Thursday, September 19, 2024
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दून पुस्तकालय एवं शोध केन्द्र में तीन दिवसीय माउंटेन फिल्म फेस्टिवल का आयोजन

देहरादून, दून पुस्तकालय एवं शोध केन्द्र में दिनांक 23-25 जून तक अपराह्न 2ः30 से 6ः30 बजे तक तीन दिवसीय माउंटेन फिल्म फेस्टिवल आयोजित किया जा रहा है। दून पुस्तकालय एवं शोध केन्द्र और डॉ. द्विजेन सेन मेमोरियल कला केंद्र व सिनेमामार्ग फिल्म क्लब देहरादून की ओर से यह फेस्टिवल संयुक्त रुप से आयोजित किया जा रहा है।
उत्तराखंड में फीचर फिल्मों को दिखाने का यह अपनी तरह का पहला फेस्टिवल है। इस फेस्टिवल में भारत और बाहर के देशों के पर्वतीय परिवेश पर बनी फीचर फिल्मों, वृत्तचित्रों और एनिमेशन शॉर्ट्स को प्रदर्शित किया जायेगा। फिल्म फेस्टिवल में प्रदर्शित की जाने वाली सभी फिल्मों का प्रवेश निशुल्क रखा गया है।

प्रथम दिवस में फिल्म निर्देशक यूसुफ सईद द्वारा उत्सव में दर्शकों का स्वागत और परिचय उसके पश्चात अपराह्न 2.30 बजे फिल्म ‘दायें या या बायें‘, निर्देशक बेला नेगी, जो रमेश मजीला के जीवन के बारे में एक नाटक फिल्म है। वह दूरदराज के एक पहाड़ी गांव में स्कूली शिक्षक है। उसने एक लक्जरी कार जीती होती है जो उसे एक अप्रत्याशित यात्रा पर ले जाती है। शाम 5ः00 बजे ‘केसर सागा‘, निर्देशक, इफ्फत फातिमा, केसर सागा दरअसल लद्दाख के हिमालयी क्षेत्र में केसर नाम से प्राचीन तिब्बती कहानी कहने की एक परंपरा के बारे में है।
द्वितीय दिवस में ‘पिन्टी का साबुन‘, निर्देशक, प्रमोद पाठक, पिंटी का साबुन इसी नाम के उपन्यास पर आधारित, उत्तराखंड के एक गाँव में रहने वाले एक 12 साल के लापरवाह लड़के ललित की कहानी है, जिसने कभी साबुन नहीं देखा। वहीं अपराह्न 3ः50 बजे ‘सम थिंग‘,निर्देशक, ऐलेना वाॅल्फ (जर्मनी), यह एक एनिमेटेड लघु फिल्म है जो तीन विशाल बड़े पहाड़ों के बारे में है जहां तेल, सोना और आग, और एक छोटा सा पहाड़ है। इसके पश्चात अपराह्न 4ः15 ‘स्प्रिंग,समर. फाॅल, विन्टर एण्ड स्प्रिंग‘, निर्देशक, किम की-डुक (दक्षिण कोरिया), यह फिल्म एक लड़के के बारे में है जो एक बौद्ध भिक्षु द्वारा एकान्त जगह में तैरते मंदिर में पली-बढ़ा है, जहां साल मौसम की तरह व्यतीत होते हैं,।

तृतीय दिवस याने 25 जून को अपराह्न 2ः30 ‘बिट्टू‘, निर्देशक, करिश्मा देव दुबे, यह दो लड़कियों के बीच घनिष्ठ मित्रता के बारे में एक ऑस्कर शॉर्ट-लिस्टेड फिल्म है अपराह्न 2ः50 बजे ‘किनाबुही‘, निर्देशक, डैनी कुक (फिलीपींस), फिलिपिनो नारियल किसानों पर आधारित एक फिल्म है जो औद्योगिक कृषि से शोषित जीवन जीने के लिए संघर्ष कर रही है तथा टाइफून हैयान जैसी आपदाओं से अपंग सी हो गई है, अपराह्न 3ः10 ‘एन आॅब्जेक्ट एट रेस्ट,‘ निर्देशक सेठ बॉयडेन (यूएसए), एक एनिमेटेड लघु फिल्म जो अपने सबसे बड़े विरोधी मानव सभ्यता का का सामना कर रही है। वहीं 3.30 बजे ‘हो गई है पीर पर्वत सी‘, निर्देशक, सुब्रत कुमार साहू, सतलुज नदी घाटी में जलविद्युत विकास योजना के प्रभावों पर एक सशक्त वृत्तचित्र फिल्म, जिसमें हिमालय में भारी आपदा के दृश्य शामिल हैं। इसके साथ ही फिल्म निर्देशकों के साथ सवाल-जवाब भी होगा | अन्त में फिल्म प्रशंसा पाठ्यक्रम के प्रतिभागियों को प्रमाण पत्र का वितरण भी किया जायेगा।

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