Tuesday, April 29, 2025
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देश के 140 करोड़ लोगों के मन में जो ‘अजेय भारत’ का विश्वास है, उसका पूरा श्रेय सीमा पर खड़े जवानों को जाता है- अमित शाह

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साहस, शौर्य और बलिदान के बल पर BSF ने देश के ‘फर्स्ट लाइन ऑफ़ डिफेंस’ को मजबूत बनाया

नई दिल्ली :- राजस्थान के जोधपुर में सीमा सुरक्षा बल के 60वें स्थापना दिवस समारोह परेड में बतौर मुख्य अतिथि अपनी उपस्थिति दर्ज करते हुए केंद्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री अमित शाह ने यह स्पष्ट किया कि, ‘देश के 140 करोड़ लोगों के मन में जो ‘अजेय भारत’ का विश्वास है, उसका पूरा श्रेय सीमा पर खड़े जवानों को जाता है।’ प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के कुशल मार्गदर्शन में बीते कुछ वर्षों में आंतरिक सुरक्षा से लेकर सीमा सुरक्षा तक की दिशा में एक बड़ा परिवर्तन देखने को मिला है, और इस बात को पूरी दुनिया ने देखा है।

60 सालों से साहस, शौर्य और बलिदान के दम पर सीमा सुरक्षा बल ने न केवल देश की फर्स्ट लाइन ऑफ डिफेंस को ताकतवर बनाने का काम किया है, बल्कि सीमा पर आने वाली सभी चुनौतियों का मुकाबला कर देश की सुरक्षा की प्रथम पंक्ति को सशक्त भी किया है। 1 दिसंबर, 1965 से लेकर आज तक सीमा सुरक्षा बल ने निरंतर देश की पूर्वी और पश्चिमी सीमा की सुरक्षा को चाक-चौबंद रखने का काम किया है। शाह ने पूरे देश को यह संदेश दिया कि देश की सुरक्षा के लिए अपने प्राणों का बलिदान करने वाले जवानों का देश की जनता सदैव ऋणी रहेगी। एक समय में 25 बटालियन से शुरू हुआ यह बल आज 193 बटालियन तक पहुँच गया है, जिसमें 2 लाख 70 हजार जवान की संख्या है जो विश्व का सबसे बड़ा सीमारक्षक बल है। सीमा सुरक्षा बल के जवानों ने साल 2024 में भी जाली मुद्रा, नारकोटिक्स, घुसपैठ और वामपंथी उग्रवाद के खिलाफ लड़ने का अपना रिकॉर्ड अनेक अभियानों के माध्यम से बरकरार रखा है। देश की प्रथम रक्षा पंक्ति के रूप में 1,992 सीमा प्रहरियों ने अपने प्राणों की आहुति दी है और अब तक उनमें से 1,330 जवानों को पदक दिए गए हैं। इनमें 1 महावीर चक्र, 6 कीर्ति चक्र, 13 वीर चक्र, 13 शौर्य चक्र, 56 सेना मेडल और 1,241 पुलिस पदक शामिल हैं।

टीएचडीसीआईएल ने टिहरी में राष्ट्रीय स्तर के वाटर स्पोर्ट्स कप 2024 का शुभारंभ किया

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ऋषिकेश – टीएचडीसी इंडिया लिमिटेड, विद्युत क्षेत्र के अग्रणी सार्वजनिक उपक्रम, के तत्वावधान में उत्तराखंड के टिहरी गढ़वाल में स्थित टिहरी झील में तीसरे टिहरी वाटर स्पोर्ट्स कप 2024 का 10 दिसंबर, 2024 को हर्षोल्लास के साथ शुभारंभ हुआ। इस कार्यक्रम का उद्घाटन उत्तराखंड की माननीय महिला सशक्तीकरण, बाल विकास, खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति, उपभोक्ता मामले, खेल एवं युवा कल्याण मंत्री, श्रीमती रेखा आर्य ने दीप प्रज्ज्वलित कर किया। उन्होंने स्वस्थ जीवन शैली और राष्ट्र के समावेशी विकास को बढ़ावा देने में खेलों की महत्वपूर्ण भूमिका पर प्रकाश डाला। उन्होंने खेल उत्कृष्टता को बढ़ावा देने और इस तरह की असाधारण पहल के माध्यम से खिलाडि़यों को एक बड़ा एवं महत्वपूर्ण मंच प्रदान करने के लिए टीएचडीसी इंडिया लिमिटेड की सराहना की। उन्होंने राज्य के पर्यटन को बढ़ावा देने और उत्तराखंड के युवाओं के लिए नए अवसर पैदा करने में इन साहसिक एवं रोमांचक खेलों की भूमिका पर भी जोर दिया। वाटर स्पोर्ट्स कप के उद्घाटन समारोह में श्री विनोद कंडारी (माननीय विधायक, देवप्रयाग), श्री विक्रम सिंह नेगी (माननीय विधायक, प्रतापनगर) और अन्य गणमान्य व्यक्ति भी उपस्थित थे। देवप्रयाग और प्रतापनगर के माननीय विधायकों ने उत्तराखंड के सामाजिक-आर्थिक विकास में टीएचडीसी इंडिया लिमिटेड के महत्वपूर्ण योगदान की सराहना की, विशेष रूप से राज्य की खेल पहलों पर इसके सकारात्मक प्रभाव और टिहरी क्षेत्र के उत्थान की दिशा में निगम के प्रयासों पर प्रकाश डाला।

टीएचडीसी इंडिया लिमिटेड के अध्यक्ष एवं प्रबंध निदेशक, श्री आर.के. विश्नोई ने खेल उत्कृष्टता और सामाजिक विकास को बढ़ावा देने में निगम की महत्वपूर्ण भूमिका पर गर्व करते हुए कहा कि टीएचडीसी ने हमेशा से लोगों और समाज को सुदृढ़ता प्रदान करने में खेलों की परिवर्तनकारी शक्ति में विश्वास किया है। इस तरह के बड़े आयोजनों की मेजबानी के माध्यम से हम न केवल खिलाडि़यों को अपनी प्रतिभा दिखाने के लिए एक मंच प्रदान करते हैं, बल्कि क्षेत्र के समग्र विकास में भी योगदान देते हैं।”

उन्होंने कहा कि टिहरी में राष्ट्रीय स्तर के वाटर स्पोर्ट्स के आयोजन से लेकर अत्याधुनिक सुविधाओं के साथ हाई परफॉर्मेंस एकेडमी की स्थापना तक, टीएचडीसी को नवाचार, सततता और सामाजिक प्रभाव को एकीकृत करने वाली पहलों का नेतृत्व करने पर गर्व है। कोटेश्वर, टिहरी में हमारी हाई परफॉर्मेंस एकेडमी, कयाकिंग और कैनोइंग एथलीटों को राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर उत्कृष्टता प्राप्त करने के लिए उन्नत उपकरण और वैज्ञानिक प्रशिक्षण प्रदान करके उन्हें विकसित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी।”

टीएचडीसी इंडिया लिमेटेड के निदेशक (कार्मिक), श्री शैलेंद्र सिंह ने भी इस कार्यक्रम में भाग लिया और युवा प्रतिभाओं को बढ़ावा देने तथा खेल भावना को बढ़ावा देने के महत्व पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि टिहरी झील भारत में जल क्रीड़ा के लिए एक प्रमुख केंद्र के रूप में तेजी से उभर रही है और हम इस यात्रा का हिस्सा बनकर सम्मानित महसूस कर रहे हैं। टिहरी झील में राष्ट्रीय स्तर के वाटर स्पोर्ट्स टूर्नामेंट के आयोजन से न केवल इस क्षेत्र का नाम राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर रोशन हुआ है, बल्कि पर्यटन को बढ़ावा देने और क्षेत्र के सामाजिक-आर्थिक उत्थान में भी योगदान दिया है। हम इस चैंपियनशिप को खेल उत्कृष्टता का एक मानक बनाने के लिए प्रतिबद्ध हैं जो एथलीटों की आकांक्षाओं और क्षेत्र के उत्साह को दर्शाता है। इस अवसर पर श्री प्रशांत कुशवाहा, अध्यक्ष(आईकेसीए), डॉ. डी. के. सिंह, श्री एल. पी. जोशी, कार्यपालक निदेशक (टिहरी कॉम्प्लेक्स) एवं डॉ. ए. एन. त्रिपाठी, महाप्रबंधक (मा. सं एवं प्रशा.) भी उपस्थित रहे।

