लव अग्रवाल ने कहा कि 14 जून को डब्ल्यूएचओ (विश्व स्वास्थ्य संगठन) द्वारा पहचाना गया लैम्ब्डा वेरिएंट, कोरोना वायरस का सातवां वेरिएंट था और 25 देशों में इसका पता चला है। उन्होंने कहा, ‘हमारे देश में इसका कोई मामला सामने नहीं आया है और आईएनएसएसीओजी इस पर नजर रख रहा है। पेरू में, 80 फीसदी मामले इसी स्वरूप के थे। यह दक्षिण अमेरिकी देशों और ब्रिटेन और यूरोपीय देशों में भी मिला है। सार्वजनिक स्वास्थ्य पर हर प्रभाव की निगरानी की जाएगी।’
वहीं, नीति आयोग के सदस्य (स्वास्थ्य) डॉ वीके पॉल ने कहा कि लैम्ब्डा स्वरूप पर ध्यान देने की जरूरत है और इसलिए इसका पता लगाया जा रहा है। उन्होंने कहा, ‘जहां तक हम जानते हैं कि इसने हमारे देश में प्रवेश नहीं किया है, अपने देश में यह नहीं मिला है। हमारी निगरानी प्रणाली आईएनएसएसीओजी बहुत प्रभावी है और अगर यह स्वरूप देश में प्रवेश करता है तो वह इसका पता लगा लेगी…।’ डॉ. पॉल ने कहा, ‘ हमें इन प्रकार के स्वरूपों को लेकर सतर्क रहना चाहिए।’
कप्पा वेरिएंट के बारे में पॉल ने कहा कि यह फरवरी और मार्च में भी देश में मौजूद था और इसकी तीव्रता बहुत कम थी तथा डेल्टा स्वरूप ने बड़े पैमाने पर इसका स्थान ले लिया है। उन्होंने कहा, ‘कप्पा वेरिएंट देश में फरवरी-मार्च में भी मौजूद था, डेल्टा वेरिएंट कप्पा जैसा है। डेल्टा वेरिएंट के सामने आने पर यह दब गया था और हमारे देश में कुछ समय के लिए यह वेरिएंट था। डेल्टा एक संबंधित स्वरूप है और तेजी से फैल सकता है और यह दूसरी लहर के लिए जिम्मेदार था।’
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