हरिद्वार 27 अप्रैल (कुलभूषण) नगर के जाने माने नेत्र रोग विशेषज्ञ डा ओ पी वर्मा का कहना है कि बर्मी के मौसम में आखो के प्रति थोडी सी सजगता के चलते नेत्र रोगो से सम्बन्धित बहुत सी समस्याओ से बचा जा सकता है। एम्स दिल्ली में अपनी सेवा दे चुके डा वर्मा हरिद्वार में नेत्र रोग विशेषज्ञ के रूपमें अपनी विशेष पहचान रखते है।
डा वर्मा का कहना है कि उन्होने नेत्र रोग विशेषज्ञ होते हुए समाज सेवा के क्षेत्र को चुना जिसके चलते वह समाज के गरीब व असहाय लोगो के बीच जाकर उनकी सेवा करने में उन्होने आत्म संतोष की प्राप्ती होती है। अभी तक वह बडी संख्या में विभिन्न नेत्र रोग कैम्पों के माध्यम से नगर व सूदूर पहाडी क्षेत्र में रहने वाले गरीब व असहाय नेत्र रोग पिडितो की सेवा कर चुके है विभिन्न शिविरो के माध्यम से उन्होने कई नेत्र रोगियो के आपरेशन कर उनके जीवन में ज्योति को पल्लिवत कर नेत्र रोगीयो की समस्याओ को दूर करने का काम किया है। पिछले एक साल में वह हाल उत्तकाशी क्षेत्र में आयोजित कैम्प में 250 मरीजो को लैंस प्रत्यारोपण कर व ग्लाॅकोमा और नखुना के आॅपरेशन कर चुके है। हाल फिल हाल 23 से 25 अप्रैल तक उत्तरकाशी में आयोजित किये गये निशुल्क नेत्र रोग कैम्प में उन्होने अस्सी नेत्र रोगियो के सफल आॅपरेशन कर मरीजो को नेत्र रोगो की समस्या से निजात दिलायी। डा वर्मा का कहना है की वह लगातार समाज के गरीब व असहाय लोगो के उपचार के लिए अपवनी सेवाए देना निरन्तर जारी रखेगें उन्होने कहा की मानव सेवा ही सच्ची ईश्वर सेवा है ।
आज के दौर में बढते कम्प्युटर वर्क व तेजी से बदलती जिन्दगी की भाग दौड के समय में यदि हम अपने स्वास्थ्य विशेष्ज्ञ कर नेत्र रोग से सम्बन्घित समस्याओ के प्रति जागरूक रहे तो समय रहते बहुत हद तक इन समस्याओ पर नियंत्रण किया जा सकता है।
योग का आधार तन और मन की शुद्वता डॉण् चिन्मय पण्ड्या
हरिद्वार 27 अप्रैल (कुलभूषण) देव संस्कृति विश्वविद्यालय द्वारा मोरारजी देसाई राष्ट्रीय योग संस्थान एवं आयुष मंत्रालय भारत सरकार के संयुक्त तत्वावधान में योगोत्सव का आयोजन किया गया। घर घर पहुंचे प्रज्ञा योग देश अपना बने निरोग की थीम को लेकर इस कार्यक्रम को किया गया। देव संस्कृति विश्वविद्यालय द्वारा योगोत्सव का यह कार्यक्रम योग दिवस के उपलक्ष्य में योग प्रोटोकॉल अभ्यास के तहत कराया गया। कार्यक्रम का आयोजन हरिद्वार के ही चौधरी चरण सिंह घाट पर किया गया। देश के अमृत महोत्सव और शांतिकुंज की स्वर्ण जयंती वर्ष के बीच इस योगोत्सव कार्यक्रम के माध्यम से लोगों में जनजागरूकता के साथ अपनी संस्कृति को भी आगे बढ़ाने का प्रयास किया।
