अल्मोड़ा (रानीखेत), कोरोना महामारी के इस वैश्विक महासंकट में अग्रिम पंक्ति के कोरोना योद्धाओं के रूप में मोर्चे पर डटे राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन (एनएचएम) में तैनात स्वास्थ्य अधिकारियों व कर्मियों की उपेक्षा पर असंतोष पनपने लगा है। कोरोना से जंग के बीच मिशन में तैनात संविदा कर्मी अब तक स्पष्ट सेवा नियमावली लागू न होने से लामबंद होने लगे हैं।
कोविड-19 के तहत दायित्व निर्वहन के साथ कर्मियों ने काली पट्टी बांध चिकित्सा स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण के संवर्गीय ढांचे में अरसे से रिक्त चल रहे पदों पर मिशन के तहत कार्यरत कर्मियों की नियमित भर्ती की पुरजोर मांग उठाई है। लगातार कोरोना काल के दौरान एनएचएम के तहत तैनात चिकित्सक व अन्य स्वास्थ्य कर्मी की जा रही उपेक्षा से मुखर हो उठे हैं। महासंकट के इस दौर में शिद्दत से ड्यूटी देने के बावजूद नियमित पदों का सृजन न होने से उनमें आक्रोश भड़कने लगा है।
इधर शुक्रवार को संगठन की जिलाध्यक्ष डा. शिखा जोशी की अगुआई में एनएचएम कार्मिकों ने संयुक्त मजिस्ट्रेट अपूर्वा पांडे व सीएमएस नागरिक चिकित्सालय डा. केके पांडे के साथ ही सीडीओ नवनीत पांडे से मिल उन्हें ज्ञापन दिया। जिलाध्यक्ष डा. शिखा ने मिशन में संविदा के स्थान पर नियमित पदों का सृजन किए जाने की पुरजोर मांग उठाई। कहा कि कार्मिकों के लिए एक्स कैडर (निसंवर्गीय) बना नियमित कर्मियों की भांति वेतन तथा 60 वर्ष तक विभाग में बनाए रखने की नियमावली जारी की जाय, संगठन ने मांग उठाई कि चिकित्सा स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण के संवर्गीय ढांचे से पूर्व जिन कर्मियों के पद स्वीकृत हुए थे और वर्तमान में रिक्त हैं,
उनमें योग्यता के आधार पर 50 फीसद पद एनएचएम के तहत भरे जाने पर भी जोर दिया। संगठन पदाधिकारियों ने उपेक्षा बंद न होने पर कड़ा कदम उठाने की चेतावनी भी दी। ज्ञापन देने वालों में एनएचएम संविदा कर्मचारी संगठन की जिलाध्यक्ष डा. शिखा जोशी, डा. देवेंद्र उप्रेती, फार्मासिस्ट चांदनी गैड़ाकोटी, स्टाफ नर्स प्रियंका धानिक, योगेश पंत, डाटा एंट्री ऑपरेटर डीइओ चंद्रप्रकाश, एएनएम नीमा रावत व हेमा पांडे, आशा सुपरवाइजर किरन जोशी आदि शामिल रहे।
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