Thursday, April 25, 2024
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लोगों की आजीविका को बढ़ाकर वनों की रक्षा की जा सकती है : महानिदेशक

देहरादून, भारतीय वानिकी अनुसंधान एवं शिक्षा परिषद में चल रही अंतर्राष्ट्रीय कार्यशाला के तीसरे और अंतिम दिन, “कार्बन पृथक्करण क्षमता की वृद्धि और वन कार्बन स्टॉक का आकलन” तथा “सतत भूमि एवं पारितंत्र प्रबंधन (स्लेम) ज्ञान का साझाकरण और प्रसार” पर दो सत्र आयोजित किए गए।

वन पारितंत्र की उच्च कार्बन पृथक्करण क्षमता के कारण वन पारितंत्रों पर कार्बन एक्सचेंज की नियमित निगरानी, जलवायु संबंधी नीति निर्णय की कुंजी है। भूटान, बांग्लादेश, नेपाल और भारत में वन कार्बन आकलन की पहलों पर किए जा रहे कार्यों की चर्चा संबंधित देशों के प्रतिनिधि वक्ताओं द्वारा की गई।
भा.वा.अ.शि.प. की सक्रिय सहयोग से भारत में घरेलू वन कार्बन बाजार विकसित करने की आवश्यकता पर विचार-विमर्श किया गया। कंबोडिया, मलेशिया, फिलीपींस और भारत में कार्बन निगरानी के संदर्भ में, जापान के वक्ता ने जलवायु परिवर्तन न्यूनीकरण और सतत विकास लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए भू-स्थानिक डेटा और उन्नत मशीन लर्निंग की भूमिका पर प्रकाश डाला, जो पेरिस समझौते के बेहतर कार्यान्वयन और रेड्ड+ आकलन के लिए वन प्रबंधन पद्धतियों के लिए नीति निर्माताओं की मदद करेगा।
कार्बन प्रवाह को मापने के लिए, एड्डी कोवैरियेंस फ्लक्स टावर प्रमुख भूमिका निभाते हैं। राष्ट्रीय सुदूर संवेदन केंद्र और भारतीय सुदूर संवेदन संस्थान द्वारा भारत के नौ अलग-अलग स्थानों में फ्लक्स टावर स्थापित किए गए हैं, जबकि भा.वा.अ.शि.प. द्वारा मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ में दो टावर स्थापित किए गए हैं। इसी तरह, सारावाक, मलेशिया में एशिया फ्लक्स नेटवर्क ने पीटलैंड्स (एक अद्वितीय आर्द्रभूमि पारितंत्र) कार्बन संतुलन के साथ-साथ कार्बन पृथक्करण के लिए जिम्मेदार कारकों की पहचान की है। जलवायु परिवर्तन पर संयुक्त राष्ट्र फ्रेमवर्क समझौते के तहत, ग्रीन क्लाइमेट फंड (GCF) पेरिस समझौते के लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए धन प्रवाह में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है। ग्रीन क्लाइमेट फंड ने वर्तमान में दुनिया भर में 200 से अधिक परियोजनाओं में 11 बिलियन अमेरिकी डॉलर के निवेश के बजट को मंजूरी दी है, जिनमें से 84 वानिकी क्षेत्र में हैं। दक्षिण कोरिया के वक्ता द्वारा जलवायु वित्त और न्यूनीकरण तथा अनुकूलन पर प्रभाव की निगरानी में संबंधित चुनौतियों से निपटने में ग्रीन क्लाइमेट फंड की भूमिका पर चर्चा की गई।

विश्व बैंक द्वारा वित्त पोषित पारितंत्र सेवाएँ सुधार परियोजना (ESIP) के माध्यम से भा.वा.अ.शि.प. भूमि क्षरण के मुद्दों को दूर करने और पारितंत्र सेवाओं में सुधार के लिए स्लेम पद्धतियों के माध्यम से ग्रीन इंडिया मिशन और LiFE मिशन को बढ़ावा दिया जा रहा है। प्राकृतिक संसाधनों, जैव विविधता और कार्बन स्टॉक के बेहतर प्रबंधन के लिए पारितंत्र सेवाएं सुधार परियोजना के माध्यम से पेश किए गए नए उपकरण और प्रौद्योगिकियों से मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ के लगभग 25,000 वनवासियों, छोटे भूमिधारकों और सीमांत किसानों को सीधा लाभ हुआ है। भा.वा.अ.शि.प. ने भारत में सतत भूमि और पारितंत्र प्रबंधन की संस्थागत और नीतिगत मुख्यधारा के लिए एक रोडमैप विकसित किया है और भूमि क्षरण एवं मरुस्थलीकरण और स्लेम सर्वोत्तम पद्धतियों को बढ़ाने और मुख्यधारा में लाने के लिए एक ऑनलाइन राष्ट्रीय रिपोर्टिंग पोर्टल ‘स्लेम नॉलेज शेयरिंग एंड रिपोर्टिंग सिस्टम’ (https://nrdp.icfre.gov.in/) विकसित किया है। मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ में बंजर भूमि की बहाली की सफलता की कहानियां भी संबंधित राज्य वन विभागों द्वारा प्रस्तुत की गईं। खाद्य एवं कृषि संगठन के प्रतिनिधि ने संगठन के ज्ञान साझा करने के निर्देशों के अनुसार एफएओ द्वारा समर्थित वन और परिदृश्य बहाली हेतु क्षमता निर्माण के बारे में विस्तार से बताया।
भा.वा.अ.शि.प. के महानिदेशक की अध्यक्षता में अंतिम सत्र के दौरान विशेषज्ञों के पैनल द्वारा विभिन्न सत्रों से प्राप्त सिफारिशों पर चर्चा की गई।

