर 14 दिसंबर तक हर दिन असेंबली का कार्यक्रम रखा गया है। प्रमुख रूप से अमेरिका, ब्रिटेन, अर्जेंटीना, ऑस्ट्रेलिया, न्यूजीलैंड, श्री लंका, इटली, स्पेन, फ्रांस, जर्मनी, स्वीडन, कनाडा, नीदरलैंड, पुर्तगाल सिंगापुर जैसे देशों में स्थापित आयुष चेयर के डेलीगेट्स असेंबली का हिस्सा होंगे, जिनकी संख्या 40 से 50 के करीब रहेगी।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जिस तरह दुनिया में आयुष के प्रचार के लिए ब्रांड एंबेसडर बन कर कार्य किया है, उससे आयुष के लिए बेहतर माहौल बन रहा है। उत्तराखंड भी इस अभियान में कदमताल कर रहा है। अब वर्ल्ड आयुर्वेद कांग्रेस जैसे विश्व स्तरीय कार्यक्रम की मेजबानी का उत्तराखंड को महत्वपूर्ण अवसर मिला है।
पहला हिमालयी राज्य, जहां हो रहा आयोजन
वर्ल्ड आयुर्वेद कांग्रेस एवं आरोग्य एक्सपो-2024 के दसवें संस्करण की मेजबानी कर रहे उत्तराखंड के नाम एक उपलब्धि दर्ज हुई है। यह पहला हिमालयी राज्य है, जहां पर आयुर्वेद का विश्व स्तरीय यह कार्यक्रम आयोजित किया जा रहा है। वर्ष 2022 से यह आयोजन शुरू हुआ है। कोच्चि केरल को इसके पहले संस्करण की मेजबानी का अवसर मिला था। इसके बाद, देश के विभिन्न हिस्सों में इसके आयोजन हुए हैं। उत्तर भारत क्षेत्र की बात करे, तो सिर्फ दिल्ली में अभी तक यह आयोजन हुआ है। वर्ष 2014 में परेड ग्राउंड में यह कार्यक्रम आयोजित किया गया था। उत्तराखंड इस हिसाब से दिल्ली के बाद उत्तर भारत का दूसरा राज्य बन रहा है, जहां पर यह आयोजन किया जा रहा है।

उत्तराखंड का सौभाग्य है कि वह आयुर्वेद के इस विश्व स्तरीय कार्यक्रम की मेजबानी कर रहा है। आयुर्वेद के लिहाज से उत्तराखंड की धरती हमेशा से समृद्ध रही है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी ने आयुष को दुनिया भर में प्रचारित प्रसारित करने का बीड़ा उठाया है। इस आयोजन से निश्चित तौर पर हम इस दिशा में और आगे बढ़ेंगे।   –  पुष्कर सिंह धामी, मुख्यमंत्री

अतिथि शिक्षकों के मानदेय बढ़ाने का प्रस्ताव वित्त विभाग ने किया रद्द

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25 हजार रुपये से बढ़ाकर 30 हजार रुपये किए जाने का था प्रस्ताव, पिछले महीने भेजा गया था प्रस्ताव

देहरादून, राज्य के माध्यमिक अतिथि शिक्षकों का मानदेय 25 हजार रुपये से बढ़ाकर 30 हजार रुपये किए जाने के प्रस्ताव को वित्त विभाग ने रद्द कर दिया। शिक्षा मंत्री डाॅ. धन सिंह रावत के निर्देश पर शिक्षा विभाग ने पिछले महीने वित्त विभाग को इसका प्रस्ताव भेजा था।
सचिव वित्त दिलीप जावलकर के मुताबिक, अतिथि शिक्षकों का पूर्व में मानदेय 15 हजार रुपये से बढ़ाकर 25 हजार रुपये किया गया था। फिर से इतनी जल्दी उनका मानदेय नहीं बढ़ाया जा सकता। मानदेय बढ़ाने के प्रस्ताव को रद्द कर दिया गया है। प्रदेश के विभिन्न दुर्गम और अति दुर्गम विद्यालयों में अतिथि शिक्षक वर्ष 2015 से कार्यरत हैं।
शुरुआत में इन्हें प्रतिवादन के हिसाब से मानदेय दिया गया। जिसे कई वर्षों में बढ़ाया गया है। वर्ष 2018 में इनका मानदेय बढ़ाकर 15,000 हजार रुपये किया गया, जबकि वर्ष 2021-22 में इसे 15,000 रुपये से बढ़ाकर 25,000 रुपये किया गया। अतिथि शिक्षक तभी से मानदेय बढ़ाने के साथ ही उनके पदों को सुरक्षित किए जाने की मांग करते आ रहे हैं।
अतिथि शिक्षक संघ के प्रांतीय महामंत्री दौलत जगुड़ी के मुताबिक, अतिथि शिक्षकों के पदों को खाली न माने जाने का प्रस्ताव पूर्व में कैबिनेट में आया था, लेकिन इसका शासनादेश नहीं हुआ। उनकी गृह जिलों में तैनाती का मामला भी लटका हुआ है।