इस चैंपियनशिप ने देश भर के 22 राज्यों और विभिन्न सेवा संस्थानों के 500 से अधिक एथलीट, कोच और टीम मैनेजर को एक साथ लाने का महत्वपूर्ण अवसर प्रदान किया । इस चार दिवसीय आयोजन में राष्ट्रीय खेल 2024 के लिए क्वालीफाइंग चैंपियनशिप के लिए प्रतियोगिताएं भी आयोजित होंगी। टीएचडीसी इंडिया लिमिटेड द्वारा भारतीय कयाकिंग और कैनोइंग एसोसिएशन (आईकेसीए), उत्तराखंड ओलंपिक एसोसिएशन और उत्तराखंड कयाकिंग और कैनोइंग एसोसिएशन के सहयोग से आयोजित यह कार्यक्रम क्षेत्र में खेल उत्कृष्टता और साहसिक एवं रोमांचक खेलों को बढ़ावा देने के लिए समर्पित कई हितधारकों के सामूहिक प्रयासों को उजागर करता है।

माल्टा उत्पादकों चेहरे पर खुशी के लिए दीर्घकालिक योजना जरूरी

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-एप्पल मिशन की तरह सिट्रस मिशन को उत्तराखंड में किया जाए लाॅन्च
-हरेला गांव-धाद का 12 जनवरी तक चलने वाला वार्षिक आयोजन माल्टे का महीना शुरू
-उत्तराखंड हिमालय के फल उत्पादन और बाजार के सवाल पर हरेला गांव-धाद की होंगी विभिन्न गतिविधि
-उद्यान विशेषज्ञ डा. राजेंद्र कुकसाल, किसान बीर भान सिंह और डा. तेजपाल बिष्ट ने रखे विचार

देहरादून (मुख्य संवाददाता), उत्तराखंड हिमालय में फलों के उत्पादन और बाजार के सवाल पर धाद संस्था की ओर से हरेला गांव-धाद का वार्षिक आयोजन माल्टा के महीना शुरू हो गया। विशेषज्ञों ने कहा कि सरकार को चाहिए कि दीर्घकालिक योजना तैयार करें ताकि माल्टा उत्पादकों चेहरे पर खुशी हो। एप्पल मिशन की तरह सिट्रस मिशन को उत्तराखंड में लाॅन्च किया जाना चाहिए।
एक महीने तक चलने वाले इस अभियान में विभिन्न जिलों में लोगों के साथ चर्चा कर माल्टा की महत्ता और बाजार का सही मूल्य के लिए जागरूक किया जाएगा। विशेषज्ञों की ओर से सुझाव भी दिए जाएंगे।
मंगलवार को लैंसडौन चौक स्थित दून पुस्तकालय एवं शोध केंद्र में अभियान की शुरूआत की गई। माल्टा के बहाने: पहाड़ के फल और उनकी आर्थिकी का सवाल विषय पर वक्ताओं ने अपनी बात रखी। बागवानी की आर्थिकी पर भी गहनता से चर्चा हुई।
उद्यान विशेषज्ञ डा. राजेंद्र कुकसाल ने कहा कि विगत तीन दशक से नवम्बर-दिसम्बर माह आते ही हर वर्ष विपणन की समस्या को लेकर माल्टा फल चर्चाओं में रहा है। गढ़वाल और कुमाऊं मंडल विकास निगम को स्पेशल रिवाल्विंग फंड देकर माल्टा बेचने, रुद्रप्रयाग के तिलवाड़ा में गढ़वाल मंडल विकास निगम की ओर से माल्टा फल के प्रोसेसिंग करने, अल्मोड़ा के मटैला में कोल्ड स्टोरेज स्थापित करने, किसानों को कलेक्शन सेंटर पर पहुंचाने पर सात से 10 रुपये प्रतिकिलो समर्थन मूल्य देने की बात समय समय पर हुई। गत वर्ष उत्तराखंड के माल्टा से गोवा में बनेगी वाइन, माल्टा को जीआई टैग आदि इतने सारे सरकारों के प्रयास, दावे के बाद भी इस वर्ष भी माल्टा उत्पादकों के चेहरे अच्छे भाव न मिल पाने के कारण उदास हैं।
उन्होंने कहा कि सरकार को चाहिए कि दीर्घकालिक योजना तैयार करें ताकि माल्टा उत्पादकों चेहरे पर खुशी हो। उत्तराखंड के पहाड़ी जनपदों में 1000 मीटर से 2000 मीटर तक की ऊंचाई वाले स्थानों में माल्टा के बाग देखने को मिलते हैं। उद्यान विभाग के फल उत्पादन के वर्ष 2023 के आंकड़ों के अनुसार राज्य में नींबू वर्गीय फलों (माल्टा संतरा कागजी नींबू)के अंतर्गत क्षेत्र फल 9992 हेक्टेयर और उत्पादन 36912 मैट्रिक टन दर्शाया गया है जबकि 2019-20 के फल उत्पादन आंकड़ों में राज्य में नींबू वर्गीय फलों के अंतर्गत कुल क्षेत्रफल 21739 हेक्टेयर जबकि उत्पादन 91177 मैट्रिक टन रहा। राज्य सरकार ने विगत वर्ष माल्टा के सी-ग्रेड फलों का न्यूनतम समर्थन मूल्य नौ रुपया प्रति किलो निर्धारित किया, जो कि बहुत ही कम है। इस दर पर माल्टा फल उत्पादक जनपदों में बनाए गए कलेक्शन सेंटरों तक माल्टा फल लाने को तैयार नहीं है।
उन्होंने माल्टा के स्वास्थ्यवर्धक और औषधीय गुण के बारे में भी बताया। कहा कि माल्टा में विटामिन-सी प्रचुर मात्रा में पाई जाती है। इसमें एंटीसेप्टिक, एंटी आक्सीडेट गुणों के साथ साथ यह शरीर को डी टोक्स करने में भी मदद करता है। इसमें प्रोटीन, आयरन, फाइबर और विटामिन भरपूर मात्रा में पाया जाता है। माल्टा का छिलका सौंदर्य प्रसाधन में उपयोग किया जाता है। माल्टा के फल, छिलके, रस और बीज के तेल से कई तरह की दवाएं बनाई जाती हैं।
उद्यमी और प्रगतिशील किसान बीर भान सिंह ने कहा कि राज्य सरकार को चाहिए कि माल्टा और माल्टा के उत्पादों को हाउस आफ हिमालया के उत्पादों के साथ अच्छी ब्रांडिंग कर इसका प्रचार-प्रसार हो। राज्य में जैविक और पोषित तत्वों से भरपूर माल्टा को अभी तक राज्य सरकार की ओर से राज्य के बाहर विपणन की व्यवस्था नहीं की गई। ना ही मंडियों से संपर्क किया गया कि उत्तराखंड में यह फल प्रचुर मात्रा में है। जहां विदेशी माल्टा देशभर में 200-250 रुपये प्रतिकिलो बिक रहा है वहीं राज्य का माल्टा 30-35 रुपये तक ही पहुंच पाया है। राज्य सरकार इसे नौ रुपये के दर से क्रय कर रही है। किसान बोरियों में माल्टा को मंडियों में भेजते हैं। राज्य का मार्केटिंग बोर्ड आजतक माल्टा के लिए गत्ते के डिब्बे उपलब्ध नहीं करा पाया है। यदि फल बाेरियों में आएगा तो बिक्री भी उसी हिसाब से होगी। ऐसे में बागवानों और स्वयं सेवी संस्थाओं को साथ मिलकर इसके विपणन पर ध्यान देने की जरूरत है।
केंद्रीय विश्वविद्यालय श्रीनगर गढ़वाल के उद्यानिकी विभाग डा. तेजपाल बिष्ट ने बताया कि माल्टा के लिए राज्य में वातावरण बेहतर है। ऊंचाई के आधार पर देहरादून से चमोली और उत्तरकाशी में इसकी अधिकता है। आज जरूरत है तो मार्केटिंग और प्रोसेसिंग की। आजकल राज्य में बहुतायात में माल्टा है लेकिन, बाजार में दाम किसानों के लिए ज्यादा संतोषजनक नहीं हैं। ऐसे में एप्पल मिशन की तरह सिट्रस मिशन को उत्तराखंड में लाॅन्च करना चाहिए। माल्टा का जूस को सालभर तक पी सकें इसपर भी कार्य करने की जरूरत है। जूस के अलावा माल्टा का बाहरी छिलका में तेल व दवा बनाई जा सकती है। मध्यभाग में स्थित सफेद छिलके से शुगर कैंडी बन सकती है। उत्तराखंड में हमें एक-दो आइडल लोकेशन चयनित करने होंगे ताकि बेहतर कलेक्शन और लंबे समय तक माल्टा को रखा जा सके।
इस मौके पर अवधेश शर्मा, दिनेश भंडारी, दिनेश बौड़ाई, शेर सिंह, वीरेन्द्र सिंह असवाल, लोकेश ओहरी, रितु भारद्वाज, राजेश नेगी, पूजा चमोली, हिमांशु आहूजा, गणेश उनियाल, वीरेन्द्र खंडूरी, बिजू नेगी, बी एस खोलिया, मानवेन्द्र सिंह बर्तवाल, रोशन धस्माना, गजेंद्र भंडारी, महाबीर सिंह रावत, देवेन्द्र कांडपाल आदि उपस्थित थे।

