Sunday, November 24, 2024
HomeStatesUttarakhandआयुर्वेद केवल चिकित्सा शास्त्र ही नहीं बल्कि जीवन जीने की एक कला...

आयुर्वेद केवल चिकित्सा शास्त्र ही नहीं बल्कि जीवन जीने की एक कला है  : राज्यपाल

हरिद्वार ( कुलभूषण) उत्तराखंड आयुर्वेद विश्वविद्यालय एवं गुरुकुल एलुमनाई एसोसिएशन के संयुक्त तत्वाधान में गुरुकुल कांगड़ी आयुर्वेद कॉलेज हरिद्वार के 100 वर्ष पूर्ण होने पर शताब्दी वर्ष समारोह के आयोजन शुभारंभ किया गया।इस अवसर पर  डा रमेश पोखरियाल निशंक सांसद हरिद्वार प्रोफेसर सुनील जोशी कुलपति उत्तराखंड आयुर्वेद विश्वविद्यालय प्रो० सोमदेव शताशंु कुलपति गुरुकुल कांगड़ी  सम विश्वविद्यालय  आचार्य बालकृष्ण कुलपति पतंजलि विश्वविद्यालयए हरिद्वार कुंवर बृजेश सिंह राज्यमंत्री लोकनिर्माण विभाग उ०प्र० संस्था के पूर्व स्नातक एवं  विधायक  उत्तर प्रदेश  डॉक्टर राकेश वर्मा  स्नातक संघ के अध्यक्ष डॉक्टर राजकुमार रावत प्रोफेसर पी०के० प्रजापति कुलपति सर्वपल्ली राधा कृष्ण आयुर्वेद विश्वविद्यालयए जोधपुर    सहित विभिन्न गणमान्य लोगो की उपिस्थति में कार्यक्रम की शुरूआत हुयी। कार्यक्रम की अध्यक्षता वर्चुअली मोड मे राज्यपाल लेफ्टिनेंट जनरल गुरमीत सिंह ;से निद्ध की गई। राजभवन से अपने वर्चुअली सम्बोधन में
राज्यपाल ने कहा कि स्वतंत्रता संग्राम सेनानी एवं महान शिक्षाविद् स्वामी श्रद्धानंद द्वारा स्थापित गुरुकुल आयुर्वेदिक कॉलेज की स्थापना के 100 वर्ष पूर्ण होने पर इस संस्थान से जुड़े सभी लोगों को हार्दिक बधाई और हार्दिक शुभकामनाएं दी। राज्यपाल ने कहा कि आयुर्वेद केवल चिकित्सा शास्त्र ही नहीं बल्कि जीवन जीने की एक कला है। स्वास्थ्य संरक्षण और स्वास्थ्य संवर्धन में आयुर्वेद की विशेष भूमिका है। आज रोग से सुरक्षा हेतु रोग प्रतिरोधक क्षमता को उन्नत करने में आयुर्वेद की औषधियों की भूमिका वैज्ञानिक कसौटी पर खरी उतरी है। हाल ही में कोरोना महामारी में आयुर्वेद चिकित्सा की सार्थकता साबित हुई है। राज्यपाल ने कहा कि इस संस्थान से विद्या अर्जित करने वाले बड़े.बड़े वैद्य और चिकित्सकों ने इस विद्या के प्रचार.प्रसार में महत्वपूर्ण योगदान दिया है। उन्होंने कहा कि देवभूमि उत्तराखण्ड आयुर्वेद की जन्मभूमि है। हिमालय क्षेत्र से ऋषि मुनियों ने योग और आयुर्वेद के द्वारा शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य के साथ.साथ जीवन मुक्त अवस्था प्राप्त करने का मंत्र दिया है। इस अवसर पर विश्वविद्यालय कुलपति प्रो  सुनील जोशी ने आयुर्वेद के पूर्व स्नातकों वैद्य धर्मानन्द केसरवानी वेद्य धर्म दत्त  डा०रणजीत देसाई वैद्य अनंतानंद  अत्रि देव विद्यालंकार वैद्य जयदेव विद्यालंकार  को नमन करते हुए  उपस्थित लोगो से आहावान किया कि  आयुर्वेद को अपने जीवन में उतारे एवं आयुर्वेद पद्धति के प्रचार.प्रसार एवं स्वास्थ्य संबंधी में अपना सर्वस्य लगा दें जिससे आयुर्वेद की पुनः प्रतिष्ठा की जा सके । इस इस अवसर पर डॉ रमेश पोखरियाल निशंक सांसद हरिद्वार द्वारा भारत सरकार द्वारा आयुष के विकास में किए गए योगदान के बारे में बताया।   उन्होने कहा कि आयुर्वेद दोयम दर्जे की पद्धति नहीं है आयुर्वेद में टैलेंटेड और फर्स्ट रैंक के बच्चों को प्रवेश मिलना चाहिए। आयुर्वेद के योगदान को सारी दुनिया ने जाना है। उन्होंने साथियों से आवाहन किया कि हम सब मिलकर आयुर्वेद को विश्व की सबसे चिकित्सा सर्वश्रेष्ठ पद्धतिके रूप में में स्थापित कर सकेंए  ऐसा सबको मिलकर प्रयास करना चाहिए। पतंजलि आयुर्वेद  के महामंत्री आचार्य बालकृष्ण ने कहा कि आयुर्वेद में प्रकाशन  संहिता  निर्माण एवं अनुसंधान एवं विकास  वैज्ञानिक पद्धतियों को जोड़ने की आवश्यकता है। उन्होंने पतंजलि संस्थान द्वारा विश्व भैषज्य संहिता का निर्माण किया जा रहा हैए  पतंजलि आयुर्वेद द्वारा विश्व में सर्वाधिक आयुर्वेदिक पांडुलिपि रखने का विश्व कीर्तिमान भी स्थापित किया है। इस अवसर पर गुरुकुल के वरिष्ठतम स्नातकों को सम्मानित डॉ राजेंद्र कुमार अग्रवाल डॉक्टर नरेंद्र पाल वर्मा आदि को सम्मानित किया गया।इस अवसर को विशिष्ट एवं ऐतिहासिक बनाने के लिए पूर्व स्नातक संघ एवं उत्तराखंड आयुर्वेद विश्वविद्यालय के सहयोग से धंवतरी मंदिर का लोकार्पण किया गया। के अवसर पर शताब्दी द्वार का शिलान्यास भी किया गया। प्रो०प्रेमचन्द्र शास्त्री द्वारा कार्यक्रम का संचालन किया इस अवसर पर देश विदेश से इस संस्था के 600 से अधिक पूर्व स्नातकों सक्रिय रूप से प्रतिभाग किया।

RELATED ARTICLES

Most Popular

Recent Comments