Monday, November 25, 2024
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गंगा जल के उपयोग से मनुष्य आरोग्य रहता है: शिवानी

हरिद्वार , 14 दिसम्बर (कुल भूषण) गुरूकुल कंागडी समविश्वविद्यालय के वनस्पति एवं सूक्ष्म जीव विज्ञान की शोध छात्रा शिवानी त्यागी ने विभाग के विभागाध्यक्ष प्रो0 आर0सी0दूबे के निर्देशन में गंगा जल में उपलब्ध जीवाणुरोधी औषधीय गुण पर शोध कर इस बात को प्रमाणित किया की गंगा जल में जीवाणुरोधी औषधियो की उपलब्धता के चलते इसका जल लम्बे समय तक शुद्ध रहता है जिसके चलते गंगा जल में स्नान करने व उसे पीने से मनुष्य रोगमुक्त रहता हैअपने इसी गुण के कारण गंगा का वैज्ञानिक महत्व भी है प्रो0 दूबे ने बताया की शोधार्थी शिवानी त्यागी ने अपने शोध विश्लेषणात्मक अध्ययन किया है। प्रो0 दुबे ने कहा कि हरिद्वार एवं त्रिवेणी घाट ऋषिकेश के जल पर शोध कार्य किया गया शोध के निष्कर्षानुसार प्राथमिक परीक्षण बी.ओ.डी.सी.ओ.डी.डी.ओ. जल प्रभाव दर अकार्बनिक रसायनसल्फर की बहुलताउच्च जल प्रवाह दर पाए जाते हैं।   

       प्रो0 दुबे ने बताया कि गंगा जल का तापमान शीतकाल से ग्रीष्मकाल में एक क्रम से बढ़ता है तथा गंगा की धारा का प्रवाह दर निचले तल (हरिद्वार) की अपेक्षा उपरी तल (ऋषिकेश) पर अधिक होता है। शोध में पाया गया कि गंगाजल का प्रवाह जितना अधिक होगा गंगाजल उतना ही शुद्ध एवं पवित्र होगा। अतः गंगा जल का अबाध प्रवाह बनाये रखना अत्यावश्यक है। गंगाजल में कोलिफोर्म नामक जीवाणु पाये जाते है परन्तु मानको के अनुसार इनकी संख्या सीमा के अन्दर पायी गयी। गंगाजल की गुणवत्ता जल की डी00, बी00डी0, सी00डी0 जल प्रवाह दर एवं अकार्बनिक रसायनों पर भी निर्भर करती है।

            शोधार्थिनी शिवानी त्यागी ने विभागीय प्रयोगशाला में जीवाणुरोधी गुणविषाणु पृथक्करणमिलीपोर फिल्टरगंगाजल और आंत्रीय जीवाणु का अध्ययन कर रोगकारी आंत्रीय जीवाणु मृत पाय (सफेद चूहों पर प्रयोग) रोगकारी जीवाणु एवं गंगाजल के प्रोटीन यौगिक। शोध में निष्कर्ष के बाद केन्द्रीय प्रदूशण नियंत्रण बोर्ड और विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा दिए मानकों को पूरा करते हुए हरिद्वार के हरकी पैड़ी व त्रिवेणीघाटऋषिकेश का गंगाजल पीने के योग्य है।

            शोध में पाया गया कि घुलित आक्सीजन (डी00) एवं जल प्रवाह दर जितना अधिक होगा जैविक एवं रसायनिक आक्सीजन मांग (बी00डी0, सी00डी0) उतनी ही कम होगी जिसके कारण जल में अकार्बनिक रसायन एवं सूक्ष्मजीवों की संख्या कम हो जाती हैजिसकी पुष्टि किये गये शोध में भौतिक.रसायन मानको एवं सूक्ष्मजीववैज्ञानिक मानको का डब्लू0क्यू0आई0, कोरिलेषन कोफिशियेन्टडेन्ड्रोग्रामपी0सी00 द्वारा की गयी।

            गंगाजल की जीवाणुरोधी क्षमता गंगाजल में उपस्थित विशेष प्रकार के बेक्टिरियोफाज (विषाणु) एवं एक विषिश्ट जैव रसायन थायोपेस्टाइड्स“ के कारण होती है। शोध में आंत्रीय रोगजनक जीवाणुओं को नष्ट करने वाले बैक्टिरियोफाज का पृथक्करण किया गया जिसमें अन्य विषाणुओं के अतिरिक्त ई0 कोलाई  बैक्टिरियोफाजसालमोनेला टाइफी बैक्टिरियोफाज एवं क्लेबसिऐला न्यूमोनी बैक्टिरियोफाज प्रमुख थे। विषेश तरह के विषाणुओं की उपस्थिति गंगाजल को शुद्धता प्रदान करती है।

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