Saturday, November 2, 2024
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हिन्दी साहित्य भारती उत्तराखण्ड़ की प्रथम ऑनलाइन बैठक, भावी कार्यक्रमों की रुपरेखा पर किया गया विचार विमर्श

देहरादून, हिन्दी साहित्य भारती उत्तराखंड की प्रथम बैठक का आयोजन ऑनलाइन किया गया। बैठक की अध्यक्षता प्रदेश अध्यक्ष डॉ. बुद्धिनाथ मिश्र ने तथा संचालन केंद्रीय महामन्त्री व प्रदेश प्रभारी डॉ. अनिल शर्मा एवं प्रदेश महामंत्री डॉ कविता भट्ट ‘शैलपुत्री’ ने संयुक्त रूप से किया।
बैठक का शुभारंभ केंद्रीय मीडिया संयोजक डॉ. रमा सिंह द्वारा प्रस्तुत सरस्वती वन्दना से हुआ। केंद्रीय महामन्त्री डॉ. अनिल शर्मा ने मातृ वन्दना प्रस्तुत की।
बैठक में मुख्य अतिथि के रूप में पधारे हिन्दी साहित्य भारती के केंद्रीय अध्यक्ष, पूर्व शिक्षा मंत्री उत्तर प्रदेश सरकार डॉ. रवींद्र शुक्ल ने हिन्दी साहित्य भारती के उद्देश्यों पर प्रकाश डालते हुए भावी कार्यक्रमो की रूपरेखा प्रस्तुत की। उन्होंने कहा कि हिन्दी साहित्य भारती का मुख्य उद्देश्य हिन्दी को राष्ट्रभाषा के सम्मानित स्थान पर आरूढ़ करना है। उन्होंने कहा कि संविधान की प्रस्तावना में “इंडिया दैट इज भारत” लिखा गया है।जबकि “भारत” लिखा जाना ही पर्याप्त है, उसमें “इंडिया दैट इज” लिखने की आवश्यकता नहीं है। इसलिए हिन्दी साहित्य भारती की मांग है की संविधान की प्रस्तावना से “इंडिया दैट इज” शब्दों को हटाया जाए।