माल्टा को बाजार और सही कीमत न मिलना चिंताजनक :

धाद के सचिव तन्मय ममगाईं ने कहा कि एक समय था जब माल्टा को सभी सरकार उसी तर्ज पर आगे बढ़ाया जैसे आजकल कीवी और एपल मिशन पर जोर दिया जा रहा है। माना गया था कि कि माल्टा पहाड़ में फल उत्पादन की आर्थिकी में बदलाव की नई इबारत लिखेगा।. लेकिन, आज जब प्रदेश में हर वर्ष लगभग 90 हजार मैट्रिक टन का उत्पादन हो रहा है तब उसका पहाड़ के आर्थिक तंत्र में योगदान न के बराबर है। बाजार और सही कीमत न मिलना भी चिंताजनक है। फलों की सही कीमत और बाजार के लिए गठित मार्केटिंग बोर्ड की भूमिका पर भी सवाल है। सामाजिक राजनीतिक क्षेत्र में इस मुद्दे को लेकर उदासीनता भी चिंताजनक है। इन सभी सवाल को लेकर हरेला गांव-धाद का वार्षिक आयोजन माल्टे के महीने आयोजित किया जा रहा है। उन्होंने बताया कि 12 जनवरी तक चलने वाले इस अभियान में माल्टे का महीने उत्तराखंड हिमालय के फल उत्पादन और बाजार के सवाल पर हरेला गांव-धाद की विभिन्न गतिविधि होगी। जहां भी माल्टा का उत्पादन हो रहा है वहां के किसानों के साथ संवाद किया जाएगा। मोहल्लों में माल्टा कचमोली का भी आयोजन होगा।

2022 में दो कुंतल तो 2023 में बढ़कर 10 कुंतल हुई बिक्री :

माल्टे का महीना : हरेला गांव-धाद का वार्षिक आयोजन पहाड़ में सर्दियों में होने वालों फलों के पक्ष पर आधारित है। इसमें फलों के उत्पादन, बाजार और आर्थिकी की बात पर केंद्रित गतिविधि होती है। उन किसानों की परेशानी को भी सामने रखते जो उत्पादन तो कर रहे हैं लेकिन सही कीमत नहीं मिल पा रहा है। अभियान में विशेषज्ञों के संवाद होते हैं। वर्ष 2022 में एक दिन का विमर्श और विक्रय का आयोजन किया गया जिसमें दो कुंतल माल्टा नारंगी की खरीददारी हुई। इसी तरह 2023 में गांधी पार्क में स्टाल लगाए और घर पहुंचाने की व्यवस्था बनाई तो संख्या बढ़कर 10 कुंतल तक पहुंचा। इस वर्ष फंची सहकारिता की मदद से मोबाइल वैन का प्रयोग कर रहे है।

कार्यक्रम में विशेषज्ञों के सुझाव :

-उत्पादित माल्टा का समर्थन मूल्य बढ़ाया जाए। वर्तमान में कम दरों पर माल्टा उत्पादक क्लेक्शन सेंटर तक माल्टा पहुंचाने में असमर्थ हैं, माल्टा उत्पादकों को मंडियों तक माल्टा भेजने के लिए ट्रांसपोर्ट सब्सिडी मिले।
-माल्टा/ अन्य फलों के विपणन के लिए उत्तराखंड औद्यानिक परिषद को सुदृढ़ व सक्रिय किया जाए। सेब की तरह ही माल्टा कीवी आदि फलों की पैकिंग के लिए पेटियां उपलब्ध कराई जाए।
-माल्टा फलों को गर्मियों तक सुरक्षित रखने के लिए माल्टा उत्पादित ऊंचे, ठडें छायादार स्थानों में आसान टैक्नोलॉजी वाले कूल हाउसों का निर्माण कराया जा सकता है।
-उत्तराखंड के माल्टा फल को जीआई टैग भौगोलिक संकेतांक मिलना राज्य सरकार की उपलब्धि है लेकिन इसका लाभ माल्टा उत्पादकों को कैसे मिलें कृषकों को इसकी कोई जानकारी नहीं है। टैग का लाभ किसानों को मिले इस दिशा में प्रयास होने चाहिए।
-जिन क्षेत्रों में उद्यान सड़क से दूर हैं फलों और सब्जियों के ढुलान के लिए रोप वे का निर्माण किया जाना चाहिए ताकि फल व सब्जी जल्दी बाजार तक पहुंच सके।

हरेला गांव है सामाजिक पहल :

धाद संस्था का हरेला गांव गांव के सवाल के पक्ष में यह सामाजिक पहल है। जिसमें खाली हो रहे गांव और खेतों के बंजर होने के सवाल पर सामाजिक सहभागिता के साथ काम किया जाता है। हरेला गांव के साथी पहाड़ के गांव के साथ खड़ा होने के साथ उसकी बेहतरी के लिए अपने सुझाव देते हैं। साथ ही हम इसमें गांव के उत्पादन, उसकी चुनौतियों और उसके बाजार के सवाल पर अलग-अलग गतिविधियों का आयोजन भी करते हैं।

नगर निकाय चुनाव की राह की आखिरी बाधा भी हटी: राज्यपाल ने दी ओबीसी आरक्षण अध्यादेश को मंजूरी

