Thursday, May 9, 2024
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21 नवंबर को दिल्ली में संसद के समक्ष होगी आशाओं की “अधिकार और सम्मान” राष्ट्रीय रैली

सितारगंज(नारायण सिंह रावत)। ऑल इंडिया स्कीम वर्कर्स फेडरेशन के राष्ट्रीय आह्वान पर 21 नवंबर को आशाओं और स्कीम वर्कर्स की संसद के समक्ष “अधिकार और सम्मान” राष्ट्रीय रैली और महाधरना किया जायेगा। जिसमें पूरे देश की आशाओं और स्कीम वर्कर्स द्वारा भागीदारी होगी।
“अधिकार और सम्मान” राष्ट्रीय रैली की तैयारी में उत्तराखंड आशा हेल्थ वर्कर्स यूनियन संबद्ध ऐक्टू की ब्लॉक स्तरीय मीटिंग सितारगंज की नवीन मंडी में सम्पन्न हुई।
बैठक को संबोधित करते हुए उत्तराखंड आशा हेल्थ वर्कर्स यूनियन के प्रदेश महामंत्री डॉ कैलाश पांडेय ने कहा कि, “आशाओं को सरकारों ने मुफ्त का कार्यकर्ता समझ लिया है।  आशाओं के प्रति ‘जमकर लेंगे काम और नहीं मिलेगा पूरा दाम और सम्मान’ आखिर कब तक चलेगा। आशाओं पर काम का बोझ लगातार बढ़ाया जा रहा है लेकिन केन्द्र की मोदी सरकार आशाओं को वर्कर मानकर न्यूनतम वेतन तक देने को तैयार नहीं है इसके उल्टा केंद्र सरकार ने राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन (एनएचएम) का बजट कम कर दिया है और एनएचएम के निजीकरण और एनजीओकरण की तैयारी की जा रही है। इसलिये पूरे देश की आशाओं ने एकताबद्ध होकर दिल्ली में संसद के सामने एकत्र होकर अपने अधिकार और सम्मान के लिए मांग उठाने का फैसला लिया है। उत्तराखंड की आशायें भी देश भर की आशाओं और स्कीम वर्कर्स के साथ एकजुटता स्थापित करते हुए बड़ी संख्या में दिल्ली रैली में शामिल होंगी।
उत्तराखंड आशा हेल्थ वर्कर्स यूनियन की प्रदेश उपाध्यक्ष रीता कश्यप ने कहा कि,”मातृ शिशु सुरक्षा के काम के लिए भर्ती की गई आशाओं के कंधों पर मातृ शिशु सुरक्षा के साथ साथ पल्स पोलियो अभियान, मलेरिया, डेंगू सर्वे, परिवार नियोजन, कोरोना, आपदा प्रशिक्षण, टीकाकरण से लेकर ओआरएस, बुखार की दवा बांटने आदि तक स्वास्थ्य विभाग की सारी योजनाओं और सर्वे का बोझ लाद दिया गया है, लेकिन महिला सशक्तिकरण के विज्ञापनों पर अरबों रुपये खर्च करने वाली सरकार आशाओं को वेतन और कर्मचारी का दर्जा देने के लिए तैयार नहीं है।
आशा नेताओं ने बताया कि यह राष्ट्रीय रैली आशा समेत सभी स्कीम वर्कर्स को नियमित वेतन और पेंशन की गारंटी देने, सरकारी कर्मचारी का दर्जा देने, पूरे देश में एकसमान वेतन 28000 रुपये, सुविधाओं और सामाजिक सुरक्षा की गारंटी, सरकारी स्कीमों (एनएचएम, मिड-डे मील,आईसीडीएस, आदि) का निजीकरण/एनजीओकरण बंद करो,  स्कीम वर्कर्स के लिये काम के घंटे तय करने, कार्यस्थल पर होने वाले लैंगिक शोषण को रोकने के लिए जेंडर सेल का गठन करने की मांग की जाएगी।
बैठक में ब्लॉक अध्यक्ष मंजू, सरमीन सिद्दीकी,दीपा  राणा, ममता मित्रा, शहाना, मीना देवी, नाजिश, रीना देवी, अंगूरी देवी, भावना बिष्ट, विजेता देवी, इंद्रावती, अनुराधा, नारदा देवी, कुलवंत कौर, राधा, शहनाज, सफ़ीना, संजू यादव, निवेश, फूला देवी, प्रेमा देवी, सीता, रेखा दास, चरणजीत कौर, संगीता, सबीना, यास्मीन, रीता देवी, मोबिना, सुलोचना सीमा बेगम, रहिया  आदि  मौजूद रहीं।

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