पिथौरागढ़, भाव राग ताल नाट्य अकादमी द्वारा माधो सिंह भंडारी का रविवार को पांचवा सफल मंचन किया गया, जिसमें कलाकारों को जनता द्वारा बहुत सराहना मिली | पिथौरागढ़ फोर्ट में आयोजित इस नाटक की परिकल्पना गढ़वाल के वीरभड़ माधो सिंह भंडारी की वीरता के सार्थक प्रतिरूप में थी, जिन्होंने अपने ग्राम मलेथा के लिए नगाधिराज पहाड़ में सुरंग बना कर नदी चंद्र भागा का रुख मोड़ा था और अपने क्षेत्र को हरा भरा किया था। मलेथा में पानी लाने के लिए माधो मेहपति के राजा के पास भी जाता है परंतु राजा माधो को बेजत कर मदद करने से मना कर देता है जिससे निराश होकर माधो राजा के किसी भी युद्ध में ना जाने का प्रण लेता है | इसी बीच माधो का बेटा अकेले ही पहाड़ खोदने निकल जाता है और मृत्यु को प्राप्त हो जाता है | जिससे सभी लोग माधो को रोकते है परंतु माधो अपनी बात पर अड़ा रहता है और अपने पुत्र की मृत्यु को बलिदान बताता है और अकेले ही पहाड़ खोदने चले जाता है बाद में सभी लोग माधो की मदद के लिए जाते है और कड़ी मेहनत के बाद मलेथा में पानी आता है और पूरा मलेथा हरा भरा हो जाता है |
इस नाटक में माधो सिंह भंडारी का पात्र रोहित यादव ने निभाया और अन्य कलाकारों दीक्षा, तनुजा, सपना, योगीता, मनीष, दीपक मंडल, जीतेंद्र धामी, डिगर दीप, धीरज कुमार लोहिया, विप्लव भट्ट आदि ने सराहनीय भूमिका निभायी | इस नाटक में संगीत निर्देशन धीरज कुमार लोहिया का था और संगत में दिनेश और मुकुंद कापड़ी रहे साथ ही नृत्य संरचना पंडित हेमत गुरुजी महाराज जी द्वारा की गयी |
मुख्य अथिति के रूप में अपर जिलाधिकारी पिथौरागढ़ ने सभी कलाकारों को शुभकामनाएं दी गयी और साथ ही पूरी टीम को सहयोग करने की बात कही | नाटक के विशिष्ट अतिथि प्रकाश जोशी, यशवन्त महर, महेश पुनेठा, दिनेश भट्ट, सरस्वती कोहली, राम सिंह द्वारा भी कलाकारों का मनोबल बढ़ाया |
पिथौरागढ़ के बहुत से कला प्रेमियों ने भाव राग ताल नाट्य अकादमी को सहयोग दिया, इस नाटक का निर्देशन कैलाश कुमार द्वारा किया गया | कैलाश का कहना है कि इस नाटक का मंचन केरल और जयपुर के साथ अन्य राज्यों में भी होना प्रस्तावित है जो पिथौरागढ जनपद के लिए बहुत खुशी की बात है |
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