हरिद्वार,9 दिसम्बर (कुल भूषण) वेदांत वेत्ता टाट वाले बाबा के 31 वे वार्षिक वेदांत सम्मेलन में आज तृतीय दिवस पर भक्ति एवं वेदांत की गंगा गुरु वंदना से बिरला घाट पर प्रवाहित हुई।
दुर्लभ सन्त टाट वाले बाबा महाराज के सानिध्य एवं संस्मरण प्रकट करते हुए हुए बाबा के अनन्य शिष्य स्वामी विजयानंद महाराज ने कहा कि यह कोई अतिश्योक्ति नहीं होगी कि बाबा जी मे विरक्तता, त्याग कोटि-कोटि कूट कर भरा हुआ था।जिस प्रसिद्धि एवं नाम के लिए दुनिया सिर पटकती है।दर दर की ठोकरें खाती हैं, थोड़ा सा दान देकर तख्तियां लटकवाने के लिए तलबगार रहतीं हैं लेकिन टाट वाले बाबा ने कभी भी पैसे तक को छुआ तक भी नहीं। बाबा ने कभी भी अपना नाम, जाति,ग्राम,कुल का आदि का कभी बखान ही नहीं किया। बाबा का कहना था कि शरीर मिथ्या, उसका नाम मिथ्या,जाति मिथ्या है तो उस में प्रीती क्यों करें।
कृष्ण मयी माता ने बाबा जी को नतमस्तक होते हुए वेदांत के अर्थ को स्पष्ट किया। वेदों के पश्चात जब से संसार है तब से वेद है। सृष्टि अनादि है तो वेद भी अनादि है। गुरु ने जैसा मंत्र दिया वैसा ही जाप करना होता है।दूध का सार मक्खन होता हैं ठीक उसी प्रकार वेदों का सार वेदांत होता हैं।
इस अवसर पर टाट वाले बाबा जी के परम शिष्य संजय कुमार बत्रा,विजय शर्मा,रमा वोहरा, भावना गौर ,कोशिलया सोनेजा ,भावना गौर ,एस एम जे एन पी जी कालेज के प्राचार्य डॉ सुनील कुमार बत्रा ,राम चन्द्र सुरेन्द्र वोहरा,ओमी बाबा,उमा बर्मन,शारदा खिललन, सुषमा चंदवानी, लेखराज,आदि ने अनन्त श्री टाट वाले बाबा, स्वामी जगदीश मुनि, समाधि सेविका माता लक्ष्मी को अपनी श्रद्धांजलि अर्पित एवं संस्मरण प्रस्तुत किये। टाट वाले बाबा की लिखी पुस्तक असंभव कुछ नहीं सब संभव है वास्तव में सभी समस्याओं का हल इस पुस्तक में मिल जाता है यह एक अलौकिक ग्रंथ हैं।
मातृशक्ति की ओर गूलर वाला से आई सुश्री महेश देवी ,श्रीमती मधु गौड़ ,सुश्री भावना गौड़, आदि द्वारा भी श्रृद्धा सुमन एवं भजन के द्वारा अपनी श्रद्धा सुमन अर्पित किये । कार्यक्रम का सफल संचालन संजय बत्रा के द्वारा किया गया।
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