योगोत्सव कार्यक्रम के मुख्य अतिथि देसंविवि कुलपति शरद पारधी जी ने कहा कि आज हमें मिलकर आजादी के अमृत महोत्सव के शुभ अवसर पर अपनी संस्कृति अपनी सभ्यता को आगे बढ़ाने की आवश्यकता है और देव संस्कृति विश्वविद्यालय इसके लिए निरंतर प्रयास कर रहा है। प्रतिकुलपति डॉण् चिन्मय पण्ड्या ने कहा कि यदि हमारा तन शुद्व हो मन कर्म शुद्व हो यही योग का आधार है। उन्होंने कहा कि योगोत्सव के माध्यम से अपनी मानवता की मूल भावना को अपने जीवन मे लाने का प्रयास किया जाय। इस पूरे आयोजन की अध्यक्षता योग विभाग के विभागाध्यक्ष डॉण् सुरेश बरनवाल जी ने की। इस आयोजन में देसंविवि के अनेक योग प्रशिक्षक एवं शांतिकुंज के योग प्रशिक्षु उपस्थित रहे।
एफएपी को लागू करने के लिए देसंविवि का किया चयन
हरिद्वार 27 अप्रैल (कुलभूषण) नई शिक्षा नीति.२०२० के तहत देश के विभिन्न उच्च शिक्षण संस्थानों में फ्लेक्सिबल एकेडमिक प्रोग्राम ;एफएपीद्ध शुरु किया जाएगा। इसको लागू करने के लिए गठित राष्ट्रीय समिति ने देव संस्कृति विश्वविद्यालय का चयन किया है।
एफएपी को लागू करने वाले उच्च शैक्षणिक संस्थानों में देव संस्कृति विश्वविद्यालय के अलावा देश के सभी भारतीय प्रबंधन संस्थान ;आईआईएमद्धए भारतीय औद्योगिक संस्थान ;आईआईटीद्ध गोविंद बल्लभ पंत सामाजिक विज्ञान संस्थान ;प्रयागराजद्ध दिल्ली विश्वविद्यालय जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय ;दिल्लीद्ध इलाहाबाद केंद्रीय विश्वविद्यालय बी एच यू एवं अन्य उच्च शिक्षण संस्थानों को नाम शामिल किया है।
देशभर में एफएपी को लागू के लिए राष्ट्र स्तरीय समिति का गठन किया गया हैए जिसमें एफएपी के सभी बिन्दुओं पर गहराई से चर्चा की गई एवं इसको सफल बनने के लिए पूरी योजना तैयार की गई। इस समिति के राष्ट्रीय समन्वयक प्रोण् नितीश पुरोहित हैंए जो भारतीय सूचना प्रौद्योगिकी संस्थानए इलाहाबाद में शैक्षिक अधिष्ठाता के पद पर कार्यरत हैं। इस समिति ने देव संस्कृति विश्वविद्यालय को भी देश के विभिन्न उच्च शिक्षण संस्थानों के साथ सूची में शामिल किया है।
देसंविवि में एफएपी मानविकी यानी ह्यूमैनिटीज और सामाजिक विज्ञान के विषयों में लागू किया जाएगा। आपको बता दें कि एफएपी नई शिक्षा नीति.२०२० में प्रस्तावित किया गया था और अब इसको देश के विभिन्न विख्यात संस्थान लागू करने के लिए प्रतिबद्ध हैं। एफएपी के तहत उच्च शिक्षा के लिए उपयुक्त प्रमाणीकरण के साथ कई प्रविष्ठियां और निकास बिंदु होंगे। इसके अनुसार स्नातक कोर्स ३ या ४ साल के हो सकते हैं। जिसमें कई सारे एग्जिट ऑप्शन होंगे। ये सभी एग्जिट ऑप्शन उचित सर्टिफिकेशन के साथ होंगेए जैसे कि यदि छात्र ने एक साल स्नातक कोर्स में पढ़ाई की है तो उसे सर्टिफिकेट दिया जाएगाए दो साल के बाद एडवांस डिप्लोमा दिया जाएगाए तीन साल के बाद डिग्री दी जाएगी और ४ साल के बाद रिसर्च के साथ बैचलर की डिग्री दी जाएगी।
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