Thursday, April 18, 2024
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बच्चों को कोरोना और डेंगू जैसे घातक रोगों से बचाना बेहद जरूरी, सावधानी बरतने से किया जा सकता बचाव

ॠषिकेश, इस वक्त बीमारियों को लेकर विशेषरूप से सावधान रहने की आवश्यकता है। खतरनाक बीमारी डेंगू का प्रकोप इस समय कोविड को ओवरलैप कर सकता है। कारण है कि इन दोनों बीमारियों के अधिकांशत: लक्षण एक समान हैं और इनके लक्षणों का पता भी प्रयोगशाला में होने वाली जांचों के बाद ही चल पाता है। राज्य में अब स्कूल-कॉलेज भी खोल दिए गए हैं। ऐसे में खासकर बच्चों को कोरोना और डेंगू जैसे घातक रोगों से बचाना बेहद जरूरी है।

बरसात के मौसम में अब डेंगू का प्रकोप बढ़ने की आशंका है। डेंगू भी कोरोना की भांति संक्रमण से फैलने वाली जानलेवा बीमारी है। तेज बुखार से शुरू होने वाला यह रोग घातक वायरस के कारण शरीर के अन्य अंगों को भी संक्रमित करना शुरू कर देता है और समय पर इलाज नहीं होने की स्थिति में मरीज की हालत गंभीर हो जाती है।

एम्स निदेशक पद्मश्री प्रोफेसर रवि कांत जी ने इस बाबत बताया कि कोरोना और डेंगू दोनों बीमारियों को रोकने के लिए बहुत जरूरी है कि प्रत्येक व्यक्ति इन बीमारियों के लक्षणों के बारे में उचित जानकारी रखे। चूंकि कोविड अभी समाप्त नहीं हुआ है, लिहाजा प्रत्येक व्यक्ति मास्क का उपयोग अवश्य करें और एक-दूसरे के बीच 2 गज की दूरी बनाए रखें। इसके साथ ही डेंगू से बचाव के लिए फुल बाजू के कपड़े पहनें।

निदेशक एम्स पद्मश्री प्रो. रवि कांत जी ने बताया कि डेंगू एक मौसमी बीमारी है, जो भारत में मुख्यरूप से जुलाई से अक्टूबर तक अपने पैर पसारती है। मादा एडीज मच्छर के काटने से पैदा होने वाले इस रोग में शरीर के प्लेटलेट्स लगातार गिरने लगते हैं और रोगी की इम्युनिटी बहुत कमजोर हो जाती है। ऐसे में छोटी आयु वाले बच्चों, डायबिटीज, अस्थमा तथा हृदय रोग से ग्रसित मरीजों में डेंगू संक्रमण का खतरा सर्वाधिक होता है। उन्होंने बताया कि अभी तक डेंगू के निदान के लिए कोई संतोषजनक टीका उपलब्ध नहीं है।

संस्थान के सामुदायिक एवं फेमिली मेडिसिन विभाग के एसोसिएट प्रोफेसर और आउटरीच सेल के नोडल ऑफिसर डा. संतोष कुमार जी ने बताया कि तेज बुखार आने पर तत्काल चिकित्सक से परामर्श लेना नहीं भूलें। यदि किसी को खांसी और बुखार की शिकायत हो तो ऐसे मरीज को अनिवार्यरूप से मास्क का इस्तेमाल करना चाहिए। उन्होंने बताया कि डेंगू बीमारी तब फैलती है जब एडीज मच्छर पहले से संक्रमित व्यक्ति को काटता है। इस स्थिति में संक्रमित व्यक्ति से डेंगू का वायरस मच्छर के शरीर में प्रवेश कर जाता है। यह वायरस व्यक्ति के रक्तप्रवाह के जरिए शरीर मे तेजी से फैलना शुरू कर देता है। उन्होंने बताया कि डेंगू वायरस के 4 स्ट्रेन होते हैं। पहले से ही किसी एक स्ट्रेन से संक्रमित व्यक्ति यदि वायरस के तीसरे या चौथे स्ट्रेन से भी संक्रमित हो जाए तो मरीज रक्तस्रावी बुखार से ग्रसित हो जाता है। बताया कि डेंगू का एडीज मच्छर अधिकतर ठहरे हुए साफ पानी में पनपता है।

डेंगू के लक्षण

आमतौर पर डेंगू बुखार सामान्य बुखार के साथ धीरे-धीरे 104 फारेनहाइट डिग्री बुखार तक पहुंच जाता है। सिर दर्द, मांसपेशियों, हड्डियों और जोड़ों में दर्द, जी मिचलाना, उल्टी आना, बेचैनी, आंखों के पीछे दर्द, यकृत में फैलाव होना, ग्रंथियों में सूजन और त्वचा पर लाल चकत्ते होना इसके विशेष लक्षण हैं। इसका बुखार तीन प्रकार का होता है। हल्का डेंगू बुखार, डेंगू रक्तस्रावी बुखार और डेंगू शॉक सिंड्रोम।

बचाव-

पानी के बर्तन या टंकी को हर समय ढककर रखें। साफ और स्वच्छ पानी का ही सेवन करें। खाली बर्तनों की सतहों को अच्छी तरह साफ करने के बाद उन्हें उल्टा करके रखना चाहिए। खासकर बरसात के दिनों में फुल बाजू के कपड़े पहनने व मच्छरदानी का उपयोग करने से मच्छरों के प्रकोप से बचा जा सकता है। बरसात के मौसम में अपने आस-पास पानी इकट्ठा नहीं होने दें और ठहरे हुए पानी में कीटनाशक दवा का नियमिततौर पर छिड़काव करें ताकि मच्छर का लार्वा नष्ट हो जाए। रुके हुए पानी को कीटाणुरहित करना बेहद जरूरी है। लक्षण नजर आने पर तत्काल चिकित्सकीय परामर्श से रक्त की जांच करानी चाहिए।

कोरोना और डेंगू में अंतर-

कोविड -19 वायरस सार्स-2 के कारण होता है, जो मुख्यरूप से सांस की बूंदों के माध्यम से एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में फैलता है। यह उस दशा में फैलता है, जब कोई कोविड संक्रमित व्यक्ति खांसता है, छींकता है या किसी दूसरे से एकदम करीब से बातचीत करता है। कोरोना में तीब्र बुखार आता है लेकिन नाक से खून आने की समस्या नहीं होती है। जबकि डेंगू का कारण एक प्रकार का वायरस है, जो मच्छर से फैलता है। शरीर में प्रवेश करने के बाद डेंगू का वायरस 3 से 10 दिनों के भीतर लक्षण पैदा करता है। अगर शरीर में तेज बुखार के साथ लाल रंग के चकत्ते या रक्तस्राव होने लगे तो यह डेंगू का रक्तस्रावी बुखार है। इन दोनों बीमारियों के संक्रमण के दौरान रोगी के शरीर में पहले से चल रही पुरानी बीमारियों जैसे डायबिटीज और हृदय रोग होने से इसके परिणाम और अधिक गंभीर हो सकते हैं।

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