Wednesday, November 27, 2024
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विधान सभा सत्र : शून्यकाल में जाति प्रमाणपत्र के मसले पर सदन में विपक्ष ने सरकार को घेरा, सदन से किया वाकआउट

देहरादून, उत्तराखंड़ विधान सभा का मानसून सत्र तीसरे दिन भी विपक्ष ने सरकार को घेरने की पूरी कौशिश की, सत्र के दौरान शून्यकाल में जाति प्रमाणपत्र के मसले पर सदन में विपक्ष ने सरकार को घेरते हुए हंगामा किया। हालांकि, सरकार की ओर से कहा गया कि यदि कहीं कोई कमी है तो उस पर पुनर्विचार किया जाएगा। विपक्ष इस जवाब से संतुष्ट नहीं हुआ और फिर सदन से वाकआउट कर दिया।

हरिद्वार से कांग्रेस विधायक ममता राकेश ने जाति प्रमाणपत्र से संबंधित कार्यस्थगन की सूचना दी थी। उन्होंने कहा कि जाति प्रमाणपत्र न मिलने से आमजन को दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। इसके लिए वर्ष 1985 के भूमि समेत अन्य अभिलेख मांगे जा रहे हैं। नतीजतन जाति प्रमाणपत्र न मिलने से प्रतियोगी परीक्षाओं, शिक्षण संस्थानों में आरक्षण का लाभ नहीं मिल पा रहा है।

दूसरी तरफ काजी निजामुद्दीन ने कहा कि पूर्व में जाति व निवास प्रमाणपत्र के लिए नौ नवंबर 2000 की कट आफ डेट तय की गई थी। अब इसे जटिल बनाया जा रहा है। उन्होंने प्रक्रिया के सरलीकरण पर जोर दिया। इस कड़ी में उन्होंने पूर्व में गठित कौशिक समिति की सिफारिशों का हवाला भी दिया। नेता प्रतिपक्ष प्रीतम सिंह ने कहा कि वर्ष 1985 के आधार पर जाति प्रमाण पत्र की प्रक्रिया विसंगतिपूर्ण है।इसी दौरान भाजपा विधायक देशराज कर्णवाल ने कहा कि जाति प्रमाणपत्र के मसले पर अदालत का निर्णय भी पहले आ चुका है। इस मामले में मंत्री के यहां फाइल लंबित है। विपक्ष ने सत्तापक्ष के विधायक की बात को लपकते हुए कहा कि इससे सरकार की पोल खुल गई है। फिर विपक्ष के सदस्य पीठ के सामने आकर हंगामा करने लगे।

सरकार की ओर से संसदीय कार्यमंत्री बंशीधर भगत ने कहा कि नौ नवंबर 2000 की कट आफ डेट के आधार पर ही जाति व निवास प्रमाणपत्र जारी किए जा रहे हैं। यह शासनादेश 2013 में जारी हुआ था। इसमें साफ है कि जो 15 वर्ष से राज्य में रह रहा है और उसकी स्थायी संपत्ति है, उसे प्रमाणपत्र जारी किए जाएंगे। जाति प्रमाणपत्र निर्गत करने में कहीं कोई दिक्कत नहीं है। कैबिनेट मंत्री सुबोध उनियाल ने भी सरकार का पक्ष रखा। हालांकि, विपक्ष सरकार के जवाब से संतुष्ट नहीं हुआ और उसने सदन से वाकआउट कर दिया।

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