 

स्वास्थ्य मंत्री द्वारा जनपद में नवनियुक्त 137 एएनएम को दिए गए नियुक्ति पत्र

स्वास्थ्य मंत्री द्वारा किया गया निक्षय वैन का शुभारंभ

पौड़ी, विश्व टीबी दिवस पर एमबीबीएस श्रीनगर के छात्रों द्वारा टीबी उन्मूलन हेतु स्वास्थ्य मंत्री डॉ. धनसिंह रावत की अध्यक्षता में जनजागरूकता रैली के साथ ही पोस्टर प्रतियोगिता का आयोजन किया गया।

इस दौरान स्वास्थ्य मंत्री डॉ. धनसिंह रावत द्वारा जनपद में वी.डॉट की शुरुवात की गई। वीडॉट के द्वारा टीबी मरीजों के स्वास्थ्य की मानटरिंग वीडियो क्रांफ्रेसिंग के माध्यम से भी की जाएगी। जिससे आशाओं के माध्यम से खिलाई जाने वाली दवाओं की मॉनिटरिंग की जाएगी। ताकि मरीजों को आसानी से स्वास्थ्य लाभ मिल सके।

इसके साथ ही माननीय स्वास्थ्य मंत्री द्वारा निक्षय वैन का भी शुभारंभ किया गया जिसमें दूरस्थ क्षेत्रों के संभावित टीबी मरीजों का बलगम का सैंपल जांच केंद्रों तक लाया जाएगा जिससे उनको चिकित्सालय तक नही आना पड़ेगा। वी डॉट और निक्षय वैन की शुरुवात करने वाला उत्तराखंड का पौड़ी पहला जनपद है। स्वास्थ्य मंत्री डा. धन सिंह रावत ने आशा सम्मेलन में सर्वश्रेष्ठ कार्य करने वाली आशा, आशा फेसिलेटर और ब्लॉक कोडिनेटर को सम्मानित भी किया। इसके साथ ही स्वास्थ्य मंत्री द्वारा जनपद में नवनियुक्त 137 एएनएम को नियुक्ति पत्र भी वितरित किए गए।

 

रायपुर के एक बड़े हिस्से पर निर्माण कार्यों पर रोक, अधिसूचना जारी, रायपुर विधानसभा क्षेत्र का बनाया जाएगा अलग मास्टर प्लान

“रायपुर और उसके पास के क्षेत्र में विधानसभा परिसर एवं अन्य सरकारी कार्यालय भवनों का होना है निर्माण”

रायपुर में बनेगा नया विधानसभा भवन, रायपुर के एक बड़े हिस्से पर निर्माण  कार्यों पर रोक, अधिसूचना जारी। - Pahad ka Sach

देहरादून, सरकार द्वारा रायपुर विधान सभा क्षेत्र में नये निर्माणों पर रोक लगाने के लोग कई कयास लगाने लगे हैं, सरकार की माने तो देहरादून में नया विधानसभा भवन व दूसरे सरकारी ऑफिस समेत नई टाउनशिप बनाने के लिए रायपुर विधानसभा क्षेत्र ही जनपद का बड़ा हिस्सा है जिसके एक बड़े हिस्से में नए निर्माण कार्यों पर अगले आदेश तक रोक लगा दी गई। है। भराड़ीसैंण में मंत्रिमंडल के फैसले के बाद शासन की ओर से इसकी अधिसूचना जारी कर दी गई है।
अपर मुख्य सचिव शहरी विकास आनंद बर्द्धन की ओर से जारी आदेश के मुताबिक रायपुर और उसके पास के क्षेत्र में विधानसभा परिसर एवं अन्य सरकारी कार्यालय भवनों का निर्माण होना है। जिसे देखते हुए उत्तर में रायपुर से थानो रोड तक, दक्षिण में मुख्य हरिद्वार रोड तक और पूरब में दूनघाटी महायोजना भोपाल पानी, बड़ासी ग्रांट एवं काली माटी गांव की सीमा तक के क्षेत्र को शामिल कर फ्रीज जोन घोषित किया गया है। इस क्षेत्र में सभी तरह के निर्माण और विकास गतिविधियों पर महायोजना निर्माण तक रोक रहेगी।
एसीएस ने बताया कि रायपुर विधानसभा क्षेत्र का अलग मास्टर प्लान बनाया जाएगा। जब तक मास्टर प्लान अस्तित्व में नहीं आता। तब तक इस क्षेत्र में किसी भी तरह का निर्माण नहीं किया जा सकेगा। मंत्रिमंडल ने इसके लिए अगले आदेश तक इस सीमा क्षेत्र में नक्शा पास करने पर रोक लगाने का प्रस्ताव पास किया था।

इसके अलावा सरकार शहरों में यातायात का दबाव कम करने के लिए उन सभी दफ्तरों को बाहरी क्षेत्र में बनाने जा रही है, जिनकी वजह से अक्सर जाम के हालात पैदा होते हैं। इसकी शुरूआत राजधानी से होने जा रही है। सचिवालय व अन्य दफ्तरों को सरकार रायपुर क्षेत्र में बनाएगी। विधानसभा को भी रायपुर में बनाने का प्रस्ताव पहले से प्रक्रिया में था।

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