-महिलाओं की आजीविका सुधारने के लिए योजना के तहत 2022 में दी गई थी ट्रेनिंग
-अब तक लाभार्थियों को नहीं मिल पाया 50-50 हजार अनुदान, दर-दर भटकने को मजबूर महिलाएं
देहरादून, सीएम धामी सरकार की महत्वकांक्षी उत्तराखंड मुख्यमंत्री महिला सतत् आजीविका योजना सवालों के घेरे में है, योजना में गड़बड़झाले का अंदेशा जताया जा रहा है, महिलाओं को रोजगार दिलाने के लिए शुरू की गई इस योजना में ट्रेनिंग देने के कई साल बाद भी लाभार्थियों को 50 हजार रुपए अनुदान अब तक नहीं मिल पाया है. यही कारण है कि गत तीन वर्षों से पात्र महिलाएं अनुदान के लिए महिला सशक्तिकरण एवं बाल विकास विभाग व संबंधित एनजीओ के चक्कर लगाने को मजबूर हैं. जबकि, विभाग का कहना है कि पैसा एनजीओ को दे दिया गया है, बाकायदा, इसको लेकर रिमांडर तक भेजा जा चुका है, ऐसे में सवाल उठ रहे हैं कि अनुदान का लाखों रुपए गया कहां.. एक रिपोर्ट..!
3 साल बाद भी नहीं मिला 300 महिलाओं को अनुदान :
दरअसल, मामला दून जिले के रायपुर ब्लाक का है, जहां लाभार्थी महिलाओं को मुख्यमंत्री सतत् आजीविका योजना के तहत 50 हजार रुपए तक का अनुदान दिया जाना है. दून शहर से लगे रायपुर ब्लॉक के बजेत, सिरकी, रामनगर डांडा, मीडावाला, दुधियावाला व डांडी क्षेत्रों में करीब 300 महिलाओं को ट्रेनिंग भी दी गई. जिनका अनुदान करीब 1.50 करोड़ रुपए बैठता है, यह तो एक ब्लाक के कुछ गावों का मामला है l पूरे जिले व राज्य में यह कई सौ करोड़ की योजना है. ख़ास बात यह है कि योजना के तहत डेयरी व मधुमक्खी पालन कराया जाना था, इसके लिए सरकार की ओर से चयनित एनजीओ देवभूमि फाउंडेशन को काम सौंपा गया था, इसके तहत एनजीओ ने वर्ष 2022 में चयनित महिला पात्रों को ट्रेनिंग भी दी, इसके बाद मालदेवता क्षेत्र में डेयरी पालन के लिए 100 महिलाओं और थानों क्षेत्र की 200 महिलाओं से मधुमक्खी पालन कराया जाना था. लेकिन, ट्रेनिंग के 3 साल बाद भी योजना धरातल पर नहीं उतर पाई l
25-25 महिलाओं का बनाया गया था कलस्तर :
योजना के मुताबिक ट्रेनिंग के लिए एनजीओ की ओर से 25-25 महिलाओं का गु्रप बनाकर 2022 में एक सप्ताह से लेकर एक महीने तक की ट्रेनिंग दी गई. लेकिन, अभी तक गाय खरीदने के लिए धनराशि नहीं मिल पाई. ऐसे में अब कई लाभार्थी आरोप लगा रही हैं कि या तो विभागीय अधिकारी झूठ बोल रहे हैं या फिर एनजीओ गोलमाल कर रहा है. बावजूद इसके अभी भी लाभार्थी धनराशि मिलने को लेकर उम्मीद लगाए बैठे हैं l
अब मांगी जा रही स्थलीय निरीक्षण रिपोर्ट :
बताया जा रहा है कि उत्तराखंड मुख्यमंत्री महिला सतत् आजीविका योजना के तहत राज्यभर में 97 एनजीओ का चयन किया गया था. ये भी बताया जा रहा है कि इस बारे में गत 22 अप्रैल 2025 को राज्य परियोजना अधिकारी मोहित चौधरी की ओर से 9 एनजीओ को पत्र जारी किया गया. जिसमें लाभार्थियों को दिए जाने वाले अनुदान के बावत स्थलीय जांच निरीक्षण रिपोर्ट मांगी है l
इन 9 एनजीओ को भेजा रिमाइंडर :
-पौष्टिक ग्रामोद्योग संस्था, प्रेमनगर, देहरादून
-देवभूमि फाउंडेशन, सुभाष रोड, देहरादून
-लोकप्रिय सेवा समिति, हरिद्वार
-पर्यावरण एवं जन कल्याण समिति, यूएसनगर
-इम्पार्ट, ऊधमसिंहनगर
-इंस्टीट्यूट ऑफ सोशल डेवलपमेंट, यूएसनगर
-महिला प्रेणा एवं उत्थान समिति, अल्मोड़ा