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देहरादून, उत्तराखंड़ में निकाय चुनावों क आखिरी बाधा भी हट गई है। राजभवन ने निकायों में ओबीसी आरक्षण संबंधी अध्यादेश को मंजूरी दे दी है। अब एकल सदस्यीय समर्पित आयोग की रिपोर्ट के हिसाब से ओबीसी आरक्षण लागू होगा। अनुमान लगाया जा रहा है कि दिसंबर महीने के अंत में निकाय चुनाव की अधिसूचना जारी हो सकती है।
उत्तराखंड के निकाय चुनाव के लिए अध्यादेश को विधि विभाग की हरी झंडी मिल गई थी। विभाग ने अपनी कानूनी राय राजभवन को भेजी थी। जिसके बाद राजभवन को इस पर निर्णय लेना था। निकाय चुनाव के लिए ओबीसी आरक्षण लागू किया जाना है। इसके लिए शासन ने राजभवन को कानून में बदलाव के मकसद से अध्यादेश भेजा था।
राजभवन की विधि टीम ने किसी कानून का हवाला देते हुए इसे रोक लिया था। राजभवन ने ही शासन में विधि विभाग से इस पर राय मांगी। विधि विभाग ने इसे हरी झंडी दे दी। कुछ कानूनों का हवाला देते हुए विधि विभाग ने माना है कि राजभवन चाहे तो अध्यादेश को मंजूरी दे सकता है।
अब राज्यपाल ने अध्यादेश को मंजूरी दे दी है, जिसके साथ ओबीसी आरक्षण लागू करने की प्रक्रिया तेजी से शुरू हो जाएगी। उसके बाद निकाय चुनाव होंगे।

बांग्लादेश में हिन्दुओं पर हो रहे हमलों के विरोध में सड़कों पर उमड़ा जनसैलाब

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आक्रोश रैली के दौरान दो घंटे बाजार पूर्णतः रहा बंद

देहरादून, बांग्लादेश में हो रहे हिन्दुओं पर हमलों के विरोध में विभिन्न संगठनों की आक्रोश रैली में जन सैलाब सडकों पर उतरा। व्यापारियों ने स्वेच्छा से दो घंटे बाजार पूर्णतः बन्द रखा। हिन्दूवादी संगठनों के साथ ही विभिन्न संगठनों ने बांग्लादेश में हिन्दुओं पर हो रहे हमलों के विरोध में आक्रोश रैली का आयोजन किया गया। सुबह से ही विभिन्न सामाजिक धार्मिक समस्त मठ मंदिरों ब्राहमण समाज, व्यापार मंण्डल, सफाई कर्मचारी संगठन, केमिस्ट एसोसिएशन, पलटन बाजार व अन्य दुकानदार समितियोंं के कार्यकर्ता रेंजर्स ग्राउंड में एकत्रित होने शुरू हो गये। इसके साथ ही अधिवक्ता भी अपने कार्य से विरत रहे और आक्रोश रैली को अपना पूर्ण समर्थन दिया। इस दौरान कचहरी में स्टांप वेंडर, टाइपिग आदि गतिविधियां भी पूरी तरह से बंद रही। इसके साथ ही व्यापार मंडल ने भी दो घंटे बाजार बंद रखा। उनका कहना था कि बांग्लादेश में जातीय आधार पर अल्पसंख्यकों का उत्पीडन और यातनाएं दी जा रही हैं। कटटरपंथियों की ओर से मानवाधिकारों को तिलांजलि दी जा रही है। खुलेआम मानवाधिकारों का हनन किया जा रहा है। वहां की सरकार मूक दर्शक बनी हुई है। उन्होंने कहा कि बांग्लादेश में अल्पसंख्यक हिन्दू समुदाय, विशेष रूप से महिलाओं पर निर्दयतापूर्ण और बर्बर अत्याचार किये जा रहे हैं। बंग्लादेश में मौहम्मद युनुस की अंतरिम सरकार बनने के बाद इन घटनाओं में भयावह वृद्धि देखी गयी जिसमें धर्मस्थलों पर तोडफोड, जबरन मतांतरण, घरों और व्यावसायों की लूटपाट, आगजनी, हत्याएं और महिलाओं पर गम्भीर अत्याचार शामिल हैं। जिस व्यवस्था में आतंकवादियों और अपराधियों के भी मानव अधिकारों की पैरवी अंतराष्ट्रीय स्तर पर बडे देश संस्थाएं और व्यक्ति कर रहे हो वहां हिन्दू समाज जो शांत, सहिष्णु, समन्वय और देश भक्त और प्रत्येक देश के कानून को सदैव मानने वाला रहा है। उसी समाज पर दर्दनाक अत्याचार होना व्यापक आव्रQोश का कारण बन रहा है। रैली रेंजर्स ग्राउंड से दर्शनलाल चौक, घंटाघर चौक, पलटन बाजार, धामावाला, राजारोड चौक, लक्खीबाग चौक से होते हुए प्रिंस चौक से कचहरी स्थित जिलाधिकारी कार्यालय पहुंची। जहां पर उन्होंने जिलाधिकारी के माध्यम से राष्ट्रपति व प्रधानमंत्री को ज्ञापन प्रेषित किया। इस दौरान पुलिस प्रशासन ने भी सुरक्षा के कडे इंतेजाम किये हुए थे। एसपी सिटी प्रमोद कुमार, शहर कोतवाली, कैण्ट कोतवाली बसंत विहार व पटेलनगर कोतवाली पुलिस रैली के आगे व पीछे तैनात रहे।

धारदार चाकू सहित एक गिरफ्तार

हरिद्वार, वारदात की फिराक में घूम रहे एक बदमाश को पुलिस ने धारदार चाकू सहित गिरफ्तार कर लिया है। आरोपी शातिर किस्म का बदमाश है जो पहले भी कई बार जेल जा चुका है।जानकारी के अनुसार बीती रात कोतवाली रानीपुर पुलिस गश्त पर थी। इस दौरान पुलिस जब एचआरडीसी कार्यालय पानी की टंकी के करीब पहुंची तो उसे वहंा एक संदिग्ध घूमता हुआ दिखायी दिया। पुलिस ने जब उसे रूकने का इशारा किया तो वह सकपका कर भागने लगा। इस पर उसे घेर कर दबोचा गया। तलाशी के दौरान उसके पास से एक धारदार चाकू बरामद हुआ। पूछताछ में उसने अपना नाम लविश कुमार पुत्र लक्ष्मीचन्द निवासी वाटर वर्कस कालोनी शिवलोक कोतवाली रानीपुर हरिद्वार बताया। पुलिस के अनुसार आरोपी शातिर किस्म का बदमाश है जो पूर्व में कई मामलों में जेल जा चुका है। बहरहाल पुलिस ने उसे न्यायालय में पेश कर जेल भेज दिया गया है।

विश्व आयुर्वेद सम्मेलन देहरादून में 12 दिसंबर से शुरू होगा

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4 दिवसीय सम्मेलन का मुख्य विषय है: डिजिटल स्वास्थ्य-आयुर्वेद के ज़रिए

देहरादून,  विश्व आयुर्वेद सम्मेलन (WAC 2024) और आरोग्य एक्सपो का 10वां संस्करण 12 दिसंबर से यहां शुरू हो रहा है. यह सम्मेलन मौजूदा दौर में भारत की प्राचीन और असरदार रहने वाली स्वास्थ्य प्रणाली की वैश्विक मंच पर पहचान की दिशा में ठोस कदम का वादा पूरा करती है.

अपने मुख्य विषय, ‘डिजिटल स्वास्थ्य, आयुर्वेद के ज़रिए’ के आधार पर इस चार दिवसीय कार्यक्रम में आयुर्वेद से संबंधित विभिन्न पहलुओं की चर्चा की जाएगी. आयुर्वेद में नए शोध और विकास परियोजनाओं को बेहतर तरीके से इस्तेमाल करने पर भी विचार किया जाएगा. साथ ही, मौजूदा दौर की ज़रूरतों के मुताबिक नई तकनीक के इस्तेमाल पर भी बात की जाएगी.

आयुर्वेद चिकित्सकों, शोधकर्ताओं, प्रशासकों, राजनयिकों, शिक्षकों और छात्रों के सबसे बड़े अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन का आयोजन विश्व आयुर्वेद फाउंडेशन (WAF) की ओर से होता है. यह विज्ञान भारती की एक पहल है. इस सम्मेलन का आयोजन हर दो साल पर किया जाता है.

इस मेगा-इवेंट का आयोजन आयुष मंत्रालय, भारत सरकार, उत्तराखंड सरकार और कुछ दूसरी राज्य सरकारों के साथ प्रमुख आयुर्वेदिक संस्थान और प्रतिष्ठान WAF के साथ मिलकर कर रहे हैं.