आधुनिक जीवनशैली में आयुर्वेद का संगम : डाबर ने लॉन्च किए 2 क्रांतिकारी प्रोडक्ट्स

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देहरादून, आयुर्वेद को आज के उपभोक्ताओं की जीवनशैली का अभिन्न हिस्सा बनाने के उद्देश्य से, दुनिया की सबसे बड़ी विज्ञान आधारित आयुर्वेद कंपनी डाबर इंडिया लिमिटेड लेकर आई है दो रेवोल्यूशनरी प्रोडक्ट्स- ताकत एवं शक्ति बढ़ाने वाले कैपस्यूल कामवल्लभ गोल्ड और डाबर हेल्थ ज्यूस रेंज। इन दोनों प्रोडक्ट्स का लॉन्च आज वर्ल्ड आयुर्वेदा कॉन्ग्रेस एण्ड इंटरनेशनल आरोग्य एक्सपो देहरादून में किया गया।
इस अवसर पर डाबर इंडिया लिमिटेड में मार्केटिंग के वाईस प्रेज़ीडेन्ट श्री अजय सिंह परिहार ने कहा, ‘‘आयुर्वेद की 140 वर्षों की धरोहर और प्रकृति के बारे में गहरे ज्ञान के साथ डाबर हमेशा से सभी के लिए सुरक्षित, किफ़ायती और प्रभावी हेल्थकेयर पर फोकस करती रही है तथा प्राचीन आयुर्वेद के गहन अध्ययन के बाद अपने प्रोडक्ट्स लाती रही है।
नए रेवोल्यूशनरी प्रोडक्ट्स- कामवल्लभ गोल्ड एवं डाबर हेल्थ ज्यूस रेंज- का लॉन्च इसी दिशा में एक और कदम है जो आयुर्वेद के प्राचीन भारतीय ज्ञान तथा आधुनिक विज्ञान का बेहतरीन संयोजन है। प्राकृतिक जड़ी-बूटियों के गुणों से भरपूर ये दोनों प्रोडक्ट्स उपभोक्ताओं की रोज़मर्रा की बीमारियों और समस्याओं को दूर करने में कारगर हैं।“
कामवल्लभ गोल्ड एक अनूठा और शक्तिशाली फॉर्मूला है, जो शिलाजीत, सफेद मूसली, कौंच बीज एवं अश्वगंधा जैसे शक्तिशाली प्राकृतिक अवयवों के साथ हीरक और स्वर्ण भस्म की ताकत का संयोजन है। यह फॉर्मूला एनर्जी देकर, जीवन शक्ति बढ़ाकर व्यक्ति के समग्र कल्याण को सुनिश्चित करता है। यह टेस्टोस्टेरॉन के स्तर को सामान्य बनाए रखने, चिंता को दूर करने और संतुलित जीवनशैली बनाए रखने में मदद करता है। रु 400 की कीमत में 12 कैप्स्यूल्स का पैक, कामवल्लभ गोल्ड उन लोगों के लिए परफेक्ट है, जो अपने स्वास्थ्य और परफोर्मेन्स में प्राकृतिक तरीके से सुधार लाना चाहते हैं।
प्रीमियम हर्बल फॉर्मूला डाबर हेल्थ ज्यूस रेंज उपभोक्ताओं की रोज़मर्रा की ज़रूरतों को पूरा करता है (जैसे पाचन तंत्र की देखभाल, बालों की देखभाल, फिटनैस/ स्लिमिंग और हार्ट की देखभाल)। आज के दौर में पाचन, बालों और दिल की बीमारियों के मामले तेज़ी से बढ़ रहे हैं और उपभोक्ताओं को इनके लिए कारगर समाधान की ज़रूरत है।
ऐसे में शक्तिशाली जड़ी-बूटियों जैसे अर्जुन, जटामांसी, वच, सल्लकी, ब्राह्मी और शंखपुष्पी के गुणों से भरपूर डाबर हेल्थ ज्यूस रेंज इन सभी समस्याओं को हल करने में कारगर है। 1 लीटर का यह ज्यूस गतिहीन जीवनशैली और पोषण की कमी से होने वाली बीमारियों को प्राकृतिक तरीके से दूर करता है। (उदाहरण के लिए डाबर हार्ट हेल्थ ज्यूस कॉलेस्ट्रॉल और लिपिड के स्तर को सामान्य बनाकर तथा ब्लड वैसल्स की फंक्शनिंग में सुधार लाकर दिल को मज़बूत और स्वस्थ बनाए रखने में मदद करता है)।

