देहरादून, उत्तराखंड़ सरकार का शीतकालीन विधानसभा सत्र दूसरे दिन भी हंगामा पूर्ण रहा |सत्र का दूसरे दिन सदन में आठ विधेयक पेश हुए। किया। इससे पहले सदन की कार्यवाही शुरू होते ही विपक्ष ने प्रदेश की बिगड़ती कानून व्यवस्था का मामला उठाया। पीठ ने इस विषय को नियम 58 की ग्राह्यता पर सुनने की व्यवस्था दी। इसके बाद प्रश्नकाल शुरू हुआ। इस दौरान विधायक काजी निजामुद्दीन के रोजगार से संबंधित प्रश्न पर श्रम मंत्री हरक सिंह रावत के जवाब से विपक्ष संतुष्ट नहीं हुआ। नेता प्रतिपक्ष प्रीतम सिंह ने बेरोजगारी के मसले पर सरकार को घेरते हुए कहा कि सदन में रोजगार से संबंधित जो आंकड़े पेश किए गए हैं, वह गुमराह करने वाले हैं। इसपर सत्तापक्ष और विपक्ष दोनों के बीच तीखी नोकझोंक हुई। सरकार के जवाब से असंतुष्ट विपक्ष ने सदन से वाकआउट कर दिया। वहीं, सदन में आठ विधेयक पेश हुए।
विधान सभा सत्र के दूसरे दिन आज सरकार की ओर से द्वितीय अनुपूरक मांगों के अलावा उत्तराखंड चारधाम देवस्थानम प्रबंधन अधिनियम को निरस्त करने समेत आठ विधेयक सदन में पेश होंगे। कृषि कानूनों को रद करने के केंद्र सरकार के आदेश के बाद राज्य में इसे वापस लिया जा रहा है। इसके लिए उत्तराखंड कृषि उत्पाद मंडी (विकास एवं विनियमन) पुनर्जीवित विधेयक सदन में रखा जाएगा।
विधानसभा के शीतकालीन सत्र की अवधि तीन दिन रखी गई है। फिलहाल दूसरे दिन शुक्रवार के लिए एजेंडा तय किया जा चुका है। सत्र के आगे की रूपरेखा शुक्रवार को कार्यमंत्रणा समिति की बैठक में तय की जाएगी। शनिवार को आमतौर पर अवकाश रहता है। शनिवार को सत्र होने की स्थिति में प्रश्नकाल नहीं होगा। यह दिन किसी भी मंत्री या विभाग के लिए नियत नहीं है। अलबत्ता, सत्र के दूसरे दिन शुक्रवार के लिए सत्तापक्ष और विपक्ष ने अपनी-अपनी रणनीति तय कर ली हैं, सरकार विधेयकों के साथ द्वितीय अनुपूरक मांगों को भी सदन में रखेगी। उत्तराखंड पंचायतीराज (द्वितीय संशोधन) अध्यादेश को भी सदन के पटल पर रखा जाएगा। इसके अतिरिक्त उत्तराखंड भू-संपदा नियामक प्राधिकरण (रेरा) का वार्षिक प्रतिवेदन 2018-19 भी सदन में प्रस्तुत किया जाएगा। वहीं सीमित अवधि के सत्र में कांग्रेस ने हमलावर तेवर अपना लिए हैं। नेता प्रतिपक्ष प्रीतम सिंह ने कहा कि राज्य में कानून व्यवस्था की स्थिति खराब है। पूर्व मंत्री पर हमला किया जा रहा है। महंगाई की मार से जनता त्रस्त है। बेरोजगारी ने युवाओं के सामने संकट उत्पन्न कर दिया है। राज्य में बीते अक्टूबर माह में आई दैवीय आपदा से प्रभावित परिवारों और किसानों को राहत नहीं मिली है। जनता से जुड़े मुद्दों पर सरकार चुप्पी साधे हुए है।
शीतकालीन सत्र में ये विधेयक हुए पेश :
-उत्तराखंड (उत्तर प्रदेश) लोक सेवा (अधिकरण) (संशोधन) विधेयक
-उत्तराखंड सिविल विधि (संशोधन) विधेयक
-उत्तराखंड कृषि उत्पाद मंडी (विकास एवं विनियमन) पुनर्जीवित विधेयक
-उत्तराखंड चार धाम देवस्थानम प्रबंधन (निरसन) विधेयक
-उत्तराखंड पंचायतीराज (द्वितीय संशोधन) विधेयक
-आम्रपाली विश्वविद्यालय विधेयक
-उत्तराखंड नजूल भूमि प्रबंधन, व्यवस्थापन एवं निस्तारण विधेयक
-सोसाइटी रजिस्ट्रीकरण (उत्तराखंड संशोधन) विधेयक
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