उत्तराखंड के मुख्यमंत्री  पुष्कर सिंह धामी ने कहा, ‘राज्य के लिए WAC 2024 की मेजबानी करना गर्व की बात है.’ कि उत्तराखंड प्राचीन काल से ही योग और आयुष की भूमि रही है.

मुख्यमंत्री ने उत्तराखंड को “प्रज्ञा भूमि” बताते हुए कहा कि इस खूबसूरत प्राकृतिक भूभाग में आयुर्वेद के विकास के कई कारण हैं. “यहां की शुद्ध जलवायु, उर्वर भूमि और औषधीय पौधों की बहुलता इसके प्रमुख कारण हैं. ऋषियों ने यहां आयुर्वेद से जुड़े गहन शोध और प्रयोग किए हैं,” उन्होंने कहा.

विज्ञान भारती के अध्यक्ष डॉ. शेखर मांडे ने कहा कि ‘डिजिटल स्वास्थ्य’ शब्द का अर्थ काफ़ी विस्तृत है. यह शब्द एक साथ कई दृष्टिकोण को बताता है. इसमें टेक्नोलॉजी और स्वास्थ्य सेवा को एक साथ जोड़कर काम करने का नज़रिया है.

डॉ. मांडे ने कहा कि डिजिटल हेल्थ प्लेटफ़ॉर्म का इस्तेमाल कई क्षेत्रों में किया जा सकता है. बच्चों के लिए स्वास्थ्य, जराचिकित्सा, महामारी और वैश्विक महामारी जैसे अलग-अलग क्षेत्रों में स्वास्थ्य समस्याओं में समाधान देने में बड़ी भूमिका निभाने में सक्षम है.

उन्होंने आगे कहा, ‘WAC का यह संस्करण नई तकनीक का इस्तेमाल बेहतर तरीकों के लिए कैसे हो सकता है, इस पर खास तौर पर विचार किया जाएगा. इसके लिए AI (आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस), AR (संवर्धित वास्तविकता) और ब्लॉकचेन जैसी नई तकनीक का इस्तेमाल आयुर्वेद के अलग-अलग क्षेत्रों में इस्तेमाल करने के लिए किया जा सकता है.’

इस कार्यक्रम में भाग लेने के लिए भारत से 5,500 से ज़्यादा प्रतिभागियों ने रजिस्ट्रेशन किया है. इसमें 54 देशों के 350 से अधिक प्रतिनिधि भी शामिल होंगे.

इस कार्यक्रम में 150 से अधिक तकनीकी सत्रों के साथ-साथ पैनल चर्चा होगी. इसके अलावा, 13 कला और संस्कृति से जुड़े कार्यक्रम भी होंगे. वैज्ञानिक सत्र, एक अंतर्राष्ट्रीय प्रतिनिधि सभा, स्वास्थ्य मंत्रियों का सम्मेलन, निवेशकों की बैठक भी इस दौरान होगी. गुरु-शिष्य भेंट और मेडिकल पेशे से जुड़े प्रतिनिधियों के लिए कॉनक्लेव का आयोजन होगा. सैटेलाइट सेमिनार का भी आयोजन होगा. ये सभी कार्यक्रम प्रतिनिधियों और शामिल होने वाले अतिथियों को लगातार व्यस्त रखेंगे. सम्मेलन में इस पर भी चर्चा होगी कि आयुर्वेद किस तरह से अलग-अलग स्वास्थ्य क्षेत्र की चुनौतियों के बीच समाधान दे सकता है.

इस कार्यक्रम के आयोजन में मेजबान राज्य उत्तराखंड के अलावा गुजरात, गोवा, केरल, महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश और पश्चिम बंगाल की सरकारें भी भागीदार राज्यों तौर पर हिस्सा ले रही हैं.

सम्मेलन में आयुर्वेद के प्रतिष्ठित संस्थान संरक्षक के तौर पर सहयोग कर रहे हैं. इसके अलावा, देश भर के विश्वविद्यालय सहयोगी के रूप में अपनी भागीदारी निभा रहे हैं.

आरोग्य एक्सपो में भारत और विदेशों के प्रमुख आयुर्वेदिक संस्थानों के उत्पादों और सेवाओं की प्रदर्शनी भी लगाई जाएगी. इसमें 350 से ज़्यादा स्टॉल पर 150,000 लागों के आने की उम्मीद की जा रही है.

श्री धामी के अलावा, आयुष मंत्रालय और स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय के केंद्रीय राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) श्री प्रतापराव गणपतराव जाधव, आयुष मंत्रालय के सचिव श्री वैद्य राजेश कोटेचा, WAF के मैनेजिंग ट्रस्टी डॉ. जयप्रकाश नारायण और WAC की राष्ट्रीय आयोजन समिति के अध्यक्ष और एवीएस कोट्टक्कल के मैनेजिंग ट्रस्टी डॉ. पीएम वारियर अलग-अलग सत्रों को संबोधित करेंगे.

WAF विज्ञान भारती की एक पहल है जिसकी स्थापना साल 2011 में की गई थी. इसका उद्देश्य आयुर्वेद को वैश्विक स्तर पर पहुंचाना है. साथ ही, इससे जुड़े सभी हितधारकों के सभी वर्गों से सहयोग हासिल करना भी है.WAC का पिछला संस्करण साल 2022 में गोवा की राजधानी पणजी में आयोजित किया गया था.

WAC के पिछले संस्करणों के मुख्य विषय आयुर्वेद और विश्व स्वास्थ्य, आयुर्वेद का वैश्वविक विस्तार, आयुर्वेद को मुख्यधारा में लाना, सबके लिए आयुर्वेद, आयुर्वेद के ज़रिए सार्वजनिक स्वास्थ्य को बेहतर करना, आयुर्वेद पारिस्थितिकी तंत्र को मजबूत करना, स्वास्थ्य पर ध्यान केंद्रित करना और स्वास्थ्य के लिए आयुर्वेद थे.

प्रदेश के 23 पीसीएस अधिकारियों हुये तबादले

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देहरादून, प्रदेश सरकार ने विगत दिनों आईएएस अधिकारियों के तबादले के बाद अब फिर राज्य सिविल सेवा के 30 अधिकारियों को इधर-उधर किया है तथा तत्काल इन्हें नवीन तैनाती स्थल पर पदभार ग्रहण करने के निर्देश दिए हैं ।
तत्काल प्रभाव से राज्य सिविल सेवा (कार्यकारी शाखा) के निम्नलिखित अधिकारियों को उनके नामों के सम्मुख कॉलम-3 में अंकित उनकी वर्तमान तैनाती के पदभार / विभाग से अवमुक्त करते हुए कॉलम-4 में उल्लिखित पदभार / विभाग में तैनात किया जाता है |

ओएनजीसी से रिटायर बुजुर्ग की संदिग्ध हालत में मौत, पुलिस जांच में जुटी, हत्या की आशंका

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देहरादून, जनपद के थाना वसंत विहार को सूचना प्राप्त हुई की अलकनंदा एंक्लेव में स्थित एक घर से एक बुजुर्ग व्यक्ति के चिल्लाने की आवाज आ रही है। सूचना पर थाना बसंत विहार से पुलिस बल तत्काल मौके पर पहुंचा। मौके पर अलकनंदा एन्क्लेव में स्थित एक मकान में एक बुजुर्ग व्यक्ति घायल अवस्था में पड़े थे, जिनके पेट पर गहरे घाव के निशान थे, जिन्हें पुलिस कर्मियों द्वारा तत्काल उपचार हेतु इंद्रेश अस्पताल ले जाया गया, जहाँ डॉक्टर ने उन्हें मृत घोषित कर दिया।
मृतक व्यक्ति की पहचान अलकनंदा एंक्लेव, जीएमएस रोड निवासी अशोक कुमार गर्ग के रूप में हुई जिनकी उम्र 75 वर्ष बतायी जा रही है। मृतक के संबंध में जानकारी करने में ज्ञात हुआ कि मृतक ओएनजीसी से रिटायर हुए थे तथा मकान में अकेले रहते थे। घटनास्थल पर तत्काल पुलिस व फॉरेंसिक टीम द्वारा घटनास्थल का गहनता से निरीक्षण किया गया व जांच की जा रही है, वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक देहरादून द्वारा तत्काल मौके पर पहुंचकर घटनास्थल का निरीक्षण कर अधिकारियों व पड़ोसियों से घटना के संबंध में जानकारी ली गई व घटना के खुलासे के तत्काल निर्देश दिए गए। अब पुलिस की जांच के बाद ही मौत होने का पता चल पायेगा |

