नई दिल्ली, । किसानों की नित छोटी होती जोत पर चिंता जताते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रविवार को कहा कि बढ़ती आबादी के साथ परिवार में बंटवारा इसकी मूल वजह है। इस चुनौती से निपटने के लिए छोटे किसानों की सामूहिक शक्ति बढ़ानी होगी। सहकारवाद से इन्हें मजबूत और सशक्त बनाने की जरूरत है। स्वतंत्रता दिवस पर लाल किले की प्राचीर से प्रधानमंत्री मोदी ने ‘छोटा किसान-देश की शान’ का नारा भी दिया।
किसानों की नित छोटी होती जोतों पर जताई चिंता
उन्होंने कहा कि देश के 80 फीसद किसानों के पास दो हेक्टेयर से भी कम भूमि है। उन्हें मजबूत बनाना ही हमारी प्राथमिकता है। छोटे किसानों के हित में लगातार निर्णय लिए जा रहे हैं। उसी के तहत कृषि क्षेत्र में सुधार किए जा रहे हैं। इस तरह के फैसले बहुत पहले लिए जाने चाहिए थे। प्रधानमंत्री ने कहा कि फसल बीमा योजना में सुधार, न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) को डेढ़ गुना करने जैसे अहम कार्य, छोटे किसानों को क्रेडिट कार्ड, सौर ऊर्जा वाले नलकूप और किसान उत्पादक संगठन जैसे फैसलों से छोटे किसानों की ताकत बढ़ेगी। आने वाले दिनों में ब्लाक स्तर पर गोदाम बनाने का अभियान चलेगा। इन्हीं छोटे किसानों की जरूरतों के मद्देनजर ही पीएम किसान सम्मान निधि योजना चलाई जा रही है।
‘छोटे किसान-बने देश की शान’ यह हमारा सपना
मोदी ने जोर देकर कहा कि देश के लघु किसान हमारे लिए हमारा मंत्र हैं, हमारा संकल्प है। ‘छोटे किसान-बने देश की शान’ यह हमारा सपना है। उन्हें हर तरह की नई सुविधाएं देनी होंगी। देश के 70 से ज्यादा रेल मार्गो पर किसान रेल चलाई गईं, जिससे छोटे किसानों को अपनी उपज को अच्छी कीमत के लिए दूर के शहरों में कम खर्च में भेजने में मदद मिली।
गांव-गरीब की जमीनें विवाद का नहीं, विकास का आधार बनेंगी
कृषि क्षेत्र में वैज्ञानिक क्षमताओं का उपयोग करने के लिए प्रधानमंत्री ने कहा कि हमें उनके सुझावों का पूरा लाभ उठाना चाहिए। देश की खाद्य सुरक्षा के साथ फल, सब्जियां और अनाज का उत्पादन बढ़ाने में बहुत बड़ी मदद मिलेगी। विश्व बाजार में भारतीय कृषि उपज की मांग को पूरा करने में भी सहायता मिलेगी। मोदी ने कहा कि भारत की मिट्टी में उगी चीजों की सुगंध दुनियाभर में पहुंच रही है। हमारे खेतों की निकली सब्जियां और खाद्यान्न दुनिया का स्वाद बन रहे हैं।गांवों में जमीन को लेकर होने वाले विवादों को कम करने अथवा समाप्त करने में सरकार की स्वामित्व योजना बेहद कारगर साबित हो रही है।
हर गांव के हर घर के साथ जमीन की कराई जा रही ड्रोन मैपिंग
प्रधानमंत्री ने कहा कि गांवों में बने मकानों और अन्य जमीनों आदि के मालिक होने के बावजूद उस पर बैंकों से कर्ज नहीं मिल पा रहा था। गांवों की जमीनों पर कई पीढ़ियों तक कोई काम ही नहीं हुआ। इस स्थिति को बदलने के लिए हर गांव के हर घर के साथ जमीन की ड्रोन मैपिंग कराई जा रही है। जमीन आदि का पूरा आंकड़ा और संपत्ति का ब्योरा आनलाइन किया जा रहा है। इससे गांवों में जमीन से जुड़े विवादों को समाप्त करने में मदद मिलेगी। गांव के गरीबों की जमीनें विवाद का नहीं, विकास का आधार बनेंगी।
सहकारवाद हमारी परंपरा और संस्कारों के अनुकूल
प्रधानमंत्री ने कहा कि आर्थिक दुनिया में पूंजीवाद और समाजवाद की चर्चा बहुत होती है, लेकिन भारत सहकारवाद पर भी बल देता है जो हमारी परंपरा और संस्कारों के अनुकूल है। यह जमीनी अर्थव्यवस्था की अहम कड़ी है। सहकारिता सामूहिक चलने की एक मन:वृत्ति है। इसीलिए हमने एक अलग मंत्रालय बनाकर इस दिशा में कदम उठाया है। इससे गांव, गरीब, किसान और वंचित वर्ग को एकजुट होकर अपना विकास करने का अवसर प्राप्त होता है।(जागरण)
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