Wednesday, November 27, 2024
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महंगाई के विरोध में कांग्रेसियों ने फूंका भाजपा की सरकार का पुतला

देहरादून। कांग्रेस कार्यकर्त्‍ताओं ने महंगाई के विरोध में भाजपा की सरकार का बल्लूपुर चौक पर पुतला फूंका। कार्यक्रम संयोजक प्रदेश कांग्रेस कमेटी के महामंत्री नवीन जोशी के नेतृत्व में यह पुतला दहन किया गया। इस अवसर पर कांग्रेस कार्यकर्त्‍ताओं को संबोधित करते हुए नवीन जोशी ने कहा कि भाजपा सरकार में बढ़ती महंगाई से जहां आम आदमी परेशान है, वहीं आए दिन रसोई गैस के दाम आसमान छू रहे हैं।

आज स्थिति यह हो गई है कि कांग्रेस की सरकार के समय में 400 में मिलने वाला सिलिंडर भाजपा की सरकार में 900 रुपये के पार चला गया है। गरीब का चूल्हा जलना भी मुश्किल हो गया है। एक वक्त की रोटी खाना भी इस सरकार ने गरीबों का मुश्किल कर दिया है। पहले ही लोग कोरोना महामारी से पीड़ित थे और ऊपर से कमरतोड़ महंगाई आ गई है। सरकार ने लोगों से महंगाई कम करने का वादा किया था, परंतु आज उन सारे वादों की हवा निकल गई है। हर क्षेत्र में महंगाई अपने चरम पर पहुंच गई है, जिसका खामियाजा प्रदेश व देश की जनता को उठाना पड़ा है,

कांग्रेस कार्यकर्त्‍ता महंगाई के विरोध में ऐसे प्रदर्शन करते रहेंगे और जनता की आवाज को दबने नहीं देंगे और महंगाई का विरोध हर स्तर पर नीचे से ऊपर तक किया जाएगा। कमर तोड़ कर रख दी है। इस सरकार को गरीब व आम जनता के दुख दर्द से कुछ लेना देना नहीं है। केवल अपनी नाकामियों छुपाने के लिए यह लोग महंगाई पर महंगाई थोपे जा रहे है |
पुतला दहन करने वालों में मुख्य रूप से सेवादल के प्रदेश प्रवक्ता अशोक मल्होत्रा, पूर्व पार्षद मोहन जोशी, अमन, होरीलाल, सरदार हरचरण सिंह, महेश जोशी, गंभीर हरजीत सिंह, महानगर उपाध्यक्ष सोशल मीडिया विक्की नायक , नीलम, दीपा चौहान,अनुराग जगतरा, राजेंद्र सिंह मौर्य, नन्हे बाबू मोरिया, रामबाबू सैनी ,विजय सैनी, सुधीर चौधरी आदि कार्यकर्त्‍ता उपस्थित थे |

 

राज्य के उच्च शिक्षा मंत्री के इस्तीफे की मांग को लेकर एनएसयूआई ने फूंका
सरकार का पुतला

देहरादून, एनएसयूआई के प्रदेश अध्यक्ष मोहन भंडारी के नेतृत्व में शुक्रवार को उच्च शिक्षा मंत्री डाक्टर धन सिंह रावत के इस्तीफे की मांग करते हुए राज्य सरकार के खिलाफ प्रदर्शन किया। एनएसयूआई कार्यकर्त्‍ताओं ने एस्‍लेहाल चौक पर राज्य सरकार का पुतला फूंकते हुए नारेबाजी की गई।

एनएसयूआई प्रदेश अध्यक्ष मोहन भंडारी ने प्रदर्शन के कारण बताया कि उत्तराखंड मुक्त विश्वविद्यालय में बिना पदों की स्वीकृति के मंत्री डाक्टर धन सिंह रावत के इशारे पर 56 पदों पर नियुक्तियां दी गई, जबकि प्रदेश का युवा रोजगार की चाह में वर्षों से परीक्षा तैयारियों में लगा है। उत्तराखंड में एमबीबीएस कोर्स का शुल्क 50 हजार से बढ़ाकर 4 लाख 25 हजार कर दिया गया। राज्य सरकार के विश्वविद्यालयों में अंतिम अंतिम वर्ष की परीक्षाओं को लेकर अनिश्चितता बनी हुई है, जिसे छात्र-छात्राएं असमंजस में हैं।

इस देरी के चलते अंतिम वर्ष के छात्र छात्राओं का एक वर्ष बर्बाद होने की कगार पर है। मोहन भंडारी ने कहा कि शिक्षा व्यवस्था पूरी तरह चरमरा गई हैं। परीक्षा परिणामों के चलते भी हजारों छात्र-छात्राएं विश्वविद्यालयों के चक्कर काट रहे हैं, जिसके जिम्मेदार उच्च शिक्षा मंत्री धन सिंह रावत हैं हम तत्काल उनके इस्तीफे की मांग करते हैं। यदि सरकार ने इस ओर ध्यान नहीं दिया तो एनएसयूआइ आने वाले समय में उच्च शिक्षा मंत्री व मुख्यमंत्री के आवास के बाहर भी प्रदर्शन करेगी।

इस अवसर पर प्रदेश महासचिव आयुष गुप्ता, महानगर अध्यक्ष अभिषेक डोबरियाल, उदित थपलियाल, हिमांशु रावत, वाशु शर्मा, अंकित बिष्ट, सागर मुनियारी, सागर पुंडीर, नमन शर्मा, गौरव नेगी, सौरभ कुमार, दिव्या रावत, भव्या सिंह, जोशी, कार्तिक भाटिया, गौरव रावत, प्रियांशु गौड़, उत्कर्ष जैन, सिद्धार्थ अग्रवाल आदि छात्र छात्राएं मौजूद रहे।

अधिकारियों का लंबे समय से जुड्डो में धरना दे रहे बांध प्रभावितों ने किया घेराव

देहरादून (विकासनगर), लखवाड़-व्यासी जल विद्युत परियोजना की अधिग्रहित परिसंपत्तियों के मामलों के निस्तारण और कार्ययोजना के संबंध में बैठक की गई, जिसमें फैसला लिया गया कि लखवाड़ व्यासी जल विद्युत परियोजना की अधिग्रहित भूमि और परिसंपत्तियों का सर्वेक्षण कार्य पूर्ण कराए जाने के बाद आगे की कार्यवाही अमल में लाई जानी चाहिए। इसके बाद परिसंपत्तियों के सर्वेक्षण कार्य के लिए कमेटी गठित की गई।

मौके पर सर्वेक्षण कार्य के लिए पहुंचे एडीएम प्रशासन डा. शिवकुमार बरनवाल, एसडीएम विकासनगर विनोद कुमार, एसडीएम कालसी संगीता कन्नौजिया आदि अधिकारियों का लंबे समय से जुड्डो में धरना दे रहे बांध प्रभावितों ने घेराव किया। इस दौरान उन्होंने मांगें पूरी करने की मांग की। इस दौरान प्रशासन और ग्रामीणों के बीच तीखी नोकझोंक हुई। ग्रामीणों ने जमीन के बदले जमीन की मांग को पुरजोर तरीके से उठाया। सर्वेक्षण करने गई टीम को विरोध झेलना पड़ा।

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