मुख्यमंत्री ने किया 10वें विश्व आयुर्वेद कांग्रेस के कर्टेन रेजर एवं प्रोग्राम गाइड का विमोचन

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    – 10वीं विश्व आयुर्वेद कांग्रेस को आयुर्वेद के क्षेत्र में राज्य को नई पहचान दिलाने वाला बताया प्रयास
    – उत्तराखण्ड प्राचीन काल से रही है आयुर्वेद व प्रज्ञा की भूमि
   –  उत्तराखंड अपनी प्राकृतिक संपदा, औषधीय पौधों और शांत हिमालयीय वातावरण के लिए है दुनिया भर में प्रसिद्ध : मुख्यमंत्री
देहरादून(आरएनएस)।  मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने उत्तराखण्ड को योग एवं आयुष की भूमि बताते हुए देहरादून में आयोजित होने वाली 10वीं विश्व आयुर्वेद कांग्रेस को आयुर्वेद के क्षेत्र में राज्य को नई पहचान दिलाने वाला प्रयास बताया है। उन्होंने कहा कि इस माह 12 से 15 दिसम्बर तक आयोजित होने वाले इस वैश्विक आयोजन में होने वाले चिंतन, मंथन एवं विचार विमर्श से निकलने वाला अमृत आयुर्वेद के क्षेत्र में भारत को ही नहीं विश्व को जगाने का कार्य करेगा। उन्होंने कहा कि कोरोना महामारी के दौर में आयुर्वेद एवं आयुष का प्रभाव लोगों ने देखा है। सोमवार को मीडिया सेन्टर सचिवालय में 10वें विश्व आयुर्वेद कांग्रेस के कर्टेन रेजर एवं प्रोग्राम गाइड का विमोचन करते हुए मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि यह आयोजन सर्वे सन्तु निरामयः का संदेश भी घर घर तक पहुंचाने में मददगार होगा।
मुख्यमंत्री ने कहा कि उत्तराखण्ड प्राचीन काल से आयुर्वेद व प्रज्ञा की भूमि रही है। हमारे ऋषि मुनियों एवं मनीषियों ने इस दिशा में व्यापक शोध कर हमें यह विधा प्रदान की है। हमारे राज्य की जलवायु औषधीय पादपों के सर्वथा अनुकूल है। आयुर्वेद का विषय राज्य के साथ हिमालय व वनों का भी है। हमारा राज्य हर क्षेत्र में अग्रणी बनें आगे बढ़े इस दिशा में हम प्रयासरत है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने राज्य स्थापना दिवस के अवसर पर अपने संदेश में कहा था कि उत्तराखण्ड में विकास का यज्ञ चल रहा है। प्रधानमंत्री का मार्गदर्शन राज्य के विकास के प्रति हमें सतत प्रयत्नशील रहने की प्रेरणा देता है। मुख्यमंत्री ने कहा कि हमने राज्य हित में अनेक निर्णय लिये है। राज्य में कठोर नकल विरोधी कानून बनाया गया है, समान नागरिक संहिता लागू करने की दिशा में प्रयास जारी है। राज्य के समग्र विकास में हमारे प्रयासों को नीति आयोग द्वारा भी सराहा गया है। इसी का परिणाम है कि सतत विकास लक्ष्यों की प्राप्ति में राज्य को प्रथम स्थान प्राप्त हुआ है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि उत्तराखंड अपनी प्राकृतिक संपदा, औषधीय पौधों और शांत हिमालयीय वातावरण के लिए दुनिया भर में प्रसिद्ध है। इस वैश्विक आयुर्वेद कांग्रेस में 58 देशों से 300 से अधिक अंतरराष्ट्रीय प्रतिनिधि प्रतिभाग कर रहे हैं। जबकि देश भर के 6500 प्रतिनिधियों और 2 लाख आगंतुकों के साथ यह आयोजन ज्ञान और सहयोग का अद्वितीय मंच बनेगा। उत्तराखण्ड का पवेलियन-प्रदेश के 8 विभागों आयुर्वेदिक, होम्योपैथी, स्वास्थ्य, कौशल विकास, पर्यटन, उद्योग, उद्यान, ग्राम्य विकास के स्टॉल समेकित रूप से उत्तराखण्ड को आयुर्वेद और वेलनेस पर्यटन के प्रमुख केन्द्र के रूप में बढ़ावा देने में सहायक होंगे। यह आयुर्वेद के फायदों और आधुनिक तकनीक के साथ इसके एकीकरण के प्रति जागरूकता फैलायेगा तथा आयुर्वेद के क्षेत्र में ज्ञान साझा करने, शोध सहयोग और व्यापार के अवसरों को बढ़ावा देगा। उत्तराखण्ड और भारत में आयुष क्षेत्र के विकास और प्रगति में योगदान देने में भी यह आयोजन मददगार रहेगा।
मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य में आयुष नीति के माध्यम से आयुष निर्माण, वेलनेस, शिक्षा, कृषि सेक्टर को गति प्रदान की जा रही है। देश की प्रथम योग नीति निर्माण का कार्य भी प्रगति पर है। जबकि राज्य में 03 नये 50 शैय्या युक्त आयुष चिकित्सालयों का निर्माण कार्य टिहरी /कोटद्वार/टनकपुर में किया जा रहा है। राज्य में आयुष आधारित 300 आयुष्मान आरोग्य मंदिरों की स्थापना पूर्ण की जा चुकी है। सभी आयुष अस्पतालों में टेलीमेडिसिन/पंचकर्म/ मर्म चिकित्सा इत्यादि सुविधाएं प्रदान की जा रही हैं। राज्य के 150 से अधिक आयुष चिकित्सालय छ।ठभ् ।बबतमकपजंजपवद  प्राप्त कर चुके है।
इस अवसर पर मुख्य सचिव राधा रतूडी, सचिव रविनाथ रमन ने भी अपने विचार रखे। 10वें विश्व आयुर्वेद कांग्रेस के ट्रस्टी रजनीश पौराणिक द्वारा कार्यक्रम की विस्तृत जानकारी प्रदान की गई। कार्यक्रम का संचालन निदेशक आयुष विजय जोगदंडे ने किया।

उत्तराखंड को भाजपा सरकार ने बना दिया मदिरा प्रदेश

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-प्रदेश में शराब में ओवर रेटिंग से हो रही जनता की खुली लूट
-कांग्रेस उपाध्यक्ष का सरकार पर बड़ा हमला
-प्रदेश में आबकारी विभाग माफिया के हवाले : सूर्यकांत धस्माना

