Monday, December 23, 2024
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भारत रत्न अटल बिहारी वाजपेई की 99वीं जन्म जयंती पर आयोजित हुआ बहुभाषी राष्ट्रीय कवि सम्मेलन

“भावनगर गुजरात की संस्था ‘नई कलम नया कलाम’ ने दून में किया यह आयोजन”

 

देहरादून, भारत रत्न अटल बिहारी वाजपेई की 99वीं जन्म जयंती के शुभअवसर पर ‘नई कलम नया कलाम’ भावनगर गुजरात द्वारा देहरादून के हिंदी भवन में बहुभाषी राष्ट्रीय कवि सम्मेलन एवं सम्मान समारोह का भव्य आयोजन किया गया।
समारोह का शुभारंभ दीप प्रज्वलन एवं सरस्वती वंदना द्वारा किया गया। समारोह का उद्घाटन मुख्य अतिथि कैंट विधायक श्रीमती सविता कपूर द्वारा किया गया। श्रीमती कपूर ने अपने उद्बोधन में नई कलम नया कलाम के संस्थापक प्रफुल्ल पागल फकीरा एवं समस्त कार्यकारिणी को बहुभाषी कवि सम्मेलन का आयोजन करने पर बधाई एवं शुभकामनाएं दी। तीन सत्रों में आयोजित इस कवि सम्मेलन के प्रथम सत्र की अध्यक्षता चंडीगढ़ की डॉ. सुदेश मुदगिल नूर ने की। उन्होंने अपनी कविता ‘देवभूमि उत्तराखंड को कोटि-कोटि प्रणाम, यहां है भोलेनाथ और बद्रीनाथ का कमाल के साथ ही साथ अटल जी की है अटल यादें परमाणु परीक्षण करके दुनिया को चौका दीया था ने सभी को मन मुग्ध कर दिया। वरिष्ठ साहित्यकार एवं समाजसेवी कमला पंत जी ने कहा कि आज का दिन बहुत ही महत्वपूर्ण है हम ईसा मसीह को नमन करते हैं साथ ही साथ आज के दिन हम अपने माननीय पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेई जी को नमन करते हैं। नई कलम नया कलाम के बहुभाषी कवी सम्मेलन एक नई सोच है और मैं इसे बहुत ही अधिक प्रेरित हुई हूं। कवित्री झरना माथुर की ‘मेरी पायल के घुंघरू कहते हैं एवं दिल से दिल का रिश्ता है तुम समझो या मैं समझूं कविता ने सबकी वाही वाही लूटी। छत्तीसगढ़ से आई रोशनी दीक्षित की कविता ‘नारी की व्यथा कभी मां कभी बहन बनाकर गालियों में पुकारी जाती हूं जबकि मुझको देवी बनाकर मंदिरों में पूजते हो, हम में सीता को खोजने वालों क्या कभी तुम राम बन पाओगे’ ने श्रोताओं को सोचने के लिए के मजबूर कर दिया।
गुड़गांव से आए साहित्य संचेतना के नरेंद्र कुमार ने साहित्य को अध्यात्म के साथ जोड़ने का प्रयास करने पर अपने विचार रखें और बताया कि उनकी संस्था स्वस्थ सुखी जीवन जीने के लिए प्रयासरत है। ज्ञानेंद्र कुमार की गजल जीवन में सुख दुख से नाता दुख चंदन होता है, चंद घड़ियां राम जप ले, फिर वहीं जाना पड़ेगा ने खूब तालियाँ बटोरीं।
द्वितीय सत्र की अध्यक्षता प्रख्यात कवि असीम शुक्ल ने की एवं अतिथि शादाब अली मशहदी, डॉ मनोज पंजनी और नरेश वोरा जी ने अपने उद्बोधनों एवं काव्य पाठ में श्रोताओं को प्रेरित किया। इंदौर से आई कवित्री इंदिरा अग्रवाल, दिल्ली से अरुण कुमार कबीर, नासिक से पधारे अशोक जोहरे और एन एस धीमान ने अपने कविता पाठों से सबका मन मोह लिया।
तृतीय गढ़वाली एवं कुमाऊंनी सत्र में अध्यक्षता सुलोचना परमार उत्तरांचलि ने की तथा विशिष्ट अतिथि हयात सिंह रावत, तोताराम ढोंडियाल और बीना बेंजवाल रहे। मंच संचालन नई नई कलम नया कलाम की महामंत्री यामा शर्मा उमेश, उपाध्यक्ष डॉ. दीपिका सूतोदिया ‘सखी’ ने किया। सफल कार्यक्रम के आयोजन के लिए अध्यक्ष निशा अतुल्य, संरक्षक महेश्वरी कनेरी ने विभिन्न जिलों एवं प्रदेशों से आए कवि गणों का हृदय से आभार व्यक्त किया तथा मीडिया कर्मी एवं सभी अतिथियों को सहयोग के लिए धन्यवाद दिया।
आज के समारोह में श्रीमती स्वराज गुप्ता अनिल कुमार शर्मा, डॉ. अतुल कुमार गुप्ता, हरि प्रकाश गुप्ता, शोभा पाराशर, गिरीश पंत, शांति प्रकाश साबिर परवेज, विनोद कुमार, लक्ष्मी नौडियाल, सीमा गुप्ता, विजयलक्ष्मी, वीरेंद्र डंगवाल, डॉ. विद्या सिंह, ईश्वर चंद गुप्ता आदि ने भी अपने कविता पाठ से विशिष्ट समा बनाया। इस अवसर पर संस्कार भारती के अध्यक्ष तनवीर सिंह, सचिव कुलदीप विनायक, कोषाध्यक्ष प्रेरणा गोयल, अरविन्द महाजन, अर्चना डिमरी, शोभा पराशर, मधु चावला आदि भी मौजूद रहे |

 

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