देहरादून, देश के स्वतंत्रता संग्राम सेनानियो के आदर्शो के अनुरूप राष्ट्र की संप्रभुता,एकता और अखंडता की रक्षा करना हमारा संवैधानिक कर्तव्य है। यह उद्गार अगस्त क्रांति की 82वीं वर्षगांठ पर स्वतंत्रता सेनानी एवं उत्तराधिकारी कल्याण समिति द्वारा आयोजित गोष्ठी में वक्ताओं ने व्यक्त किये, उज्जवल रेस्टोरेंट में आयोजित विचार गोष्ठी में शामिल वक्ताओं ने कहा कि पारस्परिक सौहार्द,भाईचारे की भावना को सुदृढ बनाने में स्वतंत्रता सेनानियों के वंशजों को अपनी नैतिक जिम्मदारी उठानी चाहिए। व्यवस्थाओं में आमजन की भावनाओ के अनुरूप अब भारत छोड़ो आंदोलन की तर्ज पर भ्रष्टाचार देश छोड़ो आंदोलन का भी आगाज सेनानियो के वंशजों को करना होगा। कार्यक्रम में मुख्य अतिथि वरिष्ठ आंदोलनकारी, स्वतंत्रता सेनानी वंशज, पर्यावरण संरक्षण के लिए अपनी बुलन्द लेखनी के जरिए लगातार आवाज उठाने वाले वयोवृद्ध विरेन्द्र कुमार पैन्यूली को शाल उड़ाकर सम्मानित भी किया गया। वक्ताओं ने कहा प्राकृतिक पर्यावरण जिसमें जल जंगल जमीन व वन्यजीव शामिल है यदि उत्तराखंड़ में पर्यावरण प्रेमी इसके संरक्षण के लिए अपनी आवाज उठा रहे हैं तो यह उनके संवैधानिक कर्तव्य ही है।
वक्ताओं ने कट्टरवादी आतंकियों द्वारा बांग्लादेश के महान स्वतंत्रता संग्राम सेनानी तथा पूर्व राष्ट्रपति शेख मुजीबुर रहमान की प्रतिमा तोड़े जाने तथा भारतीय नागरिकों के विरुद्ध किए जा रहे अमानवीय दुष्कृत्यों की भर्त्सना की और प्रधानमंत्री मोदी से मांग की कि निर्वासित राष्ट्रपति शेख हसीना को उनकी इच्छाओं के अनुरूप भारत में ही स्थाई आश्रय प्रदान किया जाए, कार्यक्रम के अन्त में देश की आजादी के लिए शहीद हुए योद्धाओं को दो मिनट मौन रखकर श्रद्धासुमन अर्पित किये।
इस अवसर पर सचिन शास्त्री, उषा कोठारी, जगमोहन मैंहदीरत्ता, आर. एस. कैंथुरा, डा.एसके गोविल, कल्पना बहुगुणा, मुनिराम सकलानी, सत्यप्रकाश कोठारी, ब्रिगेडियर केजी बहल, सुशील त्यागी, अवधेश शर्मा, बिशमभर नाथ बजाज, सत्यप्रकाश चौहान, जीएस जस्सल, सत्यप्रकाश डिमरी,मुकेश नारायण शर्मा, आशा टम्टा, मीना जोशी, रामचन्द्र जोशी, सुभाष मिश्रा, बिन्नी उनियाल, योगेश फरासी, शीला नेगी, बबीता असवाल, आशा नौटियाल, मानवेंद्र सोलंकी, नेत्रपाल सिहं, दिनेश भण्डारी आदि शामिल थे।
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