देहरादून (एल मोहन लखेड़ा), पिछले विधानसभा चुनाव में अपने घोषणा पत्र में उत्तराखंड को धीरे धीरे मध्यनिषेध की ओर ले जाने का वायदा करने वाली प्रदेश की भाजपा सरकार ने देवभूमि उत्तराखंड को पर्यटन प्रदेश से मदिरा प्रदेश में तब्दील कर दिया है, पूरे प्रदेश में कदम कदम पर शराब की दुकान खोल दी गई है जिससे राज्य का युवा नौजवान बर्बाद हो रहा है और सरकार एक ओर अपना खजाना शराब की कमाई से भर रही है और भाजपा नेताओं व सरकार में शामिल ओहदेदारों की जेब शराब की ओवर रेटिंग की काली कमाई से भर रही है यह आरोप आज उत्तराखंड प्रदेश कांग्रेस कमेटी के वरिष्ठ उपाध्यक्ष सूर्यकांत धस्माना ने प्रदेश कांग्रेस मुख्यालय में आयोजित पत्रकार वार्ता में लगाया। प्रदेश सरकार की आबकारी नीति पर हमला बोलते हुए उन्होंने कहा कि विदेशी शराब की दुकान थोक के भाव खोली जा रही हैं और अकेले देहरादून में अब तक रेगुलर टैंडर प्रक्रिया से खुलने वाली शराब की दुकानों के अतिरिक्त पैंसठ नई विदेशी शराब की दुकानें खोली जा चुकी हैं और पचास से ज्यादा नई दुकानें खोलने की तैयारी है जिसके लिए पंद्रह लाख रुपए लाइसेंस फीस के अलावा इतनी ही रकम रिश्वत के रूम में वसूली जा रही है।
धस्माना ने कहा कि प्रदेश की लगभग सभी देसी व अंग्रेजी शराब की दुकानों से शराब के निर्धारित दामों से अधिक पैसा ग्राहकों से वसूला जा रहा है।उन्होंने कहा कि प्रति माह देसी शराब की साढ़े तीन लाख पेटी शराब, अंग्रेजी की चार लाख पेटी व बियर की चार लाख पेटी की बिक्री होती है ।श्री धस्माना ने कहा कि पव्वे पर पांच, अधे पर दस और बोतल पर बीस रुपए निर्धारित रेट से अधिक वसूले जा रहे हैं और प्रति माह पच्चीस करोड़ रुपए ओवररेटिंग से अवैध तरीके से वसूले जा रहे हैं।
श्री धस्माना ने कहा कि पड़ोसी राज्य उत्तरप्रदेश का एक शराब माफिया जिसे सत्ताधारी भाजपा सरकार के ओहदेदारों का संरक्षण प्राप्त है पूरे आबकारी विभाग को चला रहा है। श्री धस्माना ने कहा कि यह व्यक्ति जो ना तो सरकार का कोई ओहदेदार है ना ही शासन प्रशासन का कोई अधिकारी है वह आबकारी विभाग के अधिकारियों की तैनाती से लेकर एफ एल टू और शराब की हर नीति का निर्धारण कर रहा है। श्री धस्माना ने आरोप लगाया कि शराब की ओवर रेटिंग की कमाई की वसूली करने वाला यह व्यक्ति अगली शराब नीति में पुराने ठेकों को रिन्यूअल के नाम पर भी ठेकेदारों से भरी रकम वसल कर रहा है।
धस्माना ने कहा कि कांग्रेस प्रदेश के मुख्यमंत्री से यह मांग करती है कि राज्य में शराब की दुकानों पर ओवर रेटिंग पर तत्काल रोक लगाई जाए और शराब नीति को प्रभावित करने वाले व आबकारी विभाग पर अवैधानिक तरीके से हस्तक्षेप करने वाले व्यक्ति के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाए।

 

पर्यावरण गतिविधि ने प्रयागराज महाकुंभ के लिये भेजे 500 थैले एवं स्टील थाली

देशरादून, पर्यावरण गतिविधि द्वारा प्रयागराज में 13 जनवरी 2025 से आयोजित होने वाले महाकुंभ-2025 के लिए महानगर देहरादून से पहले चरण में सोमवार को 500 स्टील की थाली और 500 कपड़े के थैले प्रयागराज भेजे गए।
इस अवसर पर पर्यावरण गतिविधि के महानगर संयोजक डॉ. भवतोष शर्मा ने बताया कि पर्यावरण गतिविधि द्वारा पूरे देश से महाकुंभ में पर्यावरण के संरक्षण को ध्यान में रखते हुए हर घर से “एक थैला- एक थाली” अभियान के अंतर्गत स्टील की थाली एवं कपड़े के थैले भेजे जा रहे हैं। उन्होंने बताया कि दिसंबर माह में देहरादून महानगर से कम से कम 5000 थाली और 5000 थाली भेजी जानी है । इसी कड़ी में आज पहले चरण में देहरादून के घर घर से एकत्र की गयी 500 थाली और 500 थैले प्रयागराज भेजे गए हैं। उन्होंने कहा कि पूर्व में हरिद्वार में आयोजित महाकुंभ में भी पर्यावरण गतिविधि द्वारा थैला अभियान लिया गया था जो बहुत सफल रहा था। इस अवसर पर गतिविधि के प्रांत सह संयोजक श्री चंदन बिष्ट जी ने कहा कि पर्यावरण की रक्षा के लिए प्लास्टिक पॉलीथिन मुक्त कुम्भ हेतु थैला थाली अभियान चलाया गया है।
इस अवसर पर मुख्य वक्ता राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ उत्तराखंड के प्रांत प्रचार प्रमुख श्रीमान संजय जी ने कहा कि इस प्रयागराज महाकुंभ को हरित कुम्भ के रूप में मनाया जा रहा है तथा पर्यावरण गतिविधि द्वारा महानगर देहरादून एवं उत्तराखंड प्रांत में थैला थाली अभियान लिया गया है जो कि बहुत सराहनीय कार्य है। उन्होंने कहा कि इस अभियान को मिलकर सफल बनाना है जिससे प्रयागराज महाकुंभ में आने वाले लगभग 40 करोड़ श्रद्धालुओं को प्लास्टिक पॉलीथिन के स्थान पर थाली और थैले का विकल्प उपलब्ध होगा और पर्यावरण पर प्रतिकूल प्रभाव नहीं पड़ेगा।
इस अवसर पर गतिविधि के प्रांत संयोजक और प्रख्यात पर्यावरणविद श्री सच्चिदानंद भारती जी ने कहा कि पर्यावरण की रक्षा करना हम सभी का कर्तव्य है। उन्होंने कहा कि हवा, पानी, मिट्टी सब की रक्षा करने की दिशा में थैला थाली अभियान बहुत उपयोगी सिद्ध होगा।
इस अवसर पर दक्षिणी महानगर संयोजक श्री जगदंबा नौटियाल ने कहा कि महानगर में थैला थाली अभियान सफलता की ओर है। प्रोफेसर डॉ दीपक सेमवाल जी ने पर्यावरण और मानव स्वास्थ्य पर बताया। इस अवसर पर सेवा भारती से श्री देव राज जी, प्रांत कार्यालय प्रमुख श्री सत्येंद्र रावत जी प्रमुख रूप से उपस्थित रहे।

 

