” षडयंत्र व विद्वेष की भावना से ग्रसित सुपरवाइजर ने अपने ही विभाग की कर दी किरकिरी पहले झूठी रिपोर्ट प्रस्तुत कर जिलाधिकारी को किया गुमराह अब अपने भ्रष्टाचार व मनमाने कृत्य को छुपाने के लिये ग्रामीणों को लड़वाने की कोशिश में जुटा विभाग”
रुद्रप्रयाग- बाल विकास के कर्मचारी कितने बैखोफ होकर व नियम कानूनों को ताक पर रखकर काम कर रहे है इसका जीता जागता उदाहरण बाल विकास परियोजना अगस्त्य मुनी में देखा जा सकता। परियोजना की सुपरवाइजर व कुछ कर्मचारियों ने मनमाने ढंग सब कुछ जानते हुये भी वर्षों से चल रहे एक ऑगनबाड़ी केन्द्र को बंद कर दूसरी जगह शिफ्ट कर दिया हलांकि ग्रामीणों के् विरोध के चलते केन्द्र का सामान शिफ्ट नही हो पाया लेकिन 12 वर्षों से चल रहे उक्त केन्द्र में दो माह बीत जाने के बाद भी ताला लटका हुआ है व गॉव के बच्चों को केन्द्र का लाभ नहीं मिल पा रहा है । ग्रामीण इसे विद्वेष की भावना से किया गया कार्य मान रहे है । मामला विभागीय उच्च अधिकारियों के संज्ञान में आने के बाद जॉच की गई लेकिन वाल विकास अधिकारी ने उसी सुपरवाइजर को जॉच अधिकारी बना दिया जो कि मामले मे आरोपित है। बाद मे ग्रामीणों की मॉग पर जिलाधिकारी की संस्तुति पर खण्ड विकास अधिकारी अगस्त्यमुनी की अध्यक्षता में एक जॉच कमेठी गठित की गई लेकिन दो माह बाद भी जॉच सार्वजनिक न होने से ग्रामीणों को न्याय की उम्मीद नहीं लग रही।
मामाला जनपद रुद्रप्रयाग की बाल विकास परियोजना अगस्त्यमुनी का है यहाँ विभाग के कर्मचारियों ने नियम प्रावधानों को ताक पर रख वर्षों से ग्राम टेमना में चल रहे ऑगनबाड़ी केन्द्र जोंदला द्वितीय को बंद कर तीन किमी दूर अन्यत्र शिफ्ट कर दिया है। किन नियमों व प्रावधानों के तहत केन्द्र को बंद किया इसकी जानकारी भी विभाग नहीं दे पा रहा है। जबकि एक माह बीत जाने के बाद भी उक्त केन्द्र पर ताला लटका है जिसकी कोई सुध लेने वाला नहीं है। अपनी कारनामों को छुपाने के लिये पहले बैखोफ कर्मचारियों द्वारा विभागीय उच्च अधिकारी ही नहीं बल्कि जिलाधिकारी को भी झूठी रिपोर्ट सौंप कर गुमराह किया गया अब मामला तूल पकड़ता देख ग्रामीणों को लड़वाने की कोशिश की जा रही है। इस सबके बीच बड़ा सवाल यह है कि मामले को लेकर टेमना के ग्रामीण विभागीय अधिकारियों सहित जिलाधिकारी तक को मिलकर शिकायत दर्ज कर चुके है लेकिन एक माह बाद भी केन्द्र को बच्चों हेतु नहीं खोला गया।
मामले में की जा रही देरी से ग्रामीण दोशियों को बचाने व मामले की लीपापोती करने का अंदेशा जता रहे है।
बाल विकास परियोजना अगस्त्यमुनी की ग्राम पंचायत जोंदला का है यहां पर वर्ष 2011 से पंचायत भवन ग्राम टेमना में संचालित हो रहे आंगनबाड़ी केन्द्र को क्षेत्रीय सुपरवाइजर व कुछ अन्य कर्मियों की मिलीभगत से विना उच्चाधिकारियों के संज्ञान में लाये बिना बंद करवा दिया ग्रामीणों का कहना है कि विभागीय कर्मचारियों ने ग्रामीणों द्वारा दिये गये ज्ञापनों का भी जबाब नहीं दिया व मनमाने तरीके से ग्रामीणों की मॉग को अनसुना कर तीन किमी दूर दूसरे गॉव में शिफ्ट कर दिया गया है। ग्रामीणों द्वारा मामले की शिकायत विभागीय परियोजना अधिकारी सहित जिलाधिकारी से भी की गई लेकिन बैखोफ कर्मचारियों द्वारा विना ग्रामीणों के साथ वार्ता किये व गॉव में आये विना झूठे व तथ्य विहीन तर्क देकर जिलाधिकारी को भी गुमराह करने का प्रयास किया गया है।
केन्द्र का लाभ ले रहे बच्चों के अभिभावक व ग्रामीण समझ नहीं पा रहे है कि आखिर वर्षों से संचालित इस केन्द्र को किन प्रावधानों के तहत बंद किया गया है। ग्रामीण आदित्य राम, उमा दत्त आदि का कहना है कि जिलाधिकारी को सौंपे ज्ञापन के बाद विना गॉव में आये व ग्रामीणों के पक्ष को जाने बिना विभागीय सुपरवाइजर द्वारा टेमना में बच्चों की संख्या मात्र दो व गॉव मे गर्भवती महिलाओं की संख्या शून्य बताई गई है। इसके अलावा गॉव में टीएचआर वितरण को लेकर, व ग्राम पंचायत में खुली बैठक बताकर भी झूठी रिपोर्ट दी गई है।
ग्रामीणों का कहना है कि काफी समय से एक सोची समझी साजिश के तहत विभागीय सुपरवाइजर उक्त केन्द्र को बंद करने की फिराक में थी। जिसके लिये विभागीय सुपर वाईजर द्वारा झूठी रिपोर्ट देकर केन्द्र बंद कर शिफ्ट करने का फरमान जारी कर दिया बाद में ग्रामीणों द्वारा जिलाधिकारी से मामले की जॉच का पत्र सौंपने के बाद विभाग द्वारा केन्द्र बंद होने के 12 दिन बाद सुपरवाइजर पहली बार गॉव में आई व ग्रामीणों के साथ बैठक की अब विभागीय सुपरवाइजर अपनी ही दो अलग अलग रिपोर्टो में विरोधाभास के चलते कठघरे मे है।
ग्रामीणों का कहना है कि विभागीय कर्मचारियों की गैर जिम्मेदाराना हरकत से गॉव का माहौल खराब हो रहा है व आपसी मतभेद उत्तपन्न हो रहा है। दो महीने का समय बीत चुका है लेकिन अभी तक उक्त मामले में कोई कार्यवाही नहीं हुई है जबकि केन्द्र पर एक माह से ताला लटका हुआ है। ग्रामीणों का कहना है कि आखिर क्यों विभाग केन्द्र का ताला नहीं खुलवा रहा है। ग्रामीणों को अंदेशा है कि विभाग दोषी कर्मचारियों को बचाने के लिये लेटलतीफी कर मामले को नया रगं देने की फिराक में है। जिसका ग्रामीण पुरजोर विरोध करेगें।
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