-पर्वतीय महिला कल्याण समिति, पिथौरागढ़
-ग्रामीण क्षेत्र विकास समिति, टिहरी गढ़वाल
ट्रेनिंग हुई, कुछ नहीं मिला :
रायपुर के रामनगर डांडा के प्रधान रविंद्र सिंह ने बताया कि एनजीओ की ओर से क्षेत्र की महिलाओं को मार्च 2022 में ट्रेनिंग दी गई, लेकिन आज तक न तो गाय दी गई और न हीं मधुमक्खी पालन ही शुरू कराया गया है. पैसा उपलब्ध कराया जाता, तो लाभार्थी खुद ही पशु खरीद लेती, यदि योजना का तीन-तीन चार-चार साल बाद भी लाभ न मिले, तो उसका औचित्य क्या है. कई महिलाओं ने अनुदान के चक्कर में गाय नहीं खरीदी, उनका बहुत नुकसान हो रहा है. बैजत मालदेवता की आरती खन्ना, अस्थल की गीतिका सकलानी, शेरकी की रवीना पंवार व विनेश आदि का भी कहना है कि सरकार गंभीरता से योजनाओं का संचालन करे, केवल नाम के लिए योजनाएं चलाकर महिलाओं का शोषण न किया जाए l
दूसरे जिलों में भी गड़बड़ी कि आशंका :
जानकारों की मानें तो ये असलीयत तो केवल दून के रायपुर ब्लाक की है पूरे राज्यभर में ऐसी संभावनाओं से इंकार नहीं किया जा सकता है. ऐसे में ये योजना सवालों के घेरे में आ रही है. जानकार कहते हैं कि जब सरकार की ऐसी महत्वपूर्ण योजना का तीन-तीन, चार-चार साल में भी लाभ नहीं मिल पाएगा तो महिलाओं की आजीविका कैसे सुधर पाएगी l
योजना की पात्रता व लाभ :
-लाभार्थी निराश्रित, विधवा व निर्बल वर्ग से होनी चाहिये
– महिला की उम्र 18 वर्ष से 50 वर्ष के बीच होनी चाहिए.
– उत्तराखंड राज्य की मूल निवासी होनी चाहिए.
-लाभार्थी किसी अन्य योजना से सामान व्यवसाय से लाभान्वित नहीं होनी चाहिए.
– पात्र महिलाओं के लिए प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे।
– चयनित महिलाओं को ट्रेनिंग अवधि के दौरान 1000 रुपये की छात्रवृत्ति दी जाएगी.
– ट्रेनिंग पूरी होने के बाद लाभार्थियों को 50 हजार रुपये तक का अनुदान दिया जाएगा.
सचिवालय व विधानसभा से चल रहा षड़यंत्र :
सूत्रों की माने तो इस योजना को सचिवालय व विधानसभा में बैठे कुछ अफसर विभाग के साथ मिलकर पलीता लगा रहे हैं, मोटी कमीशन की डील का तानाबाना बुना जा रहा है, यही वजह है कि योजना धरातल पर नहीं उत्तर पा रही है. यह भी बतायाजा रहा है कि कई अधिकार्यों कि एनजीओ में भागीदारी है l
अनुदान के बदले गाय व मधुमक्खी खरीद :
लाभर्थियों को अनुदान के बदले विभाग की ओर से गाय व मधुमक्खी खरीदने की बात भी सामने आ रही है. किस नश्ल की गाय दी जाएगी इसका भी लाभार्थियों को ट्रेनिंग के दौरान कोई जानकारी नहीं दी गई है. कुल मिलाकर पूरी योजना में पूरी तरह झोल ही झोल नजर आए रहा है. यह भी बताया जा रहा है की योजना के क्रियान्वयन में गाइडलाइन का उल्लंघन किया जा रहा है. इससे योजना की पारदर्शिता भी सवालों के घेरे में है l
“मुख्यमंत्री सतत् महिला आजीविका योजना के तहत महिलाओं को ट्रेनिंग दी गई है. अनुदान का पैसा भी एनजीओ को जारी किया गया है, जिन एनजीओ ने परिसपित्तियों का लाभार्थियों को वितरण नहीं किया है, उन्हें रिमाइंडर भेजे गए हैं. उम्मीद है कि जल्द से जल्द अनुदान का वितरण किया जाएगा l
-मोहित चौधरी, स्टेट प्रोजेक्ट ऑफिसर, महिला सशक्तिकरण एवं बाल विकास विभाग”
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