आज की पीढ़ी में आयुर्वेद को बढ़ावा देने के प्रयासों को जारी रखते हुए डाबर वर्ल्ड आयुर्वेदा कॉन्ग्रेस के दौरान आयुर्वेद के विशेषज्ञों के साथ विशेष सेमिनारों का आयोजन करेगी, गौरतलब है कि वर्ल्ड आयुर्वेदा कॉन्ग्रेस का आयेजन देहरादून में 12 से 16 दिसम्बर के बीच किया जाएगा। डाबर 800 से अधिक शास्त्रोका आयुर्वेदिक दवाओं, विशेष रूप से भस्म और आसव-अरिष्ट की मैनुफैक्चरिंग एवं मार्केटिंग में सक्रिय है।

“हमें खुशी है कि हमें वर्ल्ड आयुर्वेदा कॉन्ग्रेस में हिस्सा लेने का मौका मिल रहा है, यह हमारी जड़ों में मौजूद आयुर्वेद के ज्ञान को बढ़ावा देने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम है। यह सेमिनार चिकित्सकों को एक दूसरे के साथ जुड़ने, बातचीत करने का मौका देगी। साथ ही आयुर्वेद को बढ़ावा देने के लिए आदर्श मंच साबित होगी।“

कैसे आएगा सशक्त भू-क़ानून, अधिकारियों ने ही लूट ली जमीनें

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-सरकार में निहित हो अवैध रूप से खरीदी गई ज़मीन

-पौंधा में 250 वर्ग मीटर ज़मीन खरीदने का भी हुआ खुलेआम उल्लंघन

-अनुसूचित जाति और गोल्डन फॉरेस्ट की ज़मीन पर प्लाटिंग कर अधिकारियों को बेच दी गई ज़मीन

