देहरादून, संघ के आलोचक लगातार यह प्रश्न उठाते है कि संगठन के ढांचे में शीर्ष स्थानों पर महिलाएं क्यों नही होती हैं। लिहाजा सूत्रों के अनुशार संघ 2025 में 100 वर्ष पूर्ण होने के अवसर पर महिलाओं की भागीदारी के सवाल पर इतिहास बदलने जा रही है । शीर्षस्थ पदाधिकारियों में सहमति बनी है कि सह कार्यवाह और सह सरकार्यवाह की जिम्मेदारी महिलाओं को दिया जाना चाहिए। जिसमे सबसे पहले राष्ट्र सेविका समिति से जुड़ी स्वयं सेविकाओं को संघ में बड़े पदों पर आने का मौका मिलेगा।
महिलाओं की भागीदारी को लेकर यूँ तो लंबे समय से उसके आलोचक निशाना साधते रहे है । लेकिन हाल में सबसे अधिक चर्चा हुई तब जब पिछले साल दिल्ली में विदेशी प्रतिनिधियों ने बातचीत के दौरान संघ प्रमुख भागवत से इस संबंध में कई सवाल किए थे। महिला स्वयंसेविकाओं को जिम्मेदारी देने को लेकर गंभीरता से मंथन उसके बाद ही शुरू हुआ था । इसी तरह जब संघ के सदस्य जब दशहरा कार्यक्रम के लिए संतोष यादव को बतौर मुख्य अतिथि आमंत्रित करने के लिए गए तो वहां भी महिलाओं को लेकर संघ की सोच पर बात हुई थी।
हालांकि संघ में महिलाओं को नजरअंदाज करने का आरोप सही नही है । क्यूंकि संघ की स्थापना के 11 साल बाद 1936 से संघ में महिलाएं अहम भूमिका निभा रही हैं। संघ में महिलाओं के लिए बाल शाखा, तरुण शाखा और राष्ट्र सेविका समिति है, जिसमे राष्ट्र सेविका समिति की देशभर में 3500 से अधिक शाखाएं हैं।
अंदरूनी सूत्रों के अनुशार राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ में जल्द ही सह-कार्यवाह और सह-सरकार्यवाह पद की जिम्मेदारी महिलाओं को मिल सकती है। हालांकि संघ के 97 साल के इतिहास में अब तक कोई भी महिला इस पद पर नहीं रही है। महिलाओं को प्रमुख पदों की नियुक्ति देने पर संघ में सहमति का ही परिणाम है पहली बार नागपुर में संघ के दशहरा कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के तौर पर पर्वातारोही संतोष यादव को आमंत्रित करना। वह एकमात्र महिला होंगी, जो इस कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में शामिल होंगी।
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