Tuesday, November 26, 2024
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जम्मू-कश्मीर : दुनिया का सबसे बड़ा रेल पुल बना, 5.6 मीटर लंबा हिस्सा जुड़ते ही आसमां में गूंजा वंदे मातरम्

रियासी (जम्मू कश्मीर),  भारतीय रेलवे ने सोमवार को जम्मू कश्मीर में रियासी जिले में चिनाब नदी पर बने दुनिया के सबसे ऊंचे रेलवे पुल के निर्माण के एक बेहद अहम चरण को पार करते हुए इस्पात की अद्र्धवृत्ताकार मेहराब का निर्माण पूरा कर लिया। देश को गौरवान्वित करने वाली इस उपलब्धि हासिल होने पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने प्रसन्नता व्यक्त करते हुए कहा कि सभी भारतीयों के लिए यह बहुत गौरव के क्षण हैं और यह पुल हर भारतीय का दिल खुश कर देगा। देश के जन-जन का सामथ्र्य और विश्वास आज दुनिया के सामने एक मिसाल पेश कर रहा है। यह निर्माण कार्य न केवल अत्याधुनिक इंजीनियरिंग और प्रौद्योगिकी क्षेत्र में भारत की बढ़ती ताकत को प्रदर्शित करता है, बल्कि संकल्प से सिद्धि की देश की बदली हुई कार्य संस्कृति का भी उदाहरण है।

 

पूर्वाह्न करीब 11 बजे जब एक केबल क्रेन के माध्यम से इस्पात की अद्र्धवृत्ताकार मेहराब के बीचोंबीच का 5.6 मीटर लंबा हिस्सा जोड़ा गया तो वहां मौजूद रेलकर्मी, इंजीनियर एवं अन्य सभी लोग खुशी से झूम उठे और वंदे मातरम् के हर्ष उद्घोष के साथ एक-दूसरे से हाथ मिलाया और अपनी इस उपलब्धि का यशगान किया। मेहराब के 359 मीटर नीचे बह रही चिनाब नदी के ठीक ऊपर यह काम काफी जोखिम भरा था। चिनाब के ऊपर पुल बनाने का यह सबसे कठिन हिस्सा था। यह उपलब्धि कटरा से बनिहाल तक 111 किलोमीटर लंबे खंड को पूरा करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। इस पुल का निर्माण निश्चित रूप से हाल के इतिहास में भारत में किसी रेल परियोजना के सामने आने वाली सबसे बड़ी सिविल-इंजीनियरिंग चुनौती है।

यह दुनिया का सबसे ऊंचा रेल पुल है जो चीन में बीपन नदी पर बने ड्यूग पुल की ऊंचाई से अधिक है। पुल के उत्तरी छोर पर केबल क्रेन के पाइलन की ऊंचाई 127 मीटर है जो कुतुब मीनार की ऊंचाई से 72 मीटर से भी अधिक है, जबकि फ्रांस की राजधानी पेरिस के प्रतिष्ठित एफिल टॉवर से 35 मीटर ऊंचा है। रेल मंत्री पीयूष गोयल, रेलवे बोर्ड के अध्यक्ष और मुख्य कार्यकारी अधिकारी (सीईओ) सुनीत शर्मा, उत्तर रेलवे के महाप्रबंधक आशुतोष गंगल ने वीडियो कांफ्रेंसिंग के माध्यम से इस ऐतिहासिक काम को पूरा होते हुए देखा। गोयल ने कहा कि एक भारत, श्रेष्ठ भारत: प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में रेलवे द्वारा, जम्मू कश्मीर में चिनाब नदी पर, विश्व के सबसे ऊंचे रेलवे पुल का मेहराब का निर्माण आज वंदे मातरम के उद्घोष के साथ पूर्ण हुआ। इंजीनियरिंग कौशल का बेहतरीन उदाहरण यह पुल प्रत्येक देशवासी को गर्व का अनुभव कराता है।

उन्होंने कहा कि इस काम के पूरा होने के साथ ही यहां बनाए गए रोड नेटवर्क से क्षेत्र के सामाजिक एवं आर्थिक विकास में तेजी के साथ यातायात के नये एवं बेहतर रास्ते खुले हैं। एक दशक से अधिक समय से निर्माणाधीन इस पुल के काम में इस चरण के पूरा होने के बाद आगे का काम आसान हो गया है और मेहराब का काम पूरा होने के बाद, स्टे केबल्स को हटाने, मेहराब रिब में कंक्रीट भरने, स्टील ट्रेस्टल को खड़ा करने, वायडक्ट लॉन्च करने और ट्रैक बिछाने का काम शुरू किया जाएगा। वहां मौजूद अधिकारियों ने यूनीवार्ता को बताया कि यह पुल लंबे समय से चले आ रहे बारामूला-ऊधमपुर रेल मार्ग का महत्वपूर्ण हिस्सा है। इससे कन्याकुमारी से कश्मीर तक ट्रेन पहुंचने में सक्षम हो सकेगी। इस पुल के आसपास पर्यटन गतिविधियों की सुविधाओं का भी जम्मू कश्मीर सरकार के साथ मिल कर विकास किया जा रहा है। इस पुल से गुजरना सैलानियों के लिए एक खास तरह का अनुभव होगा।

इस पुल के निर्माण में 10 साल से अधिक का समय लग चुका है जो 1315 मीटर लंबे पुल के दोनों ओर बक्कल और कौरी क्षेत्रों को जोड़ता है। पुल जोन-5 की उच्च तीव्रता के साथ भूकंप के झटके को सहन कर सकता है। पुल को इस प्रकार से डिजाइन किया गया है कि उसकी आयु कम से कम 120 वर्ष हो। इस पर पटरियां इस हिसाब से बिछाई जाएंगी कि गाड़ी अधिकतम 100 किलोमीटर प्रति घंटा की गति से चल सके। हालांकि गाड़ी 30 किलोमीटर प्रतिघंटा की गति से चलेगी। लगभग 28660 टन इस्पात से निर्मित यह पुल 266 किलोमीटर प्रतिघंटा की गति से चलने वाले तूफान को झेलने में समर्थ होगा। ढांचे के विभिन्न भागों को जोडऩे के लिए लगभग 584 किलोमीटर वेल्डिंग की गई है जो जम्मू तवी से दिल्ली की दूरी के बराबर है। पुल की आतंकवादियों एवं बाहरी हमले से बचाव के लिए पर्याप्त सुरक्षा प्रबंध किए गए हैं क्योंकि पुल से पाकिस्तान की हवाई दूरी सिर्फ 65 किलोमीटर है(साभार उत्तम हिन्दू न्यूज)।

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