आजादी के 73 साल बाद भी हिन्दी को नहीं मिला उचित स्थान

डॉ. रवींद्र शुक्ल ने कहा की साहित्यकारों के एक समूह ने साहित्य को वाद में बांटकर प्रदूषित कर दिया है। पाठ्यक्रम में स्तरहीन साहित्य को शामिल कराने में, अयोग्य साहित्यकारों को पुरस्कार दिलवाने में और अन्य लाभ पहुंचाने में इस समूह ने प्रतिभाशाली और योग्य साहित्यकारों के साथ खिलवाड़ किया है। इसी समूह के साहित्यकार तथाकथित सहिष्णुता के नाम पर पुरस्कार लौटाने का नाटक करते हैं। हिन्दी साहित्य भारती अब ऐसा नहीं होने देगी। योग्य एवं प्रतिभाशाली साहित्यकारों की रचनाओं को पाठ्यक्रम में स्थान मिलना चाहिए और पुरस्कार की कसौटी का मानक भी योग्यता होना चाहिए न कि समूहवाद। केंद्रीय अध्यक्ष डॉ. शुक्ल ने बताया की योग्य एवं प्रतिभावान साहित्यकारों में से समीक्षकों, समालोचकों , अनुवादकों एवं शोध निर्देशकों की सूची बनाने का काम हिन्दी साहित्य भारती कर रही है ताकि राष्ट्रवादी, योग्य एवं प्रतिभावान साहित्यकारों को सम्मान दिया जा सके।
केंद्रीय महामंत्री और उत्तराखंड के प्रदेश प्रभारी डॉ. अनिल शर्मा ने बताया की बहुत कम समय में ही हिन्दी साहित्य भारती का 16 प्रदेशों में गठन हो चुका है। यही नहीं अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर भी 16 देशों में हिन्दी साहित्य भारती के संयोजकों की नियुक्ति कर दी गई है। उन्होंने आशा व्यक्त की कि हिन्दी साहित्य भारती साहित्य के क्षेत्र में विश्व के सबसे बड़े संगठन के रूप में स्थापित होने जा रही है। डॉ. शर्मा ने बताया की हिन्दी साहित्य भारती से ख्यातिलब्ध शिक्षाविद, भाषाविद और श्रेष्ठ साहित्यकार जुड़ रहे हैं। अनेक कुलाधिपति, कुलपति, उपकुलपति, विभागाध्यक्ष, प्राध्यापक और प्रसिद्ध साहित्यकार हिन्दी साहित्य भारती के दायित्ववान कार्यकर्ता के रूप में सक्रियता से काम कर रहे हैं।
केंद्रीय मीडिया संयोजक डॉ. रमा सिंह ने सोशल मीडिया पर संस्था की गतिविधियों को सफलतापूर्वक कैसे चलाया जाए, इस संबंध में नवगठित कार्यकारिणी से अपने अनुभव साझा किए । उन्होंने बताया की प्रत्येक प्रदेश में संस्था के दो व्हाट्सएप ग्रुप बनेंगे। एक कार्यकारिणी का ग्रुप होगा जिसमें केवल सूचनाओं का आदान-प्रदान होगा और दूसरा सामान्य ग्रुप होगा जिसमें साहित्यिक गतिविधियां चलाई जाएंगी। राष्ट्रीय स्तर पर फेसबुक पेज और फेसबुक समूह भी कार्य कर रहा है।
प्रख्यात साहित्यकार और प्रदेश कार्यकारिणी के मार्गदर्शक डॉ. योगेंद्र नाथ शर्मा “अरुण” ने अपने आशीर्वचन में संस्था को हिन्दी भाषा के क्षेत्र में काम करने वाली अग्रणी संस्था बताया। उन्होंने कहा की हिन्दी साहित्य भारती के संकल्प और उद्देश्यों को देखकर विश्वास हो जाता है कि अब हिंदी को राष्ट्रभाषा का दर्जा अवश्य मिलेगा।
बैठक की अध्यक्षता करते हुए प्रदेश अध्यक्ष एवं प्रसिद्ध साहित्यकार डॉ. बुद्धिनाथ मिश्र ने आशा व्यक्त की कि हिन्दी साहित्य भारती,उत्तराखंड की प्रदेश इकाई केंद्रीय नेतृत्व के दिशानिर्देशों के अनुरूप काम करते हुए श्रेष्ठ प्रदेश इकाई सिद्ध होगी। उन्होंने कहा कि आजादी के 73 वर्षों में हिन्दी को वह सम्मान नहीं मिल पाया है, जिसकी वह अधिकारिणी है। डॉ. मिश्र ने कहा कि उत्तराखंड की टीम में एक से बढ़कर एक प्रतिभाशाली एवं योग्य कार्यकर्ता हैं, जो संस्था के उद्देश्यों को प्राप्त करने के लिए सुनियोजित तरीके से उत्कृष्ट कार्य करेंगे। उन्होंने केंद्रीय नेतृत्व का आभार व्यक्त करते हुए प्रदेश के सभी पदाधिकारियों, सदस्यों, जिलाध्यक्षों एवं जिला महामंत्रियों को अपनी शुभकामनाएं प्रेषित की। बैठक में केंद्रीय नेतृत्व द्वारा कार्यकर्ताओं की जिज्ञासाओं का समाधान भी किया गया। बैठक में उपरोक्त के अलावा मार्गदर्शक डॉ. योगेश चंद्र बहुगुणा, प्रदेश उपाध्यक्षों में लालिमा वर्मा, डॉ. आलोक मिश्र, डॉ. सुशील उपाध्याय, ललित शौर्य, आशा शैली, डॉ. बी. डी. कांडपाल, प्रदेश महामंत्री डॉ. कविता भट्ट ‘शैलपुत्री’, प्रदेश संयुक्त महामन्त्री डॉ. महेश शर्मा एवं मीनू जोशी, प्रदेश कोषाध्यक्ष सचिन प्रधान, प्रदेश मीडिया संयोजक ठाकुर मोहित सिंह, प्रदेश मंत्रियों में बसंती मठपाल, बीना जोशी, ओमशंकर मिश्र ‘ओम’, कैलाश अंडोला, सूरज सिंह सार्की, सुनील कुमार, डॉ. अर्पणा रावत, राम शंकर सिंह, प्रदेश कार्यकारिणी सदस्यों में नीना अग्रवाल, रामकृष्ण पोखरियाल, डॉ. प्रभा पन्त, मगनेश्वर प्रसाद नौटियाल, डॉ. देव सिंह पोखरिया, डॉ. नीरजा टंडन, विभा पांडे तिवारी, प्रदीप भार्गव, डॉ. जी. एल. भट्ट, जिलाध्यक्षों में प्रबोध चंद्र उनियाल, अरुण शर्मा, दिनेश चंद्र पाठक, अशोक क्रेजी, नंदन सिंह राणा, भगत सिंह राणा, राजेश जोशी, डॉ. के. पी. सिंह, गणेश चंद्र सिंह रावत, नीरज पंत, नवीन चंद्र शर्मा, डॉ. जितेंद्र राय, डॉ. गोपाल कृष्ण जोशी, जिला महामंत्रियों में डॉ. सुनील दत्त थपलियाल, अलका शर्मा, रोशन बलूनी, सत्येंद्र चौहान, दमयंती भट्ट, किरण पुरोहित, साधना जोशी, राजीव कुमार माही, डॉ. अनुपम शुक्ला, मोती प्रसाद साहू, मथुरा दत्त चौसाली, संजय कुमार भारद्वाज, मोहन चंद्र जोशी आदि कार्यकर्ता उपस्थित रहे। अंत में प्रदेश महामंत्री डॉ. कविता भट्ट ‘शैलपुत्री’ ने सभी का आभार व्यक्त किया।

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