देहरादून (एल मोहन लखेड़ा) मूल निवास, भू-कानून समन्वय संघर्ष समिति के संयोजक मोहित डिमरी ने उच्चाधिकारियों पर भूमि कानूनों के प्रावधनों का उल्लंघन कर ज़मीन खरीदने पर हल्ला बोला है। उन्होंने इस मामले की जांच की मांग करते हुए अवैध रूप से ली गई ज़मीन को सरकार में निहित करने की मांग की है।
स्थानीय प्रेस क्लब में पत्रकारों से वार्ता करते संघर्ष समिति के संयोजक मोहित डिमरी ने कहा कि विकासनगर तहसील के पौंधा में करीब 300 बीघा जमीन में आईएएस और आईपीएस अधिकारियों के लिए आवासीय कॉलोनी बनाई जा रही है। इसके लिए प्रोपर्टी डीलर एससी माथुर और इंद्र सिंह ने अवैध रूप से अनुसूचित जाति के लोगों के साथ ही गोल्डन फॉरेस्ट की जमीनों की रजिस्ट्री की और बाद में इस ज़मीन को अधिकारियों को बेच दी गई। उन्होंने कहा कि पौंधा ग्रामीण क्षेत्र है और यहां पर बाहरी व्यक्ति (गैर कृषक) को 250 वर्ग मीटर तक ही ज़मीन खरीदने की छूट है। लेकिन यहां पर इस प्रावधान का उल्लंघन खुलेआम किया गया।
उन्होंने कहा कि आईएएस अधिकारी सोनिका सिंह ने अपने पति और देवर के नाम यहां पर 500 वर्ग मीटर ज़मीन खरीदी है। इसके साथ ही धर्मवीर चौधरी ने अपनी पत्नी और दो बच्चों के नाम जमीनें खरीदी है। जबकि परिवार में एक सदस्य को ही ज़मीन खरीदने की छूट है। कनम्मा लोगानाथ ने 999 वर्ग मीटर, मनुज गोयल ने स्वयं एवं अपनी पत्नी विपाशा शर्मा के नाम 500 वर्ग मीटर, संजीव कुमार जिंदल ने अपनी पत्नी रितु जिंदल के नाम 405 वर्ग मीटर, सौजन्या 500 वर्ग मीटर, अमित कटारिया ने दो प्लॉट 374 वर्ग मीटर और 249 वर्ग मीटर खरीदे हैं। इस तरह अन्य कई आईएएस और आईपीएस अधिकारियों ने अवैध रूप से यहां जमीनें खरीदी है।
मोहित डिमरी ने कहा कि पौंधा में अनुसूचित जाति के लोगों की भी ज़मीन खरीदी गई है। जबकि यूपी जमींदार विनाश व भूमि सुधार अधिनियम की धारा 157ए में स्पष्ट प्रावधान है कि जिलाधिकारी की अनुमति के बिना एससी की ज़मीन कोई भी नहीं खरीद सकता। यहां बिना अनुमति के ही एससी की कई बीघा ज़मीन खरीद ली गई। इसके अलावा गोल्डन कॉरेस्ट कि जमीन जिसे सरकार में निहित किया गया, इस पर भी धड़ल्ले से अवैध रजिस्ट्री हुई है। जबकि गोल्डन फॉरेस्ट की ज़मीन का मामला राजस्व कोर्ट में विचाराधीन है और प्रोपर्टी ट्रांसफर एक्ट की धारा 54 में स्पष्ट प्रावधान है कि सब ज्यूडिस मामले में किसी भी ज़मीन को खरीदा और बेचा नहीं जा सकता है। इसके साथ ही तत्कालीन एडीएम एसके बरनवाल ने अपनी रिपोर्ट में स्पष्ट कहा था कि भूमि सुधार अधिनियम की धारा 161 का अनुपालन नहीं किया गया। इसमें अनुसूचित जाति की जमीन को एक्सचेंज करने की अनुमति नहीं ली गई है। जिस कारण सभी ज़मीन राज्य सरकार में निहित हो गई है। लेकिन तत्कालीन डीएम सोनिका सिंह ने इस रिपोर्ट का संज्ञान नही लिया।
पूर्व गढ़वाल कमिश्नर (आईएएस) एसएस पांगती और पूर्व सैन्य अधिकारी पीसी थपलियाल ने कहा कि प्रदेश के उच्चाधिकारी ही ज़मीन की लूट में शामिल हैं तो कैसे उम्मीद करें कि मजबूत भू-क़ानून आएगा ? जिस तरह मनोज तिवारी, राजा भैया की जमीन सरकार में निहित करने की कारवाई चल रही है, उसी तरह अधिकरियों द्वारा अवैध रूप से ली गई जमीनें भी सरकार में निहित होनी चाहिए। उन्होंने कहा कि भूमि क़ानून में किये गए प्रावधानों का उल्लंघन हो रहा तो मजबूत भू-क़ानून की उम्मीद करना बेईमानी सा लगता है।
पांगती ने कहा कि उत्तराखंड में भू कानून जटिल हो गया है। हमारी कृषि भूमि को उद्योग के नाम पर औने-पौने दाम में खरीदा जा रहा और यहां आवासीय कॉलोनी बन रही है। राजस्व प्रशासन यहां खत्म हो गया है। राजस्व विभाग से जुड़े अधिकारी ही जमीनों को खुर्द-बुर्द करवा रहे हैं। जब तक सरकार की नीयत सही नहीं होगी, ज़मीन इसी तरह लुटती रहेगी।
इस मौके पर संघर्ष समिति के समन्वयक प्रमोद काला, पूर्व सैनिक एकता अभियान के प्रदेश अध्यक्ष निरंजन चौहान, समिति के सदस्य नमन चंदोला, समिति के युवा इकाई के प्रभारी आशीष नौटियाल आदि मौजूद थे।

