हरिद्वार, जनपद के जमीन घोटाला मामले में जिला प्रशासन के उच्च अधिकारियों की भूमिका पर सवाल उठने लगे हैं। सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, हरिद्वार के जिलाधिकारी कर्मेन्द्र सिंह समेत कई अन्य अधिकारियों के खिलाफ जांच का दायरा अब सख्ती से बढ़ाया जा रहा है। इस बहुचर्चित घोटाले की जांच कर रहे वरिष्ठ आईएएस अधिकारी रणवीर सिंह चौहान ने अपनी रिपोर्ट पूरी कर उत्तराखंड शासन को सौंप दी है। बताया जा रहा है कि रिपोर्ट में जमीन के अवैध आवंटन, रिकॉर्ड में हेराफेरी और नियमों के उल्लंघन की बात सामने आई है।
हरिद्वार जमीन घोटाले को लेकर की जा रही प्रशासनिक जांच ने चौंकाने वाले तथ्य उजागर किए हैं। आईएएस रणवीर सिंह चौहान द्वारा की गई इस जांच की रिपोर्ट अब शासन को सौंप दी गई है, और इससे जुड़ी जानकारियां राज्य की प्रशासनिक व्यवस्था को हिला सकती हैं।
सूत्रों के मुताबिक रिपोर्ट में तीन वरिष्ठ अधिकारियों की भूमिका पर गंभीर सवाल उठाए गए हैं। कर्मेंन्द्र सिंह जिलाधिकारी, हरिद्वार, उनकी भूमिका को लेकर रिपोर्ट में स्पष्ट रूप से उल्लेख है कि उन्होंने भूमि हस्तांतरण और रिकॉर्ड प्रक्रियाओं में अनियमित निर्णय लिए। साथ ही वरुण चौधरी तत्कालीन नगर आयुक्त और अजयवीर सिंह एसडीएम पर आरोप है कि नगर निकाय से जुड़े भूमि संबंधी मामलों में उन्होंने लापरवाही बरती। यह मामला सरकारी जमीनों के अवैध आवंटन और दस्तावेजों में फर्जीवाड़े से जुड़ा है। आरोप है कि हरिद्वार में कई एकड़ की कीमती जमीनें नियमों को ताक पर रखकर निजी व्यक्तियों को सौंप दी गईं। कुछ मामलों में फर्जी दस्तावेजों के सहारे हस्तांतरण किया गया। यह घोटाला न केवल प्रशासनिक भ्रष्टाचार को उजागर करता है, बल्कि यह भी दिखाता है कि राज्य में भूमि नीति और संपत्ति प्रबंधन प्रणाली की पारदर्शिता कितनी जरूरी है।
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