गढ़वाली, कुमाउनी भाषाओं को संविधान की आठवीं अनुसूची में शामिल करे सरकार

नई दिल्ली, उत्तराखण्ड लोक-भाषा साहित्य मंच, दिल्ली द्वारा डीपीएमआई सभागार में रविवार एक दिवसीय गढ़वाली, कुमाउनी भाषाओं को संविधान की आठवीं अनुसूची में शामिल करने के लिए एक दिवसीय भाषा गोष्ठी का आयोजन किया गया। इस आयोजन में सभी वक्ताओं ने कहा की सरकार को अबिलंब गढ़वाली, कुमाउनी भाषाओं को संविधान की आठवीं अनुसूची में शामिल करना चाहिए।
उत्तराखण्ड लोक-भाषा साहित्य मंच, दिल्ली के संयोजक दिनेश ध्यानी ने कहा कि हम लगातार गढ़वाली, कुमाउनी भाषाओं को संविधान की आठवीं अनुसूची में शामिल करने के लिए प्रयास कर रहे हैं। हम अपनी भावी पीढ़ियों को उत्तराखण्ड के बाहर अपनी मातृ भाषा सिखा रहे हैं। हम इंग्लैंड में भी ऑनलाइन गढ़वाली कक्षाओं का आयोजन कर रहे हैं।
सुप्रसिद्ध समाजसेवी डॉ विनोद बछेती ने कहा कि कई बार देश का प्रधानमंत्री ने भी छेत्रीय भाषाओं के प्रचार, प्रसार व संरक्षण हेतु समाज को जागरूक किया है। इसलिए अब समय आ गया है कि सरकार हमारी वर्षों पुरानी मांग पर गौर करे।
गढ़वाली, कुमाउनी, जौनसारी भाषा अकादमी के पूर्व उपाध्यक्ष मनबर सिंह रावत ने कहा की कोई भी समाज तभी विकसित कहलाता है जब उसकी भाषा, साहित्य भी समर्द्ध हो। इसलिए हमें गढ़वाली, कुमाउनी भाषाओं के संरक्षण हेतु काम करना होगा। इस दिशा में उत्तराखण्ड लोक-भाषा साहित्य मंच, दिल्ली की पहल अनुकरणीय है।
भाषा, साहित्य के छेत्र में अहम योगदान देने वाले कुछ विशिष्ठ व्यक्तियों को सम्मानित भी किया गया। जिनमें गढ़वाली, कुमाउनी, जौनसारी भाषा अकादमी के पूर्व उपाध्यक्ष मनबर सिंह रावत, बरिष्ठ समाजसेवी गजेन्द्र सिंह रावत, महेश चन्द्रा, ललित ढौंडियाल, रमन मधवाल, उत्तराँचल क्लब के अध्यक्ष सुरेन्द्र आर्य, बासुकी फाउंडेशन के चेयरमैन पी एन शर्मा, डीपीएमआई के चेयरमैन डा विनोद बछेती, न्यायाधीश भाष्करानंद कुकरेती, श्रीमती निर्मला नेगी, पत्रकार श्रीमती पूनम बिष्ट समेत कई साहित्यकार, समाजसेवी आदि का सम्मान किया गया।
इस अवसर पर इस आयोजन में उपस्थित रहने वाले साहित्यकारों, पत्रकारों व समाज के अग्रणी लोगों में प्रमुख साहित्यकार रमेश चन्द्र घिल्डियाल सरस, दिनेश ध्यानी , दर्शन सिंह रावत, जगमोहन सिंह रावत जगमोरा, जयपाल सिंह रावत, पी एन शर्मा, डा विनोद बछेती , श्री भाष्करानंद कुकरेती, श्रीमती निर्मला नेगी, सुरेन्द्र आर्य, उत्तराँचल क्लब ट्रस्ट, मनवर सिंह रावत, बृजमोहन वेदवाल , उमेश बन्दूणी, श्रीमती रिया शर्मा, गिरधारी रावत, पहाड़ी फ्रैश से मुरलीधर ढौंडियाल, जितेन्द्र सिंह रावत, अनिल कुमार पन्त, दीवान सिंह नेगी, शिवचरण सिंह रावत, योगराज सिंह रावत, इंद्रजीत सिंह रावत, प्रताप थलवाल, हरीश असवाल, श्रीमती पूनम बिष्ट, श्री सतेंद्र नेगी, बरिष्ठ पत्रकार द्वारका भट्ट, मंगल सिंह नेगी आदि उपस्थित थे।

 

किसानों को दिखाए गए सपनों पर पानी फिरने से छाई निराशा, एग्रो प्रोसेसिंग कलस्टर सेंटर का निर्माण आज भी आधा अधूरा

 

नैनबाग (शिवांश कुंवर), राज्य बने दो दशक से भी ज्यादा समय बीत गया, पर्वतीय क्षेत्रों में विकास के साथ स्थानीय किसानों के लिये बनी योजनायें कितनी घरातल पर उतरी और वाकई किसानों का उत्पाद बढ़ा, यह बात बानगी सी लगती है, हम बात कर रहे हैं ब्लाक जौनपुर के अंतर्गत कैम्टी के ग्राम नौथा के किसानों की, यहां किसानों के उत्पादन बढ़ाने को लेकर 10 एकड़ भूमि पर 23.41 करोड की लगात से एग्रो प्रोसेसिंग कलस्टर सेंटर का निर्माण किया जाना था । जो कि प्रदेश का पहला एग्रो प्रोसेसिंग कलस्टर 5 साल बीतने के बाद भी आज भी आधा -अधूरा से क्षेत्र के किसानों को दिखाए गए सपनों पर पानी फिरने से निराशा छाई हुई है ।
पर्यटक स्थल कैम्टी के ग्राम नौथा में वर्ष 2018 में कृषि विभाग ने 10 हैक्टर भूमि पर केन्द्र सरकार द्वारा 23.41 करोड की लागत एग्रो प्रोसेसिंग कलस्टर की मंजूरी दी । जिसमें क्षेत्र के लगभग 6 हजार लोगों को रोजगार मिलने की संभावना थी, जिसमें सरकार द्वारा कलस्टर का नाम श्री देव सुमन एग्रो प्रोसेसिंग कलस्टर रखा गया ।
वर्ष 2019 में प्रदेश कृषि एवं उद्यान मंत्री सुबोध उनियाल ने विधिवत उद्घाटन कर क्षेत्र के किसानो को कृषि के क्षेत्र में एक सौगात दी थी ।
उद्घाटन के बाद कुछ निर्माण कार्य आरसी बीम व एक टीन सेट सहित ढांचा खड़ा कर दिया है ,जो की पांच के अंतरल में जंग लगने से खस्ताहाल की कगार पर पहुंच गया है ।
जबकि 10 एकड़ भूमि पर चारो ओर बड़ी-बड़ी झाड़ी होने के चलते जंगली जानवरों का खतरा आए दिन बना हुआ है, जिस पर ग्राम नौथा के सहित आस पास की ग्रामीण में भारी दहशत बनी हुई है ।
प्रदेश का पहला एग्रो प्रोसेसिंग कलस्टर सेन्टर में कृषि उत्पादों का खाद्य प्रसंस्करण, कोल्ड स्टोर कलेक्शन सेंटर जैसे आदि सुविधा का लाभ क्षेत्र के लगभग 50 किमी के दायरे के किसानों को इस का मिलना था । जिसमें किसानो से कंपनियां कृषि उत्पादो कच्चा माल के रूप में खरीद कर उत्पादो को कलस्टर स्तर पर प्रोसोसिंग किया जाना था ।
इसके अलाव कलस्टर में कंपनीयों की ओर से छह अलग अलग प्रसंस्करण इकाई स्थापित की जानी थी और किसानो के सामाने मार्केटिग की समस्या न होने पर घर बैठे किसानो को अच्छे दाम मिलने की योजना थी । लेकिन सरकार द्वारा किए गए बड़े-बड़े दावे 5 साल बीतने के बाद आज धरातल पर 10 एकड़ भूमि पर मात्र झाड़ी बनाकर पीसकर शो पीस बना हुआ है । जिससे स्थानीय जनता में भी भारी आक्रोश है ।
प्रधान सुन्दर सिंह रावत का कहना है कि सरकार द्वारा करोड रुपये खर्च कर आधा – अधुरा खडा स्ट्रक्चर जंग से खस्ताहाल बना हुआ है। और क्षेत्र के किसानो की उद्घाटन के समय लुभाने वालें दावे मात्रा हवाई साबित हुए है। जिससे कलस्टर का कोई लाभ किसानो को नही मिल रहा है।
स्थानीय किसान संसार सिंह राणा का कहना है कि विगत पांच सालों से 10 हैक्टर भूमि पर कुछ निर्माण कर के बाद झांडी का जंगल बना हुआ है। जिसमें ग्रामीण के सामने बाघ -भालू आदि जानवरों के खतरे की दहशत बनी हुई है। इस स्थान पर हुआ निर्माण से सरकार के धन का दुर्पयोग हो रहा है। जिस पर शीघ्र ही कलस्टर के निर्माण की मांग की है ।
मंडी समिति के उप महाप्रबंधक अनिल सैनी का कहना है कि केंद्र सरकार से धनराशि उपल्बध न होने से निर्माण रुका हुआ है। जिसमें प्राक्कलन पुनः प्रेषित कर धनराशि प्राप्त होने पर कार्य किया जायेगा ।