पीआरएसआई देहरादून चैप्टर ने पुलिस महानिदेशक से की शिष्टाचार भेंट

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ड्रग्स फ्री उत्तराखंड” अभियान, सड़क सुरक्षा और साइबर सुरक्षा के लिए उत्तराखंड पुलिस कृतसंकल्प : डीजीपी

देहरादून, पब्लिक रिलेशन सोसाइटी ऑफ इंडिया (पीआरएसआई), देहरादून चैप्टर के प्रतिनिधिमंडल ने आज उत्तराखंड के पुलिस महानिदेशक श्री दीपम सेठ से शिष्टाचार भेंट की। बैठक के दौरान “ड्रग्स फ्री उत्तराखंड” अभियान को प्रभावी बनाने, सड़क दुर्घटनाओं की रोकथाम, साइबर अपराधों के खतरों को कम करने और इन सभी क्षेत्रों में जन भागीदारी को सुनिश्चित करने पर गंभीर विचार-विमर्श हुआ।
ड्रग्स समस्या को लेकर डीजीपी दीपम सेठ ने कहा कि ड्रग्स फ्री उत्तराखंड मुख्यमंत्री श्री पुष्कर सिंह धामी जी की सर्वोच्च प्राथमिकता है। उनके निर्देश पर पुलिस प्रशासन द्वारा ड्रग्स की गतिविधियों में लिप्त असामाजिक और माफिया तत्वों के खिलाफ लगातार सख्त कार्रवाई की जा रही है। इसे रोकने के लिए सामूहिक प्रयासों की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि पुलिस विभाग युवाओं को नशे के दलदल से बचाने के लिए जन जागरूकता कार्यक्रम चला रहा है, जिसमें समाज के हर वर्ग का योगदान आवश्यक है। सड़क दुर्घटनाओं को रोकने के लिए सख्त यातायात नियमों के पालन और लोगों को ट्रैफिक नियमों के प्रति जागरूक करने पर भी चर्चा की गई। इस संदर्भ में डीजीपी ने कहा कि पुलिस चेकिंग को काफी बढ़ाया गया है। सड़क सुरक्षा एक साझा जिम्मेदारी है और पीआरएसआई जैसे संगठनों का सहयोग इसमें महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है।
बैठक में साइबर अपराधों के बढ़ते मामलों को लेकर भी बातचीत हुई। डीजीपी ने बताया कि साइबर क्राइम रोकथाम के लिए लोगों को डिजिटल सुरक्षा और इंटरनेट के सुरक्षित उपयोग के बारे में जागरूक करना जरूरी है। उन्होंने पीआरएसआई के सदस्यों से आग्रह किया कि वे इस दिशा में भी सक्रिय भूमिका निभाएं। पीआरएसआई देहरादून चैप्टर के अध्यक्ष रवि बिजारनिया ने कहा कि “ड्रग्स फ्री उत्तराखंड” अभियान, सड़क सुरक्षा और साइबर अपराधों के प्रति जनजागरूकता में पीआरएसआई सक्रिय भूमिका निभाएगा। संगठन अपने जनसंपर्क विशेषज्ञता का उपयोग करते हुए जागरूकता अभियानों को प्रभावी बनाने के लिए पुलिस विभाग का हर संभव सहयोग करेगा। इस दौरान पीआरएसआई के अन्य सदस्यों ने भी अपने सुझाव प्रस्तुत किए। बैठक में पीआरएसआई के सचिव अनिल सती, सदस्य प्रियांक, मनोज सती, आयुष, संजय बिष्ट, प्रताप बिष्ट मौजूद थे।