Friday, April 19, 2024
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शांतिकुंज में 120 फीट के राष्ट्रीय ध्वज का राज्यपाल ने किया लोकार्पण

हरिद्वार (कुलभूषण), राज्य के राज्यपाल लेफ्टिनेंट जनरल (सेवानिवृत्त) गुरमीत सिंह शुक्रवार को पहली बार हरिद्वार पहुंचे। उन्होंने शांतिकुंज में स्थापित 120 फीट ऊंचे राष्ट्रीय ध्वज का लोकार्पण किया। इस अवसर पर उन्होंने देव संस्कृति विश्वविद्यालय परिसर में स्थित शौर्य दीवार पर पुष्प चक्र अर्पित कर वीर सपूतों को श्रद्धांजलि दी। राज्यपाल ने तिरंगे को आन-बान-शान का प्रतीक बताया।

शांतिकुंज स्थापना की स्वर्ण जयंती व्याख्यान माला में बतौर मुख्य अतिथि पहुंचे राज्यपाल ने कहा कि नवरात्र के दूसरे दिन युग ऋषि पंडित श्रीराम शर्मा आचार्य और माता भगवती देवी शर्मा का आशीर्वाद लेने आया हूं। गायत्री मंत्र हमें अपने अंतर आत्मा से जोड़ता है। राज्यपाल ने कहा कि देव संस्कृति विवि परंपरा का निर्वहन कर रहा है। भारतीय संस्कृति की गौरव गाथा, शौर्य, पराक्रम, साहस, समरसता की प्रेरणा को जन-जन तक पहुंचाने में जुटा है। अध्यक्षता करते हुए अखिल विश्व गायत्री परिवार के प्रमुख डॉ. प्रणव पंड्या ने कहा कि उत्तराखंड का सौभाग्य है कि पहली बार सेना के सेवानिवृत्त उच्चाधिकारी को राज्यपाल की जिम्मेदारी मिली है।

 

उन्होंने कहा कि आजादी के मतवाले श्रीराम शर्मा एक प्रतिष्ठित स्वतंत्रता सेनानी रहे। तिरंगे की आन-बान-शान के लिए अंग्रेजों से लड़े। उन्होंने कहा कि मेरे शरीर के रक्त का एक-एक बूंद राष्ट्र के लिए समर्पित है। इस दौरान डॉ. पंड्या ने राज्यपाल को विवि का प्रतीक चिह्न, गायत्री महामंत्र की चादर और युग साहित्य भेंटकर सम्मानित किया। इससे पहले देव संस्कृति विवि के प्रति कुलपति डॉ. चिन्मय पंड्या ने कार्यक्रम की विस्तार से जानकारी दी। राज्यपाल और कुलाधिपति ने विवि के ई न्यूज लेटर रेनासा के नवीनतम अंक का विमोचन किया। इस अवसर पर कुलपति शरद पारधी, कुलसचिव बलदाऊ देवांगन सहित प्रशासनिक अधिकारी उपस्थित रहे।
राज्यपाल गुरमीत सिंह ने अपना उद्बोधन ओम के उच्चारण के साथ शुरू और खत्म किया। उन्होंने कहा कि राष्ट्रध्वज देशभक्ति, राष्ट्रीयता के साथ सभी भारतीयों को एक डोर में बांधे हुए है। हम सबके लिए राष्ट्र सर्वोपरि है। राष्ट्र की सुरक्षा में प्राणों की आहुति हो जाए तो यह गर्व की बात है। हर सैनिक की अंतिम अभिलाषा होती है कि जब प्राण निकले तो शरीर तिरंगे में लिपटा हो। उन्होंने भारत एवं भारतीयता, संस्कृत एवं संस्कृति के उत्थान के लिए विद्यार्थियों को प्रेरित किया।

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